Archive | साहित्य

सुरेन्द्र अग्निहोत्रीे सम्पादक शिरोमणि की मानद उपाधि से विभूषित

Posted on 03 March 2019 by admin

dsc_3795लखनऊ,। साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा ,उदयपुर राजस्थान के दो दिवसीय
पाटोत्सव ब्रजभाषा समारोह का शुभारम्भ माँ वीणापाणि, गणपतिजी, प्रभु श्री
श्रीनाथजी तथा श्रद्धेय बाबूजी भगवतीप्रसाद जी देवपुरा के चित्र पर
माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र
की अध्यक्षता रामलक्ष्मण गुप्त ने की। डॉ. मनोज मोहन शास्त्री मुख्य
अतिथि रहे। विशिष्ट अतिथि पण्डित मदनमोहनजी शर्मा ‘अविचल’, कैप्टन व्यास
चतुर्वेदी , राजमल परिहार व जगदीशचंद्रजी शर्मा रहे।सम्मान के क्रम
में दैनिक सत्ता सुधार के लखनऊ व्यूरो प्रमुख तथा साहित्यक पत्रिका नूतन
कहानियां के संपादक सुरेन्द्र अग्निहोत्री, लखनऊ, , श्री प्रेमशंकर
अवस्थी, फतेहपुर को सम्पादक शिरोमणि की मानद उपाधि से विभूषित किया गया।
संस्था द्वारा सभी सम्मानित महनुभावों को शॉल, उत्तरीय, कण्ठहार, मेवाड़ी
पगड़ी, श्रीफल, श्रीनाथजी का प्रसाद, श्रीनाथजी की छवि व उपाधि पत्र
प्रदान किए गए। सभी मंचासीन अतिथियों ने कार्यक्रम एवं साहित्य मण्डल की
गतिविधियों के सन्दर्भ में अपने उद्गार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन
श्यामप्रकाश देवपुरा ने किया। सम्मानित साहित्यकारों का गद्यात्मक एवं
पद्यात्मक परिचय विट्ठलजी पारीक ने किया।

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उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान सम्मान समारोह

Posted on 24 October 2018 by admin

साहित्य अपने स्वभाव से र्स्व समावेशी-सर्वग्राही है-श्री हृदय नारायण दीक्षित, माननीय विधान सभा, अध्यक्ष, उ0प्र0
लखनऊ, 24 अक्टूबर, 2018। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के तत्त्वावधान में सम्मान समारोह का आयोजन उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ यशपाल सभागार में किया गया। श्री हृदय नारायण दीक्षित, माननीय अध्यक्ष, विधानसभा, उत्तर प्रदेश ने मुख्य अतिथि के रूप में सम्मान समारोह के गौरव को बढ़ाया। समारोह की अध्यक्षता डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान द्वारा गयी।
मुख्य अतिथि श्री हृदय नारायण दीक्षित जी, सभाध्यक्ष डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त जी एवं श्री शिशिर, निदेशक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान सहित अन्य मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पुष्पार्पण के उपरान्त प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में वाणी वन्दना की प्रस्तुति श्रीमती पूनम श्रीवास्तव द्वारा की गयी।
श्री हृदय नारायण दीक्षित, माननीय अध्यक्ष, विधानसभा, उत्तर प्रदेश का उत्तरीय द्वारा स्वागत डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान एवं श्री शिशिर, निदेशक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने किया। इस अवसर पर संस्थान की त्रैमासिक पत्रिका ‘साहित्य भारती‘ के विस्थापन की त्रासदी : सन्दर्भ कश्मीर विशेषांक एवं डॉ0 ए.के. त्रिपाठी की पुस्तक ‘प्लेट्लेट्स की कमी‘(भ्रांतियाँ एवं समाधान) का लोकार्पण भी मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया।
अभ्यागतों का स्वागत करते हुए डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने कहा आज का दिन लीला पुरुषोत्तम भगवान् श्री कृष्ण के महारास की स्मृति दिलाता है। यह मान्यता है कि आज के दिन ही चन्द्रमा धरती पर अमृत की वर्षा करते हैं। यह भी एक अत्यंत सुखद संयोग है कि हम साहित्यकारों का सम्मान आदि कवि बाल्मीकि के प्राकट्य दिवस के अवसर पर कर रहे हैं। यह साहित्य की महत् उज्ज्वल और समृद्ध परम्परा का भी स्मरण है। उत्तर प्रदेश हिन्दी भाषा-साहित्य की उर्वर भूमि रही है। इसे आदिकालीन कवि गुरु गोरखनाथ, मध्यकाल के कवि चतुष्टय कबीर जायसी, सूर, तुलसी की जन्मभूमि और कर्मभूमि होने का सौभाग्य प्राप्त है, रीतिकाल के कवि देव, बिहारी, भूषण, घनानन्द नरोत्तमदास तथा आधुनिक काल के भारतेन्दु, द्विवेदी तथा छायावाद युग के सभी प्रमुख कवियों की भूमि के रूप में यह ख्यात है। उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के लिए यह अत्यंत आह्लाद का विषय है कि कार्यक्रमों के सुचारू संचालन के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर वर्तमान वित्तीय वर्ष के बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की गयी है। आज साहित्य भूषण सम्मान की संख्या दस से बीस हो गयी है।
विदेश मंत्रालय के अनुरोध पर संस्थान ने अपनी प्रदर्शित पुस्तकें विश्व हिन्दी सचिवालय को भेंट स्वरूप प्रदान कर दीं। सम्मेलन में मॉरीशस के बाल साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के प्रकाशन की समस्या की ओर संकेत किया। संस्थान ने हिन्दी भाषा में भारतीय संस्कृति एवं परम्परा का पोषण करने वाली रचनाओं के प्रकाशन में यथा संभव सहायता का आश्वासन दिया है। संस्थान ने विश्व हिन्दी सम्मेलन के अवसर पर ‘साहित्य भारती’ का एक विशेषांक भी प्रकाशित किया। हिन्दी संस्थान ने मार्च 2019 तक के कार्यक्रमों की एक पूरी योजना बना ली है। यह वर्ष गाँधी जी के 150वीं जयंती का वर्ष भी है। संस्थान महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर कार्यक्रम आयोजित करेगा विभिन्न विद्यालयों महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में इस क्रम में समन्वय स्थापित किया जायेगा। संस्थान ने युवा साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने के लिए कविता तथा कहानी प्रतियोगिता का आयोजन पहली बार किया। इसे और भी विस्तार देने की योजना है।

मुख्य अतिथि मा0 श्री हृदय नारायण दीक्षित जी तथा मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, हिन्दी संस्थान ने - भारत-भारती सम्मान से डॉ. रमेश चन्द्र शाह, हिन्दी गौरव सम्मान से डॉ. रामदेव शुक्ल से महात्मा गांधी साहित्य सम्मान से डॉ. रामगोपाल शर्मा ‘दिनेश’ पं0 दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान से डॉ. धर्मपाल मैनी, अवन्तीबाई साहित्य सम्मान से प्रो. शत्रुघ्न प्रसाद, राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन सम्मान से डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी अध्यक्ष, श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय, साहित्य भूषण सम्मान से श्री हरिमोहन मालवीय, श्री सत्यधर शुक्ल, डॉ0 मथुरेश नन्दन कुलश्रेष्ठ, डॉ0 देवसहाय पाण्डेय ‘दीप‘, डॉ0 अमरनाथ सिन्हा, डॉ0 नंदलाल मेहता ‘वागीश‘, डॉ0 रामबोध पाण्डेय, श्री रामनरेश सिंह, ‘मंजुल‘, डॉ0 रमेश चन्द्र शर्मा, श्री रामसहाय मिश्र ‘कोमलशास्त्री‘, डॉ0 चमनलाल गुप्त, डॉ0 (श्रीमती) मिथिलेश दीक्षित, डॉ0 पशुपति नाथ उपाध्याय, डॉ0 ओमप्रकाश सिंह, डॉ0 अनुज प्रताप सिंह, श्री चन्द्र किशोर सिंह एवं श्री दयानंद पांडेय, लोक भूषण सम्मान से श्री रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव ‘जुगानी भाई‘, कला भूषण सम्मान से डॉ. क्षेत्रपाल गंगवार, विद्या भूषण सम्मान से डॉ0 (श्रीमती) कैलाश देवी सिंह, विज्ञान भूषण सम्मान से डॉ0 गणेश शंकर पालीवाल, पत्रकारिता भूषण सम्मान से श्री रमेश नैयर, प्रवासी भारतीय हिन्दी भूषण सम्मान से डॉ0 मृदुल कीर्ति, हिन्दी विदेश प्रसार सम्मान से डॉ0 (श्रीमती) अनिल प्रभा कुमार, मधुलिमये साहित्य सम्मान से डॉ0 सुधाकर सिंह, पं. श्रीनारायण चतुर्वेदी साहित्य सम्मान से डॉ. गोविन्द व्यास, विधि भूषण सम्मान से डॉ. विष्णु गिरि गोस्वामी, सौहार्द सम्मान से डॉ0 अशोक प्रभाकर कामत, डॉ0 टी.वी. कट्टीमनी, डॉ0 बनारसी त्रिपाठी, डॉ0 (श्रीमती) पी. माणिक्यांबा ‘मणि‘, श्री विनोद बब्बर, डॉ0 (सुश्री) देवकी एन.जी., डॉ0 ए.बी. साई प्रसाद, डॉ0 विनोद कुमार गुप्त ‘निर्मल विनोद‘, श्री मेयार सनेही ‘शब्बीर हुसैन‘ पं0 मदन मोहन मालवीय विश्वविद्यालयस्तरीय सम्मान से डॉ0 वागीश दिनकर एवं डॉ0 अशोक कुमार दुबे, पं0 कृष्ण बिहारी वाजपेयी पुरस्कार से इण्टरमीडियट में साहित्यिक हिन्दी विषय में सर्वाधिक अंक के लिए सुश्री फूलन गौतम एवं श्री अमित कुमार, हाईस्कूल की परीक्षा में हिन्दी विषय में सर्वाधिक अंक के लिए के लिए सुश्री शहनाज खातून एवं श्री गनेश्वर सिंह को सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया। साथ ही डॉ0 सुन्दरलाल कथूरिया जी के प्रतिनिधि श्री वरुणेन्द्र कथूरिया जी, श्री चंद्रकिशोर पाण्डेय ‘निशांतकेतु‘ के प्रतिनिधि सुश्री भाषांजलि एवं श्री श्रीवत्स करशर्मा के प्रतिनिधि श्री शशि शेखर करशर्मा ने पुरस्कार ग्रहण किया।
भारत भारती सम्मान-2017 से सम्मानित श्री रमेश चन्द्र शाह ने कहा -भारत भारती वह पहली कविता थी मेरे लड़कपन के दिनों की जिसने मुझे न केवल कवित्व नाम की न्यामत या विभूति का सबसे पहला रोमांच महसूस करवाया, बल्कि जो कानों-कान इतने सहज अनायस ढंग से मेरी जिह्नवा और कंठ में आ बसी और दस बीस आवृत्तियों में मुझे कंठस्थ हो गई। आज भारत भारती सम्मान मिलना मात्र संयोग नहीं है संयोग भी नितान्त अकारण नहीं घटते-उनके पीछे भी तर्कातीत कुछ तो बात होती होगी। ‘साहित्य‘ नाम की मानवीय गतिविधि मानव सभ्यता के आरंभ से ही चली आ रही है। व सर्व-समावेशी-सर्वग्राही है अपने स्वभाव से ही। साहित्य तो मनसा-वाचा-कर्मणा समग्र अस्तित्व की चराचर जगत की चिन्ता से जुड़ा होता है। उसकी भाषा किसी भी हालत में विश्व के अवधारणात्मक वशीकरण की लालसा से प्रेरित नहीं होती। जबकि साइन्स और टेक्नोलाजी का उद्गम और विस्तार अनिवार्यतः जिस सभ्यता से वह जुड़ा हुआ है, उसकी विस्तारवादी-विश्वविजयी आकांक्षा से प्रभावित और प्रेरित होगा ही।
राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन सम्मान से सम्मानित श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के प्रतिनिधि ने संस्था का परिचय देते हुए हिन्दी के प्रति समर्पण के भाव को प्रदर्शित किया।

श्री हृदय नारायण दीक्षित, माननीय अध्यक्ष, विधानसभा, उत्तर प्रदेश ने कहा - ‘किसी विद्वान ने कवियों के भावबोध में यह शरद चंद्र आया होगा जब हमारी हिन्दी की कविता भारत का आचार शास्त्र बनी है। कवि अपने आनन्द के लिए लिखता है लोक उसे अंगीकार करता है। दुनियाँ की सभी भाषाओं में साहित्य सृजन हुआ है लेकिन जो हिन्दी और उसकी सभी बहनों जैसी भाषा में जो प्रकट रूप है वही हमारा धर्म भाग्य भी बना है। कविता हमारा मार्ग दर्शन करती है, हमारे मूल्य-बोध को जगाती है। कविता संस्कृति के पीछे-पीछे चलती है। आज भारत के सामने एक विशेष प्रकार की चुनौती है हमें अपने पर अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए। पुरस्कार दायित्व देते हैं।
आभार व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के निदेशक, श्री शिशिर ने कहा - उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं की श्रीवृद्धि करने में माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश जो संस्थान के अध्यक्ष भी हैं के मार्गदर्शन में निरन्तर सक्रिय रहता है। हिन्दी संस्थान साहित्य साधना में जीवन पर्यन्त संलग्न रहने वाले साहित्यकारों का सम्मान कर गौरवान्वित होता है।
संस्थान द्वारा शरद पूर्णिमा एवं वाल्मिकी जयन्ती के शुभ अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह 2017 में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे परम श्रद्धेय श्री हृदय नारायण दीक्षित, माननीय विधान सभा अध्यक्ष, विख्यात कवि, लेखक एवं विचारक का उत्तर प्रदेश के प्रति हिन्दी संस्थान परिवार विशेष रूप से आभारी हैं। हम पत्रकार बन्धुआें, मीडियाकर्मियों के प्रति भी आभार व्यक्त करना चाहते हैं जो निरन्तर हमारी उपलब्धियों को महत्व देते हुए उसे प्रकाशित और प्रसारित करते हैं।
समारोह के अन्त में श्रीमती पूनम श्रीवास्तव द्वारा वन्दे मातरम् का गायन किया गया।
समारोह का संचालन डॉ0 अमिता दुबे, सम्पादक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने किया।

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हिन्दी के लोक कवियों में घाघ का महत्वपूर्ण स्थान है

Posted on 03 October 2018 by admin

राष्ट्रीय पुस्तक मेला में संस्था द्वारा ‘महाकवि घाघ’ पर आयोजित विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार मधुकर अस्थाना ने आयोजकों द्वारा की गयी मांग का समर्थन करते हुये कहा कि घाघ की जन्मस्थली (जन्म ग्राम) पर स्मारक बनवाने से जहां उनके प्रशंसकों की मांग पूरी होगी वहीं भावी पीढ़ी को ऐसे सूक्तिकार कवि के बारे में विस्तृत जानकारी भी मिलेगी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. हरिओम शर्मा ’हरि‘ ने कहाकि हिन्दी के लोक कवियों में घाघ का महत्वपूर्ण स्थान है। घाघ लोक जीवन में अपनी कहावतों के लिए प्रसिद्ध है। घाघ की कहावतें आज भी जन-मानस में अत्यधिक लोकप्रिय है। ऐसे महान सूक्तिकार को याद कर भावी पीढ़ी के समक्ष उनकी कहावतों को और प्रचलित करने की आवश्यकता है।
img-20181003-wa0038इस अवसर पर कानपुर से पधारे वरिष्ठ कवि एडवोकेट डा. विनोद त्रिपाठी ने स्वास्थ के सम्बन्ध में घाघ की कहावतों के माध्यम से जानकारी देते हुये कहा यदि व्यक्ति अमल करे तो उसका स्वास्थ सदैव उत्तम रहेगा। प्रातःकाल खटिया से उठि कै, पिये तुरतें पानी, कबहूं घर में वैद न अइहै, बात घाघ कै जानी देखिये उपरोक्त पंक्तियां
स्वल्पाहार स्वास्थ के लिये उत्तम होता है आपने इस तथ्य को समझाते हुये कहा- रहै निरोगी जो कम खाय, बिगरै काम जो न गम खाय।
कन्नौज से आये ब्रजेश कुमार बेबाक ने पशुपालन व ग्राम्य जीवन पर घाघ की कहावतों के माध्यम से कहा- सावन घोड़ी भादों गाय- माघ मास जो भैंस वियाय, कहें घाघ यह सांची बात, आप मरे या मालिक खाय। शायर मुफीद कन्नौजी ने घाघ के ऊपर अपने दोहों के माध्यम से उनकी सूक्तियों से सीखने की बात कही। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार श्री राम शरण वाजपेयी आदि साहित्यानुरागी, उपस्थिति थे।
संचालन संस्था के अध्यक्ष मनोज कुमार शुक्ल ने किया व आभार कार्यक्रम के संयोजक डा. जितेन्द्र वाजपेयी ने किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की गयी कि घाघ के जन्म स्थान कन्नौज में एक स्मारक बनवाया जाये।

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मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की सहभागिता

Posted on 24 August 2018 by admin

18 अगस्त से 20 अगस्त तक मॉरीशस के पाय नामक स्थान में स्वामी विवेकानन्द अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र पर चलने वाले तीन दिवसीय विश्व हिन्दी सम्मेलन में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर सदानन्द प्रसाद गुप्त के नेतृत्व में पाँच सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल ने प्रतिभागिता की। इस प्रतिनिधि मण्डल के अन्य सदस्य थे - डॉ0 राजनारायण शुक्ल, कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान, लखनऊ, डॉ0 प्रदीप कुमार राव, सदस्य, कार्यकारिणी, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान, प्रोफेसर योगेन्द्र प्रताप सिंह, सदस्य, कार्यकारिणी, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान तथा श्री शिशिर, निदेशक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान। श्री शिशिर प्रतिनिधि मण्डल के संयोजक रहे।
18 से 20 अगस्त, 2018 तक चलने वाले विश्व हिन्दी सम्मेलन का केन्द्रीय विषय था ’हिन्दी विश्व और भारतीय संस्कृति’। सम्मेलन का उद्घाटन 18 अगस्त को प्रातः दस बजे हुआ। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि थे मॉरीशस गणराज्य के प्रधानमंत्री माननीय प्रवीण कुमार जगन्नाथ। समारोह में भारत की विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज तथा मॉरीशस गणराज्य की शिक्षा एवं मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा तथा वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री श्रीमती लील देवी दूकन लछमन की विशिष्ट उपस्थिति थी। समारोह में मॉरीशस गणराज्य के पूर्व प्रधानमंत्री माननीय अनिरुद्ध जगन्नाथ की प्रेरणाप्रद उपस्थिति भी रही।
उद्घाटन के उपरांत 18 और 19 अगस्त तक कुल आठ सत्रों में आठ विषयों पर चर्चा हुई। 18 अगस्त को कुल चार समानान्तर सत्र चले जिनमें हिन्दी संस्थान के प्रतिभागी सभी सत्रों में पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार सम्मिलित हुए। प्रथम समानान्तर सत्र ’भाषा और लोक संस्कृति के अन्तः सम्बन्ध’ विषय पर आयोजित था। इस सत्र में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर से महाराणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जंगल घूसड़ के प्राचार्य डॉ0 प्रदीप कुमार राव ने प्रतिभाग किया। उन्होंने चर्चा में भाग लेते हुए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर से निम्नांकित चार अनुशंसाएँ कीं -
1- लोक कथाओं, लोक गीतों इत्यादि के प्रकाशन को प्रोत्साहित किया जाय।
2- विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्व विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में लोक संस्कृति और लोक साहित्य का समावेश किया जाय।

3- लोक संस्कृति तथा लोक भाषा की शोध परियोजनाओं को वरीयता दी जाय।
4- हिन्दी भाषा एवं साहित्य के विकास के लिए कार्यरत संस्थाएँ ऐसी शोध परियोजनाओं को अपनी कार्य योजना का हिस्सा बनाएँ।
उपर्युक्त चार अनुशंसाओं में से ऊपर की तीन अनुशंसाएँ सम्मेलन द्वारा स्वीकार कर ली गयीं।
’प्रौद्योगिकी के माध्यम से हिन्दी तथा भारतीय भाषाओं का विकास’ विषय पर केन्द्रित द्वितीय सत्र में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर डॉ0 योगेन्द्र प्रताप सिंह ने भाग लिया। डॉ0 योगेन्द्र प्रताप सिंह ने चर्चा में भाग लेते हुए निम्नांकित सुझाव दिए -
1- सरकारी कार्यालयों के निमित्त कम्प्यूटर खरीदने पर देवनागरी कुंजीपटल को अनिवार्य किया जाय।
2- भारत में खरीदे जाने वाले कम्प्यूटर के सॉफ्टवेयर अनिवार्य रूप से हिन्दी भाषा तथा देवनागरी लिपि के लिए अनुकूलित हों।
3- फॉण्ट की परस्पर परिवर्तनीयता को उपयोगी बनाने हेतु देवनागरी के फॉण्ट का व्यापक स्तर पर मानकीकरण किया जाय जिससे टंकित सामग्री भेजने में फॉण्ट परिवर्तित न हो जाये। इसके लिए सरकारी तथा प्रकाशन से सम्बन्धित सभी फॉण्ट निर्माताओं को उस मानक के अनुसार फॉण्ट निर्माण हेतु निर्देशित किया जाय। सी-डैक ख्ब्.क्।ब्, के सॉफ्टवेयर को अपडेट करने की आवश्यकता है जिससे वह उपयोगी हो सके।
उपर्युक्त अनुशंसाओं में अनुशंसा ’एक’ सम्मेलन द्वारा स्वीकृत हुई।
तृतीय सत्र ’हिन्दी शिक्षण में भारतीय संस्कृति’ विषय पर केन्द्रित था। विषय पर अनेक विद्वानों के विचार आए। हिन्दी संस्थान की ओर से भाग लेते हुए उ0प्र0 भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ0 राजनारायण शुक्ल ने निम्नांकित सुझाव दिये -

1- भारतीय भाषाओं में प्रवीणता के मूल्यांकन के लिए एक उपयुक्त मानदण्ड हो।
2- हिन्दी पाठ्यक्रम का सैद्धांतिक आधार पर विवेचन हो।
3- सिद्धांतों के आधार पर शिक्षकों का प्रशिक्षण हो।
4- भारतीय डायसपोरा देशों में भारतीय संस्कृति के संवर्धन के लिए अधिक प्रयत्न किया जाय।
चतुर्थ समानान्तर सत्र हिन्दी साहित्य में संस्कृति चिन्तन विषय पर आयोजित था। इस सत्र में उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने भाग लिया इस सत्र की अध्यक्षता मॉरीशस की डॉ0 राजदानी गोविन्द ने की, सह-अध्यक्ष थे गगनाँचल के सम्पादक डॉ0 हरीश नवल। चर्चा में भाग लेते हुए डॉ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने भारतीय संस्कृति के विषय में फैलाये गये भ्रम पूर्ण धारणा का खण्डन करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति मिली-जुली संस्कृति नहीं है। डॉ0 गुप्त नें भारतीय संस्कृति के मूलभूत तत्वों - आत्मा की अमरता का सिद्धांत, काल की चक्रीय अवधारणा, कर्मफल तथा पुनर्जन्म का सिद्धांत प्रकृति और मनुष्य के बीच अंगागि सम्बन्ध की अवधारणा, चराचर की पवित्रता के सिद्धांत की चर्चा की। उन्होंने निम्नांकित सुझाव दिये -
1- भाषा साहित्य तथा संस्कृति के अन्तः सम्बन्ध पर कार्यशालाएँ एवं विचार गोष्ठियाँ आयोजित की जायँ।
2- भारतीय संस्कृति के मूलभूत तत्वों को स्पष्टता के साथ रेखांकित किया जाय।
3- भारतीय संस्कृति के आधार - आचरण की पवित्रता, परिवार, संस्था के मूल्यों को प्रोत्साहित करने वाले कलात्मक साहित्य के सृजन को प्रोत्साहित किया जाय।
4- भारतीय भक्ति साहित्य के अध्ययन पर विशेष बल दिया जाय।

5- स्वातंन्न्योत्तर ललित निबंध साहित्य तथा गीत विधा साहित्य का विस्तृत मूल्यांकन किया जाय।
6- मॉरीशस में रचित साहित्य में चित्रित भारतीय संस्कृति और भारतीय साहित्य में चित्रित भारतीय संस्कृति का तुलनात्मक अध्ययन किया जाय।
सम्मेलन के दूसरे दिन अर्थात् 19 अगस्त को चार समानान्तर सत्र चार विषयों पर आयोजित हुए। इनके विषय थे - ’फिल्मों के माध्यम से भारतीय संस्कृति का संरक्षण’, ’संचार माध्यम और भारतीय संस्कृति’, ’प्रवासी संसार : भाषा और संस्कृति’ तथा ’हिन्दी बाल साहित्य और भारतीय संस्कृति’।
’फिल्मों के माध्यम से भारतीय संस्कृति का संरक्षण’ विषय पर उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने प्रतिभागिता की। इस सत्र की अध्यक्षता फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष तथा प्रसिद्ध फिल्म निर्माता एवं निर्देशक श्री प्रसून जोशी ने की। इस सत्र में डॉ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने निम्नांकित लिखित सुझाव दिए-
1- भारतीय हिन्दी सिनेमा में भारतीय संस्कृति के प्रमुख घटकों परिवार संस्था तथा समाज संस्था को विरूपित ढंग से दिखाए जाने को रोका जाय। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर भारतीय देवी-देवताओं के विषय में फैलायी जाने वाली विकृत धारणाओं को प्रोत्साहित नहीं किया जाय।
2- संस्कार निर्माण करने वाले भारतीय पौराणिक चरित्रों, पंचतंत्र, हितोपदेश की कथाओं पर रोचक तथा कलात्मक ढंग से लघु फिल्में बनायी जायँ तथा इन्हें प्रदर्शित किया जाय।
द्वितीय सत्र ’संचार माध्यम और भारतीय संस्कृति’ विषय पर केन्द्रित था। इस सत्र में भाग लेते हुए डॉ0 योगेन्द्र प्रताप सिंह ने तीन अनुशंसाएँ दी जो स्वीकृत हुईं -
1- क्षेत्रीय स्तर पर सामुदायिक चैनल और सामुदायिक रेडियों को बढ़ावा दिया जाय। इन क्षेत्रीय चैनलों को बाजार के हाथों से बचाते हुए संस्कृति कर्मी को सौंपा जाय।

2- सामुदायिक चैनलों का लाइसेंस प्रदान किये जाने की पद्धति को आसान बनाया जाय।
3- ह्वाट्स ऐप्प जैसे तकनीकी नवाचारों का उपयोग सांस्कृतिक पत्रिका निकालने के लिए किया जाय।
विचार का तृतीय सत्र ’प्रवासी संसार : भाषा और संस्कृति’ विषय पर केन्द्रित था। इस सत्र में डॉ0 राजनारायण शुक्ल ने सहभागिता की। डॉ0 शुक्ल ने इस सत्र में निम्नांकित सुझाव दिये -
1- इंडियन डायसपोरा देशों के भारतीय संस्कृति का संवर्धन हो।
2- युवा पीढ़ी की जरूरतों के अनुरूप कार्यक्रम बनाए जायँ।
3- क्रियोल में सृजित साहित्य को हिन्दी में लाया जाए।
4- देश-विदेश में प्रकाशित पाठ्य सामग्री का संग्रह हो।
5- शिक्षकों के द्वारा हिन्दी भाषा साहित्य का शिक्षण करते समय भारतीय मूल्यों को विशेष रूप से रेखांकित किया जाय।
चतुर्थ सत्र ’हिन्दी बाल साहित्य और भारतीय संस्कृति’ पर केन्द्रित था। इस सत्र में डॉ0 प्रदीप कुमार राव ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी तथा निम्नांकित संस्तुतियाँ दीं-
1- बाल-सुलभ पद्यात्मक साहित्य को प्रोत्साहित किया जाय।
2- हितोपदेश, पंचतंत्र जैसी भारतीय संस्कृति केन्द्रित बोधपूर्ण कथाओं को चित्रकथा के माध्यम से बाल पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाय।
3- उत्कृष्ट पौराणिक चरित्रों को भी बाल पाठ्यक्रम का अंग बनाया जाय तथा भारतीय संस्कृति से सम्बन्धित जीवन मूल्यों को लघु बोध कथाओं के रूप में रुचिकर ढंग से दृश्य संचार माध्यमों से प्रसारण हो।
इस सत्र में मॉरीशस के बाल साहित्यकारों द्वारा बाल साहित्य के प्रकाशन की कठिनाइयों का जिक्र किया गया। उनकी इस समस्या पर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान

की ओर से हिन्दी में भारतीय संस्कृति आधारित बाल साहित्य को प्रकाशित करने का प्रस्ताव डॉ0 प्रदीप राव ने प्रस्तुत किया। इस प्रस्ताव पर मॉरीशस के बाल साहित्यकारों, महात्मा गाँधी संस्थान, मॉरीशस के अध्यापकों द्वारा प्रसन्नता व्यक्त की तथा आभार व्यक्त किया तथा समापन सत्र में इसकी विशेष चर्चा की गयी।
2018 के विश्व हिन्दी सम्मेलन में पहली बार संस्थान की ओर से पाँच सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल ने प्रतिभागिता की। इस सम्मेलन की संस्थान की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही उ0प्र0 हिन्दी संस्थान की ओर से पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन। विदेश मंत्रालय के सहयोग से इस प्रदर्शनी का आयोजन संभव हुआ। पुस्तक प्रदर्शनी के आयोजन की जिम्मेदारी सम्भाली उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के निदेशक श्री शिशिर ने। विदेश मंत्रालय के अनुरोध पर उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने प्रदर्शनी में भेजी गयी पुस्तकें विश्व हिन्दी सचिवालय, मॉरीशस के पुस्तकालय को भेंट कर दीं।
19 अगस्त को ही विश्व हिन्दी सम्मेलन की ओर से ’अप्रवासी घाट’, ’विश्व हिन्दी सचिवालय’ तथा ’महात्मा गाँधी संस्थान’ के भ्रमण का कार्यक्रम था, जिसमें हिन्दी संस्थान के प्रतिनिधि मण्डल ने भाग लिया। ’अप्रवासी घाट’ वह स्थान है, जहाँ पहली बार 1834 में गिरिमिटिया मजदूर भारत से ले जाये गये थे। महात्मा गाँधी संस्थान में हिन्दी शिक्षण की व्यवस्था है।
दिनाँक 20 अगस्त को प्रातः 11ः00 बजे से सत्र का आयोजन हुआ समापन सत्र के मुख्य अतिथि थे मॉरीशस गणराज्य के कार्यवाहक राष्ट्रपति महामहिम श्री परमसिवम पिल्लै वैयापुरी तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में अनिरुद्ध जगन्नाथ एवं भारत की विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज तथा मॉरीशस की शिक्षा मंत्री श्रीमती लीला देवी दूकन लछमन की उपस्थिति रही। समापन सत्र की अध्यक्षता पश्चिम बंगाल के राज्यपाल माननीय श्री केशरीनाथ त्रिपाठी ने की। इसी सत्र में सम्मेलन में स्वीकृत अनुशंसाओं का वाचन भी हुआ।

(1) उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने मॉरीशस पर एक अध्ययन रिपोर्ट के प्रमुख बिन्दु निर्धारित किये हैं जिन पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगा तथा प्रकाषित करेगा।
(2) मॉरीशस में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में पहली बार संस्थान की ओर से पुस्तक प्रदर्शनी लगायी गयी।
(3) उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने मॉरीशस में हिन्दी भाषा में भारतीय संस्कृति आधारित बाल साहित्य के प्रकाशन का उत्तरदायित्व लिया। हिन्दी संस्थान के लिए यह गर्व की बात है।

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सुरेन्द्र अग्निहोत्री को ज्ञानाश्रम सरस्वती शक्ति पीठ सम्मान सम्मानित किया गया

Posted on 22 January 2018 by admin

img-20180122-wa0007झांसी ।मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया, डा.रवीन्द्र शुक्ला पूर्व शिक्षा मंत्री तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन के हाथों से झांसी के राजकीय संग्रहालय के सभागार में वसंत पंचमी महोत्सव के अवसर विश्व मानव संघ, ज्ञानाश्रम सरस्वती शक्ति पीठ की ओर से पत्रकारिता के क्षेत्र में विशेष योग्यदान के लिए लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हमारे व्यूरो प्रमुख सुरेन्द्र अग्निहोत्री को ज्ञानाश्रम सरस्वती शक्ति पीठ सम्मान सम्मानित किया गया है img-20180122-wa0005

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भाषा परस्पर संवाद का एक सशक्त माध्यम: मुख्यमंत्री

Posted on 19 January 2018 by admin

साहित्य का अर्थ ही सबका हित भाषाएं भौगोलिक व सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप होती हैं

तकनीकी शिक्षा को मातृ भाषा में उपलब्ध कराने के लिए शोध कार्यों में समयानुरूप परिवर्तन की जरूरत

साहित्य के माध्यम से ही राष्ट्र, समाज व संस्कृति के दृष्टिकोण को जाना जा सकता है

मुख्यमंत्री दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में राष्ट्र, समाज एवं संस्कृति’ के समापन कार्यक्रम में शामिल हुए

लखनऊ: 19 जनवरी, 2018press-141
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि भाषा परस्पर संवाद का एक सशक्त माध्यम है। भाषा पर मौलिक चिंतन होना आज की आवश्यकता है। आदिकाल से सांस्कृतिक इकाई के रूप में भारत की एक विशिष्ट पहचान रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय एकता की जड़ें भी हमें साहित्य में देखने को मिलती हैं। साहित्य का अर्थ ही सबका हित है। समाज की समस्याओं का निराकरण भी साहित्य में निहित है।
मुख्यमंत्री जी ने यह विचार आज यहां भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान व बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में राष्ट्र, समाज एवं संस्कृति’ के समापन कार्यक्रम के अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि राष्ट्र, समाज व संस्कृति भारतीय साहित्य के मूल में है। इसलिए भाषा पर मौलिक चिंतन करते हुए भाषाओं पर कार्य योजना बनाकर शोध करने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारतीय साहित्य समेकित संस्कृति, सामाजिक संचेतना एवं राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत है। हमारे साहित्य में भारत राष्ट्र का एक विराट भूगोल चित्रित हुआ है। प्रत्येक भाषा-बोली के रचनाकारों ने इस धरती को भारत माता के रूप में चित्रित किया है। उन्होंने कुम्भ मेले का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां आने वाले श्रद्धालु विभिन्न राज्यों से आते हैं, जिसमें हमें राष्ट्रीय भावना की छवि दिखायी देती है। press-221
योगी जी ने विभिन्न राज्यों से आए विद्वानों से आह्वान किया कि अब आवश्यकता है कि तकनीकी शिक्षा भी मातृ भाषा में उपलब्ध हो, इसके दृष्टिगत हमें अपने शोध कार्यों में समयानुरूप परिवर्तन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भाषाएं भौगोलिक व सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप होती हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य के माध्यम से ही हम किसी भी राष्ट्र, समाज व संस्कृति के दृष्टिकोण को जान सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय साहित्य सुखान्त होता है, जबकि विदेशी साहित्य का केन्द्र बिन्दु दुखान्त होता है। इससे पता चलता है कि हमारी मानसिकता सकारात्मक है।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ0 राज नारायण शुक्ल ने कहा कि भाषा संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं की संचेतना एक है। अध्यक्षीय उद्बोधन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 आर0सी0 सोबती ने किया।
इस अवसर पर विभिन्न भाषाओं के विद्वान, अध्यापकगण तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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इन्डोनेशिया में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव सम्पन्न, सम्मानित हुईं लखनऊ की दस विभूतियाँ

Posted on 18 January 2018 by admin

विगत विश्व हिन्दी दिवस यानी 10 जनवरी 2018 को इंडोनेशिया की सांस्कृतिक राजधानी बाली में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव का आगाज हुआ, जिसका समापन समारोह 14 जनवरी 2018 को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर पचास साहित्यकारों, पत्रकारों, टेक्नोक्रेटो, संस्कृतिकर्मियों के हुये सरस्वत सम्मान के क्रम में लखनऊ की दस विभूतियों का सम्मान किया गया, जिसमें हिन्दी के प्रमुख ब्लॉगर एवं वरिष्ठ साहित्यकार रवीन्द्र प्रभात, अवधी लोकगायिका कुसुम वर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ॰ मिथिलेश दीक्षित, सत्या सिंह हुमैन, समाज सेविका कनक लता गुप्ता, योग विशेषज्ञ डॉ॰ उदय प्रताप सिंह, शिक्षाविद कैलाश चन्द्र जोशी, रेवान्त पत्रिका की संपादक लखनऊ निवासी डॉ॰ अनीता श्रीवास्तव तथा हिन्दी विकिपीडिया की प्रबन्धक माला चैबे प्रमुख रहे। img-20180117-wa0302
बहुत सारे कार्यक्रमों का साक्षी बना यह उत्सव। इस अवसर पर लोकार्पित हुयी 18 हिन्दी पुस्तकों में से लखनऊ की डॉ॰ मिथिलेश दीक्षित की छः पुस्तकें तथा रवीन्द्र प्रभात के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित डॉ॰ सियाराम की शोध पुस्तक ‘‘रवीन्द्र प्रभात की परिकल्पना और ब्लॉग आलोचना कर्म‘‘ प्रमुख रही।
डॉ॰ राम बहादुर मिश्र के संचालन में इलाहाबाद की रंगकर्मी डॉ॰ प्रतिमा वर्मा द्वारा अभिनीत नाटक ‘‘एकाकीपन‘‘ की भावपूर्ण प्रस्तुति श्रोताओं का मन मोहने में सफल रही। इन्डोनेशिया के कलाकारों तथा इण्डोनेशियाई बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुति तथा जकार्ता स्थित जवाहरलाल नेहरू भारतीय सांस्कृतिक परिषद के कलाकारों की हारमोनियम और तबले की युगलबंदी श्रेष्ठ प्रस्तुतियों में से एक रही। जकार्ता के श्री केतन गुरु जी, लखनऊ की कुसुम वर्मा और गोंडा के शिव पूजन शुक्ल के द्वारा प्रस्तुत भजन और लोकगीत दुर्लभ प्रस्तुतियों में से एक रही।
हिन्दी उत्सव के दौरान परिकल्पना द्वारा छः भारतीय प्रतिभागियों को विशेष नगद पुरस्कार प्रदान किए गए, जिसके अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ आवाज के लिए अहमदाबाद की सुश्री अंकिता सिंह को डेढ़ लाख रुपये तथा सर्वश्रेष्ठ कविता के लिए आगरा की डॉ॰ सुषमा सिंह, सर्वश्रेष्ठ प्रणय गीत के लिए राय बरेली की डॉ॰ चम्पा श्रीवास्तव, सर्वश्रेष्ठ हास्य कविता के लिए कानपुर के डॉ॰ ओम प्रकाश शुक्ल ‘‘अमिय‘‘, सर्वश्रेष्ठ गजल के लिए बहराइच के डॉ॰ अशोक गुलशन और सर्वश्रेष्ठ लोकगीत के लिए गोंडा के डॉ॰ शिव पूजन शुक्ल को क्रमशः एक-एक लाख रुपये के नगद पुरस्कार प्रदान किए गए।
कवि सम्मेलन के दौरान रवीन्द्र प्रभात, ओम प्रकाश शुक्ल ‘‘अमिय‘‘, सत्या सिंह हुमैन, डॉ॰ अशोक गुलशन, डॉ॰ राम बहादुर मिश्र, डॉ॰ मिथिलेश दीक्षित, डॉ॰ सुषमा सिंह, डॉ॰ पूर्णिमा उपाध्याय, डॉ॰ माला गुप्ता, डॉ॰ पूनम तिवारी, डॉ॰ चम्पा श्रीवास्तव, डॉ॰ रमाकांत कुशवाहा कुशाग्र, डॉ॰ उमेश पटेल श्रीश, शिव पूजन शुक्ल, कुसुम वर्मा, राम किशोर मेहता, कैलाश चन्द्र जोशी आदि की कवितायें खूब सराही गयी।
समारोह की मुख्य अतिथि रहीं 2015 की मिस इन्डोनेशिया-इंडिया सुश्री ग्रेस वालिया तथा विशिष्ट अतिथि इंडो-इंडियन फ्रेंडशिप एसोशिएशन की अध्यक्ष सुश्री पूनम सागर, सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री लवलीन वालिया और जकार्ता स्थित साधु वासवानी सेंटर के प्रतिनिधि श्री केतन गुरु जी, जकार्ता स्थित आत्मा सेल्फ एक्स्प्रेशन की अध्यक्षा सुश्री शिल्पी धीरज शर्मा, इंडोनेशियन-इंडियन फ्रेंडशिप एसोसिएशन की अध्यक्षा सुश्री ऐश्वर्या सिन्हा और समस्त प्रस्तुतियों की संगीत निर्देशक जकार्ता निवासी सुश्री अर्चिता रॉय की प्रस्तुति उल्लेखनीय रही। विविधताओं से भरा यह सम्मेलन जीवन के अपने अलग-अलग रंगों में धड़कता दिखाई दिया दर्शकों को, अपने आप में अद्वितीय और अनुपम रहा यह उत्सव।

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इन्डोनेशिया में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव, लखनऊ की नौ सख्शियतें सम्मानित होंगी

Posted on 10 January 2018 by admin

आगामी विश्व हिन्दी दिवस यानी 10 जनवरी 2018 को इंडोनेशिया की सांस्कृतिक राजधानी बाली में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव का आगाज होने जा रहा है, जिसका समापन समारोह 14 जनवरी 2018 को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में सम्पन्न होगा। जकार्ता की संस्था साधू वासवानी सेंटर, इंडोनेशियन-इंडियन मैत्री संघ तथा आत्मा सेल्फ एक्स्प्रेसन के सह आयोजन में भारतीय संस्था परिकल्पना के सौजन्य से 10 से 14 जनवरी 2018 को बाली एवं जकार्ता में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव में भारत तथा अन्य देशों के हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के आधिकारिक विद्वान, अध्यापक, लेखक, भाषाविद्, पत्रकार, टेक्नोक्रेट, हिंदी प्रचारक एवं संस्कृतिकर्मी भाग लेने जा रहे हैं। इस अवसर पर नगर की संस्कृतिकर्मी एवं अवधी लोकगायिका कुसुम वर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ॰ मिथिलेश दीक्षित, सत्या सिंह हुमैन, हिन्दी के प्रमुख ब्लॉगर लखनऊ निवासी रवीन्द्र प्रभात, समाज सेविका कनक लता गुप्ता, योग विशेषज्ञ डॉ॰ उदय प्रताप सिंह, शिक्षाविद कैलाश चन्द्र जोशी, रेवान्त पत्रिका की संपादक लखनऊ निवासी डॉ॰ अनीता श्रीवास्तव तथा हिन्दी विकिपीडिया की प्रबन्धक लखनऊ निवासी माला चैबे का इस मंच से सारस्वत सम्मान किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि ‘‘विश्व हिन्दी दिवस‘‘ प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था तथा पहली बार 10 जनवरी 2006 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह ने यह दिवस मनाया था। इसी कड़ी का अनुसरण करते हुये पूरे विश्व में 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस तथा इस सप्ताह को विश्व हिन्दी सप्ताह मनाया जाता है।
जकार्ता स्थित आत्मा सेल्फ एक्स्प्रेशन की संचालिका सुश्री शिल्पी धीरज शर्मा ने सूचित किया है, कि इस आयोजन में जवाहरलाल नेहरू इंडियन कल्चरल सेंटर के निदेशक श्री मकरंद शुक्ल, जकार्ता स्थित भारतीय दूतावास के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन श्री मनीष, जकार्ता स्थित इंडिया क्लब के चेयर परसन श्री राकेश जैन, इन्डोनेशियन-इंडियन मैत्री संघ की अध्यक्ष सुश्री ऐश्वर्या सिन्हा, खुश रहो जकार्ता संस्था के श्री तेज और साधु वासवानी सेंटर के प्रवक्ता श्री राकेश केतन मिश्र की उपस्थिती मात्र से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह आयोजन कितना भव्य और आकर्षक होगा। साथ ही इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी उत्सव के सांस्कृतिक इवेंट्स की मुख्य अतिथि होंगी सुश्री ग्रेस वालिया। उल्लेखनीय है कि जकार्ता की सुश्री ग्रेस वालिया वर्ष 2015 की मिस इंडिया इंडोनेशिया रह चुकी हैं। पंजाबी मूल की यह युवती भारतीय और इन्डोनेशियाई समुदायों के बीच एक पुल के निर्माण की दिशा में सदैव अग्रणी रहती हैं।
इस उत्सव में भारत से राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ॰ राम बहादुर मिश्र, बहराइच के गजलकर डॉ॰ गुलशन, हॉलीवूड, बॉलीवूड तथा गढ़वाली फिल्म अभिनेता एवं वरिष्ठ रंगकर्मी श्री विमल प्रसाद बहुगुणा, अवधी लोक गायन से सजे लखनऊ दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले श्माटी के बोलश् कार्यक्रम की संचालिका और नृत्यांगना कुसुम वर्मा, समाजसेवा और साहित्य को समर्पित लखनऊ की सुपरिचित हस्ताक्षर सत्या सिंह हुमैन, समाजसेवा को समर्पित लखनऊ की सुपरिचित हस्ताक्षर कनक लता गुप्ता, अहमदावाद (गुजरात) से सुश्री अंकिता सिंह, वाराणसी से श्री सचीन्द्र नाथ मिश्र और लखनऊ से उदय प्रताप सिंह, गोरखपुर आकाशवाणी के उद्घोषक, कंपियर तथा भोजपुरी भाषा के जाने माने गीतकार डॉ॰ उमेश कुमार पटेल ष्श्रीशष्, हिमालय यानी उत्तराखंड से हिन्दी साहित्य के सुपरिचित मर्मज्ञ धीरेन्द्र सिंह रांघर, पूर्वाञ्चल के रंगकर्मी डॉ रमाकांत कुशवाहा, शिक्षविद डॉ॰ विजय प्रताप श्रीवास्तव, अवधी के कवि व लोकगायक गोंडा निवासी श्री शिव पूजन शुक्ल, लखनऊ से प्रकाशित रेवान्त पत्रिका की संपादक डॉ॰ अनीता श्रीवास्तव, हिन्दी के वरिष्ठ कवि व साहित्यकार अहमदाबाद निवासी श्री राम किशोर मेहता, हिन्दी के वरिष्ठ कवि व साहित्यकार कानपुर निवासी डॉ॰ ओम प्रकाश शुक्ल ‘‘अमिय‘‘, हिन्दी में हाईकू की सर्जक व वरिष्ठ साहित्यकार लखनऊ निवासी डॉ॰ मिथिलेश दीक्षित, हिन्दी की वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवियत्री रायबरेली निवासी डॉ॰ चम्पा श्रीवास्तव, वरिष्ठ साहित्यकार व शिक्षाविद आगरा निवासी डॉ॰ सुषमा सिंह, प्रमुख शिक्षाविद सृजनधर्मी एवं साहित्यकार आगरा निवासी डॉ॰ प्रभा गुप्ता, प्रमुख शिक्षाविद सृजनधर्मी एवं साहित्यकार आगरा निवासी डॉ॰ माला गुप्ता, प्रमुख शिक्षाविद सृजनधर्मी एवं साहित्यकार आगरा निवासी डॉ॰ पूनम तिवारी, प्रमुख शिक्षाविद सृजनधर्मी एवं साहित्यकार आगरा निवासी डॉ॰ प्रमिला उपाध्याय , वरिष्ठ पत्रकार रायबरेली निवासी डॉ राजेन्द्र बहादुर श्रीवास्तव, प्रमुख शिक्षाविद लखनऊ निवासी श्री कैलाश चन्द्र जोशी, प्रमुख समाजसेवी इलाहाबाद निवासी श्री अजय कुमार, प्रमुख समाजसेवी एवं हिन्दी के यायावर साहित्यकार ऋषिकेश निवासी श्री धीरेंद्र सिंह रांगढ़ तथा इलाहाबाद के रामायण मर्मज्ञ कवि डॉ॰ बाल कृष्ण पांडे आदि भाग ले रहे हैं।
इस अवसर पर लगभग दो दर्जन पुस्तकों का लोकार्पण और एक शाम अवध के लोकगायकों के नाम होगा। विशिष्ट अतिथि होंगे अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सिंग कोच श्री एस0एन0 मिश्र। साथ ही श्रीमती कुसुम वर्मा की कला प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रहेगी।
विविधताओं से भरा यह सम्मेलन जीवन के अपने अलग-अलग रंगों में धड़कता दिखाई देगा दर्शकों को, ऐसी उम्मीद है।

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भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की पावन स्मृति को समर्पित संगोष्ठी

Posted on 06 January 2018 by admin

उत्तर प्रदेष हिन्दी संस्थान, लखनऊ

भारतेन्दु जी ने भारतवासियों को एक सूत्र में बाँधने का कार्य किया - डाॅ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त
moj_0041लखनऊ। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के तत्वावधान में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की पावन स्मृति के अवसर पर ‘नवजागरण की चेतना और भारतेन्दु हरिश्चन्द्र‘ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन शनिवार, 06 जनवरी, 2018 को निराला सभागार, हिन्दी भवन, लखनऊ में किया गया।
डाॅ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो0 सुरेन्द्र दुबे, कुलपति, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी, प्रो0 सूर्य प्रसाद दीक्षित, पूर्व प्रोफेसर, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं मुख्य वक्ता के रूप में डाॅ0 हरिशंकर मिश्र, पूर्व आचार्य, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ आमंत्रित थे।
दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पार्पण के उपरान्त प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में वाणी वन्दना संगीतमयी प्रस्तुति डाॅ0 पूनम श्रीवास्तव द्वारा की गयी। मंचासीन अतिथियों का उत्तरीय द्वारा स्वागत श्री सुनील कुमार सक्सेना, उपनिदेशक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने किया।
मुख्य वक्ता के रूप में डाॅ0 हरिशंकर मिश्र ने ‘नवजागरण की चेतना और भारतेन्दु हरिश्चन्द्र‘ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र साहित्य जगत के युगप्रवर्तक थे। उन्नसवी शताब्दी में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी ने भारतवासियों के हृदय में नवजागरण पैदा किया। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी में राज्यभक्ति और राष्ट्रभक्ति समान रूप से थी। उनमें बालपन से ही समझने की शक्ति थी। उन्होंने अंगे्रजो के अत्याचार को काफी निकट से देखा था। उनके समय में समाज में बड़ी विडम्बना थी। वे अपने मन की बात को बड़ी दृढ़ता से कहते थे। उन्होंने अंगे्रजी भाषा का विरोध किया। हिन्दी भाषा के उन्नयन में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का योगदान अतुलनीय रहा है, उनका रचना संसार व्यक्तित्व और कृतित्व व्यापक था।
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विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे प्रो0 सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा - उन्नसवीं शताब्दी का जागरण आर्थिक जागरण पर केन्द्रित था। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी दूरदर्शी व्यक्ति थे। उन्होंने साहित्य की प्रत्येक विधा पर अपनी रचनाएं रची। उनके अन्दर नैसर्गिक लेखन की क्षमता थी। उन्हें यह क्षमतायें विरासत में मिली थी। जगत का उन्हें व्यापक अनुभव था। अंग्रेजो के शोषण के खिलाफ उन्होेंने एक आन्दोलन चलाया था। वे अपनी रचना आम बोल-चाल की भाषा में लिखते थे। जनता द्वारा दी गयी पहली उपाधि ‘भारतेन्दु‘ हरिश्चन्द्र जी को मिली। उन्होंने व्यंग्य के माध्यम से जनजागरण किया। हिन्दी के प्रथम गजलकार भारतेन्दु जी थे।
मुख्य अतिथि के रूप में पधारे प्रो0 सुरेन्द्र दुबे, कुलपति, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी ने अपने सम्बोधन में कहा - भारतेन्दु जी हिन्दी के श्लाका पुरुष थे। नवजागरण पुनर्जागरण ही है। भारतेन्दु जी के समय का जागरण लोक का पुनर्जागरण है। भारतेन्दु जी भारत भक्त विचारक थे। विदेशी वस्तुआंे के प्रबल विरोधी थे। राष्ट्र के निर्माण के मूलतत्वों की खोज भारतेन्दु जी ने की। वे स्त्री-पुरुष की समानता के पक्षधर थे। उनका युग सजीव व चेतना का युग था। उन्होंने अपने नाटकों में समाज का चित्रण किया है। नाटक को ‘पंचमवेद‘ कहा गया है।
अध्यक्षीय सम्बोधन में डाॅ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने कहा - भारतेन्दु जी ने हमें भारत की स्वतंत्रता का सूत्र दिया। उन्होंने ‘स्वत्व‘ का महत्व हम भारतवासियों का बताया। उनका साहित्य हमारे अन्दर नयी चेतना का संचार करती है। वे आर्थिक सम्पन्नता के पक्षधर थे। उनका स्वच्छता का अभियान था कि उन्नति में आने वाली बुराइयों को कांटों को निकाल कर फेंकने की आवश्यकता है। वे स्वदेशी चेतना के पक्षधर थे। उन्होंने साहित्य को दरबारी परम्परा से हटाकर जनता के बीच का साहित्य बनाया। भारतेन्दु जी ने भारतवासियों को एक सूत्र में बाँधने का कार्य किया।
समारोह का संचालन, अभ्यागतों का स्वागत एवं आभार डाॅ0 अमिता दुबे, सम्पादक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने किया।

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डाॅ0 विद्याविन्दु सिंह एवं डाॅ0 अमिता दुबे की कृतियों को अखिल भारतीय सम्मान

Posted on 14 December 2017 by admin

साहित्य अकादमी (मध्य प्रदेश) द्वारा कृति पुरस्कार योजना के अन्तर्गत वर्ष 2015 के ‘पं0 भवानी प्रसाद मिश्र पुरस्कार‘ से डाॅ0 विद्याविन्दु सिंह की काव्य कृति ‘हम पेड़ नहीं बन सकते‘ तथा वर्ष 2016 के ‘गजानन माधव मुक्तिबोध पुरस्कार‘ से डाॅ0 अमिता दुबे के कहानी संग्रह ‘सुखमनी‘ को पुरस्कृत किया गया।
amita-1 हरियाणा के महामहीम राज्यपाल प्रो0 कप्तान सिंह सोलंकी के करकमलों द्वारा मानस भवन, भोपाल में गणमान्य अतिथियों एवं साहित्यकारों के सम्मुख मंगलवार, 12 दिसम्बर, 2017 को उत्तरीय, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न एवं रु0 51,000=00 से डाॅ0 विद्याविन्दु सिंह एवं डाॅ0 अमिता दुबे को सम्मानित किया गया। इस अवसर श्री सुरेन्द्र पटवा, संस्कृति राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मध्य प्रदेश सरकार, श्री मनोज कुमार श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव, संस्कृति विभाग, मध्य प्रदेश एवं श्री उमेश कुमार सिंह, निदेशक, साहित्य अकादमी विशेष रूप से उपस्थित रहे। यहाँ उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय स्तर के 10 पुरस्कार में से उपर्युक्त 02 पुरस्कार लखनऊ, उत्तर प्रदेश के दो साहित्यकारों को प्रदान किये गये।

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