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“जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं” कोविड-19 पर एफओबी झाँसी का जागरूकता कार्यक्रम

Posted on 11 December 2020 by admin

img-20201210-wa0006उरई/जालौन, 10 दिसंबर 2020

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो झांसी इकाई द्वारा कोविड-19 के संक्रमण से बचाव हेतु, जनपद जालौन, उ. प्र. में 10 दिवसीय सचल प्रदर्शनी का गुरुवार को शुभारंभ किया गया। जनपद जालौन सदर विधायक गौरीशंकर वर्मा जी द्वारा कोविड-19 प्रचार वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। उरई में निज निवास से प्रचार वाहन को हरी झंडी दिखाते हुए माननीय विधायक ने जनपद जालौन के निवासियों से कोविड 19 से बचाव के उपाय अपनाने का आग्रह किया।

माननीय विधायक गौरीशंकर वर्मा ने कहा कि जबतक इस वायरस की वैक्सीन नहीं आ जाती है तबतक सभी को आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान का काड़ाई से पालन करना होगा- “जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं।“ विधायक जी ने कहा कि एफओबी झांसी द्वारा आयोजित सचल प्रदर्शनी से जनपद जालौन के लोगों में जागरूकता फैलेगी। क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी विवेकानंद ने कोविड 19 की जागरूकता संबंधी मंत्रालय के कार्यक्रमों की जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ. गिरीश चतुर्वेदी, मंडल अध्यक्ष भाजपा, वीरेंद्र राजपूत, शैलेंद्र राजपूत, मोहित मिश्रा, रामू सिंह, शिवराम सिंह यादव, उमेश तिवारी, राहुल परिहार, रामू गुप्ता, काजू यादव, एमएस खान, शिवपाल गुर्जर, राजेश खन्ना, अरविंद वर्मा, अजय श्रीवास्तव, मयंक गुप्ता तथा मुबीन ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज करायी।

गुरुवार को ही क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो झांसी द्वारा स्वामी विवेकानंद इंटर कॉलेज, जालौन में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया जहां एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें कोविड-19 से संबंधित प्रश्न पूछे गए और सही जवाब देने वालों को पुरस्कृत किया गया। इस दौरान महोबा से आए सांस्कृतिक दल लखनलाल बुंदेलखंडीय लोकनृत्य समिति महोबा द्वारा कोविड-19 से संबंधित नाट्य संगीत प्रस्तुति कर जागरूक किया गया।

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अब तक करीब 1.42 लाख मीट्रिक टन हुई धान खरीद

Posted on 22 November 2018 by admin

किसानों को किया गया 21,880 करोड़ रूपये का भुगतान
लखनऊः 22 नवम्बर, 2018
मूल्य समर्थन योजना के अन्तर्गत प्रदेश में खोले गए धान क्रय केन्द्रों के माध्यम से, अब तक 1,42,465 मीट्रिक टन धान किसानों से सीधे क्रय किया गया। इस योजना से अब तक 21,880 किसान लाभान्वित हुए हैं तथा किसानांे को 249.63 करोड़ रूपये का भुगतान उनके खातों में सीधे किया गया है।
खाद्य एवं रसद विभाग से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार आज 41,522 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने खरीफ क्रय वर्ष 2018-19 के अन्तर्गत 50 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है।

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उपज बढ़ाने तथा जैविक विधि का प्रयोग

Posted on 06 August 2018 by admin

प्रक्षेत्र फसलों के उत्पादन में व्रद्धि हेतु जैविक कृषि तथा किसानों की आय को दोगुना करने हेतु एक कृषक गोष्ठी उप निदेशक (कृषि), लखनऊ एवं कृषि विज्ञान केंद्र, भाकृअनुप – भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ द्वारा संयुक्त रूप से भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में 6 अगस्त 2018 को आयोजित की गयी। संगोष्ठी का उदघाटन करते हुए श्री रणवेन्द्र प्रताप सिंह, माननीय कृषि राज्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि वे संगोष्ठी में मृदा स्वास्थ्य के सुधार, प्रक्षेत्र फसलों की उपज बढ़ाने तथा जैविक विधि का प्रयोग करके तथा लागत घटाकर किसानों की आय दोगुना करने के बारे में प्रधान मंत्री, भारत सरकार एवं मुख्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार के संदेशवाहक के रूप में किसान भाइयों को जानकारी देने के लिए आए हैं। माननीय मंत्री जी ने प्रक्षेत्र फसलों में जीवामृत को अपनाने पर ज़ोर दिया जिससे कीटनाशी तथा रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग से बचकर केंसर जैसे खतरनाक रोगों से बचा जा सके। उन्होने बताया कि जीवामृत अन्य अवयवों के साथ देसी गायों के मूत्र से बनाया जाता है । मंत्री महोदय ने अपने द्वारा जीवामृत विधि से की गयी खेती के अनुभव सहभागिता कर रहे किसानों, केवीके के वैज्ञानिकों तथा उत्तर प्रदेश सरकार के विकास अधिकारियों के बीच में बाँटे। photo_august_6__2018
डॉ. एस.के. शुक्ल, परियोजना समन्वयक, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने देश भर में गन्ना आधारित फसल प्रणाली में जैविक खाद की महत्ता को रेखांकित किया। डॉ. शुक्ल ने धान-गेहूं फसल प्रणाली में कार्बन सीक्वेसट्रैशन की उपयोगिता पर ज़ोर दिया तथा वर्तमान में उत्तर प्रदेश के किसानों द्वारा अपनाई जा रही फसल प्रणालियों में मृदा की उर्वरता को अक्षुण रखकर फसलों की सतत उत्पादकता लेने के बारे में विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम के सह-आयोजक के रूप में बोलते हुए डॉ. एस.एन. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, लखनऊ ने मृदा की उर्वरता को अक्षुण रखने हेतु फसल अवशेषों की रिसाइकलिंग द्वारा मृदा स्वास्थ्य में सुधार लाने तथा किसानों द्वारा फसलों की कटाई के पश्चात अज्ञानतावश फसल अवशेषों के जलाने से होने वाले वातावरणीय प्रदूषण से बचने की सलाह दी। डॉ. सिंह ने एकल फसल की खेती के बजाय प्रक्षेत्र फसलों में दलहनी तथा हरी खाद वाली फसलों को अंतरसस्य पद्धति में उगाने का सुझाव दिया जिससे रसायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशियों के न्यूनतम प्रयोग से मृदा स्वास्थ्य सुधारा जा सकता है। इस अवसर पर जैविक कृषकों के साथ ही साथ डॉ. सोराज सिंह, कृषि निदेशक, उत्तर प्रदेश ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किए। डॉ.सी.पी. श्रीवास्तव, उपनिदेशक (कृषि), उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुख्य अतिथि, सहभागिता कर रहे किसानों एवं उत्तर प्रदेश सरकार के अन्य अतिथियों का स्वागत करते हुए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग द्वारा प्रदेश में चलाये जा रहे विभिन्न कृषि विकास कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। इस अवसर पर किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड तथा अन्य पुरस्कारों का भी वितरण किया गया। कार्यक्रम का समापन अध्यक्ष महोदय एवं किसानों को धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। कार्यक्रम में 300 से अधिक किसानों ने सहभागिता की।

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मुख्यमंत्री ने ‘उ0प्र0 दिवस’ समारोह में कृषि, राजस्व एवं खाद्य व रसद विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित किया

Posted on 25 January 2018 by admin

press-12गांव, गरीब, किसान, नौजवान सरकार के मूल एजेण्डे में: मुख्यमंत्री

10 महीने में किसानों के खाते में 80 हजार करोड़ रु0 से अधिक
की धनराशि डिजिटल पेमेन्ट के माध्यम से सीधे ट्रांसफर की गई

‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना के लिए
बजट में धनराशि की व्यवस्था की जाएगी

मुख्यमंत्री ने द मिलियन फार्मर्स स्कूल (किसान पाठशाला) की सी0डी0 और
पुस्तिका ‘यात्रा के सोपान’ का विमोचन, कृषि विभाग की वेबसाइट तथा
किसानों के लिए ‘बाजार मूल्य की खोज’ वेबसाइट का शुभारम्भ किया

मण्डी समितियों के ट्रेडर्स/पंजीकृत कमीशन एजेण्ट
हेतु ई-लाइसेंस सुविधा का उद्घाटन

चकबंदी विभाग की वेबसाइट तथा चकबंदी वादों
की कम्प्यूटरीकृत प्रबन्धन प्रणाली का शुभारम्भ

कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों में उपलब्धियों के लिए
मुख्यमंत्री ने किसानों को सम्मानित किया

मुख्यमंत्री ने सोलर पम्प, वर्मी कम्पोस्ट, एग्री जंक्शन, कस्टम हायरिंग के लाभार्थियों को चयन पत्र,
10 खातेदारों/सहखातेदारों को अंश निर्धारित
खतौनी, तीन व्यापारियों को मण्डी परिषद द्वारा निर्गत ई-लाइसेन्स तथा
10 पी0एस0जे0जे0वाई0 एवं पी0एम0एस0बी0आई0 के तहत बीमित
लाभार्थियों को बीमा प्रमाण पत्र वितरित किया

इस वर्ष 154 लाख मीट्रिक टन धान का रिकार्ड उत्पादन: कृषि मंत्री

लखनऊ: 25 जनवरी, 2018press-10

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल में पहली बार गांव, गरीब, किसान, नौजवान सरकार के मूल एजेण्डे में आया है। किसानों से सम्बन्धित सभी विभाग किसानों का हित सर्वोपरि रखकर, आसानी से उनकी समस्याओं के समाधान तथा सरलता से शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए कार्य कर रहे हैं। प्रदेश की खुशहाली किसानों की समृद्धि से जुड़ी हुई है। इसलिए राज्य सरकार ने पारदर्शी व्यवस्था बनाकर किसानों के लिए अधिकाधिक सुविधाएं सुनिश्चित की हंै, जिससे प्रदेश तेजी से विकास के रास्ते पर आगे बढ़ा है।press-9
मुख्यमंत्री जी आज यहां अवध शिल्प ग्राम में ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ समारोह के अवसर पर कृषि, राजस्व एवं खाद्य व रसद विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने 10 महीने में किसानों के खाते में 80 हजार करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि डिजिटल पेमेन्ट के माध्यम से सीधे ट्रांसफर की है। 5300 से अधिक गेहूं क्रय केन्द्रों के माध्यम से किसानों से सीधे 37 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद कर उनके बैंक खाते में 6 हजार पांच सौ करोड़ से अधिक की धनराशि अन्तरित की गयी है।
इसी प्रकार लगभग 37 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद करके पांच हजार सात सौ करोड़ रुपए की धनराशि किसानों के खाते में भेजी गयी है। गेहूं और धान की खरीद में राज्य सरकार ने गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 10 रुपए से अधिक तथा धान के लिए 15 रुपए अधिक का भुगतान किया है। गन्ने के वर्तमान पेराई सत्र में गन्ना किसानों को 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। दलहन का बेहतर मूल्य दिलाया गया है।
योगी जी ने कहा कि आलू के किसानों को आवश्यक सुविधाएं और बेहतर मूल्य दिलाने के लिए उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है। राज्य सरकार एक वर्ष के अन्दर 20 हजार सोलर पम्प वितरित करने जा रही है। इन पम्प पर सब्सिडी भी दी जा रही है। सोलर पम्प से बिजली की खपत भी कम होगी। वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए गड्ढे के निर्माण हेतु सब्सिडी की व्यवस्था की गयी है। एक गड्ढे को बनाने में 08 हजार रुपए की लागत आती है। इसमें से 06 हजार रुपए सब्सिडी के रूप में देने की व्यवस्था की गयी है।press-7
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार ने एक पारदर्शी और भेदभाव रहित व्यवस्था बनायी है। बिजली की आपूर्ति बिना किसी भेदभाव के रोस्टर के अनुसार की जा रही है। ग्रामीण इलाकों में 18 घण्टे बिजली आपूर्ति की व्यवस्था है। अच्छी और सुविधायुक्त मण्डियां किसानों और व्यापारियों के लिए उपयोगी है। इसके दृष्टिगत वर्तमान राज्य सरकार ने मण्डियों की व्यवस्था को बेहतर बनाया है। मण्डियों में पंजीकरण की धनराशि 01 लाख रुपए से कम करके 10 हजार रुपए की गयी है। मण्डी को आॅन लाइन किए जाने के साथ ही, रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था को भी आॅन लाइन किया गया है। मण्डियों में साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है। press-52
योगी जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गांव, गरीब, किसान, नौजवान को ध्यान में रखकर ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना का कल शुभारम्भ किया गया है। इससे किसानों की उत्पादन की खपत बढ़ेगी, तो उद्यमियों का व्यापार बढ़ेगा। साथ ही, प्रदेश के नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। इस योजना के लिए बजट में धनराशि की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने भरोसा व्यक्त किया कि योजना के समुचित और सफल क्रियान्वयन से प्रदेश में खुशहाली और समृद्धि आएगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज राष्ट्रीय मतदाता दिवस है। निर्वाचन देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था का आधार है। देश में निर्वाचन की प्रक्रिया संविधान के अनुरूप, जाति, धर्म, लिंग जैसे भेदों से परे है। राज्य सरकार संविधान और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की भावनाओं के अनुरूप ‘सबका साथ सबका विकास’ मूल मंत्र के साथ जनकल्याणकारी नीतियों और कार्यक्रमों को आगे बढ़ा रही है।press-142
योगी जी ने कहा टेक्नोलाॅजी से काम करना आसान होता है। साथ ही, व्यवस्था भी पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त होती है। इससे लोगों को लाभ होता है और शोषण भी समाप्त होता है। इसे ध्यान में रखकर राजस्व विभाग के सहखातेदारों का खतौनी में अंश निर्धारण की व्यवस्था लागू की गयी है। इस व्यवस्था के लागू हो जाने से खातेदार को अपने अंश का पता तो चल ही जाएगा। शोषण और धोखाधड़ी पर भी रोक लगेगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के सम्बन्ध में किसानों को बेहतर व्यावहारिक जानकारी है। किसान का व्यावहारिक ज्ञान और कृषि वैज्ञानिकों का तकनीकी ज्ञान मिलकर प्रदेश में कृषि विकास को वृहत्तर आयाम दे सकता है। इसलिए किसानों को तकनीक से जोड़ना आवश्यक है। प्रदेश में 04 कृषि विश्वविद्यालय हैं। साथ ही, 69 कृषि विज्ञान केन्द्र भी कार्यरत हैं। राज्य सरकार 20 और कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना करने जा रही है।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने द मिलियन फार्मर्स स्कूल (किसान पाठशाला) के सम्बन्ध में सी0डी0 और पुस्तिका ‘यात्रा के सोपान’ का विमोचन, कृषि विभाग की वेबसाइट तथा किसानों के लिए ‘बाजार मूल्य की खोज’ वेबसाइट का शुभारम्भ तथा मण्डी समितियों के ट्रेडर्स/पंजीकृत कमीशन एजेण्ट हेतु ई-लाइसेंस सुविधा का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने चकबंदी विभाग की वेबसाइट तथा चकबंदी वादों की कम्प्यूटरीकृत प्रबन्धन प्रणाली का शुभारम्भ भी किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों में उपलब्धियों के लिए किसानगण श्री भारत भूषण त्यागी, श्री जय प्रकाश सिंह, श्री रघुपत सिंह, श्री संजय कुमार श्रीवास्तव, श्री परवेज खान, श्री रामवीर सिंह चैहान, श्रीमती विजया यादव, श्री रेशम सिंह, श्री अमरीक सिंह, श्री दिनेश कुमार माहेश्वरी तथा श्री जगदीश प्रसाद को सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने सोलर पम्प, वर्मी कम्पोस्ट, एग्री जंक्शन, कस्टम हायरिंग के लाभार्थियों को चयन पत्र का, 10 खातेदारों/सहखातेदारों को अंश निर्धारित खतौनी का वितरण, तीन व्यापारियों को मण्डी परिषद द्वारा निर्गत ई-लाइसेन्स तथा 10 पी0एस0जे0जे0वाई0 एवं पी0एम0एस0बी0आई0 के तहत बीमित लाभार्थियों को बीमा प्रमाण पत्र का वितरण भी किया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने नेतृत्व में प्रदेश के कृषि विभाग ने अनेक रिकार्ड बनाए हैं। इस वर्ष 154 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन एक रिकार्ड है, जो समय पर कृषि निवेशों की उपलब्धता सुनिश्चित करने से सम्भव हुआ है। वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल में उत्पादकता भी बढ़ी है। साथ ही, दुग्ध उत्पादन बढ़ाने और छुट्टा पशुओं की समस्या के निदान के लिए भी उल्लेखनीय कार्य हुआ है। मिलियन फार्मर्स स्कूल के माध्यम से किसानों को मृदा परीक्षण और अन्य उपयोगी जानकारियां दी गयी हैं।
इस अवसर पर राजस्व परिषद के अध्यक्ष श्री प्रवीर कुमार ने राजस्व विभाग के सहखातेदारों के अंश निर्धारण के सम्बन्ध में की गयी कार्यवाही तथा कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आर0पी0 सिंह ने कृषि और कृषि विपणन के क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और उपलब्धियों के सम्बन्ध में जानकारी दी।
कार्यक्रम स्थल पर कृषि मंत्री ने मुख्यमंत्री जी का पगड़ी पहनाकर स्वागत किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने कृषि प्रदर्शनी का उद्घाटन और अवलोकन किया।
कार्यक्रम के दौरान प्रदेश सरकार के मंत्रिगण श्री एस0पी0 सिंह बघेल, श्रीमती अनुपमा जायसवाल, श्री सुरेश राणा, श्रीमती स्वाती सिंह, श्री अतुल गर्ग, श्री रणवेन्द्र प्रताप सिंह ‘धुन्नी सिंह’, जनप्रतिनिधिगण, प्रमुख सचिव पर्यटन श्री अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव कृषि श्री अमित मोहन प्रसाद सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी तथा अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

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प्रदेश सरकार किसानों के समग्र विकास के लिए कृतसंकल्प

Posted on 22 February 2013 by admin

  • वर्ष 2013-14 के बजट में किसानों से सीधे गेहूं और धान की खरीद किए जाने के लिए 9010 करोड़ रु0 की व्यवस्था
  • लगभग 8 लाख किसान ऋण मुक्त होंगे
  • बजट में ग्रामीण सम्पर्क मार्ग तथा पुलों के निर्माण पर  1877 रु0 व्यय करने की व्यवस्था
  • कृषि सिंचाई तथा बाढ़ नियंत्रण से संबंधित कार्याें के लिए 7061 करोड़ रु0 का प्राविधान

उत्तर प्रदेश सरकार किसानों के समग्र विकास के लिए कृतसंकल्प है। इसके दृष्टिगत राज्य सरकार ने वर्ष 2013-14 के बजट में विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों के माध्यम से अनेक प्राविधान किए हैं।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के किसानों को ऋण के जाल से मुक्त कराने हेतु ऋण माफी योजना के अन्तर्गत वर्ष 2012-13 में 900 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी। वर्ष 2013-14 में इस योजना के लिए 750 करोड़ रुपये व्यय किए जाने की व्यवस्था की गई है। इस प्रकार से कुल 1650 करोड़ रुपये ऋण माफी के लिए उपलब्ध होंगे, जिससे प्रदेश के 08 लाख किसानांे को ऋण मुक्त कराया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि किसानों को उनकी उपज की विपणन सुविधाओं हेतु ग्रामीण सम्पर्क मार्ग तथा सेतुओं के निर्माण के लिए 1877 करोड़ रुपये व्यय करने की व्यवस्था बजट में की गई है। इसके अतिरिक्त कृषि सिंचाई तथा बाढ़ नियंत्रण से संबंधित निर्माण एवं अनुरक्षण कार्यों हेतु 7061 करोड़ रुपये व किसानों से सीधे गेहूं और धान की उपज की खरीद किये जाने हेतु 9010 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था की गई है।
प्रवक्ता ने बताया कि गन्ना किसानों के गन्ना मूल्य के भुगतान के लिए 400 करोड़ रुपये, किसान दुर्घटना बीमा हेतु 375 करोड़ रुपये, आधारिक बीज भण्डारण योजना के अन्तर्गत खाद्यान्न, दलहन, तिलहन, कपास आदि बीजों के भण्डारण हेतु 390 करोड़ रुपये तथा प्रमाणित बीजों, संकर बीजों, संकर मक्का बीजों तथा मूंगफली के संकर बीजों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए 121 करोड़ रुपये की बजट में व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त किसानों को मुफ्त सिंचाई सुविधा हेतु 200 करोड़ रुपये, कृषकों के निजी नलकूपों को विद्युत आपूर्ति हेतु 240 करोड़ रुपये की सब्सिडी, किसानों के निजी नलकूपों के ऊर्जीकरण हेतु 170 करोड़ रुपये, व लघु एवं सीमान्त कृषकों को बोरिंग तथा पम्प सेट के लिए अनुदान देने हेतु      70.80 करोड़ रुपये की धनराशि 2013-14 के बजट में प्राविधानित की गई है।
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार प्रदेश के वर्ष 2013-14 के बजट में सोडिक लैण्ड रीक्लेमेशन हेतु 176.70 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना हेतु 771 करोड़ रुपये, फसल बीमा के प्रीमियम के भुगतान हेतु 60 करोड़ रुपये, प्रारम्भिक सहकारी कृषि ऋण समितियोें के माध्यम से किसानों को कम ब्याज दर पर फसली ऋण उपलब्ध कराने के लिए अनुदान हेतु 53.74 करोड़ रुपये, बीज ग्राम योजना हेतु अनुदान के लिए 12.12 करोड़ रुपये, किसानों को जिंक सल्फेट खाद पर सब्सिडी के लिए 13 करोड़ रुपये, रासायनिक उर्वरकों के अग्रिम भण्डारण योजना के अन्तर्गत सब्सिडी हेतु 100 करोड़ रुपये, डाॅ. राम मनोहर लोहिया सामूहिक नलकूप योजना हेतु 5 करोड़ रुपये तथा भूमि सेना योजना हेतु 79 करोड़ रुपये व्यय करने का प्राविधान किया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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किसानों की समस्याओं के समाधान हेतु टोल फ्री नम्बर सहित कन्ट्रोल रूम स्थापित किया जाय

Posted on 16 February 2013 by admin

चालू वित्तीय वर्ष में स्वीकृत धनराशि का शीघ्र   उपयोग करने के निर्देश  - पारस नाथ यादव
प्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्री पारस नाथ यादव ने किसानों को आलू की फसल का उचित एवं लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए  विभागीय अधिकारियों को सतर्कता से कार्य करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को आलू भण्डारण एवं आलू के विपणन के लिए विभिन्न मण्डियों के दैनिक बाजार भाव की जानकारी उपलब्ध करायी जाय तथा किसानों की समस्याओं के समाधान हेतु कन्ट्रोल रूम स्थापित किया जाय, जिसमें टोल फ्री नम्बर की सुविधा भी उपलब्ध हो। उन्होंने चालू वित्तीय वर्ष की समस्त स्वीकृत धनराशि का शीघ्र उपयोग करने के निर्देश दिये हैं।
उद्यान मंत्री ने कहा कि विभाग द्वारा संचालित योजनायें प्रदेश के किसानों की आर्थिक उन्नति में सहायक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के अन्तर्गत 2245 हेक्टेर फलों के बाग रोपण लक्ष्य के सापेक्ष 2093 हे0 में नये बागों का रोपण, 1190 हे0 में फूलों की खेती के लक्ष्य के सापेक्ष 747 हे0, 1700 हे0 में मसाला की खेती के सापेक्ष 1480 हे0 में कार्य कराया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य स्तरीय कार्य परिषद द्वारा बागवानी में मशीनीकरण के 981 प्रस्ताव, पौधशाला स्थापना के 17 प्रोजेक्ट, ग्रीन हाउस व शेडनेट हाउस के 109 हजार वर्ग मीटर के प्रोजेक्ट, प्लाण्ट हेल्थ क्लीनिक के तीन प्रोजेक्ट, बीज विधायन केन्द्र की स्थापना के तीन प्रोजेक्ट, मशरूम इकाई के पांच प्रोजेक्ट, फ्रण्ट लाइन डिमाॅस्ट्रेशन के आठ प्रोजेक्ट, कोल्ड स्टोरेज  निर्माण के आठ प्रोजेक्ट, राइपेनिंग चैम्बर की स्थापना के तीन प्रोजेक्ट स्वीकृत किये गये हैं।
श्री यादव ने राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के अन्तर्गत 54.61 करोड़ रुपये के प्रस्ताव भारत सरकार को स्वीकृति के लिए भेजे जाने के निर्देश दिये  हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत फल, पुष्प मसाला के क्षेत्र विस्तार के लिये 6506 हे0 क्षेत्रफल के लक्ष्य के सापेक्ष 4676 हे0 में तथा बीज उत्पादन के अन्तर्गत 190 हे0 के सापेक्ष 105.6 हे0 पूर्ति की गयी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत मिर्च, कद्दूवर्गीय फसलें, पातगोभी, टमाटर, प्याज की ख्ेाती के 3968 हे0 लक्ष्य के सापेक्ष 3101 हे0 में पूर्ति की गयी है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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कीट एवं रोगों का उचित समय में प्रबन्धन नितान्त आवश्यक है

Posted on 09 February 2013 by admin

आम के गुणवत्तायुक्त उत्पादन के लिए सम-सामयिक महत्व के कीट एवं रोगों का उचित समय में प्रबन्धन नितान्त आवश्यक है, क्योंकि बौर निकलने से लेकर फल लगने तक की अवस्था अत्यन्त ही संवेदनशील होती है। वर्तमान में आम की फसल को मुख्य रूप से भुनगा एवं मिज कीट तथा खर्रा रोग से क्षति पहंुचने की ज्यादा सम्भावना बनी रहती है।
यह जानकारी निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण श्री ओम नारायण सिंह ने दी है। उन्होंने बताया कि आम की फसल में लगने वाले भुनगा कीट बौर, कोमल पत्तियों एवं छोटे फलों के रस चूसकर हानि पहंुचाते हैं जिससे प्रभावित भाग सूखकर गिर जाता है। यह कीट मधु की तरह का पदार्थ भी विसर्जित करता है, जिससे पत्तियों पर काले रंग की फफूॅद जम जाती है, इसके फलस्वरूप पत्तियों द्वारा हो रही प्रकाश संश्लेशण की क्रिया भी मंद पड़ जाती है। उन्होंने कहा कि मिज कीट मंजरियों एवं तुरन्त बने फलों तथा मुलायम कोपलों में अण्डे देती हैं, जिसकी सूॅडी अन्दर ही अन्दर खाकर क्षति पहुंचाती हैं, प्रभावित भाग काला पड़ कर सूख जाता है। भूनगा एवं मिज कीट के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 0.3 मिली0 प्रतिलीटर पानी में या क्लोरपाइरीफास 2.0 मिली0  प्रतिलीटर पानी या डायमेथोएट 2.0 मिली0 प्रतिलीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
श्री सिंह ने बताया कि खर्रा रोग के प्रकोप से ग्रसित फल एवं डंठलों पर सफेद चूर्ण के समान फफूॅद की वृद्धि दिखाई देती है। प्रभावित भाग पीले पड़ जाते हैं तथा मंजरियां सूखने लगती हैं। उन्होंने कहा कि खर्रा रोग से बचाव हेतु ट्राइडोमार्फ 1.0 मिली0 दवा प्रतिलीटर पानी में या डायनोकेप 1.0 मिली  प्रतिलीटर पानी के घोल को भुनगा कीट के नियत्रंण हेतु प्रयोग किये जा रहे घोल के साथ मिलाकर छिड़काव किया जाना चाहिए।
संयुक्त निदेशक (उद्यान) श्री राणा प्रताप सिंह ने भी बागवानों को सलाह दी है कि बागों में जब बौर पूर्ण रूप से खिल रही हो तो उस अवस्था में कम से कम रसायनिक दवाओं का छिड़काव किया जाये जिससे पर-परागण क्रिया प्रभावित न हो सकें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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किसान राई/सरसों की फसल को झुलसा रोग, माहूॅ, आरा मक्खी एवं बालदार सूड़ी आदि कीटों से बचायें

Posted on 09 February 2013 by admin

राई/सरसों की फसल में झुलसा रोग होने पर पत्तियों तथा फलियों पर गहरे कत्थई रंग के धब्बे बन जाते हैं। गोल-गोल छल्ले पत्तियों पर स्पष्ट दिखायी देते हैं। इस रोग के होने पर मैंकोजेब 75 प्रतिशत 2 किग्रा0 प्रति हे0 अथवा कापर आक्सीक्लोराइड रसायन 50 प्रतिशत 3 किग्रा0 प्रति हे0 का प्रयोग करें।
आरा मक्खी चमकदार काली तथा घरेलू मक्खी के आकार से छोटी, 4-5 मि0मी0 लम्बी होती है। मादा मक्खी का अण्डरोपक आरी के आकार का होने के कारण इसे आरा मक्खी कहा जाता है। इस कीट की सूडि़यां काले स्लेटी रंग की होती हैं। ये पत्तियों को किनारों से अथवा विभिन्न आकार के छेद बनाती हुयी बहुत तेजी से खाती हैं। भयंकर प्रकोप होने पर पूरा पेड़ पत्ता विहीन हो जाता है।
बालदार सूॅड़ी पीले, नारंगी अथवा काले सिर वाली होती हैं। इसका पूरा शरीर घने काले बालों से ढका रहता है। इसकी सूडि़याॅ फसल को नुकसान पहुॅचाती हैं। यह प्रारम्भ में झुण्ड में, बाद में एकल रूप में रहकर पेड़-पौधों की कोमल पत्तियों को खाकर नुकसान पहुॅचाती हैं। आरा मक्खी एवं बालदार सूड़ी के उपचार के लिये मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल 20-25 किग्रा0 या मैलाथियान 50 ई0सी0 1.5 लीटर या डी0डी0वी0पी0 76 एस0 एल0 0.5 लीटर 700-800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
माहूॅ कीट पंखविहीन अथवा पंखयुक्त हल्के स्लेटी या हरे रंग के 1.5 से 3 मि0मी0 लम्बे चुभाने, चूसने मुखांग वाले छोटे कीट होते हैं। ये पौधों के तनों, पत्तियों, फूलों एवं फलियों से रस चूसकर मधुóाव भी करते हैं, जिससे काले कवक का प्रकोप हो जाता है। इससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बाधित होती है। इस कीट का प्रकोप दिसम्बर से लेकर मार्च तक होता है। इस कीट के रोकथाम के लिये डाइमेथोएट 30 ई0सी0 1 लीटर या मिथाइल ओ-डेमेटान 25 ई0सी0 1 लीटर प्रति हे0 की दर से 700 से 800 लीटर पानी में घोलकर सांयकाल छिड़काव करना चाहिये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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विशेषज्ञों की सलाह घर बैठे मुफ्त प्राप्त कर सकते हैं

Posted on 07 February 2013 by admin

उत्तर प्रदेश के किसान कृषि, बागबानी, पशुपालन, मत्स्य पालन तथा अन्य संबंधित समस्याओं पर विशेषज्ञों की सलाह घर बैठे मुफ्त प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर में मध्यान्ह 1 से 3 बजे, दूरभाष संख्या 0512-2555444 अथवा 0512-2555666 पर शनिवार एवं रविवार को छोड़कर संपर्क करें। इसी तरह इलाहाबाद विश्वविद्यालय, नैनी (इलाहाबाद) से सलाह पाने के लिए 10 बजे से 3 बजे के मध्य दूरभाष संख्या 18001805309 अथवा 0532-2684291 पर शनिवार एवं रविवार को छोड़कर फोन कर सुझाव पाया जा सकता हैं।
मण्डी परिषद के निदेशक प्रो0 राजेन्द्र कुमार से प्राप्त जानकारी के अनुसार किसान हेल्प लाइन के माध्यम से किसान, अपने खेत की मिट्टी की जाॅच, क्षेत्र के अनुसार कौन सी फसल बोये, कौन-कौन से उर्वरक एवं कितनी मात्रा में डालें, इन सबसे संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही बीज बोने, सिंचाई करने, वैज्ञानिक तरीके जानने के साथ-साथ नये कृषि यंत्रों, बागबानी, उन्नत किस्म के पौधों, फसल उत्पादन आदि से संबंधित सभी तरह की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।
मण्डी परिषद के निदेशक ने बताया कि किसान हेल्प लाइन से पशु पालन, उनकी नयी प्रजातियों, बीमारियों, दवाओं आदि की सम्पूर्ण जानकारी कृषि विशेषज्ञों से निर्धारित समय में मुफ्त में पायी जा सकती है। किसान इस सेवा का पूरा लाभ उठायें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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जैव उर्वरक व जैव नियंत्रक का प्रयोग अत्यन्त लाभदायक होगा

Posted on 07 February 2013 by admin

प्रदेश के औद्यानिक फसलों के गुणवत्तायुक्त उत्पादन के लिए पौधों को कैटरपिलर (सूड़ी/लर्वा) से बचाना अति आवश्यक है। पौधांे में कीटों व रोगों की रोकथाम के लिए समय से जैव उर्वरक व जैव नियंत्रक का प्रयोग अत्यन्त लाभदायक होगा।
यह जानकारी निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण  श्री ओम नारायण सिंह ने दी है। उन्होंने बताया कि औद्यानिक फसलों को सम-सामयिक कीटों व रोगों से बचाकर किसान अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि एन0पी0वी0 (न्यूक्लीयर पाली हिड्रोसिस वायरस) कैटरपिलर (सूड़ी) के रोकथाम के लिए अत्यन्त प्रभावी जैवनाशी है। जब लर्वा छोटेे हांे तभी इसके घोल को सायंकाल संक्रमित पौधों पर छिड़काव करना चाहिए।
श्री सिंह ने बताया कि एजाडिरेक्टिन (नीम का तेल) हानिरहित वानस्पतिक कीटनाशक है। इसका प्रयोग किसान औद्यानिक फसलों में कीटों के नियंत्रण हेतु कर सकते हैं। एक लीटर नीम के तेल को 200 से 300 लीटर पानी में घोलकर पौधों में छिड़काव करना चाहिए। उन्होंने बताया कि जैव उर्वरक (बायो फर्टिलाइजर) मिट्टी की उर्वरकता को प्राकृतिक रूप से बढ़ाता है। किसान जैव उर्वरक का प्रयोग करके यूरिया की बचत कर सकते हैं तथा इससे बीज शोधन, मृदा उपचार एवं बेहन उपचार भी किया जा सकता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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