पडरौना (कुशीनगर)- शिक्षा व्यवस्घ्था को दुरूस्त करने के लिए नई नितीयां बना रही है लेकिन शिक्षा विभाग को चलाने वाले हुऐ कार्य रूप नही लाने की कसम खा लिए है जिससे प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था सुधरना तो दूर अपने रूप पर कायम भी नही रह पायेगा, केन्द्र सरकार से लेकर राज्य सरकार ने अनेको प्रकार से शिक्षा पर धन व्यय कर लेने को प्रोत्साहित कर शिक्षा के प्रति जागरूकता पर उन्हीं के मातहतों द्वारा सारे किये पर पानी डाल दिया जा रहा है। सरकार का सर्व शिक्षा अभियान लोगों के लिए एक सपना ही साबित होगा।
सूत्रों के अनुसार जनपद में परिषदीय शिक्षा व्यवस्था का स्तर इतना नीचे गिर चुका है कि जिसके विपरित सम्पूर्ण जनपद में कुकुरमुत्ते की भॉति मान्टेशरी स्कूलों की भरमार हो गई हे। फिर भी यह जनता के लिए सन्तोशप्रद है शिक्षा के साथ साथ विद्यालयों में नियुक्त अध्यापकों का नैतिक पतन हो गया है। एक तरफ केन्द्र तथा प्रदेश सरकार द्वारा सर्व शिक्षा अभियान तथा सम्पूर्ण साक्षरता अभियान चला रही है। दूसरी तरफ विद्यालयों में पढ़ रहे अल्पसंख्यकों, पिछड़ों तथा अनुसूचित जाति के बच्चों हेतु छात्रवृति देने का प्रावधान हैं। तथा परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के लिए दोपहर का भोजन का व्यवस्था हैं। वही सरकार द्वारा नियुक्त अध्यापकों का नैतिक पतन होता नज़र आ रहा है। ये अध्यापक छात्रवृति का फार्म भरने के नाम पर प्रत्येक बच्चों से दस रूपये की वसूली की जा रही है। और प्रत्येक बच्चों से बैंक मे खाता खुलवाने के नाम पर 50 से 100 रूपये की वसूली हो रही है। छात्रवृति मिले या न मिले लेकिन वसूली तो होनी है। कुछ स्कूलों में ऐसा भी नियम अध्यापकों द्वारा बनाया गया है कि तारीख को यदि बच्चे फिस नही जमा कर पायें तो प्रतिदिन का एक से दो रूपये फाइन के नाम पर जबरन वसूला जा रहा है।
एक तरफ सरकार मुफ्त सर्व शिक्षा अभियान चला रही है। वही शिक्षा के कारकून सरकारी नीतियों का गला घोट रहे है। ऐसे अध्यापकों के ऊपर कार्यवाही की जरूरत है। ऐसा जनपद के लगभग समस्त विद्यालयों के यही है।
सम्बन्धित अधिकारी के कान में तेल डालकर सो रहे है अध्यापकों का मानना है कि छात्रवृति मिले या न मिले बच्चें से वसूले गये रूपयों से अपना जेब गरम जरूर हो रहा है। इस क्रिया कलापों से सरकार का मंशा कितना पूरा होगा भगवान भरोसे हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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