भारतीय कृशि विज्ञान कांग्रेस के 10वीं संगोश्ठी का शुभारम्भ आज राश्ट्रीय मत्स्य आनुवंिशक संसाधन ब्यूरो (एन.बी.एफ.जी.आर.) के प्रांगण में सम्पन्न हुआ। श्री बी.एल. जोशी द्वारा दीप प्रज्जवलित करके किया गया। इस राश्ट्रीय कृशि विज्ञान कांग्रेस का आयोजन राश्ट्रीय कृशि विज्ञान अकादमी (नास), नई दिल्ली के तत्वाधान में राश्ट्रीय मत्स्य आनुवंिशक संसाधन ब्यूरो द्वारा भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान एवं केन्द्रीय उपोश्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ के सहयोग से किया गया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कृशि एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मन्त्री, भारत सरकार हरीश रावत ने की। इस संगोश्ठी में राश्ट्रीय कृशि विज्ञान अकादमी के वर्तमान अध्यक्ष डा. आर.बी. सिंह, पूर्व अध्यक्ष एवं भारतीय कृशि अनुसांधन परिशद के पूर्व महानिदेशक डा. आर.एस. परोदा एवं डा. मंगला राय, डा. ए.के. श्रीवास्तव (सचिव वज़ीर एस. लाकड़ा (संयोजक तथा निदेशक/कुलपति केन्द्रीय माित्स्यकी निदेशक अनुसंधान संस्थान, मुम्बई), डा. जे.के. जेना (सह संयोजक एवं निदेशक, राश्ट्रीय मत्स्य आनुवंिशक संसाधन ब्यूरो) एवं भारतीय कृशि अनुसंधान परिशद तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंाधन परिशद के अनेक संस्थानों के निदेशक और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भी भाग लिया। इस कार्यक्रम का शुभारम्भ संयोजक डा. लाकड़ा के स्वागत भाशण से हुआ। इसके पश्चात भारतीय कृशि विज्ञान अकादमी के वर्तमान एवं पूर्व अध्यक्षों ने अपने विचार व्यक्त किये। महामहिम राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि कृशि, भारतीय संस्कृति, आजीविका तथा पारिस्थितिक सुरक्षा की नींव है। उन्होंने टिकाऊ कृशि उत्पादन हेतु मृदा, पादप एवं प्राणी स्वास्थ्य के महत्वों पर प्रकाश डाला। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह संगोश्ठी आने वाले समय में इण्डो गैंगेटिक भूभाग में कृशि उत्पादन बढ़ाने हेतु मृदा, पादप एवं प्राणी स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए किसानों को एक नई दिशा प्रदान करेगी। कृशि एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मन्त्री, भारत सरकार हरीश रावत ने भी अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कृशि उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने हेतु मृदा, पादप एवं प्राणी स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्याओं के निराकरण की आवश्यकता पर बल दिया तथा पर्यावरण की सुरक्षा हेतु कृत्रिम उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर विशेश ध्यान देने की बात कही। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि द्वारा देश के प्रतििश्ठत वैज्ञानिकों को कृशि अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान हेतु “नास´´ पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इस संगोश्ठी में देश के विभिन्न राज्यों से आये प्रगतिशील किसानों के लिए कृशि ऋण तथा अन्य तकनीकी नवीकरण से सम्बंधित विशयों पर शोधकर्ताओं, िशक्षाविदों, नीति निर्धारकों, नाबार्ड एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं के साथ वर्तालाप सत्र का भी आयोजन किया गया है। इस संगोश्ठी में युवा वैज्ञानिकों को कृशि उत्पादन में नई दिशाएं प्रदान करने के क्षेत्र में विशेश योगदान हेतु पुरूस्कृत किया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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