Posted on 24 December 2020 by admin
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग की करोड़ों की कोबाल्ट मशीन के गायब होने की खबर प्रकाशन के बाद मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया था और अब बुंदेलखंड में मामला गर्मआता जा रहा है बुंदेलखंड के सक्रिय संगठन बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा जिलाधिकारी को दिया ज्ञापन
बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के प्रतिनिधि मंडल ने मोर्चा अध्यक्ष भानू सहाय, महासचिव अशोक सक्सेना, प्रवक्ता रघुराज शर्मा एवं समाज सेवी राजेन्द्र शर्मा ने कैंसर विभाग मेडिकल कॉलेज जाकर विभाग से हटा दी गई कोबाल्ट मशीन के बारे में जानकारी लेकर जिला अधिकारी को पत्र सौप कर मांग की जिस ने बताया कि बुन्देलखण्ड में 2005 से कैंसर के मरीजों का इलाज कोबाल्ट मशीन के द्वारा किया जाता था।
अक्टूवर 2020 में कैंसर विभाग में सिकाई के लिये लगी हुई कोवाल्ट मशीन से बडी संख्या में लोग लाभान्वित हो रहे थे। वर्ष 2016 तक कोबाल्ट मशीन को चलाये जानें के लिये पत्र कैंसर विभाग मेडिकल काॅलेज झाॅसी से पत्र लिखा गया ।
कभी फिजिसियस्ट, टैक्निशियन एवं कर्मचारियों की कमी दिखाकर मशीन को सुचारू रूप से नही चलाया जा रहा था।
प्राप्त जानकारी के अुनसार कोबाल्ट मशीन में मात्र एक पुर्जा जिसको सोर्स कहा जाता हैं वह समयावधि पूर्ण कर चुका था, जिसके अभाव में सिकाई का कार्य नही किया जा रहा था। सोर्स की जगह पूरी मशीन को उठवा दिये जाने की उच्च स्तरीय जाॅच यथाशीघ्र कराई जायें।
बनाई जाने वाली जाॅच कमेटी में मेडिकल काॅलेज के कैंसर विभाग के कम से कम दो डाॅक्टर, टैक्नीषियन, फिजिशियस्ट एवं एक मजिस्ट्रेट को रखा जायें एंव जाॅच समयबद्व कराई जायें।
बुन्देलखण्ड निर्माण मोर्चा के प्रतिनिधि मण्डल जिसमें मोर्चा अध्यक्ष भानू सहाय, महासचिव एडवोकेट अशोक सक्सेना, प्रवक्ता रघुराज शर्मा, एवं समाजसेवी राजेन्द्र शर्मा एड0 ने स्वयं जाकर कैंसर विभाग में उक्त स्थान को देखा जहाॅ से मशीन हटाई गई है। वहां उपस्तिथ लोगो से मशीन के बारे में जानकारी ली तो ज्ञात हुआ कि उक्त मशीन सीटीस्केन मशीन से भी बडे आकार की थी, जिसे क्रेन की मदद से उठाया जा सकता था एवं बडे कन्टेनर में रखकर उसको भेजा जा सकता था। साथ ही जो सोर्स इसमें लगा होता हैं उसको लैड (सीसा) से कवर कर सुरक्षित भेजे जाने की व्यवस्था होती है। ऐसे में शीर्ष अधिकारियों की जानकारी के बिना उक्त मशीन कैसे हटाई जा सकती हैं। समयबद्व उच्च स्तरीय जाॅच नही कराये जाने पर बुन्देलखण्ड निर्माण मोर्चा आमरण अनशन करने को बाध्य होगा।
Posted on 22 December 2020 by admin
कोबाल्ट मशीन जहां पहले लगी थी खाली हुआ हॉल
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग की करोड़ों की कोबाल्ट मशीन के गायब होने की खबर का मामला शासन के संज्ञान में आने ने मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया ,
मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2005 में कोबाल्ट मशीन को करोडो की लागत से खरीदा गया था ,कोबाल्ट मशीन से प्रतिदिन 40-50 मरीजों की सिंकाई होती हैं। जिससे इलाके के मरीजों को दूसरे शहर नहीं जाना पड़ता था मगर मेडिकल प्रशासन और रेडियोथैरेपी विभाग के एक डॉक्टर की मिलीभगत ने विभाग पूरी कोबाल्ट मशीन को एक कम्पनी की मदद से गायब करवा दिया, इतना ही नहीं उल्टा उस कम्पनी को मशीन को हटाने के लाखो रूपये भी दिए, जबकि नियमानुसार इसके किये शासन से अनुमति जरुरी है और निर्धारित कमेटी दुवारा टेण्डर प्रक्रिया को भी अपनाया जाना चाईये था जिससे विभाग को उससे राजस्व लाभ हो सके मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ , यदि उस मशीन को कबाड़ में भी बेचा जाता तो ही लाखो का राजस्व मिल जाता , मगर विभाग का भला ना चाहने वालो को तो मशीन विभाग से हटाकर कंही प्राइवेट हॉस्पिटल को लाभ पहुंचने की मंशा थी।
अब कैंसर विभाग में लाखों रुपए की महीना तनख्वाह पाने वाले डॉक्टर हाथ पर हाथ धरे बैठे , जिनमें उन्हें विशेषज्ञता हासिल है।
गौरतलब है कि इस काम में सहायक झाँसी मेडिकल कॉलेज के इसी विभाग के एक डॉक्टर वो भी शामिल है जिन पर मुख्यमंत्री रहत कोष से फर्जी बिलो के भुकतान के आरोप लग चुका है और आयुष्मान योजना में भी गड़बड़ी की अंदरूनी जांच चल रही है,
राजधानी से विशेष सचिव की तरफ से मेडिकल कॉलेज प्राचार्य को भेजे गए पत्र में बताया गया था कि युनिट के आक्रियाशीलता की जांच के लिए समिति का गठन किया गया है। इसकी समिति कॉलेज में आकर जांच करेगी।
18 दिसम्बर को इस खबर के प्रमुखता से प्रकाशित होने से लखनऊ तक हलचल शुरु हो गई और शुक्रवार को आने वाली जांच समिति का अज्ञात कारणों से मेडिकल कॉलेज आना का दौरा टल गया। अब संभावना जताई जा रही है कि कागजी दुरुस्ती करण के लिए भी कॉलेज को आखरी मौका दिया गया हो वो वही यह भी उम्मीद है कि अब समिति जिम्मेदारों को लखनऊ बुलाकर जवाब तलब कर सकती है। वहीं, इस मामले में कुछ अधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
Posted on 17 December 2020 by admin
झाँसी -कोरोना काल में कहीं अधिक कीमतों पर ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर व अन्य चिकित्सकीय उपकरण कई गुना अधिक कीमत पर खरीद का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक और खबर झाँसी मेडिकल कॉलेज से सामने आ गई
झांसी का महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज बुंदेलखंड का एक एकमात्र मेडिकल कॉलेज है जहां बुंदेलखंड क्षेत्र के कैंसर पीड़ित लोग इलाज कराने आते हैं। अब कैंसर पीड़ित मरीजों के लिए झांसी मेडिकल कॉलेज से बुरी खबर, झांसी मेडिकल कॉलेज से कैंसर की कोशिकाओं को सिकाई के द्वारा नष्ट करने वाली कोबाल्ट मशीन रातों-रात मेडिकल कॉलेज से गायब हो गई ।
वर्ष 2005 -2006 में मेडिकल कॉलेज में कैंसर विभाग बनाया गया जिसमें कैंसर पीड़ित मरीजों का इलाज किया जाता रहा है विभाग में कैंसर की सिकाई के लिए “कोबाल्ट” मशीन लगभग 3 करोड रुपए की लागत की लगाई गई ताकि पीड़ित रोगियों को सिकाई के लिए प्राइवेट अस्पतालों में ना जाना पड़े और उनका अधिक पैसा खर्च ना हो ऐसी सरकार की मंशा थी मगर विभाग के संबंधित लोगों की मिलीभगत सुनियोजित षड्यंत्र के तहत सिकाई मशीन को एक हफ्ते पहले गायब कर दिया गया.
कोबाल्ट मशीन से कैंसर के रोगियों का इलाज होता है आज इस मशीन की कीमत लगभग 3 से 4 करोड रुपए है इस मशीन के माध्यम से सिकाई करने से कैंसर की कोशिकाएं ही नष्ट होती है
यह मशीन मेडिकल कॉलेज के लिए और यहां आने वाले कैंसर रोगियों के लिए बड़ी उपयोगी साबित हो रही थी मगर वर्ष 2018 में मशीन का सोर्स खत्म हो जाने से यह मशीन दुवारा इलाज नहीं हो पा रहा था, मगर मशीन में फिर से सोर्स डलवा कर और मशीन की सर्विस के बाद यही मशीन को महज लगभग 50 से 60 लाख रुपए में चालू किया जा सकता था, मगर योगी सरकार के राजस्व के दुश्मन बड़ी लागत की इस मशीन को अपने व्यक्तिगत हित को देखते हुए कॉलेज के संबंधित लोगों ने एक हफ्ते में ही मशीन को गायब करा दिया जो पूरे मेडिकल कॉलेज में चर्चा का विषय बन गई कॉलेज के मेडिकल प्रशासन और कैंसर विभाग के डॉ अंशुल गोयल ने गुमराहक पत्राचार के जरिए मशीन को अन्य की मदद से विभाग से उठवा दिया जबकि इससे पूर्व मशीन को कंडम साबित करना होता है और इसके लिए शासन की अनुमति भी ली जाती है मगर यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ कंडम की प्रक्रिया को नजरअंदाज कर बिना शासन की अनुमति के बिना ही एक कंपनी के माध्यम से मशीन को गायब करा दिया गया अब 18 दिसंबर को लखनऊ से स्वास्थ्य विभाग की एक टीम झांसी आकर विभाग की जांच करने वाली है जिसमें यह मुद्दा मेडिकल कॉलेज के लिए गले की हड्डी बन सकता है।
जहां एक ओर सरकार खर्चों में कमी करने की बात कर रही है तो वही झांसी मेडिकल कॉलेज करोड़ों रुपए की लागत की मशीन को ठीक कराने के बजाय गायब करा कर सरकार करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचाने की फिराक में है।