Archive | कुम्भ मेला-2013

डा0रसिक किशोर सिंह ‘‘नीरज’’ को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

Posted on 18 March 2013 by admin

edited-dr-neerajपूरे कुम्भ मेले में  विभागीय कार्यों का निष्ठा एवं जिम्मेदारी पूर्वक कार्य करने पर आयुक्त देवेश चतुर्वेदी एवं मेला प्रभारी मणिप्रसाद मिश्र ने डा0रसिक किशोर सिंह ‘‘नीरज’’ को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण निगम कलेक्टेªट बांदा में तैनात डा0रसिक की ड्यूटी यहां महाकुंम्भ मेले में सूचना विभाग में लगाई गई थी। वह 2 जनवरी से 16 मार्च तक मेले में डटे रहे। डा0रसिक किशोर सिंह पूरे 74 दिन कुम्भ मेले में तैनात रहे तथा पूरे लगन व जिम्मेदारी से विभागीय कार्यो का निर्वहन किया; इतना ही नहीं विभागीय ड्यूटी के साथ ही साथ वह श्रद्धालुओं की मदद करने में भी पीछे नहीं रहे।
डा0 रसिक के कार्यों की प्रशंसा करते हुए मंडलायुक्त श्री चतुर्वेदी व मेलाप्रभारी श्री मिश्र ने 16 मार्च को उन्हें प्रशस्ति पत्र से सम्मानित कर मेला ड्यूटी से कार्यमुक्त कर दिया ‘नीरज’ जी पुनः अपने पुराने कार्यस्थल बांदा लौट गए है।
ज्ञातव्य है कि कभी न रूकने कभी न थकने वाले शख्स डा0नीरज की गिनती अच्छे कवियों में भी की जाती है। उनकीं 12 पुस्तकें विभिन्न विधाओं में प्रकाशित हो चुकी है। इनमें नाटक, बालगीत, श्रमिक शोध प्रबंध, श्रमिक महान खंडकाव्य शामिल है। डा0रसिक किशोर सिंह ने दो पुस्तकों का सम्पादन भी किया है। उन्हें देश के लगभग 36 जगहों से सम्मान व पुरस्कार भी प्राप्त हो चुकें है। इसके अलावा वह लगभग 30 वर्षो से आकाशवाणी व दूरदर्शन से भी जुड़े है यहां समय-समय पर उनकी रचनाओं का प्रसारण होता रहता है। लगभग हर क्षेत्र मेंअपनी पहचान बना चुके डा0रसिक जी महाकुंभ मेले की यादें समेटे भले ही बांदा वापस लौट गए हों पर वह कहते हैं कि प्रयाग की धरती व प्रयाग के लोंगो से उन्हें इतना लगाव तथा स्नेह मिला कि वह भुलाया नहीं जा सकता।
कवि हृदय ‘नीरज’ जी पूरे महाकुंभ मेले की महिमा को काव्य के रूप् में प्रकाशित करने को प्रयासरत हैं। इसके लिए वे रचनाएं संकलित कर रहे हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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कुंभ मेले में खर्च रुपये को आयुक्त ने 25 विभागों से मांगा विवरण

Posted on 08 March 2013 by admin

7 मार्च      कुंभ मेला का आयोजन के लिए शासन द्वारा 25 विभागों को कुल 3623592010 रुपये धनराशि अवमुक्त की गयी थी। मण्डलायुक्त देवेश चतुर्वेदी ने गत दिवस संबंधित विभागों के अधिकारियों की बैठक लेते हुए निर्देश दिये कि जिन विभागों द्वारा आवंटित धनराशि के सापेक्ष धनराशि व्यय की गयी है उनकी अद्यावधिक स्थिति एवं भौतिक सत्यापन का पूर्ण विवरण बनाकर तत्काल दें। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला में विभिन्न मदों में खर्च किये गये धनराशि एवं कार्याें का विवरण प्रमाण सहित प्रस्तुत करें।
बैठक में आयुक्त ने पाया कि लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़कों, पटरियों, चकर्ड प्लेटों आदि के लिए रु0 60.53 करोड़, सिंचाई विभाग को 7.23 करोड़, उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड को 14.26 करोड़, राज्य सड़क परिवहन निगम को 12.29 करोड़, दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ (पराग) को 4.50 करोड़, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग को 11.25 करोड़, आवास विकास परिषद को 14 लाख, पर्यटन सी0एन0डी0एस0 यूनिट-10 (उत्तर प्रदेश जल निगम) को 11.34 करोड़, वन विभाग को 1.57 करोड़, उद्यान विभाग को 58.26 लाख, आयुर्वेदिक विभाग को 33.38 लाख, स्वास्थ्य विभाग को 48.70 करोड़, होम्योपैथिक विभाग को 50 लाख, उ0प्र0 जल निगम को 55.30 करोड़, गंगा प्रदूषण विभाग को 6.34 करोड़, नगर पंचायत झूंसी को 3.92 करोड़, इलाहाबाद प्राधिकरण को 3.94 करोड़, नगर निगम को 90.90 करोड़, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को 32 लाख, मण्डलायुक्त कार्यालय 9.96 लाख, पर्यटन विभाग को 2.69 करोड़, पुलिस विभाग को 10.23 करोड़, मेडिकल कालेज को 4.75 करोड़, कुंभ मेला प्रषासन को 9.90 करोड़, संस्कृति विभाग को 70 लाख रुपये अवमुक्त हुए हैं। बैठक में आयुक्त ने पाया कि अभी कुछ विभागों की धनराशि अवशेष है। उन्होंने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिये कि वे अवमुक्त धनराशि के सापेक्ष व्यय/समर्पण धनराशि व कार्य आदि के संबंध में तत्काल रिपोर्ट दें। बैठक में मेलाधिकारी मणि प्रसाद मिश्र सहित सभी विभागों के अधिकारी आदि उपस्थित रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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sa@upnewslive.com

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भक्ति और आस्था के साथ-साथ साधु-संतों द्वारा किये गये सामाजोत्थान के कार्याें में अनोखा रहा महाकुम्भ

Posted on 03 March 2013 by admin

महाकुंभ मेले में कई मायने में खास और अनोखा रहा। अनोखा इसलिए कि इस कुंभ में सिर्फ स्नान ध्यान, मोक्ष, भक्ति की ही बात नहीं हो रही थी बल्कि महाकुंभ में आए संत धर्म की अलख तो जगा ही रहे थे, साथ ही कर्म, गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने एवं सामाजिक विकास और समाज सुधार  की बात भी कर रहे थे। गंगा से लेकर ‘बेटी बचाओ‘ तक के आंदोलनों के जरिए यहां आए संत अपने संदेश मुखरता से प्रचाारित कर रहे थे। सूचना विभाग अपनी प्रदर्षनियों और दूसरे डिस्पले माध्यमों के जरिए, जो बात आम जनता तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा था, वही बात साधु-संत करते नजर आए।
जाहिर है ये कुंभ सिर्फ आस्था का संगम भर नहीं रहा। ये संदेशों और आंदोलनों का संगम भी बना। देश भर के संतों का इलाहाबाद में संगम हुआ। तो पूरे विष्व के कल्याण की बात की जाने लगी। कई संतों ने फैसला किया कि धर्म की बात बहुत हो गई अब कर्म की बात भी करनी चाहिए। जिस समाज ने उन्हें संत बनाया उस समाज के लिए भी कुछ करना चाहिए। क्योंकि इतिहास गवाह रहा है कि स्वामी विवेकानंद और दयानंद सरस्वती जैसे संतों ने समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया था।
गंगा की निर्मलता और अविरलता को लेकर कुंभ में हमेशा चिंता व्यक्त की जाती रही है। संत समाज वर्षो से गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए आंदोलन करता रहा है। लेकिन संभवतः पहली बार उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर चल रहे महाकुंभ में पर्यावरण और बेटी बचाओ, महिला सशक्तिकरण तथा प्रदूषणमुक्त भारत सहित गरीब की पुत्रियो के विवाह कराने के लिए संतों की ओर से अभियान चलाया गया।  कोई संत विकलांगों के विकास की बात कर रहा था तो कोई गो वंष की रक्षा का संदेष दे रहा था।  तो कोई देष के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले षहीदों की याद में अखंड यज्ञ कर रहा था। इस महाकुंभ में  भगवान के नाम के साथ -साथ धर्म और कर्म की बात करने वाले कर्मयोगी संतों का भी बोलबाला रहा।
कुंभ में गंगा को बचाने के लिए कई संतों ने आवाज बुलंद कर रखी थी। प्रषासन के सामने भी गंगा को स्वच्छ बनाए रखने की बड़ी चुनौती थी। कई संस्थाओं ने कुंभ के षुरू होने से पहले ही गंगा की स्वच्छता से जुड़े कई नारे मेला क्षेत्र से लेकर पूरे षहर में लगाए गए थे। प्रशासन और नगर निगम ने स्नान के दौरान साबुन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा रखा था। कोशिश यही थी कि कुंभ के दौरान करोड़ों की संख्या में आए लोग गंगा को लेकर संवदेनशील बने और गंगा इस दौरान कम से कम प्रदूषित हो।  खुद स्थानीय सांसद रेवती रमण सिंह ने गंगा की सफाई को लेकर कार्यक्रम चलाया। उन्होंने ही शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी को मनाया। शंकराचार्य आए तो उन्होंने अपने शिविर में बाकायदा गंगा यमुना सम्मेलन करवाया। जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी आये। वहीं अरैल घाट पर मौजूद परमार्थ निकेतन में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री के आने पर संत समाज की ओर से गंगा को लेकर कानून बनाने के लिए एक प्रस्ताव भी उन्हें सौंपा गया।
गंगा की रक्षा के साथ साथ जिस मुद्दे पर सबसे ज्यादा बल संतो ने दिया वह था पर्यावरण संरक्षण। महाकुंभ में आस्था के साथ सामाजिक सरोकार की भी गंगा बह रही थी, जहां साधु-संत इसे ग्रीन कुंभ का दर्जा दिलाने में जुटे हुए थे। इस आंदोलन का सबसे बड़ा केंद्र रहा अरैल घाट पर स्थित परमार्थ निकेतन। जिसके अगुवा स्वामी चिदानंद मुनि ने पूरे कुंभ के दौरान गंगा और पर्यावरण को लेकर झंडा बुलंद किए रखा। ग्रीन कुम्भ के संकल्प में शामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बी एल जोशी सहित उ0प्र0 के लोक निर्माण ,सिचाई मंत्री शिवपाल यादव भी आए थे। ‘हरित कुम्भ‘ का संकल्प लेने वाले बाबा के विदेशी भक्तों ने पर्यावरण प्रेम को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए अपने आप को एक हरे पेड़ के रूप में सजाया और फिर पूरे मेले क्षेत्र में घूम घूमकर लोगों को हरित कुम्भ के संकल्प को दोहराया
विश्व के सबसे बडे धार्मिक आयोजन महाकुंभ में आस्था के साथ ही देशभक्ति की भावना स्पष्ट रूप से दिख रही थी, क्योंकि यहां शहीदों को सम्मान देने के लिए कई तरह के आयोजन किए जा रहे थे। सबसे खास रहा सेक्टर 9 स्थित बालक योगेष्वर दास की ओर से बनाया गया ‘शहीदों का गाव‘। इस धार्मिक मेले में उन जवानों के लिए भी जगह दी गई थी, जिन्होंने कारगिल युद्ध और मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के दौरान देश की आन-बान और शान के लिए अपनी शहादत दी थी।
वहीं राजस्थान के शनिधाम ट्रस्ट के महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज एक ऐसे मुहिम को चला रहे थे, जो आज की तारीख में सबसे अहम है। बेटी बचाने की मुहिम। हाल के दिनों में जिस तरह महिलाओं के प्रति उत्पीड़न और अत्याचार के मामले सामने आए उसके बाद दाती महाराज ने ये फैसला किया। दाती महाराज ने ‘बेटी बचाओ‘ अभियान से संत समाज और अपने भक्तों को जोड़ने के लिए एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन अपने षिविर में किया था। ऐसे ही कई और मुद्दों के साथ संत समाज ने कुंभ के दौरान न ही उस पर चर्चा की, बल्कि संगोष्ठियां बुलाकर अपने भक्तों को भी जागरूक करते नजर आए।
कुंभ के इस पवित्र अवसर की महत्ता मंे एक अध्याय तब और जुड़ गया जब मेला के सेक्टर नम्बर 6 में बजरंग दास मार्ग गंगा तट पर स्थित भिखारी उर्फ जंगाली बाबा सोनभद्र के षिविर में पूरी तरह निःशुल्क रूप से बिना दहेज के कुल 99 जोड़े कुंभ मेलाधिकारी मणि प्रसाद मिश्रा की उपस्थिति में परिणय-सूत्र में बंधाये गये। इन 99 जोड़ों में एक जोड़ा मुस्लिम परिवार का भी था। इन परिणय-सूत्र में बंधने वाले जोड़ों में अधिकांश गरीब परिवार के थे और अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा पिछड़े वर्ग से संबंधित थे जो छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और झारखण्ड राज्य के थे।
प्रदेश सरकार की भी शुरू से यही कोशिश थी कि कुंभ के दौरान जहां उत्तर प्रदेश की जनता सरकार की योजनाओं के बारे में समझें वहीं बाहर से आए लोगों के बीच प्रदेष के अच्छे शासन अच्छी व्यवस्था का संदेश जाए। कुम्भ में देश विदेश से आये विभिन्न बुद्धिजीवियो, मन्त्रीगणों मनीषियो ने भी कुंभ मेले की व्यवस्था देख प्रसंसा करके ही गये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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सांस्कृतिक पण्डाल में 10 मार्च तक आयोजित हो कार्यक्रम

Posted on 03 March 2013 by admin

कुम्भ मेले में  भारतीय शास्त्रीय नृत्य कला पर आधारित शिव आराधना, शिवाष्टकम, नटनम आदिनार, पंचतत्व तथा रिदम इंज्वाय विषयों पर स्वर्ण हंस नृत्य कला मंदिर लखनऊ के कलाकारों द्वारा सूचना विभाग के सांस्कृतिक पण्डाल में कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए शिवजी के विभिन्न नृत्यों का भावपूर्ण मंचन कर दर्षकों को षिव जी के विभिन्न रूपों के विषय में जानकारी दी।
उक्त पण्डाल में कलाकारों द्वारा सर्वप्रथम शिव आराधना की प्रस्तुति कर षिव जी की सुन्दरता एवं उनके विभिन्न रूपों का नृत्य नाटिका के माध्यम से वर्णन किया गया। कलाकारों ने प्रस्तुति के माध्यम से यह भी दर्शया कि जो मानव शिवाष्टकम का पाठ बड़े मनोयोग से करता है उसे धन समृद्धि प्राप्त होती है। कलाकारों ने नटनम आदिनार की प्रस्तुति के माध्यम से शिव के आनन्द ताण्डव नृत्य को दर्शया। पंचतत्व की प्रस्तुति कर भगवान शिव के पांच तत्वों जिन्हे वह धारण किये हुए है प्रत्येक तत्व के विषय में नृत्य नाटिका के माध्यम से दिखाया गया। कार्यक्रम की अन्तिम प्रस्तुति देते हुए कलाकारों ने रिदम इंज्वाय के माध्यम से भगवान शंकर द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले पारम्परिक नृत्य को प्रदर्शित करते हुए दर्शकों को भाव विभोर कर दिया।
उक्त कार्यक्रम में भाग लेने वाले कलाकारों ने कलाश्री सम्मान से सम्मिनित कलाकार समसुर्रहमान, लवली घिल्डियाल, रिचा तिवारी, मीतू सिंह, आरती दीक्षित, पल्लवी मिश्रा, सनीता तिवारी और बाल कलाकार के रूप में प्रांजल अग्रवाल ने भाग लिया।
सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के सांस्कृतिक पण्डाल में कार्यक्रमों की श्रंखला में दिनांक 3 मार्च को उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक विभाग के सास्कृतिक दलों द्वारा दो कार्यक्रमों का आयोजन सायं 06ः00 बजे से किया जायेगा तथा 08 मार्च 2013 को सायं 06ः00 बजे से मुंशी प्रेमचन्द का प्रसिद्ध उपन्यास ‘‘कफ़न’’ पर नाटक का मंचन किया जायेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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भारत सेवा दल कम्प्यूटराइज्ड खोया-पाया केन्द्र ने लगभग एक लाख लोगों को मिलवाया

Posted on 02 March 2013 by admin

1 मार्च

कुंभ मेला क्षेत्र में स्थापित खोया-पाया केन्द्रों का भूले-भटके श्रद्धालुओं को मिलवाने में अहम योगदान रहा। मेला क्षेत्र में सेक्टर नम्बर 4 त्रिवेणी मार्ग स्थित भारत सेवा दल, खोया-पाया केन्द्र द्वारा 28 फरवरी तक लगभग 1 लाख 65 हज़ार लोगों को मिलवाया जा चुका है, जो संगम में स्नान करने आये थे और अपने परिजनों से बिछड़ गये। इसमें 179 बच्चे भी शामिल है। भारत सेवा दल के संस्थापक राजाराम पाण्डेय ने बताया कि मेला प्रशासन के सहयोग और गंगा मां की कृपा से मेरे संस्थान द्वारा सन् 1946 से माघी मेला, अर्द्धकुंभ और महाकंुंभ में भूले-भटके श्रद्धालुओं को उनके परिजनों से मिलवाने का काम किया जा रहा है। जिसमें 56 माघ मेला, 07 अर्द्धकुंभ और इस महाकंुभ को लेकर 06 महाकुंभ शामिल है। तब से लेकर अब तक लगभग 12 लाख भूले-भटके लोगों को मिलवाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि इस बार के महाकंुभ में श्रद्धालुुओं की भीड़ ज्यादा होने की वजह से भारी संख्या में लोग अपने परिजनों से बिछड़ गये। बिछड़े हुए लोगों में लगभग 1 लाख 65 हज़ार लोग भारत सेवा दल खोया-पाया केन्द्र आएं। जिनको एनाउंसमेन्ट के जरिये मिलवाने का काम किया गया। इसमें कुछ लोग ऐसे भी थे जो 10 से 15 दिन बाद अपने परिजानों से मिल पाये। आमावस्या के बाद में 70 लागों को टेªन के जरिये उनके गंतव्य तक भेजा गया। अभी भी 30 से 40 लोग जो अपने परिजनों से नहीं मिल पाये हैं उनको मिलवाने के लिए प्रयास किया जा रहा है।
कुंभ मेला क्षेत्र में भूले-भटके लोगों को मिलवाने के लिए पुलिस विभाग द्वारा भी लगभग 20 हजार बिछड़ों को अपनों से मिलवाया गया, वहीं 06 कम्प्यूटराइज खोया-पाया केन्द्र स्थापित किये गये गये है। कम्प्यूटराइज खोया-पाया केन्द्र के संचालक, डाटानेट टेक्नाॅलाजी के निदेषक श्री धनन्जय सिंह ने बताया कि अब तक कम्प्यूटराइज खोया-पाया केन्द्र के जरिये 28 फरवरी तक लगभग 31 हज़ार भूले-भटके लोगों को मिलवाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि कम्प्यूटराइज खोया-पाया केन्द्र पर इंटरनेट के जरिये भूले-भटके लोगों की तस्वीर और नाम, पता, सम्पर्क सूत्र आदि कम्प्यूटर में लोड कर दिया जाता है, जो मेला क्षेत्र में लगी एलसीडी स्क्रिन पर दिखाई देता है। इससे उसकी पहचान करके लोग आसानी से मिल जाते है। मेले में सिविल डिफेन्स द्वारा तथा स्व0 श्रीमती बहुगुणा सेवा स्मृति द्वारा भी हजारों भूले-भटके महिलाओं, बच्चों को उनके परिवारों से मिलवाया गया।
इन दोनों केन्द्रों द्वारा अभी भूले भटके लोगों को मिलाने का काम निरन्तर चल रहा है जो आगामी 10 मार्च तक चलता रहेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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महाकंुभ का संगम भारतीय संस्कृति का संगम रहा।

Posted on 02 March 2013 by admin

1 मार्च

कुंभ मेला केवल भक्ति, आस्था, अध्यात्म और दर्शन का ही संगम नहीं रहा बल्कि यह कई अन्य विधाओं खान पान, वेशभूशा, रहन-सहन आदि सहित भारतीय संस्कृति और सभ्यता का संगम रहा। इन तीनों नदियों के समागम स्थल पर वास्तव में जो संगम देखने को मिला है उससे भारतीय संस्कृति की छवि प्रदर्षित हुई है। इस समागम स्थल की रेती पर देश-विदेश से आये लोगों का रहन-सहन, खान-पान, वेशभूशा, संस्कृति, कलाकृति आदि का जो मिलन होता है उससे सही मायने में नदियों के समागम स्थल पर संगम को सम्पूर्ण भारत का संगम कहा जा सकता है।
इस संगम नगरी में विभिन्न भाषाओं का संगम रहा। कंुभ में लगे विभिन्न तम्बुओं में विभिन्न प्रांतों के लोग एक साथ रहते थे, एक साथ स्नान करते थे और खान-पान, रहन-सहन भी साथ-साथ रहा। देश के कोने-कोने से आये विभिन्न धर्माचार्यो, संतों के अखाड़ों, धर्म स्थलों में भी लोगों का संगम देखने को मिला।
मेले में छोटे कारोबार की शक्ल लिए कलाकृतियों का संगम भी कुंभ मेला-2013 में एक से बढ़कर एक अद्भूत छटा देखने को मिलती रही। प्रदेश के इस प्रमुख शहर इलाहाबाद में देश के विभिन्न प्रांतों से आये व्यापारी अपने प्रांतो के मशहूर चीजें को बिक्रय व प्रदर्शन हेतु लाये थे, राजस्थान और असम में लकड़ी से बनी कलाकृतियों में ऊँट, हाथी, ताजमहल, कई तरह के घर, दिलकश जूतियाँ, नागरे, कई रंग के सिंदूर, और अन्य तरह की मनमोहक वस्तुए अपनी रंग बिखेर रहें है, वहीं दूसरी तरफ पूर्वाेत्तर भारत की परम्परागत विभिन्न वस्तुओं की झलक का संगम देखने को मिला। इसके साथ ही साथ मेले में खूबसुरत कश्मीरी शाॅल, चादरें, कारपेट, पाशमीना शाॅल, रजाई और भी कई वस्तुएं कशमीर घाटी की कलाओं का प्रसार भी कर रही है। वहीं नागालैण्ड की मूंगा सिल्क साड़ी व कपड़े मेले में अपनी पहचान बनाये रखा।
खान पान के संगम में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी संस्कृति के लिए मशहूर भारतीय खान-पान का भी संगम इस महाकंुभ में देखने को मिल रहा है। चूंकि इस कुंभ मेले में विदेश व देश के विभिन्न प्रांतों से भक्त, श्रद्धालु और सैलानी आये। जिनका खान-पान विभिन्न प्रकार का होता है जैसे महाराष्ट्र के लोगों को पाव-भाजी तथा महाराष्ट्रीयन खान-पान, भेलपूरी, दक्षिण भारत के से आये लोगों को उत्पम, ढोसा, इटली, साम्भर और अन्य दक्षिण भारतीय व्यंजन खाते हुए देखे जा सकते हंै। गुजरात से आये लोग ढोकला, पोहा, श्री खण्ड, दाल ढोकला व दाल पराठा आदि खाते हूए देखे गये। इसे पूूर्वोत्तर के प्रांतों से आये लोग भी खाते थे। साथ ही साथ पूर्वांचल की दाल बाटी, लिट्टी चोखा आदि भी देष विदेष से आये पर्यटक, श्रद्धालु/स्नानार्थी चाव से खा रहे थे। यह संगम नगरी भारतीय व्यंजनों की संगम नगरी रही है।
वेशभूषा का संगम प्रयाग राज इलाहाबाद मंे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले में वेषभूषा का जो संगम देखने को मिल रहा था वो भी अपने आप में अद्भूत संगम था। यहां देश  विदेश  के विभिन्न प्रांतों से आये लोग अपने पारम्परिक वेषभूषा में आये थे और यहां पर आकर अन्य प्रांतों की वेशभूषा को भी अपना कर उन प्रांतों के लोगों के साथ घुल मिलकर उन प्रांतों की संस्कृति खान पान, वेशभूशा, रहन-सहन आदि की विषेषता को भी जाना। इस कुंभ में कई गृहस्थों द्वारा आपसी वैवाहिक रिष्ते भी बनाये गये हैं। महाकंुभ का यह संगम भारतीय संस्कृति, रहन-सहन, वेषभूषा की एक नमूना सभी के सामने पेष किया। जो कि पूरे विष्व में अन्य किसी जगह पर देखने को नहीं मिलता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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संजय गांधी पी0जी0आई0 लखनऊ की टेलीमेडिसिन परियोजना की टीम प्रस्थान कर गयी

Posted on 01 March 2013 by admin

इलाहाबाद 28 फरवरी
कुंभ मेला क्षेत्र के लिए संजय गाँधी पी0जी0आई0 लखनऊ से आयी टेलीमेडिसिन परियोजना की टीम बृहस्पतिवार को अभियान का प्रथम चरण पूरा कर लखनऊ के लिए प्रस्थान कर गयी। गत 2 फरवरी से मेला क्षेत्र मेें अवस्थान कर रही इस टीम के माध्यम से 600 रोगियों को सेवाएँ प्रदान की गयी।
एस0पी0जी0आई0 ने ग्रामीण और सुदूरवर्ती क्षेत्रों के गम्भीर रोगों से पीडि़़त मरीजों को सूचना एवं प्रौद्योगिकी सेवाओं के माध्यम से चिकित्सा विशेषज्ञों की परामर्श सेवाएँ उपलब्ध कराने के उद्देष्य से यह परियोजना शुरू की है। इसके अन्तर्गत आधुनिक संचार सुविधाओें से युक्त एक सचल यान विकसित किया गया है इस यान में देश के विभिन्न अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सा विशेषज्ञों से सम्पर्क की सुविधा उपलब्ध है। इस मोबाइल वैन के जरिये रोगी इन विशेषज्ञों से सम्पर्क कर सकता है। डाक्टर को मरीज की जाँच रिर्पोट दिखाई जा सकती है। उनसे रोगी अपनी समस्याएँ बता सकता है तथा परामर्श प्राप्त कर सकता है। कुम्भ मेले में यहाँ आने वाली भीड़ को देखते हुए 2 फरवरी को यह टीम यहाँ पहुँची। इसे मेला क्षेत्र के विभिन्न सेक्टरों में घुमाया गया। बडी संख्या में श्रद्धालुओं, जिज्ञासुओं और साधू-सन्तों ने इस तकनीक को देखा व जानकारी प्राप्त की। परियोजना के प्रबन्धक रिपु दमन चन्द तथा उनके सहयोगी अरूण कुमार, अशोक कष्यप, अमित मोहन, दबीर वार्षी, इन्द्र प्रताप सिंह, संदीप सिंह, कालिका, दीनानाथ, व प्रशान्त चतुर्वेदी ने क्षेत्रों में जाकर लोगों को टेलीमेेडिसिन परियोजना की जानकारी दी।
अभियान के समापन के अवसर पर परियोजना के प्रबन्धक रिपु दमन चन्द ने बताया कि कुम्भ मेले में 600 से अधिक मरीजों को इनके चिकित्सकों के तकनीकि के माध्यम से साक्षात्कार के अवसर सुलभ कराये गये। इन मरीजों को चिकित्सकों ने इनकी जाँच रिर्पाेट देखकर बहुमूल्य परामर्ष प्राप्त किया। इन रोगियों में विशेष रूप से कैंसर, मधुमेह, रक्तचाँप, हृदय रोग तथा अन्य गम्भीर रोगों से सम्बंधित मरीज रहे।
श्री चन्द ने बताया कि स्वास्थ्य सम्बंधी जानकारी के प्रचार-प्रसार तथा सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रह रहे रोगियों को अच्छी परामर्श सेवाएँ उपलब्ध कराने के उद्देष्य से एस0पी0जी0आई0 ने वर्ष1999 से टेलीमेडिसिन परयोजना शुरू की गयी है इस परियोजना का वास्तविक लक्ष्य सुदूरवर्ती क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाओं की पहुँच सुनिष्चित कराना है। इस परियोजना में महाविपत्ति के समय में अकास्मिक चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में व्यवस्था करायाी जाती है।
उन्होंने बताया कि इस परियोजना में चिकित्सा विशेषज्ञों के माध्यम से चिकित्सा  केन्द्रों में प्रशिक्षण की सेवाएँ भी उपलब्ध करायी जाती है। श्री चन्द्र ने बताया कि इस परियोजना में एक सचल वाहन विकसित किया गया है इसमें दूरसंचार के अत्याधुनिक उपकरण लगे हुए है। इन उपकरणों के जरिये देश के किसी कोने में कार्यरत विशेषज्ञों से सम्पर्क किया जा सकता है। मरीज अपनी परेशानी विशेषज्ञ को बता सकता है तथा उसकी सलाह प्राप्त कर सकता है।
श्री चन्द ने यह भी बताया कि यहा समापन के बाद यह वाहन रायबरेली होते हुए लखनऊ पहुँचेगा। निकट भविष्य में यह अभियान प्रदेश के अन्य जनपदों में संचालित किया जायेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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विभिन्न अस्पतालों में 5 लाख से अधिक लोगों का हुआ इलाज।

Posted on 01 March 2013 by admin

इलाहाबाद 28 फरवरी

कुंभ मेला क्षेत्र में शिविरों के खाली होने के साथ-साथ मेला क्षेत्र की सफाई और जन शौचालयों को बन्द करने का अभियान तेजी से आरम्भ हो चुका है। मेला क्षेत्र में मक्खी मच्छर निरोधी कीट नशाकों का छिड़काव निरन्तर किया जा रहा है।
प्रभारी चिकित्सा सेवा (कुंभ मेला) डा0 सुरेश द्विवेदी ने बताया कि जैसे-जैसे शिविर खाली हो रहे है तदोपरान्त पुनः सफाई व्यवस्था और शौचालयों को बन्द करने का काम सुनिष्चित कर दिया जा रहा है। इसके लिए 7000 सफाई कर्मी लगाये गये है। उन्होंने बताया कि शौचालयों को बन्द करने की प्रक्रिया में सर्व प्रथम सीटों को निकाल कर शौचालय गड्ढों को ब्लीचिंग, चूना, मैलाथीन जैसे कीट नाशकों से विधिवत विसंक्रमित करने के उपरान्त मिट्टी से भरकर उसकी रैपिंग करके बन्द किया जा रहा है और उसके उपर पुनः कीट नाशकों का छिड़काव किया जा रहा है। इस विधा से गड्ढे में एनोरोबिक कंडीसन उत्पन्न होती है और एकत्रित मल पदार्थ डि-कम्पोज होकर खाद में परिवर्तित हो जाता है। इस तरह ऐसे गड्ढ़ांे से मक्खियों की ब्रिडिंग की समस्या समाप्त हो जाती है। इसी प्रक्रिया से मूत्रालय गड्ढ़ों को भी बन्द कराया जा रहा है। ज्ञात हो कि मेला क्षेत्र में तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए 10-10 सीट वाले 337 जन शौचालयों के साथ-साथ 35000 ग्लैस्ड सीट के शौचालय बनाये गये थे।
डा0 द्विवेदी ने बताया कि मेला क्षेत्र में एकत्रित और शिविरों के समापन के उपरान्त अवशिष्ट पदार्थाें/कूड़ों का तेजी से निस्तारण किया जा रहा है इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जेसीबी मशीनें एवं ट्रक लगाये गये है, जो कूड़े का निस्तारण मेला क्षेत्र से बाहर नगर निगम द्वारा निर्धारित स्थलों पर कर रहे है। मेला क्षेत्र में जिन स्थलों पर पानी/जल भराव की अवस्था है ऐसे स्थलों पर लार्वा निरोधी छिड़काव सघनता से किया जा रहा है। कीटनाशक छिड़काव के संचालन हेतु 07 अनुभवी सहायक मलेरिया अधिकारी एवं 18 मलेरिया निरीक्षक के निर्देशन में 380 कर्मियों के दल कार्य कर रहें है। इन दलों द्वारा लगातार वायु मंडल में उड़ने वाले कीट-पतंगों को नष्ट करने हेतु नियमित फागिंग करायी जा रही है। मेला क्षेत्र में मक्खी, मच्छर विराधी कार्यवाही हेतु 03 लीकोफाग मषीन, 10 पल्स फाग मशीन, 05 फन्टान मषीन, 04 मिस्ट ब्लोवर के साथ-साथ ट्रप पम्प, नैपसेक पम्प, फ्लीट गन जैसे छिड़काव यत्रों का प्रयोग किया जा रहा है।
डा0 द्विवेदी ने बताया कि विशेषज्ञ सेवाओं सहित 100 शैय्या युक्त एक केन्द्रीय चिकित्सालय तथा 14 क्षेत्रीय चिकित्सालय तथा 20 प्राथमिक उपचार केन्द्र कार्य कर रहे हंै। अब तक सेक्टरों तथा केन्द्रीय चिकित्सालयों द्वारा 3,91,532 रोगियों को वाहय रोगी विभाग द्वारा उपचारित किया गया तथा 4,202 रोगियों को भर्ती करके उपचारित किया गया। इसी प्रकार 1,10,257 रोगियों को प्राथमिक उपचार केन्द्रोें पर उपचारित किया गया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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सांस्कृतिक पण्डाल में विविध लोककलाओं का देखने को मिला संगम।

Posted on 01 March 2013 by admin

इलाहाबाद 28 फरवरी

कुम्भ मेले में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग उ0प्र0 के सांस्कृतिक पण्डाल में अब तक 56 सांस्कृतिक दलों द्वारा विभिन्न विधाओं के 528 कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए महाकुम्भ में आये लाखों श्रद्धालुओं के मनोरंजन के साथ-साथ शासन की विभिन्न योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया गया।
निदेशक सूचना के निर्देशन में सेक्टर-1 त्रिवेणी रोड पर स्थित सांस्कृतिक पण्डाल बड़े़ ही सुव्यवस्थित ढंग से बनाया गया है। मंच सज्जा के साथ-साथ दर्षक दीर्घा भी काफी बड़ी बनाई गयी थी जिसमें हजारों दर्षक बैठकर कार्यक्रम देख सकते हैं। उक्त सांस्कृतिक दलों में 5 भजन दल, 7 लघु सांस्कृतिक दल, 5 कठपुतली दल, 7 नाटक दल, 8 वृहद सांस्कृतिक दल, 8 लोकगीत दल, 4 आल्हा दल, 7 जादू के दल, 4 नौटंकी एवं 1 बिरहा दल द्वारा विभिन्न मनोरंजन एवं आकर्षक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। उक्त प्रत्येक दलों द्वारा भिन्न-भिन तिथियों में 8 से 10 कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। दलों की विशेषता रही कि वे क्षेत्रीय भाषाओं, बृज, भोजपुरी, अवधी, बुन्देलखण्डी आदि में अपनी प्रस्तुती देकर दर्षकों की प्रषंसा पायी गयी। लोक संस्कृति पर आधारित कार्यक्रमों से जहां क्षेत्रीय लोकगीत, लोकसंगीत और लोकविधाओं के लोक नृत्यों की सांस्कृतिक विरासत को सरक्षण मिलता है। वहीं लोक भाषा में प्रस्तुत कार्यक्रम आम जनता को सीधे समझ में भी आ जाता है। शासन की विभिन्न संचालित योजनाओं की जानकारी सीधे जनता को उन्हीं की लोक भाषा में प्रस्तुत करते हुए सांस्कृतिक दलों द्वारा वृहद प्रचार-प्रसार किया गया।
प्रभारी सांस्कृतिक पण्डाल ने बताया कि प्रति दिन 5 से 12 हजार के बीच दर्षकों द्वारा उक्त पण्डाल में प्रस्तुत कार्यक्रमों को देखते हुए मनोरंजन के साथ-साथ विभिन्न योजनाओं की जानकारी प्राप्त की गयी। अब तक लाखों लोगों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अवलोकन किया। उन्होंने बताया कि 27 फरवरी से 10 मार्च तक 12 दलोें द्वारा और कार्यक्रम प्रति दिन प्रस्तुत किये जायेंगे। जिसमे भजन, कव्वाली, कठपुतली, जादू, आल्हा एवं लोकगीत व नाटक प्रमुख रूप से सांस्कृतिक दलों द्वारा प्रस्तुत  किये जायेंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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कुम्भ मेले में राष्ट्रीय खादी एवं ग्रामोद्योग प्रदर्शनी का समापन

Posted on 01 March 2013 by admin

इलाहाबाद 28 फरवरी

महाकुम्भ में राट्रीय खादी एवं ग्रामोद्योग प्रदर्शनी में पिछले डेढ महीने में लगभग 6 करोड़ रूपये से ज्यादा की बिक्री हुयी, जो अपने आप में बड़ी बात है। इसका मतलब है कि लोगों का खादी के प्रति लगाव बढ़ रहा है। इसकी एक वजह यह भी है कि खादी ग्रामोद्योग गुणवत्ता से समझौता नहीं करता हैं।
उक्त बातें क्षेत्रीय कार्यालय खादी एवं ग्रामोद्योग वाराणसी के निदेशक एस0विजय कुमार ने त्रिवेणी रोड में खादी एवं ग्रामोद्योग प्रदर्शनी के समापन कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने बताया कि खादी एवं ग्रामोद्योग निरन्तर प्रगति की तरफ अग्रसर हैं। खादी एवं ग्रामोद्योग के संयुक्त तत्वाधान में लगायी गयी इस प्रदर्शनी में विभिन्न राज्यों के उधमियों जैसे उड़ीसा,नागालैण्ड,झारखण्ड,आन्ध्र प्रदेश,राजस्थान आदि प्रदेशों के द्वारा लगभग 335 स्टाॅल लगायें गये थे। जिसमें 104 स्टाॅल खादी के थे, बाकी स्टाॅल ग्रामोद्योग द्वारा लगाये गये थें। सभी स्टाॅलों द्वारा गुणवत्तायुक्त खादी के वस्त्र,खाद्य सामाग्रियां आदि का प्रदर्शन ठीक तरीके से किया गया। जिसका नतीजा यह रहा कि पिछले लगभग डेढ  महीने में लक्ष्य से डेढ़ गुना ज्यादा बिक्री हुयी। उन्होनंे बताया कि बिक्री का अनुमानित लक्ष्य लगभग 4 करोड़ रूपये का था, पर विभिन्न स्टाॅलों द्वारा बिक्री कुल मिलाकर 6 करोड़ रूपये से ज्यादा की गयी।जिसमें लगभग 4 करोड़ रूपये की बिक्री खादी वस्त्रों पर हुयी। तथा 2 करोड़ रूपये से ज्यादा के ग्रामोद्योगी उत्पाद बिके।
समापन कार्यक्रम के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले संस्थानों को पुरस्कृत भी किया गया। खादी वस्त्रों की उत्कृष्ट बिक्री में पहला पुरस्कार स्वराज आश्रम राजस्थान,दुसरा श्री गांधी आश्रम भण्डार मैदागिनि वाराणसी और तीसरा पुरस्कार ग्रामोद्योग संस्थान सीतापुर ने प्राप्त किया। ग्रामोद्योग से सम्बन्धित उत्कृष्ट बिक्री की श्रृंखला में पहला पुरस्कार रस राज आयुर्वेदिक फाॅर्मेसी उदयपुर राजस्थान,दुसरा माया इण्ड्रस्ट्रीज प्रतापगढ़ और तीसरा पुरस्कार सुपर लेदर ग्रामोद्योग लखनऊ को दिया गया। उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु राधा स्वयं सहायता समूह वेस्ट आंध्र प्रदेश और नाथु राम सिसोदिया न्यू फैन्सी जूती स्टोर राजस्थान को संात्वना पुरस्कार भी दिया गया।
समापन समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ संयुक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी उ0प्र0 खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड लखनऊ, श्रीमती नीरू श्रीवास्तव ने की। इस मौके पर खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के कई अधिकारी,कर्मचारी सभी संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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