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कार वर्सेज़ वाइल्ड

Posted on 11 September 2013 by admin

बियाबान की दक्षता से ज्यादा खतरनाक और कोई चीज नहीं होती। इस सितम्बर में डिस्कवरी चैनल एक बिल्कुल नई रोमांचक श्रृंखला,

कार वर्सेज़ वाइल्ड पेश कर रहा है जो मैक्सिको के मनोहारी मगर बेहद बेरहम भूदृश्यों को पेश करती है। दर्शक ब्रिटिश स्पैशल फोर्सेज के एक पूर्व सैनिक गैरी हम्फ्री के साथ एक रोमांच से भरे सफर पर चलेंगे, बिल वू कारों के शौकीन एक अमरीकी नागरिक हैं और रूबी उनकी भरोसेमंद और रोमांच के लिए हमेशा तैयार फोर व्हील ड्राइव वाली कार है। कार्यक्रम में ये लोग इंसान और मशीन, दोनों की सीमाओं का पूरा इम्तिहान लेते हैं क्योंकि ये ऐसी मुश्किल जगहों पर जाते हैं जहां पहले कभी कोई कार नहीं गई।

10 भाग वाली इस श्रृंखला कार वर्सेज़ वाइल्ड को केवल डिस्कवरी चैनल पर 16 सितम्बर से हर रात 10 बजे दिखाया जाएगा।  edited-car-vs-wild-discovery-channel-1

हर एपिसोड में बिल और गैरी एक बेहद चरम पर्यावरण में रूबी नामक एक कार के साथ जाते हैं जिसे ऐसे भूदृश्यों के लिए सज्जित नहीं किया गया है। इन तीनों को वेराक्रूज के ज्वालामुखीय इलाके और क्रेटरों से होकर अपनी आखिरी मंजिल ओरिजाबा तक पहुंचना है जहां के जंगल दम घोटने वाले और बेहद घने हैं। इनका सामना खतरनाक प्राकृतिक बाधाओं से होता है जो इनकी शारीरिक सीमाओं का इम्तिहान लेती हैं। इन्हें अपने डर पर काबू पाते हुए सांपों, चमगादड़ों से भरी गुफाओं और गहरे लगूनों का सामना करना है या इन्हें 70 मीटर गहरी एक कैन्यन में भी उतरना है। इस बियाबान में समय की कोई सीमा नहीं है। लेकिन धीमे चलने से इस निडर टीम को नुकसान ही होगा। आखिरकार बिल और गैरी को अपने सामने मौजूद चुनौतियों का सामना करने के लिए रफ्तार और रणनीति, दोनों के बीच ही संतुलन बनाना होगा।

इस कार्यक्रम का मुख्य तत्व है मानव, मशीन और प्रकृति के बीच मौजूद पेचीदा रिश्ता। दर्शक बिल और गैरी को प्रेरणाप्रद जोखिम उठाते और व्यावहारिक विकल्प ढूंढते देखेंगे जो हरे-भरे जंगलों में से रूबी को टारजन के अंदाज में आगे बढ़ाने के लिए लताओं और पेड़ों का इस्तेमाल करते हैं। दर्शक दक्षिण-पूर्व में मौजूद 14 हजार फुट ऊंचे पिको डे ओरिजाबा माउंटेन पर चढ़ाई करने के एक संभावित रेकाॅर्ड कीर्तिमान को भी देखेंगे। ये पहाड़ मैक्सिको में सबसे ऊंचा है और ये अपनी चट्टानों के बीच खोजियों को निगलता रहता है। सबसे आखिर में ये तीनों कुछ ऐसी जगहों पर से सफर करने की कोशिश करते हैं जहां पहले कभी कोई कार नहीं गई। इनमें एक ज्वालामुखीय क्रेटर में बनी झील भी है, और कहा जाता है कि यहां मानव बलि दी जाती थी।

इस सफर को पूरा करने के लिए महारतों और तुरत-फुरत लिए जाने वाले फैसलों के अलावा भी बहुत कुछ चाहिए होगा। क्या ये तीनों बिना कोई नुकसान उठाए ये काम कर पाएंगे? जीत किसकी होगी - कार की या बियाबान की? दर्शक 16 सितम्बर, 2013 से, हर रात 10 बजे दिखाए जाने वाले कार्यक्रम कार वर्सेज़ वाइल्ड में दिल की धड़कन बढ़ा देने वाले एक्शन को देखेंगे।

एपिसोडों की सुखिऱ्यांः

स्काई प्लेटफाॅर्मः बिल, गैरी और रूबी दक्षिणी मैक्सिको के सिएरा हुआरेज पहाड़ों में जाते हैं जिनकी ऊंचाई समुद्र की सतह से 1800 मीटर है, और ये पूर्व की ओर फैले हुए हैं। ये पत्थर से बने एक पवित्र मंच की ओर बढ़ते हैं और वहां तक जाने के लिए स्थानीय अमरीकियों के पैदल मार्ग को अपनाते हैं। यहां हमारे नायकों का सामना ग्रेनाइट पत्थरों की भूलभुलैया से होता है, हर मोड़ पर ऐसा लगता है जैसे ये पलट जाएंगे या उन्हें कुचल देंगे। बाद में जब बिल और गैरी घने पहाड़ी जंगल में भटक जाते हैं तो उन्हें वहां से निकलने का रास्ता प्राकृतिक संसाधनों को इस्तेमाल करके ढूंढना होता है। आखिरकार ये लोग स्काई प्लेटफाॅर्म के आधार तक पहुंच जाते हैं, लेकिन पांच सौ मीटर ऊंची इस प्राकृतिक चट्टानी सीढ़ी पर चढ़ना इनके लिए कुछ ज्यादा ही मुश्किल चुनौती साबित हो सकता है।

अनएक्सप्लोर्ड वैलीः बाहा, मैक्सिको में गैरी और बिल एक बेहद दूरदराज घाटी का ट्रैक करते हैं। इसका न तो कोई नाम है, और रूबी के यहां पहुंचने से पहले यहां कोई वाहन आया भी नहीं है। यहां पहुंचने के लिए इन तीनों को बेहद खतरनाक और अप्रत्याशित रियो हार्डी को पार करना पड़ता है, जो मैक्सिकाली वैली के साथ-साथ 26 किलोमीटर की लम्बाई में मौजूद है। यहां पानी बहुत गहरा है और ये लोग केवल उम्मीद और दुआ ही कर सकते हैं कि रूबी आंशिक रूप से पानी में डूब कर इस दूरी को पार कर लेगी। अगर ये लोग इस पानी में न भी बहे तो भी 10 लाख एकड़ में फैला नमक वाला मैदान लगूना सलाडा उनकी इस चुनौती की आखिरी बाधा तक पहुंचने का रास्ता तो फिर भी बाधित किए ही रहेगा। यानी 35 मीटर ऊंची एक चट्टान। बेहद गर्म लगूना सलाडा के बाजू में सिएरा डे हुआरेज पहाड़ मौजूद है।

बिहाइंड द सीन्सः दो भाग वाले इस विशेष एपिसोड में बिल और गैरी मैक्सिको के अपने चरम एडवैंचर के बारे में अपना नजरिया पेश करेंगे। वे एक झरने से छलांग लगाते हैं, और जंगल में चमगादड़ों वाली एक गुफा में भी जाते हैं। हम इन तीनों के साथ एपिसोड-1 से, इनकी यात्रा की शुरूआत से ही रहेंगे और ऐसी फुटेज देखेंगे जो पहले कभी देखी ही नहीं गई। रूबी जंगल के एक ढलान पर से नीचे आने के लिए जूझती है, और बिल और गैरी ये साबित कर देते हैं कि आप जैसा सोचते हैं, वैसा हमेशा होता नहीं है। आखिर में दर्शक फिल्म क्रू को भी देखेंगे जो मैक्सिको में सबसे नम, सबसे गर्म और सबसे खतरनाक जगहों पर टीम के साथ बने रहने और तमाम हालात को झेलने की कोशिश करते रहते हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

agnihotri1966@gmail.com

sa@upnewslive.com

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सहारा वन के नये धारावाहिक ‘’आखि़र बहू भी तो बेटी ही है‘’ पर शुरू होगी एक ज्वलंत बहस

Posted on 05 September 2013 by admin

  • सोमवार, 16 सितम्बर रात 9 बजे से होगा प्रसारण

समाजशास्त्री इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि आखि़र संयुक्त परिवार एकल परिवारों में क्यों टूटते जा रहे हैं। इसके पीछे कई कारण हैं, लेकिन एक मुख्य कारण सास और बहू के बीच एक-दूसरे के प्रति अपेक्षाओं में मतभेद होना है। इसी विषय को ध्यान में रखते हुए सहारा वन पर आगामी सोमवार 16 सितम्बर से रात 9 बजे एक नये धारावाहिक ‘आखि़र बहू भी तो बेटी ही है‘ का प्रसारण शुरू किया जा रहा है, जो शुक्रवार तक प्रति सप्ताह जारी रहेगा।

edited-aakhir-bahu-bhi-toh-beti-hee-haiसहारा वन का ‘आखि़र बहू भी तो बेटी ही है‘ ऐसी कहानी है जिसमें बहू और बेटियों से अलग-अलग व्यवहार किया जाता है। कहानी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की रूढि़वादी परिवार की है, जहां सास ‘नौलखा देवी‘ (प्राची पाठक) बहुत सख्त, दूसरों पर हावी होने वाली और बेहद रूढि़वादी महिला हैं। वह अपनी बहुओं को दकियानूसी विचारों के अनुसार रखती हैं। उनका विश्वास है कि घर की बहू पर सख्त नियंत्रण होना चाहिए और इसमे कोई भी बदलाव पूरे घर को तोड़ सकता है।

इसके विपरीत, सिया (पायल राजपूत) युवा, जोश से भरी, चंचल और बहिर्मुखी स्वभाव की है। वह युवा महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली आज के दौर की निडर एवं आत्मसम्मान वाली युवती है। वह बुद्धिमान, आत्मविश्वासी भी है, जिसके खुद के विचार हैं और सही के साथ खड़े होने का जिसमें साहस है। उसका दृढ़ विश्वास है कि उसका ससुराल उसके मायके से अलग नहीं होगा

श्री शरद राज, प्रोग्रामिंग और कान्टेट प्रमुख, सहारा वन मीडिया एंड एंटरटेनमेंट लिमिटेड ने धारावाहिक के बारे में कहा, ‘‘बदलते समय के साथ सामाजिक एवं पारिवारिक ýझान भी बदलने की आवश्यकता है और हम अपने नये धारावाहिक ‘‘आखि़र बहू भी तो बेटी ही है‘‘ में इसी बात को दर्शकों के सामने रखेंगे। हमारे देश की उभरती युवा महिलाओं के दिमाग में एक सवाल है कि यदि लड़की अपना परिवार छोड़कर पति के परिवार को अपने परिवार की तरह अपनाती है और अपने सभी कर्तव्य निभाती है, तो फिर क्यों सास-ससुर, खासकर सास उनके साथ एक बेटी की तरह व्यवहार नहीं करतीं? क्यों उसे ठेठ बहू बनना पड़ता है जिस पर कई प्रतिबंध हो, और शेष परिवार से अलग-थलग हो, जबकि उसके पास ‘‘संस्कार‘‘ लाने का अधिकार है? आखि़र बहू भी तो बेटी ही है धारावाहिक का प्रयास वर्तमान समय की महिलाओं के इसी सवाल को सामने लाना है… यह आज की प्रत्येक ‘बहू‘ की भावनात्मक महत्वाकांक्षा है और अब समय आ गया है कि इस मुद्दे पर खुलकर बहस हो।‘‘

भारतीय टेलीविजन पर अपने पहले शो के साथ एंट्री करने वाले भारत श्रीवास्तव, निर्माता, इम्पैक्ट टेली नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड, ने कहा, ‘‘आखि़र बहू भी तो बेटी ही है भारतीय शादी की परम्परा से जुड़े विभिन्न रंगों को प्रस्तुत करता है, जहां एक लड़की मासूमियत से परिपक्वता, बेफिक्र जिन्दगी से जिम्मेदारी उठाने की भूमिका और एक लड़की से महिला में परिवर्तित होती है। इस प्रक्रिया में, लड़की को बहुत कुछ खोना पड़ता है, लेकिन समाज इसे सही तरीके से नहीं लेता। उसकी सबसे बड़ी चुनौती नये परिवार में सामंजस्य बिठाना होता है। निस्संदेह उसकी सासू मां, खासकर संयुक्त परिवार में मुख्य केन्द्र बन जाती है। हमारी कहानी इन दोनों चरित्रों के इर्दगिर्द घूमती है कि किस तरह से दिलचस्प घटनाएं इन दो अजनबियों को मजबूती से बांधती है कि एक बहू को बेटी के तौर पर और सासू मां को मां के रूप में स्वीकारा जाए।‘‘ बताते चलें कि ‘आखि़र बहू भी तो बेटी ही है‘ सास नौलखा देवी, उसकी बहू सिया और अलग-अलग सोच के दो भिन्न लोगों के मिलने से उनके बीच पैदा हुए विवाद की कहानी है। शो में सास और बहू के बीच सम्बन्धों को दिखाया गया है। पूरी अवधारणा हमारे समाज में बहू और बेटियों से किये जाने वाले अलग-अलग व्यवहार पर आधारित है। शो की समाजवादी कहानी में पायल राजपूत, प्राची पाठक, सीमा पांडे, आर्यन पंडित और पारितोष सैंड जैसे प्रतिभाशाली कलाकार नजर आएंगे।

अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें:

तिशम घटक/हेमन्त शुक्ल

सहारा काॅर्पोरेट कम्युनिकेशन्स, लखनऊ

मोबाइल नं0 - 9838072633/9838689871

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

agnihotri1966@gmail.com

sa@upnewslive.com

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घर की चार दिवारी में कैद विवाद को उजागर करेगा सहारा वन का नया धारावाहिक

Posted on 22 August 2013 by admin

edited-akhir-logoभारतीय परिवारों में पुरानी पीढि़यां परंपराओं से बंधी हुयी है, जबकि युवा पीढ़ी प्राचीन रीति-रिवाजों और मान्यताओं को तोड़ना चाहती है जिसे लोग अपने ही परिवार में इसे महसूस कर रहे हैं। बरसों से, समाज का आईना रहे टेलीविजन ने संबंधों में बदलते रूख पर ध्यान केन्द्रित किया है। अब जल्द ही सहारा वन ऐसा कार्यक्रम प्रसारित करने जा रहा है, जो सास और बहू के रिश्तों पर आधारित होगा। दोनों ही भारतीय परिवार की मुख्य कडि़यां होती हैं।

सास और बहू के बीच सम्बन्धों और उनके बीच होने वाली बातचीत में अच्छा-खासा बदलाव आया है। हालांकि, दोनों के मतों में काफी मतभेद भी होता है, लेकिन उसे बेहद संवेदनशीलता और धैर्य के साथ सुलझाना चाहिये। सहारा वन का आगामी शो इन सभी को एक कहानी के रूप में प्रस्तुत करेगा, जो कि न सिर्फ मनोरंजनात्मक होगा बल्कि लाइव बहस भी प्रारंभ करेगा। दर्शकों को बेहतरीन कहानी, चरित्र और परिस्थितियां देखने को मिलेंगी, जिनके साथ वे अपना जुड़ाव महसूस कर सकते हैं।

टीवी धारावाहिकों की महिला दर्शक नारी-केन्द्रित कार्यक्रम देखना चाहती हैं। उनका यह रवैया हमेशा बरकरार रहा है। बहरहाल, अब चीजों में थोड़ा बदलाव आया है। अब वे महत्वहीन और ओछे विषय की बजाय ऐसे कार्यक्रम देखना चाहती हैं, जो चर्चा प्रारंभ करें और ऐसे मुद््दो को सामने लायें, जिन पर खुलकर चर्चा नहीं की जाती। यही कारण है कि सहारा वन जल्द ही अपने एकदम नये धारावाहिक के साथ कुछ नयापन लाने की कोशिश करेगा।

आखिर बहू भी तो बेटी ही है- क्या आप सहमत हैं? https://www.facebook.com/aakhirbahubhi  पर लाॅग आॅन कर इस वाद-विवाद में भाग लें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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सहारा वन के ‘हंटेड नाइट्स’ में नयी कहानी ‘द रेनाॅवेशन’

Posted on 07 March 2013 by admin

edited-haunted-nights11 से 15 मार्च तक शाम 7ः30 बजे और रात 11.30 बजे, सहारा वन पर
6 मार्च 2013: सहारा वन चैनल अपने कार्यक्रमों में उस समय ‘चार चांद’ लगा देगा, जब 11 मार्च से उसके धारावाहिक ‘हंटेड नाइट्स’ के अंतर्गत ‘द रेनाॅवेशन’ का प्रदर्शन शुý हो जाएगा। ये धारावाहिक शाम 7ः30 बजे और रात 11ः30 बजे से केवल सहारा वन पर देखे जा सकेंगे।
सहारा वन के सूत्रों के अनुसार अभिनव और अवनी विगत 3 वर्षों से खुशहाल विवाहित जीवन व्यतीत कर रहे हैं और हाल में उन्होंने अपनी शानदार नौकरी छोड़कर ‘क्रिएटिंग होम्स‘ के नाम से आंतरिक साज-सज्जा की एक छोटी दुकान खोली है। किस्मत उन पर मेहरबान होती है और उन्हें एक पुराने बंगले के जीर्णोद्धार का कार्य मिल जाता है। पचास वर्ष से अधिक उम्र वाले एक शिष्ट पारसी सज्जन श्री इरानी अपनी शादी की 25वीं सालगिरह पर अपनी पत्नी पर्सिस को उपहार देने के लिए इस भवन का जीर्णोद्धार कराना चाहते हैं। वे घर की चाबियाँ इन दोनों को दे देते हैं, ताकि वे जगह का मुआयना करके जीर्णोद्धार में होने वाले खर्च बता सकें। अभिनव और अवनी अपने घनिष्ठ मित्र, काजल, ऋषि, वीर और प्रीति को अपने साथ चलने का निमंत्रण देते हैं। उनके लिए यह सप्ताहांत काम और मस्ती से भरा होगा। यह ग्रुप पहाड़ी की चोटी पर बने इस एकांत और बेहद टूटे-फूटे बंगले में पहुंचता है। जगह की सफाई करने के बाद अभिनव और अवनी अपना काम शुý करते हैं, वहीं बाकी सभी मस्ती में मशगूल रहते हैं। शाम ढलने पर वे रात के भोजन के लिए बाहर निकलने का फैसला करते हैं लेकिन वीर उन्हें कहीं नजर नहीं आता है। यह सोचकर कि वह जंगल में घूमने गया होगा, हर कोई आस-पास में उसे ढूँढता है। काजल को लगता है कि वह आदतन मजाक कर रहा होगा। लेकिन जब उन्हें एक कमरे में उसका मृत शरीर मिलता है तो सदमे से उनका दिमाग सन्न रह जाता है। उन्हें पता चलता है कि उनके मोबाइल का सिग्नल बंद हो गया है और लैंडलाइन फोन भी काम नहीं कर रहा है। स्थिति और भी संकटपूर्ण हो जाती है जब सारे दरवाजे और खिड़कियाँ बंद होने के कारण वे घर में कैद हो जाते हैं। उन्हें कुछ अजीब आवाजें सुनाई देती हैं और घात लगाए कुछ छाया दिखाई देती हैं जिससे उन्हें घबराहट होने लगती है। हर कोई डरा-डरा है और उन्हें लगता है कि कोई गिरोह उन्हें निशाना बना रहा है या कोई भगोड़ा मनोरोगी है, जिसने वीर की हत्या की है। लेकिन उसी रात काजल की भी हत्या हो जाती है और सुबह होने तक बाकी चारों - ऋषि, प्रीति, अभिनव और अवनी पूरी तरह लस्त-पस्त और भयभीत हो जाते हैं। वे महसूस करते हैं कि यह कोई अदृश्य दुष्ट आत्मा है जो उनका पीछा कर रही है। लेकिन वे कौन-से सवाल थे जिनका कोई जवाब उन्हें नहीं मिल रहा था।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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डिस्कवरी चैनल के साथ चलिए एक रोमांचक यात्रा पर

Posted on 22 February 2013 by admin

अल्टीमेट डिस्कवरी इस साल टेलीविजन देखने के एक भव्य अनुभव का वादा करता है

discoveryभारत के जाने-माने तथ्य आधारित मनोरंजन नैटवर्क डिस्कवरी चैनल ने रात 9 बजे के अपने प्राइम टाइम बैंड की विषय-वस्तु को और सशक्त बनाते हुए अपने टाइम बैंड - अल्टीमेट डिस्कवरी में बेहतरीन नए कार्यक्रमों की शुरूआत की है।
हर रात 9 बजे अल्टीमेट डिस्कवरी का प्रसारण इस साल के दौरान और ज्यादा हैरतअंगेज कार्यक्रमों के जरिये अपने दर्शकों को प्रबुद्ध बनाने और अपनी ओर आकर्षित करने का वादा करता है।
अल्टीमेट डिस्कवरी की शुरूआत 2008 में हुई थी और ये सफलतापूर्वक अपने दर्शकों के लिए विज्ञान, खोज, इतिहास, एडवैंचर और वन्य जीवन की अकल्पनीय दुनिया को प्रस्तुत करता रहा है।
ताजादम बनाने वाले कार्यक्रमों के शुभारंभ की घोषणा करते हुए राहुल जौहरी, सीनियर वाइस प्रैजिडैंट और जनरल मैनेजर - दक्षिण एशिया, डिस्कवरी नैटवक्र्स एशिया पैसिफिक ने कहा, ‘अल्टीमेट डिस्कवरी के जरिये हम अपने दर्शकों के लिए उनके पसंदीदा समय और सप्ताह के हर दिन डिस्कवरी चैनल के बेहतरीन कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने का पक्का वादा करते हैं।’
इस टाइम बैंड में द मैजिक आॅफ साइंस नामक श्रृंखला प्रस्तुत की जा रही है जिसमें जादू की दुनिया के उभरते सितारों को पेश किया जा रहा है, वन्य जीव श्रृंखला, वाइल्ड एशिया दर्शकों को दुनिया के सबसे खूबसूरत और विविध क्षेत्रों में से एक को देखने का मौका देती है, हिस्ट्री आॅफ द वल्र्ड के जरिये दर्शक हमारी विकास प्रक्रिया से जुड़े रहस्य को सुलझाने की यात्रा पर निकलेंगे, ग्रैंड डिजाइनः स्टीफन हाॅकिंग में दर्शकों का परिचय हमारे ब्रह्मांड के पेचीदा पहलुओं और रहस्यों से कराया जाएगा, और तीन विशेष एपिसोडों में बियर ग्रिल्स दिखाएंगे कि रहने के अयोग्य कुछ नए और अप्रिय इलाकों में कैसे जिंदा बचा जाए।
दर्शक इन रोमांचक कार्यक्रमों को अवश्य देखें जिनमें नाटकीयता, तेज रफ्तार एक्शन और अतिउन्नत स्टाइल मौजूद है। यहां हर दास्तान महत्वपूर्ण है और हर दृश्य दिलकश और याद रखने योग्य। तो तैयार हो जाइए इस चरम खोज के लिए। इससे शानदार आप और कुछ नहीं पाएंगे।
अल्टीमेट डिस्कवरी में दिखाए जाने वाले कार्यक्रमः
द मैजिक आॅफ साइंस                            सोमवार रात 9.00 बजे
भला कोई जादूगर तेल के किसी टैंकर को किसी ड्रिंक्स कैन की तरह कैसे कुचल देता है? या वह बिना डूबे किसी स्विमिंग पूल के आरपार कैसे ड्राइव कर लेता है।  मैजिक आॅफ साइंस कार्यक्रम जादू की दुनिया को पेश करता है जो अपने कई हैरतअंगेज कारनामों के जरिये आमलोगों को विस्मय में डाल देती है। और फिर इसका समापन एक कमाल के स्टंट के जरिये एक भव्य प्रदर्शन के रूप में होता है। अपने इस कमाल के प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देने के बाद ये चतुर जादूगर इस कमाल के मतिभ्रम के पीछे मौजूद गजब के विज्ञान का खुलासा करते हैं।

हाऊ डू दे डू इट?                                  सोमवार रात 9.30 बजे
कभी आपने सोचा है कि आपने अपने दोस्तों से जो जीपीएस सिस्टम लिया है, वह कैसे काम करता है? या जीपीएस वाली जिस फरारी कार को आप लेना चाहते हैं, उसमें इंजीनियर इतनी सारी हाॅर्सपावर कैसे समा पाते हैं? हाऊ डू दे डू इट कार्यक्रम इन सवालों के जवाब देने के साथ-साथ फरारी कारों, जीपीएस प्रणालियों, विशालकाय फ्रीवे, शैम्पेन, जम्बो जैट, ग्रैविटी सूट, एलईडी टेलीविजन, बिजली और रोजमर्रा की अन्य लोकप्रिय या शानदार चीजों के बारे में भी और अधिक बताता है।
वाइल्ड एशिया                                     बुधवार रात 9.00 बजे
एशिया दुनिया के सबसे खूबसूरत और विविध क्षेत्रों में से एक है और इसके वनों में ऐसे कई दिलकश जीव मौजूद हैं जो विपरीत परिस्थितियों के हिसाब से ढल गए हैं। डिस्कवरी चैनल एशिया के उन्मुक्त बियाबान को आपके घर ला रहा है, ताकि आप उन हैरतअंगेज जीवों पर एक करीबी निगाह डाल सकें जो एशिया के इस बियाबान को अपना आशियाना बनाए हुए हैं। चाहे भारत हो, इंडोनेशिया या फिर जापान, दर्शक एशिया के साफ-सुथरे समुद्रतटों, बंजर रेगिस्तानों और हरे-भरे वर्षावनों का जायजा लेंगे और इस महाद्वीप के विरोधाभासों में छिपे मनोहारी रहस्यों को उद्घाटित करेंगे।
हिस्ट्री आॅफ द वल्र्ड                                  शुक्रवार रात 9.00 बजे
डिस्कवरी चैनल मानव इतिहास के 70 हजार बरसों को एक विस्मयकारी श्रृंखला में सजीव बना रहा है जो इस समय काल में यात्रा करते हुए इतिहास की महागाथाओं को दिखाती है, इसमें उन स्थानों को भी दिखाया गया है जहां ये घटनाएं घटी थीं और उन किरदारों को भी जो उस समय मौजूद थे। इस महाश्रृंखला में गुम हो चुकी दुनियाओं के सृजन के लिए नाटकीय पुर्नरचना और दिलकश ग्राफिक्स का इस्तेमाल किया गया है और यह दिखाती है कि किस प्रकार सैन्य अभियानों, प्रेम कथाओं, हत्याओं, मैडिकल के क्षेत्र में हुई नई खोजों और विनाशकारी प्राकृतिक घटनाओं ने दुनिया के साझे इतिहास पर निर्णायक और स्थितियों को पूरी तरह बदल देने वाले प्रभाव डाले।
श्रृंखला में इतिहास को नाटकीय, उद्घाटक और रोमांचक अंदाज में प्रस्तुत किया जा रहा है। इसमें उस मानव सभ्यता के दौर का पुख्ता विवरण पेश किया जा रहा है जिसने हमें वह बनाया जो हम आज हैं।
ग्रैंड डिजाइनः स्टीफन हाॅकिंग                               शनिवार रात 9.00 बजे
जीवन के मायने क्या हैं? ब्रह्मांड की कुंजी किसके पास है? क्या ईश्वर ने ब्रह्मांड बनाया? दर्शक ग्रैंड डिजाइनः स्टीफन हाॅकिंग जरूर देखें जहां हमारी दुनिया के सबसे जाने-माने भौतिकीविद् वैज्ञानिक समझ से जुड़े तीन सबसे विवादास्पद मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। हाॅकिंग ब्रह्मांड के बारे में अपनी निजी राय बताते हैं और कई पेचीदा विचारों का मूल्यांकन करते हैं।
अल्टीमेट सरवाइवरः बियर ग्रिल्स                                रविवार रात 9.00 बजे
बियर ग्रिल्स ब्रिटिश स्पैशल फोर्सेज में काम कर चुके हैं, एवरैस्ट की चोटी पर चढ़ चुके हैं और आर्कटिक के जमे हुए महासागरों को पार कर चुके हैं। अतिजीविता से जुड़े एक रोमांचक नए अभियान के पहले भाग में बियर यूरोप की बेहतरीन पर्वतश्रृंखला - आल्प्स का सफर करते हैं। ये एक ऐसा स्थान है जहां हर साल सैकड़ों लोग हमें ये दिखाने की केाशिश में अपनी जान गंवा देते हैं कि संभावित घातक अवस्थाओं में किस तरह जिंदा बचें। बियर ग्रिल्स एक बिल्कुल नई तकनीक का प्रदर्शन करते हैं जो बर्फीली खाइयों वाले इलाके में लोगों की जान बचाने में मदद कर सकती हैं, वे पहाड़ी तूफानों में जिंदा बचने के लिए एक हिम आश्रय बनाते हैं, वे हमें दिखाते हैं कि एक जमी हुई झील में गिरने से खुद को कैसे बचाया जाए। इन कोशिशों के दौरान बियर ग्रिल्स अपनी अतिविशिष्ट महारतों का भी इम्तिहान लेते हैं। ये जिंदा रहने से जुड़ी एक चरम चुनौती है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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गजेन्द्र सिंह का पहला धारावाहिक ‘घर आजा परदेसी’ सहारा वन पर शुरू

Posted on 31 January 2013 by admin

gap-pr-4-copyसहारा वन पर धारावाहिकों के गुलदस्ते में एक नया धारावाहिक घर आजा परदेसी एक बड़ी संभावना के साथ अपना आगाज कर चुका है। नाॅन फिक्शन शो के प्रख्यात निर्माता श्री गजेन्द्र सिंह अपने पहले धारावाहिक घर आजा परदेसी के साथ टेलिविजन की रंगीन दुनिया में पदार्पण कर रहे हैं।
मालुम हो कि घर आजा परदेसी एक ऐसी बेटी की कहानी है जो भारतीय मर्यादाओं को रेखांकित करते हुए अपने पिता की तलाश करती है। यह कहानी जहां एक तरफ भारतीय पारिवारिक परम्परा में स्त्री के बलिदान को गौरवान्वित करती है तो दूसरी तरफ प्रेम एवं कर्तव्य को भी दर्शाती है। हालांकि उसके इस प्रयास में पारिवारिक रूढि़यां एवं पितामह के विरोध का भी सामना करना पड़ता है।
धारावाहिक में भवानीशंकर मिश्र (विक्रम गोखले), जो वाराणसी के एक प्रतिष्ठित परिवार के मुखिया हैं, तब हतप्रभ हो जाते हैं जब उनकी ही पोती उनके रूढि़वादी आदर्श के बर-खिलाफ चुनौती देती है। इस कहानी में आधुनिकता के प्रवाह और पुरानी रूढि़यों के बीच प्रामाणिक द्वंद्व दर्शाया गया है। यह कहानी दो पीढि़यों, दो महाद्वीपों और दो विचारधाराओं के अन्तर्विरोध को बखूबी प्रस्तुत करती है, जिसमें भवानीशंकर के पुत्र राघव (महेश ठाकुर) एवं पौत्रियों देविका (रळची सवर्ण) तथा रळद्राणी (सपना पब्बी) एवं बहू सजनी मिश्रा (अनीता कुलकर्णी) के जीवन के विरोधाभासों को अत्यंत रोचकता एवं संवेदनशीलता के साथ उकेरने का प्रयास किया गया है।
भवानीशंकर मिश्र अपने विद्रोही पुत्र राघव पुत्र को अपनी सम्पत्ति से स्थायी रूप से बेदखल कर देते हैं, क्योंकि उसने अपनी पत्नी से रिश्ते को तोड़ दिया था। मिश्र परिवार अपने इस मुखिया से मूल्यों और परम्पराओं पर आधारित निर्णय का मुखर विरोध करता आ रहा है। जब भवानीशंकर मिश्र यह महसूस करते हैं कि उनका पूरा परिवार आज भी राघव को दिल से चाहता है और एक दिन उसके वापस घर आने की आशा करता है, तो वह इन सभी से क्रोधित होकर अपने जीवित पुत्र के अंतिम क्रिया-कर्म करने की घोषणा कर देते हैं। अपने इस आक्रोश भरे निर्णय में वह राघव की पत्नी सजनी तथा अपनी प्रपौत्री देविका की भावनाओं को भी नजर अंदाज कर देते हैं। भवानीशंकर के इस निष्ठुर व्यवहार से सारा परिवार दुखी हो जाता है और देविका अपने पितामह के विरळद्ध सख्ती से खड़ी हो जाती है। वह अपने पिता राघव मिश्र को वापस घर लाने का निर्णय लेती है और अपने पिता द्वारा कन्यादान किये जाने के बाद ही विवाह करने का संकल्प लेती है।
श्री सुरेश मिश्र, असिस्टेंट डायरेक्र वर्कर, सहारा वन मीडिया एण्ड एंटरटेनमेंट लि. ने बताया, ‘हम फिक्शन शो के निर्माण की विधा में श्री गजेन्द्र सिंह के प्रवेश का स्वागत करते हैं और हमें पूर्ण विश्वास है कि जिस प्रकार उन्होंने नाॅन-फिक्शन के क्षेत्र में अपने प्रभुत्व को कायम किया था, उसी प्रकार वे फिक्शन के क्षेत्र में भी अपनी सृजनशीलता का रंग भरने में सफल होंगे। घर आजा परदेसी हमारे सम्माननीय बुजुर्गों द्वारा मूल्यों एवं परम्पराओं के संरक्षण तथा नयी पीढ़ी द्वारा तार्किक रूप से उठाये जाने वाले प्रश्नों की रोचकता को रेखांकित करता है। एक नवीन परिकल्पना एवं मंजे हुए कलाकारों की एक लम्बी फेहरिस्त के साथ घर आजा परदेसी निश्चित रूप से दर्शकों को प्रभावित करेगा।
श्री गजेन्द्र सिंह, प्रबंध निदेशक, साईबाबा टेलीफिल्म्स, जो पहली बार फिक्शन शो के क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं, ने कहा, ‘टीवी धारावाहिक में प्रवेश करने का विचार हमारे मन में कुछ समय पहले आया था। यह बोनी कपूरजी एवं सहारा वन के सहयोग से संभव हो सका है। यह परिकल्पना सांस्कृतिक नगरी बनारस के आस-पास के परिवेश में विकसित हुई है, क्योंकि यह एक ऐसा स्थान है, जहां पर हम संगीत और पर्वों को उनके वास्तविक रंग में अनुसंधानित कर सकते हैं। इस परिकल्पना के सृजन का प्रमुख उद्देश्य अपने देश की विविधतापूर्ण संस्कृति एवं परम्परा को प्रदर्शित करना रहा है। यह लंदन से भारत आयी एक लड़की द्वारा एक नयी संस्कृति एवं जीवन शैली को अपनाने की कथा भी है।‘
घर आजा परदेसी की दिलचस्प कथा-वस्तु में विक्रम गोखले, स्मिता जयकर, अनिता कुलकर्णी और महेश ठाकुर जैसे मशहूर कलाकारों का जीवंत अभिनय चार चांद लगा देगा। विक्रम गोखले और स्मिता जयकर की सशक्त जोड़ी सुपर हिट फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ के बाद एक बार फिर एक साथ देखी जाएगी। इसमें प्रमुख भूमिका रळचि सवर्ण एवं सपना पब्बी निभा रही हैं।
धारावाहिक ‘घर आजा परदेसी ….. तेरा देस बुलाये रे’ सोमवार 28 जनवरी से, प्रसारित होना शुरू हो गया है और प्रत्येक सोमवार से शुक्रवार तक रात 8 बजे केवल सहारा वन पर देखा जा सकता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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टिनटिन और उसका वफादार कुत्ता स्नोई

Posted on 29 January 2013 by admin

tintin_hiresडिस्कवरी किड्स, कार्यक्रम देखने से जुड़ा एक समग्र अनुभव प्रस्तुत करने के लिए कटिबद्ध है और वह द एडवैंचर्स आॅफ टिनटिन प्रस्तुत कर रहा है, जो एक बहुत ही लोकप्रिय काॅमिक क्लासिक्स का एक एनिमेटेड रूप है। टिनटिन और उसका वफादार कुत्ता स्नोई दुनिया में शांति बनाए रखने के लिए फिर से लौट रहे हैं और वे रोमांच की खोज करते हैं तथा षडयंत्रों का खुलासा भी। द एडवैंचर्स आॅफ टिनटिन 39 एपिसोड वाली एक श्रृंखला है जिसका प्रसारण डिस्कवरी किड्स पर हर दोपहर 2 बजे किया जाएगा और इसका पुर्नप्रसारण रात 8 बजे भी होगा। श्रृंखला का प्रसारण 26 जनवरी, 2013 से हो रहा है।
द एडवैंचर्स आॅफ टिनटिन एक आकर्षक श्रृंखला है, यह हंसी-मजाक, रोमांच, कल्पनाशीलता और रहस्य से भरी है जिसे बच्चे जरूर पसंद करेंगे। ये साहसी युवा रिपोर्टर और इसका भरोसेमंद कुत्ता स्नोई पूरी दुनिया की यात्रा करते हैं और इनके साथ कुछ दिलचस्प किरदार भी होते हैं। इनमें सख्तजान कैप्टेन हैडक, बुद्धिमान लेकिन कुछ खोए-खोए से रहने वाले प्रोफैसर कैलकुलस और जासूस जोड़ी थाॅमसन एंड थाॅमसन भी हैं।
राहुल जौहरी, सीनियर वाइस प्रैजिडैंट और जनरल मैनेजर - दक्षिण एशिया, डिस्कवरी नैटवक्र्स एशिया पैसिफिक ने कहा, ‘डिस्कवरी किड्स बेहद लोकप्रिय काॅमिक - द एडवैंचर्स आॅफ टिनटिन के एनिमेटेड रूवरूप को प्रस्तुत करते हुए बेहद रोमांचित है। बच्चे खुद को उत्सुक, बुद्धिमान और बहादुर टिनटिन के साथ जोड़ कर देख सकेंगे जो एक खोजी रिपोर्टर है और जो हर एडवैंचर में आश्चर्य और उत्सुकता को भर देता है।’
टिनटिन की बहादुरीपूर्ण खोजें कल्पनाशील मस्तिष्कों की ताकत की पैरवी करती हैं जो चुनौतीपूर्ण मामलों को एक अनूठे ढंग से सुलझाती है। बच्चे टिनटिन की मजेदार और पेचीदा दुनिया का आनंद लेंगे।

इस श्रृंखला में शामिल किए जाने वाले कुछ एडवैंचरः

एक खाली क्रैब टिन के एक रहस्यमय लेबल के जरिये टिनटिन और स्नोई की एक खतरनाक मुठभेड़ बेरहम तस्करों के एक गैंग से हो जाती है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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कामयाब एवरैस्ट अभियान का पूरा लेखा-जोखा प्रस्तुत

Posted on 23 January 2013 by admin

भारत और इसके विविध रूपों को प्रस्तुत करने के प्रति प्रतिबद्ध डिस्कवरी चैनल भारतीय सेना के साथ मिलकर भारतीय सेना की सात महिला अधिकारियों द्वारा अंजाम दिए गए एक बेहद चुनौतीपूर्ण और कामयाब एवरैस्ट अभियान का पूरा लेखा-जोखा प्रस्तुत कर रहा है।
किसी भारतीय दस्ते के, इस बेहद समग्र रूप से फिल्माए गए एवरैस्ट अभियान को डिस्कवरी चैनल अपने एक घंटे के विशिष्ट कार्यक्रम एवरैस्टः इंडियन आर्मी विमैन्स एक्सपीडिशन में भारतीय गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या, शुक्रवार, 25 जनवरी को रात 9 बजे प्रस्तुत करेगा, और इसका पुर्नप्रसारण शनिवार, 26 जनवरी को रात 9 बजे होगा।
everest-6इस कार्यक्रम में इस पूरे अभियान के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है, चाहे ये टीम का चयन हो, प्रशिक्षण और तैयारी अथवा एवरैस्ट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाना, कार्यक्रम में भारतीय सेना की इन महिला अधिकारियों की मुश्किल यात्रा और उन सभी चुनौतियों को दिखाया जा रहा है जिनका सामना उन्हें पर्वतारोहण से जुड़े इस बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के दौरान करना पड़ा। ये कार्यक्रम दर्शकों को किसी एवरैस्ट अभियान के बेहद अंतरंग दृश्य दिखाएगा और हिम्मत, निराशा और गौरव का पहले कभी न किया गया अनुभव भी प्रदान करेगा। दर्शक भारतीय सेना में लम्बे समय से चली आ रही पर्वतारोहण की परम्परा, एडवैंचर और चुनौती का आनंद भी लेंगे।
ये एक दुर्लभ और कमाल का, 100 प्रतिशत सफल अभियान है। डिस्कवरी चैनल के कैमरामैन ने न सिर्फ अवलांश, उथल-पुथल भरे मौसम और बर्फीली खाइयों जैसी चुनौतियों के बीच पूरी यात्रा को कवर किया, बल्कि सात महिला अधिकारियों के साथ चोटी पर भी चढ़े, जो इस अभियान को और भी विशिष्ट बनाता है।
राहुल जौहरी, सीनियर वाइस प्रैजिडैंट और जनरल मैनेजर-दक्षिण एशिया, डिस्कवरी नैटवक्र्स एशिया पैसिफि़क ने कहा - ‘‘एवरैस्ट पर चढ़ना इंसान की हिम्मत और संकल्पशक्ति का चरम इम्तिहान है। डिस्कवरी चैनल के लिए इस पर्वत की चोटी पर पहुंचना और भारतीय सेना की सात महिला अधिकारियों द्वारा किए गए इस रोमांचक अभियान को फिल्म पर उतारना एक बेहद विशिष्ट उपलब्धि रहा है। चैनल ऐसे विशिष्ट कार्यक्रमों और उच्च-गुणवत्ता वाले प्राॅडक्शनों के जरिये भारतीय दर्शकों को प्रेरित करना और उनका मनोरंजन करते रहना जारी रखेगा।’’
एवरैस्टः इंडियन आर्मी विमैन्स एक्सपीडिशन कार्यक्रम दुनिया की सबसे ऊंची चोटी के माहौल के बारे में विस्तार से वर्णन करेगा। कार्यक्रम, भारतीय सेना की सात महिला अधिकारियों द्वारा पहली बार एवरैस्ट पर चढ़ने से जुड़े रोमांच और साहस की पूरी दास्तान बयान करता है। ये दस्ता चोटी पर दक्षिणी रिज मार्ग से चढ़ा जिसका इस्तेमाल माहिर पर्वतारोहियों एडमंड हिलैरी और तेनजिंग नोरगे ने किया था। डिस्कवरी चैनल के कैमरों ने ऐसे दुर्लभ और अनूठे पलों को कैद किया जिन्हें टेलीविजन पर शायद ही पहले कभी देखा गया हो। यहां के दृश्यों को अतिआधुनिक हाई एल्टीट्यूड शूटिंग टैक्नाॅलाॅजी के इस्तेमाल से शूट किया गया, इनमें एक अवलांश, एक बर्फीली खाई में हुई एक शेरपा की दुखद मृत्यु और लोत्से वाले एकदम खड़े हिस्से में चट्टानों का गिरना शामिल है। इस अभियान दल के साथ जाने वाले, डिस्कवरी चैनल के कैमरामैन गैरी जरमन लमार के अलावा कैमरों को कुछ आरोहियों के हैल्मैटों पर भी लगाया गया था ताकि इस कार्यक्रम को रेकाॅर्ड किया जा सके।
सात महिला अधिकारियों और दस पुरूष पर्वतारोहियों की अंतिम टीम का चुनाव करने और उसे तैयार करने में पूरे एक साल के प्रशिक्षण और दो चरण वाली चयन प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। टीम के साथ ही सहायक स्टाफ भी था। टीम का नेतृत्व कर्नल अजय कोठियाल (केसी, एससी, वीएसएम) ने किया था और इसमें भारतीय सेना की जो सात महिला अधिकारी थीं, उनके नाम हैंः कैप्टेन दीपिका राठौड़ (राजस्थान), कैप्टेन नम्रता राठौड़ (उत्तराखंड), कैप्टेन प्राची आर. गोले (महाराष्ट्र), मेजर एन. लिनयू (नागालैंड), मेजर नेहा भटनागर (राजस्थान), कैप्टेन पूनम सांगवान (हरियाणा) और कैप्टेन स्मिता (कर्नाटक)।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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डीटीएच बना सब की पसंद

Posted on 18 January 2013 by admin

अभी तक हमें घरेलू मनोरंजन का आनंद उठाने के लिये कोई विशेष दिमाग लगाने की जरुरत नहीं पड़ती थी। एक तरफ हमारे सामने डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) सेवा का विकल्प था, जिसमें डिजिटल पिक्चर और उत्कृष्ट साउंड क्वाॅलिटी प्राप्त होती थी, यह सुविधा हमें अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार चैनल्स को चयन करने की सहूलियत प्रदान करती थी। इसके तहत हम सिर्फ उतना ही भुगतान करते थे, जितना हम देखते थे। इसके अतिरिक्त हमें वीडियो-आॅन डिमांड, गेमिंग, अग्रणी टेम्पल दर्शन, व्यजंन बनाने की विधियां तथा ऐडूटेनमेंट जैसी अनूठी खोजपरक सेवायें भी उपलब्ध होती थीं। वहीं, दूसरी तरफ हम एनालाॅग केबल टेलीविजन का विकल्प भी स्वीकार कर सकते थे, जिसमें खराब पिक्चर और साउंड क्वाॅलिटी के साथ आपको न चाहते हुये भी ढ़ेर सारे चैनल्स का पुलिंदा परोसा जाता था, जिसे आप कभी नहीं देखते थे, लेकिन उसका भुगतान करते रहते थे।

अब डिजिटीकरण के नये फैसले के साथ आपको अगले तीन माह में डिजिटल सेट टाॅप बाॅक्स (एसटीबी) के किसी न किसी स्वरुप को अपने टेलीविजन सेट्स में कनेक्ट करना पड़ेगा, क्योंकि आपका मौजूदा एनालाॅग केबल नेटवर्क प्रतिबंंिधत हो जायेगा। अब आप के सामने दो प्रकार का विकल्प होगा-या तो आप डीटीएच आॅपरेटर के डिश एंटिना से लिंक्ड एसटीबी का इस्तेमाल करें या फिर मौजूदा केबल के तार जो आपके घरों में स्थानीय केवल आॅपरेटर द्वारा लगाये गये हैं, उसके जरिये एसटीबी को लिंक करें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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नया शो लाॅन्च किया है-‘मा की दाल‘

Posted on 15 January 2013 by admin

नव वर्ष के शुभ अवसर पर फूडफूड ने अपने दर्शकों के लिए एक नया शो लाॅन्च किया है-‘मा की दाल‘। इस शो की मेजबान हैं सबसे अधिक दिलचस्प शेफ हरपाल सिंह सोखी और इस शो केा प्रसारण प्रत्येक बृहस्पतिवार शाम 4.30 बजे फूडफूड पर किया जाएगा। फूडफूड इस देश का पौष्टिकता से भरपूर व्यंजनों को बनाने के तरीके बताने वाला चैनल है। इस शो में शेफ हरपाल दाल से बनाये जाने वाले व्यंजनों को पेश करेंगे।

maa-ki-dal_fb_page-copyमा की दाल एक भावनात्मक शो है और यह लगभग उसी तरह है, जैसे कि कोई मां अपने बच्चे के लिए खाना पकाती है। इस शो के मेजबान हरपाल सिंह सोखी मां की ही तरह प्यार से विभिन्न प्रकार के दाल पकायेंगे। ये दाल टाटा आइ शक्ति दाल से बनाये जाएंगे। प्रत्येक एपिसोड में वह प्रत्येक मां के लिए भी एक विशेष व्यंजन बनायेंगे।

इस नये शो पर टिप्पणी करतंे हुये इस चैनल के प्रमोटर श्री संजीव कपूर ने कहा, ‘‘प्रत्येक मां को अपने बच्चे के लिए खाना पकाना और उसे खिलाना अच्छा लगता है। एक संपूर्ण फूड एन्टरटेनमेंट उपलब्ध कराने के अपने वादे के अनुसार इस शो में भी लोगों के विचार दिखाये जाऐंगे तथा शेफ हरपाल विभिन्न फाम्र्स तथा बाजारों का भ्रमण भी करेंगे।

प्रसिद्ध शेफ हरपाल सिंह सोखी तरबन तड़का नामक एक शो की भी मेजबानी करते हैं, जिसका प्रसारण फूडफूड पर प्रत्येक सोमवार से बृहस्पतिवार तक शाम 4.30 बजे से लेकर 7.30 बजे तक किया जाता है। हाल ही में शुरू हुये तरबन तड़का के नये सत्र में शेफ हरपाल सिंह सोखी सरल और सहज व्यंजनों को पेश करते हैं, जिसे मौसम में उपलब्ध सामग्रियों से तैयार किया जाता है एवं प्रत्येक व्यंजन में विशेष रूप से क्षेत्रीयता का समावेश किया जाता है। इसके साथ-साथ शेफ असाधारण एवं पौष्टिक पदार्थों जैसे कि बार्ली, एलोवीरा, मीठे आलू (शकरकंद) इत्यादि के उपयोग पर भी बल देते हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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