उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती जी ने कहा कि यद्यपि भारत की आजादी के बाद हुए आम चुनाव काफी निश्पक्ष एवं स्वतन्त्र रूप से सम्पादित हुए, परन्तु इस दिशा में अभी सुधार एवं बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शैक्षिक, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोग आज भी अपने मताधिकार का प्रयोग निडरता एवं आजादी से नहीं कर पाते हैं। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न इलाकों में अभी भी बहुत से कमजोर वर्गों के लोगों को मताधिकार का प्रयोग करने ही नहीं दिया जाता। उन्होंने इस स्थिति को अत्यन्त गम्भीर बताते हुए कहा कि इस पर विचार करके ऐसे सख्त कदम उठाये जाने चाहिए, ताकि सभी वर्गों, विशेशरूप से कमजोर वर्ग के लोग भी अपना वोट निडर होकर डाल सकें। उन्होंने कहा कि इस दिशा में भारत के चुनाव आयोग को विशेश प्रयास करके उपयुक्त कानून बनाना चाहिए।
माननीया मुख्यमन्त्री जी आज यहां डॉ0 भीमराव अम्बेडकर सभागार, लखनऊ में भारत सरकार के विधि मन्त्रालय तथा निर्वाचन आयोग के संयुक्त तत्वावधान में चुनाव सुधारों पर आयोजित क्षेत्रीय संगोश्ठी को सम्बोधित कर रही थीं।
इस अवसर पर माननीया मुख्यमन्त्री जी ने कहा कि दलित एवं अन्य कमजोर वर्गों के लोगों को अपने मताधिकार की महत्ता तथा इन्हें जागरूक बनाने के मामले में भारतीय संविधान के निर्माता एवं समाज में दलितों व उपेक्षित वर्गों के मसीहा बाबा साहेब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर एवं बी0एस0पी0 के जन्मदाता एवं संस्थापक मान्यवर श्री कांशीराम जी का काफी महत्वपूर्ण और इतिहास में कभी भी न भुलाने वाला सराहनीय योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रयास किसी न किसी रूप में अभी भी उनके नेतृत्व में (माननीया मुख्यमन्त्री जी के) पूरे देश में जारी है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दलितों एवं उपेक्षित वर्गों को मताधिकार के प्रति जागरूक बनाने के लिए भारत का निर्वाचन आयोग जरूर ध्यान देगा। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को सुधारों की दिशा में ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिससे कि अधिक से अधिक लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करें।
राजनीति के अपराधीकरण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए माननीया मुख्यमन्त्री जी ने कहा कि अपराधियों को राजनीति से दूर रखने की बात की जा रही है। उन्होंने इसके लिये ऐसे कानून बनाने पर बल दिया, जिससे राजनीति में अपराधीकरण पर रोक लग सके। उन्होंने आगाह किया कि ऐसा करते समय यह भी व्यवस्था की जानी चाहिए कि इस कानून का दुरूपयोग न हो सके। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में सिफारिश की गई है कि यदि किसी व्यक्ति के विरूद्ध ऐसा कोई मुकदमा न्यायालय में लिम्बत है, जिसमें कि 05 वर्ष अथवा उससे अधिक के दण्ड का प्राविधान है तथा न्यायालय द्वारा उसके विरूद्ध आरोप तय किए जा चुके हैं, तो ऐसे व्यक्ति को चुनाव लड़ने के लिये अयोग्य घोषित किया जाय, परन्तु इस विषय में यह ध्यान रखना जरूरी है कि किसी व्यक्ति के विरूद्ध, उसे चुनाव से रोकने के लिये झूठे एवं फर्जी मुकदमें दायर किये जा सकते हैं।
माननीया मुख्यमन्त्री जी ने कहा कि इसलिए जब तक किसी अपराधिक मुकदमे में किसी व्यक्ति के दोषी सिद्ध हो जाने के बाद उसके विरूद्ध सजा का फैसला नहीं हो जाता, तब तक उसको चुनाव के लिये अयोग्य घोषित किया जाना उपयुक्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अपराधिक मुकदमे के न्यायालय में लिम्बत होने मात्र को चुनाव के लिये अयोग्यता का आधार बनाये जाने की व्यवस्था का दुरूपयोग होने की पूरी सम्भावना बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि दुरूपयोग की सम्भावना इसलिए भी और अधिक हो जाती है, क्योंकि न्यायालय में मुकदमों के निस्तारण में भी काफी विलम्ब होता है। उन्होंने कहा कि राजनीति में अपराधिकरण रोकने के लिए सभी राजनैतिक पार्टियों को आत्म अनुशासन एवं अंकुश रखना चाहिये तथा उन्हें जिम्मेदारी का परिचय देना चाहिए।
माननीया मुख्यमन्त्री जी ने निर्वाचन में होने वाले व्यय की चर्चा करते हुए कहा कि इस सम्बन्ध में गम्भीरता से विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि चुनाव बहुत खर्चीले होंगे, तो इससे बहुत सी अन्य बुराइयां भी पैदा होंगी। उन्होंने कहा कि उनका स्पश्ट मत है कि चुनाव के सभी खर्चे भारत सरकार को ही उठाने चाहिए। इससे बहुत सी विसंगतियों एवं कुरीतियों पर अंकुश लगेगा तथा चुनाव भी निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र होंगे। साथ ही सरकार द्वारा चुनाव व्यय वहन करने से राजनीति में अपराधीकरण को भी लगाम लगेगी।
माननीया मुख्यमन्त्री जी ने एिक्जट एवं ओपीनियन पोल को चुनाव की प्रक्रिया के दौरान प्रकाशन एवं प्रसारण पर सख्ती से रोक लगाने का आग्रह करते हुए कहा कि इसके लिये कड़े कानून बनाये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान एिक्जट एवं ओपीनियन पोल के प्रकाशन एवं प्रसारण से चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित होती है तथा बहुत से राजनैतिक दल इसको बढ़ावा देकर अपना हित साधते हैं। उन्होंने इस प्रथा पर तत्काल पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि अधिकांश एिक्जट एवं ओपीनियन पोल गलत साबित होते हैं तथा चुनाव परिणाम उसके विपरीत होते हैं। उन्होंने कहा कि यह तर्क भी गलत है कि एिक्जट एवं ओपीनियन पोल पर प्रतिबन्ध लगाने से विचारों के अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का मूलभूत अधिकार प्रभावित होता है, जो सही नहीं है।
संगोश्ठी में भारतीय लोकतन्त्र की सबसे बड़ी समस्या दल-बदल पर विचार व्यक्त करते हुए माननीया मुख्यमन्त्री जी ने कहा कि इस सम्बन्ध में कई बार कानून बनाये एवं संशोधित किये गये हैं, परन्तु अभी तक इसका पूर्णरूप से निदान नहीं हो पाया है और अभी भी विलय (मर्जर) के आधार पर दल-बदल होता रहता है। उन्होंने इसे आम जनता के साथ सबसे बड़ा धोखा बताते हुए कहा कि जिस राजनैतिक दल के चुनाव चिन्ह पर और उद्देश्यों के तहत कोई व्यक्ति चुनाव लड़ता है, तो उसी पार्टी के सिद्धान्तों के तहत जनता उसको चुनती है। परन्तु यदि निर्वाचित होने के बाद ऐसा व्यक्ति अपने मतदाताओं को धोखा देते हुये किसी दूसरी पार्टी में जाता है, तो इसे अपराध की संज्ञा दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे दल-बदलू व्यक्ति की न केवल सदस्यता समाप्त की जानी चाहिए, बल्कि उसे अगले 5 साल के लिये चुनाव लड़ने से प्रतिबन्धित भी किया जाना चाहिए। उन्होंने दल-बदल को पूरी तरह से समाप्त करने के लिये सम्बन्धित कानून में उपयुक्त संशोधन किये जाने की तात्कालिक आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि अभी तक ज्यादातर मामलों में सदन के अध्यक्षों द्वारा दल-बदल के विवादों का निपटारा सन्तोषजनक नहीं रहा है।
माननीया मुख्यमन्त्री जी ने कहा कि दल-बदल के मामले में उनका मानना है कि यदि किसी पार्टी का एम0पी0 या एम0एल0ए0 दूसरी पार्टी में जाना चाहता है, तो उसको इस्तीफा देकर ही दूसरी पार्टी के चुनाव चिन्ह से चुनकर उस पार्टी में जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किसी पार्टी का एम0पी0 या एम0एल0ए0 अपनी पार्टी के साथ विश्वासघात करके अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए दूसरी पार्टी में शामिल हो जाता है, तो उसकी सदस्यता स्वत: (खुद ही) समाप्त मानी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को यह अधिकार दिया जाना चाहिए कि वह ऐसे सदस्य की सदस्यता समाप्त होने की सूचना मुख्य चुनाव आयुक्त को प्रेषित करे। मुख्य चुनाव आयुक्त पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की इस सूचना को तुरन्त स्वीकार करते हुये एम0पी0/एम0एल0ए0 के निर्वाचन को निरस्त होने की घोषणा करें और रिक्त हुए सीट पर चुनाव कराये।
माननीया मुख्यमन्त्री जी ने कहा कि भारतीय लोकतन्त्र को मजबूत करने तथा निर्वाचन की पवित्रता बनाये रखने हेतु भारत के चुनाव आयोग का योगदान महत्पूर्ण एवं रचनात्मक रहा है। उन्होंने कहा कि आगे भी निर्वाचन प्रक्रिया को दोश रहित बनाने में चुनाव आयोग से आम लोगों को बहुत अपेक्षायें हैं। उन्होंने कहा कि निर्वाचन में सुधार लाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्तर पर संवाद किये जाने का प्रयास अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं सराहनीय है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि लखनऊ में आयोजित संगोश्ठी निर्वाचन में सुधार लाने की दिशा में अति महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।
इस अवसर पर केन्द्रीय कानून मन्त्री डा0 एम0 वीरप्पा मोईली व भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त श्री एस0 वाई0 कुरैशी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संगोश्ठी में आए सभी अतिथियों का स्वागत उ0प्र0 राज्य सलाहकार परिशद के अध्यक्ष श्री सतीश चन्द्र मिश्र ने किया। धन्यवाद ज्ञापन मुख्य सचिव श्री अतुल कुमार गुप्ता ने किया। संगोश्ठी में मन्त्रीगण, सांसद, विधायक, विधिवेत्ता, वरिश्ठ अधिकारी, मीडिया के लोग एवं अन्य उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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