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सहारा ने आर्थिक रूप से कमजोर 101 जोड़ों का ‘सामूहिक विवाह समारोह’ सम्पन्न कराया

Posted on 07 February 2013 by admin

ऽ    हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई जोड़ों के विवाह का भव्य समारोह आयोजित
ऽ    वर्ष 2004 से अब तक 1010 नवदम्पतियों को आशीष प्रदान किया गया

pic-1प्रमुख व्यावसायिक समूह सहारा इंडिया परिवार ने आज अपने वार्षिक ‘सामूहिक विवाह समारोह’ के अंतर्गत समाज के आर्थिक रूप से कमजोर 101 कन्याओं का विवाह सम्पन्न कराया। यह प्रति वर्ष सहारा द्वारा सहारा शहर, लखनऊ में पूरी धूमधाम से आयोजित किया जाता है। विभिन्न धर्मों के आर्थिक रूप से कमजोर 101 कन्याओं के एक ही स्थान पर सम्पन्न विवाह का यह आयोजन साक्षी बना। इस वर्ष 90 हिन्दू, 4 मुस्लिम, 4 सिख और 3 ईसाई जोड़ों का इस पवित्र अवसर पर गठबंधन सम्पन्न हुआ। सामूहिक विवाह समारोह वर्ष 2004 से आयोजित किया जा रहा है और यह उसका लगातार दसवां साल है। अभी तक 1010 जोड़ों को आशीर्वाद दिया जा चुका है।
ज्ञातव्य है कि प्रतिवर्ष 101 विवाह के लिए सहारा उन वर-वधु के परिवारों से आवेदन आमंत्रित करता है जो विवाह का खर्चा स्वयं वहन नहीं कर सकते। जांच-पड़ताल की प्रक्रिया पश्चात आवेदकों को समारोह में सम्मिलित किया जाता है। उल्लेखनीय है कि सभी प्रकार की वैवाहिक व्यवस्थाओं जैसे रिश्तेदारों के लिए खाना, वस्त्र, निवास, बरात का स्वागत, कन्यादान, 101 मण्डपों को सजाना आदि सहारा इंडिया परिवार द्वारा किया गया। इसके अतिरिक्त सहारा सभी नवदम्पतियों को उनके इस नये सफर की शुýआत में भी मदद करता है। इस हेतु सहारा द्वारा 2 लाख ýपये से अधिक की गृहोपयोगी वस्तुएं नवदम्पतियों को भेंट की गयीं, जिसमें रंगीन टेलीविजन, फ्रिज, आलमारी, डबल बेड, डेªसिंग टेबिल, आभूषण, वर के लिए सूट व वधु के लिए साड़ी तथा दोनों के लिए कलाई घडि़यां भी प्रदान की गयीं। इन उपहारों को जोड़ों के घर तक पहुंचाने की व्यवस्था भी सहारा इंडिया परिवार निभाता है।

pic-2सन् 1914 में निर्मित अनोखे पैनोराॅमिक कैमरे में कैद हुए नवदम्पति
सामूहिक विवाह समारोह के दौरान प्रत्येक वर्ष एक आकर्षण होता है सन् 1914 में निर्मित विशेष अमेरिकी पैनोराॅमिक कोडक स्टिल कैमरा, जिससे एक ही फोटोग्राफ में 101 युगलों व परिवारजनों के चित्र को कैद किया जाता है। यह कैमरा 360 डिग्री तक घूम सकता है और एकदम सुस्पष्ट चित्र देने की क्षमता रखता है। इस कैमरे में विशेष रूप से बना 10ग7 इंच का निगेटिव इस्तेमाल होता है, जो इस्ट्मैन न्यूयार्क से मंगाया जाता है।
सामूहिक विवाह समारोह के लिए इस कैमरे से फोटो खींचने के लिए सहारा इंडिया परिवार प्रतिवर्ष दिल्ली से फोटोग्राफर अनुज दत्त को आमंत्रित करता है, जिनके अनुसार

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के माननीय राज्यपाल श्री बी.एल. जोशी, मुख्यमंत्री, श्री अखिलेश यादव, मेयर डा. दिनेश शर्मा  व श्री नरेश अग्रवाल ने उपस्थित होकर नवदम्पतियों को आशीष प्रदान किया। इसके अतिरिक्त पूजनीया श्रीमती छबि राॅय- ‘सहाराश्री’ सुब्रत राॅय सहारा जी की माताजी, श्रीमती स्वप्ना राॅय, वाइस चेयरमैन, सहारा इंडिया परिवार, श्री अशोक राॅय चैधरी, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर वर्कर, सहारा इंडिया परिवार तथा श्रीमती कुमकुम राॅय चैधरी, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर वर्कर, सहारा इंडिया परिवार ने भी नवदम्पतियों को आशीष प्रदान किया।
इस अवसर पर सहारा शहर का फूलों से बेहतरीन श्रृंगार किया गया था। जगह-जगह पर रंगोली सजायी गयी थी एवं मंत्रों के पवित्र उच्चारण व नेपथ्य से शहनाई वादन आल्हादित कर रहा था। रिश्तेदार खुशी में नाच रहे थे। उन्होंने अनेक व्यंजनों का स्वाद लिया। विभिन्न समुदायों के विवाह अवसर पर सम्बन्धित धर्म के नामी आचार्यों द्वारा पण्डालों में विधिवत वैवाहिक रस्म पूरी करायी गयी। विवाह समारोह में अनेक गणमान्य अतिथि भी आमंत्रित थे और सहारा इंडिया परिवार के कर्तव्ययोगी कार्यकर्ता भी मौजूद थे। सभी ने दिल से अपनी मुबारकबाद इन नव-विवाहित जोड़ों को दी। इसके पश्चात् नव-विवाहित जोड़ों, उनके परिवारों और अतिथियों के लिए खान-पान का आयोजन किया गया।pic-6
नवदम्पतियों को आशीर्वाद स्वरूप फोटोग्राफ भेंट की गयी जिसमें सभी 101 जोड़ों की फोटो थीं। इस स्वर्णिम अवसर को कैद करने के लिए 1914 में निर्मित विशेष अमेरिकी पेनोराॅमिक कोडक स्टील कैमरा इस्तेमाल किया गया, जो 360 डिग्री तक घूम सकता है और एकदम सुस्पष्ट चित्र देने की क्षमता रखता है। यही कैमरा लोकसभा व राज्यसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के चित्र लेने के लिए भी उपयोग किया जाता है।
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सहारा इंडिया परिवार, भारत में प्रमुख व्यावसायिक संस्थान है। वह विविध सेक्टरों में कार्यरत है जिसमें वित्तीय सेवाएं, जीवन बीमा, म्यूचुअल फंड, हाउसिंग फाइनेंस, इफ्रास्ट्रक्चर एण्ड हाउसिंग, प्रिंट एवं टेलीविजन न्यूज़ मीडिया, इंटरटेंमेंट्स चैनल्स, फिल्म प्रोडक्शन, कन्ज्यूमर मर्केंडाइज रिटेल, हेल्थ केयर, हाॅस्पिटिलिटी, मैन्युफैक्चरिंग, खेल एवं इन्फाॅर्मेशन टेक्नोलाॅजी शामिल हैं।
सहारा इंडिया परिवार देश और देशवासियों के प्रति सदैव अपनी सेवाओं के लिए तत्पर रहता है, जिन्होंने राष्ट्रीयता की बेदी पर अपनी जान कुर्बान कर दी। सहारा इंडिया परिवार की सामाजिक सरोकारों की प्रतिबद्धता इस तथ्य से ज्ञात होती है कि वह अपने लाभ का 25 प्रतिशत प्रत्येक वर्ष सामाजिक विकास-कार्यों में लगाता है। वस्तुतः सहारा इंडिया परिवार के मुख्य अभिभावक, माननीय सहाराश्री, सुब्रत राॅय सहारा की दृढ़ मान्यता है कि प्रत्येक संस्थान को अपने विकास और प्रगति के साथ ही समाज और पूरे राष्ट्र के प्रति अवश्य ही सहयोग करना चाहिए।
सहारा विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों, जिसमें मोबाइल हेल्थ केयर यूनिट शामिल हैं, कार्यरत हैं। संस्थान देश भर में 52 से अधिक मेडिकल वैन महीने के 30 दिन, पूरे वर्ष भर चलाता है और उन दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में जहां चिकित्सा सेवाएं मौजूद नहीं हैं, निःशुल्क प्राथमिक हेल्थ केयर सेवाएं प्रदान करता है। इसके साथ ही सहारा न्यूट्रीशन, साक्षरता, वोकेशनल ट्रेनिंग, शहरी विकास, बिहेवियरल चेंज कम्युनिकेशन और विकलांगों के पुनर्वास जैसे विविध क्रियाकलापों में भी कार्यरत है।
अपने आपदा प्रबंधन पहल के अंतर्गत सहारा राष्ट्र की जरूरत के समय सदैव आगे रहा है, फिर चाहे उड़ीसा का सुपर साइक्लोन हो, गुजरात का भूकम्प हो, राजस्थान का सूखा या उत्तर प्रदेश, बिहार की बाढ़ हो। सहारा ने भीमसार-चकसार गांव, तालुका अंजार में, जिला कच्छ के गांव को पंचायत घर, बस स्टाॅप, पोस्ट आॅफिस, खेल मैदान, प्राइमरी और सेकेण्डरी स्कूल और स्ट्रीट लाइटों जैसी आधारभूत सेवाओं के साथ उसके पुनस्थापित व पुनर्निर्माण के लिए अंगीकृत किया। जब महाराष्ट्र के लातूर जिले में भयंकर भूकम्प त्रासदी हुई, तब भी सहारा इंडिया परिवार जिले के भूकम्प पीडि़त निवासियों की मदद हेतु सामने आया और उसने लातूर के किलारी गांव में भूकम्परोधी मकानों का निर्माण कराया, जिन्हें सम्माननीया मदर टेरेसा जी द्वारा गांव वालों को सौंपा गया। इसके साथ ही सहारा इंडिया परिवार नवम्बर 2008 के मुम्बई आतंकवादी के हमले, दंतेवाड़ा हमले व कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के परिवार को आर्थिक सहायता भी प्रदान करती है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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एडेलगिव फाउंडेशन और राॅकफेलर फाउंडेशन ’रिसोर्स एलायंस‘ के सहयोग से प्रस्तुत करते हैं ‘‘इंडिया एनजीओ अवार्ड्स 2012-13’’

Posted on 05 February 2013 by admin

आवेदन की अंतिम तिथि 28 फरवरी 2013 है

एडेलगिव फाउंडेशन, एडेलवाइस फाइनेंशियल सर्विसेज का लोकोपकारी अंग, ने ’’इंडिया एनजीओ अवार्ड्स 2012-13‘‘ के आयोजन के लिये राॅकफेलर फाउंडेशन एवं रिसोर्स एलायंस के साथ पार्टनरशिप की है। इसका उद्देश्य वित्तीय एवं सांगठनिक स्थायित्व के प्रोत्साहन, संसाधन गतिशीलता पद्यतियों के सशक्तीकरण तथा अन्य गैर लाभकारी संगठनों को प्रेरित कर देश के गैर-लाभकारी क्षेत्र का विकास करना है।

अपने 7 वें वर्ष में प्रवेश कर चुका इंडिया एनजीओ अवाडर््स सामाजिक क्षेत्र का अत्यंत आकर्षक पुरस्कार है तथा उन गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओज) को सम्मानित करता है, जिन्होंने बेहतर मानदंडों व पद्धतियों को अपनाया है तथा जो अपने परिचालनो में विश्वसनीयता एवं पारदर्शिता का प्रदर्शन करते हैं।

यह पुरस्कार एनजीओज द्वारा विभिन्न सरोकारों के क्षेत्र में संचालित असाधारण कार्य को सम्मानित एवं प्रोत्साहित करता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि न सिर्फ विकासशील अर्थव्यवस्था का लाभ अत्यधिक निर्धनो तक पहुंचना चाहिये, बल्कि इससे देश के लिये निर्धारित विकासवादी लक्ष्यों की पूर्ति भी संभव होनी चाहिये।

सुश्री विद्या शाह, निदेशिका एवं प्रमुख, एडेलगिव फाउंडेशन ने कहा कि, ’’पिछले कुछ वर्षों के दौरान एडेलगिव ’एडेलगिव सोशल इनोवेशन आॅनर्स‘ के माध्यम से एनजीओज को सम्मानित एवं पुरस्कृत करता आ रहा है। हम राॅकफेलर फाउंडेशन एवं दी रिसोर्स एलायंस के साथ साझेदारी कर वास्तव में काफी गर्व का अनुभव कर रहे हैं, क्योंकि हमें विश्वास है कि यह सामाजिक क्षेत्र में खोजपरकता के प्रोत्साहन एवं सम्मान के कार्य के लिये एक व्यापक मंच प्रदान करेगा।‘‘

श्री अश्विन दयाल, प्रबंध निदेशक (एशिया) ने इंडिया एनजीओ अवाडर््स के साथ इन नयी पार्टनरशिप्स का स्वागत करते हुये कहा कि, ’’ऐसे समय में जब भारत में एनजीओज काफी अधिक आर्थिक दबाव को झेल रहे हैं, तब राॅकफेलर फाउंडेशन इस समूचे क्षेत्र में जारी खोजपरक कार्यों को प्रदर्शित करने में सहायता करने के लिये इस अग्रणी पहल को समर्थन प्रदान करने के लिये नये साझीदारों को विशेष रुप से प्रोत्साहित कर रहा है।‘‘

वर्ष 2012-13 के लिये इंडिया एनजीओ अवार्ड्स इस अनूठी स्पद्र्धा में भाग लेने के लिये समूचे भारत के सामाजिक क्षेत्र के संगठनो द्वारा आवेदन को आमंत्रित कर रहा है। भारत के वे सभी संगठन, जो ट्रस्ट्स, सोसाइटीज एवं सेक्शन 25 कंपनीज में पंजीकृत हैं तथा सामाजिक एवं पर्यावरणीय सुरक्षा की दिशा में कम से कम तीन वर्षों से कार्य कर रहे हैं, इसमें प्रवेश के हकदार हैं। ऐसे संगठन जो राजनीतिक अथवा धार्मिक सिद्धान्तों का प्रतिपादन करते हैं वे इसमें भाग नहीं ले सकते हैं।

नीलम मखीजानी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, दी रिसोर्स एलायंस ने कहा कि, ’’इनके अवाडर््स ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान एनजीओज की बढ़ती हुयी प्रतिभागिता का दर्शन किया है और आवेदन की प्रक्रिया में काफी व्यापक रुप से इजाफा हुआ है। इससे उन्हें महत्वपूर्ण इन-हाउस प्रबंधन तथा गवर्नेन्स सिस्टम्स को प्रदर्शित करने में सहायता प्राप्त हुयी है तथा प्रायोगिक स्तर पर प्रभाव के प्रदर्शन में भी सहायता मिली है। यह अनूठी पहल गैर लाभकारी क्षेत्र के लिये है तथा इसके लिये ही संचालित की जा रही है।‘‘

तीनो श्रेणियों में कुल पुरस्कार राशि प्रत्येक के लिये 4 लाख रुपये है, जो कि एक ट्राफी के साथ वर्ष 2011-12 के लिये उनके वार्षिक बजट (लघु वार्षिक बजट 1 करोड़ रुपये के नीचे, मध्यम-आर्थिक बजट 1 से 5 रुपये करोड़ के बीच तथा विशाल वार्षिक बजट 5 करोड़ रुपये से ऊपर) पर आधारित है। दो एनजीओज ’’राइजिंग स्टार‘‘ श्रेणी के अन्तर्गत एक ट्राॅफी से सम्मानित किये जायेंगे। सभी फाइनलिस्ट्स एक केसबुक और एक फिल्म में प्र्रदर्शित किये जायेंगे।

आवेदन प्राप्त करने की अंतिम तिथि 28 फरवरी 2013 है, इसके बाद प्रविष्टियों की शाॅर्ट-लिस्टिंग की जायेगी। संगठनों को अग्रवर्णित मानदण्डों पर मूल्यांकित किया जायेगाः

स्थानीय समुदायों सहित प्रोग्राम एवं प्रोजेक्ट वर्क के समर्थन में संसाधनो के गतिशीलन की        स्थायित्वपूर्णता तथा प्रभावशीलता

वित्तीय व मानव संसाधन, बेहतर शासकीय पद्धतियों, पारदर्शिता व विश्वसनीयता तथा प्रभावी संचार के सक्षम प्रबंधन का प्रदर्शन

उनके लक्षित समुदायों को स्थायी लाभों को उपलब्ध कराने के कार्य का प्रभाव

प्रोग्राम एवं प्रोजेक्ट गतिविधियों में खोजपरकता, उनका क्रियान्वयन एवं स्थायित्व को सुनिश्चित करने के उपाय

नियोजन में लिंग संवेदनशीलता, कार्यक्रम/पहलों का क्रियान्वयन व प्रभाव

उपरोक्त योग्यता की पूर्ति करने वाले आवेदकों को आकलन करने वाली एक टीम द्वारा साइट विजिट के लिये शाॅर्टलिस्ट किया जायेगा। इस साइट विजिट्स के द्वारा 12 संगठनो को फाइनलिस्ट्स के रुप में चयनित किया जायेगा। बाद में फाइनलिस्ट्स को अपने मामलों को एक प्रतिष्ठित ज्यूरी के सामने प्रस्तुत करने का एक अवसर प्रदान किया जायेगा, जो तीन राष्ट्रीय एवं दो राइजिंग स्टार विजेताओं का चयन करेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि समाज को बांटने का माध्यम

Posted on 14 October 2012 by admin

शूद्र जैसी फि़ल्में मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि समाज को बांटने का माध्यम सिद्ध होंगी क्योंकि अब इस आधुनिक सभ्य समाज में वह सबकुछ संभव नहीं जैसा कि उक्त फि़ल्म में दिखाया जा रहा है। दलितों के लिए मंदिर में प्रवेश वर्जित है। ठाकुरों को मारकर शूद्र पेशाब करते हैं। ब्राह्मण शूद्र के बेटे की जुबान कटवा देते हैं क्योंकि वो ¬ नमः शिवाय महामंत्र बोलता है। सेंसर बोर्ड को भी हम कहना चाहते हैं कि उक्त विघटनकारी फि़ल्म का प्रसारण तत्काल रोक लगायें। उक्त बात बजरंग दल के प्रान्त संयोजक राकेश वर्मा ने प्रेसवार्ता में कही। क्योंकि इस पिक्चर का उद्देश्य हिन्दू समाज में जातीय संघर्ष को बढ़ावा देना और सामाजिक विघटन पैदा करके जातीय हिसा को भड़काना है।
वर्तमान  भारत में अपवाद स्वरूप भी उक्त पिक्चर में दिखाई गई घटनाएं नहीं हो रही हैं क्योंकि इस तीव्रता वाले समाज में उक्त घटनाएं संभव हो नहीं दिखती। 1947 में प्राप्त हुई स्वतंत्रता के पश्चात् भी किसी दलित का मंदिर में प्रवेश नहीं हो रहा है। पूजा करने से रोका जा रहा है।
प्रान्त संयोजक वर्मा ने कहा कि जैसा फि़ल्म के ट्रेलर को देखने से पता चलता है जिस प्रकार के अत्याचार, अनाचार, जातीय विद्वेष का चित्रण इसमें है। अब कहीं देखने में नहीं आता। हो सकता है पूर्व के समय में ऐसा कुछ हुआ हो परन्तु अब इस हाइटेक युग में उक्त फि़ल्माई गई बातें संभव नहीं हैं।
अब तो मदिरों में दलित, पिछड़े वर्ग के पुजारी भी होने लगे हैं। सभी को पूजा का समान
अधिकार प्राप्त है। साथ में ही उठ-बैठकर भोजन-पानी होता है। घरों में एक-दूसरे के आना-जाना भी होता है। ऐसे में यह फि़ल्म पूर्ण रूप से हिन्दू समाज को बांटने का षडयंत्र है।
बजरंग दल इसे सहन नहीं करेगा और प्रदेश सरकार से यह मांग भी करता है कि इस फि़ल्म के उत्तर प्रदेश मं रिलीजिंग पर रोक लगाये अन्यथा इसे रोकने हेतु सिनेमा हाॅलों पर धरना-प्रदर्शन के साथ ही पूरे प्रदेश में प्रचंड आंदोलन किया जायेगा और मा. न्यायालय में भी उक्त प्रकरण को पहुंचाया जायेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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विकलांगता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों/ स्वैच्छिक संगठनों को पुरस्कृत करने हेतु आवेदन पत्र आमंत्रित

Posted on 09 August 2012 by admin

‘विश्व विकलांगता दिवस’ के अवसर पर भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार योजना के तहत विकलांगता के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों/स्वैच्छिक संगठनों से आवेदन पत्र आमंत्रित किये गये हैं।
निदेशक, विकलांग कल्याण श्री हरि लाल पासी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस संबंध में समस्त जिलाधिकारियों को परिपत्र जारी कर दिया गया है। उन्होंने बताया इन पुरस्कारों के लिये पूर्व प्रेषित निर्धारित प्रारूप अथवा भारत सरकार की वेबसाइट www.socialjustic.nic.in पर उपलब्ध आवेदन प्रारूप पर आवेदन पत्र आमंत्रित किये जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि अन्तर्राष्ट्रीय विश्व विकलांगता दिवस प्रतिवर्ष 3 दिसम्बर को मनाया जाता है। इस वर्ष भी 3 दिसम्बर को अन्तर्राष्ट्रीय विश्व विकलांगता दिवस के अवसर पर इस क्षेत्र मंे उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों/विकलांगता के क्षेत्र में कार्यरत स्वैच्छिक संगठनों, सेवायोजकों को भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा पुरस्कार दिया जायेगा। जिन क्षेत्रों में पुरस्कार दिये जायेंगे वे हैं स्वतः रोजगाररत दक्ष विकलांग व्यक्ति/कर्मचारी, उत्कृष्ट विकलांग कर्मचारी, उत्कृष्ट सेवायोजक एवं प्लेसमेन्ट अधिकारी, व्यक्ति विशेष, उत्कृष्ट संस्था, उत्कृष्ट रोल माडल, विकलांगों के लिए बाधारहित वातावरण का निर्माण, विकलांगजन के पुनर्वासन के क्षेत्र में कार्य, उत्कृष्ट जनपद, उत्कृष्ट लोकल लेवल कमेटी, उत्कृष्ट चैनेलाइजिंग एजेंसी, असाधारण सृजनात्मक कार्य, उत्कृष्ट ब्रेलप्रेस तथा उत्कृष्ट एससेबल वेबसाइट।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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भारत ज्योति की रजत जयन्ती पर उपभोक्ता श्री पुरस्कार 2011

Posted on 18 September 2011 by admin

bhrat-jलखनऊ में स्थित सामाजिक सुधार और उपभोक्ता संरक्षण संस्था भारत ज्योति इस वर्ष अपनी रजत जयन्ती मना रहा है।
जाने माने लोगों के द्वारा की गयी समाज सेवा और अनमोल योगदान की सराहना करने के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले भारत ज्योति उन्हें हर साल उपभोक्ता श्री पुरस्कार से सम्मानित करते आ रहे हैं।
इन दिग्गजों में कोई इंजीनियर, सरकारी आॅफिसर, समाज सेवक, अध्यापक तो कोई पत्रकार है और सब न्याय, शान्ति और सुरक्षा की लडाई लड रहे हैं। इस वर्ष पुरस्कार वितरण समारोह 17 सितम्बर 2011 को एम बी क्लब में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर राज्य उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग, यू. पी. न्याय भंवर सिंह मुख्य अतिथि होंगे और डा. आर एम माथुर शिष्टाचार तथा गरिमा के स्वामी हैं।
श्री भंवर सिंह ने कहा कि यह बडा ही सराहनीय कार्य है जो भारत ज्योति संस्थान द्वारा सम्पन्न किया गया है। उन्होने कुछ जानी मानी हस्तियों को पुरस्कृत किया। भारत ज्योति पिछले 25 सालों से सामाजिक सुधार की गतिविधियों से जुडा हुआ है खासकर निचले और पिछडे लोगों के उद्धार से। वे समाज में पिछडे और गरीब तथा मांनसिक और शारीरिक रुप से विकलांग विद्यार्थियों को हर साल छात्रवृत्ति प्रदान भी करते आ रहे हैं। उन्होंने हर वर्ष स्कूल और काॅलेजों में वाद-विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया है ताकि नई पीढी को उपभोक्ता और सामाजिक विषयों के बारे में जानकारी मिल सके। श्री भंवर सिंह कहा ने कि भारत ज्योति संस्थान इसी तरह कार्य करता रहे, यही हमारा उद्देश्य है।
जिनको पुरस्कार मिला है उनके नाम हैं श्री गोपबन्धु पटनायक आई ए एस, यू. पी. सरकार एच.ई. के प्रधान सचिव, श्री जोगेश सिंह शोंधी, उत्तर रेलवे के प्त्ैम्ए क्त्ड , प्रो. साबरा हबीब, लखनऊ यूनीवर्सिटी, श्री कृष्णन सिंघल, पुरालेख-शास्त्री और फलित ज्योतिषी, कु. कुलसुम तलहा, सीनियर पत्रकार और  डेवलपमेन्ट कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट, डाॅ. किस्मेत सागर, इंडियन इन्फाॅरमेशन सर्विस और समाज सेवक, श्री चन्द्र प्रकाश, समाज सेवक और मानव कल्याण के प्रति कार्यरत। समारोह में पुरस्कृत व्यक्ति अपने विचार व्यक्त किये और भारत ज्योति का धन्यवाद किया, जिसने उनके द्वारा किये गये कार्यों को पहचाना और उनका सम्मान किया।
भारत ज्योति के फाउण्डर प्रेसीडेन्ट श्री विजय आचार्य, संस्थान के बारे में संक्षेप में बताया और उसके उद्देश्यों का खुलासा किया। श्री पवन ग्रोवर भारत ज्योति की वेबसाइट ीजजचरूध्ध्ूूूण्इींतंजरलवजपण्वतहण् के द्वारा उसकी पहुंच और उसके प्रदर्शन पर एक नजर डालंेगे।
2009 में भारत ज्योति ने नौबस्ता खुर्द, मडियांव नाम का एक स्कूल  भी शुरु किया जो कि बच्चों के लिए है जिन्हें पढाई के बारे में जागरुकता न होने और गरीब होने के कारण स्कूल जाने को नहीं मिला। अपने मानवीय उत्थान के कार्य को और बढाने के मकसद से भारत ज्योति के लोकोपकारक ने रैठा गांव, बक्शी-का-तलब में एक जमीन का टुकडा खरीदा ताकि वो ग्रामीण नौजवानों को रोजगार की शिक्षा दे कर उनका प्रोत्साहन कर सके। ये शिक्षा जल्द ही शुरु की जायेगी।
25 साल के अवसर पर भारत ज्योति का महिला विभाग एक मनोरंजक संास्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करेगा जिसमे हिस्सा लेने वालों के दिल और दिमाग दोंनो ही मजबूत होंगे। इस कार्यक्रम में शहर की कई बडी हस्तियां, ज्ञानी और दिग्गज लोग भारत ज्योति के सराहनीय कार्यों में चार चांद लगाने के लिए शामिल होंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए नव-परिवर्तन

Posted on 07 September 2011 by admin

असाधारण नव परिवर्तनों को मान्यता, बढ़ावा और सहयोग प्रदान करने के उद्देश्य के साथ, जो भारत भर में सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन को गति दे रहे है। इडिलगिव फाउण्डेशन, एडिलवाइस फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड(पहले एडिलवाइस कैपिटल लिमिटेड के नाम से प्रसिद्ध) की परोपकारी संस्था ने आज यहाँ ‘‘इडिलगिव सामाजिक अभिनव सम्मान 2012-महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए नव-परिवर्तन’’ के प्रारंभ की घोषणा की। इस पुरस्कार की यह चैथी सफल वर्श है। पिछले तीन वर्षों से, इडिलगिव ने सामाजिक अभिनव पुरस्कार के रूप 1.81 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं और विभिन्न गैर सरकारी संगठनों द्वारा समाज के लिए किए गए अद्वितीय कार्यों को मान्यता प्रदान कर प्रकाश में लाया है।
इडिलगिव सामाजिक अभिनव सम्मान का उद्देश्य, ऐसे संगठन जो अपने विष्टि दृष्टिकोण से भारत में महिलाओं को असंख्य चुनौतियों से निपटने में मदद और लगातार अपने नवीनतम कार्यों से महिलाओं को सशक्त बनाने में प्रयासरत हैं उन संगठनों को पहचान और उन्हें वित्तीय पुरस्कार प्रदान करना है। इस वर्ष के विजेताओं का चयन चार श्रेणियों के अन्र्तगत किया जायेगा जिसमें स्वास्थ्य और कल्याण, शिक्षा, आर्थिक सुरक्षा व आजीविका और महिलाओं के अधिकार व प्रतिनिधित्व शामिल होगा।
फाउण्डेशन के कार्यकारी निदेशक और प्रमुख, सुश्री विद्या शाह ने बताया, ‘‘हमारे देश में बढ़ती अर्थव्यवस्था होने के बावजूद, अभी भी 50 प्रतिशत से अधिक लड़कियाँ स्कूल नहीं जा पाती और ग्रामीण भारत में 7 लड़कियों में 1 लड़की की शादी 13 वर्ष की आयु से पहले कर दी जाती है। आज भी, मातृक स्वास्थ्य देखभाल की कमी से 70 में से 1 महिला को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ता है और अभी भी महिला श्रमिकों को पुरूष श्रमिकों की तुलना में कुल मजदूरी का 40 से 60 प्रतिशत ही दिया जाता है। इन खौफनाक तथ्यों को दूर करने तथा प्रगति के लिए नये प्रयासों की आवश्यकता है। पिछले तीन वर्षों में, हमने इडिलगिव सामाजिक अभिनव सम्मान के माध्यम से ऐसे संगठनों को पहचान कर बढ़ावा और सहयोग दिया जिन्होंने इन ज्वलनशील मुद्दों से निपटने के लिए नये प्रयास किए हैं और ऐसे प्रभावशाली संगठनों को भी जो भारतीय सामाजिक क्षेत्र में प्रणालीगत और स्थायी बदलाव ला रहे हैं। हमें गर्व है कि हमने कई ऐसे संगठनों को सहयोग किए हैं जो महिला सशक्तिकरण अभियान को आगे बढ़ाकर सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन को गति प्रदान कर रहे हैं।’’
पुरस्कार के लिए नामांकन पंजीकरण करने की अंतिम तिथि 23 सितंबर, 2011 है। पुरस्कार के लिए संगठनों को 4 मूल्यांकन प्रक्रियाओं जिसमें आवेदनों को शामिल करने, आन्तरिक जूरी द्वारा आवेदनों का संक्षिप्त चयन, टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोषल साइंसेज (टीआईएसएस) से क्षेत्र मूल्यांकनकत्तओं द्वारा संबंधित क्षेत्र का दौरा और अंतिम चयन कार्पोरेट, मीडिया और सामाजिक क्षेत्र के प्रमुख सदस्यों की एक बाहरी जूरी द्वारा की जायेगी। इडिलगिव सामाजिक अभिनव सम्मान 2012: महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए नव-परिवर्तन के विजेताओं की घोषणा 19 जनवरी, 2012 को किया जायेगा।  पुरस्कार के लिए आवेदन हेतुhttp://www.edilgive.org/honours/htm देखें या इडिलगिव फाउण्डेशन के फोन नं. 022-65240579 पर सम्पर्क करें।  पूर्ण और हस्ताक्षरित आवेदन फार्म 23 सितम्बर, 2011 के षाम 5ः00 तक इडिलगिव फाउण्डेशन, एडिलवाइस हाऊस, आॅफ-सीएसटी रोड, कलिना, मुम्बई-400 098 पर भेंजे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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शिक्षा से ही होगा हर गरीब मजदूर का विकास - सी0डी0ओ0

Posted on 04 May 2011 by admin

मानव जाति की खुशहाली के लिए मई दिवस हमें सघर्षशील बनाता है

भूमि कब्जा, पेयजल, संपर्कमार्ग, जाबकार्ड, राशनकार्ड के छाये रहे मुददे

कवि सम्मेलन के माध्यम से रचनाकारों ने जागरूक किया मजदूरों को

विश्व मजदूर दिवस पर गरीबी के अंतिम पायदान पर जूझ रहे, सहरिया आदिवासियों ने बढ़चढ़कर लिया हिस्सा

ललितपुर -जनपद के सर्वाधिक पिछड़े मड़ावरा ब्लाक में बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान, चिनगारी संगठन, सहरिया जन अधिकार मंच एवं रोजगार हक अभियान के तत्वाधान में विश्व मजदूर दिवस के अवसर पर खेतिहर एवं जाबकार्ड धारक मजदूर सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी बुद्विराम एवं विशिष्ठ अतिथि परियोजना निदेशक राजीव लोचन पाण्डेय, उपजिलाधिकारी महरौनी आर.के. श्रीवास्तव रहे। गांव-गांव से आये सहरिया आदिवासी मजदूरों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली, सम्पर्क मार्ग, आवास, राशन कार्ड, पटटा भूमि कब्जा वंचित, आजीविका, यातायात आदि से संबंधित मुद्दों को दूर-दूर के गांवों से आये हजारों की संख्या में महिला-पुरूषों ने प्रार्थना-पत्रों के माध्यम से अपनी-अपनी बात रखी जिस पर अधिकारियों ने एक सप्ताह के अंदर समस्याओं के निराकण का आश्वासन दिया।
ब्लाक मुख्यालय परिसर में आयोजित विश्व मजदूर दिवस के अवसर पर खेतिहर एवं जाबकार्ड धारक मजदूर सम्मेलन में मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी बुद्विराम ने कहा कि शिक्षा विकास के हर रास्ते प्रसस्त करती है। कहा कि जरा अपने बारे में सोचिये, देश को आजाद हुए एक लम्बा अरसा बीत गया किन्तु इसके बाद भी आप लोग वैसे के वैसे क्यों हैं। अपने बच्चों को पढायें तभी सही मायने में विकास की धारा से जुड सकेंगेे। मैं भी गरीब का बेटा हूं। गरीब हैं तो गरीबी कैसे कम हो इसके बारे में चिंतन करना होगा। सरकार की योजनाओं की सही जानकारी हो और सही लाभ मिले इसके लिए जागरूकता कार्यक्रमों में आकर सुनना और उनका अनुपालन करना सीखना होगा। बच्चों को शिक्षित करने पर ही गरीबी कम होगी। जब बच्चा पढ जायेगा तो उसकी नौकरी लग सकती है एवं वह जहां भी रहेगा अपने रोजी रोटी की व्यवस्था कर लेगा तथा जब उसका पेट भरेगा तभी वह अपने मां बाप एवं अन्य के बारे में सोचेगा। इसलिए यदि जीवन में खुशहाली लाना है तो शिक्षा को अपना कर अपने घरों को रोशन करें। कहा कि आवास का पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में आता है, यदि कोई कोई अधिकारी समय से पैसा नहीं निकालता या फिर पैसा मांगता है तो उसकी सिकायत करें, कार्यवाही की जायेगी। कई जगह लाभार्थी आवास का पैसा निकालकर खा जाते है और आवास अधूरा पडा रहता है इसलिए आप लोग आवास का पैसा आवास में ही खर्च करें और समय से कार्य पूरा कराके गांव एवं जिले की तरक्की में सहयोग करें। जो गांव अम्बेडकर गांव में आ गये हैं वहां पर कोई भी गरीब आवास से वंचित नहीं होगा।
परियोजना निदेशक राजीव लोचन पाण्डेय ने कहा कि मजदूर अपने जाबकार्ड का महत्व समझें। साल मे 100 दिन का रोजगार का मतलब है कि गरीब को 10000 रू0 का काम मिलना ही है, जिससे कोई भी परिवार न तो पलायन करेगा और न ही भूखों मरेगा। वैसे तो हर गांव में काम चल रहे हैं किन्तु यदि किसी गांव में काम बंद है या फिर काम नहीं मिल रहा तो काम की मांग करे, फोन पर या फिर पत्र द्वारा सूचना दें, उन्हें तत्काल काम दिलाया जायेगा। कहा कि बुन्देलखण्ड मे मजदूर को सिर्फ 60 घन फिट मिटटी ही निकालनी पडती है इसके बाद भी लोग सही तरीके से काम नहीं करते हैं। आधा अधूरा काम करते हैं जिससे जब एमबी बनती है तो कम पैसा निकलता है, इसलिए आप लोग पूरा काम करें, और पूरी मजदूरी लें तभी बदलाव आयेगा। यदि मजदूरी मिलने में किसी कारण से विलम्ब हो रहा है तो संबंधित विकास अधिकारियों को अवगत करायें।
उपजिलाधिकारी आर.के. श्रीवास्तव ने कहा कि पटटा भूमि कब्जा से वंचित परिवारों को हर दशा में उनकी जमीन में उनकों कब्जा दिलाया जायेगा। कहा कि लेखपालों को संबंधित गांवों में लगाकर सहरिया आदिवासी परिवारों को कब्जा दिलाया जायेगा। जो दबंग जमीनों का कब्जा नहीं छोडेंने का प्रयास करेंगें उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर कब्जा दिलाया जायेगा। कहा कि आप लोग फोन या फिर लिखित में पत्र देकर अवगत करायें तत्काल कार्यवाही कर समस्या का निराकरण किया जायेगा।
अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के संस्थापक वरिष्ठ समाज सेवी गोपाल भाई ने कहा कि बुन्देलखण्ड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। चाहे कवि हों या फिर मृदंग वादक, लोककलाओं के धनी इस क्षेत्र की सम्पदाओं का दोहन करके यहां के लोगों को गरीब बनाया गया है। प्राकृतिक संतुलन को विगाड़कर हम बडे़-बड़े भवन खडे कर रहे हैं। जिससे बडे-बडे पहाड एवं वृक्ष नष्ट हो रहें है। पहाडों को खनन की परमीसन भी जिम्मेदार अधिकारी ही देते हैं। इसलिए इसपर गहन चिंतन की जरूरत है। इतिहास में जिस प्रकार से कवियों ने जागरूकता के लिए कवितायें लिखकर लोगों को जगाने का काम किया था आज जरूरत फिर से है कि कविताओं के माध्यम से समाज को जगाया जाये तभी समस्याओं के निराकरण की हम बात कर सकते हैं।
नेहरू महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो0 भगवतनारायण शर्मा ने ठेट बुन्देली बोली में अपने उदगार व्यक्त करते हुए जनजाति समुदाय से सीधा संवाद किया। उन्होंने कहा कि मानव जाति की खुशहाली के लिए मई दिवस हमें सघर्षशील बनाता है। कहा कि वेतन भोगी संगठित क्षेत्र में सिर्फ 2.6 करोड़ कर्मचारी ही आते हैं, पर खंेतिहर मजदूर गरीब किसान, निर्माण मजदूर, शिल्पकार आदि वंचितजनों जिनकी तादाद 80 करोड़ है अंसगठित क्षेत्र में माने जाते हैं, परन्तु देश की सकल आय ‘‘जी.डी.पी.‘‘ में इनका हिस्सा 50 प्रतिशत से अधिक है यदि इन करोडों बेजुबानों द्वारा अर्जिम राष्ट्रीय आय का एक प्रतिशत हिस्सा ईमानदारी से खर्च किया जाये तो न जाने कितने मुरझाये चेहरों पर मुस्कान खिल सकती हैं। कितने ही सूखे खेतों में रूठी हरियाली दौड़ सकती है, परन्तु पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर युवा नेता राहुल गांधी तक आते-आते अभी यह तयं ही नहीं हो पा रहा है कि 5 पैसे से लेकर 15 पैसे तक जरूरतमंदों के जेबों तक क्यों पहुंच रहे हैं, और 85 प्रतिशत धन किसकी जेब में पहुंच रहा है। प्रो0 शर्मा ने आगे कहा कि जिस दिन असंगठित क्षेत्र के श्रमिक संगठित हो जायेंगें उस दिन निर्माण और विकास का आदेश दिल्ली और लखनऊ से न आकर ग्रामीण धरातल से नीचे से उपर की ओर जाने लगेगा और सिर के बल खड़ा तंत्र अपने पावों के बल पर खड़ा हो जायेगा, बसर्ते कि दायें-बायें देखे बिना कोटि-कोटि मजदूर परस्पर संगठित रहने के सत्य पर अपनी अर्जुन दृष्टि जमायें रहें। एक का दुःख सबका दुःख की भावना से प्रेरित विश्व मजदूर दिवस अपने गर्भ में विराट सामाजिक रूपांतरण की प्रजण्ड शक्ति धारण किये है। ये मानव जाति की खुशहाली के लिए हमें सतत संघर्षशील बनाती है।
बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान के मंत्री वासुदेव ने कहा कि 1 मई 1886 को अमेरिका के सबसे बडे़ औद्योगिक नगर केन्द्र शिकागों में 8 घण्टें के कार्य दिवस तथा मजदूरों की बेहतर कार्य दशाओं की मांग को लेकर शांती पूर्वक की जाने वाली हड़ताल के क्रम में उतपीड़क नियोक्ता उद्योगपतियों की शह पर जिन 7 निर्दोष मजदूर नेताओं को न्यायिक प्रक्रिया का स्वां्रग रचाते हुए जिस प्रकार निर्ममता पूर्वक फंासी पर चढ़ा दिया गया उन्हीं शहीदों की याद पर आयोजित विश्व मजदूर दिवस में मडावरा क्षेत्र के दूर दराज के गांवों के लोगों ने आकर अपनी एक जुटता एवं भाई चारे का प्रर्दशन किया है। यह ऐतिहासिक घटना है। अब इस क्षेत्र का गरीब मजदूर जागरूक एवं संगठन की राह पर चल पड़ा है
चिनगारी संगठन के अर्जुन सहरिया ने समस्याओं का सात सूत्रीय ज्ञापन सी0डी0ओ0 एवं उपजिलाधिकारी को सौंपते हुए कहा कि मडावरा ब्लाक जिले का सर्वाधिक पिछडा ब्लाक है जहाॅ पर शिक्षा साक्षरता का प्रतिशत बहुत कम है । यहाॅ दलित, सहरिया, गौड आदिवासी सुदूर जंगलो में बसे है जिसके कारण शिक्षा स्वास्थ्य, आजीविका, यातायात, पानी बिजली के सुविधाओ से वंचित है कुर्रट, लखंजर, नीमखेडा जैसे एक दर्जन गाॅव वन विभाग के कडे कानूनो के कारण सर्वागीण विकास से नही जुड पा रहे है। बच्चे तथा महिलाऐ अमानवीय जीवन जीने को मजबूर है। सहरिया आदिवासी परिवारों के गरीबी रेखा से ऊपर उठने में कृषि आधारित आजीविका का प्रमुख आधार भूमि है। सरकार द्वारा दिये गये पट्टे की भूमि में आज भी गरीब आदिवासी को कब्जा नही मिल रहा पा रहा है। उच्चाधिकारियों के  आदेशों का पालन स्थानीय लेखपाल सही ढ़ग से नही करते है। मडावरा क्षेत्र के 22 गावों के 101 पट्टेदारो की भूमि में उनको अब तक कब्जा नही मिल पा रहा है भूमि माप एंव कब्जा दिलाओ अभियान चलाकर कब्जा दिलाया जाये। इसके साथ ही सभी भूमिहीनों को आवासीय पट्टा अनिवार्य रूप से दिया जाये। जिन अनुसूचित जाति एंव जनजाति के लोगों के पास आवासीय भूमि नही के बराबर है, उसे आवासीय जमीन खरीद कर पट्टा दिया जाये। 10 वर्ष पुरानें पटटेदारों को जो भूिमधर बन चुके है और उनको अब तक मौके में खेत पर कब्जा नही मिला उसे भी मौके में कब्जा दिलाया जायें। वर्तमान में लेखपाल पुराने पटटेदारो को भूमिधर घोषित होने पर कब्जा नही दिलातें है। गरीबो को हदबन्दी दायर करने को लेखपाल प्रेरित करते है यह प्रक्रिया गरीबो के लिये काफी खर्चीली है। 5-10 हजार रू0 तहसील में जमा करना होता है। ग्राम सभा में तालाबों के पटटे गरीब आदिवासी परिवारो को तथा ढीमर परिवारो को मछली पालन के लिए दिये जायें। जिस ग्राम सभा की जमीन पर जिस भूमिहीन का कब्जा 1 मई 2007 से है, उसका उस जमीन पर 122 बी 4 एफ, वह 123 एक के आधार पर नाम दर्ज किये जायें। मडावरा ब्लाक में 132 प्राईमरी एंव 76 जूनियर विद्यालय है इन विद्यालयो में शिक्षको की कमी है जिससे बच्चों की पढाई ठीक से नही हो पा रही है। 18 प्राईमरी विद्यालय मे 18 शिक्षामित्र नही है और 5 विद्यालयो में शिक्षको का अभाव है। तीन जूनियर विद्यालयों मे अध्यापक नही है जिससे  सहरिया आदिवासी गरीब दलित बच्चे सबसे अधिक प्रभावित है मिडडे-मील भी समुचित ढंग से नही मिलता है आदिवासी बच्चो  के साथ भेदभाव किया जाता है।
घनघोर जंगल के बीच बसे गावों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जंगल के गांव लखंजर, पापरा, ठनगना, बारई, कुर्रट, जैतुपुरा, आदि के बच्चे तथा महिलाऐं स्वास्थ्य सुविधा से वंचित है। गर्मी और बरसात में मौसमी बीमारिया फैल जाती है कई दुखद घटनाऐं घट जाती है।
अप्रैल माह में किये गये सर्वेक्षण के आधार पर मडावरा ब्लाक के कुल 43 गावों के 432 हैण्डपम्पो में से 99 हैण्डपम्पों ने पानी देना बन्द कर दिया है। इसी प्रकार कुल 224 कुओं में से 98 कुऐं बेकार हो गये है। क्षेत्र में पेयजल संकट समाप्त करने हेतु हैण्डपम्पो को ठीक कराने तथा कुओ की मरम्मत कराने की अत्यन्त आवश्यकता है। ब्लाक के 23 गावों में जिनमे से हनुमतगढ, जलंधर, खैरपुरा, गिरार, विरोंदा, बम्हौरीखुर्द, मानपुरा, गरौलीमाफ, हीरापुर, टपरियन, बडवार, परसाटा, टोरी, सकरा, सागर, टौडीखैरा, हसेरा, सोरई सीरोन, कुर्रट, जैतुपुरा, ठनगना, हीरापुर में मनरेगा के माध्यम से कोई काम नही चल रहा है जिसके कारण गरीब लोग परेशान हैं। 5 ग्राम गरौली माफ, धौरीसागर, टोरी, हसेरा, जैतुपुरा की कुल 35 परिवारो की मजदूरी अभी तक शेष है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्र्तगत मडावरा ब्लाक के 18 गाॅव यथा हनुमतगढ, जलंधर, खैरपुरा, इमलिया, विरोंदा, बम्हौरीखुर्द, नीमखेडा, परसाटा, धौरीसागर, सेमरखेडा, सकरा, सागर, भौती, सीरौन, मदनपुर, दलपतपुर, जैतुपुरा, सोल्दा में राशन कार्ड धारको कों सस्ता अनाज गेहू, चावल, मिटटी का तेल, नही मिल पा रहा है। कोटेदार गरीबों की सामाग्री उन्हे नही दे रहे है।
सम्मेलन में खण्ड विकास अधिकारी एम.के. दीक्षित, देवब्रत क्षेत्रीय प्रबंधक एक्शन एड लखनऊ, समीनाबानों पी.ओ. एक्शन एड लखनऊ, चिनगारी संगठन की शीलरानी सहरिया, सरजूबाई रैकवार, अजय श्रीवास्तव साईं ज्योति, संजय सिंह परमार्थ, मनोज कुमार कृति शोध संस्थान महोबा, सहरोज फातिमा चित्रकूट, बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान के मानसिंह, रनवीर सिंह, राहत जहां, कौशर जहां, ऊषा सेन, श्रीराम कुशवाहा, मईयादीन, अनिल तिवारी,, बृजलाल कुशवाहा आदि मौजूद रहे। सुरक्षा की दृष्टिकोंण से थानाध्यक्ष मडावरा शमीम खांन कार्यक्रम में मौजूद रहे।

‘‘खुद झोपडी में रहते औरों के घर बनाते, मजदूर धूप में भी अपना लहू बहाते‘‘

विश्व मजदूर दिवस के अवसर पर खेतिहर एवं जाबकार्ड धाराक मजदूर सम्मेलन साहित्यक संस्था हिन्दी उर्दू अदबी संगम द्वारा कवि सम्मेलन एवं मुषायरे के द्वारा कवियों एवं रचाकारों द्वारा कविताओं के माध्यम से मजदूरों को जागरूक करने का काम किया गया। एडवोकेट रामकृष्ण कुशवाहा ने कहा कि पेट्रोल बनकर लहू मजदूरों का जलता है, तरक्की का रास्ता मेहनत से निकलता है, गरीबी का अहसास कहां है अमीरों को, मजदूरों के घर में चूल्हा कैसे जलता है। मु0 शकील साहब ने कहा कि खुद झोपडी में रहते औरों के घर बनाते, मजदूर धूप में भी अपना लहू बहाते। रचनाकार हरिनारायण पटेल ने कहा कि जागों ये मजदूर किसानों, वक्त गुजरता जायेगा, हम जग के हर दुखयारे को , नया संदेशा लायेगें। कवि किशन सिंह बंजारा ने कहा कि भाई बहिनों पेड लगायें, एक नहीं दो चार लगायें, इन्हें देखकर लोगों के मन में भी होगा विचार, लगाओ पेड़ खुशी से यार। अख्तर जलील अख्तर ने कहा कि अख्तर किसी की भूख की शिददत तो देखिये, कपडों में कोई पेट का पत्थर छिपाये हैं। शायर नंदलाल पहलवान ने कहा कि गरीब भी मजदूर भी बन सकता है हाकिम, बाबा साहब ने ऐसा करके दिखा दिया। कवि दशरथ पटेल ने कहा कि जाओ देखो भारत की तस्वीर, कोऊ खां न मिलहें सूखी रोटी, कोऊ कोऊ खाये खीर, कोऊ खों नैया मठा महेरी, कोऊ खाये दूध पनीर, जा देखौं भारत की तस्वीर। शिखरचंद मुफलिस ने कहा कि कौन मां के पेट से लाया तिजोडी, नग्न दफनाये गये लाला, करोडी। कवियों की जागरूगता की रचनाओं ने क्षेत्रीय लोगों को नयी ऊर्जा देने का काम किया, जिन्हें लोगों ने खूब सराहा। सम्मेलन में कवि किशन सिंह बंजारा, गीतकार हरीनारायण पटेल, शायर मोहम्मद शकील, कालूराम कुशवाहा, कवि दशरथ पटेल, अख्तर जलील अख्तर, शायर नंदलाल पहलवान, शिखर चंद्र मुफलिस, रामकिशन सिंह कुशवाहा आदि ने रचनाओं के माध्यम से सशक्त करने का काम किया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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बुंदेलखंड में भी किराये की कोख की दस्तक

Posted on 07 September 2010 by admin

आधुनिक जीवनशैली, महंगे शौक, धन और सैर-सपाटे की चाह में भारत के लड़के शुक्राणु और लड़कियां अंडाणु बेचने में जरा भी हिचक नहीं रहे हैं। कुछ लड़कियां तो ऐसी भी हैं, जो पैसे के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

हमारे देश में पहले बिन व्याही मां बनना समाज के लिए कलंक की बात थी, आज भी है, लेकिन अब चंद रुपयों की खातिर लड़कियां घर से महीनों दूर रहकर कोख किराए पर देने जैसा जोखिम भरा काम कर रही हैं। विज्ञान में इन्हें ‘सरोगेट मदर’ कहा जाता है। एक इस काम के लिए इश्तहार देता है और दूसरा तत्काल तैयार हो जाता है। सुनने में यह बात अविश्वनीय लगे, लेकिन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लेकर दिल्ली तक यह व्यवसाय धड़ल्ले से चल निकला है। टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर की सुख-सुविधाएं भी कुवांरियों को मां बनने के लिए आकर्षित कर रही हैं। सरोगेसी के मामले में मध्‍यप्रदेश की राजधानी भोपाल के साथ- साथ बुंदेलखंड में भी  मेट्रो सिटी की तरह बढ़ रही है। आलम यह है कि यहां यूपी, बिहार, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश तक से दंपत्ति सरोगेट मदर की तलाश में आ रहे हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें अविवाहित लड़कियों की भी बड़ी संख्या सामने आ रही है, जो पैसों की खातिर बिन व्याही मां बनने को भी तैयार हैं। अपना पूरा भविष्य दांव पर लगाने तैयार कुछ ऐसी ही कुछ लड़कियों से जब सेंटर स्टाफर बनकर बातचीत की गई, तो उन्‍होंने कई बातें बड़ी बेबाकी से सामने रखीं। उनका सीधा कहना है कि भविष्य की कोई गारंटी नहीं है। आज हमें कुछ महीनों में ही दो लाख रुपए तक मिल रहे हैं, वो भी बगैर कोई गलत कदम उठाए, तो फिर इसमें हर्ज क्या है? राजधानी में बीई की पढ़ाई कर रही इंदौर की अनुष्का  (परिवर्तित नाम) कहती है, ‘पापाजी की डेथ हो चुकी है। मां भी मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। दो भाई हैं, जिन्हें मुझसे कोई सरोकार नहीं है। पढ़ाई के लिए तो पापा ने भेजा था। हमने एजुकेशन लोन लिया था। पापा मेरे नाम कुछ फिक्स डिवाजिट भी किए थे। दो साल पहले पापा की डेथ हो गई, तब से मैं सारे फैसले खुद ही ले रही हूं। अपने भविष्य को लेकर ही मैं फ्लैट लेना चाहती हूं। लिहाजा सरोगेट मदर बनकर फ्लैट के लिए रुपए जुटाने का फैसला किया है।’

बैतूल की अनीता  (परिवर्तित नाम) भोपल में रिसेप्शनिस्ट है। वह चाहती है कि उसकी खुद की कार हो, लेकिन परिवारिक परिस्थितियां और सेलरी से यह सपना पूरा नहीं हो सकता। तान्या ने कार लेने के लिए अब सरोगेट मदर बनने का रास्ता चुना है। बुंदेलखंड  की विभा (परिवर्तित नाम) की बचपन में ही शादी हो गई। गौने से 3 महीने पहले ही पति ने दूसरी शादी कर ली। अब वह आत्मनिर्भर होना चाहती है, लेकिन इसमें गरीबी आड़े आ रही है। विभा ने इसके लिए सरोगेट मदर बनने का रास्ता चुना।

भूमि (परिवर्तित नाम) के माता-पिता की मृत्यु हो गई। अब वह  एक ऑफिस में रिसेप्‍शनिस्ट है। उसे प्यार में धोखा मिला, अब भूमि ने आत्मनिर्भर होने के लिए सरोगेट मदर बनने का निर्णय लिया है। जब उससे यह पूछा गया कि क्या उसे ऐसा करने में समाज से डर नहीं लगता है, तो उसने कहा, ‘जब मुझे भूख लगती है, तो कोई पुछने नहीं आता, ऐसे में डरे किससे? क्या उस समाज से डरूं, जो मेरी मदद नहीं कर सकता।’

हालांकि, तलाक डर से इन दिनों कई लड़कियां सर्जरी की मदद से कौमार्य हासिल कर रही हैं। यहां तक कि कुछ तो डॉक्टर से वर्जिनिटी सर्टिफिकेट भी मांगती हैं। शादी के वक्त लड़की का गोरा रंग, दुबला शरीर और ऊंचा कद तो मायने रखता ही है, पर हमारे समाज में सबसे ज्यादा जरूरी है उसका अनछुई होना। शादी की रात ही यह जान कर कि दुलहन वर्जिन नहीं है, अपनी पत्नी को तलाक दे देना कोई नई बात नहीं है या यह जानने के बाद कि पत्नी का कभी किसी और से भी संबंध रहा है, उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताडि़त करना भी कोई नई बात नहीं है। अपने सपनों में अनगिनत लड़कियों को नोचता हुआ, चीरता हुआ यह शरीफ मर्द आंचल में ढंकी बीवी की ख्वाहिश करता है। शादी से पहले किसी के साथ शारीरिक संबंध बनाया, तो आप बदचलन हैं। आपका करैक्टर आपकी वर्जिनिटी पर आधारित है। हमारे देश में औरत की वर्जिनिटी को उसकी इज्जत कहा जाता है। शायद, इसीलिए कोई वहशी किसी लड़की से बलात्कार करता है, तो वह आत्महत्या कर लेती है। अगर लड़की ऐसा न भी चाहे, तो समाज उसके साथ इतनी हिकारत से पेश आता है कि उसके सामने कोई चारा नहीं होता।

कुछ लड़कियों से जब यह पूछा कि अगर बिन व्याही मां बनने की बात समाज के सामने आ जाती है, तो फिर आपके भविष्य का क्या होगा। इसके जवाब में सभी का एक जैसा नजरिया था कि फैसला उनका अपना है, इसलिए वे भविष्य की हर परेशानी के लिए भी पूरी तरह से तैयार हैं।

टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर के एक संचालक कहते हैं कि कोख किराए पर देने वाली महिलाओं का आंकड़ा बढऩे के पीछे वजह, इनके लिए उपलब्ध मार्केट है। वहीं उच्चवर्ग की महिलाएं अपने फिगर को मेंटेन रखने, गर्भपात होने से पैदा होने वाली परेशानियों से बचने के लिए सरोगेट मदर की मदद लेना ज्यादा बेहतर समझती हैं। ये महिलाएं झूठी स्‍वास्‍थ्‍य परेशानियों का बहाना बनाकर सरोगेट मदर्स का सहारा लेने की भरसक कोशिश करती हैं। वे कहते हैं, ‘गर्भधारण का अनुभव प्रमाण सहित होना जरूरी है। इसके लिए विवाहित होने की बाध्यता नहीं है। अविवाहित लड़िकयां भी गर्भधारण का अनुभव होने पर सरोगेट मदर बन सकती हैं। विवाहिता के पति की अनुमति जरूरी है। अविवाहिता और तलाकशुदा के लिए केवल उसकी अपनी मर्जी ही काफी है, जबकि तलाक के लंबित मामलों में महिला कोख किराए पर नहीं दे सकती। महिला को ऐसी कोई बीमारी न हो, जिसके बच्चे में स्थानांतरित होने की आशंका हो और उसकी उम्र 21 से 45 साल के बीच हो।’

यह तो रही कोख किराए पर देने वालों की दास्तान। यही कुछ हाल है शुक्राणु और अंडाणु बेचने वालों का। बताया जाता है कि बेहतर गुणवत्ता वाले शुक्राणु और अंडाणुओं की विदेशों में अच्छी-खासी कीमत मिल रही है। नीली आंखों वाली लड़कियों के अंडाणुओं की कीमत सबसे अधिक है। वहीं उच्च वर्ण, गोरा रंग और लंबाई वाले लड़कों के शुक्राणुओं का बाजार तेजी पकड़ रहा है। वैसे देश के महानगरों में भी इसका चलन जोर पकड़ रहा है, लेकिन फर्टीलिटी टूरिज्म के जरिए विदेशों में नि:शुल्क घूमने-फिरने और रहने का बोनस पैकेज युवाओं को ज्यादा लुभा रहा है।

दिल्ली-एनसीआर के कई प्रजनन केंद्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके यहां दिल्ली विश्वविद्यालय की कई लड़कियां अपने अंडे का दान करने आती हैं और बदले में उनको अच्छी रकम भी मिल जाती है। ब्रिटेन जैसे देशों में भारतीय युवाओं को शुक्राणु और अंडाणु देने के एवज में 30 हजार डॉलर तक मिल रहे हैं। वैसे ब्रिटेन में शुक्राणु और अंडाणु दान करने वाले लोगों को अब 800 पौंड देने का प्रावधान किया गया है, लेकिन ब्रिटिश दंपतियों में भारतीय नस्ल के बढ़ते क्रेज को देखते हुए इसकी कीमत इससे कहीं ज्यादा है। ह्युमन फर्टीलिटी एंड एम्ब्रियोलॉजी ऑथरिटी (ब्रिटेन) ने वीर्य दान करने वालों को अब ज्यादा भुगतान करने का प्रावधान किया है। इसके मुताबिक अब वीर्य दाताओं को 800 पौंड (लगभग एक लाख रुपए) मिलेंगे। पहले इसके एवज में वहां महज 250 पौंड का भुगतान किया जाता था।

ब्रिटेन जैसे देशों में महिलाओं में बांझपन व पुरुषों में नपुंसकता दर ज्यादा होने की वजह से उनके अंडाणु और शुक्राणु इनविट्रो फर्टीलिटी तकनीक (आईबीएफ) के लिए उपयुक्त नहीं रहे हैं। चूंकि भारत एक सम-शीतोष्ण देश है, इसलिए यहां के युवा प्रजनन के लिए अधिक उपयुक्त माने जाते हैं। लेडी हार्डिंग अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीमा सिंघल का कहना है, ‘विज्ञान के विकास ने मां-बाप बनने की संभावनाओं को बढ़ाया है। इसकी वजह से लोग किसी भी कीमत पर अपनी सूनी गोद को हरी करना चाहते हैं। इसके एवज में वे कोई भी कीमत चुकाने को तैयार होते हैं, और लाभ उठाने वाले इसका लाभ उठाते हैं। इसके लिए आचार संहिता चाहिए, जो अभी नहीं है।’


Vikas Sharma
Editor
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देश की तरक्की के लिए महिलाओं को स्वावलम्बी व शिक्षित होना जरूरी - राहुल

Posted on 03 September 2010 by admin

महिलाओं की ग्राम संगठन की बैठक में राहुल ने लिया भाग

अमेठी संसदीय क्षेत्र के तीन दिवसीय दौरे पर आये कांग्रेस महासचिव व अमेठी के सांसद राहुल गांधी ने इसौली गांव  पहुचें और वहां महिलाओं की स्वयं सहायता समूहों के संगठन ग्राम संगठन की बैठक में भाग लिया। बैठक में कई समूहों की महिलाएं मौजूद थीं। लगभग डेढ़ घंटे तक महिलाओं से समूह चलाने का तरीका व कार्य को जाना।

राहुल गांधी ने महिलाओं से कहा कि महिलाओं को शिक्षित और स्वावलम्बी होने की जरूरत है। महिलाएं स्वावलम्बी एवं शिक्षित होंगी तभी देश का विकास सम्भव होगा। उन्होंने महिलाओं को सलाह दिया कि एकजुट होकर रहें तभी वह अपने अधिकार के लिए संघर्ष कर सकेंगी।

राहुल गांधी बैठक के बाद महिलाओं के साथ जमीन पर बैठक कर जलपान किया। उनके साथ इस बैठक में संचार को देश में एक नई दिशा देने वाले सैम पित्रोदा भी मौजूद रहे। उन्होंने भी महिलाओं से उनके संगठन के बारे में जानकारी की और पूछा इससे उन्हें क्या लाभ मिल रहा है।

राहुल गांधी के कई वरिष्ठ मिलना चाहा किन्तु वह उनसे नहीं मिल सके। बैठक में जाते समय राहुल गांधी ने इन कांग्रेसजनों से कहा था कि वह लौटकर मिलेंगे, किन्तु बैठक से बाहर आने के बाद भी वरिष्ठ कांग्रेसजनों से नहीं मिले और चले गये। इससे कांग्रेसजनों में मायूसी दिखाई पड़ी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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सर्व शिक्षा अभियान लोगों के लिए एक सपना ही साबित होगा

Posted on 02 September 2010 by admin

पडरौना (कुशीनगर)- शिक्षा व्यवस्घ्था को दुरूस्त करने के लिए नई नितीयां बना रही है लेकिन शिक्षा विभाग को चलाने वाले हुऐ कार्य रूप नही लाने की कसम खा लिए है जिससे प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था सुधरना तो दूर अपने रूप पर कायम भी नही रह पायेगा, केन्द्र सरकार से लेकर राज्य सरकार ने अनेको प्रकार से शिक्षा पर धन व्यय कर लेने को प्रोत्साहित कर शिक्षा के प्रति जागरूकता पर उन्हीं के मातहतों द्वारा सारे किये पर पानी डाल दिया जा रहा है। सरकार का सर्व शिक्षा अभियान लोगों के लिए एक सपना ही साबित होगा।

सूत्रों के अनुसार जनपद में परिदीय शिक्षा व्यवस्था का स्तर इतना नीचे गिर चुका है कि जिसके विपरित सम्पूर्ण जनपद में कुकुरमुत्ते की भॉति मान्टेशरी स्कूलों की भरमार हो गई हे। फिर भी यह जनता के लिए सन्तोशप्रद है शिक्षा के साथ साथ विद्यालयों में नियुक्त अध्यापकों का नैतिक पतन हो गया है। एक तरफ केन्द्र तथा प्रदेश सरकार द्वारा सर्व शिक्षा अभियान तथा सम्पूर्ण साक्षरता अभियान चला रही है। दूसरी तरफ विद्यालयों में पढ़ रहे अल्पसंख्यकों, पिछड़ों तथा अनुसूचित जाति के बच्चों हेतु छात्रवृति देने का प्रावधान हैं। तथा परिदीय विद्यालयों के बच्चों के लिए दोपहर का भोजन का व्यवस्था हैं। वही सरकार द्वारा नियुक्त अध्यापकों का नैतिक पतन होता नज़र आ रहा है। ये अध्यापक छात्रवृति का फार्म भरने के नाम पर प्रत्येक बच्चों से दस रूपये की वसूली की जा रही है। और प्रत्येक बच्चों से बैंक मे खाता खुलवाने के नाम पर 50 से 100 रूपये की वसूली हो रही है। छात्रवृति मिले या न मिले लेकिन वसूली तो होनी है। कुछ स्कूलों में ऐसा भी नियम अध्यापकों द्वारा बनाया गया है कि तारीख को यदि बच्चे फिस नही जमा कर पायें तो प्रतिदिन का एक से दो रूपये फाइन के नाम पर जबरन वसूला जा रहा है।
एक तरफ सरकार मुफ्त सर्व शिक्षा अभियान चला रही है। वही शिक्षा के कारकून सरकारी नीतियों का गला घोट रहे है। ऐसे अध्यापकों के ऊपर कार्यवाही की जरूरत है। ऐसा जनपद के लगभग समस्त विद्यालयों  के यही है।

सम्बन्धित अधिकारी के कान में तेल डालकर सो रहे है अध्यापकों का मानना है कि छात्रवृति मिले या न मिले बच्चें से वसूले गये रूपयों से अपना जेब गरम जरूर हो रहा है। इस क्रिया कलापों से सरकार का मंशा कितना पूरा होगा भगवान भरोसे हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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