Posted on 18 April 2018 by admin
अनुष्ठान - भण्डारा - भागवत् व सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारंभ
हजारों की संख्याओं में भक्तगण हुये कलष यात्रा में शामिल
श्री रावतपुरा सरकार धाम, तहसील-लहार, जिला-ग्वालियर (मध्यप्रदेष) में विशाल एवं वृहद सामाजिक कुंभ हुआ प्रारंभ। संत शिरोमणि श्री रविशंकर जी महाराज ‘‘रावतपुरा सरकार’’ ने अपना आर्शीवाद रूपी वचन में कहा कि हम सौभाग्यशाली है कि हमें सामाजिक कंुभ में भक्तों और जनता की सेवा करने का सौभाग्य मिल रहा है आज 18 अप्रैल को विष्णु जी का जन्मदिन है। यह सामाजिक कुंभ कई कारणों से बहुत दिन से टलता रहा है भगवान की इच्छा से हमें और हमारे भक्तों को सामाजिक कंुभ को स्वीकार्य करना पड़ा।
उन्होनें कहा कि जब धर्म की बात आती है तो कुछ कठिनाईयाँ भी आती है। हनुमान जी की कृपा से 20 दिन में पूरी तैयारियाँ हो गयी है। यह 10वां यज्ञ है हमें पूरे 12 यज्ञ करने है एक तो महाराष्ट्र में होगा और दूसरा नर्मदा के किनारे। आप लोग सेवा का महत्व सीखना चाहते हों तो यह तो सिख धर्म के भक्तों से या फिर अमरनाथ के भक्तों से, सेवा का फल अलग होता है। हर एक को सेवाभावी होना चाहिये। आप इस सामाजिक कुंभ में नियमित, अनुशासित, सादगी और अच्छे व्यवहार से कार्य करें और एक सूत्रीय सूत में बंधकर इस कार्यक्रम को सफल बनायें।
आज प्रातः संत शिरोमणि श्री रविशंकर जी महाराज ‘‘रावतपुरा सरकार’’ द्वारा प्रातः 9.00 बजे गोविन्दाकल्याण मण्डपम्् मे कलश पूजन, गणेश पूजन, वरूण पूजन कर कलश यात्रा का शुभारंभ किया। वैदिक मंत्रो द्वारा पूजाअर्चन वनारस से आये पं. सुनील त्रिवेदी ने सर्वप्रथम कलश का पूजन, शालीग्राम जी का महाभिषेक एवं 501 पंडितो द्वारा पूजन किया गया। इसके बाद कलश यात्रा यज्ञ शाला पहुंची। यज्ञ शाला यज्ञ आरंभ होने से पूर्व करीब 1008 कलश लेकर श्रद्धालु जन यज्ञशाला पहंुचे। अवसर पर संत शिरोमणिश्री रविशंकर जी महाराज ‘‘रावतपुरा सरकार’’ भी सबसे आगे कलश सिर पर रखकर चल रहे थे। उन्होने हजारों भक्तजनों के साथ यज्ञ शाला की परिक्रमा की। गोविन्दा कल्याण मण्डपम्् से यज्ञ शाला स्थल पहंुचने के बाद भी श्रुद्धालुओं की कतार करीब आधे घंटे तक लगी रही। महिलाओं की अच्छी भागीदारी होने पर भी कलश कम पड़ गये। तब श्रद्धालुओं ने लोटो का उपयोग कर कलश यात्रा में शामिल हुये।
108 कुंडीय यज्ञ शाला में आज पं. ललितशास्त्र आर्चन एवं गणेश शास्त्र आर्चन द्वारा वैदिक पद्धति से पूजन अर्चन कर यज्ञ का शुभारंभ किया। आचार्य पं. नारायण उपाध्याय ने बताया कि सुबह 11 बजे वैद उच्चारण के साथ यज्ञ प्रांरभ हुआ जिसमें लक्ष्मीनारायण यज्ञ में 121 यजमान शामिल रहे। मुख्य यजमान यूजीसी के चेयरमेन डाॅ. डी पी सिंह सपरिवार यज्ञ में शामिल हुये। दोपहर 2 बजे के बाद भगवात यज्ञ प्रारंभ हुआ जिसमें 108 यजमान शमिल रहे।
प्रातः वंसुधरा लोक कला कृषक संस्थान ग्रुप सागर डाॅ. मनोज मिश्रा ने अपनी टीम के कलाकारों द्वारा दीपावली एवं मोनिया नृत्य के द्वारा श्रीमद्् भागवत कथा के उपदेशो को 1 घंटे में सम्पूर्ण भागवत को अपनी कथा और नृत्य कला द्वारा भक्तजनों के समक्ष रखा।
युवराज मेले का आर्कषण का केन्द्र बना
युवराज कोई साधारण भैंसा नहीं है इसका बीज एक स्खलन के लिए अपने मालिक को 1,50,000 रुपये लाता है। मुर्रा नस्ल के 9-वर्षीय भैंसा ने 20 लीटर दूध, 10 किलो फल, 6 किलो दाना व सर्दी में 500 ग्राम काजू और बादाम खाता है। दिन में इसको को दो बार स्नान कराया जाता है वह तेल से मालिस की जाती है। 5 किमी. प्रतिदिन पैदल चलाया जाता है। इसके द्वारा पैदा किये बच्चे13 से 19 लीटर दूध देते है। और वह 3 से 9 लाख में बिकते हैं।
युवराज को देखने के लिये घर परदेश और विदेश से लोग आते है। 4 लोग युवराज की सेवा में लगे रहते हंै। इसके सीमन वीर्य से हम साल में 70 से 90 लाख रूपये कमा लेते है। पूरे विश्व में यह नं. 1 का भैंसा माना गया है। पिछले साल हरियाणा में करनाल के एक मवेशी मेले में एक किसान ने युवराज खरीदने के लिए 9 करोड़ रुपये क ीपेशकश की लेकिन करमवीर सिंह इसे लेने से इनकार कर दिया। करमवीर ने कहा कि उसे मैनें सात साल पहले 54,000 रुपये में खरीदा था। उसने मुझे लाखों रुपये दिए हैं और भावनात्मक संबंध भी हैं मैंउसे किसी भी कीमत के लिए नहीं बेच सकता हूं। युवराज का वजन 1500 किलोग्राम है और यह 5 फीट और 7 इंच लंबा है। वह अपने महत्वपूर्ण आंकड़ों के लिए 24 बार राष्ट्रीय पशुधन चैंपियन रहे हैं। कमरवीर सिंह और इसका परिवार इस युवराज से काफी प्रेम करते है और इसे अपने परिवार का सदस्य मनाते है। सामाजिक कुंभ में आज हजारों भक्तजनों एवं क्षेत्रीय जनता में युवराज को लेकर भारी उत्साह रहा।
कई विषिष्ठजन हुये सामाजिक कंुभ में षामिल
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं सांसद प्रभात झा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सतव्रत चतुवर्दी, मुकेश नायक एवं उत्तर प्रदेश के एमएलसी प्रत्याशी विद्यासागर सोनकर, पूर्व विधायक राकेश चैधरी, वरिष्ठ नेता डाॅ. सतीश सिंह सिकरवार ने भी सामाजिक महाकंुभ में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। इस अवसर पर उन्होने संत शिरोमणि श्री रविशंकर जी महाराज ‘‘रावतपुरा सरकार’’ से भेंट की।
गुरूवाणी एवं कबीर गायन में हजारों भक्तों ने कीशिरकत
आज सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत भाई करतार सिंह द्वारागुरूवाणी एवं आभास एवं श्रेयास जोशी कबीर गायन भीकिया गया। रासलीला वृंदावन के रासाचार्य डाॅ. देवकीनंदन शर्मा की मंडली द्वारा की गयी।
डाकघर का हुआ लोकार्पण
संत शिरोमणि श्री रविशंकर जी महाराज ‘‘रावतपुरा सरकार’’ ने आज रावतपुरा पुलिस थाने के बगल में डाकघर कालोकार्पण किया। इस अवसर पर सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे।
Posted on 12 November 2017 by admin
18 नवम्बर से 20 नवम्बर तक तीन दिवसीय समागम में विश्व के कोने-कोने से पहुंचेगें श्रद्वालु
विश्व बन्धुत्व का 70वां तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय निरंकारी संत समागम मैदान बुराडी रोड नई दिल्ली में अन्तर्राष्ट्रीय संत निरंकारी मण्डल के सानिध्य में 18 से 20 नवम्बर तक सतगुरू माता संविदर हरदेव जी की अध्यक्षता में होगा। विश्व बन्धुत्व के 70वें तीन दिवसीय निरंकारी संत समागम में ललितपुर जनपद सहित उ0प्र0 के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के झांसी, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट आदि जनपदों के श्रद्वालु भारी संख्या में पहंुचकर धर्म लाभ लेगें।
निरंकारी संत समागम की जानकारी देते हुए मुखी महात्मा अमान साहू एवं मीडिया प्रभारी मानसिंह ने बताया कि दिल्ली में आयोजित हो रहे तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय निरंकारी संत समागम में देश विदेश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्वालु पहंुचकर धर्म लाभ लेगें। समागम से पहले दिल्ली पहुंचकर सेवा दल के जवानों ने समागम स्थल के सैकडों एकड के मैदान को नगर में परिवर्तित करते हुए रोशनी से जगमग कर दिया है। समागम स्थल में ठहरने, भोजन, दवा, पानी, बिजली आदि की व्यवस्थायें दुरूस्त की जा रहीं हैं। समागम स्थल का शुभारंभ सतगुरू माता संविदर हरेदव जी ने विधिवत रूप से किया तथा उन्होनंे संबांधित करते हुए कहा कि सौहार्दपूर्ण वातावरण के एकत्व जरूरी है। निरंकारी संत समागम अनेकता में एकता का संुदर रूप प्रस्तुत करता है।
Posted on 04 November 2017 by admin
लखनऊ,03 नवम्बर। हरे कृष्ण हरे राम और तेरी करूणा में मुझको नाज है, एक नजर में बेड़ा पार हो जाएगा भजन सुनाकर प्रसिद्ध भजन गायक विनोद अग्रवाल ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। पंडाल श्रोताओं से खचाखच भरा हुआ। अग्रवाल के भजन पर श्रोता न सिर्फ झूमते रहे बल्कि भाव विह्वल होकर नाचते भी रहे।
मौका राजधानी स्थित में मोतीमहल पार्क में गोविन्द चले आओ, गोपाल चले आओ की ओर से भजन संध्या कार्यक्रम रखा गया था।
विनोद अग्रवाल ने कार्यक्रम के दौरान एक के बाद एक भजन सुनाए। लेकिन उन्होंने जैसे ही श्रोताओं को राधा के उच्चारण से वातावरण को रमणीय कर दिया।
प्यासी है ये अखियां मेरी, बरसाती हैं सावन धारा तान छेड़ी पंडाल में बैठे श्रद्धालु उठ खड़े हुए। इसके बाद उन्होंने तेरी यादों में रोना अच्छा लगता है। अपने दामन को भिगोना अच्छा लगता है। किसको अपना हाल सुनाऊं गिर के घाव किसे दिखाऊं, तन्हाई का कोना अच्छा लगता जैसे भजन सुनाए।
यह सिलसिला शाम को सात बजे शुरू होकर और देर तक जारी रहा। श्रद्धालुओं की मांग में विनोद अग्रवाल ने टूट न जाएं कहीं प्रीत की डोर, रे कान्हा तेरी बांसुरी नींद चुराए भजन सुनाया। इस मौके पर बल्देव कृष्ण जी जगाधरी वाले और धीरज बावरा ने भी मनमोहक भजन सुनाएं।
इस मौके पर उमेश गुप्ता, वीके अरोड़ा, डा. दिलीप अग्निहोत्री,जुगल सचदेवा, संदीप अग्रवाल, सोनू अग्रवाल, विशाल सिन्हा भी उपास्थित रहे।
Posted on 31 October 2017 by admin
गन्ने के विशाल मंडप में तुलसी संग लिया गया बेटी बचाओ का संकल्प
लखनऊ, मंगलवार 31, अक्टूबर 2017
चार महीने क्षीर सागर में सोने के बाद भगवान विष्णु 31 अक्टूबर को जागे। देवोत्थानी महापर्व पर मंगलवार को डालीगंज स्थित मनकामेश्वर उपवन घाट पर खासतौर से गन्ने का भव्य मंडप तैयार किया गया। इस आकर्षक मंडप में तुलसी विवाह के पावन अवसर पर डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मठ मंदिर की श्रीमहंत देव्यागिरि ने तुलसी के बीज बांटकर लोगों को बेटी बचाओ का संकल्प करवाया। उन्होंने कहा कि यदि ऐसे ही समाज में बेटियों की संख्या घटती रही तो वह दिन दूर नहीं जब विवाह के लिए लड़कियां ही नहीं मिलेंगी। ऐसे में समाज का पतन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि देवोत्थानी एकादशी और तुलसी विवाह लोगों को संदेश देते हैं कि हर व्यक्ति अपने में सोये हुए देवत्व को जगाए और विवाह व्यवस्था को कायम रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करे।
गन्नों से सजा मंडप
देवोत्थानी पर ही किसान गन्ने की फसल कांटते हैं। चूंकि गन्ना एकादशी पर काटा जाता है इसलिए उसे सबसे पहले भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि एकादशी के बाद ही गन्ना खाना चाहिए। गन्ने से सूप और बर्तन बजाकर भगवान विष्णु को जगाने की भी परंपरा है। इसलिए गन्ने का इस पर्व पर खास महत्व है। इसे देखते हुए देवोत्थानी एकादशी पर खासतौर से सैकड़ों गन्नों से आकर्षक मंडप तैयार करवाया गया। उस भव्य मंडप में प्रथम देव गणेश की अराधना के बाद भगवान विष्णु की पूजा की गई। आदि गंगा मां गोमती के जल से अभिषेक करने के बाद देश और देशवासियों के कल्याण के लिए सामूहिक प्रार्थना की गई। पूजन के बाद गन्ने से तैयार आकर्षक मंडप भक्तों के बीच सेल्फी प्वाइंट भी बना।
तुलसी बीज बांटकर कराया संकल्प
देवोत्थानी एकादशी पर तुलसी विवाह का अनुष्ठान भी सम्पन्न कराया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो इस अनुष्ठान को करता है उसे न केवल कन्यादान का पुण्य मिलता है बल्कि उसकी सारी विध्न बाधाएं दूर होती हैं। उसके सारे कष्ट दूर होते हैँ और जीवन सुखमयी होता है। शास्त्रों के अनुसार राक्षस जालंधर के वध के लिए भगवान विष्णु ने पतिव्रता वृंदा से छल किया था। यह बात जब वृंदा को मालूम पड़ी तो उसने भगवान विष्णु को पत्थर बनने का श्राप दे दिया। इस पर भगवान विष्णु ने वृंदा के सम्मान में घोषणा की कि उनका एक स्वरूप शालिग्राम के रूप में में रहेगा। तुलसी के रूप में वृंदा हमेशा पूज्यनीय रहेंगी। जो मनुष्य तुलसी और शालिग्राम का विवाह करवाएगा उसका कल्याण होगा। इस परंपरा को और भी वृहद स्तर पर ले जाते हुए श्रीमहंत देव्यागिरि ने तुलसी के सैकड़ों बीज कन्याओं के हाथों बंटवाकर संकल्प करवाया कि लोग न केवल कन्याओं को बचाएंगे बल्कि उनके सर्वांगीण विकास के लिए भी कार्य भी करें। भक्तों ने भी बड़ी संख्या में इस अनुष्ठान में शामिल होकर संकल्प लिया कि वह तुलसी के बीजों को घरों में बोएंगे। बीजों से तुलसी के पौधे निकल आने पर पौधे में रोज पानी डालते हुए वह बेटी बचाओ के संकल्प को याद करेंगे। इस आयोजन में प्राथमिक विद्यालय बरौलिया प्रथम स्कूल के प्रधानाचार्य शमशाद अहमद, शिक्षिका लक्ष्मी रस्तोगी, उमा तिवारी, उपमा पांडेय,जगदीश, संजय सोनकर, अमित, गायत्री, विधि, श्यामू जादौन, ममता, पूनम, पूजा, तुलसी, रेखा, रेनु, खुशबू, पूजा पाल, ऋतु समेत स्कूल के बच्चे शामिल हुए।
Posted on 21 May 2013 by admin
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 20 April 2013 by admin
१९ अप्रैल । सुलतानपुर जिले के जूडापटटी कूडेभार में २१ अप्रैल से होने वाले सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में २६ अप्रैल को बद्रिकाश्रम के जगद्गुरु शंकराचार्य ज्योतिषपीठाधीश्वर वासुदेवानन्द सरस्वती भाग लेगें।
सुलतानपुर में आयोजित पत्रकार वार्ता में आयोजक पूर्व शासकीय अधिवक्ता पं० शिव कुमार मिश्र ने बताया कि २१ अप्रैल को गांव में विशाल कलश यात्रा एवं शोभायात्रा निकलेगी और सायं से कथा प्रवचन शुरु हो जायेगा। २७ अप्रैल को कथा का समापन होगा तथा २८ अप्रैल को हवन, पूर्णाहूति एवं विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया है। कथा के दिनों में २६ अप्रैल को जगद्गुरु शंकराचार्य ज्योतिषपीठाधीश्वर वासुदेवानन्द सरस्वती तथा अन्य तिथियों में पूर्व विधान सभा अध्यक्ष केसरी नाथ त्रिपाठी, रमापति राम त्रिपाठी सहित कई विद्वान भाग लेगें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 20 April 2013 by admin
१९ अप्रैल । चैत्र नवरात्र के नवमी को लोगो ने पूजा के बाद छोटी छोटी कन्याओं को पूडी और हलवा खिलाकर अपने व्रत का समापन किया । सुबह ब्र्रह्ममुहूर्त में उठकर भक्तों ने मां भगवती की पूजा अर्चना की तथा लाल चुनरी, नारियल चढाकर हलवे पुडी आदि का भोग लगाकर सुख समृद्धि की कामना की ।
पूजा अर्चना के बाद व्रत रखने वाले लोग छोटी छोटी कन्याओं को आदर सहित घर बुलाकर भोजन कराया । लोहरामउहृ मंदिर में सुबह से ही लम्बी लम्बी कतार लगाकर भक्तो ने मां भगवती के दर्शन किये और पुजारी पं० राजेन्द्र प्रसाद मिश्र ने भक्तो को हवन कराया । अमहट स्थित गायत्री मन्दिर पर सैकडो कन्याओं ने भोज में भाग लिया तथा भक्तों ने सुबह से हवन पूजन व दर्शन किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 18 April 2013 by admin
१८ अप्रैल । वासंतीय नवरात्र के अष्ठमी के दिन सभी शक्तिपीठों पर ब्रह्म मुहूर्त से ही मां के भक्तो की भीड़ उमड़ पडी । देर शाम तक मन्दिरो में देवी भक्तो ने मां दुर्गा के पूजन व अर्चन किये ।
नगर के रुद्र नगर स्थित मां नयना देवी के मंदिर, मां काली शक्तिपीठ शाहगंज, काली माई का थान मेजरगंज, मां भगवती का धाम लोहरामउहृ पर भोर से ही जय माता दी के जयकारो के साथ भक्तो ने नारियल चुनरी और प्रसाद चढा कर अपने घर परिवार और समाज की मंगलकामना की प्रार्थना की । दिन भर मन्दिरो में घंटे घडियालो व मां के जयकारो की गूंज से पूरा क्षेत्र अध्यात्मिक हो गया।
मन्दिरों में घंटे शंख की ध्वनि व जगतजननी की जय जयकार के साथ सुबह सायं आरती हुई जिसमे श्रद्धा पूर्वक भाग लिया। बताते है वैसे तो वासंतीय और शरद नवरात्र व दो गुप्त नवरात्रो की उपासना से हमारे सनातन धर्म मे जीवन के हर क्षेत्र मे विजय सुनिश्श्च्ति होती है जिससे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से आसुरी शक्तियो एवं जीवन की कठिनाइयो से भक्तो को नवदुर्गा के विभिन्न्न रुप की उपासना से मुक्ति प्राप्त होती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 18 April 2013 by admin
१७ अप्रैल । नवरात्र का पावन महीना चल रहा है श्रद्धा और भक्ति के अनुसार हिन्दू जनमानस इसे मना रहा है । कुछ लोग नौ दिनो का व्रत रखे हुए है । वही कुछ लोग प्रथम दिन और अष्टमी के दिन अर्थात २ दिवसीय व्रत अनुष्ठान करते है । अपनी अपनी सामथ्र्य है मन स्वच्छ एवं पवित्र होना चाहिए ।
प्रथम नवरात्रि में सिर्फ नौ दिनो का व्रत रखकर हम मां भगवती की आराधना करते है । जबकि द्वितीय नवरात्रि में नौ दिनो के व्रत के साथ साथ विश्व प्रसिद्ध त्योहार दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है । दोनो नवरात्रि में हम मां दुर्गा के नौ रुपो की नौ दिनो में पूजा अर्चना करते है और मां को मनाते है । मां भगवती के हर रुप का अलग अलग महत्व है जैसे दुर्गा रुप शक्ति का परिचायक है तो मां शारदा का रुप विद्या का परिचायक है । तो मां शारदा का रुप विद्या का परिचायक है नौ रुपो की आराधना मात्र आराधना ही नही है बल्कि सम्पूर्ण ब्रहमांड की शक्ति का आवाहन इन्ही नौ दिनो में हो जाता है जो समस्त मानव जाति के लिए शुभकारी एवं फलदायी होता है ।
आधुनिकता एवं घोर वैज्ञानिकता के इस युग में ऐसे धार्रि्मक पर्वो में जनमानस की बढती आस्था यह सिद्ध करती है सर्व शक्तिमान सत्त्ता की छाया में सारा विश्व फलफूल रहा है और हम बिना इस सत्ता की अनुकंपा के एक कदम भी नही चल सकते । दूर जाने की जरुरत नही अपने आस पास देखिये छोटे छोटे बच्चे नवरात्रि का व्रत रखे हुए दिख जायेगें जिन्हे दिन भर कुछ ना कुछ खाने की आदत होती है । यह श्रद्धा नही तो और क्या है । अस्तिकता ही एक ऐसा कारण है जिससे मानव समाज अपना विकास एवं प्रगति कर रहा है ।
कई तरह के धार्रि्मक व्रत हमारे हिन्दू समाज में विद्यमान है जिसमे इस नवरात्रि पर्व के नौ दिवसीय व्रत की महिमा का वर्णन शब्दो में कर पाना सर्वथा असंभव अपने सामथ्र्य के अनुसार हम मां भगवती के नौ रुपो की आराधना करें और मां भगवती हमारी भक्ति स्वीकार करके सारी मानव जाति पर अपनी दया दृष्टि बनायें रखें यही कामना हमें सच्चे मन से करनी चाहिए । नवरात्रि के पावन पर्व पर सच्ची आराधना यही है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 10 April 2013 by admin
पावन चिंतन धारा एक आध्यात्मिक संगठन है, जो बच्चों और युवाओं के मानसिक व चारित्रिक विकास के लिए कार्य करती है, साथ ही , धर्म की वैज्ञानिकता के प्रचार-प्रसार के लिए कटिबद्ध है।
इस संस्था के संस्थापक श्री पवन सिन्हा जी, जो जन-जन में एस्ट्रªो अंकल के रूप में विख्यात हैं, का मानना है कि जब तक व्यक्ति का मन नाथा नहीं जाएगा तब तक समाज व देश का उत्थान असंभव है।
मन को नाथने का व अन्य किसी भी समस्या का पहला और अंतिम समाधान है-ध्यान। इसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए पावन चिंतन धारा की लखनउ इकाई द्वारा तीन दिवसीय ध्यान योग क्रिया शिविर का आयोजन किया जा रहा है।
ध्यान योग क्रिया शिविर के प्रथम दिन प्राख्यात आध्यात्मिक चिंतक श्री पवन सिन्हा जी ने व्यावहारिक ध्यान पद्धतियों की विवेचना बहुत वृहद तरीके से की जिसमें ध्यान के सही प्रकार, ध्यान हमारे जीवन को सफल बनाने में किस प्रकार सहायक है, ध्यान से किस प्रकार मानसिक शांति, जीवन का उद्देश्य प्राप्त करने में मदद, ईष्ट प्राप्ति और किस प्रकार हमारे संस्कारों को ईच्छा-शक्ति के द्वारा मजबूत करता है, आदि बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा हुई।
साथ ही उन्होंने कृष्ण-क्रिया का भी गूढ़ रहस्य बताया जिसमें मन को एकाग्र व शांत करते का अभ्यास भी कराया।
कार्यक्रम के अगले चरण में पावन पुस्तक श्रृंखला-11, शीर्षक- ईष्ट साधना पुस्तक का विमोचन हुआ। यह पुस्तक विभिन्न एस्ट्रªो अंकल कार्यक्रम के एपिसोड का संग्रह है।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में लोगों के प्रश्नों का समाधान करते हुए ध्यान, अध्यात्म, योग आदि विषयों से संबंधित लोगों की जिज्ञासाओं को शांत किया।
तीन दिवसीय कार्यक्रम के प्रथम दिन के कार्यक्रम का समापन हनुमान चालीसा का संगीतबद्ध पाठ करके किया गया। इस शिविर कार्यक्रम में लगभग 450 लोगों ने हिस्सा लिया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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