Categorized | कृषि, लखनऊ.

उपज बढ़ाने तथा जैविक विधि का प्रयोग

Posted on 06 August 2018 by admin

प्रक्षेत्र फसलों के उत्पादन में व्रद्धि हेतु जैविक कृषि तथा किसानों की आय को दोगुना करने हेतु एक कृषक गोष्ठी उप निदेशक (कृषि), लखनऊ एवं कृषि विज्ञान केंद्र, भाकृअनुप – भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ द्वारा संयुक्त रूप से भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में 6 अगस्त 2018 को आयोजित की गयी। संगोष्ठी का उदघाटन करते हुए श्री रणवेन्द्र प्रताप सिंह, माननीय कृषि राज्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि वे संगोष्ठी में मृदा स्वास्थ्य के सुधार, प्रक्षेत्र फसलों की उपज बढ़ाने तथा जैविक विधि का प्रयोग करके तथा लागत घटाकर किसानों की आय दोगुना करने के बारे में प्रधान मंत्री, भारत सरकार एवं मुख्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार के संदेशवाहक के रूप में किसान भाइयों को जानकारी देने के लिए आए हैं। माननीय मंत्री जी ने प्रक्षेत्र फसलों में जीवामृत को अपनाने पर ज़ोर दिया जिससे कीटनाशी तथा रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग से बचकर केंसर जैसे खतरनाक रोगों से बचा जा सके। उन्होने बताया कि जीवामृत अन्य अवयवों के साथ देसी गायों के मूत्र से बनाया जाता है । मंत्री महोदय ने अपने द्वारा जीवामृत विधि से की गयी खेती के अनुभव सहभागिता कर रहे किसानों, केवीके के वैज्ञानिकों तथा उत्तर प्रदेश सरकार के विकास अधिकारियों के बीच में बाँटे। photo_august_6__2018
डॉ. एस.के. शुक्ल, परियोजना समन्वयक, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने देश भर में गन्ना आधारित फसल प्रणाली में जैविक खाद की महत्ता को रेखांकित किया। डॉ. शुक्ल ने धान-गेहूं फसल प्रणाली में कार्बन सीक्वेसट्रैशन की उपयोगिता पर ज़ोर दिया तथा वर्तमान में उत्तर प्रदेश के किसानों द्वारा अपनाई जा रही फसल प्रणालियों में मृदा की उर्वरता को अक्षुण रखकर फसलों की सतत उत्पादकता लेने के बारे में विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम के सह-आयोजक के रूप में बोलते हुए डॉ. एस.एन. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, लखनऊ ने मृदा की उर्वरता को अक्षुण रखने हेतु फसल अवशेषों की रिसाइकलिंग द्वारा मृदा स्वास्थ्य में सुधार लाने तथा किसानों द्वारा फसलों की कटाई के पश्चात अज्ञानतावश फसल अवशेषों के जलाने से होने वाले वातावरणीय प्रदूषण से बचने की सलाह दी। डॉ. सिंह ने एकल फसल की खेती के बजाय प्रक्षेत्र फसलों में दलहनी तथा हरी खाद वाली फसलों को अंतरसस्य पद्धति में उगाने का सुझाव दिया जिससे रसायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशियों के न्यूनतम प्रयोग से मृदा स्वास्थ्य सुधारा जा सकता है। इस अवसर पर जैविक कृषकों के साथ ही साथ डॉ. सोराज सिंह, कृषि निदेशक, उत्तर प्रदेश ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किए। डॉ.सी.पी. श्रीवास्तव, उपनिदेशक (कृषि), उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुख्य अतिथि, सहभागिता कर रहे किसानों एवं उत्तर प्रदेश सरकार के अन्य अतिथियों का स्वागत करते हुए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग द्वारा प्रदेश में चलाये जा रहे विभिन्न कृषि विकास कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। इस अवसर पर किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड तथा अन्य पुरस्कारों का भी वितरण किया गया। कार्यक्रम का समापन अध्यक्ष महोदय एवं किसानों को धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। कार्यक्रम में 300 से अधिक किसानों ने सहभागिता की।

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

May 2024
M T W T F S S
« Sep    
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
-->









 Type in