उत्तर प्रदेश की राजनैतिक, सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति आज ज्वालामुखी की तरह विस्फोटक हो गई है। प्रदेश की बहुजन समाज पार्टी की गलत व तानाशाही नीतियों, भ्रश्टाचार, आतंकवाद, राजनैतिक अराजकता, छिन्न-भिन्न कानून व्यवस्था, अपराधियों को संरक्षण आदि के कारण प्रदेश की जनता विद्रोह के कगार पर खड़ी है। पूरा प्रदेश भयग्रस्त व आन्तकित है। प्र्रदेश की मुख्यमन्त्री अपने कृत्यों के कारण स्वयं भी डरी हुई है। सत्तारूढ़ बहुजन समाज पार्टी में अपराधियों का बोलवाला है। सरे-आम लूट-खसोट हो रही है। जिस मुख्यमन्त्री ने सरकार बनने पर दूसरों को जेल भेजने का वादा किया था वह आज स्वयं ही जेल जाने की पात्र बन गई है उनकी आमदनी से अधिक सम्पत्ति गले की फॉस बन गई है।
आम आदमी परेशान व निराश है। वह आक्रोिशत व उत्तेजित है। वह अब केवल भारतीय जनता पार्टी से ही उम्मीद लगाये है। भारतीय जनता पार्टी में ही वह प्रदेश का उज्ज्वल भविश्य देख रहा है। दूसरे राजनीतिक दल समाजवादी पार्टी तथा कॉग्रेस भी एक दूसरे के सहयोगी के रूप में कार्य कर रहे है। उनका मायावती सरकार का विरोध करना केवल ढोंग व स्वांग है। केन्द्र की कॉग्रेस सरकार को बसपा व सपा मदद कर रही है। उसके एवज़ में केन्द्र की सरकार द्वारा सपा व बसपा मुखिया के विरूद्ध आय से अधिक सम्पत्ति के मुकदमे में की जा रही ढ़िलाई है। ताज कारीडोर मामल में ब्ण्ठण्प् ने भ्रश्टाचार में मायावती को दोशी पाया था। महामहिम राज्यपाल से थ्ण्प्ण्त् दर्ज कराने की अनुमति भी नही मिली। यदि मिली होती तो मायावती जेल में होती।
प्रदेश में बसपा सरकार द्वारा लगातार किये जा रहे असंवैधानिक कार्यों में केन्द्र सरकार का सहयोग व मौन भी इसका प्रमाण है।
बसपा सरकार प्रदेश में लोकतंन्त्र की हत्या करने पर उतारू है। जिस प्रकार हाल में जिला पंचायतों पर धनबल, बाहुबल तथा शासनबल के द्वारा कब्जा किया गया, उसे जनता अभी भूली नही है। जिस प्रकार चुनाव में उम्मीदवारों के पर्चे गलत तौर पर खारिज कराये गए, वोटो की गिनती में हेरा-फेरी की गई, यह सब जग जाहिर है ।
अब उसी प्रकार स्थानीय निकायों पर भी कब्जा करने की कोिशश की जा रही है। अपनी कमजोरी छिपाने के लिए पहले राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव लड़ने पर रोक लगाने के लिए कानून बनाया गया।
अब नगर निगमों, नगर पालिका परिशदों तथा नगर पंचायतो पर धनबल, बाहुबल तथा प्रशासनिक अधिकारियों के सहयोग से कब्जा करने के लिए नामित सदस्यों की संख्या बढ़ाने और उन्हें संविधान के विरूद्ध मतदान करने का अधिकार देने तथा नगर प्रमुख व अध्यक्षों का चुनाव सीधे जनता से न कराकर केवल सभासदों/सदस्यों द्वारा कराने का अधिनियम पारित करा लिया गया। इससे आम मतदाता अपने महापौर तथा अध्यक्ष को नही चुन सकेगी।
यह लोकतान्त्रिक अधिकारो की हत्या है। प्रदेश भारतीय जनता पार्टी इन प्रजातान्त्रिक अधिकारों की बहाली के लिए न्यायालय और उसके बाहर संघशZ करेगी।
प्रदेश की मुख्यमन्त्री एक निरंकुश तानाशाह की तरह व्यवहार कर रही है। वह सत्ता प्राप्त कर मदांध हैं। जनता से उनका कोई सम्बन्ध नही है। उनसे बात करने की कोिशश करने वालों पर लाठी चार्ज होता है या गिरफ्तारी होती है। उन्होने अपनी जवाबदेही के सभी रास्ते बन्द कर दिए है। पिछले 4 वषोZं में विधान सभा कुल मिलाकर केवल 77 दिन चली, वह भी पूरे समय तक नहीं। उनके जमाने में विधान मण्डल महत्वहीन हो गया है।
बसपा सरकार में प्रदेश में कानून व्यवस्था समाप्त हो गई है। बलात्कार, हत्या, लूट तथा तेजाब फेंकने की घटनाओं की बाढ़ सी आ गई है। सत्तापक्ष के विधायक इस दुष्कर्म में सक्रिय हैं। 2010 में हत्या व डकैती की सैकड़ों घटनाओं के अतिरिक्त अब तक दहेज हत्या 2052, बलात्कार 1290, शीलभंग 2660, अपहरण 4903, छेड़खानी 2077 तथा उत्पीड़न की 7468 घटनाएं दर्ज हैं। परन्तु उल्लेखनीय है कि बड़ी मात्रा में लोकलाज के भय से आतंक के कारण इस प्रकार की घटना प्रकाश में नही आतीं हैं। यह भयावह स्थिति एक महिला मुख्यमन्त्री के शासन में है। बलात्कार, तेजाब फेंकने, अंग-भंग करने, घरों में आग लगाने आदि अपराधों को रोकने और अपराधियों में भय पैदा करने के लिए कोई प्रभावी प्रयास नही हो रहा है। फास्टट्रैक अदालतों का गठन फांसी या अन्य और गम्भीर दण्ड का प्रावधान करने की आवश्यकता है। पर सरकार मौन हैै। उल्लेखनीय है कि क्राइम ब्यूरों की रिपोर्ट अनुसार प्रदेश में वर्ष में 100 महिलाएं, जिसमें 40 प्रतिशत 18 वर्ष से कम आयु की होती हैं तेजाब का शिकार होती हैंं। दिनांक 12 फरवरी 2011 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने रोहतक जिले के 2 बलात्कारियों को जो गैंगरेप के लिए 12-12 वर्ष की कारागार की सजा पाये थे को डेढ़-डेढ़ लाख के मुआवजे पर मुक्त करने का निर्णय भी सैद्धान्तिक रूप से चिन्ता जनक है। इससे अपराधों में वृद्धि होगी।
शिक्षा क्षेत्र आज पूरी तरह से शिक्षा माफियाओं के कब्जे में चला गया है। उच्च, तकनीकी एवं चिकित्सा शिक्षा संस्थान बिना किसी मानक एवं योग्य शिक्षकों के धनबल के आधार पर कुकुमुत्ते की तरह प्रदेश में छा गये हैंं। सस्ती शिक्षा स्वप्न हो गई है। फीस और बाद में डिग्री देने के नाम पर भारी धनादोहन होता है। इन संस्थाओं से उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं का भविष्य भी संकट में रहता है। उत्तर प्रदेश सरकार इस अत्याधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र को उद्योग बना चुकी है तथा इस सरकार के रहते हुए शिक्षा क्षेत्र में सुधार की कोई गुंजाइश नही है। विद्यालयों में शिक्षकों का भारी अभाव है। शिक्षा चयन आयोग शीघ्र तथा निष्पक्ष चयन करने में असफल हो गये हैं। उनके अध्यक्ष तथा सदस्य गम्भीर मतभेदों के शिकार हैं। सदस्यों की कम संख्या होने के कारण भी चयन में देरी हो रही है। चयन में भ्रष्टाचार आम चर्चा का विषय हो गया है। प्रदेश में शिक्षकों, सरकारी कर्मचारियों की स्थिति चिन्तनीय है। अनेक वषोंZ से तदर्थ तथा अस्थाई रूप से कार्य कर रहे शिक्षकों व कर्मचारियों को विनियमित नही किया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी की मांग है कि सरकारी कर्मचारियों एवं शिक्षक जिन्होने 10 वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो को अहZता सम्बन्धी नियमों में छूट देकर नियमित किया जाय। शिक्षामित्रों का भी नियमितीकरण एवं सेवा शर्तों में परिवर्तन होना चाहिए। माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा चयन आयोगों का पुर्नगठन करते हुए सदस्यों की संख्या बढ़ाई जाय तथा इन्हे राजनीति से मुक्त किया जाय।
वित्तविहीन इण्टर तक के विद्यालयों से प्रतिवर्ष हजारों रूपये प्रवेश शुल्क के लिए लिये जाते हैं। इसको तत्काल रोकना होगा। राष्ट्र की ऊर्जा और कार्यक्षमता छात्रों और युवाओं में होती है। शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शिक्षण संस्थाओं के क्रियाकलापों में छात्रों की सहभागिता होनी आवश्यक है। हमारा मत है कि लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर छात्र संघों के चुनाव कराये जाएं इस रिपोर्ट की स्वीकृति माननीय उच्च न्यायालय द्वारा भी हो चुकी है।
प्रदेश का बुन्देलखण्ड क्षेत्र सूखे से बदहाल है। इस स्थिति पर कांग्रेस की केन्द्रीय सत्ता और उ0प्र0 शासन यदा-कदा घड़ियाली आंसू बहाते हैं। पूर्वांचल इंसेफ्लाइटिस जैसी बीमारी से त्रस्त है। किसान कर्ज के बोझ से दबे हैं। गरीबी की मार से पुत्र-पुत्रियों की शिक्षा, भोजन व शादी विवाह न कर पाने के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। गांधी की विरासत की तथाकथित उत्तराधिकारी कांग्रेस पार्टी के सहयोग से चल रही प्रदेश की बसपा सरकार में शासन का यह नया नमूना है।
उत्तर प्रदेश शासन सिर्फ अपने चहेते उद्योगपतियों के लिए किसानों की भूमि जबरन कम मुआवजा देकर अधिग्रहीत कर रही है। किसानों की उपजाऊ कृषि भूमि को औद्योगिक विकास के नाम पर अधिग्रहीत कर बड़े-बड़े उद्योगपतियों व कोलोनाइजर्स को दिया जा रहा है। इसके पीछे अवैध धन प्राप्त करना ही एकमात्र उद्देश्य है। नोयडा में जमीन के धन्धे में सत्तारूढ़ दल से जुड़े लोगों के द्वारा प्रतिदिन करोड़ों रूपयों का अवैध लाभ लिया जा रहा है। एक विशेष व्यक्ति जिसे एक क्षेत्र में एकाधिकार देने में सैकड़ों करोड़ों का अवैध लेन-देन हुआ है, को अति कम मूल्य पर बहुत बड़ा भूखण्ड देने के प्रस्ताव के पीछे भी आर्थिक भ्रष्टाचार हैै। यमुना एक्सप्रेस वे, औद्यौगिक विकास प्राधिकरण के लिए किए गये जमीन अधिग्रहण के विरोध में 35 दिनों से चल रहे गौतमबुद्धनगर के भट्टाग्राम के किसानों पर पीएसी द्वारा की गई गोलीबारी निन्दनीय है। भविष्य में 30 हजार करोड़ की 1047 किमी लम्बी ग्रेटर नोयडा से बलिया तथा 8 लेन, 3 एक्सप्रेस लिंक रोड तथा 8 नगरीय एवं उद्योग के लिए जमीन के लिए अधिग्रहण पर बड़ा संघर्ष होगा।
भाजपा सदैव किसानों के साथ खड़ी है। और भविष्य में भी किसानों के हितों के लिए तत्पर है। उत्तर प्रदेश में बसपा शासन में औद्योगिक विकास ठप्प है। उद्योग-धंधे प्रदेश में भ्रष्टाचार, कानून व्यवस्था, अपराधिक स्थिति, विद्युत की कमी से पलायन कर रहे हैं। मजदूर एवं अन्य कर्मी भुखमरी के कगार पर हैं। बेरोजगारी बढ़ रही है तथा कार्मिक क्षेत्र से प्रतिभाओं का पलायन हो रहा है। बसपा के 4 साल के कार्यकाल में सिर्फ एम0 ओ0 यू0 पर औद्योगिक घरानों के हस्ताक्षर के सिवा आगे प्रगति शून्य है।इससे प्रदेश सरकार को स्टाम्प शुल्क के रूप में भारी हानि हो रही है। उ0प्र0 के अविकसित होने का कारण मायावती की नीति एवं पैसे की भूख है। व्यापारियों का उत्पीड़न और धन वसूली आये दिन होती रहती है। पुलिस माफिया, गुण्डों और अपराधियों की संरक्षक हो गई है। बड़े से बड़ा अपराध और उसकी भयावहता से आज उ0प्र0 पुलिस पूरी तरह से संवेदनहीन है। किसानों, युवाओं, बेरोजगारों, महिलाओं, अपंगों और यहां तक कि वकीलों, शिक्षकों, अंधों पर भी गोली-लाठी चलाने में नही हिचकती है। यह बसपा सरकार की क्रूरता और लोकतन्त्र में तानाशाही की मिसाल है। देश में एक ओर कांग्रेस के नेतृत्व की यू0पी0ए0 सरकार में भ्रष्टाचार, आतंकवाद, अलगाववाद, घोटाला, कालाधन पनप रहा है। वहीं उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार भी इसमें लिप्त है। प्रदेश में भ्रष्टाचार अनेक तरह से बढ़ रहा है। सरकारी कामकाज कराने, नियुक्तियों, व्यावसायिक लाइसेंसो, खाद आदि के विक्रय, विद्यालयों की मान्यताओं आदि कार्य बिना पैसे के नही हो रहे है। काला बाजारी और अवैध वसूली का बोलबाला है। विद्युत चोरी धड़ल्ले से हो रही है।
उत्तर प्रदेश कई आतंकवादी घटनाओं से जुड़ा पाया गया है। प्रदेश का जिला विशेष आतंकवादियों का गढ़ कहा जाता है। कई अन्य जिले में भी आतंकवादियों के ठिकाने पाये गये हैं। पर प्रदेश की मुख्यमन्त्री भी तुष्टीकरण की नीति के कारण इस विषय पर मौन हैं।
प्रदेश में बसपा सरकार का भी अपराधीकरण हो चुका है। इस सरकार के कई मन्त्री व विधायक गम्भीर अपराधों में जेल में हैं। कई अवैध धंधों में लिप्त हैं। कुछ जिलों में कुछ मन्त्रियों, विधायकों व उनके सम्बन्धियों का ठेकों पर एकाधिकार है। मुख्यमन्त्री इस पर भी मौन है।
प्रदेश में पेयजल का गहरा संकट हैं पर बसपा सरकार द्वारा इस गम्भीर समस्या के निराकरण हेतु कोई ठोस योजना नही बनाई गई। प्रदूषण चाहे नदियों का हो या ध्वनि या कारखानों का, सरकार द्वारा उपेक्षित है।
महिला मुख्यमन्त्री होने के बाद भी प्रदेश में नारी उत्पीड़न चरम पर है। मुख्यमन्त्री संवेदनहीन हो गई है। नारी सशक्तिकरण सरकार के एजेन्डे में नही है।
प्रदेश में विद्युत संकट का समाधान करने के बजाय सरकार विद्युत आपूर्ति को कुछ क्षेत्रों में ठेके पर देकर कुछ लोगों को व्यक्तिगत लाभ पहुंचा रही है। जनता अंधेरे में रहे, नलकूप चलें या न चलें, औद्योगिक विकास भले ही ठप्प हो जाय, बसपा सरका को इससे कोई मतलब नही।
प्रदेश की जनता महंगाई से पीड़ित है। पिछले 4 साल में महंगाई कम करने के लिए प्रदेश सरकार ने कोई कदम नही उठाया। प्रदेश में बसपा सरकार, इसके मन्त्रियों व विधायकों द्वारा धन उगाही के कारण भी जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं तथा भवन निर्माण सामिग्रयों के दाम आसमान छूने लगे हैं। सार्वजनिक वितरण व्यवस्था ध्वस्त होने के कारण गरीबों को सस्ते दर पर खाद्यान्न, मिट्टी का तेल आदि नही मिल रहा है। काला बाजारी करने वालों की चान्दी है। सरकार मौन हैै।
निराश्रित महिलाओं व विधवाओं को पेंशन नही मिलती। यदि मिलती भी है तो बिना घूस दिये नही। कल्याणकारी योजनायें जिनके लिए हैं, उन्हे लाभ नहीं मिल रहा है।
युवा शक्ति के विकास व उसकी ऊर्जा के उपयोग हेतु प्रदेश में कोई योजना नही है। बेरोजगारी बढ़ी है। रोजगार दफ्तर बेकार हो गये हैं। प्रदेश का युवा दिशाहीन है।
उत्तर प्रदेश में नेपाल से लगी खुली सीमा पर भारी खतरा उत्पन्न हो गया है। नकली नोट, ड्रग्स, हथियार एवं आतंकियों का प्रवेश दिनों-दिन बढ़ रहा है। नेपाल में चीन की दखलदांजी का परिणाम है कि एस0एस0बी0 द्वारा च.ीनी नागरिक जिसमें एक महिला भी है, बहराइच में पकड़े गये है। परन्तु प्रदेश और केन्द्र सरकारें इस खतरे को गम्भीरता से नही ले रहे हैं।
भ्रष्टाचार एवं काला धन पर रोक लगाने की यदि इच्छा शक्ति और ईमानदारी हो तो मायावती को गुजरात और बिहार के मुख्मन्त्रियों से शिक्षा लेनी चाहिए। बिहार के मुख्यमन्त्री ने स्वयं और मन्त्रियों के एवं परिजनों की सम्पत्ति की घोषणा की है तथा राज्य के आई ए एस अधिकारियों से भी ऐसा करने का कहा है। विशेष न्यायालय कानून लागू करके भ्रष्टाचार के मुकदमों का त्वरित निस्तारण तथा ऐसी अर्जित सम्पत्तियों को जब्त करना प्रारम्भ हो चुका है। यदि मायावती में नैतिकता और भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए तनिक भी इच्छा शक्ति हो तो वे तत्काल उ0प्र0 में यह कार्यवाही करें।
30 सितम्बर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सर्वसम्मति से अयोध्या स्थित गर्भगृह को श्रीरामजन्मभूमि घोषित करना पौराणिक आस्था, इतिहार और तथ्य पर न्यायिक मोहर है। भाजपा एवं सभी राष्ट्रवादी शक्तियां तथा भारत और विश्व का सकल हिन्दू समाज मुदित हुआ है। भाजपा को पूर्ण विश्वास है कि हिन्दुस्तान के गौरव, वैभव, आत्मस्वाभिमान, राष्ट्रीयता एवं भारतीयता के अनुरूप अयोध्या में निकट भविष्य में भव्य मन्दिर का निर्माण होगा।
प्रदेश की जनता ने सपा सरकार का कुशासन देखा है। बदलाव के लिए निर्वाचित बसपा सरकार ने भ्रष्टाचार, कुशासन, राजनैतिक अपराधीकरण में सपा को भी मीलों पीछे छोड़ दिया है। अब प्रदेश भाजपा की ओर सुशासन के लिए देख रहा है। भारतीय जनता पार्टी इन सभी समस्याओं का समाधान है। हमारी जनहित के प्रति प्रतिबद्धता, स्वच्छ प्रशासन की क्षमता, शुचिता, संकल्प ही हमारी शक्ति है। यह प्रदेश की जनता भी जान रही है। इस विश्वास पर खरे उतरने के लिए दृढ़ता एवं प्रतिबद्धता के साथ बदलाव हेतु चुनौतियों को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ते रहना है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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