उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान सम्मान समारोह

Posted on 24 October 2018 by admin

साहित्य अपने स्वभाव से र्स्व समावेशी-सर्वग्राही है-श्री हृदय नारायण दीक्षित, माननीय विधान सभा, अध्यक्ष, उ0प्र0
लखनऊ, 24 अक्टूबर, 2018। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के तत्त्वावधान में सम्मान समारोह का आयोजन उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ यशपाल सभागार में किया गया। श्री हृदय नारायण दीक्षित, माननीय अध्यक्ष, विधानसभा, उत्तर प्रदेश ने मुख्य अतिथि के रूप में सम्मान समारोह के गौरव को बढ़ाया। समारोह की अध्यक्षता डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान द्वारा गयी।
मुख्य अतिथि श्री हृदय नारायण दीक्षित जी, सभाध्यक्ष डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त जी एवं श्री शिशिर, निदेशक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान सहित अन्य मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पुष्पार्पण के उपरान्त प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में वाणी वन्दना की प्रस्तुति श्रीमती पूनम श्रीवास्तव द्वारा की गयी।
श्री हृदय नारायण दीक्षित, माननीय अध्यक्ष, विधानसभा, उत्तर प्रदेश का उत्तरीय द्वारा स्वागत डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान एवं श्री शिशिर, निदेशक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने किया। इस अवसर पर संस्थान की त्रैमासिक पत्रिका ‘साहित्य भारती‘ के विस्थापन की त्रासदी : सन्दर्भ कश्मीर विशेषांक एवं डॉ0 ए.के. त्रिपाठी की पुस्तक ‘प्लेट्लेट्स की कमी‘(भ्रांतियाँ एवं समाधान) का लोकार्पण भी मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया।
अभ्यागतों का स्वागत करते हुए डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने कहा आज का दिन लीला पुरुषोत्तम भगवान् श्री कृष्ण के महारास की स्मृति दिलाता है। यह मान्यता है कि आज के दिन ही चन्द्रमा धरती पर अमृत की वर्षा करते हैं। यह भी एक अत्यंत सुखद संयोग है कि हम साहित्यकारों का सम्मान आदि कवि बाल्मीकि के प्राकट्य दिवस के अवसर पर कर रहे हैं। यह साहित्य की महत् उज्ज्वल और समृद्ध परम्परा का भी स्मरण है। उत्तर प्रदेश हिन्दी भाषा-साहित्य की उर्वर भूमि रही है। इसे आदिकालीन कवि गुरु गोरखनाथ, मध्यकाल के कवि चतुष्टय कबीर जायसी, सूर, तुलसी की जन्मभूमि और कर्मभूमि होने का सौभाग्य प्राप्त है, रीतिकाल के कवि देव, बिहारी, भूषण, घनानन्द नरोत्तमदास तथा आधुनिक काल के भारतेन्दु, द्विवेदी तथा छायावाद युग के सभी प्रमुख कवियों की भूमि के रूप में यह ख्यात है। उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के लिए यह अत्यंत आह्लाद का विषय है कि कार्यक्रमों के सुचारू संचालन के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर वर्तमान वित्तीय वर्ष के बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की गयी है। आज साहित्य भूषण सम्मान की संख्या दस से बीस हो गयी है।
विदेश मंत्रालय के अनुरोध पर संस्थान ने अपनी प्रदर्शित पुस्तकें विश्व हिन्दी सचिवालय को भेंट स्वरूप प्रदान कर दीं। सम्मेलन में मॉरीशस के बाल साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के प्रकाशन की समस्या की ओर संकेत किया। संस्थान ने हिन्दी भाषा में भारतीय संस्कृति एवं परम्परा का पोषण करने वाली रचनाओं के प्रकाशन में यथा संभव सहायता का आश्वासन दिया है। संस्थान ने विश्व हिन्दी सम्मेलन के अवसर पर ‘साहित्य भारती’ का एक विशेषांक भी प्रकाशित किया। हिन्दी संस्थान ने मार्च 2019 तक के कार्यक्रमों की एक पूरी योजना बना ली है। यह वर्ष गाँधी जी के 150वीं जयंती का वर्ष भी है। संस्थान महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर कार्यक्रम आयोजित करेगा विभिन्न विद्यालयों महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में इस क्रम में समन्वय स्थापित किया जायेगा। संस्थान ने युवा साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने के लिए कविता तथा कहानी प्रतियोगिता का आयोजन पहली बार किया। इसे और भी विस्तार देने की योजना है।

मुख्य अतिथि मा0 श्री हृदय नारायण दीक्षित जी तथा मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, हिन्दी संस्थान ने - भारत-भारती सम्मान से डॉ. रमेश चन्द्र शाह, हिन्दी गौरव सम्मान से डॉ. रामदेव शुक्ल से महात्मा गांधी साहित्य सम्मान से डॉ. रामगोपाल शर्मा ‘दिनेश’ पं0 दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान से डॉ. धर्मपाल मैनी, अवन्तीबाई साहित्य सम्मान से प्रो. शत्रुघ्न प्रसाद, राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन सम्मान से डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी अध्यक्ष, श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय, साहित्य भूषण सम्मान से श्री हरिमोहन मालवीय, श्री सत्यधर शुक्ल, डॉ0 मथुरेश नन्दन कुलश्रेष्ठ, डॉ0 देवसहाय पाण्डेय ‘दीप‘, डॉ0 अमरनाथ सिन्हा, डॉ0 नंदलाल मेहता ‘वागीश‘, डॉ0 रामबोध पाण्डेय, श्री रामनरेश सिंह, ‘मंजुल‘, डॉ0 रमेश चन्द्र शर्मा, श्री रामसहाय मिश्र ‘कोमलशास्त्री‘, डॉ0 चमनलाल गुप्त, डॉ0 (श्रीमती) मिथिलेश दीक्षित, डॉ0 पशुपति नाथ उपाध्याय, डॉ0 ओमप्रकाश सिंह, डॉ0 अनुज प्रताप सिंह, श्री चन्द्र किशोर सिंह एवं श्री दयानंद पांडेय, लोक भूषण सम्मान से श्री रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव ‘जुगानी भाई‘, कला भूषण सम्मान से डॉ. क्षेत्रपाल गंगवार, विद्या भूषण सम्मान से डॉ0 (श्रीमती) कैलाश देवी सिंह, विज्ञान भूषण सम्मान से डॉ0 गणेश शंकर पालीवाल, पत्रकारिता भूषण सम्मान से श्री रमेश नैयर, प्रवासी भारतीय हिन्दी भूषण सम्मान से डॉ0 मृदुल कीर्ति, हिन्दी विदेश प्रसार सम्मान से डॉ0 (श्रीमती) अनिल प्रभा कुमार, मधुलिमये साहित्य सम्मान से डॉ0 सुधाकर सिंह, पं. श्रीनारायण चतुर्वेदी साहित्य सम्मान से डॉ. गोविन्द व्यास, विधि भूषण सम्मान से डॉ. विष्णु गिरि गोस्वामी, सौहार्द सम्मान से डॉ0 अशोक प्रभाकर कामत, डॉ0 टी.वी. कट्टीमनी, डॉ0 बनारसी त्रिपाठी, डॉ0 (श्रीमती) पी. माणिक्यांबा ‘मणि‘, श्री विनोद बब्बर, डॉ0 (सुश्री) देवकी एन.जी., डॉ0 ए.बी. साई प्रसाद, डॉ0 विनोद कुमार गुप्त ‘निर्मल विनोद‘, श्री मेयार सनेही ‘शब्बीर हुसैन‘ पं0 मदन मोहन मालवीय विश्वविद्यालयस्तरीय सम्मान से डॉ0 वागीश दिनकर एवं डॉ0 अशोक कुमार दुबे, पं0 कृष्ण बिहारी वाजपेयी पुरस्कार से इण्टरमीडियट में साहित्यिक हिन्दी विषय में सर्वाधिक अंक के लिए सुश्री फूलन गौतम एवं श्री अमित कुमार, हाईस्कूल की परीक्षा में हिन्दी विषय में सर्वाधिक अंक के लिए के लिए सुश्री शहनाज खातून एवं श्री गनेश्वर सिंह को सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया। साथ ही डॉ0 सुन्दरलाल कथूरिया जी के प्रतिनिधि श्री वरुणेन्द्र कथूरिया जी, श्री चंद्रकिशोर पाण्डेय ‘निशांतकेतु‘ के प्रतिनिधि सुश्री भाषांजलि एवं श्री श्रीवत्स करशर्मा के प्रतिनिधि श्री शशि शेखर करशर्मा ने पुरस्कार ग्रहण किया।
भारत भारती सम्मान-2017 से सम्मानित श्री रमेश चन्द्र शाह ने कहा -भारत भारती वह पहली कविता थी मेरे लड़कपन के दिनों की जिसने मुझे न केवल कवित्व नाम की न्यामत या विभूति का सबसे पहला रोमांच महसूस करवाया, बल्कि जो कानों-कान इतने सहज अनायस ढंग से मेरी जिह्नवा और कंठ में आ बसी और दस बीस आवृत्तियों में मुझे कंठस्थ हो गई। आज भारत भारती सम्मान मिलना मात्र संयोग नहीं है संयोग भी नितान्त अकारण नहीं घटते-उनके पीछे भी तर्कातीत कुछ तो बात होती होगी। ‘साहित्य‘ नाम की मानवीय गतिविधि मानव सभ्यता के आरंभ से ही चली आ रही है। व सर्व-समावेशी-सर्वग्राही है अपने स्वभाव से ही। साहित्य तो मनसा-वाचा-कर्मणा समग्र अस्तित्व की चराचर जगत की चिन्ता से जुड़ा होता है। उसकी भाषा किसी भी हालत में विश्व के अवधारणात्मक वशीकरण की लालसा से प्रेरित नहीं होती। जबकि साइन्स और टेक्नोलाजी का उद्गम और विस्तार अनिवार्यतः जिस सभ्यता से वह जुड़ा हुआ है, उसकी विस्तारवादी-विश्वविजयी आकांक्षा से प्रभावित और प्रेरित होगा ही।
राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन सम्मान से सम्मानित श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के प्रतिनिधि ने संस्था का परिचय देते हुए हिन्दी के प्रति समर्पण के भाव को प्रदर्शित किया।

श्री हृदय नारायण दीक्षित, माननीय अध्यक्ष, विधानसभा, उत्तर प्रदेश ने कहा - ‘किसी विद्वान ने कवियों के भावबोध में यह शरद चंद्र आया होगा जब हमारी हिन्दी की कविता भारत का आचार शास्त्र बनी है। कवि अपने आनन्द के लिए लिखता है लोक उसे अंगीकार करता है। दुनियाँ की सभी भाषाओं में साहित्य सृजन हुआ है लेकिन जो हिन्दी और उसकी सभी बहनों जैसी भाषा में जो प्रकट रूप है वही हमारा धर्म भाग्य भी बना है। कविता हमारा मार्ग दर्शन करती है, हमारे मूल्य-बोध को जगाती है। कविता संस्कृति के पीछे-पीछे चलती है। आज भारत के सामने एक विशेष प्रकार की चुनौती है हमें अपने पर अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए। पुरस्कार दायित्व देते हैं।
आभार व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के निदेशक, श्री शिशिर ने कहा - उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं की श्रीवृद्धि करने में माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश जो संस्थान के अध्यक्ष भी हैं के मार्गदर्शन में निरन्तर सक्रिय रहता है। हिन्दी संस्थान साहित्य साधना में जीवन पर्यन्त संलग्न रहने वाले साहित्यकारों का सम्मान कर गौरवान्वित होता है।
संस्थान द्वारा शरद पूर्णिमा एवं वाल्मिकी जयन्ती के शुभ अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह 2017 में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे परम श्रद्धेय श्री हृदय नारायण दीक्षित, माननीय विधान सभा अध्यक्ष, विख्यात कवि, लेखक एवं विचारक का उत्तर प्रदेश के प्रति हिन्दी संस्थान परिवार विशेष रूप से आभारी हैं। हम पत्रकार बन्धुआें, मीडियाकर्मियों के प्रति भी आभार व्यक्त करना चाहते हैं जो निरन्तर हमारी उपलब्धियों को महत्व देते हुए उसे प्रकाशित और प्रसारित करते हैं।
समारोह के अन्त में श्रीमती पूनम श्रीवास्तव द्वारा वन्दे मातरम् का गायन किया गया।
समारोह का संचालन डॉ0 अमिता दुबे, सम्पादक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने किया।

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