Archive | कला-संस्कृति

सुरेन्द्र अग्निहोत्रीे सम्पादक शिरोमणि की मानद उपाधि से विभूषित

Posted on 03 March 2019 by admin

dsc_3795लखनऊ,। साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा ,उदयपुर राजस्थान के दो दिवसीय
पाटोत्सव ब्रजभाषा समारोह का शुभारम्भ माँ वीणापाणि, गणपतिजी, प्रभु श्री
श्रीनाथजी तथा श्रद्धेय बाबूजी भगवतीप्रसाद जी देवपुरा के चित्र पर
माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र
की अध्यक्षता रामलक्ष्मण गुप्त ने की। डॉ. मनोज मोहन शास्त्री मुख्य
अतिथि रहे। विशिष्ट अतिथि पण्डित मदनमोहनजी शर्मा ‘अविचल’, कैप्टन व्यास
चतुर्वेदी , राजमल परिहार व जगदीशचंद्रजी शर्मा रहे।सम्मान के क्रम
में दैनिक सत्ता सुधार के लखनऊ व्यूरो प्रमुख तथा साहित्यक पत्रिका नूतन
कहानियां के संपादक सुरेन्द्र अग्निहोत्री, लखनऊ, , श्री प्रेमशंकर
अवस्थी, फतेहपुर को सम्पादक शिरोमणि की मानद उपाधि से विभूषित किया गया।
संस्था द्वारा सभी सम्मानित महनुभावों को शॉल, उत्तरीय, कण्ठहार, मेवाड़ी
पगड़ी, श्रीफल, श्रीनाथजी का प्रसाद, श्रीनाथजी की छवि व उपाधि पत्र
प्रदान किए गए। सभी मंचासीन अतिथियों ने कार्यक्रम एवं साहित्य मण्डल की
गतिविधियों के सन्दर्भ में अपने उद्गार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन
श्यामप्रकाश देवपुरा ने किया। सम्मानित साहित्यकारों का गद्यात्मक एवं
पद्यात्मक परिचय विट्ठलजी पारीक ने किया।

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उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान सम्मान समारोह

Posted on 24 October 2018 by admin

साहित्य अपने स्वभाव से र्स्व समावेशी-सर्वग्राही है-श्री हृदय नारायण दीक्षित, माननीय विधान सभा, अध्यक्ष, उ0प्र0
लखनऊ, 24 अक्टूबर, 2018। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के तत्त्वावधान में सम्मान समारोह का आयोजन उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ यशपाल सभागार में किया गया। श्री हृदय नारायण दीक्षित, माननीय अध्यक्ष, विधानसभा, उत्तर प्रदेश ने मुख्य अतिथि के रूप में सम्मान समारोह के गौरव को बढ़ाया। समारोह की अध्यक्षता डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान द्वारा गयी।
मुख्य अतिथि श्री हृदय नारायण दीक्षित जी, सभाध्यक्ष डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त जी एवं श्री शिशिर, निदेशक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान सहित अन्य मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पुष्पार्पण के उपरान्त प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में वाणी वन्दना की प्रस्तुति श्रीमती पूनम श्रीवास्तव द्वारा की गयी।
श्री हृदय नारायण दीक्षित, माननीय अध्यक्ष, विधानसभा, उत्तर प्रदेश का उत्तरीय द्वारा स्वागत डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान एवं श्री शिशिर, निदेशक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने किया। इस अवसर पर संस्थान की त्रैमासिक पत्रिका ‘साहित्य भारती‘ के विस्थापन की त्रासदी : सन्दर्भ कश्मीर विशेषांक एवं डॉ0 ए.के. त्रिपाठी की पुस्तक ‘प्लेट्लेट्स की कमी‘(भ्रांतियाँ एवं समाधान) का लोकार्पण भी मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया।
अभ्यागतों का स्वागत करते हुए डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने कहा आज का दिन लीला पुरुषोत्तम भगवान् श्री कृष्ण के महारास की स्मृति दिलाता है। यह मान्यता है कि आज के दिन ही चन्द्रमा धरती पर अमृत की वर्षा करते हैं। यह भी एक अत्यंत सुखद संयोग है कि हम साहित्यकारों का सम्मान आदि कवि बाल्मीकि के प्राकट्य दिवस के अवसर पर कर रहे हैं। यह साहित्य की महत् उज्ज्वल और समृद्ध परम्परा का भी स्मरण है। उत्तर प्रदेश हिन्दी भाषा-साहित्य की उर्वर भूमि रही है। इसे आदिकालीन कवि गुरु गोरखनाथ, मध्यकाल के कवि चतुष्टय कबीर जायसी, सूर, तुलसी की जन्मभूमि और कर्मभूमि होने का सौभाग्य प्राप्त है, रीतिकाल के कवि देव, बिहारी, भूषण, घनानन्द नरोत्तमदास तथा आधुनिक काल के भारतेन्दु, द्विवेदी तथा छायावाद युग के सभी प्रमुख कवियों की भूमि के रूप में यह ख्यात है। उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के लिए यह अत्यंत आह्लाद का विषय है कि कार्यक्रमों के सुचारू संचालन के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर वर्तमान वित्तीय वर्ष के बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की गयी है। आज साहित्य भूषण सम्मान की संख्या दस से बीस हो गयी है।
विदेश मंत्रालय के अनुरोध पर संस्थान ने अपनी प्रदर्शित पुस्तकें विश्व हिन्दी सचिवालय को भेंट स्वरूप प्रदान कर दीं। सम्मेलन में मॉरीशस के बाल साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के प्रकाशन की समस्या की ओर संकेत किया। संस्थान ने हिन्दी भाषा में भारतीय संस्कृति एवं परम्परा का पोषण करने वाली रचनाओं के प्रकाशन में यथा संभव सहायता का आश्वासन दिया है। संस्थान ने विश्व हिन्दी सम्मेलन के अवसर पर ‘साहित्य भारती’ का एक विशेषांक भी प्रकाशित किया। हिन्दी संस्थान ने मार्च 2019 तक के कार्यक्रमों की एक पूरी योजना बना ली है। यह वर्ष गाँधी जी के 150वीं जयंती का वर्ष भी है। संस्थान महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर कार्यक्रम आयोजित करेगा विभिन्न विद्यालयों महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में इस क्रम में समन्वय स्थापित किया जायेगा। संस्थान ने युवा साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने के लिए कविता तथा कहानी प्रतियोगिता का आयोजन पहली बार किया। इसे और भी विस्तार देने की योजना है।

मुख्य अतिथि मा0 श्री हृदय नारायण दीक्षित जी तथा मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, हिन्दी संस्थान ने - भारत-भारती सम्मान से डॉ. रमेश चन्द्र शाह, हिन्दी गौरव सम्मान से डॉ. रामदेव शुक्ल से महात्मा गांधी साहित्य सम्मान से डॉ. रामगोपाल शर्मा ‘दिनेश’ पं0 दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान से डॉ. धर्मपाल मैनी, अवन्तीबाई साहित्य सम्मान से प्रो. शत्रुघ्न प्रसाद, राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन सम्मान से डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी अध्यक्ष, श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय, साहित्य भूषण सम्मान से श्री हरिमोहन मालवीय, श्री सत्यधर शुक्ल, डॉ0 मथुरेश नन्दन कुलश्रेष्ठ, डॉ0 देवसहाय पाण्डेय ‘दीप‘, डॉ0 अमरनाथ सिन्हा, डॉ0 नंदलाल मेहता ‘वागीश‘, डॉ0 रामबोध पाण्डेय, श्री रामनरेश सिंह, ‘मंजुल‘, डॉ0 रमेश चन्द्र शर्मा, श्री रामसहाय मिश्र ‘कोमलशास्त्री‘, डॉ0 चमनलाल गुप्त, डॉ0 (श्रीमती) मिथिलेश दीक्षित, डॉ0 पशुपति नाथ उपाध्याय, डॉ0 ओमप्रकाश सिंह, डॉ0 अनुज प्रताप सिंह, श्री चन्द्र किशोर सिंह एवं श्री दयानंद पांडेय, लोक भूषण सम्मान से श्री रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव ‘जुगानी भाई‘, कला भूषण सम्मान से डॉ. क्षेत्रपाल गंगवार, विद्या भूषण सम्मान से डॉ0 (श्रीमती) कैलाश देवी सिंह, विज्ञान भूषण सम्मान से डॉ0 गणेश शंकर पालीवाल, पत्रकारिता भूषण सम्मान से श्री रमेश नैयर, प्रवासी भारतीय हिन्दी भूषण सम्मान से डॉ0 मृदुल कीर्ति, हिन्दी विदेश प्रसार सम्मान से डॉ0 (श्रीमती) अनिल प्रभा कुमार, मधुलिमये साहित्य सम्मान से डॉ0 सुधाकर सिंह, पं. श्रीनारायण चतुर्वेदी साहित्य सम्मान से डॉ. गोविन्द व्यास, विधि भूषण सम्मान से डॉ. विष्णु गिरि गोस्वामी, सौहार्द सम्मान से डॉ0 अशोक प्रभाकर कामत, डॉ0 टी.वी. कट्टीमनी, डॉ0 बनारसी त्रिपाठी, डॉ0 (श्रीमती) पी. माणिक्यांबा ‘मणि‘, श्री विनोद बब्बर, डॉ0 (सुश्री) देवकी एन.जी., डॉ0 ए.बी. साई प्रसाद, डॉ0 विनोद कुमार गुप्त ‘निर्मल विनोद‘, श्री मेयार सनेही ‘शब्बीर हुसैन‘ पं0 मदन मोहन मालवीय विश्वविद्यालयस्तरीय सम्मान से डॉ0 वागीश दिनकर एवं डॉ0 अशोक कुमार दुबे, पं0 कृष्ण बिहारी वाजपेयी पुरस्कार से इण्टरमीडियट में साहित्यिक हिन्दी विषय में सर्वाधिक अंक के लिए सुश्री फूलन गौतम एवं श्री अमित कुमार, हाईस्कूल की परीक्षा में हिन्दी विषय में सर्वाधिक अंक के लिए के लिए सुश्री शहनाज खातून एवं श्री गनेश्वर सिंह को सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया। साथ ही डॉ0 सुन्दरलाल कथूरिया जी के प्रतिनिधि श्री वरुणेन्द्र कथूरिया जी, श्री चंद्रकिशोर पाण्डेय ‘निशांतकेतु‘ के प्रतिनिधि सुश्री भाषांजलि एवं श्री श्रीवत्स करशर्मा के प्रतिनिधि श्री शशि शेखर करशर्मा ने पुरस्कार ग्रहण किया।
भारत भारती सम्मान-2017 से सम्मानित श्री रमेश चन्द्र शाह ने कहा -भारत भारती वह पहली कविता थी मेरे लड़कपन के दिनों की जिसने मुझे न केवल कवित्व नाम की न्यामत या विभूति का सबसे पहला रोमांच महसूस करवाया, बल्कि जो कानों-कान इतने सहज अनायस ढंग से मेरी जिह्नवा और कंठ में आ बसी और दस बीस आवृत्तियों में मुझे कंठस्थ हो गई। आज भारत भारती सम्मान मिलना मात्र संयोग नहीं है संयोग भी नितान्त अकारण नहीं घटते-उनके पीछे भी तर्कातीत कुछ तो बात होती होगी। ‘साहित्य‘ नाम की मानवीय गतिविधि मानव सभ्यता के आरंभ से ही चली आ रही है। व सर्व-समावेशी-सर्वग्राही है अपने स्वभाव से ही। साहित्य तो मनसा-वाचा-कर्मणा समग्र अस्तित्व की चराचर जगत की चिन्ता से जुड़ा होता है। उसकी भाषा किसी भी हालत में विश्व के अवधारणात्मक वशीकरण की लालसा से प्रेरित नहीं होती। जबकि साइन्स और टेक्नोलाजी का उद्गम और विस्तार अनिवार्यतः जिस सभ्यता से वह जुड़ा हुआ है, उसकी विस्तारवादी-विश्वविजयी आकांक्षा से प्रभावित और प्रेरित होगा ही।
राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन सम्मान से सम्मानित श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के प्रतिनिधि ने संस्था का परिचय देते हुए हिन्दी के प्रति समर्पण के भाव को प्रदर्शित किया।

श्री हृदय नारायण दीक्षित, माननीय अध्यक्ष, विधानसभा, उत्तर प्रदेश ने कहा - ‘किसी विद्वान ने कवियों के भावबोध में यह शरद चंद्र आया होगा जब हमारी हिन्दी की कविता भारत का आचार शास्त्र बनी है। कवि अपने आनन्द के लिए लिखता है लोक उसे अंगीकार करता है। दुनियाँ की सभी भाषाओं में साहित्य सृजन हुआ है लेकिन जो हिन्दी और उसकी सभी बहनों जैसी भाषा में जो प्रकट रूप है वही हमारा धर्म भाग्य भी बना है। कविता हमारा मार्ग दर्शन करती है, हमारे मूल्य-बोध को जगाती है। कविता संस्कृति के पीछे-पीछे चलती है। आज भारत के सामने एक विशेष प्रकार की चुनौती है हमें अपने पर अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए। पुरस्कार दायित्व देते हैं।
आभार व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के निदेशक, श्री शिशिर ने कहा - उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं की श्रीवृद्धि करने में माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश जो संस्थान के अध्यक्ष भी हैं के मार्गदर्शन में निरन्तर सक्रिय रहता है। हिन्दी संस्थान साहित्य साधना में जीवन पर्यन्त संलग्न रहने वाले साहित्यकारों का सम्मान कर गौरवान्वित होता है।
संस्थान द्वारा शरद पूर्णिमा एवं वाल्मिकी जयन्ती के शुभ अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह 2017 में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे परम श्रद्धेय श्री हृदय नारायण दीक्षित, माननीय विधान सभा अध्यक्ष, विख्यात कवि, लेखक एवं विचारक का उत्तर प्रदेश के प्रति हिन्दी संस्थान परिवार विशेष रूप से आभारी हैं। हम पत्रकार बन्धुआें, मीडियाकर्मियों के प्रति भी आभार व्यक्त करना चाहते हैं जो निरन्तर हमारी उपलब्धियों को महत्व देते हुए उसे प्रकाशित और प्रसारित करते हैं।
समारोह के अन्त में श्रीमती पूनम श्रीवास्तव द्वारा वन्दे मातरम् का गायन किया गया।
समारोह का संचालन डॉ0 अमिता दुबे, सम्पादक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने किया।

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आकाशवाणी संगीत सम्मेलन समय के साथ एक वृहद रूप में स्थापित हुआ है

Posted on 04 October 2018 by admin

20181004_152932सुरेन्द्र अग्निहोत्री,लखनऊ । आकाशवाणी केंद्र लखनऊ के निर्देशन में
प्रसार भारती के मार्गदर्शन में आकाशवाणी संगीत सम्मेलन 2018 का आयोजन
लखनऊ के संत गाडगे सभागार, संगीत नाटक अकादमी, विपिन खंड ,गोमती नगर में
दिनांक 6 अक्टूबर को आयोजित किया गया है। इस बात की जानकारी आकाशवाणी के
केंद्र निदेशक पृथ्वीराज चैहान ने यहां पत्रकार वार्ता में दी। श्री
चैहान ने बताया आकाशवाणी संगीत सम्मेलन समय के साथ एक वृहद रूप में
स्थापित हुआ है। कलाकारों और श्रोताओं को जोड़ने में महत्वपूर्ण योगदान
दे रहा है ।पारंपरिक रूप से शास्त्रीय संगीत के कलाकारों की
प्रस्तुतियों के अतिरिक्त इस वर्ष संगीत सम्मेलन कुछ प्रतिष्ठित कलाकारों
के सुरों से गुंजायमान होगा। इस आयोजन में संगीत जगत की सुप्रसिद्ध
कलाकार विदुषी भारती वैशम्पायन का गायन एवं मशहूर सितार वादक छोटे रहमत
खां के सितार वादन से शास्त्रीय संगीत के रसिक श्रोता आनंद अनुभूति
प्राप्त करेंगे।श्री चैहान ने बताया कि संगीत को आम लोगों तक पहुंचाने
में महत्त्व भूमिका अदा करनेे वाली आकाशवाणी केंद्र ने आजादी के बाद देश
की थाती शास्त्रीय संगीत और लोक संगीत के साथ साथ सुगम संगीत के क्षेत्र
में अभूतपूर्व कार्य किया ह।ै लखनऊ के आकाशवाणी केंद्र को संगीत सम्मेलन
के लिए चुना जाना गौरव की बात है। देशभर में आकाशवाणी के 25 केंद्रों पर
संगीत सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। रसिक श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत
होने वाले संगीत सम्मेलन 2018 का प्रसारण आकाशवाणी के राष्ट्रीय केंद्र
द्वारा तथा इंद्रप्रस्थ चैनल और रागम डी.टी एच सेवा पर भी किया जाएगा
।प्रेस वार्ता के दौरान डॉ क.ेवी. त्रिवेदी, प्रतुल जोशी आकाशवाणी के
अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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हिन्दी के लोक कवियों में घाघ का महत्वपूर्ण स्थान है

Posted on 03 October 2018 by admin

राष्ट्रीय पुस्तक मेला में संस्था द्वारा ‘महाकवि घाघ’ पर आयोजित विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार मधुकर अस्थाना ने आयोजकों द्वारा की गयी मांग का समर्थन करते हुये कहा कि घाघ की जन्मस्थली (जन्म ग्राम) पर स्मारक बनवाने से जहां उनके प्रशंसकों की मांग पूरी होगी वहीं भावी पीढ़ी को ऐसे सूक्तिकार कवि के बारे में विस्तृत जानकारी भी मिलेगी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. हरिओम शर्मा ’हरि‘ ने कहाकि हिन्दी के लोक कवियों में घाघ का महत्वपूर्ण स्थान है। घाघ लोक जीवन में अपनी कहावतों के लिए प्रसिद्ध है। घाघ की कहावतें आज भी जन-मानस में अत्यधिक लोकप्रिय है। ऐसे महान सूक्तिकार को याद कर भावी पीढ़ी के समक्ष उनकी कहावतों को और प्रचलित करने की आवश्यकता है।
img-20181003-wa0038इस अवसर पर कानपुर से पधारे वरिष्ठ कवि एडवोकेट डा. विनोद त्रिपाठी ने स्वास्थ के सम्बन्ध में घाघ की कहावतों के माध्यम से जानकारी देते हुये कहा यदि व्यक्ति अमल करे तो उसका स्वास्थ सदैव उत्तम रहेगा। प्रातःकाल खटिया से उठि कै, पिये तुरतें पानी, कबहूं घर में वैद न अइहै, बात घाघ कै जानी देखिये उपरोक्त पंक्तियां
स्वल्पाहार स्वास्थ के लिये उत्तम होता है आपने इस तथ्य को समझाते हुये कहा- रहै निरोगी जो कम खाय, बिगरै काम जो न गम खाय।
कन्नौज से आये ब्रजेश कुमार बेबाक ने पशुपालन व ग्राम्य जीवन पर घाघ की कहावतों के माध्यम से कहा- सावन घोड़ी भादों गाय- माघ मास जो भैंस वियाय, कहें घाघ यह सांची बात, आप मरे या मालिक खाय। शायर मुफीद कन्नौजी ने घाघ के ऊपर अपने दोहों के माध्यम से उनकी सूक्तियों से सीखने की बात कही। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार श्री राम शरण वाजपेयी आदि साहित्यानुरागी, उपस्थिति थे।
संचालन संस्था के अध्यक्ष मनोज कुमार शुक्ल ने किया व आभार कार्यक्रम के संयोजक डा. जितेन्द्र वाजपेयी ने किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की गयी कि घाघ के जन्म स्थान कन्नौज में एक स्मारक बनवाया जाये।

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हस्तशिल्प मेला 12 सितंबर तक

Posted on 06 September 2018 by admin

लखनऊ,हस्तशिल्प मेला का आयोजन ललित कला अकादमी, अलीगंज, लखनऊ में 6 सितंबर २०18 से
12 सितंबर २०18 को हथकरघा और अद्वितीय द्वारा किया गया है।
प्रदर्शनी कारीगरों, महिलाओं का लघु उद्योग, स्टार्टअप और गैर सरकारी संगठनों
के कल्याण और हस्तशिल्प के विकास के लिए एक मंच प्रदान करने का एक प्रयास है।
प्रदर्शनी उन्हें काम को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करने और उनके उत्पादों
के लिए प्रोत्साहन और प्रशंसा प्राप्त करने का एक मंच है।
हस्तशिल्प मेला अख्रक, पैचवर्क, बनारसी वस्त्र, चंदेरी साड़ी, चिकनकारी
वस्त्र, हाथ से बने गहने, जूट बैग आदि से लेकर सभी प्रकार के हस्तशिल्प और हाथ
से बने उत्पादों पर केंद्रित है। कारीगरों और ब्रांडों ने पूरे भारत से यात्रा
की है इस आयोजन में भाग लेने के लिए। इसके अलावा लखनऊ की कुछ महिला आर्टिजन
जिनके हाथ से कढ़ाई वाले जरी वस्त्र, हाथ से बुने हुए कॉस्टर और टेबल डिकर्स
इत्यादि इसमें प्रदर्शित हैं।
25 से अधिक प्रतिभागियों ने हस्तशिल्प मेला के पहले संस्करण में हिस्सा लिया
है।
हस्तशिल्प मेला का उद्देश्य पर्यावरण अनुकूल शिल्प और भारत में बनाने के
वास्तविक शिल्पकारी समझने के लिए है।

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‘फैमिली ऑफ ठाकुरगंज’ की शूटिंग लखनऊ में शुरू

Posted on 02 September 2018 by admin

जिम्मी शेरगिल और माही गिल स्टारर हिंदी फिल्म

लखनऊ, 2 सितम्बर। ‘फैमिली ऑफ ठाकुरगंज’ की शूटिंग रविवार से लखनऊ में शुरू हो गई। इसका मुहूर्त शॉट सिकंदरबाग चौराहे के पास स्थित बलरामपुर गार्डन में फिल्माया गया। इस फिल्म में लखनवी ट्रेडिशनल कल्चर को खासतौर से केन्द्र में रखा गया है। ‘फैमिली ऑफ ठाकुरगंज’ के निर्माता अजय सिंह राजपूत हैं। ‘फैमिली ऑफ ठाकुरगंज’ फिल्म का निर्देशन मनोज झा कर रहे हैं।

लवली वर्ल्ड एंटरटेन्मेंट के बैनर तले बनने वाली फिल्म ‘फैमिली ऑफ ठाकुरगंज’ के पहले दिन यहां अभिनेता सुधीर पांडेय और अभिनेत्री प्रणति राय प्रकाश के प्रसंगों को फिल्माया गया। फिल्म अभिनेता सुधीर पांडेय ने संवाददताओं से रूबरू होते हुए बताया कि यह फिल्म रोमांच से भरपूर हैं और वह अपने किरदार को लेकर खासे उत्साहित हैं। इसके साथ ही मॉडल और अभिनेत्री प्रणति राय प्रकाश ने कहा कि फिल्म में उनका किरदार खास अहमियत रखता है। दर्शकों की आकांक्षाओं पर खरे उतरें इसलिए वह अपने किरदार पर खास मेहनत कर रही हैं।

फिल्म के निर्माता अजय सिंह ने बताया कि ‘फैमिली ऑफ ठाकुरगंज’ अपने में रोमांच से भरपूर अनोखी प्रेम कहानी है। उनके अनुसार फिल्म में प्रेम और विचारधारा के टकराव को बिलकुल नए अंदाज में पेश किया जा रहा है। ‘फैमिली ऑफ ठाकुरगंज’ में सुधीर पांडेय, प्रणति राय प्रकाश, सौरभ शुक्ला, पवन मल्होत्रा, नंदिश सिंह, यशपाल शर्मा, मुकेश तिवारी, लोकेश तिलकधारी, सुप्रिया पिलगांओकर, विशाल सिंह भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं। इस फ़िल्म की सबसे अहम बात ये भी है कि इसकी कहानी घायल, दामिनी, अंदाज़ अपना अपना, दबंग, दबंग—2 जैसी ब्लॉक बस्टर फिल्में लिख चुके दिलीप शुक्ला ने लिखी है। फिल्म में संगीत साजिद वाजिद का है जिन्होंने बॉलीवुड पर पहले से ही अपने हुनर का रंग चढ़ाया हुआ है। फिल्म के क्रिएटिव डायरेक्टर प्रिंस सिंह हैं।

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मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की सहभागिता

Posted on 24 August 2018 by admin

18 अगस्त से 20 अगस्त तक मॉरीशस के पाय नामक स्थान में स्वामी विवेकानन्द अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र पर चलने वाले तीन दिवसीय विश्व हिन्दी सम्मेलन में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर सदानन्द प्रसाद गुप्त के नेतृत्व में पाँच सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल ने प्रतिभागिता की। इस प्रतिनिधि मण्डल के अन्य सदस्य थे - डॉ0 राजनारायण शुक्ल, कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान, लखनऊ, डॉ0 प्रदीप कुमार राव, सदस्य, कार्यकारिणी, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान, प्रोफेसर योगेन्द्र प्रताप सिंह, सदस्य, कार्यकारिणी, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान तथा श्री शिशिर, निदेशक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान। श्री शिशिर प्रतिनिधि मण्डल के संयोजक रहे।
18 से 20 अगस्त, 2018 तक चलने वाले विश्व हिन्दी सम्मेलन का केन्द्रीय विषय था ’हिन्दी विश्व और भारतीय संस्कृति’। सम्मेलन का उद्घाटन 18 अगस्त को प्रातः दस बजे हुआ। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि थे मॉरीशस गणराज्य के प्रधानमंत्री माननीय प्रवीण कुमार जगन्नाथ। समारोह में भारत की विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज तथा मॉरीशस गणराज्य की शिक्षा एवं मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा तथा वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री श्रीमती लील देवी दूकन लछमन की विशिष्ट उपस्थिति थी। समारोह में मॉरीशस गणराज्य के पूर्व प्रधानमंत्री माननीय अनिरुद्ध जगन्नाथ की प्रेरणाप्रद उपस्थिति भी रही।
उद्घाटन के उपरांत 18 और 19 अगस्त तक कुल आठ सत्रों में आठ विषयों पर चर्चा हुई। 18 अगस्त को कुल चार समानान्तर सत्र चले जिनमें हिन्दी संस्थान के प्रतिभागी सभी सत्रों में पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार सम्मिलित हुए। प्रथम समानान्तर सत्र ’भाषा और लोक संस्कृति के अन्तः सम्बन्ध’ विषय पर आयोजित था। इस सत्र में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर से महाराणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जंगल घूसड़ के प्राचार्य डॉ0 प्रदीप कुमार राव ने प्रतिभाग किया। उन्होंने चर्चा में भाग लेते हुए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर से निम्नांकित चार अनुशंसाएँ कीं -
1- लोक कथाओं, लोक गीतों इत्यादि के प्रकाशन को प्रोत्साहित किया जाय।
2- विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्व विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में लोक संस्कृति और लोक साहित्य का समावेश किया जाय।

3- लोक संस्कृति तथा लोक भाषा की शोध परियोजनाओं को वरीयता दी जाय।
4- हिन्दी भाषा एवं साहित्य के विकास के लिए कार्यरत संस्थाएँ ऐसी शोध परियोजनाओं को अपनी कार्य योजना का हिस्सा बनाएँ।
उपर्युक्त चार अनुशंसाओं में से ऊपर की तीन अनुशंसाएँ सम्मेलन द्वारा स्वीकार कर ली गयीं।
’प्रौद्योगिकी के माध्यम से हिन्दी तथा भारतीय भाषाओं का विकास’ विषय पर केन्द्रित द्वितीय सत्र में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर डॉ0 योगेन्द्र प्रताप सिंह ने भाग लिया। डॉ0 योगेन्द्र प्रताप सिंह ने चर्चा में भाग लेते हुए निम्नांकित सुझाव दिए -
1- सरकारी कार्यालयों के निमित्त कम्प्यूटर खरीदने पर देवनागरी कुंजीपटल को अनिवार्य किया जाय।
2- भारत में खरीदे जाने वाले कम्प्यूटर के सॉफ्टवेयर अनिवार्य रूप से हिन्दी भाषा तथा देवनागरी लिपि के लिए अनुकूलित हों।
3- फॉण्ट की परस्पर परिवर्तनीयता को उपयोगी बनाने हेतु देवनागरी के फॉण्ट का व्यापक स्तर पर मानकीकरण किया जाय जिससे टंकित सामग्री भेजने में फॉण्ट परिवर्तित न हो जाये। इसके लिए सरकारी तथा प्रकाशन से सम्बन्धित सभी फॉण्ट निर्माताओं को उस मानक के अनुसार फॉण्ट निर्माण हेतु निर्देशित किया जाय। सी-डैक ख्ब्.क्।ब्, के सॉफ्टवेयर को अपडेट करने की आवश्यकता है जिससे वह उपयोगी हो सके।
उपर्युक्त अनुशंसाओं में अनुशंसा ’एक’ सम्मेलन द्वारा स्वीकृत हुई।
तृतीय सत्र ’हिन्दी शिक्षण में भारतीय संस्कृति’ विषय पर केन्द्रित था। विषय पर अनेक विद्वानों के विचार आए। हिन्दी संस्थान की ओर से भाग लेते हुए उ0प्र0 भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ0 राजनारायण शुक्ल ने निम्नांकित सुझाव दिये -

1- भारतीय भाषाओं में प्रवीणता के मूल्यांकन के लिए एक उपयुक्त मानदण्ड हो।
2- हिन्दी पाठ्यक्रम का सैद्धांतिक आधार पर विवेचन हो।
3- सिद्धांतों के आधार पर शिक्षकों का प्रशिक्षण हो।
4- भारतीय डायसपोरा देशों में भारतीय संस्कृति के संवर्धन के लिए अधिक प्रयत्न किया जाय।
चतुर्थ समानान्तर सत्र हिन्दी साहित्य में संस्कृति चिन्तन विषय पर आयोजित था। इस सत्र में उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने भाग लिया इस सत्र की अध्यक्षता मॉरीशस की डॉ0 राजदानी गोविन्द ने की, सह-अध्यक्ष थे गगनाँचल के सम्पादक डॉ0 हरीश नवल। चर्चा में भाग लेते हुए डॉ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने भारतीय संस्कृति के विषय में फैलाये गये भ्रम पूर्ण धारणा का खण्डन करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति मिली-जुली संस्कृति नहीं है। डॉ0 गुप्त नें भारतीय संस्कृति के मूलभूत तत्वों - आत्मा की अमरता का सिद्धांत, काल की चक्रीय अवधारणा, कर्मफल तथा पुनर्जन्म का सिद्धांत प्रकृति और मनुष्य के बीच अंगागि सम्बन्ध की अवधारणा, चराचर की पवित्रता के सिद्धांत की चर्चा की। उन्होंने निम्नांकित सुझाव दिये -
1- भाषा साहित्य तथा संस्कृति के अन्तः सम्बन्ध पर कार्यशालाएँ एवं विचार गोष्ठियाँ आयोजित की जायँ।
2- भारतीय संस्कृति के मूलभूत तत्वों को स्पष्टता के साथ रेखांकित किया जाय।
3- भारतीय संस्कृति के आधार - आचरण की पवित्रता, परिवार, संस्था के मूल्यों को प्रोत्साहित करने वाले कलात्मक साहित्य के सृजन को प्रोत्साहित किया जाय।
4- भारतीय भक्ति साहित्य के अध्ययन पर विशेष बल दिया जाय।

5- स्वातंन्न्योत्तर ललित निबंध साहित्य तथा गीत विधा साहित्य का विस्तृत मूल्यांकन किया जाय।
6- मॉरीशस में रचित साहित्य में चित्रित भारतीय संस्कृति और भारतीय साहित्य में चित्रित भारतीय संस्कृति का तुलनात्मक अध्ययन किया जाय।
सम्मेलन के दूसरे दिन अर्थात् 19 अगस्त को चार समानान्तर सत्र चार विषयों पर आयोजित हुए। इनके विषय थे - ’फिल्मों के माध्यम से भारतीय संस्कृति का संरक्षण’, ’संचार माध्यम और भारतीय संस्कृति’, ’प्रवासी संसार : भाषा और संस्कृति’ तथा ’हिन्दी बाल साहित्य और भारतीय संस्कृति’।
’फिल्मों के माध्यम से भारतीय संस्कृति का संरक्षण’ विषय पर उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने प्रतिभागिता की। इस सत्र की अध्यक्षता फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष तथा प्रसिद्ध फिल्म निर्माता एवं निर्देशक श्री प्रसून जोशी ने की। इस सत्र में डॉ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने निम्नांकित लिखित सुझाव दिए-
1- भारतीय हिन्दी सिनेमा में भारतीय संस्कृति के प्रमुख घटकों परिवार संस्था तथा समाज संस्था को विरूपित ढंग से दिखाए जाने को रोका जाय। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर भारतीय देवी-देवताओं के विषय में फैलायी जाने वाली विकृत धारणाओं को प्रोत्साहित नहीं किया जाय।
2- संस्कार निर्माण करने वाले भारतीय पौराणिक चरित्रों, पंचतंत्र, हितोपदेश की कथाओं पर रोचक तथा कलात्मक ढंग से लघु फिल्में बनायी जायँ तथा इन्हें प्रदर्शित किया जाय।
द्वितीय सत्र ’संचार माध्यम और भारतीय संस्कृति’ विषय पर केन्द्रित था। इस सत्र में भाग लेते हुए डॉ0 योगेन्द्र प्रताप सिंह ने तीन अनुशंसाएँ दी जो स्वीकृत हुईं -
1- क्षेत्रीय स्तर पर सामुदायिक चैनल और सामुदायिक रेडियों को बढ़ावा दिया जाय। इन क्षेत्रीय चैनलों को बाजार के हाथों से बचाते हुए संस्कृति कर्मी को सौंपा जाय।

2- सामुदायिक चैनलों का लाइसेंस प्रदान किये जाने की पद्धति को आसान बनाया जाय।
3- ह्वाट्स ऐप्प जैसे तकनीकी नवाचारों का उपयोग सांस्कृतिक पत्रिका निकालने के लिए किया जाय।
विचार का तृतीय सत्र ’प्रवासी संसार : भाषा और संस्कृति’ विषय पर केन्द्रित था। इस सत्र में डॉ0 राजनारायण शुक्ल ने सहभागिता की। डॉ0 शुक्ल ने इस सत्र में निम्नांकित सुझाव दिये -
1- इंडियन डायसपोरा देशों के भारतीय संस्कृति का संवर्धन हो।
2- युवा पीढ़ी की जरूरतों के अनुरूप कार्यक्रम बनाए जायँ।
3- क्रियोल में सृजित साहित्य को हिन्दी में लाया जाए।
4- देश-विदेश में प्रकाशित पाठ्य सामग्री का संग्रह हो।
5- शिक्षकों के द्वारा हिन्दी भाषा साहित्य का शिक्षण करते समय भारतीय मूल्यों को विशेष रूप से रेखांकित किया जाय।
चतुर्थ सत्र ’हिन्दी बाल साहित्य और भारतीय संस्कृति’ पर केन्द्रित था। इस सत्र में डॉ0 प्रदीप कुमार राव ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी तथा निम्नांकित संस्तुतियाँ दीं-
1- बाल-सुलभ पद्यात्मक साहित्य को प्रोत्साहित किया जाय।
2- हितोपदेश, पंचतंत्र जैसी भारतीय संस्कृति केन्द्रित बोधपूर्ण कथाओं को चित्रकथा के माध्यम से बाल पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाय।
3- उत्कृष्ट पौराणिक चरित्रों को भी बाल पाठ्यक्रम का अंग बनाया जाय तथा भारतीय संस्कृति से सम्बन्धित जीवन मूल्यों को लघु बोध कथाओं के रूप में रुचिकर ढंग से दृश्य संचार माध्यमों से प्रसारण हो।
इस सत्र में मॉरीशस के बाल साहित्यकारों द्वारा बाल साहित्य के प्रकाशन की कठिनाइयों का जिक्र किया गया। उनकी इस समस्या पर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान

की ओर से हिन्दी में भारतीय संस्कृति आधारित बाल साहित्य को प्रकाशित करने का प्रस्ताव डॉ0 प्रदीप राव ने प्रस्तुत किया। इस प्रस्ताव पर मॉरीशस के बाल साहित्यकारों, महात्मा गाँधी संस्थान, मॉरीशस के अध्यापकों द्वारा प्रसन्नता व्यक्त की तथा आभार व्यक्त किया तथा समापन सत्र में इसकी विशेष चर्चा की गयी।
2018 के विश्व हिन्दी सम्मेलन में पहली बार संस्थान की ओर से पाँच सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल ने प्रतिभागिता की। इस सम्मेलन की संस्थान की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही उ0प्र0 हिन्दी संस्थान की ओर से पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन। विदेश मंत्रालय के सहयोग से इस प्रदर्शनी का आयोजन संभव हुआ। पुस्तक प्रदर्शनी के आयोजन की जिम्मेदारी सम्भाली उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के निदेशक श्री शिशिर ने। विदेश मंत्रालय के अनुरोध पर उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने प्रदर्शनी में भेजी गयी पुस्तकें विश्व हिन्दी सचिवालय, मॉरीशस के पुस्तकालय को भेंट कर दीं।
19 अगस्त को ही विश्व हिन्दी सम्मेलन की ओर से ’अप्रवासी घाट’, ’विश्व हिन्दी सचिवालय’ तथा ’महात्मा गाँधी संस्थान’ के भ्रमण का कार्यक्रम था, जिसमें हिन्दी संस्थान के प्रतिनिधि मण्डल ने भाग लिया। ’अप्रवासी घाट’ वह स्थान है, जहाँ पहली बार 1834 में गिरिमिटिया मजदूर भारत से ले जाये गये थे। महात्मा गाँधी संस्थान में हिन्दी शिक्षण की व्यवस्था है।
दिनाँक 20 अगस्त को प्रातः 11ः00 बजे से सत्र का आयोजन हुआ समापन सत्र के मुख्य अतिथि थे मॉरीशस गणराज्य के कार्यवाहक राष्ट्रपति महामहिम श्री परमसिवम पिल्लै वैयापुरी तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में अनिरुद्ध जगन्नाथ एवं भारत की विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज तथा मॉरीशस की शिक्षा मंत्री श्रीमती लीला देवी दूकन लछमन की उपस्थिति रही। समापन सत्र की अध्यक्षता पश्चिम बंगाल के राज्यपाल माननीय श्री केशरीनाथ त्रिपाठी ने की। इसी सत्र में सम्मेलन में स्वीकृत अनुशंसाओं का वाचन भी हुआ।

(1) उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने मॉरीशस पर एक अध्ययन रिपोर्ट के प्रमुख बिन्दु निर्धारित किये हैं जिन पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगा तथा प्रकाषित करेगा।
(2) मॉरीशस में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में पहली बार संस्थान की ओर से पुस्तक प्रदर्शनी लगायी गयी।
(3) उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने मॉरीशस में हिन्दी भाषा में भारतीय संस्कृति आधारित बाल साहित्य के प्रकाशन का उत्तरदायित्व लिया। हिन्दी संस्थान के लिए यह गर्व की बात है।

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सम्राट अषोक का सफल मंचन

Posted on 08 May 2018 by admin

लखनऊ दिनांक 08.05.2018 दिन मंगलवार अषोक लाल प्रस्तुतिकरण के अन्तर्गत आज सांयकाल 06ः30 बजे राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह, कैसरबाग लखनऊ में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय (संस्कृति विभाग), नई दिल्ली के सहयोग से सुप्रसिद्ध नाट्य रचनाकार श्री डी0पी0 सिन्हा, पूर्व आई0ए0एस0 की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित सम्राट अषोक का नाट्य मंचन नगर के वरिष्ठ रंग निर्देषक अषोक लाल को सषक्त निर्देषन में मंचित किया गया है। नाटक के कथानक के अनुसार दया प्रकाष सिन्हा द्वारा लिखित इस नाटक में न अषोक और तिष्यरक्षिता अथवा कुणाल और तिष्यरक्षिता के प्रसंग को अहमियत दी गई है और न ही अषोक द्वारा बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लेने की घटना को मुखरित किया गया है बल्कि इसमें अषोक के सिंहासन पर बैठने से लेकर उसके अंतिम दिनो के क्षणों तक समेटने की कोषिष की गई है। ज बवह तुगलक और शाहजहाँ की भांति अपने ही कारागार से नितान्त अकेला होता जाता है। इस नाटक में अषोक अपनी पत्नी को छोड़कर पाटलीपुत्र चला जाता है और वहंा महामंत्री राधागुप्त के साथ मिलकर बिन्दुसार के बाद अपने आप को राजा घोषित कर लेता है। सुसीम और कंलिग को युद्ध में मार कर अपना साम्राज्य आगे बढ़ाता है। कुछ समय पश्चात् वह बीमार पड़ता है तो राधागुप्त वैद्य चक्रपाणी को बुलाते है परन्तु वह अपनी जगह अपनी भांजी तिष्यरक्षिता को भेज देता है जो कि कलिंग कन्या होती है वह अपने माता-पिता की मृत्यु का बदला लेने की नियत से अषोक के पास उसका उपचार करने लगती है।
अषोक तिष्यरक्षिता से विवाह कर लेता है। तिष्यरक्षिता अषोक के पुत्र कुणाल को जान से मरवाने की कोषिष करती है, उस राज्य में भिक्खु सागरमते जो कि अषोक के दरबार में आते-जाते हैं उसका प्रेम उस महल की दासी नंदिता से होता है यह बात तिष्यरक्षिता जान जाती है और सागरमते को अपने इषारे पर नचाने लगती है। इधर अषोक बौद्ध की शरण में रहते हुए उसके प्रचार-प्रसार में सारी धन सम्पत्ति खर्च कर रहा होता है। बाद मंे सागरमते तिष्यरक्षिता की सारी हकीकत अषोक को बतादेता है तब अषोक तिष्यरक्षिता को मृत्युदण्ड दे देता है। इधर महामंत्री राधागुप्ता अषोक द्वारा राज्य की सारी सम्पत्ति अभिधर्म के प्रचार में खर्च करने से रूष्ट हो जाता है और सेनापति और अन्य मंत्रीमण्डल के साथ मिलकर अषोक को राज सिंहासन से हटाकर उसे बंदी बना देता है। बाद में राधागुप्ता अषोक को बंदीगृह से निकालकर राज्य से बाहर अन्य स्थान पर भेजने का प्रबन्ध करता है किन्तु अषोक मना-कर देता है और बंदीगृह में नितांत अकेला होता जाता है। सम्राट अषोक की प्रधान स्वयं नाट्य निर्देषक अषोक लाल द्वारा अभिनीत किया गया। सम्राट अषोक की पहली पत्नी देवी की भूमिका में तान्या सूरी तथा दूसरी पत्नी तिष्यरक्षिता की भूमिका में दीपिका श्रीवास्तव एवं दासी की प्रधान भूमिका में अचला बोस महामंत्री राधागुप्त की भूमिका में तारिक इकबाल तथा बिन्दुसार एवं शब्दाकार दोहरी भूमिका में नगर के वरिष्ठ रंग निर्देषक प्रभात कुमार बोस ने अपने सषक्त अभिनय से दर्षको को भाव विभोर कर दिया। इसके अतिरिक्त चक्रपाणी की भूमिका में आनन्द प्रकाष शर्मा एवं तिस्स की भूमिका में धु्रव सिंह एवं सागरमते की भूमिका में ऋषभ तिवारी एवं भिक्खू समुद्र की भूमिका में राकेष चैधरी, कात्यायन एवं गुप्तचर की भूमिका में अभिषेक गुप्ता, उपगुप्त की भूमिका में सुजीत कुमार रावत तथा कुणाल की भूमिका में अर्पित यादव और सैनिक-1 की भूमिका में अजय गुप्ता तथा रूपकार की भूमिका आदर्ष तिवारी इत्यादि कलाकारों ने अपने सषक्त अभिनय से दर्षको को अत्यधिक प्रभावित किया। सेट डिजाइनिंग नाट्य निर्देषक अषोक लाल का था। प्रकाष परिकल्पना की कमान ए0एम0 अभिषेक ने संभाली संगीत निर्देषन निखिल श्रीवास्तव का अत्यधिक प्रभावी रहा। रूप सज्जा षिव कुमार श्रीवास्तव ‘‘षिब्बू’’ का था। 60 दिवसीय कार्यषाला के अन्तर्गत तैयार की गयी इस नाट्य प्रस्तुति के सम्पूर्ण परिकल्पना एवं निर्देषन अषोक लाल का था। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सम्राट अषोक का नाट्य मंचन अत्यधिक सफल रहा।

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5वां वार्षिक वाजिद अली शाह फेस्टिवल का आयोजन 25 मार्च को दिलकुशा पैलेश मे

Posted on 23 March 2018 by admin

लखनऊ 23 मार्च 2018 : उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा इंडिया ग्लाइकाल लिमिटेड एवं हिंदुस्तान पावर प्रोजेक्ट्स के सहयोग से रूमी फाउंडेशन, लखनऊ चैप्टर द्वारा प्रस्तुत 5वां वार्षिक वाजिद अली शाह फेस्टिवल, “यमुना - दरिया प्रेम का” : मुजफ्फर अली द्वारा कल्पित एवं निर्देशित एक कत्थक नृत्य 25 मार्च को दिलकुशा पैलेश मे धूमधाम से मनाया जाएगा इसकी घोषणा आज आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरानमुजफ्फर अली द्वारा की गयी ।

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उन्होने बताया कि विषय यमुना - दरिया प्रेम का: यमुना खुसरो के जीवन का हिस्सा थी और खुसरो यमुना का हिस्सा थे। नदी बहती थी तथा खुसरो ने इसके किनारे पर अपने बदलते हुए लय-ताल को परिकल्पित किया। उसने उन्हें सुंदरता का वर्णन करने के लिए शब्द दिए। प्रेम की सुंदरता।

उन्होने अपनी गायों के गले में बंधी घण्टियों की आवाज सुनी और उनके आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने गोपियों संग कृष्ण की रास-लीला देखी थी। उन्होंने विभिन्न ‘रागों’ और ‘बन्दिशों’ में प्रकाश और अंधकार की अपनी हजारों छाया में राधा की आत्मा से निकली बांसुरी की आवाज सुनी थी तथा प्रत्येक जाते हुए मौसम और उम्र में इन शब्दों का अर्थ ढूँढना शुरू किया। यमुना हमारे इतिहास की समयपाल थी और खुसरो एक प्रतिष्ठित मील का पत्थर थे। ‘यमुना - दरिया प्रेम का’ अपने ‘प्रेमियों’की रचना में यमुना की भावना का प्रतिबिंब है। वे सूफी जिनका जीवन नदी से जुड़ा है और वह उनके शिराओं में बहती महसूस होती है और अपनी चिरकाल से कृष्ण को देखा है।

जैसे-जैसे समय बीतता गया केवल यमुना ही मानव आत्मा की कालनिरपेक्षता, पौराणिक कथा के आधार की याद दिलाने के लिए शेष है।

और यह महसूस कराती है जो अनंत बांसुरी की आवाज है। कार्य करने की याद दिलाना।

नदी के संदेश की व्यक्तिगत अंतरंग अनुभव के साथ वापस जाएँ और उसकी अनंत सुंदरता और शुद्धता के लिए प्रार्थना करें।

कार्यक्रम 6.30 बजे अपराह्न

यमुना - दरिया प्रेम का : मुजफ्फर अली द्वारा कल्पित एवं निर्देशित एक कत्थक नृत्य

· कथानक: दीपा गुप्ता

· स्वर: बरनाली चट्टोपाध्याय, अर्चना शाह एवं त्रिथा सिन्हा

· नृत्य कला : आस्था दीक्षित

· नर्तक: आस्था दीक्षित, जुल्फकार उमैर, दीपक गंगानी,मायूख भट्टाचार्य, ऋचा जोशी, पल्लवी बासू, संस्कृति वशिष्ठ,हीना हयात खान, सोमबित सरकार, अभिषेक खींची, मोहित श्रीधर

यमुना नदी और इसकी बदलती लय-ताल, कृष्ण की गोपियों संग रासलीला एवं क्रीड़ा ने अमीर खुसरो को अपने प्रेमी की आध्यात्मिक सुंदरता का वर्णन करने के लिए शब्द दिए। उन्होंने विभिन्न रागों और बन्दिशों में राधा की आत्मा से बांसुरी की आवाज सुनी था प्रत्येक जाते हुए मौसम और उम्र में इन शब्दों का अर्थ ढूँढना शुरू किया। यमुना हमारे इतिहास की समयपाल थी और खुसरो एक प्रतिष्ठित मील का पत्थर थे।

‘यमुना - दरिया प्रेम का’ खुसरो के साथ यमुना के संगम का प्रतिबिंब है। जिसने कालातीत में नदियों से कृष्ण को देखा है।

8.00 बजे अपराह्न

~

स्मिता बेल्लुर

स्मिता बेल्लुर भारत की प्रथम महिला हिंदुस्तानी गायिका हैं जिन्हें पारंपरिक कव्वालों के वंश में शामिल किया जाता रहा है तथा उन्हें उनका व्यापक मार्गदर्शन मिला है। उन्होंने सूफ़ीवाद के साथ गहरे रिश्ते और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के खयाल रूप में व्यापक प्रशिक्षण की वजह से भक्ति एवं सूफी परम्पराओं में महारत हासिल की है।

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ख्याति प्राप्त लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने अपनी गुरू स्व0 गिरिजा देवी को श्रद्धा सुमन अर्पित किया

Posted on 02 March 2018 by admin

गुरू शिष्य के भविष्य का निर्माता होता है- श्रीमती मालिनी अवस्थी

लखनऊ: 01 मार्च, 2018

press-1-1ख्याति प्राप्त लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने आज यहां गोमती नगर स्थित संगीत नाटक अकादमी परिसर के सन्त गाडगे सभागार में श्रद्धेय गिरिजा देवी की स्मृति ‘‘प्रणामी’’ कार्यक्रम में बनारस घराने की अपनी गुरू स्व0 गिरिजा देवी (अप्पा जी) को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। उन्होंने कहा कि प्रख्यात ठुमरी गायिका गिरिजा देवी ने इस शास्त्रीय गायन के विभिन्न प्रकारों को संगीत के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने ठुमरी, दादरा, कजरी और विभिन्न गायिकी के प्रकारों को नये आयामों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
श्रीमती मालिनी अवस्थी ने कहा कि प्रतिभा और व्यक्तित्व के सम्पूर्णता, श्रेष्ठता, और मोहकता के सारे विशेषण और प्रतिमानव को मिला दिया जाये तब नाम बनता है श्रेद्धेय गिरजा देवी का जो कलाकार ही नहीं व्यक्तित्व की विभूति है। उन्होंने कहा कि गुरू शिष्य के भविष्य का निर्माता होता है, जो अपने शिष्य को उन्नति के शिखर पर आगे ले जाता है। उन्होंने स्व0 गिरिजा देवी की स्मृति में आयोजित प्रणामी कार्यक्रम में ठुमरी, दादरा, चैती में ढले फाल्गुनी के रंग बिखेरें और श्री श्रद्धेय गिरजा देवी जी को विनम्र शिष्या के रूप में अपनी स्वर अर्चना प्रस्तुत करते हुए फागुन के भावभीने गीत की प्रस्तुती की।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव सूचना, श्री अवनीश कुमार अवस्थी के साथ श्रीमती मालिनी अवस्थी ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम में संस्कार भारती के संस्थापक पद्मश्री बाबा श्री योगेन्द्र, सुविख्यात नाटककार, साहित्यकार श्री दया प्रकाश सिन्हा, साहित्यकार श्रीमती विद्या देवी के साथ अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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