लखनऊ - उत्त्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने राज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान विरोधी दलों द्वारा सरकार के काम-काज को लेकर लगाये गये विभिन्न आरोपों को बेबुनियाद एवं तथ्यहीन बताते हुए कहा है कि उनकी सरकार सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय की नीति पर चलते हुए समाज के दबे कुचले, गरीब एवं कमजोर वर्गों के हित में अनेकों जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रही है। उन्होंने विपक्षी नेताओं खासतौर से नेता प्रतिपक्ष के भाषण को अस्पष्ट एवं दिशाहीन बताते हुए कहा कि उनकी सरकार भारतीय संविधान और लोकतांत्रिक परम्पराओं का पूरा सम्मान करती है। उन्होंने कहा कि महंगाई के लिए केन्द्र सरकार की गलत आर्थिक नीतियां जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार उत्तर प्रदेश के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रही है।
मुख्यमन्त्री आज विधान सभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद के सम्बन्ध में सदन में हुई चर्चा का उत्तर दे रहीं थीं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी और सरकार भारतीय संविधान निर्माता डॉ0 भीमराव अम्बेडकर के बताये हुए मार्ग पर चल रही है और संविधान और उसकी भाषा और मंशा के अनुरूप अमल करने और करवाने को अपना संवैधानिक दायित्व समझती है। उन्होंने विपक्ष द्वारा मंहगाई के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश का जवाब देते हुए कहा कि बढ़ती हुई मंहगाई के लिए राज्यों की सरकारें नहीं, बल्कि केन्द्र सरकार की गलत आर्थिक व आयात-निर्यात सम्बन्धी नीतियां ही पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के कृषि मन्त्री द्वारा मंहगाई को लेकर समय-समय पर दिये जा रहे गैरजिम्मेदाराना बयान भी आग में घी डालने का काम कर रहे हैं, जिससे जमाखोरों और मुनाफाखोरों को खाद्य पदार्थों के दामों को बढ़ाने का मौका मिल रहा है।
सुश्री मायावती ने विपक्षी दलों द्वारा मंहगाई को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ आन्दोलन करने की बात का जवाब देते हुए कहा कि उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ बोलने और आन्दोलन करने के बजाय, केन्द्र सरकार के खिलाफ बोलना और आन्दोलन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में उनकी पार्टी व सरकार विपक्षी दलों का पूरा-पूरा सहयोग करेगी। उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों की कीमतों को काबू में रखने के लिए जमाखोरों और मुनाफाखोरों के खिलाफ सख्त कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि दो दिन पहले ही राज्य सरकार ने एक शासनादेश जारी करके सभी उपजिलाधिकारियों को सप्ताह में कम से कम एक बार आकिस्मक निरीक्षण और मुनाफाखोरों के ठिकानों पर छापे डालने के निर्देश दिये गये हैं।
मुख्यमन्त्री ने विपक्षी पार्टियों खासतौर से समाजवादी पार्टी द्वारा कानून-व्यवस्था ध्वस्त होने व विभागों में घोटाले किये जाने को लेकर लगाये गये आरोपों को आधारहीन एवं बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि इनके सभी आरोप नौ सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली कहावत की तरह है। उन्होंने कहा कि जब से उनकी सरकार बनी है, हर मामले में कानून का राज चल रहा है। सपा शासनकाल की तरह प्रदेश में गुण्डाराज नहीं है और अपराधिक छवि वाले लोग जेल के बाहर नहीं बल्कि जेल के अन्दर हैं, जिसके कारण प्रदेश में अन्यायमुक्त, अपराधमुक्त, भयमुक्त तथा विकासयुक्त वातावरण पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि गलत पाये जाने पर अपनी पार्टी के लोगों तक को नहीं बख्शा है। कुछ विधायकों व एक मन्त्री तथा एक सांसद को भी जेल भेजा गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जो भी गलत कार्य करेगा, उसे नहीं छोड़ा जाएगा।
सुश्री मायावती ने सरकार पर लगाये गये भ्रष्टाचार के आरोपों व घोटालों का जवाब देते हुए कहा कि उनकी सरकार में तो भ्रष्टाचार व घोटालों के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने सपा शासनकाल के दौरान हुए पुलिस भर्ती घोटाले, खाद्यन्न घोटाले, नोएडा भूमि घोटाले, एल0डी0ए0 घोटालों की याद दिलाते हुए कहा कि खाद्यन्न घोटाले में गरीबों के मुंह से निवाला तक छीनने का काम सपा सरकार के दौरान किया गया था। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों के द्वारा किये गये घोटालों की सूची काफी लम्बी है। उन्होंने प्रदेश में सम्पन्न हुए उपचुनावों तथा विधान परिषद के चुनावों में सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग किये जाने का उत्तर देता हुए कहा कि बिना तथ्यों के आधार पर इस तरह की टिप्पणी किया जाना प्रदेश की महान जनता का अपमान है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी की ऐतिहासिक जीत सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के हित में बनायी गई नीतियों और कार्यक्रमों का नतीजा है।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि जहां तक राज्य कर्मचारियों का सवाल है, उनकी सरकार राज्य कर्मचारियों के हितों के प्रति पूरी तरह सजग एवं संवेदनशील है। सीमित संसाधन होने के बावजूद भी छठें वेतन आयोग की सिफारिशों को देश में सबसे पहले उत्तर प्रदेश में लागू किया, जिससे सरकारी खजाने पर 21 हजार करोड़ रूपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा। केन्द्र सरकार की गलत नीतियों के कारण बढ़ती हुई मंहगाई से राहत दिलाने के लिए राज्य कर्मचारियों, स्थानीय निकाय कर्मियों, जूनियर डाक्टरों और निगम कर्मियों को छठें वेतन आयोग का लाभ देने का निर्णय लिया। उन्होंने उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के मुद्दे पर गम्भीर न होने आरोप को खारिज करते हुए कहा कि उनकी सरकार पूर्वान्चल, बुन्देलखण्ड एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग कर नये राज्यों के रूप में गठित किये जाने के लिए हमेशा से ही पक्षधर रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार से लिखित अनुरोध के बाद भी अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। उन्होंने पूरे सदन को विश्वास दिलाते हुए कहा कि जिस दिन केन्द्र सरकार उनका अनुरोध स्वीकार कर लेगी, उसके तुरन्त बाद राज्य के पुर्नगठन का प्रस्ताव विधान सभा से पास कराके केन्द्र सरकार के पास भेज दिया जाएगा।
सुश्री मायावती ने गन्ना मूल्य को लेकर विपक्षी पार्टियों द्वारा सरकार की आलोचना किये जाने का जवाब देते हुए कहा कि राज्य सरकार के लिए गन्ना किसानों का हित सर्वोपरि है, इसलिए गन्ना किसानों के लिए समय-समय पर अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं। उन्होंने कहा कि पेराई सत्र-2009-10 के लिए राज्य परामर्शित गन्ना मूल्य में एक मुश्त 25 रूपये प्रति कुन्तल की अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी की गई है। पूर्व की सरकारों में एक वर्ष में गन्ना मूल्य में इतनी बढ़ोत्तरी कभी नहीं की गई। इसके साथ ही गन्ना किसानों को वाजिब मूल्य दिलाने के साथ-साथ अन्य सुविधायें भी दिलाने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि गन्ना किसानों के हित में यह भी निर्णय लिया गया है कि जब तक गन्ना की पेराई पूरी नहीं हो जाती, तब तक चीनी मिलों द्वारा आयातित कच्ची चीनी की प्रोसेसिंग नहीं की जायेगी। उन्होंने कहा कि किसानों की अन्य फसलों को भी लेकर उनकी सरकार काफी गम्भीर है।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि किसानों की खाद, बिजली, पानी और बीज आदि समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। पम्प सेटों को बिजली के अलग फीडर से जोड़ने का अति महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। इसके लिए 2600 करोड़ रूपये की डॉ0 अम्बेडकर ऊर्जा कृषि सुधार योजना शुरू की गई है। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष द्वारा धान की खरीद को लेकर लगाये गये आरोपों को आधारहीन बताते हुए कहा कि वर्ष 2008-09 की तुलना में इस वर्ष अब तक 46.5 लाख टन धान की खरीद की गई है। उन्होंने खाद की किल्लत होने के आरोप को पूरी तरह बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराने के लिए उपाय किये गये हैं तथा अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से बीज व खाद की तस्करी रोकने के लिए कड़े कदम उठाये गये हैं। उन्होंने नहरों में पानी की कमी होने के आरोप को पूरी तरह असत्य बताया।
सुश्री मायावती ने कहा कि उनकी सरकार खाद्य पदार्थों और दवाओं में मिलावट रोकने के लिए बेहद गम्भीर है। इसके लिए विशेष अभियान चलाकर 1864 नमूने इकठ्ठा किये गये हैं और लगभग डेढ़ करोड़ रूपये की कीमत की मिलावटी खाद्य सामग्री जब्त की गई तथा 144 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा नकली और अधोमानक दवाओं के निर्माण व बिक्री के विरूद्ध 1440 छापे डालकर 3862 नमूने एकत्रित किये गये हैं। जिसमें 68 एफ0आई0आर0 दर्ज कराई गई है और 94 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा इन छापों के दौरान 1.37 करोड़ रूपये से अधिक मूल्य की अधोमानक दवाएं भी जब्त की गई हैं।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि उनकी सरकार तमाम जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने कहा कि गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले ऐसे सभी लोगों को जो किसी भी योजना या सस्ते दर पर खाद्यन्न योजना लाभ नहीं ले रहे हैं। उन्हें लाभािन्वत करने के लिए उनके जन्म दिन 15 जनवरी को उत्तर प्रदेश मुख्यमन्त्री महामाया गरीब आर्थिक मद्द योजना शुरू की है, इसके तहत गरीब परिवारों को हर महीने 300 रू0 की धनराशि प्राप्त होगी। इस योजना के पहले चरण में 30 लाख गरीब परिवारों को आर्थिक मद्द दी जाएगी, जो लोग पहले चरण में लाभान्वित नहीं हो पायेगे, उन्हें अगले चरण में इसका लाभ दिया जाएगा। इस योजना का लाभ प्रदेश के सभी 403 विधान सभा क्षेत्रों को एक साथ दिया जाएगा। इसी तरह डॉ0 अम्बेडकर ग्राम विकास योजना में भी सभी 403 विधान सभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि सभी विधान सभा सीटों का बराबर ध्यान देने के बावजूद भी विपक्ष द्वारा राज्य सरकार के काम काज को लेकर पक्षपात करने का आरोप लगाना कहां तक उचित है।
सुश्री मायावती ने कहा कि इसी तरह शहरी गरीबों को सरकारी जमीन पर आवासीय कब्जों को नियमित करते हुए, इन कब्जों का मालिकाना हक देने के लिए सर्वजन हिताय शहरी गरीब आवास (स्लम एरिया) योजना चलायी जा रही है। इसके अलावा मान्यवर श्री कांशीराम जी शहरी गरीब आवास योजना, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों के लिए आवास की कमी को दूर करने के लिए महामाया आवास तथा महामाया सर्वजन आवास योजना एवं बालिकाओं के लिए सावित्री बाई फुले बालिका शिक्षा मद्द योजना तथा बी0पी0एल0 परिवारों में जन्मी बालिकाओं के लिए महामाया गरीब बालिका आशीर्वाद योजना संचालित की जा रही है। किसानों, मजदूरों, महिलाओं, छात्रों, कर्मचारियों, व्यापरियों व अन्य पेशों में लगे लोगों के हितों के लिए भी अनेक कदम उठाये गये हैं।
सुश्री मायावती ने एक विपक्षी सदस्य द्वारा अल्प संख्यकों खासतौर से मुस्लिम समाज के हितों की अनदेखी किये जाने के आरोप का जवाब देते हुए कहा कि जब भी बहुजन समाज पार्टी की सरकार सत्ता में आयी तब से लेकर अब तक उन्होंने अल्प संख्यकों का पूरा-पूरा ध्यान रखा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1995 में जब पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री बनी तो उन्होंने मुस्लिम समाज में से पिछडे़ लोगों को पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल करने में जरा भी देर नहीं की, जबकि इससे सम्बन्धित पत्रावली को तत्कालीन मुख्यमन्त्री श्री मुलायम सिंह यादव बहुत दिन तक दबाये रहे। उन्होंने कहा कि इसी तरह उन्होंने अल्पसंख्यकों तथा पिछड़ा वर्ग के लोगों के सामाजिक आर्थिक उत्थान के लिए अलग-अलग अल्प संख्यक कल्याण तथा पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का गठन किया।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि विकास की रफ्तार तेज करने के लिए अनेक महत्वपूर्ण फैसले लिये गये हैं। ऊर्जा, कृषि एवं रोजगार, विश्वस्तरीय सड़क स्थापना सुविधा, अच्छी परिवहन सुविधा और नगरों के पुनरोद्धार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। निजी क्षेत्र की सहभागिता बढ़ाने की नीति अपनाते हुए पूंजी निवेश के रूप में 1,17,029 करोड़ रूपये की व्यवस्था की गई है। यमुना एक्सप्रेस-वे, गंगा एक्सप्रेस-वे, अपर गंगा कैनाल एक्सप्रेस-वे पर बनायी गई योजना भी प्रगति पर है। आतंकवादी घटनाओं से निपटने के लिए एन0एस0जी0 कमाण्डो के तर्ज पर 2000 कमाण्डों को ट्रेनिंग देने की व्यवस्था दी गई है।
सुश्री मायावती ने कहा कि उनकी सरकार ने बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध कराये हैं। वर्ष 2007-08 में 22.40 लाख बेरोजगार लोगों को रोजगार की सुविधा वर्ष 2008-09 में बढ़कर 25.59 लाख हो गई है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 26.39 लाख लोगों के लिए रोजगार की व्यवस्था की गई है। पुलिस बल की कमी दूर करने के लिए 2.4 लाख अतिरिक्त पदों का सृजन तथा 30 नये अग्निशमन केन्द्र की स्थापना करने के साथ ही एक लाख आठ हजार सफाई कर्मचारियों की भर्ती तथा अध्यापकों की कमी दूर करने के लिए 1.70 लाख अध्यापकों की भर्ती का निर्णय लिया गया है, जिस पर तेजी से कार्यवाही की जा रही है।
मुख्यमन्त्री ने बाबा साहेब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर और मान्यवर श्री कांशीराम जी के सम्मान में स्थापित स्मारक आदि के औचित्य के बारे में विरोधी पार्टियों द्वारा लगाये गये आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि यदि दूसरे राजनीतिक दलों की सरकारों ने दलित एवं पिछड़े वर्गो में समय-समय पर पैदा हुए सन्तों, गुरूओं और महापुरूषों के आदर-सम्मान में यदि स्मारक, संग्रहालय आदि बनवा दिये होते तो उनकी सरकार को यह सब कार्य कराने की जरूरत नहीं पड़ती। कांग्रेस पार्टी की सरकार ने नेहरू-गांधी परिवार के नाम पर देश के कोने-कोने में अनेकों स्मारक, संग्रहालय, मूर्तियां आदि स्थापित करवाई हैं। नई दिल्ली के तीनमूर्ति भवन और एक सफदरजंग रोड जैसे शासकीय भवनों में सरकारी तौर पर स्मारक बना दिये गये हैं। कांग्रेस पार्टी ने अपने नेताओं के सम्मान में दिल्ली में यमुना नदी के किनारे अरबों रूपये की जमीन पर अनेकों समाधियां खड़ी कर दी है। इसी प्रकार केन्द्र और प्रदेश में सत्ता में रही भारतीय जनता पार्टी ने भी अपने कार्यकाल में लखनऊ व देश के अन्य राज्यों में अपने सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों के नाम पर जगह-जगह अनेकों पार्क व संग्रहालय एवं स्मारक आदि बनवाये हैं तथा चौराहों पर भारी संख्या में इनकी मूर्तियां भी स्थापित कराईं गई है। अपने शासनकाल में समाजवादी पार्टी ने भी अपने महापुरूषों के सम्मान में अनेकों पार्क व स्मारक आदि बनवाये हैं। जिन पर पूरा का पूरा सरकारी धन ही खर्च किया गया है।
सुश्री मायावती ने कहा कि जब यही धन दलित एवं पिछड़े वर्गो में जन्मे महान सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों के आदर-सम्मान में खर्च किया जाता है। तो इसे सरकारी धन का दुरूपयोग बताया जाता है व गरीब जनता का शोषण बताया जाता है और इतना ही नहीं बल्कि प्रतिपक्ष के नेता ने तो चर्चा के दौरान यहां तक भी कह दिया है कि प्रदेश के बजट का पूरा पैसा इस सरकार ने स्मारकों, संग्रहालयों व मूर्तियों आदि की स्थापना करने पर खर्च कर दिया है। जबकि इस मामले में हकीकत यह है कि प्रदेश के बजट का मुश्किल से अभी तक लगभग एक प्रतिशत धन ही इन कायोंZ पर खर्च किया गया है और इस बार के बजट में तो इन कार्यो के लिए कोई भी धन आबंटित नहीं किया गया है।
मुख्यमन्त्री ने विरोधी पार्टियों के नेताओं व सदस्यों से अपील की कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रदेश के विकास में अपना रचनात्मक सहयोग प्रदान करें। जब सभी सांसद एवं विधायक एकजुट होकर प्रदेश के विकास की बात करेंगे, तभी केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश के साथ लगातार किया जा रहा भेदभाव समाप्त हो सकेगा। उन्होंने कहा कि संविधान के संघीय ढांचे के तहत जितना सहयोग केन्द्र से मिलना चाहिए, वह अभी तक नहीं मिल सका है। उन्होंने इस मौके पर 80 हजार करोड़ रूपये का विशेष आर्थिक पैकेज का जिक्र किया। उन्होंने केन्द्रीय सहायता का कच्चा चिट्ठा खोलते हुए कहा कि जो भी धनराशि केन्द्र द्वारा राज्यों को मिलती है वह संवैधानिक व्यवस्था के अधीन दी जाती है। केन्द्र सरकार इस तरह राज्यों पर कोई एहसान नहीं करती। उन्होंने कहा कि राज्यों से संग्रह होने वाले करों को ही निर्धारित फॉर्मूले के आधार पर उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन प्रदेश को ऐसी कोई सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई है, जो राज्य के विकास में अतिरिक्त रूप में हो।
सुश्री मायावती ने कहा कि केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं के तहत चालू वित्तीय वर्ष के दौरान प्रदेश को 27258 करोड़ रूपये की सहायता उपलब्ध होनी है, जिसके सापेक्ष दिसम्बर तक 55 प्र्रतिशत की धनराशि अवमुक्त की गई है। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति के रूप में दी जाने वाली सहायता केन्द्र सरकार की वचनबद्धता है। लेकिन भारत सरकार द्वारा छात्रवृत्ति के रूप में देय लगभग 2000 करोड़ रूपये की प्रतिपूर्ति अभी तक भी नहीं की गई है। इसके अलावा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत वितरित होने वाले गेहूं व चावल का क्रय किसानों से राज्य सरकार द्वारा किया जाता है और उसकी प्रतिपूर्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है। लेकिन इसको समय से भारत सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति न की जाने की वजह से राज्य पर अतिरिक्त व्यय भार पड़ता है। वर्ष 2009-10 में भारत सरकार को 7814 करोड़ रूपये के बिल प्रतिपूर्ति हेतु प्रस्तुत किये गये, जिसमें से अभी तक केवल 3978 करोड़ रूपये की ही प्रतिपूर्ति की गई है और अभी भी 3370 करोड़ रूपये की प्रतिपूर्ति किया जाना बाकी है।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि इसके अलावा, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत 65 जिलों के 127115 मजरों के विद्युतीकरण के लिए 9226 करोड़ रूपये के प्रस्ताव भारत सरकार के ग्रामीण विद्युतीकरण निगम को भेजे गये हैं। जिनकी स्वीकृति अभी तक प्रदान नहीं की गई है। इसके साथ-साथ प्रदेश में एक हजार से अधिक आबादी वाले सभी मजरों को पक्के सम्पर्क मार्ग से जोड़ने के उपरान्त 500 से अधिक आबादी वाले मजरों को वर्ष 2010-11 तक जोड़े जाने का लक्ष्य केन्द्र द्वारा निर्धारित किया गया है और इन मजरों को जोड़े जाने के लिए 5962 करोड़ रूपये की परियोजनाएं राज्य सरकार द्वारा केन्द्र को भेजी गई हैं। लेकिन इस बारे में भी अफसोस के साथ यह कहना पड़ रहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा इन परियोजनाओं को भी स्वीकृत नहीं किया जा रहा है। इससे प्रदेश के विकास पर जहां एक ओर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, वहीं दूसरी ओर जनमानस में असन्तोष भी उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने कहा कि इन सब तथ्यों से पूरी तरह साफ हो जाता है कि केन्द्र की सरकार उ.प्र. सरकार के साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपना रही है। उन्होंने कहा कि उनका यह मानना है कि प्रदेश से “गरीबी, अशिक्षा, पिछड़ेपन और बेरोजगारी को जड़ से मिटाने के लिए यह जरूरी है कि सभी लोग मिलकर सर्वसमाज के सभी वर्गों के विकास और उनके उत्थान के बारे में गम्भीरता से सोचे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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