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शिर्डी साईं बाबा फाउंडेशन अब मंत्रो के जरिये युवापीढ़ी में नई ऊर्जा और जोश पैदा करेगी

Posted on 09 June 2018 by admin

vikas-kapooraushim-khetarpalamar-prabhakar-desai-2मुंबई। साईं बाबा फाउंडेशन (एसएसबीएफ) के प्रबंध ट्रस्टी व फिल्म और धारावाहिकों के निर्माता तथा अभिनेता आशिम खेत्रपाल ने ३० धार्मिक मंत्रों की रिकॉर्डिंग शनिवार 9 जून 2018  को मुंबई के अँधेरी (वेस्ट) में स्थित ए टू स्टूडियो में शुरू किया।जिसमें ‘शिव मंत्र’,’ गणेश मंत्र’,'साई मंत्र’ जैसे ३० धार्मिक मंत्रो की रिकॉर्डिंग गायक आशिम खेत्रपाल की आवाज में रिकॉर्ड हो रहा है और जिसे संगीतकार अमर प्रभाकर देसाई ने संगीत से संवारा है।और यह पूरा काम मशहूर  लेखक विकास कपूर के देखरेख में हो रहा है।

धार्मिक मंत्रों की रिकॉर्डिंग के बारे में आशिम खेत्रपाल ने कहा,” मंत्रो में बड़ी शक्ति होती है।उसके सुनने भर से हमें नई शक्ति और जोश मिलता है।आज सभी लोग परेशान है,चाहे किसी भी रूप में।यह सभी मंत्र काफी काम करते है,इससे लोगों को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलेगी।जोकि आप कभी भी सुन सकते है,जिससे मन एकाग्र हो जाता है।जब भी हम किसी भी धार्मिक स्थल पर जाते है तो हमको मानसिक शांति मिलती है।जिसका कारण है वहाँ पर चलने वाले वैदिक मंत्र,उपदेश,श्लोक इत्यादि।”

धारावाहिक’ ॐ नमः शिवाय’,'श्री गणेश’,'जय संतोषी माँ’ जैसे सुपरहिट धार्मिक धारावाहिको और फिल्मों में पिछले २२ साल से लेखक के तौर पर मशहूर लेखक विकास कपूर ने कहा,” आज लोग धीरे धीरे लोग मंत्र की शक्ति को लोग भूलते जा रहे है। यह एक तरह से मैडिटेशन का काम करता है।और हमारे शरीर में नई शक्ति और ऊर्जा प्रदान करता है। हमलोग शिरडी साईं बाबा फाउंडेशन की तरफ से यह कोशिश कर रहे है कि आज की युवा पीढ़ी जागृत हो और इन मंत्रो की शक्ति को समझे। “

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मशहूर संगीतकार खय्याम साहब ने फिल्म इंडस्ट्री के ‘फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने इम्प्लाइज’ को डेढ़ लाख का चेक डोनेट किया

Posted on 16 May 2018 by admin

मुंबई। ‘फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने इम्प्लाइज’ के अध्यक्ष बी एन तिवारी,जनरल सेक्रेटरी अशोक दूबे और उनके पदाधिकारियों द्वारा सोमवार १४ मई २०१८ को उनके ऑफिस कार्तिक काम्प्लेक्स,अँधेरी (वेस्ट),मुंबई में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जिसमें ‘कभी कभी मेरे दिल ख्याल आता है’,'तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती’,'दिल चीज़ क्या है’,जिसे फ़िल्मी गीतों को अपने मधुर संगीत में सँवारने वाले पद्मभूषण से सम्मानित मशहूर संगीतकार खय्याम साहब और उनकी बीवी ने जगजीत कौर ने फिल्म इंडस्ट्री के जरुरतमंदो के लिए डेढ़ लाख का चेक अपनी ‘केपीजे चैरिटेबल ट्रस्ट’ की तरफ से फेडरेशन को डोनेट किया। जोकि पिछले तीन वर्षों से डोनेट करते आ रहे है। इस अवसर पर भजन सम्राट अनूप जलोटा,’फिल्म स्टूडियोज सेटिंग एंड एलाइड मज़दूर यूनियन’ के जनरल सेक्रेटरी गंगेश्वरलाल श्रीवास्तव उर्फ़ संजू,’सिने एंड आर्टिस्ट्स एसोसिएशन’ (सिन्टा) के जनरल सेक्रेटरी सुशांत सिंह और इत्यादि के मुख्य अतिथि थे। और फिल्म से सम्बंधित २२ यूनियनों के पधाधिकारियों ने इसमें हिस्सा लिया और कार्यक्रम को सफल बनाया।

इस अवसर पर ‘फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने इम्प्लाइज’ के अध्यक्ष बी एन तिवारी ने कहा,”हम लोग खय्याम साहब के शुक्रगुजार है जोकि फिल्म इंडस्टी के लोगो के बारे में सोचते है। ऐसी सोच सभी को भगवान दे। हमलोग चाहते है कि खैय्याम साहब का आशीर्वाद हमेशा हमलोगो पर बना रहे और वे हमेशा यहाँ आकर हमलोगो का हौसला बढ़ाये,पैसे ना भी मिले तो भी चलेगा।”

इस अवसर पर खय्याम साहब ने कहा,”हमें फिल्म इंडस्ट्री ने इतना कुछ दिया,अब हमलोगो ने सोचा अब फिल्म इंडस्ट्री को वापस किया जाय।इसलिए यह कदम उठाया है और हमेशा फेडरेशन को हर वर्ष डेढ़ लाख रुपये मिलता रहेगा।हमलोग चाहते है कि और लोग आगे आये और फिल्म इंडस्ट्री के लिए कुछ करे।हम लोग रहे या ना रहे लेकिन हमारा ट्रस्ट चलता रहेगा और लोगों की मदद करता रहेगा हमारे बाद हमारी पूरी प्रॉपर्टी और जूलरी को कॅश में बदलकर ट्रस्ट उसे फिक्स डिपोसिट कर देगा और उससे जो फायदा मिलेगा उसमे से वर्ष ५ लाख प्रधानमंत्री कोष में, कुछ महाराष्ट्र मुख्यमन्त्री कोष में और इंडस्ट्री के जरूरतमंद लोगो को १० से २० हज़ार रुपये जीवन में एक बार मदद ट्रस्ट की तरफ से किया जाएगा।”

इस अवसर पर फिल्म स्टूडियोज सेटिंग एंड एलाइड मज़दूर यूनियन’ के जनरल सेक्रेटरी गंगेश्वरलाल श्रीवास्तव और ‘फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने इम्प्लाइज’ के जनरल सेक्रेटरी अशोक दूबे ने बताया कि हमलोग फेडरेशन को फिर से मज़बूत बनाने का प्रयास कर रहे है,निर्माताओं को भी विश्वास दिलाया है कि हमलोग एक है और हमलोग को साथ मिलकर चलना है एक दूसरे के बिना अधूरे है।

इस अवसर पर खय्याम साहब और उनकी बीवी ने जगजीत कौर,अनूप जलोटा,बी एन तिवारी,अशोक दूबे, किशन शर्मा,गंगेश्वरलाल श्रीवास्तव उर्फ़ संजू,सुशांत सिंह के अलावा फेडरेशन के सीनियर वाईस प्रेसिडेंड फ़िरोज़ खान (राजा भाई),वाईस प्रेसिडेंड संगम उपाध्याय, मज़दूर यूनियन के शरफुद्दीन मोहम्मद,राकेश मौर्या तथा फिल्म से सम्बंधित २२ यूनियनों के पदाधिकारी जैसे कि राम चौधरी, चावला, राज सुर्वे,पिंकी मोरे,फ़िरोज़ भाई,धरम अरोरा,इमरान मर्चेंट,सुरेंद्र श्रीवास्तव, कुंदन गोस्वामी,अशोक पांडे,हिमांशु भट्ट,आशफाक खोपेकर,हनीफ भाई,मुन्ना भाई,सुलेखा इत्यादि लोगों ने कार्यक्रम को सफल बनाया।

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क्या आप विराट को चुनौती देने के लिये तैयार हैं?

Posted on 31 May 2013 by admin

  • सिंथाॅल ने ‘अलाइव इज आॅसम’ के अगले चरण का शुभांरभ किया, भारत के अपने प्रशंसकों के बीच चुनौती स्वीकार करने की महत्ता को बताया

edited-challenge-virat-press-release-0130 मई 2013ः सिंथाॅल ने ‘रुचैलेंजविराट’ के साथ ‘अलाइव इज आॅसम’ के अगले चरण का शुभारंभ करने की घोषणा की है। यह एक चैतरफा ब्रांड कैंपेन है, जिसका शुभारंभ आज किया गया। कैंपेन के इस चरण में सिंथाॅल युवा भारतीयों को तरोताजगी से भरपूर नये अनुभव से रू-ब-रू करायेगा और उन्हें विराट कोहली को चुनौती देने का अवसर प्रदान करेगा। चार सप्ताह की अवधि के अंत में एक जोरदार चुनौती का सूत्रपात्र कर विराट कोहली के समक्ष उपस्थित होने का अवसर प्रदान किया जायेगा, जो कि इस कंपनी के ब्रांड एम्बेसेडर हंै। यह एक ऐसी चुनौती है जो उन्हें उत्साह एवं गर्मजोशी से भर देगी।

यह कैंपेन प्रशंसकों एवं अनुयायियों को टेलीविजन एवं प्रिंट मीडिया से परे जाकर विभिन्न डिजिटल एवं सामाजिक मीडिया मंचांे से जुड़ने का अवसर प्रदान करेगा, जो ूूूण्बपदजीवसण्बवउध्कमव पर एकीकृत होगा।

इस रोचक कैंपेन पर टिप्पणी करते हुये श्री सुनील कटारिया, ईवीपी, विपणन एवं बिक्री, गोदरेज कंज्यूमर प्राॅडक्ट्स लिमिटेड (जीसीपीएल) ने कहा, ‘‘यह कैंपेन उन लोगों को लक्षित करता है, जो अपने कार्यों को लेकर बहुत जुनूनी हैं। अपने चैलेंज विराट कैंपेन के माध्यम से हम युवा, जुनूनी एवं आत्मविश्वास से भरपूर भारतीयों को न सिर्फ विराट से मिलने का अवसर प्रदान करना चाहते हैं, बल्कि उन्हें आमने-सामने की चुनौती देने के लिये प्रेरित कर रहे हैं। एक ब्रांड के रूप में हम दीवानगी के साथ जीवन जीने तथा अपने उत्पादों एवं पहलों के माध्यम से रोमांचकारी अनुभव उपलब्ध कराने में विश्वास करते हैं।’’

यह न सिर्फ एक जीवंत ब्रांड कैंपेन है, बल्कि सिंथाॅल के डियोडरेंट्स हैं, जो इस तरोताजगी की भावना को दर्शाते हैं। दीवानगी एवं पुरूषत्व से भरपूर डियोज की यह नवीन श्रृंखला एक उत्कृष्ट नाॅन-एल्कोहलिक फाॅम्र्यूलेशन है, जो त्वचा को नाॅन-इरिटेरिंग बनाती है तथा इसकी विशिष्ट एवं परिष्कृत पैकेजिंग ब्रांड की स्थिति को बयान करती हैं। सिंथाल डियोज - प्ले, डाइव, इग्नाइट, एनर्जी एवं इन्टेंस जैसे 5 वैरिएंट्स में उपलब्ध हैं, जो भिन्न फ्रैगरेंस प्रेफेयर के अनुकूल हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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Sahara announces ‘India Center’ at U.K

Posted on 19 February 2013 by admin

picSahara announces ‘India Center’ at U.K. and ‘Sahara Think Tank’ for Business opportunities at UK during the closed door meeting with Mr. David Cameron, Prime Minister of U.K.

The final highlights of the initiatives which were suggested by Saharasri in June 2012 during his one-on-one meeting with Mr. David Cameron at London, were presented by Sahara India Pariwar

‘Saharasri’ Subrata Roy Sahara, Managing Worker & Chairman, Sahara India Pariwar, presented the final highlights of 2 initiatives, ‘Sahara Think Tank’ and ‘India Center’, to the Prime Minister of U.K., Mr. David Cameron, in a close-door round table conference in Mumbai. The close-door round table conference was attended by heads of 9 major corporate houses of India. The initiatives were earlier discussed on 24th June, 2012 in one-on-one meeting of ‘Saharasri’ and Mr. David Cameron at 10 Downing Street, London and were appreciated by the Prime Minister and had promised support to the initiatives.

The ‘Sahara Think Tank’ initiative is planed to provide a platform through a well structured team of young professionals from U.K., to tap the unique business opportunities. The initiative will be executed under the guardianship of Lord Patel of Bradford, OBE and other eminent people from British society. The meeting in Mumbai was the first edition of ‘Sahara Think Tank’ initiatives.

Sahara India Pariwar has also announced the setting-up of an iconic ‘India Center’ in a joint venture partnership with the University of East London. The ‘India Center’ planned on a 4 acre will be a unique facility housing student facilities with world class teachings and learning experience, to come-up at the University of East London Dockland Campus. Mr. David Cameron appreciated the fact that this would be the only kind of its endeavour in the world between a corporate and a university. The university has already acquired the require 4 acre land for the Centre.

About Sahara India Pariwar
Sahara India Pariwar is a major business conglomerate in India with operations in multiple sectors, including financial services, life insurance, mutual funds, housing finance,  infrastructure & housing, print and television news media, entertainment channels, cinema production, consumer merchandise retail, healthcare, hospitality, manufacturing, sports, and information technology.

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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हिन्दुस्थान समाचार के संरक्षक श्रीकांत जोशी का मुंबई में निधन

Posted on 09 January 2013 by admin

_dsc6843हिन्दुस्थान समाचार के संरक्षक व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री श्रीकान्त जोशी जी का आठ जनवरी को प्रातः पांच बजे मुंबई में निधन हो गया। वह 76 साल के थे। श्री जोशी पिछले कई दिनों से स्वशन संबंधी बिमारी से पीड़ित थे। मंगलवार सुबह सीने में दर्द होने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था, जहां रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गयी। श्री जोशी के निधन से हिन्दुस्थान समाचार सहित आरएसएस को गहरी छति पहुंची है। उनके निधन पर आरएसएस, भाजपा सहित कई सामाजिक व राजनीतिक संगठनों से शोक व्यक्त किया।
कुछ दिन पहले श्री जोशी को चिकित्सा के लिये केरल गये थे। उसके बाद नागपुर में चिकित्सकीय परीक्षण कराया गया था जहां सभी रिपोर्ट सामान्य बताई गयी थी। अभी दो दिन पहले ही श्री जोशी विश्राम के लिये दो दिन पहले ही दिल्ली से मुम्बई पहुंचे थे। मंगलवार सुबह सीने में दर्द के बाद अस्पताल ले जाते समय उनकी मृत्यु हो गयी। मुम्बई के पितृछाया संघकार्यालय में उनके पार्थिव शरीर को अन्तिम दर्शन के लिये रखा गया है। दाह संस्कार आज ही सायं चार बजे मुम्बई में ही होगा।

संक्षिप्त जीवन परिचय
श्रीकान्त शंकरजोशी जी का जन्म 21 दिसम्बर 1936 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले के देवरुख गांव में हुआ था। श्रीकांत जोशी अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिये मुम्बई में आये। मुम्बई विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र से स्नातक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने जीवन बीमा निगम में कार्य करना शुरु किया।

_dsc6744संघ परिचय
जीवन बीमा में कार्य करने के दौरान वह मुम्बई में ही संघ के प्रचारक शिवराज तेलंग के संपर्क में आये। उन्हीं की प्रेरणा से नौकरी से त्यागपत्र देकर 1960 में पूरा समय संघ कार्य को समर्पित कर प्रचारक बन गये। प्रारम्भ में प्रचारक के नाते नान्देड गये, कुछ समय महाराष्ट्र में काम करने के बाद श्री जोशी को 1963 में संघ कार्य हेतु असम भेजा गया। विषम परिस्थियों में वह निरन्तर पच्चीस साल तक वहां संगठन को गति प्रदान किया। प्रारम्भ में तेजपुर के विभाग प्रचारक फिर शिलांग के विभाग प्रचारक बने। इस दौरान श्रीजोशी 1971 से 1987 तक असम के प्रान्त प्रचारक रहे। 1987 में उन्हें तत्कालीन सरसंघचालक माननीय बाला साहेब देवरस जी के सहायक का उत्तरदायित्व दिया गया। 1997 से 2004 तक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख का दायित्व संभालने के बाद उन्हें 2004 में संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य बनाया गया।

हिन्दुस्थान समाचार की पुनरसंरचना
श्रीकांत जोशी के प्रयासों से 2002 में मूर्च्छित हो चुकी भारतीय भाषाओं की एक मात्र संवाद समिति हिन्दुस्थान समाचार को पुनः सक्रिय करने का उपक्रम प्रारम्भ किया। यह संवाद समिति 1975 के आस-पास सरकारी हस्तक्षेप के कारण बंद हो गई थी। जब जोशी जी ने इस समिति को पुनर्जीवित करने के प्रयास प्रारम्भ किये तो पत्रकारिता जगत में बहुत लोग कहते सुनें गये कि यह कार्य असम्भव है। लेकिन जोशी जी ने अपने संगठन कौशल और कार्य कुशलता से कुछ ही वर्षों में ही इस असम्भव कार्य को ही सम्भव कर दिखाया। उनके अथक परिश्रम से गत् एक दशक में इस संवाद समिति ने न केवल अपना विस्तार किया अपितु भारत सहित विदेशों में भी अपनी धाक जमाने में सफल रही। उनकी प्रेरणा से आज भारत सहित मारिशस, नेपाल, त्रिनिनाड, थाईलैण्ड सहित कई देशों में इस संवाद समिति के ब्यूरो कार्यालय सफलता पूर्वक चल रहे हैं। आज देश के तीन सौ से अधिक समाचार पत्र इस संवाद समिति की सेवा से लाभान्वित हो रहे हैं।

_dsc6973निधन पर शोक
हिन्दुस्थान समाचार के संरक्षक व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्रीकांत जोशी के निधन पर भाजपा सहित तमाम राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने शोक व्यक्त किया है। प्रख्यात अर्थशास्त्री व क्षेत्र संघ चालक डा. बजरंग लाल गुप्त ने निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि श्री जोशी अपनी सहज, सरल व गंभीर व्यक्तित्व के कारण हजारों कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्रोत रहे। उनके निधन से आरएसएस ने एक अत्यन्त तेजस्वी प्रचारक को खो दिया।

डा. बजरंग गुप्त ने कहा कि श्री जोशी उन प्रचारकों में थे जिन्होंने विषम परिस्थितियों में भी कार्य कर अपनी उर्जा से संगठन को नया आयाम दिया। पूर्वोत्तर राज्य में लंबे समय तक प्रचारक रहकर उन्होंने संघ कार्य को मजबूती प्रदान की। इसके अलावा उनके ही प्रयास से विभिन्न कारणो से बंद हो चुकी भारत की एक मात्र बहुभाषी संवाद समिति हिन्दुस्थान समाचार पुनर्जीवित हुई और समाचार जगत में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त की। उनके अध्ययन, विवेचन औऱ विश्लेषण ने कार्यकर्ताओं और सहयोगियों को जो उर्जा प्रदान की है उससे सहारा लेकर हम अपने कार्यों को और अधिक गति प्रदान करने के लिए सन्नत होंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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जेटिप्रवलिज-एचडीएफसी बैंक को-ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड की ‘ाानदार रेंज की पे’ाक’ा के लिए जेट एयरवेज ने एचडीएफसी बैंक से की साझेदारी

Posted on 10 August 2012 by admin

co-brand-credit-cardभारत में जेट एयरवेज का सबसे बड़ा और फ्रेìी पुरस्कार विजेता नियमित उड़ान कार्यक्रम, जेट िप्रवजिल ने भारत में निजी क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े बैंक, एचडीएफसी बैंक के साथ मिलकर संयुक्त रूप से “जेटिप्रवलिज- एचडीएफसी बैंक क्रेडिट कार्ड“ की पे’ाक’ा की है। यह अपने तरह का एक विि’ा”ट क्रेडिट कार्ड है, जिससे जेपीमाइल्स (जेटिप्रवलिज द्वारा हवाई यात्रा की दूरी) के रूप में अनोखे लाभ और पुरस्कार उपलब्ध होंगे।

जेटिप्रवलिज-एचडीएफसी बैंक को-ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड्स से भारत के अनेक ‘ाहरों में ग्राहकों को बढ़ी हुई माइलेज के अवसर हासिल होंगे। इस को-ब्रांड क्रेडिट कार्ड्स के द्वारा कार्ड के अधिक प्रयोग को बढ़ावा मिलेगा और कार्डधारियों के लिए हवाई यात्रा करना और भी आसान और आनंददायक हो जाएगा। क्रेडिट कार्ड ग्राहकों के वि”ाय में एचडीएफसी बैंक की गहरी समझ और सर्वाधिक सफल नियमित उड़ानों का प्रबंधन करने वाले जेट एयरवेज के अनुभव के मेल के कारण इस साझेदारी से ग्राहकों को ढ़ेरों लाभ मिलेंगे।

वल्र्ड, प्लैटिनम और टाइटेनियम वैरियंट्स वाले जेटिप्रवलिज-एचडीएफसी बैंक क्रेडिट कार्ड मास्टरकार्ड नेटवर्क प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगे, जिससे ग्राहकों के लिए पूरे वि’व में कहीं से भी लाभ हासिल करना संभव हो सकेगा। मुख्य वैरियंट होने के नाते जेटिप्रवलिज- एचडीएफसी बैंक वल्र्ड क्रेडिट कार्ड से कार्डधारियों को व्यापक पैमाने पर लाइफस्टाइल फायदे मिलेंगे, जिनमें खर्च किए गए प्रत्येक 150 रुपये के लिए 6 जेपीमाइल्स और पहले 90 दिनों में अतिरिक्त 10,000 जेपीमाइल्स का लाभ ‘ाामिल है।

ग्राहकों की फीडबैक और अनुसंधान से एक बढ़िया स्थिति के निर्माण का संकेत मिलता है, जिसमें वे अपने प्वाइंट्स और माइल्स को एक खाते में जमा कर सकते हैं। इस साझेदारी से कार्डधारियों को अपने सभी खर्चों को एक खाते में सिंगल रिवार्ड करेंसी - जेपीमाइल्स के साथ जमा करने और विभिé प्रोग्राम साझीदारों के माध्यम से अपना अर्जित अंक जमा करने का अवसर मिलेगा। इस तरह वे “फ्लाई फ्री फास्टर“ (तीव्रतर गति से नि:’ाुल्क उड़ान) की अपनी योग्यता जल्द-ही हासिल कर लेंगे।

जेट एयरवेज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, श्री निकोस कार्देिस्सस ने कहा, “हमारा उÌे’य अपने अतिथियों के साथ संबंध मजबूत करना है। यह को-ब्रांडेड कार्ड अतिथियों को अनेक लाभ मुहैया कराता है, क्योंकि इसमें प्लास्टिक को इलेक्ट्रोनिक भुगतान उपकरण के रूप में प्रयोग करके एक साथ असाधारण मूल्य जोड़ा गया है। अपने सभी सदस्यों के लिए यात्रा-विकल्प में बेहतर भुगतान लचीलापन और सुविधा के साथ महत्वपूर्ण सुधार के प्रति जेटिप्रवलिज समर्पित है। एचडीएफसी बैंक के साथ यह गठबंधन एक और अनोखी यात्रा विकल्प है, जिसका लक्ष्य है- पारिवारिक यात्राओं के लिए हवाई यात्रा को अधिक किफायती और लागत-सक्षम बनाना। यह को-ब्रांडेड प्रोग्राम हमारे ग्राहक-अभिमुख प्रवृत्ति का प्रमाण है और हम परस्पर मिलकर ग्राहक संबंधों को मजबूत करने की दि’ाा में कार्य करेंगे। यह साझेदारी जेटिप्रवलिज, एचडीएफसी बैंक और हमारे पारस्परिक अतिथियों, सभी के लिए लाभकारी है।“

एचडीएफसी बैंक के कार्यकारी निदे’ाक, श्री परे’ा सुक्थंकर ने साझेदारी के वि”ाय में कहा, “प्लास्टिक मुद्रा और ग्राहकों की लगातार बदलती जरूरतों के अनुसार वि’वस्तरीय विि’ा”ट उत्पादों की लगातार पे’ाक’ा करने वाले दे’ा के अग्रणी कारोबारी संस्था होने के नाते, एचडीएफसी बैंक की जेट एयरवेज के साथ साझेदारी से ग्राहकों को बेहतर अनुभव होगा। हम उन्हें ऐसे उत्पाद मुहैया करेंगे जो वि’ो”ा और उéत हैं। एचडीएफसी बैंक का पहला एयरलाइन को-ब्रांडेड कार्ड काफी चिंतन और अनुसंधान के बाद पे’ा किया गया है, ताकि सर्वोच्च गुणवत्ता और महत्वपूर्ण ग्राहक मूल्य वाले प्रोडक्ट के रूप में इसकी पहचान स्थापित की जा सके।“

इस अवसर पर एचडीएफसी के बिजनेस हेड - क्रेडिट कार्ड्स एवं व्यापार अधिग्रहण सेवाएँ, श्री पराग राव ने कहा, “पहली बार एचडीएफसी बैंक और जेट एयरवेज के बीच साझेदारी से ग्राहकों को ‘ाानदार क्रेडिट काडोZं के चुनाव का विकल्प उपलब्ध हो रहा है। जेटिप्रवलिज-एचडीएफसी बैंक को-ब्रांडेड काडोZं के सहारे ग्राहकों को मनपसंद हवाई यात्रा के लिए जेट एयरवेज का चुनाव करने का अवसर मिलेगा। हमें पूरा वि’वास है कि हमारे को-ब्रांडेड काडोZं की बदौलत हवाई यात्रा करना अब सचमुच आनंददायक अनुभव होगा।“

About Jet Airways: Jet Airways currently operates a fleet of 100 aircrafts, which include 10 Boeing 777-300 ER aircraft, 11 Airbus A330-200 aircraft, 59 next generation Boeing 737-700/800/900 aircraft and 20 modern ATR 72-500 turboprop aircraft. With an average fleet age of 6.06 years, the airline has one of the youngest aircraft fleets in the world. Flights to 74 destinations span the length and breadth of India and beyond, including Abu Dhabi, Bahrain, Bangkok, Brussels, Colombo, Dammam, Dhaka, Doha, Dubai, Hong Kong, Jeddah, Kathmandu, Kuwait, London(Heathrow), Milan, Muscat, New York (both JFK and Newark), Riyadh, Sharjah, Singapore and Toronto.

About JetKonnect: A consolidation of the erstwhile JetLite and Jet Airways Konnect brands, the new JetKonnect service is a dedicated product designed to meet the needs of the low fare segment. JetKonnect will also offer guests a Premiere service on certain select routes. With its mixed fleet of Boeings and ATR aircraft and 400 daily flights connecting 56 destinations across India, JetKonnect provides more flexibility and choice to its guests, making it India’s largest low fare brand. JetKonnect’s convenient schedules, reliable service and low fares promise to bring greater value and a seamless flying experience to our customers.

Jet Airways and JetKonnect have a combined fleet strength of 117 aircraft, and operate over 620 flights daily.

About HDFC BANK: Promoted in 1995 by Housing Development Finance Corporation (HDFC), India’s leading housing finance company, HDFC Bank is one of India’s premier banks providing a wide range of financial products and services to its 25 million* customers across hundreds of Indian cities using multiple distribution channels including a pan-India network of branches, ATMs, phone banking, net banking and mobile banking. Within a relatively short span of time, the bank has emerged as a leading player in retail banking, wholesale banking, and treasury operations, its three principal business segments.

The bank’s competitive strength clearly lies in the use of technology and the ability to deliver world-class service with rapid response time. Over the last 17 years, the bank has successfully gained market share in its target customer franchises while maintaining healthy profitability and asset quality.

As of June 30, 2012, the Bank had a distribution network with 2,564 branches and 9,709 ATMs in 1,416 localities.

For the quarter ended June 30, 2012, the Bank’s total income was INR 95.369 billion (`9,536.9 crore) as against INR 70.98 billion (`7,098 crore) for the quarter ended June 30, 2011. Net revenues (net interest income plus other income) were INR 50.135 billion (`5,013.5 crore) for the quarter ended June 30, 2012, as against INR 39.68 billion (`3,968 crore) for the corresponding quarter of the previous year. Net Profit for the quarter ended June 30, 2012, was INR 14.174 billion (`1,417.4 crore), up by 30.6% over the corresponding quarter ended June 30, 2011.

The Bank’s total balance sheet size increased by 25.9% to INR 3,600.01 billion (`360,001 crore) as of June 30, 2012. Total deposits were INR 2,575.31 billion (`257,531 crore) as of June 30, 2012.

Total income for the year ended March 31, 2012, was INR 325.3004 billion (`32,530.04 crore).

Leading Indian and international publications have recognized the bank for its performance and quality. For more information please log on to: www.hdfcbank.com

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक (राजनैतिक प्रस्ताव)

Posted on 25 May 2012 by admin

यूपीए सरकार ने 2009 के लोकसभा चुनाव में दोबारा सत्ता़ में आने के बाद  अपने तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए जिस आम आदमी का हितैषी होने का प्रचार करती है वही आम आदमी इस सरकार के कुशासन का सबसे बड़ा शिकार बना है।  कुशासन, भ्रष्टाचार और उदासीनता के कारण गरीब आदमी का दुख, उपेक्षा और पीड़ा सभी हदों को पार कर चुकी है। सच्चाई तो यह है कि भारत के विकास की कहानी के सभी दावे संदेह और अविश्वापस के घेरे में आ गए हैं। कांग्रेस के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार की नीतिगत विफलताओं और उसके खराब शासन के कारण दुनिया भर में भारत की साख गिरी है। घिसट-घिसटकर चलना यूपीए-2 की विशेषता बन गई है। उम्मीद का माहौल खत्म हो गया है और भारत के एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरने के सपने पर अब न केवल तटस्थ पर्यवेक्षक बल्कि ऐसे लोग भी गंभीरता से सवाल उठा रहे हैं जो इस सरकार के विशेष सलाहकार हैं। यह सब इस महान देश की असाधारण सामर्थन और इसकी जनता की असीम क्षमता के बावजूद हो रहा है। श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने उम्मीद, उत्साह, भागीदारी, वास्तविक विकास, मंहगाई के ठोस प्रबंधन और सामान्य सद्भावना और आशा की महान विरासत छोड़ी थी जिसकी वजह से भारत को नई ऊंचाईयां छूने को मिली और भारत एक महत्वपूर्ण देश के रूप में उभरकर सामने आया था। आज इसकी जगह अंधकार और निराशा का माहौल है।            इस सभी का कारण ढूंढना कोई बहुत मुश्किल नहीं है। एक सफल सरकार चलाने और किसी भी कार्यक्रम को लागू करने के लिए तीन चीजें आवश्यक हैं। पहला नेतृत्व ऐसा होना चाहिए जो फैसले लेने और उन्हें लागू करने की क्षमता रखता हो। दूसरा सरकार की विश्वसनीयता है और तीसरी महत्वपूर्ण बात है सरकार की साख। प्रधानमंत्री को स्वाभाविक रूप से देश और सरकार का नेता होना चाहिए और नीतिगत मामलों में उनकी ही बात मानी जानी चाहिए। डा. मनमोहन सिंह दोहरी कसौटी पर खरा उतरने में एकदम ही नाकाम रहे हैं। देश में न केवल दोहरा नेतृत्व है बल्कि 7 रेसकोर्स रोड और 10 जनपथ की दूरी बढ़ती जा रही है। नीतिगत पहलों पर भी वे एकमत नहीं हैं। सरकार मंत्रियों और गठबंधन के सहयोगियों के बीच कोई तालमेल नहीं है। प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी है कि वे चीजों को दुरूस्त रखें। हांलाकि हर दिन इस बात की पुष्टि कराई जाती है कि प्रधानमंत्री अपने पद पर आसीन हैं लेकिन उन्हें  अधिकार प्राप्त नहीं है। उन्हें  देखकर ऐसा लगता है जैसे वह एक सीईओ की तरह काम कर रहे हैं, जिसे एक कम्पानी के बोर्ड से निर्देश मिलते हैं जिसके चैयरमैन के पास सारे अधिकार हैं लेकिन वास्तव में कोई जवाबदेही नहीं है।

नीतिगत विफलता और मुद्रास्फीति
नीतिगत विफलता और भ्रष्टा्चार के परिणाम चारों तरफ दिखाई दे रहे हैं। निवेश कम हुआ है, औद्योगिक माहौल बिल्कुल अनुकूल नहीं है और भ्रष्टाचार ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर है, अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग अनुकूल नहीं हैं और रूपया गिरा है डॉलर के मुकाबले रूपये का 22 प्रतिशत अवमूल्यमन हो चुका है। डॉलर मंहगा होने के कारण अब छात्रों, पर्यटकों और सरकार को ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा। वृद्धि और विकास के लिए जरूरी कई नीतिगत पहल अधर में लटके पड़ी हैं क्योंकि सरकार और यूपीए के भीतर न केवल स्पष्टीता और आम सहमति का अभाव है बल्कि कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ मंत्री भी अलग-अलग भाषा बोल रहे हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री के पास राजनैतिक अधिकार होना जरूरी है जो दुर्भाग्य से उपलब्ध  नहीं है। निष्क्रियता और भ्रष्टाचार के लिए गठबंधन की राजनीति की मजबूरी का बहाना नहीं बनाया जा सकता। विपक्ष के साथ सहमति बनाने का काम एकतरफा नहीं हो सकता जबकि वरिष्ठ मंत्री राज्यों  के साथ, विपक्ष से निपटते समय अहंकार वाली बयानबाजी करते हैं और विपक्ष द्वारा शासित राज्यों के लिए परेशानियां खड़ी करने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
मुद्रास्फीति खासतौर से खाद्यान्नों की कीमतें एक बार फिर बढ़ने के कारण न केवल गरीब आदमी का जीवन दूभर हो गया है बल्कि मध्यम वर्ग के लिए भी काफी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। ऐसा लगता है कि सरकार ने हाथ खड़े कर दिये हैं। उसके पास खाद्यान्नों की बढ़ती कीमतों की समस्या से निपटने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं है जिसके कारण अर्थव्यवस्थाक लम्बे  अरसे से चैपट पड़ी है। यह एक विडम्बना ही है कि भारतीय किसानों की कड़ी मेहनत के कारण अनाज के रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद, अनाज खुले में सड़ रहा है क्योंकि भंडारण की पर्याप्त  सुविधा नहीं है और अत्यधिक गरीब और हाशिये पर चले गए लोगों को खाना नसीब नहीं हो रहा है। सरकार के पास इस गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए कोई रोडमैप नहीं है और यह स्थिति बार-बार पैदा हो रही है। अर्थव्यवस्था का प्रबंधन खासतौर से खाद्य अर्थव्यवस्था घोर असंतोषजनक है जबकि पिछले 8 वर्ष से एक जाने-माने अर्थशास्त्री  प्रधानमंत्री हैं। पेट्रोल की कीमत पर एक दिन में 7 रुपये से अधिेक की बढ़ोतरी आज तक कभी नही हुअी। अपनी तीसरी वर्षगांठ पर यूपीए के द्वारा देश के गरीब जनता को दिया गया एक क्रूर उपहार हैं।

भ्रष्टाचार यूपीए सरकार का अभिन्न अंग
भाजपा ने कुछ समय पहले अपनी पिछली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठकों में स्पैक्ट्रम मत व्यक्त किया था कि आजादी के बाद सबसे भ्रष्ट केन्द्र सरकार का नेतृत्व डा. मनमोहन सिंह कर रहे हैं। इस अवधारणा में बदलाव की कोई वजह नहीं दिखाई देती। भ्रष्टोचार करना और भ्रष्टाचार करने वाले को संरक्षण देना उनके शासन की  विशेषता बन गई है। यहां तक कि गठबंधन के सहयोगियों और कांग्रेस पार्टी से जुड़े लोगों की भ्रष्टाचार में लिप्ततता को लेकर अलग-अलग मानदंड बना दिए गए हैं। मौजूदा गृह मंत्री पी. चिदम्बरम जब वित्त मंत्री थे तो उस समय 2जी घोटाला हुआ जो आजादी के बाद राजनीतिक भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा मामला है, इसमें उनकी खुद की भूमिका का काफी संदेह के घेरे में है और इसकी निष्पक्ष जांच करने की आवश्यकता है। फिर भी वह प्रधानमंत्री के निर्विवाद विश्वासपात्र बने हुए हैं। जिस तरह से अत्यधिक संदेहपूर्ण परिस्थितियों में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने होल्डिंग कंपनियों के जरिये एयरसेल मैक्सिस सौदे को मंजूरी दी उसे लेकर अनेक गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस सौदे में श्री चिदम्बंरम के परिवार के सदस्य कथित रूप से शामिल हैं। इस सौदे की सीबीआई जांच कर रही है जिसमें तत्कालीन दूरसंचार मंत्री श्री मारन की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
आदर्श घोटाले में महाराष्ट्र के अनेक कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के नाम आए हैं और हैरानी की बात यह है कि उनमें से कई केन्द्रे सरकार में मंत्री बने हुए हैं। राष्ट्रमंडल खेल घोटाले में दिल्लीै की मुख्य मंत्री शीला दीक्षित को लगातार संरक्षण दिया जा रहा है जबकि इस मामले की जांच के लिए खुद प्रधानमंत्री द्वारा गठित शुंगलू समिति की रिपोर्ट में उनकी भूमिका के खिलाफ गंभीर टिप्पणियां की गई हैं। हाल ही में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में एंट्रिक्स-देवास सौदे को शासन व्यवस्था की विफलता का अनूठा उदाहरण करार दिया गया। रिपोर्ट में यह टिप्पणी की गई है कि इसरो के पूर्व प्रमुख और अन्य अधिकारियों ने सरकार के हितों की अनदेखी की और निजी कंपनी देवास को फायदा पहुंचाया। अंतरिक्ष मंत्रालय सीधे तौर पर प्रधानमंत्री के अधीन है, इसके बावजूद ऐसा हुआ। कैग ने एयर इंडिया के विमानों की खरीद में बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार पाया। उर्वरक सब्सिडी के मामले में भी भारी भ्रष्टाचार हुआ है। हर रोज एक नया घोटाला या घपला सामने आ रहा है। कैग ने अपनी रिपोर्ट मे कोयला ब्लाॅक के आवंटन मे भी भयंकर अनियमिताओं को उजागर किया है। कैग ने दिल्ली हवाई अड्डे के निजीकरण में भी भयंकर अनियमितताओं को पाया है।
काले धन का पता लगाने के लिए प्रभावी और अर्थपूर्ण समयबद्ध कार्यक्रम चलाने तथा विदेशों में काला धन जमा करने वालों के नाम जनता के सामने लाने के लिए सरकार में राजनैतिक इच्छा शक्ति का अभाव है। सरकार जानती है कि अगर यह नाम उजागर हो गए तो उसकी फजीहत होगी। काले धन पर संसद मे सरकार द्वारा जारी वक्तव्य सिर्फ दिखावा है। इसमे कोई दिशा और स्पष्ट नीति का अभाव है जिससे विदेशी बैंको मे जमा काले धन को लाया जा सकें। रिपोर्ट से इस चैकानें वाले तथ्य का पता चलता है कि 2006 से 2010 के बीच स्वीट्जरलैंड के बैंको मे जमा भारतीयो के पैसे में 60ः की गिरावट हुई। रु 23,273 करोड़ रू॰ से कम होकर यह राशि 2010 में 9295 रुपये रह रह गई। हालांकी इस पूरी राशि का आकलन भी काफी कम है। लेकिन इससे यह ज्ञात होता है कि 2008 के बाद भाजपा द्वारा इस विषय को गंभीरता से उठाने के बाद वहा से ये पैसा निकाला गया।  भाजपा महसूस करती है कि सशस्त्र बलों के लिए होने वाली खरीद के अनेक सौदों में भ्रष्टाचार का होना गंभीर चिंता का विषय है। सेना के लिए टाट्रा ट्रक की आपूर्ति ने भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को लेकर अनेक चिंताजनक सवाल खड़े कर दिये हैं।
कांग्रेस भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के प्रति गंभीर नहीं है। प्रधानमंत्री और यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा भ्रष्टाचार रोकने की गई सभी घोषणाएं खोखली और हास्यास्पद लगती हैं। अगर भाजपा द्वारा खासतौर से काफी आक्रामक अभियान नही चलाया गया होता और जागरूक मीडिया और अदालत की निगरानी नही होती तो किसी भी घोटाले में कोई कार्रवाई यू.पी.ए. सरकार द्वारा नही होती। कांग्रेस का भ्रष्टाचार करने वालों के दुष्कर्म को छिपाने के लिए अपने अधिकारों का दुरूपयोग करने की निर्लज्जता दिखाने का रिकॉर्ड रहा है।

हाल के चुनाव परिणाम
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पिछली बैठक के बाद अनेक राज्यों में चुनाव हुए। पंजाब में अकाली दल, भाजपा गठबंधन भारी बहुमत से विजयी रहा। पिछले 40 वर्ष में ऐसी पहली सरकार थी जो सत्ताु पर रहते हुए दोबारा चुनी गई। जाहिर है कि लोगों ने अकाली-भाजपा सरकार द्वारा किये गए अच्छे कार्यों पर भरोसा किया। इन दोनों दलों का सम्बन्ध 40 वर्ष से ज्यादा पुराना है। गोवा में भाजपा की भारी जीत काबिले तारीफ है। ईसाई मतदाताओं की बड़ी संख्या सहित औसत मतदाताओं के बहुमत को कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार के कुशासन से छुटकारा पाने के लिए भाजपा एकमात्र उम्मीद के रूप में दिखाई दी। बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के उम्मीदवारों ने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर इस दुष्प्रचार को खत्म कर दिया कि भाजपा अल्पसंख्यक विरोधी है। वे भाजपा इस सिद्धांत की सराहना करते हैं कि सभी को न्याय मिले और किसी का तुष्टिकरण नहीं हो। उत्तराखंड राज्य में एक सीट कम रहने के कारण हम अपनी सरकार नहीं बना पाए। हम नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा की गई कड़ी मेहनत की सराहना करते हैं लेकिन इससे सबक लेने की जरूरत है। उत्तरप्रदेश के चुनाव परिणाम संतोषजनक नहीं रहे। कार्यकर्ताओं और समर्थकों के जबरदस्त चुनाव प्रचार और कड़ी मेहनत के बावजूद, हम वहां लोगों की अपेक्षाओं पर खरे नही उतर सके। हमें गंभीरता से आत्म विश्लेषण करने, सुधार करने और पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को प्रेरित और उत्साहित करने की जरूरत है। भाजपा को उत्तर प्रदेश में पहले लोगों का विश्वास और समर्थन मिल चुका है। हमें इसे दोबारा हासिल करने की जरूरत है। मणिपुर में पार्टी की कड़ी मेहनत का पूरा फल नहीं मिल सका फिर भी हमें वहां अपना जनाधार बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे।
विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को न केवल भारी नुकसान हुआ बल्कि मतदाताओं ने मुंबई, दिल्लीे और बेंगलुरू के नगर निगम चुनावों में उसे बुरी तरह से सबक सिखाया। इससे यूपीए सरकार के कुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता के गुस्से  का पता चलता है।

संघीय ढांचे का लगातार उल्लंघन
बार-बार विरोध व्यक्त करने के बावजूद यूपीए ने राज्य सरकारों के अधिकार को कम करने के लिए संघीय ढांचे के सिद्धांतों के साथ छेड़छाड़ जारी रखी है। यूपीए के सहयोगी दलों सहित विपक्ष के विरोध के बावजूद यह लगातार जारी है। हाल में केन्द्र सरकार का एकतरफा और मनमर्जी करने का उदाहरण देखने को मिला। उसने जिस तरीके से राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केन्द्र  (एनसीटीसी), रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) कानून में सुरक्षा संबंधी अधिकार को लेकर संशोधन किये उससे केन्द्र  और राज्यों के बीच में अविश्वास और संदेह बढ़ा है। देश की आंतरिक सुरक्षा को मनमाने ढंग से नहीं देखा जा सकता। राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रबंधन और संघीय ढांचे के सिद्धांतों के सम्मान को लेकर कोई मतभेद नहीं है। इस सम्बंध में राज्य सरकारों की बराबर की भागीदारी और जिम्मेदारी है। केन्द्रीय सहायता और संसाधनों के आवंटन में भेदभाव राज्यों की बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए कोयला खदानों के आवंटन और राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित अनेक विधेयकों को मंजूरी नहीं दिये जाने जैसे भेदभाव के अनेक उदाहरण गंभीर चिंता का कारण हैं। ऐसा निष्कर्ष निकालना सही होगा कि संघीय ढांचे के सिद्धांतों का सम्मायन कांग्रेस के डीएनए का हिस्सा नहीं है।

आतंकवाद और नक्सल हिंसा का खतरा
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की यह बैठक मुंबई में हो रही है और हमारे लिए यह जरूरी है कि हम 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के मुख्य षड़यंत्रकारियों और इसकी योजना बनाने वालों को अभी तक सजा नहीं दिलाने जाने पर गंभीर रोष प्रगट करें। वे पाकिस्तान में सुरक्षित घूम रहे हैं क्योंकि उन्हें  पाकिस्तांन के शासकों और सेना का संरक्षण हासिल है। इस बारे में भारत सरकार पाकिस्तान को विस्तृत जानकारी के साथ दर्जनों दस्तावेज दे चुकी है लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है। भाजपा का दृढ़ मत है कि पाकिस्तान के साथ सम्बन्धों  को सामान्य बनाना तब तक संभव नहीं है जब तक वह अपनी जमीन से भारत के खिलाफ होने वाली आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ कड़ी और निर्णायक कार्रवाई नहीं करता। भारत को आतंकवाद के साथ लड़ाई में पूरी तरह से सतर्क रहने और कठोर कार्रवाई करने की जरूरत है। आतंकवाद से निपटने के लिए किसी तरह की कोताही और समझौता नहीं होना चाहिए क्योंकि यह सुरक्षा और एकता का मामला नहीं है बल्कि इससे देश की संप्रभुता जुड़ी हुई है।
माओवादी हिंसा ने गंभीर चिंता और चुनौती खड़ी कर दी है। पूरे देश को इस समस्या से पूरी तरह से सतर्क रहने की जरूरत है और इस चुनौती से निपटने के लिए केन्द्र  एंव राज्य सरकारों के बीच पूरा तालमेल होना चाहिए। गरीबों की समस्याओं का हल ढूंढा जाना चाहिए लेकिन हमें इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि माओवादियों का मूल उद्देश्य हिंसा के जरिये संसदीय लोकतंत्र का तख्ता पलटना और राजनीतिक ताकत हासिल करना है। यही वजह है कि वे जबरन निर्दोष लोगों का अपहरण और हत्या करते हैं। यह अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती है। हम छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की इस घोषणा की सराहना करते हैं कि अगर मुख्यरमंत्री का भी अपहरण हो जाता है तो उनकी नाजायज मांगों के आगे नहीं झुका जाना चाहिए।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के हालात और शरणार्थियों की स्थिति
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों खासतौर से हिन्दुओं की स्थिति बहुत दयनीय है। वहां पर हिन्दू लड़कियों का अपहरण करने के बाद जबरन धर्मांतरण करने और उनकी इच्छा के विरूद्ध विवाह कराने की घटनाएं अकसर सुनने को मिलती हैं। पुलिस ही नहीं बल्कि न्यायपालिका भी कई मामलों में उन्हें  न्याय नहीं दिला पाती। पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में अनेक हिन्दू पेशेवर और व्यवसायियों की हत्या। की जा चुकी है। हिन्दू ही नहीं बल्कि ईसाई भी दहशत में जी रहे हैं। पाकिस्तान मे अल्पसंख्यको के पूजा स्थलों पर भी हमला हो रहा है। मानवाधिकार संगठनों ने अपनी अनेक रिपोर्टों में इस दुर्दशा की विस्तार से जानकारी दी है। हमारा भारत सरकार से आग्रह और मांग है कि वह पाकिस्तान के साथ दृढ़ता से सभी कूटनीतिक उपाय करे और पाकिस्तान में इन अल्पसंख्य्कों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए इससे जुड़े अन्य उपाय भी करे।
पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर से आये हिन्दू शरणार्थियों की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है। उन्हें धार्मिक कारणों और अपनी आस्था के कारण जबरन वहां से भागना पड़ा क्योंकि उनके नागरिक और सांस्कृतिक अधिकारों का हनन हो रहा था तथा एक सन्मान जनक जीवन जीने की स्थितियां भी नहीं थी। भारत सरकार को उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए सभी उपाय करने चाहिए जिससे वे भारत में इज्जत और आत्मसम्मान के साथ रह सकें। उन्हें जबरन उनकी मातृभूमि से खदेड़ा गया है और वहां का शासन उनके बुनियादी मानवाधिकारों की अवहेलना कर रहा है। उन्हें शरणार्थियों और मानवाधिकार के उल्लंघन संबंधित आंतरराष्ट्रीय नियिमों के अनुसार सन्मान से जीवन यापन का अवसर मिलना चाहिए।

संस्था का पतन
यूपीए सरकार एक के बाद एक विवादों में घिरती चली गई और इस कारण संस्थाओं का पतन होने लगा है। उसने न केवल सिविल सोसाइटी को नाराज किया है जो भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदारी तय करने की मांग कर रही है बल्कि कैग और चुनाव आयोग के साथ भी उसका तकरार बढ़ा है। वे अपनी स्वायत्ता  में हस्तक्षेप किये जाने की आशंका व्यक्त कर रहे हैं। हमें अपनी सेना के साहस और शौर्य पर गर्व है जो हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं। वे हमारे संविधान और राजनैतिक स्वरूप के अनुसार राजनैतिक नेतृत्व के नियंत्रण मे काम करते हैं। हाल में सरकार और सेना के सम्बन्धों में तनाव के अनेक उदाहरण सामने आए जिनसे मजबूत शासन व्यवस्थों के जरिये बचा जा सकता था। भाजपा भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए पर्याप्त अधिकारों के साथ एक प्रभावी लोकपाल के लिए प्रतिबद्ध है और इस सम्बन्ध में कोई देरी नहीं की जानी चाहिए।

निष्कर्ष
यूपीए ने देश के शासन को गर्त में धकेल दिया है। भ्रष्टाचार, अनिर्णय, मंहगाई और असुरक्षा का भाव पैदा होने के कारण जनता की तकलीफें बढ़ गई हैं। वे भाजपा की ओर देख रहे हैं। हमारा कत्र्तव्य है कि हम उनकी उम्मीदों पर खरे उतरें और देश की जनता को आश्वस्त करें कि भाजपा ही देश को विकास के रास्ते पर ले जा सकती है।
यू॰पी॰ए॰ सरकार के तीन वर्ष पूरे होने के कार्यक्रम मे श्रीमती सोनिया गाँधी ने सराकार के संबंध मे विपक्ष विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी की टिप्पणियों को गैर-जिम्मेवार और आक्रामक बताया है। उनका यह कहना दुर्भाग्यपूर्ण है और हम इसकी भत्र्सना करते है। अगर आम आदमी इस सरकार में पीडि़त और ठगा हुआ महसूस कर रहा है, अगर किसान आत्महत्या कर रहे हैं, अगर औद्योगिक उत्पादन मे भयंकर गिरावट है, अगर बेरोजगारी बढ़ रही है और अगर भयंकर भ्रष्टाचार रोज नए-नए आयामों मे प्रकट हो रहा है और जब देश मे यू॰पी॰ए॰ के कुशासन के कारण भंयकर निराशा और असंतोष है तब भाजपा अपना नैतिक दायित्व समझती है कि वह देश की पीडि़त जनता की आवाज को गंभीरता से उठाए। यह कार्य पार्टी पूरी निष्ठा और संकल्प के साथ करती रहेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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भारतीय जनता पार्टी - राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक मुंबई (पवित्र गंगा की सुरक्षा और प्रदूषण मुक्ति पर प्रस्ताव)

Posted on 25 May 2012 by admin

भारतीय जनता पार्टी गंगा नदी में उच्च स्तर के भयावह प्रदूषण पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करती है। गंगा के प्राकृतिक प्रवाह में अनेक बाधायें उत्पन्न करके इसके प्रदूषण को और अधिक बदतर बना दिया गया है। अन्नतकाल से भारत की संस्कृति और सभ्यता की पहचान और सबसे पवित्र प्रतीक के रूप में जिस गंगा को भारत की अनन्त पीढि़यों द्वारा श्रद्धाभाव से देखा जाता रहा है, उस पवित्र नदी के प्राकृतिक जीवन को विकास की दोषपूर्ण अवधारणों ने गहरे संकट में डाल दिया है।
पिछले कई वर्षों से धार्मिक नेताओं, पर्यावरणविदों और सामाजिक रूप से सक्रिय कार्यकर्ताओं ने गंगा के प्रदूषण के विभिन्न मुद्दों पर लगातार सक्रिय प्रयास किया है, परन्तु गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (जिसके अध्यक्ष स्वयं प्रधानमंत्री है) द्वारा इस संदर्भ में कोई व्यवहारिक और स्थाई समाधान खोजने में असफल रहने पर भाजपा गहरा दुःख व्यक्त करती है।
हम भारत के लोग सभी नदियों और जल स्रोतों को पवित्र मानकर उनके प्रति श्रृद्धाभाव रखते हैं। यह इस बात से स्पष्ट होता है कि हिमालय में गंगोत्री, जहां से गंगा का जन्म होता है और बंगाल में गंगासागर जहां आकर गंगा समुद्र में मिलती है, दोनों ही स्थान भारत में पवित्र तीर्थ स्थल रूप में माने जाते हैं। गंगा के किनारे स्थित अन्य पवित्र स्थल ऋषिकेश, हरिद्वार, प्रयाग एवं वाराणसी पवित्र शहर है।
‘गंगा जल’ न केवल लोगों की धार्मिक भावनाओं से जुड़े रहने के कारण पवित्र माना जाता है अपितु वैज्ञानिक अनुसंधानों ने भी इसके अद्वितीय चरित्र को प्रमाणित किया है। गंगा भारत के 11 राज्यों की 40 प्रतिशत जनसंख्या को जल भी उपलब्ध कराती है।
यह बड़ा दुःखद है कि जो गंगा भारत की सभ्यता को हजारों वर्षों से पोषित कर रही है उसी गंगा के अस्तित्व की सुरक्षा की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
अनियोजित सभ्यता और असंतुलित औद्योगिकरण ने नदी में प्रदूषण के स्तर को जहरीला बना दिया है। एक के बाद एक किए गए अध्ययन यह बताते है कि बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड और केलिफार्म, जो गंगा के प्रदूषण को मापने के साधन है, के आधार पर गंगा में प्रदूषण उच्च स्तर पर माना गया है। जिन राज्यों से गंगा बहती है वहां नदी के प्रदूषण के कारण प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में लोग बीमारी से मृत्यु के शिकार हो रहे हैं।
अप्रैल में संपन्न गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की बैठक में स्वयं प्रधानमंत्री महोदय ने यह स्वीकार किया था कि गंगा में समाहित होने वाले 290 करोड़ लीटर गंदे पानी में से केवल 110 करोड़ लीटर का ही परिशोधन किया जाता है। यह लगभग उस गंगा एक्शन प्लान की पूर्ण असफलता को दर्शाता है जिसे पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने 1985 में मंगल ध्वनि के साथ प्रारम्भ किया था और जिस पर अभी तक हजारो करोड़ो रुपये बेकार ही खर्च किये जा चुके हैं।
यह बड़ी भयावह स्थिति है कि प्रयाग में जहां पूरे विश्व और देश से हजारों श्रद्धालु कुंभ के लिए आते हैं वहां बहुत ही न्यून मात्रा में शुद्ध जल पाया जाता है। यह कम चिंता की बात नहीं है कि बांधों द्वारा उत्पन्न किये गये विचलन और बाधाओं के कारण नदी का बहुत बड़ा फैलाव सूखा रहता है।
निर्मल गंगा, अविरल गंगा
भाजपा यह मानती है कि गंगा की यह स्थिति पूर्णतया अस्वीकार्य है। हम यह मानते हैं कि सरकारों (केन्द्र, राज्य और स्थानीय) और लोगों का यह पवित्र राष्ट्रीय कत्र्तव्य है कि वे गंगा की पवित्रता और इसके अविरल प्राकृतिक प्रवाह को अक्षुण्य बनाये रखे और ऐसा भारत की अन्य नदियों के साथ भी व्यवहार किया जाये। निर्मल और अविरल गंगा के प्रवाह को बनाये रखने के लिए प्रकट की जाने वाली प्रतिबद्धता का यही अर्थ है।
यहां यह आवश्यक है कि हम याद करें कि ‘अविरल गंगा’ के लिए पहली बार आवाज महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने उठाई थी, जब ब्रिटिश सरकार ने हरिद्वार के पास गंगा के प्रवाह की दिशा को बदलने को प्रयास किया था। मालवीय जी द्वारा चलाये गये व्यापक प्रचार के कारण साम्राज्य वादियों को हिन्दू समुदाय की भावना का सम्मान करना पड़ा और 1916 में अविरल गंगा के प्रवाह को बनाये रखने की गारंटी दी गई। भाजपा मालवीय जी की इस विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लेती है। जिनकी जन्मदिन का 150वीं वर्षगांठ पिछले वर्ष मनायी गई।
अविरल गंगा से यह आशय नहीं है कि पूरी नदी पर कही भी बांध नहीं होना चाहिए। विशेषज्ञों की दृढ़ मान्यता है कि सिंचाई और ऊर्जा उत्पादन के लिए बांध बनाने के बाद भी गंगा के प्राकृतिक प्रवाह को बाधारहित और अविरल बनाया रखा जा सकता है। यह तब और आसान हो सकता है जब छोटे बांधों की संरचना इस प्रकार बनायी जाये कि इन छोटे बांधों से उतनी ही ऊर्जा प्राप्त की जा सके जितनी की बड़े बांधों से प्राप्त करने का दावा किया जाता है। गंगा की सुरक्षा और प्रदूषण मुक्त बनाने की दृष्टि से पार्टी की ठोस प्रतिबद्धता को कार्यरूप में परिणित करने के लिए, भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी यह संकल्प लेती है कि:
1.    गंगा को निर्मल और अविरल बनाए रखने के लिए गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण को विशिष्ट और समयबद्ध कार्य करने का सुनिश्चित दायित्व दिया जाना चाहिए। चूंकि गंगा को भारत की राष्ट्रीय नदी का दर्जा दिया जाता है इसीलिए राज्यों में गंगा नदी के तट पर स्थित विभिन्न शहरों के विकास/ऊर्जा/वित्तीय आवश्यकताओं की आपूर्ति का कार्य केन्द्र सरकार द्वारा किया जाना चाहिए।
2.    प्रदूषण को अनुमत बनाये रहने देने और फिर बाद में समाधान ढूढ़ने के बजाय जो कि पूरी तरह असंगत और अवैज्ञानिक सोच है, केन्द्र, राज्य सरकारों और स्थानीय सरकारों द्वारा औद्योगिक गंदे पानी को गंगा में मिलने से रोकने के लिए संयुक्त रूप से जारी किया गया निर्देश बनाना चाहिए। औद्योगिक इकाइयों को इस योग्य बनाया जाना चाहिए कि वह प्रभावी प्रदूषण नियंत्रण साधन अपनाये। नियमों को तोड़ने वालों पर कार्रवाई करने के लिए एक सख्त दण्डात्मक कानून का सहारा लिया जाना चाहिए।
3.    राज्य और स्थानीय प्रशासन को नालियों के गंदे पानी के निपटान और गंदे पानी को उपचारित करने के प्लांट लगाने में सहायता प्रदान की जानी चाहिए। यह कार्य ग्राम सभा और स्थानीय सिविल निकायों द्वारा विकेन्द्रीयकरण के द्वारा बेहतर तरीके से किया जा सकता है।
4.    यह अनुभव रहा है कि गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण अपने उद्देश्य में पूरी तरह असफल रहा है, भाजपा यह मांग करती है कि गंगा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए संसद द्वारा कानून बनाकर प्राधिकरण को सशक्त और दण्ड देने के लिये प्राधिकृत किया जाय। यह कानून यह घोषणा करे कि गंगा भारत की अमूल्य राष्ट्रीय धरोहर है।
5.    गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण द्वारा लागू किये गये निर्णयों की पर्यवेक्षण के लिए कैग जैसी कोई स्वायत संविधानिक संस्था होनी चाहिए।
6.    भाजपा यह मानती है कि गंगा की सुरक्षा और प्रदूषण मुक्त बनाने का कार्य राष्ट्रीय मिशन के रूप में होना चाहिए। इस कार्य के लिए सभी लोगों के सहयोग और उत्साही सहभागिता की जरूरत है। बड़ी संख्या में धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरण संगठन इस मिशन में पहले से ही सक्रिय हैं। भाजपा उनके प्रयासों की सराहना करती है हम उनसभी संगठनों को सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध ओर तत्पर है और हम अन्य राजनीतिक पार्टियों और उनकी सरकारों से भी इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एजेंडा में सहयोग के लिए तत्पर है।
7.    भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी निर्मल और अविरल गंगा की मांग को व्यापक स्तर पर जन समर्थन प्राप्त करने के लिए वृहद जनजागरण अभियान चलाने का संकल्प लेती है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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आइए, जनता की आशाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिये एकजुट होकर विस्तार करते हुए आगे बढ़ें

Posted on 25 May 2012 by admin

भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी का  अध्यक्षीय भाषण राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक

1भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक मुंबई में कई वर्षों के अंतराल पर हो रही है। मुंबई की इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों की शुरुआत करना है, फिर चाहे वो चुनाव 2014 में हों या उससे पहले।
इन चुनावों में हमें जनादेश मिलता दिखायी दे रहा है। आइए, सिंधुसागर के तट पर बसे मुंबई से हम अपनी विजय यात्रा की तैयारी प्रारंभ करें।
दो दिन पहले ही, 22 मई को कांग्रेस के नेतृत्व में चल रही यूपीए की  सरकार के कार्यकाल के आठ वर्ष पूरे हुए हैं। जब किसान आत्महत्या कर रहे हैं, रुपया गिर रहा है, आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ रहे हैं तब यूपीए ने जश्न मनाकर अपनी असंवेदनशीलता का परिचय दिया है। यह सरकार पहले से ही पंगु और बेअसर हो चुकी है। मुंबई से भाजपा इस भ्रष्ट, घोटालों से घिरी, गरीब विरोधी और निरंतर अलोकप्रिय होती जा रही सरकार को ज़ोरदार और स्पष्ट रूप से यह बताना चाहती है किः “तुम्हारे दिन अब गिनती के हैं। भारत अब तुम्हारे कुशासन को और बर्दाश्त नहीं कर सकता। वक्त आ गया है कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की वापसी हो ताकि यूपीए द्वारा फैलाई जा रही अराजकता खत्म की जा सके और हम देश को सही दिशा में आगे ले जा सकें।“

अटलजी, हमारे प्रेरणा के स्त्रोत
भाजपा के इतिहास में मुंबई का गौरवपूर्ण महत्व है। अप्रैल 1980 में पार्टी की स्थापना के बाद दिसंबर में यहीं श्रद्धेय अटलजी के नेतृत्व में पार्टी का पहला पूर्ण अधिवेशन हुआ था।
हम सभी को यहां श्री अटलजी की अनुपस्थिति खल रही है। हालांकि, उनका आशीर्वाद सदैव हमारे साथ हैं। हम उनके शीघ्र स्वस्थ होने और दीर्घायु की कामना करते हैं।
सŸाा में भाजपा की वापसी आज राष्ट्र््ीय आवश्यकता बन गयी है। इस कर्तव्य को निभाने में हमें सफल होना ही है। राजनीतिक हालात और लोगों का मन, दोनों ही भाजपा की वापसी का समर्थन कर रहे हैं। बस, हमें इस अवसर को खोना नहीं है।

भारत की वर्तमान आर्थिक बदहाली के लिए ‘यूरोज़ोन‘ नहीं बल्कि ‘यूपीए-ज़ोन‘ जिम्मेदार
भारत के लोग बड़ी आशा और उम्मीद के साथ भाजपा की ओर देख रहे हैं। निस्संदेह, जिस अनुपात में लोगों का कांग्रेस से मोहभंग हो रहा है और उसके प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा है, उसी अनुपात में उनकी भाजपा से उम्मीदें भी बढ़ती जा रही हैं। यूपीए का शासनकाल भ्र्रष्टाचार, घोटालों, नाकामियों और धोखाधड़ी की शर्मनाक कहानी है।
यूपीए सरकार की धोखाधड़ी का सबसे बडा शिकार है आम आदमी, जो भयंकर और निरंतर बढ़ती महंगाई के बोझ्ा तले दबता और पिसता चला जा रहा है। गरीबों और मध्यमवर्ग की परेशानियां कम करने के बजाय इस सरकार ने पेट्रोल के दाम बढ़ाकर लोगों की कमर तोड़ दी हैं। यह सरकार की असंवेदनशीलता का एक और उदाहरण है।
हमारे अर्थशास्त्री-प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत का रुपया गिरता ही जा रहा है। ये डर बेबुनियाद नहीं है कि जल्दी ही रूपया इतना नीचे चला जाएगा कि एक अमेरिकी डाॅलर 60 रुपए का हो जाएगा। जीतोड़ मेहनत से इकट्ठा किया गया भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भारी दबाव में है। सरकार की गलत नीतियों के कारण भारतीय कारोबारियों को देश के बजाय विदेशों में निवेश करने को मजबूर होना पड़ रहा है।
जैसाकि उम्मीद की जा रही थी, सरकार के प्रवक्ता भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्याओं के लिए बाहरी कारणों को जि़म्मेदार ठहरा रहे हैं। ये सरासर बहानेबाजी है। भारत की समस्याओं की असली जड़ यूरोज़ोन नहीं, बल्कि यूपीए-ज़ोन है। पूरे मामले में सच बस इतना है कि ये सरकार फैसला लेने और नीतियां बनाने में पूरी तरह नाकाम हो चुकी है। सक्षम नेतृत्व के अभाव ने हालात को और भी बदतर बना दिया है।
यूपीए सरकार के कुशासन का एक और संकेतक केंद्र और राज्यों के संबंधो में बढ़ता तनाव हैं। कई गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने ये शिकायत की है कि केंद्र में बैठी कांग्रेस पार्टी के अहंकारी नेतृत्व ने राज्य सरकारों की हालत नगर निकायों जैसी कर दी है। ये बात भाजपा को कतई मंजूर नहीं है। इसके विपरीत भाजपा केंद्र और राज्यों के बीच वैसे ही सद्भावपूर्ण रिश्ते विकसित करना चाहती है जैसा श्री अटल बिहारी वाजपेयीजी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के शासनकाल में थे।

कांग्रेस ने समस्याएं पैदा की हैं: भाजपा समाधान करेगी

भाजपा का मानना हैं कि भारत की आर्थिक नीतियां, स्थायी विकास, रोजगार सृजन, कृषि, ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दें ताकि यह नीतियां अर्थव्यवस्था के अनौपचारिक क्षेत्रो, अनुसूचित जाति, जनजातियों और अन्य वंचित वर्गो तथा अल्पसंख्यकों को लाभ पहंुचा सके।
कांग्रेस से इसकी अपेक्षा नहीं की जा सकती। वह तो केवल राहत के झूठे वायदे करती रही है।
जल, ऊर्जा, खाद्य और पर्यावरण सुरक्षा जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने के लिए अल्पकालीन और दीर्घकालीन - दोनों तरह के उपाय तत्काल करने की भी आवश्यकता है।
आज हमारी यह बैठक महाराष्ट्र में हो रही है, जहां के बड़े हिस्से में सूखा पड़ा हुआ है। यह रोजमर्रा की बात हो गई है। राज्य सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए फिर से पानी के टैंकरों का उपाय किया है। आसानी से यह समझ्ाा जा सकता है कि पानी गांवों तक नहीं पहुंच सकता क्योंकि टैंकरों से पानी ‘रिसता‘ रहता है। इस तरह से भ्र्रष्ट नेता जनता के पैसे को हड़पते रहते हैं।
‘टैंकर के उपाय‘ को मैं उपमा के रूप में इस्तेमाल कर रहा हूं। इसका कारण यह है कि नरेगा, एनआरएचएम, इंदिरा आवास योजना, राजीव गांधी राष्ट्रीय पेयजल मिशन और इसी तरह की कांग्रेस द्वारा घोषित विकास और कल्याण योजनाओं के साथ ऐसा ही हो रहा है।
मेरा मानना है कि इन सारी बुनियादी समस्याओं का समाधान, सुशासन, विकास के अभिनव प्रयोगों, अंत्योदय द्वारा होगा जो हमारी राष्ट्रवादी विचारधारा का मूल है।
हाल ही में अभी मैं इज़राइल की यात्रा से लौटा हूं। वह बहुत छोटा सा देश है जिसकी आबादी मुंबई की आबादी की आधी से भी कम है। उसके पास पानी और हाइड्रोकार्बन संसाधन भी बहुत कम हैं। उसकी सुरक्षा को अपने पड़ोसियों से लगातार खतरा बना रहता है। और, इसके बावजूद इज़राइल की सरकार और जनता ने समूची आबादी की पानी, ऊर्जा, खाद्यान्न, शिक्षा और स्वास्थ्य की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भरता वाले उपाय विकसित किए हैं। उन्होंने वाकई इज़राइल को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवीनता के क्षेत्र में अग्रणी बना दिया है।
हमें उसी तरह का राष्ट्रवादी, आत्मनिर्भर, विकासोन्मुखी और नवीनतम रवैया अपनाकर भारत की समस्याओं को हल करने की जरूरत है।
मेरी सभी साथियों से अपील हैः हमें समस्याओं की चर्चा के साथ साथ समाधान भी देने होंगे।
जब लोग हमें केंद्र में सरकार बनाने के लिए जनादेश दें तो हमारी प्राथमिकताएं महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरु करने की होगी, जैसे अटलजी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना तथा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना चलायी थी। उसी तर्ज पर भारत के कृषि और ग्रामीण विकास के लिए हमें युद्ध स्तर पर जलसंरक्षण मिशन शुरु करना होगा। संसाधनों के अभाव में राज्य सरकारें सिंचाई जैसी बुनियादी समस्या पर ध्यान नहीं दे पा रही हैं। इसी प्रकार केंद्र एवं राज्य सरकार सिंचाई के लिए मिलकर संसाधन जुटा सकते हैं। मेरा मानना है कि इस एक पहल से ग्रामीण भारत की स्थिति उसी तरह बदल सकती है जैसे सड़क परियोजना से शहरों का कायाकल्प हो रहा हैं।
भारतीय संसद ने अभी हाल ही में 60 वर्ष पूरे किए। इस अवसर पर हमें ‘सशक्त संसदीय प्रणाली‘ बनाने के लिए देश को आह्वान करना चाहिए। न केवल संसद बल्कि राज्य विधानसभाओं और पंचायती राज संस्थाओं को अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाने के लिए हमें राष्ट्रीय स्तर पर बहस शुरू करनी चाहिए। हमें चुनावी सुधारों का ब्लू पिं्रट भी देश के सामने प्रस्तुत करना चाहिए।
हमारी दो राज्य सरकारों - उत्तराखंड (पूर्ववर्ती) और हिमाचल प्रदेश ने अपने-अपने राज्यों में प्रभावी और मजबूत लोकायुक्त विधेयक पारित करने का प्रशंसनीय काम किया है। हमें इन साहसी कदमों को जनता में लोकप्रिय बनाने का काम करना चाहिए।
नक्सली बंधक समस्या (जिलाधिकारी एलेक्स पाॅल मेनन समेत) से मजबूती और सफलता से निपटने के लिए हमें अपनी छŸाीसगढ़ सरकार को बधाई देने के साथ साथ आंतरिक सुरक्षा के इस गंभीर खतरे से निपटने के लिए राष्ट्र के सम्मुख व्यापक उपाय भी प्रस्तुत करने चाहिए।
भाजपा की समस्या-निराकरण की प्रतिबद्धता का प्रमाण हमारी गुजरात सरकार की उपलब्धियों और कार्यों में भी दिखता है, जहां कृषि का रिकाॅर्ड उत्पादन हुआ, सौराष्ट्र और कच्छ में पानी की स्थायी समस्या को हल किया गया, सौर ऊर्जा, महिला साक्षरता, जनजातीय कल्याण और इसी तरह के अन्य मामलों में हमने देश के सामने मिसाल पेश की है।
यही क्रम कर्नाटक में सुशासन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी को अपनाने में, बिहार में ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन को बेहतर बनाने में, और मध्यप्रदेश में सिटीजन चार्टर के प्रभावी क्रियान्वयन तथा अमल में भी दिखता है।
मीडिया सहित अनेक प्रतिष्ठानों के अध्ययनों में सन 2000 से भाजपा-एनडीए शासित राज्य सरकारों को अनेक मानकों पर कांग्रेस और वामपंथी सरकारों की तुलना में बेहतर पाया गया है। इन संस्थाओं द्वारा दिये गये पुरस्कारों में हमारी सरकारें अव्वल रही हैं।

क्षेत्रीय पार्टियों के प्रति भाजपा का सैद्धांतिक नज़रिया
क्षेत्रीय पार्टियों के बारे में हमारा रवैया स्पष्ट है। हमारा मानना है कि इन दलों की सोच भी राष्ट्रीय होती है। वास्तव में इनमें से कई एनडीए में भाजपा के महत्वपूर्ण सहयोगी रहे हैं।
एनडीए के शासन ने यह दिखा दिया है कि स्थायी और उद्देश्यपूर्ण सरकार तभी संभव है जब सŸाारूढ़ गठबंधन के केंद्र में भाजपा की तरह राष्ट्रीय और राष्ट्रवादी पार्टी मजबूत रूप में हो।
हमें यह बात लोगों को खासतौर पर समझ्ाानी होगी कि केंद्र में अस्थिरता की बड़ी भारी कीमत राष्ट्र की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को चुकानी पड़ती है। इस कारण हमें लोगों को समझ्ााना होगा कि न्यूनतम साझ्ाा कार्यक्रम पर आधारित भाजपा के नेतृत्व वाली मजबूत गठबंधन सरकार ही एकमात्र सच्चा विकल्प है, जो नई दिल्ली में सरकार परिवर्तन की आकांक्षा को पूरा कर सकती है।

भाजपा ही एक विकल्प, जिसकी तलाश भारत की जनता को है
सार्थक विकल्प के पांच निर्धारक तत्व होते हैंः
(क) सशक्त, सक्षम और विश्वसनीय नेतृत्व जिसमें टीम भावना हो और जो देश को पार्टी से ऊपर और पार्टी को स्वयं से ऊपर रखता हो;
(ख) देश के सम्मुख आसन्न चुनौतियों और अवसरों को समझ्ाने की दूरदर्शिता;
(ग) सही फैसले लेने की क्षमता और जन समर्थन से उन्हें लागू करना;
(घ) पारदर्शी और ईमानदार कार्य पद्धति; और
(ड़) राष्ट्रवाद, सुशासन, विकास और अंत्योदय हेतु प्रतिबद्धता।
गांव, गरीब, किसान और मजदूर की समग्र उन्नति-अंत्योदय के मूल वाले हमारे विकास विज़न में हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता रखती है। स्वामी विवेकानंद ने हमसे कहा थाः
“जब तक लाखों लोग भूख और अज्ञानता में जीवन बिता रहे हैं, तब तक मैं हर उस व्यक्ति को देशद्रोही कहूंगा जिसने उन लोगों के खर्चे पर पढ़ाई की और उन्हीं की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं देता।“
अगले वर्ष स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती मनाई जाएगी। मैं पार्टी की सभी इकाइयों से अनुरोध करता हूं कि वे इस पवित्र अवसर पर देश के कोने-कोने में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करें। हमें यह दिखाना है कि राजनीति के क्षेत्र में भाजपा, स्वामीजी के जागृत भारत के संदेश की सर्वश्रेष्ठ वाहक है।
हमारी पार्टी लोगों का विश्वास उस हद तक जीत पाएगी जिस हद तक हम उक्त खूबियों को भाजपा में - केंद्र में, राज्य में और स्थानीय स्तरों पर निरंतर विकसित करते चले जाएंगे। लोगों के विश्वास के बल पर, और इससे मिलने वाली राजनीतिक ताकत के आधार पर, राष्ट्रीय जीवन के विभिन्न पहलुओं में व्यापक बदलाव लाने की जो हमारी सोच है उसे अमल में ला सकेंगे।
भाजपा के हम सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को राजनीति में अपनी भूमिका को एक संकुचित और अल्पकालिक परिप्रेक्ष्य में नहीं देखना चाहिए। हमारे लिए राजनीति दूरगामी सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का एक माध्यम है। हमें खुद को इस भूमिका के योग्य बनाना है।
क्योंकि आज की वंशवादी और भ्र्रष्ट कांग्रेस भारत की तरक्की और विकास की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बन गई है। इसके लिए यह आवश्यक है कि कांग्रेस को केंद्र की सŸाा से उखाड़ फेंकें।

हमारा रणनीतिक लक्ष्य: भाजपा के वोट प्रतिशत मेंकम से कम 10ः की वृद्धि और एनडीए का विस्तार

4जैसाकि पिछले दो वर्षों में मैंने कई अवसरोें पर गौर किया है कि, कांग्रेस को बेदखल करने की हमारी रणनीति तीन अनिवार्य शर्तों पर निर्भर करती हैः (क) जिन राज्यों में हम पारंपरिक तौर पर कमज़ोर हैं, उनमें भाजपा के जनाधार का विस्तार (ख) भाजपा के संपूर्ण वोट आधार में कम से कम 10 प्रतिशत की वृद्धि और (ग) एनडीए का विस्तार।
तीेनों ही लक्ष्यों को हासिल करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर - वैचारिक, राजनीतिक और संगठनात्मक मोर्चों पर कुछ आवश्यक कदम उठाने होंगे।
इन मुद्दों पर हमारी सोच और कार्य में कुछ उत्साहवर्द्धक प्रगति हुई है। हमारे कई मोर्चों और प्रकोष्ठों ने पिछले कुछ महीनों में सराहनीय कार्य किये हैं। किसान मोर्चे ने इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय राजधानी में एक सफल ‘किसान संसद‘ का आयोजन किया। बुनकर प्रकोष्ठ ने हाल ही में ‘समर शंखनाद‘ नाम का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जिसमें बुनकरों की दयनीय स्थिति और उनके संघर्ष की बात खुलकर सामने आई। मछुआरा प्रकोष्ठ भी सक्रिय है। उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ ने भी भाजपा सरकारों की उपलब्धियों के प्रदर्शन के लिए एक आयोजन किया, जिसमें करीब 500 कारोबारी शामिल हुए।
मज़दूर महासंघ ने देश भर में कई आंदोलनों और अभियानों का नेतृत्व किया। पिछले वर्ष ऐसे ही एक आयोजन में करीब 500 से ज्यादा ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
इनमें से हर एक सम्मेलन और आयोजन में, हम कांग्रेस सरकार की नाकामियों और धोखाधड़ी की सिर्फ आलोचना नहीं करते। हम ऐसे ठोस समाधान भी सुझ्ााते हैं जिन्हें अगर भाजपा को अगली सरकार बनाने का मौका दिया गया तो, वो पूरी प्रतिबद्धता से लागू किए जाएंगे। अगर हमारा व्यापक संगठनात्मक ढांचा इन गतिविधियों का संदेश ज़मीनी स्तर तक ले जाएगा तो समाज के विभिन्न वर्गों में भाजपा के प्रति लोगों की सद्भावना को बल मिलेगा।
आने वाले महीनों में, हमने असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों - शिक्षकों, डाॅक्टरों, व्यापारियों, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स इत्यादि के लिए विशाल राष्ट्रीय सम्मेलनों की योजना बनाई है।
मैं अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्र के करीब 45 करोड़ श्रमिकों के बीच तेज़ी से फैल रहे हमारे कार्य को विशेष महत्व के साथ बताना चाहता हूं। हमें खेतिहर मजदूरों, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों, ढुलाई करने वालों, रिक्शाचालकों, घरों में कार्य करने वाली महिलाओं (मेड सर्वेंट्स) और इसी तरह के अन्य सभी लोगों को विश्वास दिलाना है कि भाजपा ही उनकी पार्टी है।
जब हम इस कार्य में सफल होंगे तो हमारा वोट प्रतिशत स्वाभाविक रूप से निरंतर बढ़ता जाएगा। इस संदर्भ में, मैं दक्षिण के तमिलनाडु की एक उत्साहवर्द्धक घटना का उल्लेख विशेष तौर पर करना चाहता हूं। हमारी पार्टी ने मदुरै में हाल ही में विशाल सम्मेलन किया जिसमें एक लाख से अधिक कार्यकर्ता शामिल हुए। इस सफलता के लिये मैं राज्य इकाई को बधाई देता हूं।

हाल के चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन
अब मैं, हमारी पिछली बैठक के बाद हुए चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन की बात करूंगा।
चूंकि हम मुंबई में बैठक कर रहे हैं, मैं आप सबसे अनुरोध करूंगा कि मेरे साथ राज्य और शहर की पार्टी यूनिट को हाल में हुए मुंबई म्यूनिसिपल चुनावों में शानदार सफलता पर बधाई दें। अपने गठबंधन के साथियों शिव सेना और रिपब्लिकन पार्टी आॅफ इंडिया (आठवले) के साथ मिलकर हमने मुंबई और महाराष्ट्र के दूसरे शहरों में हुए चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया। मुझ्ो कोई संदेह नहीं कि ये सफलता उस बड़ी सफलता की शुरुआत भर है जो हमारी पार्टी और हमारे गठबंधन को - कांग्रेस-एनपीसी के भयंकर रूप से भ्रष्ट और अक्षम शासन को अगले विधानसभा चुनावों में समाप्त कर मिलने वाली है।
इसी तरह मैं इस मौके पर भाजपा की दिल्ली प्रदेश इकाई को भी बधाई देना चाहूंगा जिसे हाल ही में हुए नगर निगम चुनावों में जबरदस्त जीत मिली है। ये जीत भी, सन् 2013 में होने वाले विधान सभा चुनावों में पार्टी की इससे भी बड़ी जीत की शुरुआत है।
पड़ोसी राज्य गोवा में, भाजपा ने हाल के विधान सभा चुनावों में कांग्रेस को सŸाा से हटाने में कामयाबी हासिल की है। मुख्यमंत्री श्री मनोहर परिकर, श्री श्रीपाद नाईक और लक्ष्मीकांत पार्सेेकर तथा गोवा के तमाम कार्यकर्ताओं का मैं दिल से अभिनंदन करता हूंॅ। गोवा में हमारी जीत दो वजहों से खास है। पहला, हमें वहां पूर्ण बहुमत मिला है। लिहाजा, कांग्रेस पार्टी को सरकार गिराने का मौका नहीं मिलेगा - जो खाली वक्त को बिताने के लिए उसका एक पसंदीदा काम बन गया था। दूसरा, इस बार हमारी पार्टी गोवा में एक बड़े वर्ग का समर्थन पाने में सफल हुई है, जबकि कांग्रेस ने अपने हित के लिए ये दुष्प्रचार किया कि भाजपा अल्पसंख्यक विरोधी है। यह विशेष उल्लेखनीय है कि हमारे 9 विधायक अल्पसंख्यक समाज के प्रतिनिधि हैं।
गोवा के अनुभव से सीख लेते हुए, मैं अपनी पार्टी की सभी इकाइयों से ये अपील करूंगा कि वे अल्पसंख्यक समुदाय के हमारे बंधुओं का भरोसा जीतने के ऐसे ही प्रयास तेज करें। मैं अपने अल्पसंख्यक बंधुओं से विशेष तौर पर अपील करता हूं और उन्हें आश्वासन देता हूंः “कांग्रेस और कम्युनिस्टों के इस स्वार्थपूर्ण दुष्प्रचार में मत फंसिए कि भाजपा अल्पसंख्यक विरोधी पार्टी है। अगर भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन अगली सरकार बनाता है तो आपको डरने की कोई ज़रूरत नहीं। हम आपकी सुरक्षा, विकास और भलाई का उसी तरह से ख्याल रखेंगे, जिस तरह से अन्य समुदायों का रखते हैं। जाति, नस्ल, भाषा या लिंग के बिना किसी भेदभाव के हम सभी भारतीयों को आर्थिक और सामाजिक न्याय सुनिश्चित कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ‘एकात्म मानववाद‘ से हमने यही पाठ सीखा है।“
हम पंजाब के अपने साथियों और अपने गठबंधन के सहयोगी - शिरोमणि अकाली दल का भी गर्मजोशी से अभिनंदन करें जिन्होंने राज्य में नए सिरे से जनादेश हासिल करने की उल्लेखनीय उपलब्धि अर्जित की है।
मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि आंध्र प्रदेश में हमारी पार्टी ने महबूबनगर विधानसभा उपचुनाव में भी उल्लेखनीय जीत हासिल की है।
उŸाराखंड में हम मात्र एक सीट से सरकार बनाने से चूके। इन परिणामों का हमें अध्ययन करना होगा।
उत्तर प्रदेश में परिणाम हमारी अपेक्षाओं से कम रहे। राज्य की जनता बदलाव चाहती थी। लेकिन हम अपने आप को एक भरोसेमंद और मजबूत विकल्प के रूप में प्रस्तुत नहीं कर सके। यद्यपि प्रदेश में हमारा प्रदर्शन  अपेक्षा अनुरूप नहीं रहा लेकिन अभी भी प्रदेश में हमारा व्यापक जनाधार है। मुझे विश्वास है कि हमारे प्रयासों से फिर से हमारे साथ जुड़ेगा। प्रदेश में पार्टी को हर स्तर पर युवाओं को भी आगे लाना होगा। इस दिशा में हमारे प्रयास शुरू हो गए हैं।
तत्काल हमारे सामने गुजरात और हिमाचल प्रदेश में आने वाले चुनावों का सफलतापूर्वक सामना करने की चुनौती है। हमारी अन्य सरकारों की भांति गुजरात और हिमाचल प्रदेश सरकारों ने सुशासन के नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर व्यापक सराहना पाई हैं। गुजरात ने खास तौर पर, अपने तीव्र और चैतरफा विकास से पूरे देश और दुनिया की नजरों में अपना स्थान बनाया है। मुझ्ो पूरा भरोसा है कि हमारी पार्टी की इकाइयां दोनों ही राज्यों में एक बार फिर लोगों का समर्थन और जनादेश हासिल करने में सफल रहेंगी।

राष्ट्रपति चुनाव
इस वर्ष जुलाई में 13वें राष्ट्रपति का चुनाव होना है। भाजपा यह प्रयास कर रही है कि गैर-कांग्रेसी दलों में एक व्यापक आम सहमति बने ताकि एक ऐसे योग्य उम्मीदवार को खड़ा किया जाए जो संविधान की रक्षा करने के साथ-साथ, गणतंत्र के सर्वोच्च पद को और गरिमामय बना सके। कांग्रेस पार्टी राष्ट्रपति भवन में आसीन होने वाले उम्मीदवार का चयन मुख्य रूप से इस कसौटी पर कर रही है कि वह एक  परिवार विशेष के प्रति स्वामीभक्ति रखता हो, न कि संविधान के प्रति। जिस तरह कांग्रेस ने भारतीय लोकतंत्र के दूसरे संस्थानों की गरिमा को कम किया है, उसी तरह वह राष्ट्रपति पद की गरिमा कम करना चाहती है। इस बार इसे किसी हाल में सफल होने नहीं देना चाहिए।

पार्टी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण

मुझ्ो ये बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारा प्रशिक्षण विभाग एक प्रकार से इतिहास रच रहा है, जो हमारे प्रशिक्षण कार्यक्रम को पूरे जोर शोर से आगे बढ़ाने वाला है। सन् 2012 की शुरुआत के बाद से ही, पांच राज्यों में चुनावों की वजह से, हम अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम को सुचारू रूप से नहीं चला पा रहे थे। लेकिन अब, हम एक बार फिर इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ने वाले हैं। मेरा अंदाजा है कि हमारा सुसंगठित प्रशिक्षण कार्यक्रम हाल के चुनावों में पार्टी के लिए काफी फायदेमंद रहा है। उŸाराखंड के सभी जिलों में ‘प्रवेश वर्ग‘ आयोजित किए गए, पंजाब में सभी विभागों और गोवा में दो राज्य स्तर के वर्ग लगाए गए। दिल्ली में 200 से ज्यादा मंडलों में एक दिन के मंडल अभ्यास वर्गों में 30,000 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इसका नतीजा आज सबके सामने है।
प्रशिक्षण का दूसरा स्तर जिसे ‘प्रगत वर्ग‘ कहा जाता है, उसकी शुरुआत जून, 2012 से हो रही है। पहले ‘प्रगत वर्ग‘ में हमारे अनुसूचित जाति मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी शामिल होगी जिसका आयोजन 15 से 18 जून के बीच मध्यप्रदेश में होगा। इसके बाद अंडमान और अन्य राज्यों में आयोजन होंगे। मैं आप सबसे अपील करता हूं कि इस जोश को बनाए रखें। मैं देश के विभिन्न हिस्सों में सन् 2012-2013 के दौरान होने वाले ‘प्रवेश वर्ग‘ और ‘प्रगत प्रशिक्षण‘ वर्गों से भी और अधिक उम्मीद कर रहा हूं।
इस मौके पर मैं अपने सभी स्तर के पदाधिकारियों से यह अपील करना चाहूंगा कि उन्हें इसकी पहल करनी है और ये सुनिश्चित करना है कि प्रशिक्षण के कार्यक्रम योजना के मुताबिक चलें और हम उन लक्ष्यों को हासिल करें जो हमने तय किए हैं।
हमारे सुशासन प्रकोष्ठ के कार्य भी सही मायने में सराहनीय हैं। अप्रैल में, इसने पहली बार राज्य स्तर के खादी और ग्रामीण उद्योग परिषदों और हैंडलूम तथा हैंडीक्राफ्ट बोर्ड के अध्यक्षों और सदस्यों की एक बैठक का आयोजन किया। ‘सुशासन प्रकोष्ठ‘ ने एक नए विचार पर काम करना शुरु किया है जिसमें हमारी सरकारों के उत्कृष्ट कार्यों को छोटे-छोटे लेखों और छोटी डाॅक्यूमेंट्री वीडियो फिल्मों के जरिए संकलित जा रहा है, और जिसे “द डिफरेंस दैट वी मेड“ शीर्षक दिया गया है। इस श्रृंखला का पहला मोनोग्राफ छŸाीसगढ़ में सफलतापूर्वक लागू की गई सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) पर था, जिसका प्रकाशन इसी वर्ष किया गया है। गुजरात के अहमदाबाद में बीआरटीएस को सफलतापूर्वक लागू किए जाने पर तैयार की गई एक लघु फिल्म इसी बैठक में रिलीज़ की जाएगी। हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण के संरक्षण पर एक मोनोग्राफ भी इस मीटिंग में रिलीज़ किया जाएगा। इसी प्रकार मध्य प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, झ्ाारखंड, पंजाब और गोवा में हमारी सफलताओं सम्बन्धी मोनोग्राफ पर भी काम चल रहा है।
मैंने ‘सुशासन प्रकोष्ठ‘ से कहा है कि वह जल्द ही ‘ई-गवर्नेंस के जरिए सुशासन‘ विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करे।
मैं यहां आपको ये भी बताना चाहूंगा कि हमारा ‘ओवरसीज फ्रेंड्स आॅफ बीजेपी‘ भी अच्छा काम कर रहा है। पिछले वर्ष नवंबर में, ‘ओवरसीज फ्रेंड्स आॅफ बीजेपी‘, अमेरिका ने हमारे वहां के कार्यकर्ताओं के लिए दो प्रशिक्षण सत्र चलाए। उन्होंने अमेरिका में भारतीय दूतावास और वाणिज्य दूतावासों में काउंसिल द्वारा दी जा रही सेवाओं पर एक सर्वे भी किया है। विदेशों में राजनीतिक दलों से पार्टी स्तर पर संबंध बनाने के लिए, हमने अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी के छह सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल की इसी वर्ष जनवरी में मेजबानी की। ये प्रतिनिधिमंडल पहले मुंबई पहुंचा जहां रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी द्वारा आयोजित एक ओरिएंटेशन प्रोग्राम में हिस्सा लिया। बाद में, वे अहमदाबाद गए जहां उन्होंने गुजरात में भाजपा सरकार द्वारा बेहतर शासन के लिए उठाए गए कुछ कदमों कोे करीब से देखा। दौरा खत्म होने से पहले, उनका दल दिल्ली में हमारे पार्टी मुख्यालय आया जहां उनकी बातचीत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं से हुई।
जनवरी में, हमने एक ‘आईपी टीवी‘ या ‘इंटरनेट टीवी चैनल‘ की शुरुआत की है जिसे ‘युवा टीवी‘ नाम दिया गया है। ये हमारे आईटी प्रकोष्ठ का एक सराहनीय कदम है। इसके जरिए हमारी कोशिश देश के युवाओं तक अपनी पहुंच बनाने की है। जैसाकि आप सभी जानते हैं, युवाओं का हिस्सा हमारी आबादी में करीब 35 प्रतिशत है और हमें उन तक पहुंचने की हर मुमकिन कोशिश करनी होगी। मैं अपने सभी युवा मोर्चा के सदस्यों को अपील करना चाहूंगा कि वे इस चैनल की कार्यवाहियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और इसके जरिए हमारे नए मतदाताओं की उम्मीदों पर खरा उतरें।
यहां यह उल्लेख करना भी जरूरी है कि हमारे पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ और रक्षा प्रकोष्ठ ने भी उŸाराखंड चुनावों में मतदाओं से संपर्क बनाने में सराहनीय कार्य किया।

भाजपा विज़न दस्तावेज 2025

हम केवल अगले चुनाव पर लक्ष्य केंद्रित करने वाल पार्टी नहीं हैं। हमारी सोच, लक्ष्य और प्रतिबद्धता दूरगामी हैं, और वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ‘एकात्म मानववाद‘ के दर्शन से निर्देशित और प्रेरित है, जो भारत के भूत, वर्तमान और भविष्य को एक सभ्यतागत नजरिए से देखता है।
इसी प्रकार, पार्टी ने देश के लिए एक विज़न 2025 दस्तावेज (डाॅक्यूमेंट) तैयार करने और सार्वजनिक करने का फैसला किया है। इसमें भाजपा का भविष्य का दृष्टिकोण, विचार और प्रतिबद्धताओं को प्रस्तुत किया जाएगा। ‘भारत को सशक्त, समृद्ध और सद्भावपूर्ण राष्ट्र बनाना, जो 21वीं सदी के विश्व की नियति निर्धारित करेगा‘-यह इसका प्रमुख उद्देश्य है। इस दस्तावेज़ में बड़े और महत्वाकांक्षी विचार होंगे, और उनके साथ ही उन्हें लागू करने का एक व्यावहारिक खाका भी होगा।
मुझ्ो विश्वास है कि भाजपा का ‘विज़न 2025‘ दस्तावेज़ हमारे तमाम कार्यकर्ताओं और समर्थकों को उन सभी मुद्दों पर एक दृष्टिकोण और लक्ष्य तय करने में मदद करेगा जिन मुद्दों पर देश के विवेकपूर्ण लोग पहले ही गंभीरता से बहस कर रहे हैं। ये भाजपा की छवि एक प्रेरणादायक दृष्टिकोण वाली पार्टी के तौर पर उभारने में भी मदद करेगा।
इस प्रकार के कार्य के लिए सभी की भागीदारी आवश्यक है। इसमें देश भर के और विदेशों में सक्रिय भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ-साथ विविध विषयों के विचारकों को भी शामिल किया जाना चाहिए, वे निश्चित तौर पर इस योजना में अपना योगदान देने में गौरवान्वित महसूस करेंगे। ‘विज़न 2025‘ दस्तावेज़ को तैयार करने के लिए एक टीम का गठन किया गया है। उम्मीद है कि ये टीम अपना काम दीनदयालजी की जयंती - 25 सितंबर से पहले पूरा कर लेगी।

दीनदयाल भवन: नया भाजपा मुख्यालय

मैं आपको एक खुशखबरी सुनाना चाहता हूं। भारत सरकार सभी बड़े राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय मुख्यालयों के लिए ज़मीन का आवंटन कर रही है। इसी के तहत, हमारे लिए राष्ट्रीय राजधानी के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर दो एकड़ का प्लाॅट मंजूर किया गया है। हम इस प्लाॅट पर एक भव्य कार्यालय बनाने की तैयारी कर रहे हैं। जिसमें पार्टी का कार्यालय, प्रशिक्षण और अनुसंधान एवं विकास की तीन इकाईयां होंगी।
एक स्थायी प्रदर्शनी इस भवन की विशिष्टता होगी जिसमें भाजपा की विचारधारा और अब तक की यात्रा दर्शायी जाएगी। इस प्रदर्शनी में भारत की संप्रभुता को अक्षुण्ण रखने के लिए हुए हमारे आंदोलनों और संघर्षों को भी दिखाया जाएगा। ये हमें याद दिलाएगी कि कैसे हमारे नेताओं ने लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्ष और त्याग किए। भारतीय राजनीति की समृद्ध विरासत में हमारे योगदान को भी प्रस्तावित प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जाएगा।
ये कार्यकर्ताओं का, कार्यकर्ताओं के द्वारा और कार्यकर्ताओं के लिए एक निर्माण होगा! इसी वजह से, यह तय किया गया है कि ये भवन हमारे लाखों कार्यकर्ताओं के निजी योगदानों से तैयार किया जाएगा। इस अवसर पर मैं आप सभी से इस ऐतिहासिक अभियान में शामिल होने की अपील करता हूं और आशा करता हूं कि आप अपनी क्षमता के अनुसार इस महत्वाकांक्षी परियोजना में योगदान करेंगे। डा़ श्यामाप्रसाद मुकर्जी के बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में इस अभियान की शुरुआत होगी।

निष्कर्ष
वर्ष 2013 अनेक कारणों से महत्वपूर्ण है। यह स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयंती का वर्ष है। दुनियाभर के करोड़ों लोगों के लिए स्वामीजी सदैव प्रेरणा के स्त्रोत रहे हैं। उन्हें अपनी आदरांजलि देते हुए मैं पार्टी की सभी इकाईयों को नई-नई योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से जनता को राष्ट्रीय पुनरूद्धार के लिए प्रेरित करने हेतु स्वामी विवेकानन्द के योगदान का स्मरण कराएं। मैं अपनी सभी प्रदेश इकाइयों से अपील करूंगा कि वे स्वामीजी का स्मरण करते समय बहुविध लोगों को इसमें जोड़ें। हमारे लिए हिन्दुत्व स्वामीजी की सीखों पर आधारित है। हमारे लिए हिन्दुत्व दूरदृष्टि, वैज्ञानिक और विकासोन्मुखी का पर्याय है। वास्तव में हिन्दुत्व और विकास अविभाज्य हैं। आइए, इस अवसर पर हम अपने को राष्ट्रीय पुनर्निर्माण में फिर से समर्पित करें।
हमारा देश इस समय ऐसे कठिन दौर से गुजर रहा है, जिसके लिए यूपीए का कुशासन मुख्य रूप से जिम्मेदार है। देश में इस वक्त हालात ऐसे हैं कि लोग कांग्रेस की विदाई देखना चाहते हैं। वो बदलाव चाहते हैं और गंभीरता से एक सही विकल्प की तलाश कर रहे हैं। उन्हें भाजपा से बड़ी आशाएं और उम्मीदें हैं। अगर हम उनकी उम्मीदों पर खरे उतरे, वे हमें अगली सरकार बनाने और देश की सेवा करने का का जनादेश अवश्य देंगे।
इस महत्वपूर्ण अवसर पर एक बात और। हमें अपने आपको फिर से याद दिलाना है कि हम राजनीति में केवल सŸाा के लिए नहीं हैं। राजनीति हमारे लिए राष्ट्रनिर्माण और समग्र सामाजिक विकास का साधन है। इसलिए, मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि सारे छोटे-छोटे मुद्दों को किनारे रखकर भाजपा की मजबूती के लिए काम करें क्योंकि नियति ने हमारे सामने चुनौतियां और अवसर-दोनों प्रस्तुत किए हैं। हम असफल नहीं हो सकते। हमें सफल होना ही है।
इस संदेश को चरितार्थ करने के लिए मैं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सभी सदस्यों से अपील करता हूं कि वे पार्टी संगठन को मज़बूत बनाने के काम में अपने को पुनः समर्पित करें। मैंने भी प्रत्येक प्रदेश में जाकर वहां संगठनात्मक कोर टीम, पदाधिकारियों, निर्वाचित प्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं के साथ व्यक्तिगत संवाद करने का निर्णय किया है। प्रत्येक प्रदेश का दो दिवसीय दौरा आनेवाले दिनों में सुसंगठित रुप से चलेगा।
जैसाकि मैंने शुरुआत में कहा था, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की यह बैठक अगले संसदीय चुनावों के लिए हमारी तैयारियों को शुरु करने के लिए है। मैं सफलता का एक साधारण लेकिन सटीक मंत्र देना चाहूंगा - हम अपनी एकता, अनुशासन और समर्पण को हर स्तर पर सुदृढ़ करें।
आइए! हम सब अटलजी की भविष्यवाणी को एक छोटे से संशोधन के साथ एक बार फिर सच कर दिखाएं।
“अंधेरा छंटेगा, कार्यकर्ता जुटेगा,सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा!“
धन्यवाद!
वंदेमातरम्!

———————————
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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सूखे की स्थिति सम्बन्धी संकल्प - भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक

Posted on 25 May 2012 by admin

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी देश के विभिन्न भागों में, विशेषरूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में, जो सूखे से बुरी तरह से प्रभावित हैं, सूखे की गंभीर स्थिति पर गहरी चिन्ता व्यक्त करती है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी लोगों के दुःख-तकलीफों के प्रति केन्द्र सरकार की उदासीनता पर भी गहरी निराशा व्यक्त करती है।
सूखे से कई प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं और इसका अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप खाद्य की कमी, चारे की कमी, पानी की कमी, कृषि उत्पादन और आय में कमी, खाद्य और अन्य वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि, कृषि और इससे सम्बन्धित क्षेत्रों में बेरोजगारी हो जाती है, जिसके कारण पलायन होता है। कृषि ऋणों का भुगतान  नहीं होता, ग्रामीण असन्तोष आदि पनपता है।

महाराष्ट्र
महाराष्ट्र भयंकर सूखे की स्थिति का सामना कर रहा है। पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के कुछ हिस्से और विदर्भ क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित है। राज्य सरकार ने खरीफ के लिए 15 जिलों (209 तालुकों) और 6205 गांवों को और रबी की फसलों के लिए 1552 गांवों को सूखाग्रस्त घोषित किया है।
खरीफ के अन्तर्गत प्रभावित क्षेत्र 20.40 लाख हेक्टेयर है और इसमें 14,62,937 किसान प्रभावित हुए है जबकि रबी फसल उत्पादन 10.77 लाख हेक्टेयर बैठता है और इसमें 80,40,57 किसान प्रभावित हैं।
कृषि परियोजनाओं के जल स्तर तथा भू-जल स्तरों में भारी गिरावट आई है। 23 तालुकों में भू-जल स्तरों में 1-2 मीटर की कमी हुई है, 9 तालुकों में 2-3 मीटर के बीच की कमी हुई है, जबकि 6 तालुकों में भू-जल स्तर में 3 मीटर से अधिक की कमी हुई है। पीने के पानी की सप्लाई टैंकरों के माध्यम से की जा रही है।
खाद्यान्नों, तिलहनों, कपास और गन्ने के उत्पादन में भारी गिरावट आई है। अनाजों के उत्पादन में 5 प्रतिशत, दालों के उत्पादन में 22 प्रतिशत और खाद्यान्नों के उत्पादन में 5 प्रतिशत की कमी होने का अनुमान है। रबी-ज्वार के अनुमानित उत्पादन में भी सामान्य से और गत वर्ष की तुलना में क्रमशः 11 और 26 प्रतिशत की कमी होगी। पशुधन के लिये चारे की भारी कमी है। 13 जिलों में बागवानी पर सूखे का बुरा प्रभाव पड़ा है, जहां पर अनार, अंगूर, आम, संतरा, मौसमी जैसे फलों के उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ा है। अपर्याप्त वर्षा के कारण उत्पादन में भारी कमी हुई है।
महाराष्ट्र में सूखे की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार ने केन्द्र से 2281.37 करोड़ रुपए की कुल सहायता और राज्य को यथाशीघ्र गरीबी रेखा से नीचे की दरों पर 5 लाख मीटरी टन अनाज दिये जाने का अनुरोध किया है।
यद्यपि केन्द्र की एक टीम ने राज्य का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया है, तथापि अभी तक केन्द्रीय सहायता प्रदान नहीं की गई है।

कर्नाटक
कर्नाटक का 70 प्रतिशत भाग अर्थात् 176 में से 123 तालुका सूखा प्रभावित घोषित किये गये हैं। वहां पर पानी और चारे की कमी है। गत तिमाही में 1970 से अब तक वर्षा सबसे कम हुई है।
खरीब और रबी दोनों फसलें बर्बाद हो गई हैं। कुल 5953 करोड़ रुपए की फसल की हानि का अनुमान है। बहुत कम वर्षा, सूखे की स्थिति और अधिक नमी से राज्य के अन्दरूनी हिस्सों में न केवल खरीफ की फसल प्रभावित हुई है अपितु रबी की फसल भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। भू-जल स्तर दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है। अधिकांश बोर कुएं सूख गये हैं। 700 बोर कुओं में से केवल 5 कुएं काम कर रहे हैं।
कुछ क्षेत्रों में 1250 फुट की गहराई पर भू-जल उपलब्ध है। भू-जल स्तर आज तक के रिकार्ड से भी नीचे चला गया है और वह पानी पीने लायक नही है। फ्लोराइड और आर्सेनिक सामग्री की उच्च मात्रा से स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं पैदा हो रही हैं।
4853 गांवो में पीने के पानी की भंयकर समस्या है। राज्य सरकार सैकेड़ो प्रभावित गांवो को टैंकरों के माध्यम से पीने के पानी की सप्लाई कर रही है। 3475 छोटे सिंचाई टैंको में से 1242 टैंक पूरी तरह से सूख गये हैं।
राज्य सरकार ने सूखे से निपटने के लिये अभी तक 562.55 करोड़ खर्च किये हैं। सूखा राहत उपायों के लिये राज्य सरकार ने प्रथम चरण में 2605.99 करोड़ रूपये की केन्द्रीय सहायता की मांग की ओर बाद में 5953 करोड़ रूपये के लिये एक ज्ञापन केन्द्र को सौंपा। केन्द्र ने 186.68 करोड़ रूपये की स्वीकृति दे दी है और अभी तक 70.23 करोड़ रूपये की राशि रिलीज की है। यह बड़ी खेदजनक बात है कि केन्द्र ने पहली बार ही 116.45 करोड़ रूपये की शेष राशि रिलीज नहीं की है।
सूखा इतना भंयकर है कि केन्द्र की सहायता के बिना अकेला राज्य इस अप्रत्याशित स्थिति से नहीं निपट सकता। राज्य सरकार ने 1500 करोड़ रूपये की अन्तरिम राहत की मांग की थी, जो अभी तक नहीं दी गई है। राज्य ने गरीबी रेखा के नीचे के कार्डधारियों को अनाज बांटने के लिये 3,00,000 मीटरी टन चावल और 57,000 मीटरी टन गेहूँ का अतिरिक्त आवंटन करने की भी मांग की है।
केन्द्रीय टीम अब राज्य का दौरा करने जा रही है जबकि मानसून तेजी से आ रहा है। इससे केन्द्र के कठोर रवैये का पता चलता है।

आन्ध्र प्रदेश
समूचा आन्ध्र प्रदेश राज्य सूखे से प्रभावित है। 22 जिलों में 876 मण्डल सूखाग्रस्त घोषित किये गये हैं। 34.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र (छोटे और सीमांत किसानों का 29.75 लाख हेक्टेयर और अन्य किसानों का 4.49 लाख हेक्टेयर) बर्बाद हो गया है। 49,31,701 छोटे और सीमांत किसान और 3,06,259 अन्य किसान प्रभावित हुए हैं।
30,98,560 मीटरिक टन कृषि उत्पाद नष्ट हुए हैं। इसका अनुमानित मूल्य 5747 करोड़ रूपये हैं। फसल ऋणों का पुनः निर्धारण नहीं किया गया है। किसान प्रति एकड़ इन्पुट सब्सिडी के रूप में 10,000 की मांग कर रहे हैं। यहां तक कि प्रभावित क्षेत्रों में वृद्वावस्था पैंशन भी उचित तरीके से नहीं दी जा रही है।
एन.डी.आर.एफ. से केन्द्रीय सहायता के रूप में 3,006 करोड़ रूपये की कुल राशि केन्द्र सरकार से मांगी गई थी। भारत सरकार ने 706.15 करोड़ रूपये की केन्द्रीय सहायता की स्वीकृति प्रदान की है जिसमें 385.78 करोड़ रूपये की राशि रिलीज की गई और शेष राशि का राज्य के एस.डी.आर.एफ. खाते में समायोजन किया गया है।
आन्ध्र प्रदेश सरकार ने दिसम्बर 2011 में 1860 करोड़ रूपये की इन्पुट सब्सिडी देने का वादा किया था। अभी तक वह राशि रिलीज नहीं की गई। जिन किसानों को 2010-11 के रवी मौसम में हानि हुई थी, उन्हें अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। यहां तक कि रबी की फसल में भी 10ः की कमी आई है।
भाजपा इस बात पर गहरी चिन्ता व्यक्त करती है कि सूखे की गम्भीर समस्या के प्रति केन्द्र सरकार का रवैया बहुत ही गैर-संजीदा और कठोर है। विभिन्न राज्यों में प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिये केन्द्रीय टीमों को भेजने में असाधारण विलम्ब हुआ है। यही नहीं, सरकार टीमों की सिफारिशों पर समय से कार्यवाही नहीं करती। देश के अनेक भागों में बारिश का मौसम शुरू होने वाला है और टीमों को बहुत देरी से भेजने का कोई लाभ नहीं है। इससे लोगों के दुःख- तकलीफो के प्रति केन्द्र सरकार की उपेक्षापूर्ण और असंवेदनशील रवैये का पता चलता है। इस प्रस्ताव को भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री एम. वेकैया नायडू ने प्रस्तावित किया तथा महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश तथा कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्षों ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया है।

भाजपा मांग करती है कि -
ऽ    केन्द्र सरकार को देश में विशेष रूप से तीन राज्यों- महाराष्ट्र, कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश- में सूखे की स्थिति का जायजा लेने के लिये तुरन्त मंत्रियों का एक ग्रुप गठित करना चाहिये और स्थिति से निपटने के लिये नीति सम्बन्धी उचित निर्णय तेजी से लेने चाहिये।
ऽ    इन राज्यों में से प्रत्येक को 1500 करोड़ रूपये की अन्तरिम सहायता और 500 करोड़ की सहायता उत्तर-प्रदेश-मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए यथाशीघ्र प्रदान की जानी चाहिये। इसके अलावा केन्द्र को इन राज्यों में से प्रत्येक के लिये 5 लाख मीटिक टन अनाज निःशुल्क रिलीज करना चाहिये ताकि वह अनाज प्रभावित लोगों को बांटा जा सके। ऐसा बिना किसी कठिनाई के किया जा सकता है क्योंकि केन्द्र के पास सरप्लस स्टाक उपलब्ध है और उसके भण्डारण के लिये जगह भी नहीं है।
ऽ    सीमेंट चैक बांधों, मिट्टी वाले बांधों और माइक्रों जल संचयन ढांचों पर कार्य आरंभ करने के लिये प्रभावित राज्यों को विशेष पैकेज दिया जाना चाहिये जिन्हें इस ग्रीष्म ऋतु में ही पूरा किया जाये। इससे जल स्तर को गिरने से रोकने और पीने के पानी की कमी को दूर करने में सहायता मिलेगी और आगामी खरीफ फसल के लिये सुरक्षित सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
ऽ    चारा बैंक स्थापित किये जाये और निशुल्क रेल परिवहन सुविधा देकर युद्ध स्तर पर पड़ौसी राज्यों से इन राज्यों को चारा उपलब्ध कराया जाये ताकि पशुधन में हो रही कमी को रोका जा सके।
ऽ    छत पर जल संचयन (रू़फ टाॅप वाटर हारवेस्टिंगं) अनिवार्य बनाया जाना चाहिये। बोर कुओं, ट्यूबवेलों का कायाकल्प अनिवार्य बनाया जाय और फार्म तालाबों के निर्माण पर भी जोर दिया जाना चाहिये।
ऽ    सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत बनाया जाना चाहिये।
ऽ    फसल संबंधी ऋणों का ब्याज माफ करके पुनः निर्धारण किया जाना चाहिये।
ऽ    बर्बाद हो गई फसल के लिये प्रति एकड़ 6000 रुपए की इनपुट सब्सिडी तुरन्त रिलीज की जानी चाहिये।
ऽ    मनरेगा योजना को सूखाग्रस्त राज्योंके कृषक मजदूरों के लिए भी लागू किया जाना चाहिए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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