* कमीशन के चक्कर में मरीजों को प्राइवेट डॉक्टरों व नसिZग होमों के लिए किया जाता है रेफेर
* मरीजों के देखने के लिए घर पर बुलाते हैं डॉक्टर
सुलतानपुर जिला महिला चिकित्सालय में डॉक्टरों की लापरवाही के चलते एक और मासूम की जान चली गई। इस चिकित्सालय का यह हाल है कि वहां तैनात डॉक्टरों द्वारा खुले रूप से मरीजों को शहर में कार्यरत डॉक्टरों व नसिZग होमों में रेफेर कर दिया जाता है जिससे उन्हें उनका कमीशन मिल सके। मरीज को लेकर उनके तीमारदारों द्वारा इधर-उधर लेकर दौड़ने के कारण मरीज अपनी जान से हाथ धो बैठता है।
अस्पताल का आलम यह है कि यहां कार्यरत डॉक्टर कोई को काम न करना पड़े इस लिए वह अपने सिर से बला टालने के लिए मरीजों को वहां न भतीü कर वहां से भगा दिया जाता है। यदि वह भतीü हो भी गया तो उन्हें प्राइवेट चिकित्सा कराने के लिए बाध्य किया जाता है। इसका एक नमूना जिला महिला अस्पताल में देखने को मिला जहां यहां के डॉक्टरों की लापरवाही के चलते एक और मासूम की जान चली गई।
जिला महिला चिकित्सालय में वृहस्पतिवार को थाना कुड़वार क्षेत्र के हसनपुर गांव की भण्डार खाना की रहने वाली राजमणि को रात्रि लगभग नौ बजे प्रसव के लिए भतीü कराया गया था। दूसरे दिन उसने लगभग साढ़े दस बजे सुबह एक बच्ची को जन्म दिया। दोपहर लगभग डेढ़ बजे पैदा हुई बच्ची की हालत खराब हो गई और उसके मुंह और कान से खून निकलने लगा तो मरीज के तीमारदारों ने डॉक्टर से उसे देखने के लिए कहा तो डKूटी पर तैनात डॉ. रमापति ने अपने सिर से बला टालने के लिए उसे शहर में कार्यरत डॉक्टर संजय मिश्रा के लिए रेफेर कर दिया गया। उक्त बच्ची को लेकर उसके परिजनों ने डॉ. संजय मिश्रा के यहां ले गये जहां उनके न होने पर उसे पुनज् महिला अस्पताल ले आये और यहां पर तैनात बच्चों के डाक्टर आर.पी. वर्मा को दिखाने ले गये तो उन्होंने उस बच्ची को अस्पताल में देखकर उसे अपने घर देखने के लिए बुलाया और घर पर शुल्क लेकर बच्ची को देखा और कहा कि इस आक्सीजन दिलाओ, इस बीच बच्ची की हालत बिगड़ती गई तो बच्ची को लेकर उसे परिजन महिला अस्पताल के डाक्टर से आक्स्ाीजन देने को कहा तो वहां उन्हें यह जवाब दिया गया कि अस्पताल में आक्सीजन नहीं है। अस्पताल की इस व्यवस्था के बीच नन्हीं बच्ची मौत की गोद में सो गई। यह ज्ञात हुआ कि बच्ची के पैदा होने के समय ही उसके सिर में चोट आने के कारण ही मुंह और कान से खून आना प्रारभ हुआ।
महिला अस्पताल के इस दुव्र्यवस्था के बारे में जब वहां की मुय चिकित्सा अधीक्षिका डॉ. विनीता सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अस्पताल में आक्सीजन की कमी नहीं और डKूटी पर तैनात डॉक्टर ने ऐसा क्यों कहा कि अस्पताल में आक्सीजन नहीं है ? यह मामला गम्भीर है। इस बारे में मैं पूछताछ करूगीं।
सूत्रों से यह भी ज्ञात हुआ है कि महिला अस्पताल में जब मरीज प्रसव के लिए आती हैं तो उन्हें लातों से मारकर भगाया जाता है। ऐसा एक बार एक मरीज के साथ होने पर उस समय वहां तैनात चिकित्साकर्मी को मार खाना पड़ा था।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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