Posted on 24 December 2020 by admin
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग की करोड़ों की कोबाल्ट मशीन के गायब होने की खबर प्रकाशन के बाद मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया था और अब बुंदेलखंड में मामला गर्मआता जा रहा है बुंदेलखंड के सक्रिय संगठन बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा जिलाधिकारी को दिया ज्ञापन
बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के प्रतिनिधि मंडल ने मोर्चा अध्यक्ष भानू सहाय, महासचिव अशोक सक्सेना, प्रवक्ता रघुराज शर्मा एवं समाज सेवी राजेन्द्र शर्मा ने कैंसर विभाग मेडिकल कॉलेज जाकर विभाग से हटा दी गई कोबाल्ट मशीन के बारे में जानकारी लेकर जिला अधिकारी को पत्र सौप कर मांग की जिस ने बताया कि बुन्देलखण्ड में 2005 से कैंसर के मरीजों का इलाज कोबाल्ट मशीन के द्वारा किया जाता था।
अक्टूवर 2020 में कैंसर विभाग में सिकाई के लिये लगी हुई कोवाल्ट मशीन से बडी संख्या में लोग लाभान्वित हो रहे थे। वर्ष 2016 तक कोबाल्ट मशीन को चलाये जानें के लिये पत्र कैंसर विभाग मेडिकल काॅलेज झाॅसी से पत्र लिखा गया ।
कभी फिजिसियस्ट, टैक्निशियन एवं कर्मचारियों की कमी दिखाकर मशीन को सुचारू रूप से नही चलाया जा रहा था।
प्राप्त जानकारी के अुनसार कोबाल्ट मशीन में मात्र एक पुर्जा जिसको सोर्स कहा जाता हैं वह समयावधि पूर्ण कर चुका था, जिसके अभाव में सिकाई का कार्य नही किया जा रहा था। सोर्स की जगह पूरी मशीन को उठवा दिये जाने की उच्च स्तरीय जाॅच यथाशीघ्र कराई जायें।
बनाई जाने वाली जाॅच कमेटी में मेडिकल काॅलेज के कैंसर विभाग के कम से कम दो डाॅक्टर, टैक्नीषियन, फिजिशियस्ट एवं एक मजिस्ट्रेट को रखा जायें एंव जाॅच समयबद्व कराई जायें।
बुन्देलखण्ड निर्माण मोर्चा के प्रतिनिधि मण्डल जिसमें मोर्चा अध्यक्ष भानू सहाय, महासचिव एडवोकेट अशोक सक्सेना, प्रवक्ता रघुराज शर्मा, एवं समाजसेवी राजेन्द्र शर्मा एड0 ने स्वयं जाकर कैंसर विभाग में उक्त स्थान को देखा जहाॅ से मशीन हटाई गई है। वहां उपस्तिथ लोगो से मशीन के बारे में जानकारी ली तो ज्ञात हुआ कि उक्त मशीन सीटीस्केन मशीन से भी बडे आकार की थी, जिसे क्रेन की मदद से उठाया जा सकता था एवं बडे कन्टेनर में रखकर उसको भेजा जा सकता था। साथ ही जो सोर्स इसमें लगा होता हैं उसको लैड (सीसा) से कवर कर सुरक्षित भेजे जाने की व्यवस्था होती है। ऐसे में शीर्ष अधिकारियों की जानकारी के बिना उक्त मशीन कैसे हटाई जा सकती हैं। समयबद्व उच्च स्तरीय जाॅच नही कराये जाने पर बुन्देलखण्ड निर्माण मोर्चा आमरण अनशन करने को बाध्य होगा।
Posted on 22 December 2020 by admin
कोबाल्ट मशीन जहां पहले लगी थी खाली हुआ हॉल
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग की करोड़ों की कोबाल्ट मशीन के गायब होने की खबर का मामला शासन के संज्ञान में आने ने मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया ,
मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2005 में कोबाल्ट मशीन को करोडो की लागत से खरीदा गया था ,कोबाल्ट मशीन से प्रतिदिन 40-50 मरीजों की सिंकाई होती हैं। जिससे इलाके के मरीजों को दूसरे शहर नहीं जाना पड़ता था मगर मेडिकल प्रशासन और रेडियोथैरेपी विभाग के एक डॉक्टर की मिलीभगत ने विभाग पूरी कोबाल्ट मशीन को एक कम्पनी की मदद से गायब करवा दिया, इतना ही नहीं उल्टा उस कम्पनी को मशीन को हटाने के लाखो रूपये भी दिए, जबकि नियमानुसार इसके किये शासन से अनुमति जरुरी है और निर्धारित कमेटी दुवारा टेण्डर प्रक्रिया को भी अपनाया जाना चाईये था जिससे विभाग को उससे राजस्व लाभ हो सके मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ , यदि उस मशीन को कबाड़ में भी बेचा जाता तो ही लाखो का राजस्व मिल जाता , मगर विभाग का भला ना चाहने वालो को तो मशीन विभाग से हटाकर कंही प्राइवेट हॉस्पिटल को लाभ पहुंचने की मंशा थी।
अब कैंसर विभाग में लाखों रुपए की महीना तनख्वाह पाने वाले डॉक्टर हाथ पर हाथ धरे बैठे , जिनमें उन्हें विशेषज्ञता हासिल है।
गौरतलब है कि इस काम में सहायक झाँसी मेडिकल कॉलेज के इसी विभाग के एक डॉक्टर वो भी शामिल है जिन पर मुख्यमंत्री रहत कोष से फर्जी बिलो के भुकतान के आरोप लग चुका है और आयुष्मान योजना में भी गड़बड़ी की अंदरूनी जांच चल रही है,
राजधानी से विशेष सचिव की तरफ से मेडिकल कॉलेज प्राचार्य को भेजे गए पत्र में बताया गया था कि युनिट के आक्रियाशीलता की जांच के लिए समिति का गठन किया गया है। इसकी समिति कॉलेज में आकर जांच करेगी।
18 दिसम्बर को इस खबर के प्रमुखता से प्रकाशित होने से लखनऊ तक हलचल शुरु हो गई और शुक्रवार को आने वाली जांच समिति का अज्ञात कारणों से मेडिकल कॉलेज आना का दौरा टल गया। अब संभावना जताई जा रही है कि कागजी दुरुस्ती करण के लिए भी कॉलेज को आखरी मौका दिया गया हो वो वही यह भी उम्मीद है कि अब समिति जिम्मेदारों को लखनऊ बुलाकर जवाब तलब कर सकती है। वहीं, इस मामले में कुछ अधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
Posted on 17 December 2020 by admin
झाँसी -कोरोना काल में कहीं अधिक कीमतों पर ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर व अन्य चिकित्सकीय उपकरण कई गुना अधिक कीमत पर खरीद का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक और खबर झाँसी मेडिकल कॉलेज से सामने आ गई
झांसी का महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज बुंदेलखंड का एक एकमात्र मेडिकल कॉलेज है जहां बुंदेलखंड क्षेत्र के कैंसर पीड़ित लोग इलाज कराने आते हैं। अब कैंसर पीड़ित मरीजों के लिए झांसी मेडिकल कॉलेज से बुरी खबर, झांसी मेडिकल कॉलेज से कैंसर की कोशिकाओं को सिकाई के द्वारा नष्ट करने वाली कोबाल्ट मशीन रातों-रात मेडिकल कॉलेज से गायब हो गई ।
वर्ष 2005 -2006 में मेडिकल कॉलेज में कैंसर विभाग बनाया गया जिसमें कैंसर पीड़ित मरीजों का इलाज किया जाता रहा है विभाग में कैंसर की सिकाई के लिए “कोबाल्ट” मशीन लगभग 3 करोड रुपए की लागत की लगाई गई ताकि पीड़ित रोगियों को सिकाई के लिए प्राइवेट अस्पतालों में ना जाना पड़े और उनका अधिक पैसा खर्च ना हो ऐसी सरकार की मंशा थी मगर विभाग के संबंधित लोगों की मिलीभगत सुनियोजित षड्यंत्र के तहत सिकाई मशीन को एक हफ्ते पहले गायब कर दिया गया.
कोबाल्ट मशीन से कैंसर के रोगियों का इलाज होता है आज इस मशीन की कीमत लगभग 3 से 4 करोड रुपए है इस मशीन के माध्यम से सिकाई करने से कैंसर की कोशिकाएं ही नष्ट होती है
यह मशीन मेडिकल कॉलेज के लिए और यहां आने वाले कैंसर रोगियों के लिए बड़ी उपयोगी साबित हो रही थी मगर वर्ष 2018 में मशीन का सोर्स खत्म हो जाने से यह मशीन दुवारा इलाज नहीं हो पा रहा था, मगर मशीन में फिर से सोर्स डलवा कर और मशीन की सर्विस के बाद यही मशीन को महज लगभग 50 से 60 लाख रुपए में चालू किया जा सकता था, मगर योगी सरकार के राजस्व के दुश्मन बड़ी लागत की इस मशीन को अपने व्यक्तिगत हित को देखते हुए कॉलेज के संबंधित लोगों ने एक हफ्ते में ही मशीन को गायब करा दिया जो पूरे मेडिकल कॉलेज में चर्चा का विषय बन गई कॉलेज के मेडिकल प्रशासन और कैंसर विभाग के डॉ अंशुल गोयल ने गुमराहक पत्राचार के जरिए मशीन को अन्य की मदद से विभाग से उठवा दिया जबकि इससे पूर्व मशीन को कंडम साबित करना होता है और इसके लिए शासन की अनुमति भी ली जाती है मगर यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ कंडम की प्रक्रिया को नजरअंदाज कर बिना शासन की अनुमति के बिना ही एक कंपनी के माध्यम से मशीन को गायब करा दिया गया अब 18 दिसंबर को लखनऊ से स्वास्थ्य विभाग की एक टीम झांसी आकर विभाग की जांच करने वाली है जिसमें यह मुद्दा मेडिकल कॉलेज के लिए गले की हड्डी बन सकता है।
जहां एक ओर सरकार खर्चों में कमी करने की बात कर रही है तो वही झांसी मेडिकल कॉलेज करोड़ों रुपए की लागत की मशीन को ठीक कराने के बजाय गायब करा कर सरकार करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचाने की फिराक में है।
Posted on 05 December 2018 by admin
छः दिवसों में डेढ़ करोड़ से अधिक बच्चों का हुआ सफल एम0आर0 टीकाकरण
लखनऊ: दिनांक 05 दिसम्बर, 2018
मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ जी के द्वारा दिनांक 26 नवम्बर, 2018 को खसरा रूबेला टीकाकरण अभियान का शुभारम्भ किया गया। उक्त अभियान के अन्तर्गत विगत 06 दिवसों में डेढ़ करोड़ से अधिक बच्चों को एम0आर0 वैक्सीन से आच्छादित किया जा चुका है। सभी मीडिया बन्धुओं, विद्यालयों एवं समाज के विभिन्न वर्गों के सहयोग से यह सम्भव हो सका है।
यह जानकारी महानिदेशक परिवार कल्याण ने दी। उन्होंने बताया कि अभियान को दुष्प्रभावित करने के लिये कुछ शरारती तत्वों द्वारा सोशल मीडिया में भ्रामक खबरें एवं जानकारियां वायरल की जा रही हैं। टीकाकरण संबंधी घटनाओं को नकारात्मक तरीके से प्रस्तुत कर समाज में भ्रम की स्थिति बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इस प्रकार की खबरें पूरी तरह भ्रामक, असत्य एवं तथ्यहीन हैं। कभी-कभी कुछ बच्चे इंजेक्शन के डर से भयभीत एवं विचलित हो जाते हैं तथा चक्कर/घबराहट/जी मचलाना जैसी छिटपुट समस्याओं से ग्रसित हो सकते हैं, जिसे बढ़ा चढाकर प्रस्तुत किया जाता है। एम0आर0 वैक्सीन पूर्ण रूप से सुरक्षित एवं प्रभावी है।
जैसा कि आप अवगत ही हैं कि इस अभियान में 09 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को एम0आर0 वैक्सीन की एक अतिरिक्त खुराक इन्जेक्शन के द्वारा दी जानी है। यह अभियान प्रथम चरण (लगभग दो सप्ताह) में प्रदेश के सभी स्कूलों में चलाया जायेगा। इसके उपरान्त द्वितीय चरण (लगभग दो सप्ताह) में यह अभियान समुदाय में चलाया जायेगा। अन्त में तृतीय चरण (लगभग एक सप्ताह) में यह अभियान छूटे हुये बच्चों हेतु चलाया जायेगा। इस अभियान में विभिन्न विभागों का सहयोग लिया जा रहा है।
मीडिया के माध्यम से सभी अभिभावकों से अपील है कि भ्रामक वीडियो, वाट्सअप मैसेज इत्यादि पर ध्यान न देते हुये अपने बच्चों को एम0आर0 के टीके से अवश्य आच्छादित कराये, यह एक अतिरिक्त डोज है, जिसका पूर्व में दी गयी डोज से कोई संबंध नहीं है। यह वैक्सीन पूर्ण रूप से सुरक्षित है। साथ ही प्रदेश के समस्त स्कूल, मदरसा, कालेज इत्यादि प्रबन्धकों से अपील है कि एम0आर0 सत्र का संचालन अपने विद्यालय परिसर में दिशा-निर्देशों के अनुसार शान्त एवं प्रफुल्लित वातावरण में अलग-अलग कक्षों की उपलब्धता करवाते हुये कराना सुनिश्चित करें। साथ ही टीकाकरण सत्र पर अपने अध्यापकों की उपस्थिति सुनिश्चित करें। किसी भी तरह के संशय एवं अप्रिय घटना की स्थिति में क्षेत्रीय टीकाकरण सुपरवाइजर एवं प्रभारी चिकित्सा अधिकारी से सम्पर्क कर उसका निदान करें।
Posted on 08 October 2018 by admin
लखनऊ: 08 अक्टूबर, 2018
उत्तर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशालय में एक दिवसीय टी0ओ0टी0 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 10 जनपदों-मुरादाबाद, बुलन्दशहर, बदायूँ, मुजफ्फरनगर, संभल, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, गौतमबुद्धनगर एवं गाजियाबाद के जिला प्रतिरक्षण अधिकारी, जिला सर्विलेन्स अधिकारी, एपिडिमियोलाजिस्ट और बालरोग विशेषज्ञों को डिफथिरिया रोग की निगरानी, नियंत्रण एवं उपचार के विषय में जानकारी देने के लिए आयोजित किया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रथम सत्र को सम्बोधित करते हुए सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उ0प्र0 सुश्री वी0हेकली झिमोमी ने वैक्सीन प्रीवेन्टेबल डीजीजेज के सर्विलेन्स को उच्चतम प्राथमिकता प्रदान किए जाने पर बल दिया तथा इससे सम्बन्धित प्रत्येक केस की रिपोर्टिंग अनिवार्य रूप से किए जाने के निर्देश दिए।
श्रीमती झिमोमी ने बताया कि प्रदेश के पश्चिमी जनपदों में डिफथिरिया के कुछ रोगियों की सूचना प्राप्त हुई है, जिस पर त्वरित कार्यवाही करते हुए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित विशेषज्ञ जनपदों में जाकर अन्य सम्बन्धित चिकित्साधिकारियों/विशेषज्ञों को प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। डिफथिरिया के सभी रोगियों एवं रोग के कारणों की जांच जनपदीय रैपिड रेस्पाॅस टीम द्वारा की जाएगी। सचिव ने बताया कि इस रोग के प्रबन्धन के लिए आवश्यक औषधियों एवं इम्युनाइजेशन की व्यवस्था प्रभावित जनपदों में सुनिश्चित कर दी गयी है।
सचिव चिकित्सा ने कहा कि इन जनपदों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को प्रतिदिन इस रोग की समीक्षा कर समस्त सूचनाएं राज्य मुख्यालय पर उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश निर्गत किए गए है। इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार द्वारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपद मुरादाबाद के जिला चिकित्सालय को सेन्टर फाॅर इन्फेक्शीयस डिजीज के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है, जहां पर इस प्रकार के संक्रामक रोगों की जांच एवं उपचार उपलब्ध कराया जाएगा।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में निदेशक संचारी रोग डा0 मिथलेश चतुर्वेदी, संयुक्त निदेशक डा0 विकासेन्दु अग्रवाल एवं डा0 डी0के0 सिंह तथा डा0 अभिषेक मिश्रा चिकित्सा अधिकारी संचारी रोग उपस्थित थे।
Posted on 06 February 2018 by admin
लखनऊ: 06 फरवरी, 2018
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से सी0जी0 सिटी सुल्तानपुर रोड पर स्थापित किए जा रहे उच्च स्तरीय कैंसर संस्थान को क्रियाशील करने के सम्बन्ध में टाटा मेमोरियल कैंसर हाॅस्पिटल, मुम्बई के निदेशक प्रो0 आर0ए0 बड़वे की अध्यक्षता में एक त्रिसदस्यी दल ने सोमवार को यहां शास्त्री भवन में भेंट कर रोड मैप प्रस्तुत किया।
मुख्यमंत्री जी से मुलाकात से पूर्व इस दल ने मौके पर जाकर निर्माणाधीन उच्चस्तरीय कैंसर संस्थान का निरीक्षण किया तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक भी की। इस दल द्वारा प्रस्तुत योजना के अनुसार प्रथम चरण में संस्थान के सभी विभागों को जनवरी, 2019 तक क्रियाशील करने तथा सर्जिकल विभाग एवं मेडिकल आॅन्कोलाजी विभाग को अक्टूबर, 2018 तक क्रियाशील करने का लक्ष्य है।
इस संस्थान को क्रियाशील करने के लिए सिविल निर्माण, पद सृजन तथा उपकरण मंे कन्वर्जेन्स स्थापित करते हुए उत्कृष्ट फैकल्टी के साथ अन्य व्यवस्थाएं आगामी ग्यारह माह में सुनिश्चित की जानी हंै। संस्थान में पूर्णकालिक निदेशक की तैनाती शीघ्र करने के निर्देश दिए गए। इसके अतिरिक्त टाटा मेमोरियल कैंसर हाॅस्पिटल के विशेषज्ञों का एक दल प्रतिमाह तीन से चार दिन लखनऊ भ्रमण कर मौके पर अपनी सेवाएं उपलब्ध कराएगा। टाटा मेमोरियल कैंसर हाॅस्पिटल द्वारा उक्त परियोजना की डी0पी0आर0 भी तीन माह में बनाकर प्रस्तुत की जाएगी तथा इस परियोजना के क्रियान्वयन में मार्गदर्शन भी प्रदान किया जाएगा। इस निमित्त उत्तर प्रदेश सरकार एवं टाटा मेमोरियल कैंसर हाॅस्पिटल, मुम्बई के मध्य एम0ओ0यू0 निष्पादित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि यह संस्थान दिल्ली और कोलकाता के मध्य कैंसर से सम्बन्धित सभी 26 सुपर स्पेशियलिटी विभागों की सेवाएं उपलब्ध कराने वाला सबसे बड़ा संस्थान होगा तथा यह प्रदेश के एपेक्स कैंसर सेन्टर के रूप मंे कार्य करेगा।
इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री आशुतोष टण्डन, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डाॅ0 रजनीश दुबे, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री एस0पी0 गोयल एवं कुलपति के0जी0एम0यू0 प्रो0 एम0एल0बी0 भट्ट के अतिरिक्त टाटा मेमोरियल कैंसर हाॅस्पिटल के प्रो0 के0एस0 शर्मा, प्रो0 पंकज चतुर्वेदी व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
Posted on 14 November 2017 by admin
जैसा कि आप जानते हैं कि मधुमेह एक अनुवांशिक एवं उपचय बीमारी हैं जो कि ना सिर्फ खून में ग्लूकोज की मात्रा को प्रभावित करती है अतएव यह शरीर के विभिन्न अंगो पर भी बुरा प्रभाव डालती है, यदि इसकासही वक्त पर इलाज न हो, या पता न चले तो ये हमारे धमनियों में उच्च रक्तचाप, गुर्दे की बीमारी, लीवर की बीमारी, मस्तिष्क की बीमारी, दिल की बीमारी तथा आंखों की बीमारी पैदा कर सकती है। जो कि इलाज के अभाव में हमारी गुर्दा, लीवर, दिल, आंखों तथा मस्तिष्क को निष्क्रिय कर हमें मरणाशन कर सकती है।
यदि बात हिन्दुस्तान के संदर्भ में की जाए तो हमारी बदलती हुई जीवन शैली, अत्यधिक प्रदूषण तथा दिन प्रति जीवन में आगे बढ़ने की होड़ में उत्पन्न हुए मानसिक दबाव तथा अत्यधिक कम नींद होने से हमारे देश में मधुमेह अपना पैर जमाता जा रहा है जिसकी वजह से भारत विश्व में मधुमेह रोगियों की राजधानी बनता जा रहा है। मित्रों इस खतरनाक बीमारी को हमारे देश में फैलने से रोकने का एक ही उपाय है, हमारी जीवन शैली में सही बदलाव, नियमित व्यायाम तथा मधुमेह के प्रति जानकारी का प्रसार हमारे देश के आम मानवीय को मधुमेह से वक्त रहते बचा सकती है।
विश्व मधुमेह दिवस 1991 में अंतर्राष्ट्रीय संघ व विश्व स्वास्थ्य संघ के द्वारा मधुमेह के बढ़ते दुष्प्रभाव के संदर्भ में लिया गया एक संयुक्त निर्णय के रूप में बनाया गया दिवस है। जिसे हर वर्ष 14 नवम्बर को पूरे विश्व में मनाया जाता है।
मधुमेह एक महामारी के तौर पर भारत को बहुत ही तेजी से अपने गर्भ में समाता जा रहा है। आज के वक्त में भारत में मधुमेह के 6 करोड़ 20 लाख स्पष्ट मधुमेह रोगी दर्ज हो चुके हैं। वर्ष 2000 में भारत में विश्व के सबसे ज्यादा 3 करोड 17 लाख मधुमेह रोगी दर्ज किये गये थे, तथा चीन दूसरे नम्बर पर 2 करोड़ 8 लाख रोगियों के साथ रहा तथा अमेरिका विश्व में 1 करोड 77 लाख रोगियों के साथ विश्व में तीसरा सबसे अधिक मधुमेह रोगियों की संख्या दर्ज करने वाला राष्ट्र था।
इस वर्ष विश्व मधुमेह दिवस 2017 का विषय है-”नारी और मधुमेह-स्वस्थ्य भविष्य हमारा हक“
कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों नारी और मधुमेह के संदर्भ में-
ऽ अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह संघ के अनुसार मधुमेह विश्व में महिलाओं की मौत का नौवा सबसे प्रमुख कारण है। एक अनुमान के अनुसार विश्व में मधुमेह के कारण 20 लाख महिलाओं की हर वर्ष मृत्यु हो जाती है। हर 10 में से 1 महिला मधुमेह से ग्रसित है। जो महिलाओं में टाइप 2 डाइबिटिस से ग्रसित है उनमें हृदय का रोग सामान्य महिलाओं की अपेक्षा 10 गुना अधिक होता है।
ऽ जो महिलाएं टाइप 1 मधुमेह से ग्रसित है उनमें इलाज के अभाव में गर्भपात तथा नवजात बच्चों में विकृत अंगो की संभावना सामान्य महिलाओं की अपेक्षा अधिक पाई जाती है। हर 5 में से 2 महिलाएं अपने प्रजनन उम्र में मधुमेह से ग्रसित हो जाती है।
ऽ एक अनुमान के अनुसार अनुमन 50 प्रतिशत वो महिलाएं जो गर्भ धारण के समय (गर्भ धारण के समय कुछ वक्त तक रहने वाला मधुमेह) से ग्रसित थी वह नियमित व्यायाम के अभाव तथा खान पान में परहेज न रखने के कारण गर्भ धारण के 5 से 10 वर्ष बाद टाइप 2 मधुमेह का शिकार बन जाती है।
मधुमेह से बचने के क्या उपाय अपनाने चाहिए?
ऽ हमारे देश में महिलाओं के प्रति गंभीर बीमारियों के संदर्भ में विस्तृत जानकारी एवं सुविधाएं उपलब्ध कराने में विशिष्ट ध्यान देने की आवश्यकता है।
ऽ हमारे देश मे मधुमेह की दवाईयाँ, मधुमेह के समाधान से सम्बन्धित उच्च तकनीक तथा मधुमेह से सम्बन्धित उचित जानकारी एवं ज्ञान हर महिला की पहुँच में होना चाहिए। जिससे उनको मधुमेह की रोकथाम तथा नियंत्रण करने में आसानी रहें।
ऽ हमारे देश की हर महिला को गर्भ धारण से पहले, गर्भ धारण के दौरान होने वाले मधुमेह के खतरे से बचने के लिए उचित सुविधाएं जानकारियों तथा समाधान उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
ऽ हमारे देश की हर महिला को शारीरिक व्यायाम तथा रोग के माध्यम से चुस्त दुरूस्त रहे ऐसी सुविधाएं एवं अनुकूल वातावरण उपलब्ध होना चाहिए।
ऽ महिलाओं में मानसिक दबाव का स्तर कम रहे तथा उन्हें विस्तृत नींद, तथा उत्कृष्ट आहार मिले ऐसा वातावरण बनाना चाहिए।
ऽ महिलाओं को जंक फूड तथा कोल्ड ड्रिंक के बढ़ते इस्तेमाल से परहेज करना चहिए तथा जीवन में नियमित तौर पर फाइबर युक्त खाना जैसे (दलिया, मौसम के अनुसार फल, खाने के साथ सलाद, अंकुरित आहार तथा मौसम के अनुसार सब्जियों का उपयोग प्रचुर मात्रा में करना चाहिए एवं वसा युक्त भोजन से परहेज करना चाहिए।
ऽ जिन महिलाओं को मधुमेह है या होने की संभावना है उन्हें डाक्टर द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार रहना चाहिए।
ऽ जिन महिलाओं को मधुमेह है वो अपनी दवाइयाँ नियमित समय पर लें तथा व्यायाम जरूर करें या नियमित पैदल चलें।
मित्रों आइये हम हाथ मिलाए और हमारे देश में बढ़ते हुए मधुमेह को उचित समय पर रोके और अपने बच्चों, महिलाओं तथा परिवार को एक स्वस्थ्य भारत का भविष्य दें। स्वस्थ्य महिला ही स्वस्थ परिवार वादा है।
Dr. A.K. Tiwari
Jai Clinic & Diabetes care centre
Posted on 03 March 2013 by admin
- प्रदेश के जिला महिला अस्पतालों में पूर्व से उपलब्ध 4930 बेडों की संख्या को बढ़ाकर 10030 किया जायेगा तथा 12 सीएचसी पर 50 बेडेड मैटरनिटी विंग्स एवं 78 सीएचसी पर 30 बेडेड मैटरनिटी विंग्स का भी निर्माण कराया जा रहा है: जावेद उस्मानी
- क्रिटिकल केसों के समुचित उपचार हेतु लखनऊ में 200 बेडयुक्त स्टेट एपेक्स रिफरल हास्पिटल फाॅर मैटरनल एण्ड चाइल्ड हेल्थ बनाये जाने की योजना: मुख्य सचिव
- जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम विगत वर्ष 141 अस्पतालों में लागू था, जिन्हें मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में बढ़ाकर 566 अस्पतालांे में कार्यक्रम लागू कराकर लाभान्वित कराया जा रहा है: जावेद उस्मानी
- वर्ष 2013-14 में जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत सभी 985 ब्लाक स्तरीय अस्पतालों में सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेगी: मुख्य सचिव
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने बताया कि सुरक्षित प्रसव को सुनिश्चित कराने के लिए जिला महिला अस्पतालों का विस्तार एवं उच्चीकरण कराया जा रहा है। प्रदेश में नए मैटरनिटी विंग्स का निर्माण कराते हुए प्रदेश के जिला महिला अस्पतालों में पूर्व से उपलब्ध 4930 बेडों की संख्या को बढ़ाकर 10030 किया जायेगा तथा 12 सीएचसी पर 50 बेडेड मैटरनिटी विंग्स एवं 78 सीएचसी पर 30 बेडेड मैटरनिटी विंग्स का भी निर्माण कराया जा रहा है। इन सभी कार्याें के लिए 1300 करोड़ रूपये स्वीकृत किए गए हैं। क्रिटिकल केसों के समुचित उपचार हेतु लखनऊ में 200 बेडयुक्त स्टेट एपेक्स रिफरल हास्पिटल फाॅर मैटरनल एण्ड चाइल्ड हेल्थ स्वीकृत कर दिया गया है। जननी सुरक्षा योजना के तहत आगामी वर्ष में प्रदेश की लगभग 28.5 लाख गर्भवती महिलाएं लाभान्वित कराए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम विगत वर्ष 141 अस्पतालों में लागू था, जिन्हें मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में बढ़ाकर 566 अस्पतालांे में कार्यक्रम लागू कराकर लाभान्वित कराया जा रहा है। वर्ष 2013-14 में जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत सभी 985 ब्लाक स्तरीय अस्पतालों में सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेगी।
मुख्य सचिव ने आज यहां हिन्दुस्तान टाइम्स द्वारा आयोजित चाइल्ड सर्वाइवल सम्मिट के पूर्वान्ह सत्र पर यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत गर्भवती महिलाओं का मुफ्त उपचार, दवाइयां, जांचें, उन्हें घर से अस्पताल तक लेकर आने तथा उन्हें वापस उनके घर तक पहुंचाने की सुविधा और अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान मुफ्त भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ नवजात शिशु को भी बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने हेतु सीएचसी एवं पीएससी में आवश्यक सुविधाए मुहैय्या करायी गयी हैं। उन्होंने कहा कि आवश्यकता है कि प्रदेश सरकार की योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित कराकर अधिक से अधिक लोगों को लाभान्वित कराया जाए, जिसके लिए आमजन की भी भागीदारी अवश्य सुनिश्चित होनी चाहिए।
श्री उस्मानी ने कहा कि बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने हेतु लगभग 01 लाख आशा बहुओं की तैनाती की गयी है तथा आकस्मिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने हेतु निःशुल्क एम्बुलेन्स भी उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार आम नागरिकों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने हेतु प्रयत्नशील है। उन्होंने कहा कि शिशु मृत्युदर को घटाने के लिए हर सम्भव प्रयास सुनिश्चित कराने के लिए पर्याप्त चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध करायी जा रही है। उन्होंने कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि प्रदेश सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जा रही सुविधाओं का अधिकाधिक उपयोग सुनिश्चित किया जाये।
चाइल्ड सर्वाइवल सम्मिट में डाॅ0 पी0के0 प्रभाकर, उप आयुक्त, चाइल्ड हेल्थ एम0ओ0एच0एफ0एफ0, श्रीमती एडिले खुद्र, चीफ फील्ड आॅफिस, यूनीसेफ डाॅ0 विश्वजीत कुमार, सीईओ, कम्यूनिटी इम्पावरमेन्ट लैब, प्रो0 ए0के0 द्विवेदी, निदेशक एएमएस, श्री अखिलेश वाधवानी उप निदेशक बीएमजीएफ, डाॅ0 राजीव टण्डन सीनियर एडवाइजर स्वास्थ्य एवं पोषण, सेव द चिल्ड्रन ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 03 March 2013 by admin
प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्यातियाँ योग, आयुर्वेद आदि वर्तमान में प्रचलित
चिकित्सा पद्यतियों से अधिक प्रभावशाली है। यह कथन प्रसिद्द हृदय चिकित्सक
पद्म भूषण प्रोफेसर बी0 एम0 हेगड़े के थे, जिन्होंने किंग जार्ज चिकित्सा
विश्वविद्यालय, लखनऊ तथा समष्टि फाउंडेशन के समग्र प्रयास से प्रथम बार किंग
जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में आयोजित एक दिवसीय योग की कार्यशाला में
बतलाया कि हमें अपनी संस्कृतिक धरोहर को अपनाना चाहिए तथा इस क्षेत्र में
विभिन्न प्रयोग किये जाने चाहिए। इसके अतिरिक्त इस कार्यक्रम के विशिष्ट
अतिथि पतंजलि विश्वविद्यालय के उप कुलपति करतार सिंह ने योग को न केवल
रोगोपचार अपितु रोगों के रोकथाम का साधन भी बतलाया। इस अवसर पर चिकित्सा
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर डी0 के0 गुप्ता ने विभिन्न रोगों के निदान
हेतु योग को सम्मिलित किये जाने पर बल दिया तथा विश्वविद्यालय में इस सन्दर्भ
में नवीन विभाग स्थापित करने करने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर लोगो को योग के
क्रियात्मक तथा उपचारात्मक स्वरुप से परिचित करवाने के लिए समष्टि फ़ाउंडेशन की
तरफ से राहुल द्विवेदी तथा अमित खन्ना द्वारा नेति, आसन, प्राणायाम तथा ध्यान
के प्रारूप की चर्चा हुई। इस कार्यक्रम का सञ्चालन डा0 वाणी गुप्ता द्वारा
किया गया। इस अवसर पर उपस्थित अन्य प्रमुख अतिथि प्रो0 एस0 के0 सिंघल, प्रो0
बलराज चौहान, डा0 ए0 एन0 श्रीवास्तव, डा0 यू0 एस0 पाल आदि थे। कार्यक्रम के
अंत में डा0 शैलेन्द्र यादव तथा डा0 सत्येन्द्र मिश्र ने सभी आगंतुक अतिथियों
का धन्यवाद् ज्ञापित किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 18 February 2013 by admin
आयुष पद्धति की केन्द्रीय परिषदों के प्रतिनिधियों ने सरकार से राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिषन के अन्र्तगत कार्यरत आयुष चिकित्साधिकारियों एलोपैथिक चिकित्साधिकरियों के समान वेतन देने की माँग की है।
केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के सदस्य डा0 अनुरुद्ध वर्मा एवं सी0सी0आई0एम0 के सदस्य डा0 पी0सी0 चैधरी ने बताया कि मिषन के अन्र्मगत प्रदेष में 2008 से आयुष चिकित्सकों की तैनाती प्रारम्भ हुई थी। प्रारम्भ में आयुष एवं एलोपैथिक चिकित्साधिकारियो का वेतन रु. 24000 प्रतिमाह था बाद में एलोपैथिक चिकित्साधिकारियों का वेतन तो बढ़ाकर 36000 रुपया प्रतिमाह कर दिया गया परन्तु आयुष अधिकारियों के वेतन में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई जिससे उनमें ऊपेक्षा का भाव व्याप्त है।
उन्होने बतािया कि दोनो पद्धतियों के चिकित्साधिकरियों का कार्य एवं दायित्व समान है इस लिए समान कार्य के लिए समान वेतन के प्राकृतिक सिद्धान्त को ध्यान में रखते हुये आयुष चिकित्सकों का वेतन भी एलोपैथिक चिकित्साधिकारियों के वेतन के बराबर 36000 रुपये प्रति माह किया जाना चाहिए।
उन्होने कहा कि आयुष पद्धतियां राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिषन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है तथा जनता में आयुष पद्धतियों की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है इस लिए आयुष पद्धतियों एवं आयुष चिकित्साधिकारियों को अधिक प्रोत्साहन दिया जाना चहिए जिससे प्रदेष में सभी को स्वास्थ्य का संकल्प पूरा करने में आयुष पद्धतियों का पूरा-पूरा योगदान प्राप्त हो सके। उन्होने आयुष पद्धति के चिकित्सकों का नवीनीकरण हर वर्ष करने के वजाय पाँच वर्ष पर करने की मांग की
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com