मां तेरे चरणो में हम शीश झुकाते है

Posted on 18 April 2013 by admin

१७ अप्रैल  । नवरात्र का पावन महीना चल रहा है श्रद्धा और भक्ति के अनुसार हिन्दू जनमानस इसे मना रहा है । कुछ लोग नौ दिनो का व्रत रखे हुए है । वही कुछ लोग प्रथम दिन और अष्टमी के दिन अर्थात २ दिवसीय व्रत अनुष्ठान करते है । अपनी अपनी सामथ्र्य है मन स्वच्छ एवं पवित्र होना चाहिए ।
प्रथम नवरात्रि में सिर्फ नौ दिनो का व्रत रखकर हम मां भगवती की आराधना करते है । जबकि द्वितीय नवरात्रि में नौ दिनो के व्रत के साथ साथ विश्व प्रसिद्ध त्योहार दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है । दोनो नवरात्रि में हम मां दुर्गा के नौ रुपो की नौ दिनो में पूजा अर्चना करते है और मां को मनाते है । मां भगवती के हर रुप का अलग अलग महत्व है जैसे दुर्गा रुप शक्ति का परिचायक है तो मां शारदा का रुप विद्या का परिचायक है । तो मां शारदा का रुप विद्या का परिचायक है नौ रुपो की आराधना मात्र आराधना ही नही है बल्कि सम्पूर्ण ब्रहमांड की शक्ति का आवाहन इन्ही नौ दिनो में हो जाता है जो समस्त मानव जाति के लिए शुभकारी एवं फलदायी होता है ।
आधुनिकता एवं घोर वैज्ञानिकता के इस युग में ऐसे धार्रि्मक पर्वो में जनमानस की बढती आस्था यह सिद्ध करती है सर्व शक्तिमान सत्त्ता की छाया में सारा विश्व फलफूल रहा है और हम बिना इस सत्ता की अनुकंपा के एक कदम भी नही चल सकते । दूर जाने की जरुरत नही अपने आस पास देखिये छोटे छोटे बच्चे नवरात्रि का व्रत रखे हुए दिख जायेगें जिन्हे दिन भर कुछ ना कुछ खाने की आदत होती है । यह श्रद्धा नही तो और क्या है । अस्तिकता ही एक ऐसा कारण है जिससे मानव समाज अपना  विकास एवं प्रगति कर रहा है ।
कई तरह के धार्रि्मक व्रत हमारे हिन्दू समाज में विद्यमान है जिसमे इस नवरात्रि पर्व के नौ दिवसीय व्रत की महिमा का वर्णन शब्दो में कर पाना सर्वथा असंभव अपने सामथ्र्य के अनुसार हम मां भगवती के नौ रुपो की आराधना करें और मां भगवती हमारी भक्ति स्वीकार करके सारी मानव जाति पर अपनी दया दृष्टि बनायें रखें यही कामना हमें सच्चे मन से करनी चाहिए । नवरात्रि के पावन पर्व पर सच्ची आराधना यही है ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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