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मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की सहभागिता

Posted on 24 August 2018 by admin

18 अगस्त से 20 अगस्त तक मॉरीशस के पाय नामक स्थान में स्वामी विवेकानन्द अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र पर चलने वाले तीन दिवसीय विश्व हिन्दी सम्मेलन में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर सदानन्द प्रसाद गुप्त के नेतृत्व में पाँच सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल ने प्रतिभागिता की। इस प्रतिनिधि मण्डल के अन्य सदस्य थे - डॉ0 राजनारायण शुक्ल, कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान, लखनऊ, डॉ0 प्रदीप कुमार राव, सदस्य, कार्यकारिणी, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान, प्रोफेसर योगेन्द्र प्रताप सिंह, सदस्य, कार्यकारिणी, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान तथा श्री शिशिर, निदेशक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान। श्री शिशिर प्रतिनिधि मण्डल के संयोजक रहे।
18 से 20 अगस्त, 2018 तक चलने वाले विश्व हिन्दी सम्मेलन का केन्द्रीय विषय था ’हिन्दी विश्व और भारतीय संस्कृति’। सम्मेलन का उद्घाटन 18 अगस्त को प्रातः दस बजे हुआ। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि थे मॉरीशस गणराज्य के प्रधानमंत्री माननीय प्रवीण कुमार जगन्नाथ। समारोह में भारत की विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज तथा मॉरीशस गणराज्य की शिक्षा एवं मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा तथा वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री श्रीमती लील देवी दूकन लछमन की विशिष्ट उपस्थिति थी। समारोह में मॉरीशस गणराज्य के पूर्व प्रधानमंत्री माननीय अनिरुद्ध जगन्नाथ की प्रेरणाप्रद उपस्थिति भी रही।
उद्घाटन के उपरांत 18 और 19 अगस्त तक कुल आठ सत्रों में आठ विषयों पर चर्चा हुई। 18 अगस्त को कुल चार समानान्तर सत्र चले जिनमें हिन्दी संस्थान के प्रतिभागी सभी सत्रों में पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार सम्मिलित हुए। प्रथम समानान्तर सत्र ’भाषा और लोक संस्कृति के अन्तः सम्बन्ध’ विषय पर आयोजित था। इस सत्र में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर से महाराणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जंगल घूसड़ के प्राचार्य डॉ0 प्रदीप कुमार राव ने प्रतिभाग किया। उन्होंने चर्चा में भाग लेते हुए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर से निम्नांकित चार अनुशंसाएँ कीं -
1- लोक कथाओं, लोक गीतों इत्यादि के प्रकाशन को प्रोत्साहित किया जाय।
2- विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्व विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में लोक संस्कृति और लोक साहित्य का समावेश किया जाय।

3- लोक संस्कृति तथा लोक भाषा की शोध परियोजनाओं को वरीयता दी जाय।
4- हिन्दी भाषा एवं साहित्य के विकास के लिए कार्यरत संस्थाएँ ऐसी शोध परियोजनाओं को अपनी कार्य योजना का हिस्सा बनाएँ।
उपर्युक्त चार अनुशंसाओं में से ऊपर की तीन अनुशंसाएँ सम्मेलन द्वारा स्वीकार कर ली गयीं।
’प्रौद्योगिकी के माध्यम से हिन्दी तथा भारतीय भाषाओं का विकास’ विषय पर केन्द्रित द्वितीय सत्र में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर डॉ0 योगेन्द्र प्रताप सिंह ने भाग लिया। डॉ0 योगेन्द्र प्रताप सिंह ने चर्चा में भाग लेते हुए निम्नांकित सुझाव दिए -
1- सरकारी कार्यालयों के निमित्त कम्प्यूटर खरीदने पर देवनागरी कुंजीपटल को अनिवार्य किया जाय।
2- भारत में खरीदे जाने वाले कम्प्यूटर के सॉफ्टवेयर अनिवार्य रूप से हिन्दी भाषा तथा देवनागरी लिपि के लिए अनुकूलित हों।
3- फॉण्ट की परस्पर परिवर्तनीयता को उपयोगी बनाने हेतु देवनागरी के फॉण्ट का व्यापक स्तर पर मानकीकरण किया जाय जिससे टंकित सामग्री भेजने में फॉण्ट परिवर्तित न हो जाये। इसके लिए सरकारी तथा प्रकाशन से सम्बन्धित सभी फॉण्ट निर्माताओं को उस मानक के अनुसार फॉण्ट निर्माण हेतु निर्देशित किया जाय। सी-डैक ख्ब्.क्।ब्, के सॉफ्टवेयर को अपडेट करने की आवश्यकता है जिससे वह उपयोगी हो सके।
उपर्युक्त अनुशंसाओं में अनुशंसा ’एक’ सम्मेलन द्वारा स्वीकृत हुई।
तृतीय सत्र ’हिन्दी शिक्षण में भारतीय संस्कृति’ विषय पर केन्द्रित था। विषय पर अनेक विद्वानों के विचार आए। हिन्दी संस्थान की ओर से भाग लेते हुए उ0प्र0 भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ0 राजनारायण शुक्ल ने निम्नांकित सुझाव दिये -

1- भारतीय भाषाओं में प्रवीणता के मूल्यांकन के लिए एक उपयुक्त मानदण्ड हो।
2- हिन्दी पाठ्यक्रम का सैद्धांतिक आधार पर विवेचन हो।
3- सिद्धांतों के आधार पर शिक्षकों का प्रशिक्षण हो।
4- भारतीय डायसपोरा देशों में भारतीय संस्कृति के संवर्धन के लिए अधिक प्रयत्न किया जाय।
चतुर्थ समानान्तर सत्र हिन्दी साहित्य में संस्कृति चिन्तन विषय पर आयोजित था। इस सत्र में उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने भाग लिया इस सत्र की अध्यक्षता मॉरीशस की डॉ0 राजदानी गोविन्द ने की, सह-अध्यक्ष थे गगनाँचल के सम्पादक डॉ0 हरीश नवल। चर्चा में भाग लेते हुए डॉ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने भारतीय संस्कृति के विषय में फैलाये गये भ्रम पूर्ण धारणा का खण्डन करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति मिली-जुली संस्कृति नहीं है। डॉ0 गुप्त नें भारतीय संस्कृति के मूलभूत तत्वों - आत्मा की अमरता का सिद्धांत, काल की चक्रीय अवधारणा, कर्मफल तथा पुनर्जन्म का सिद्धांत प्रकृति और मनुष्य के बीच अंगागि सम्बन्ध की अवधारणा, चराचर की पवित्रता के सिद्धांत की चर्चा की। उन्होंने निम्नांकित सुझाव दिये -
1- भाषा साहित्य तथा संस्कृति के अन्तः सम्बन्ध पर कार्यशालाएँ एवं विचार गोष्ठियाँ आयोजित की जायँ।
2- भारतीय संस्कृति के मूलभूत तत्वों को स्पष्टता के साथ रेखांकित किया जाय।
3- भारतीय संस्कृति के आधार - आचरण की पवित्रता, परिवार, संस्था के मूल्यों को प्रोत्साहित करने वाले कलात्मक साहित्य के सृजन को प्रोत्साहित किया जाय।
4- भारतीय भक्ति साहित्य के अध्ययन पर विशेष बल दिया जाय।

5- स्वातंन्न्योत्तर ललित निबंध साहित्य तथा गीत विधा साहित्य का विस्तृत मूल्यांकन किया जाय।
6- मॉरीशस में रचित साहित्य में चित्रित भारतीय संस्कृति और भारतीय साहित्य में चित्रित भारतीय संस्कृति का तुलनात्मक अध्ययन किया जाय।
सम्मेलन के दूसरे दिन अर्थात् 19 अगस्त को चार समानान्तर सत्र चार विषयों पर आयोजित हुए। इनके विषय थे - ’फिल्मों के माध्यम से भारतीय संस्कृति का संरक्षण’, ’संचार माध्यम और भारतीय संस्कृति’, ’प्रवासी संसार : भाषा और संस्कृति’ तथा ’हिन्दी बाल साहित्य और भारतीय संस्कृति’।
’फिल्मों के माध्यम से भारतीय संस्कृति का संरक्षण’ विषय पर उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने प्रतिभागिता की। इस सत्र की अध्यक्षता फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष तथा प्रसिद्ध फिल्म निर्माता एवं निर्देशक श्री प्रसून जोशी ने की। इस सत्र में डॉ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने निम्नांकित लिखित सुझाव दिए-
1- भारतीय हिन्दी सिनेमा में भारतीय संस्कृति के प्रमुख घटकों परिवार संस्था तथा समाज संस्था को विरूपित ढंग से दिखाए जाने को रोका जाय। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर भारतीय देवी-देवताओं के विषय में फैलायी जाने वाली विकृत धारणाओं को प्रोत्साहित नहीं किया जाय।
2- संस्कार निर्माण करने वाले भारतीय पौराणिक चरित्रों, पंचतंत्र, हितोपदेश की कथाओं पर रोचक तथा कलात्मक ढंग से लघु फिल्में बनायी जायँ तथा इन्हें प्रदर्शित किया जाय।
द्वितीय सत्र ’संचार माध्यम और भारतीय संस्कृति’ विषय पर केन्द्रित था। इस सत्र में भाग लेते हुए डॉ0 योगेन्द्र प्रताप सिंह ने तीन अनुशंसाएँ दी जो स्वीकृत हुईं -
1- क्षेत्रीय स्तर पर सामुदायिक चैनल और सामुदायिक रेडियों को बढ़ावा दिया जाय। इन क्षेत्रीय चैनलों को बाजार के हाथों से बचाते हुए संस्कृति कर्मी को सौंपा जाय।

2- सामुदायिक चैनलों का लाइसेंस प्रदान किये जाने की पद्धति को आसान बनाया जाय।
3- ह्वाट्स ऐप्प जैसे तकनीकी नवाचारों का उपयोग सांस्कृतिक पत्रिका निकालने के लिए किया जाय।
विचार का तृतीय सत्र ’प्रवासी संसार : भाषा और संस्कृति’ विषय पर केन्द्रित था। इस सत्र में डॉ0 राजनारायण शुक्ल ने सहभागिता की। डॉ0 शुक्ल ने इस सत्र में निम्नांकित सुझाव दिये -
1- इंडियन डायसपोरा देशों के भारतीय संस्कृति का संवर्धन हो।
2- युवा पीढ़ी की जरूरतों के अनुरूप कार्यक्रम बनाए जायँ।
3- क्रियोल में सृजित साहित्य को हिन्दी में लाया जाए।
4- देश-विदेश में प्रकाशित पाठ्य सामग्री का संग्रह हो।
5- शिक्षकों के द्वारा हिन्दी भाषा साहित्य का शिक्षण करते समय भारतीय मूल्यों को विशेष रूप से रेखांकित किया जाय।
चतुर्थ सत्र ’हिन्दी बाल साहित्य और भारतीय संस्कृति’ पर केन्द्रित था। इस सत्र में डॉ0 प्रदीप कुमार राव ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी तथा निम्नांकित संस्तुतियाँ दीं-
1- बाल-सुलभ पद्यात्मक साहित्य को प्रोत्साहित किया जाय।
2- हितोपदेश, पंचतंत्र जैसी भारतीय संस्कृति केन्द्रित बोधपूर्ण कथाओं को चित्रकथा के माध्यम से बाल पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाय।
3- उत्कृष्ट पौराणिक चरित्रों को भी बाल पाठ्यक्रम का अंग बनाया जाय तथा भारतीय संस्कृति से सम्बन्धित जीवन मूल्यों को लघु बोध कथाओं के रूप में रुचिकर ढंग से दृश्य संचार माध्यमों से प्रसारण हो।
इस सत्र में मॉरीशस के बाल साहित्यकारों द्वारा बाल साहित्य के प्रकाशन की कठिनाइयों का जिक्र किया गया। उनकी इस समस्या पर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान

की ओर से हिन्दी में भारतीय संस्कृति आधारित बाल साहित्य को प्रकाशित करने का प्रस्ताव डॉ0 प्रदीप राव ने प्रस्तुत किया। इस प्रस्ताव पर मॉरीशस के बाल साहित्यकारों, महात्मा गाँधी संस्थान, मॉरीशस के अध्यापकों द्वारा प्रसन्नता व्यक्त की तथा आभार व्यक्त किया तथा समापन सत्र में इसकी विशेष चर्चा की गयी।
2018 के विश्व हिन्दी सम्मेलन में पहली बार संस्थान की ओर से पाँच सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल ने प्रतिभागिता की। इस सम्मेलन की संस्थान की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही उ0प्र0 हिन्दी संस्थान की ओर से पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन। विदेश मंत्रालय के सहयोग से इस प्रदर्शनी का आयोजन संभव हुआ। पुस्तक प्रदर्शनी के आयोजन की जिम्मेदारी सम्भाली उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के निदेशक श्री शिशिर ने। विदेश मंत्रालय के अनुरोध पर उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने प्रदर्शनी में भेजी गयी पुस्तकें विश्व हिन्दी सचिवालय, मॉरीशस के पुस्तकालय को भेंट कर दीं।
19 अगस्त को ही विश्व हिन्दी सम्मेलन की ओर से ’अप्रवासी घाट’, ’विश्व हिन्दी सचिवालय’ तथा ’महात्मा गाँधी संस्थान’ के भ्रमण का कार्यक्रम था, जिसमें हिन्दी संस्थान के प्रतिनिधि मण्डल ने भाग लिया। ’अप्रवासी घाट’ वह स्थान है, जहाँ पहली बार 1834 में गिरिमिटिया मजदूर भारत से ले जाये गये थे। महात्मा गाँधी संस्थान में हिन्दी शिक्षण की व्यवस्था है।
दिनाँक 20 अगस्त को प्रातः 11ः00 बजे से सत्र का आयोजन हुआ समापन सत्र के मुख्य अतिथि थे मॉरीशस गणराज्य के कार्यवाहक राष्ट्रपति महामहिम श्री परमसिवम पिल्लै वैयापुरी तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में अनिरुद्ध जगन्नाथ एवं भारत की विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज तथा मॉरीशस की शिक्षा मंत्री श्रीमती लीला देवी दूकन लछमन की उपस्थिति रही। समापन सत्र की अध्यक्षता पश्चिम बंगाल के राज्यपाल माननीय श्री केशरीनाथ त्रिपाठी ने की। इसी सत्र में सम्मेलन में स्वीकृत अनुशंसाओं का वाचन भी हुआ।

(1) उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने मॉरीशस पर एक अध्ययन रिपोर्ट के प्रमुख बिन्दु निर्धारित किये हैं जिन पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगा तथा प्रकाषित करेगा।
(2) मॉरीशस में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में पहली बार संस्थान की ओर से पुस्तक प्रदर्शनी लगायी गयी।
(3) उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने मॉरीशस में हिन्दी भाषा में भारतीय संस्कृति आधारित बाल साहित्य के प्रकाशन का उत्तरदायित्व लिया। हिन्दी संस्थान के लिए यह गर्व की बात है।

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इन्डोनेशिया में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव सम्पन्न, सम्मानित हुईं लखनऊ की दस विभूतियाँ

Posted on 18 January 2018 by admin

विगत विश्व हिन्दी दिवस यानी 10 जनवरी 2018 को इंडोनेशिया की सांस्कृतिक राजधानी बाली में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव का आगाज हुआ, जिसका समापन समारोह 14 जनवरी 2018 को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर पचास साहित्यकारों, पत्रकारों, टेक्नोक्रेटो, संस्कृतिकर्मियों के हुये सरस्वत सम्मान के क्रम में लखनऊ की दस विभूतियों का सम्मान किया गया, जिसमें हिन्दी के प्रमुख ब्लॉगर एवं वरिष्ठ साहित्यकार रवीन्द्र प्रभात, अवधी लोकगायिका कुसुम वर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ॰ मिथिलेश दीक्षित, सत्या सिंह हुमैन, समाज सेविका कनक लता गुप्ता, योग विशेषज्ञ डॉ॰ उदय प्रताप सिंह, शिक्षाविद कैलाश चन्द्र जोशी, रेवान्त पत्रिका की संपादक लखनऊ निवासी डॉ॰ अनीता श्रीवास्तव तथा हिन्दी विकिपीडिया की प्रबन्धक माला चैबे प्रमुख रहे। img-20180117-wa0302
बहुत सारे कार्यक्रमों का साक्षी बना यह उत्सव। इस अवसर पर लोकार्पित हुयी 18 हिन्दी पुस्तकों में से लखनऊ की डॉ॰ मिथिलेश दीक्षित की छः पुस्तकें तथा रवीन्द्र प्रभात के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित डॉ॰ सियाराम की शोध पुस्तक ‘‘रवीन्द्र प्रभात की परिकल्पना और ब्लॉग आलोचना कर्म‘‘ प्रमुख रही।
डॉ॰ राम बहादुर मिश्र के संचालन में इलाहाबाद की रंगकर्मी डॉ॰ प्रतिमा वर्मा द्वारा अभिनीत नाटक ‘‘एकाकीपन‘‘ की भावपूर्ण प्रस्तुति श्रोताओं का मन मोहने में सफल रही। इन्डोनेशिया के कलाकारों तथा इण्डोनेशियाई बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुति तथा जकार्ता स्थित जवाहरलाल नेहरू भारतीय सांस्कृतिक परिषद के कलाकारों की हारमोनियम और तबले की युगलबंदी श्रेष्ठ प्रस्तुतियों में से एक रही। जकार्ता के श्री केतन गुरु जी, लखनऊ की कुसुम वर्मा और गोंडा के शिव पूजन शुक्ल के द्वारा प्रस्तुत भजन और लोकगीत दुर्लभ प्रस्तुतियों में से एक रही।
हिन्दी उत्सव के दौरान परिकल्पना द्वारा छः भारतीय प्रतिभागियों को विशेष नगद पुरस्कार प्रदान किए गए, जिसके अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ आवाज के लिए अहमदाबाद की सुश्री अंकिता सिंह को डेढ़ लाख रुपये तथा सर्वश्रेष्ठ कविता के लिए आगरा की डॉ॰ सुषमा सिंह, सर्वश्रेष्ठ प्रणय गीत के लिए राय बरेली की डॉ॰ चम्पा श्रीवास्तव, सर्वश्रेष्ठ हास्य कविता के लिए कानपुर के डॉ॰ ओम प्रकाश शुक्ल ‘‘अमिय‘‘, सर्वश्रेष्ठ गजल के लिए बहराइच के डॉ॰ अशोक गुलशन और सर्वश्रेष्ठ लोकगीत के लिए गोंडा के डॉ॰ शिव पूजन शुक्ल को क्रमशः एक-एक लाख रुपये के नगद पुरस्कार प्रदान किए गए।
कवि सम्मेलन के दौरान रवीन्द्र प्रभात, ओम प्रकाश शुक्ल ‘‘अमिय‘‘, सत्या सिंह हुमैन, डॉ॰ अशोक गुलशन, डॉ॰ राम बहादुर मिश्र, डॉ॰ मिथिलेश दीक्षित, डॉ॰ सुषमा सिंह, डॉ॰ पूर्णिमा उपाध्याय, डॉ॰ माला गुप्ता, डॉ॰ पूनम तिवारी, डॉ॰ चम्पा श्रीवास्तव, डॉ॰ रमाकांत कुशवाहा कुशाग्र, डॉ॰ उमेश पटेल श्रीश, शिव पूजन शुक्ल, कुसुम वर्मा, राम किशोर मेहता, कैलाश चन्द्र जोशी आदि की कवितायें खूब सराही गयी।
समारोह की मुख्य अतिथि रहीं 2015 की मिस इन्डोनेशिया-इंडिया सुश्री ग्रेस वालिया तथा विशिष्ट अतिथि इंडो-इंडियन फ्रेंडशिप एसोशिएशन की अध्यक्ष सुश्री पूनम सागर, सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री लवलीन वालिया और जकार्ता स्थित साधु वासवानी सेंटर के प्रतिनिधि श्री केतन गुरु जी, जकार्ता स्थित आत्मा सेल्फ एक्स्प्रेशन की अध्यक्षा सुश्री शिल्पी धीरज शर्मा, इंडोनेशियन-इंडियन फ्रेंडशिप एसोसिएशन की अध्यक्षा सुश्री ऐश्वर्या सिन्हा और समस्त प्रस्तुतियों की संगीत निर्देशक जकार्ता निवासी सुश्री अर्चिता रॉय की प्रस्तुति उल्लेखनीय रही। विविधताओं से भरा यह सम्मेलन जीवन के अपने अलग-अलग रंगों में धड़कता दिखाई दिया दर्शकों को, अपने आप में अद्वितीय और अनुपम रहा यह उत्सव।

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इन्डोनेशिया में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव, लखनऊ की नौ सख्शियतें सम्मानित होंगी

Posted on 10 January 2018 by admin

आगामी विश्व हिन्दी दिवस यानी 10 जनवरी 2018 को इंडोनेशिया की सांस्कृतिक राजधानी बाली में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव का आगाज होने जा रहा है, जिसका समापन समारोह 14 जनवरी 2018 को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में सम्पन्न होगा। जकार्ता की संस्था साधू वासवानी सेंटर, इंडोनेशियन-इंडियन मैत्री संघ तथा आत्मा सेल्फ एक्स्प्रेसन के सह आयोजन में भारतीय संस्था परिकल्पना के सौजन्य से 10 से 14 जनवरी 2018 को बाली एवं जकार्ता में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव में भारत तथा अन्य देशों के हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के आधिकारिक विद्वान, अध्यापक, लेखक, भाषाविद्, पत्रकार, टेक्नोक्रेट, हिंदी प्रचारक एवं संस्कृतिकर्मी भाग लेने जा रहे हैं। इस अवसर पर नगर की संस्कृतिकर्मी एवं अवधी लोकगायिका कुसुम वर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ॰ मिथिलेश दीक्षित, सत्या सिंह हुमैन, हिन्दी के प्रमुख ब्लॉगर लखनऊ निवासी रवीन्द्र प्रभात, समाज सेविका कनक लता गुप्ता, योग विशेषज्ञ डॉ॰ उदय प्रताप सिंह, शिक्षाविद कैलाश चन्द्र जोशी, रेवान्त पत्रिका की संपादक लखनऊ निवासी डॉ॰ अनीता श्रीवास्तव तथा हिन्दी विकिपीडिया की प्रबन्धक लखनऊ निवासी माला चैबे का इस मंच से सारस्वत सम्मान किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि ‘‘विश्व हिन्दी दिवस‘‘ प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था तथा पहली बार 10 जनवरी 2006 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह ने यह दिवस मनाया था। इसी कड़ी का अनुसरण करते हुये पूरे विश्व में 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस तथा इस सप्ताह को विश्व हिन्दी सप्ताह मनाया जाता है।
जकार्ता स्थित आत्मा सेल्फ एक्स्प्रेशन की संचालिका सुश्री शिल्पी धीरज शर्मा ने सूचित किया है, कि इस आयोजन में जवाहरलाल नेहरू इंडियन कल्चरल सेंटर के निदेशक श्री मकरंद शुक्ल, जकार्ता स्थित भारतीय दूतावास के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन श्री मनीष, जकार्ता स्थित इंडिया क्लब के चेयर परसन श्री राकेश जैन, इन्डोनेशियन-इंडियन मैत्री संघ की अध्यक्ष सुश्री ऐश्वर्या सिन्हा, खुश रहो जकार्ता संस्था के श्री तेज और साधु वासवानी सेंटर के प्रवक्ता श्री राकेश केतन मिश्र की उपस्थिती मात्र से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह आयोजन कितना भव्य और आकर्षक होगा। साथ ही इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी उत्सव के सांस्कृतिक इवेंट्स की मुख्य अतिथि होंगी सुश्री ग्रेस वालिया। उल्लेखनीय है कि जकार्ता की सुश्री ग्रेस वालिया वर्ष 2015 की मिस इंडिया इंडोनेशिया रह चुकी हैं। पंजाबी मूल की यह युवती भारतीय और इन्डोनेशियाई समुदायों के बीच एक पुल के निर्माण की दिशा में सदैव अग्रणी रहती हैं।
इस उत्सव में भारत से राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ॰ राम बहादुर मिश्र, बहराइच के गजलकर डॉ॰ गुलशन, हॉलीवूड, बॉलीवूड तथा गढ़वाली फिल्म अभिनेता एवं वरिष्ठ रंगकर्मी श्री विमल प्रसाद बहुगुणा, अवधी लोक गायन से सजे लखनऊ दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले श्माटी के बोलश् कार्यक्रम की संचालिका और नृत्यांगना कुसुम वर्मा, समाजसेवा और साहित्य को समर्पित लखनऊ की सुपरिचित हस्ताक्षर सत्या सिंह हुमैन, समाजसेवा को समर्पित लखनऊ की सुपरिचित हस्ताक्षर कनक लता गुप्ता, अहमदावाद (गुजरात) से सुश्री अंकिता सिंह, वाराणसी से श्री सचीन्द्र नाथ मिश्र और लखनऊ से उदय प्रताप सिंह, गोरखपुर आकाशवाणी के उद्घोषक, कंपियर तथा भोजपुरी भाषा के जाने माने गीतकार डॉ॰ उमेश कुमार पटेल ष्श्रीशष्, हिमालय यानी उत्तराखंड से हिन्दी साहित्य के सुपरिचित मर्मज्ञ धीरेन्द्र सिंह रांघर, पूर्वाञ्चल के रंगकर्मी डॉ रमाकांत कुशवाहा, शिक्षविद डॉ॰ विजय प्रताप श्रीवास्तव, अवधी के कवि व लोकगायक गोंडा निवासी श्री शिव पूजन शुक्ल, लखनऊ से प्रकाशित रेवान्त पत्रिका की संपादक डॉ॰ अनीता श्रीवास्तव, हिन्दी के वरिष्ठ कवि व साहित्यकार अहमदाबाद निवासी श्री राम किशोर मेहता, हिन्दी के वरिष्ठ कवि व साहित्यकार कानपुर निवासी डॉ॰ ओम प्रकाश शुक्ल ‘‘अमिय‘‘, हिन्दी में हाईकू की सर्जक व वरिष्ठ साहित्यकार लखनऊ निवासी डॉ॰ मिथिलेश दीक्षित, हिन्दी की वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवियत्री रायबरेली निवासी डॉ॰ चम्पा श्रीवास्तव, वरिष्ठ साहित्यकार व शिक्षाविद आगरा निवासी डॉ॰ सुषमा सिंह, प्रमुख शिक्षाविद सृजनधर्मी एवं साहित्यकार आगरा निवासी डॉ॰ प्रभा गुप्ता, प्रमुख शिक्षाविद सृजनधर्मी एवं साहित्यकार आगरा निवासी डॉ॰ माला गुप्ता, प्रमुख शिक्षाविद सृजनधर्मी एवं साहित्यकार आगरा निवासी डॉ॰ पूनम तिवारी, प्रमुख शिक्षाविद सृजनधर्मी एवं साहित्यकार आगरा निवासी डॉ॰ प्रमिला उपाध्याय , वरिष्ठ पत्रकार रायबरेली निवासी डॉ राजेन्द्र बहादुर श्रीवास्तव, प्रमुख शिक्षाविद लखनऊ निवासी श्री कैलाश चन्द्र जोशी, प्रमुख समाजसेवी इलाहाबाद निवासी श्री अजय कुमार, प्रमुख समाजसेवी एवं हिन्दी के यायावर साहित्यकार ऋषिकेश निवासी श्री धीरेंद्र सिंह रांगढ़ तथा इलाहाबाद के रामायण मर्मज्ञ कवि डॉ॰ बाल कृष्ण पांडे आदि भाग ले रहे हैं।
इस अवसर पर लगभग दो दर्जन पुस्तकों का लोकार्पण और एक शाम अवध के लोकगायकों के नाम होगा। विशिष्ट अतिथि होंगे अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सिंग कोच श्री एस0एन0 मिश्र। साथ ही श्रीमती कुसुम वर्मा की कला प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रहेगी।
विविधताओं से भरा यह सम्मेलन जीवन के अपने अलग-अलग रंगों में धड़कता दिखाई देगा दर्शकों को, ऐसी उम्मीद है।

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने 3 नवम्बर, 2017 को माॅरिशस स्थित रामायण सेण्टर का भ्रमण किया।

Posted on 04 November 2017 by admin

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मुख्यमंत्री ने माॅरिशस में अप्रवासी भारतीय नागरिकों को ओ0सी0आई0 कार्ड वितरित किए

Posted on 04 November 2017 by admin

मुख्यमंत्री ने माॅरिशस में अप्रवासी भारतीय
नागरिकों को ओ0सी0आई0 कार्ड वितरित किए

ओ0सी0आई0 कार्ड की व्यवस्था से भारत और
माॅरिशस के रिश्तों में और अधिक प्रगाढ़ता आएगी: मुख्यमंत्री

img-20171103-wa00311प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की माॅरिशस
यात्रा से दोनों देशों के सम्बन्धों को नई ऊंचाई मिली

ओ0सी0आई0 कार्ड से भारतीय मूल के माॅरिशस
वासियों को आजीवन वीज़ा की अनुमति स्वतः प्राप्त हो जाएगी

भारत में इनके लिए वर्क परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी

प्रदेश के पर्यटन विभाग की ‘डिस्कवर याॅर रूट्स’ योजना के माध्यम
से भारतीय मूल के व्यक्ति द्वारा अपने पूर्वजों के गांव का
पता लगाने का अनुरोध किया जा सकता है

प्रदेश में सभी प्रकार के पर्यटकों के लिए भरपूर सम्भावनाएं मौजूद हैं

मुख्यमंत्री ने पोर्ट लुइस में भारतीय उच्चायुक्त के
तत्वावधान में आयोजित स्वागत समारोह को सम्बोधित किया

लखनऊ: 03 नवम्बर, 2017

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि भारतीय मूल के माॅरिशस वासियों को ओ0सी0आई0 कार्ड की व्यवस्था से दोनों देशों के रिश्तों में और अधिक प्रगाढ़ता आएगी। इसके साथ ही, भारतीय मूल के माॅरिशस वासियों को भारत आगमन सहित अन्य सुविधाएं प्राप्त होंगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की माॅरिशस यात्रा से दोनों देशों के सम्बन्धों को नई ऊंचाई मिली है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री जी द्वारा की गई अभूतपूर्व पहल से माॅरिशस विकास के नये आयाम हासिल करेगा।
मुख्यमंत्री जी गुरुवार को माॅरिशस के पोर्ट लुइस में भारतीय उच्चायुक्त के तत्वावधान में आयोजित स्वागत समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जनवरी, 2017 में 14वें प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर भारत सरकार द्वारा माॅरिशस में भारतीय मूल के नागरिकों के लिए विशेष ओ0सी0आई0 कार्ड की घोषणा की गई थी। भारतीय मूल के माॅरिशस निवासी इस कार्ड को प्राप्त करने के लिए पीढ़ियों की बाध्यता के बिना आवेदन कर सकते हैं। इस मौके पर मुख्यमंत्री जी ने कई अप्रवासी भारतीय नागरिकों को ओ0सी0आई0 कार्ड का वितरण भी किया।
योगी जी ने ओ0सी0आई0 कार्ड से मिलने वाली सुविधाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इस कार्ड को धारण करने वाले भारतीय मूल के माॅरिशस वासियों को आजीवन वीज़ा की अनुमति स्वतः प्राप्त हो जाएगी। ये लोग भारत में बिना पुलिस सत्यापन के आजीवन ठहर सकते हैं। भारत में इनके लिए वर्क परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी। इन्हें भारत के बैंकों में खाता खोलने, व्यवसायिक एवं आवासीय सम्पत्ति खरीदने के साथ-साथ भारतीय शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा मिल सकेगी। इस प्रकार मतदान को छोड़कर ऐसे कार्ड धारकों को भारत में सभी सुविधाएं प्राप्त होंगी। उन्होंने माॅरिशस में रह रहे लगभग 10,500 अप्रवासी भारतीयों के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि इस व्यवस्था से माॅरिशस में रहने वाले भारतीय अप्रवासियों का अपने पूर्वजों की भूमि को बिना किसी हिचक करीब से देखने एवं समझने का मौका मिलेगा।
मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश के पर्यटन विभाग की ‘डिस्कवर याॅर रूट्स’ योजना की चर्चा करते हुए कहा कि इसके तहत भारतीय मूल के किसी व्यक्ति द्वारा पर्यटन विभाग से सम्पर्क कर अपने पूर्वजों के गांव के सम्बन्ध में पता लगाने का अनुरोध किया जा सकता है। पर्यटन विभाग सम्बन्धित जनपद के प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से वांछित विवरण एकत्रित कर जानकारी उपलब्ध करायी जाती है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश भगवान राम एवं भगवान कृष्ण की जन्मस्थली होने के साथ ही, तमाम विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों, धरोहरों एवं प्राकृतिक सम्पदाओं से सम्पन्न विविधतापूर्ण राज्य है। इसलिए इस प्रदेश में सभी प्रकार के पर्यटकों के लिए भरपूर सम्भावनाएं मौजूद हैं।
कार्यक्रम में माॅरिशस के कार्यवाहक राष्ट्रपति श्री परम शिवम् वायापूरी, प्रधानमंत्री श्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ, मार्गदर्शक मंत्री सर अनिरुद्ध जगन्नाथ, माॅरिशस नेशनल असेम्बली की अध्यक्ष सुश्री माया हनुमानजी, भारत के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री गिरीराज सिंह, माॅरिशस में भारत के उच्चायुक्त श्री अभय ठाकुर सहित बड़ी संख्या में सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों के पदाधिकारी एवं भारतीय मूल के नागरिक आदि मौजूद थे।

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मुख्यमंत्री ने माॅरिशस के महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट का भ्रमण किया

Posted on 04 November 2017 by admin

माॅरिशस में भारत सम्बन्धी अध्ययन का उच्चस्तरीय केन्द्र है यह संस्थान

महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट भारत और माॅरिशस के सम्बन्धों
को प्रगाढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा: मुख्यमंत्रीimg-20171103-wa0031

माॅरिशस गए शर्तबंद मजदूरों से जुड़े
अभिलेख संस्थान के अभिलेखागार में संरक्षित

अभिलेखों के आधार पर शर्तबंद मजदूरों के
वंशजों को भारतीय मूल का माॅरिशसवासी माना जाता है

इसी आधार पर भारत सरकार माॅरिशसवासियों
को ओ0सी0आई0 कार्ड प्रदान करती है

मुख्यमंत्री ने गुरुवार को भारतीय मूल के 09 माॅरिशसवासियों को ओ0सी0आई0 कार्ड वितरित किए, जिनमें 02 व्यक्ति
मूलरूप से जनपद गोरखपुर के हैंimg-20171103-wa0032

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज माॅरिशस के महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट का भ्रमण किया। भारत सरकार के सहयोग से माॅरिशस सरकार द्वारा स्थापित यह संस्थान भारत सम्बन्धी अध्ययन का उच्चस्तरीय केन्द्र है। भारत से माॅरिशस गए शर्तबंद मजदूरों से जुड़े अभिलेख संस्थान के अभिलेखागार में संरक्षित किए गए हैं। ऐसे लगभग 1 लाख 80 हजार दस्तावेज यहां उपलब्ध हैं।
मुख्यमंत्री जी ने भ्रमण के दौरान संस्थान की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने इस पर हर्ष व्यक्त किया कि महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट भारत और माॅरिशस के सम्बन्धों को प्रगाढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने भारत से माॅरिशस आए शर्तबंद मजदूरों के अभिलेखों को भी देखा। ज्ञातव्य है कि इन श्रमिकों के सम्बन्ध में यहां संरक्षित अभिलेखों के आधार पर उनके वंशजों को भारतीय मूल का माॅरिशसवासी माना जाता है। इसी आधार पर भारत सरकार माॅरिशसवासियों को ओ0सी0आई0 कार्ड प्रदान करती है।
मुख्यमंत्री जी ने अपने माॅरिशस प्रवास के अवसर पर गुरुवार को भारतीय मूल के 09 माॅरिशसवासियों को ओ0सी0आई0 कार्ड वितरित किए थे। इनमें सांसद श्री तुलसीदास बेनीदीन एवं माॅरिशस विश्वविद्यालय के प्रवक्ता श्री जतिन जोखू मूलरूप से जनपद गोरखपुर से जुड़े हैं। इसके अलावा, मुख्यमंत्री जी द्वारा आरा, बिहार से सम्बन्ध रखने वालीं अवकाश प्राप्त शिक्षिका श्रीमती प्रमिला जगन्नाथ एवं श्रीमती देविका को भी ओ0सी0आई0 कार्ड दिए गए। योगी जी ने महाराष्ट्र के मूल निवासी 02 माॅरिशसवासियों सहित पश्चिम बंगाल एवं कर्नाटक से जुड़े 02 अन्य व्यक्तियों को भी ओ0सी0आई0 कार्ड प्रदान किए। भारतीय मूल के एक माॅरिशसवासी को उनके जीवनसाथी के आधार पर यह कार्ड दिया गया।
ज्ञातव्य है कि जनवरी, 2017 में सम्पन्न 14वें प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर भारत सरकार द्वारा भारतीय मूल के समस्त माॅरिशसवासियों एवं इनके वैवाहिक सम्बन्धों द्वारा जुड़े सभी लोगों को ओ0सी0आई0 कार्ड का विशेष अधिकार दिया गया है। भारतीय मूल के माॅरिशस निवासी इस कार्ड को प्राप्त करने के लिए पीढ़ियों की बाध्यता के बिना आवेदन कर सकते हैं। ओ0सी0आई0 कार्डधारक माॅरिशसवासियों को भारत द्वारा विभिन्न सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। अब तक लगभग 3500 ओ0सी0आई0 कार्ड भारतीय मूल के माॅरिशसवासियों को उपलब्ध कराए जा चुके हैं।
भ्रमण के दौरान भारत के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री गिरिराज सिंह एवं अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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भारत और माॅरिशस के बीच बहुत पुराना एवं गहरा नाता है: मुख्यमंत्री

Posted on 03 November 2017 by admin

दोनों देशों के सम्बन्धों में भारतीय मूल के लोगों का विशिष्ट स्थान है

img-20171102-wa0131माॅरिशस विकास की प्रक्रिया के साथ निरन्तर आगे बढ़ रहा है और एक विकसित राष्ट्र के
रूप में दुनिया के मानचित्र पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहा है

माॅरिशस दुनिया का अकेला ऐसा राष्ट्र, जिसे भारत ने
विशेषाधिकार देकर ओ0सी0आई0 कार्ड के लिए प्राथमिकता दी

उ0प्र0 के कई अप्रवासी माॅरिशस के विकास
एवं सुदृढ़ीकरण में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं

माॅरिशस शर्तबंद भारतीय मजदूरों की बदौलत भारत की तरह एक जीवंत, लोकतांत्रिक, बहुसांस्कृतिक और बहुजातीय राष्ट्र: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने अप्रवासी भारतीयों को उ0प्र0 में
अपने पूर्वजों की जन्मस्थली देखने के लिए आमंत्रित किया

माॅरिशस से उ0प्र0 के भावनात्मक सम्बन्धों को देखते हुए दोनों देशों के संयुक्त तत्वावधान
में वाराणसी जनपद में एक सांस्कृतिक केन्द्र स्थापित किया जाएगा

उ0प्र0 में पर्यटन की अपार सम्भावना: मुख्यमंत्री

उ0प्र0 में निवेश प्रक्रिया को सुगम और
आकर्षक बनाते हुए कई नीतिगत निर्णय लिए गए हैं

गंगा जी जितनी पवित्र भारतीयों के लिए हैं, माॅरिशसवासी भी
गंगा जी और भारत के प्राचीन तीर्थों को उतना ही सम्मान देते हैं

मुख्यमंत्री ने माॅरिशस में 183वें अप्रवासी दिवस कार्यक्रम को सम्बोधित किया

अप्रवासी घाट पर मुख्यमंत्री ने आगंतुक पुस्तिका में अपने उद्गार अंकित किए

लखनऊ: 02 नवम्बर, 2017
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज माॅरिशस के 183वें अप्रवासी दिवस पर वहां आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच बहुत पुराना एवं गहरा नाता है। उन्होंने कहा कि लगभग 183 वर्ष पूर्व शर्तबंद भारतीय मजदूरों के पहले दस्ते ने माॅरिशस आकर यहां के गन्ने के खेतों में काम करते हुए अपने अथक परिश्रम से इस देश को एक स्वतंत्र, आधुनिक एवं मध्य आयवर्गीय राष्ट्र के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि माॅरिशस विकास की प्रक्रिया के साथ निरन्तर आगे बढ़ रहा है और एक विकसित राष्ट्र के रूप में दुनिया के मानचित्र पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहा है। इस अवसर पर उन्होंने भारत से आए उन सभी शर्तबंद मजदूरों के प्रति, जिन्होंने अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से माॅरिशस को एक आधुनिक राष्ट्र बनाने में अपना योगदान दिया था, भारत की 125 करोड़ जनता की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने अप्रवासी घाट पर आगंतुक पुस्तिका में अपने उद्गार भी अंकित किए।
भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में अप्रवासी घाट पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 1834 से 20वीं शताब्दी के पूर्वाद्ध तक लगभग 05 लाख भारतीय श्रमिक माॅरिशस पहुंचे थे। उस समय गन्ने के खेतों और चीनी के कारखानों में काम करने वाले इन मजदूरों की हालत अत्यन्त दयनीय थी। ब्रिटिश उपनिवेशवादी सरकार ने मॉरिशस को एक प्रयोगात्मक उपनिवेश के रूप में चुना था।
इस प्रयोग की सफलता के परिणामस्वरुप तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने भारत से 10 लाख से भी ज्यादा शर्तबंद मजदूर, मॉरिशस, गयाना, त्रिनिदाद, फिजी, सूरीनाम आदि जैसे अपने विभिन्न औपनिवेशिक देशों में भेजे थे। उस दौरान लाखों की संख्या में मजदूर भारत से मॉरिशस लाए गए थे, जिनमें से अधिकतर मजदूर मॉरिशस के स्थाई नागरिक होकर यहीं इसी मिट्टी में रच-बस गए।
आज माॅरिशस गुलामी और शोषण के अतीत से निकलकर एक सम्पन्न और समृद्ध देश के रूप में विश्व मानचित्र पर अपनी पहचान बना चुका है। उन्होंने कहा कि आज माॅरिशस शर्तबंद भारतीय मजदूरों की बदौलत भारत की तरह एक जीवंत, लोकतांत्रिक, बहुसांस्कृतिक और बहुजातीय राष्ट्र है।
योगी जी ने कहा कि भारत और मॉरिशस के सम्बन्धों का आधार भावनात्मक और ऐतिहासिक है, जो दोनों देशों की सांझी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा है। इस देश में बसने वाले भारतीयों ने अपनी आस्था और सांस्कृतिक विरासत का साथ कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि गंगा जी जितनी पवित्र भारतीयों के लिए हैं, माॅरिशसवासी भी गंगा जी और भारत के प्राचीन तीर्थों को उतना ही सम्मान देते हैं। उन्होंने कहा कि माॅरिशस का ‘गंगा तलाव’, बस्तियों के बाहर ‘काली माई’ का स्थान और यहां पर मौजूद सैकड़ों की संख्या में मन्दिर इस बात का प्रमाण हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की वर्ष 2015 की ऐतिहासिक यात्रा का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इससे इन दोनों देशों के रिश्तों को एक नया आयाम मिला है। मॉरिशस के प्रधानमंत्री श्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत को अपनी विकास यात्रा में एक सहयोगी मित्र राष्ट्र माना है। उन्होंने भारत सरकार की तरफ से विश्वास दिलाते हुए कहा कि माॅरिशस की विकास यात्रा में भारत हर कदम पर उनके साथ है।
पिछले लगभग एक वर्ष में मॉरिशस में संचालित परियोजनाओं, जैसे विश्व हिन्दी सचिवालय के नए भवन के निर्माण का कार्य, मेट्रो एक्सप्रेस, सोशल हाउसिंग, सुप्रीम कोर्ट की नई इमारत, ई0एन0टी0 अस्पताल, ई-टेबलेट्स आदि का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत सरकार के सहयोग से संचालित ये परियोजनाएं मॉरिशस के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगीं।img-20171102-wa0132
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इन दोनों देशों के सम्बन्धों में भारतीय मूल के लोगों का विशिष्ट स्थान है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 14वें प्रवासी भारतीय दिवस-2017 के उपलक्ष्य पर मॉरिशस के भारतीय मूल के सभी नागरिकों और इनसे वैवाहिक सम्बन्धों द्वारा जुड़े सभी लोगों को ओ0सी0आई0 कार्ड के लिए एक विशेष अधिकार प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि माॅरिशस दुनिया का अकेला ऐसा राष्ट्र है, जिसे भारत ने विशेषाधिकार देकर ओ0सी0आई0 कार्ड के लिए प्राथमिकता दी है।
मुख्यमंत्री जी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि मॉरिशस द्वारा यूनेस्को के प्रस्ताव पर शर्तबंद मजदूरों के मार्ग को खोजने के लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समिति की पहली बैठक अभी हाल ही में आयोजित की गई। इस महत्वपूर्ण कदम से शर्तबंद मजदूरों की विश्व भर में व्यापकता एवं इस कारण उन देशों की आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था एवं विकास पर पड़ने वाले परिणामों पर विशिष्ट और वैज्ञानिक शोध का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने अगले वर्ष मॉरिशस में आयोजित होने वाले 11वें विश्व हिन्दी सम्मलेन की तैयारियों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह आयोजन हिन्दी को लेकर मॉरिशस की प्रतिबद्धता व गम्भीरता का द्योतक है।
योगी जी ने कहा कि हिन्दी भाषा को समृद्ध बनाने में उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान है। इस आधार पर भी उत्तर प्रदेश का माॅरिशस से गहरा नाता है। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि शर्तबंद मजदूरों के यहां आने से पहले ही उत्तर प्रदेश और माॅरिशस के सम्बन्ध स्थापित हो गए थे। उत्तर प्रदेश के तमाम लोग 19वीं शताब्दी के तीसरे दशक से गन्ने के खेतों में काम करने के लिए माॅरिशस आने लगे थे। इस समय उत्तर प्रदेश के कई अप्रवासी माॅरिशस के विकास एवं सुदृढ़ीकरण में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं। उन्होंने इस सम्बन्ध को और अधिक प्रगाढ़ एवं भावनात्मक बनाने की अपील करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश एवं माॅरिशस उद्योग, निवेश एवं पर्यटन के क्षेत्रों में सहयोग करने के लिए आगे बढ़ेंगे। img-20171102-wa0047
इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने माॅरिशस से उत्तर प्रदेश के भावनात्मक सम्बन्धों को देखते हुए दोनों देशों के संयुक्त तत्वावधान में उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद में एक सांस्कृतिक केन्द्र स्थापित करने की सहमति देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार इसके लिए भूमि उपलब्ध कराएगी। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि अगले वर्ष जब माॅरिशस में अप्रवासी दिवस का आयोजन हो तो, उस अवसर पर न केवल उत्तर प्रदेश व बिहार से भोजपुरी से जुड़े कुछ विशिष्ट आयोजनों का यहां पर मंचन हो, बल्कि विभिन्न देशों में आयोजित की जाने वाली रामलीला का विशिष्ट आयोजन किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए टीम भेजने में प्रसन्नता होगी।
योगी जी ने उत्तर प्रदेश में अपने पूर्वजों की जन्मस्थली को देखने के लिए अप्रवासी भारतीयों को आमंत्रित करते हुए कहा कि इस आवागमन से जहां उत्तर प्रदेश एवं माॅरिशस में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं भावनात्मक सम्बन्ध और अधिक प्रगाढ़ होंगे। अपार सम्भावनाओं और प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता के कारण भारत के लिए उत्तर प्रदेश का वही महत्व है, जो सम्पूर्ण विश्व के लिए भारत का है।
उत्तर प्रदेश को असीमित सम्भावनाओं वाला राज्य बताते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इससे भारत की बहुलतावादी संस्कृति को एक विशिष्ट पहचान मिली। उन्होंने क्षेत्रफल एवं आबादी के कारण उत्तर प्रदेश को देश का सबसे बड़ा बाजार बताते हुए कहा कि यह प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यन्त समृद्ध है। इस प्रदेश में जहां रामायण सर्किट के तहत अयोध्या, चित्रकूट तथा श्रंगवेरपुर जैसे पवित्र स्थल हैं, वहीं कृष्ण सर्किट के अन्तर्गत मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, गोकुल, बरसाना और नंदगांव भी हैं। बौद्ध सर्किट के अन्तर्गत सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कौशाम्बी तथा संकिसा भी इसी राज्य में अवस्थित होने के साथ-साथ विश्व प्रसिद्ध ताज महल, फतेहपुर सीकरी तथा आगरा फोर्ट भी इसी राज्य के आगरा नगर में स्थित है।
मुख्यमंत्री जी ने उत्तर प्रदेश में पर्यटन की अपार सम्भावना का उल्लेख करते हुए कहा कि आगरा, मथुरा, अयोेध्या, वाराणसी, चित्रकूट तथा बुन्देलखण्ड के पर्यटन विकास के लिए प्रदेश सरकार के नवीन प्रयासों को देश व दुनिया ने उत्सुकता से देखा और सराहा है। कुछ दिनों पूर्व, अयोध्या में पर्यटन विकास के उद्देश्य से सरयू जी के पावन तट पर ‘दीपोत्सव’ आयोजित किया गया था, जिसे पूरे देश और दुनिया ने न केवल देखा बल्कि दीपावली के उद्भव के बारे में दुनिया के सनातन हिन्दू धर्मावलम्बियों को जानकारी मिली कि वास्तव में दीपावली का विशिष्ट आयोजन कहां से प्रारम्भ होता है और इसके पीछे का उद्देश्य क्या है।
योगी जी ने कहा कि भगवान श्रीराम तथा भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली उत्तर प्रदेश में ही है। इसके अलावा, महात्मा बुद्ध तथा महावीर स्वामी के जीवन से जुड़े अनेक स्थल भी उत्तर प्रदेश में हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में प्रयाग में कुम्भ का विशाल आयोजन है, जिसमें सम्पूर्ण विश्व से श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होंगे। इसे विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक आयोजन होगा, जिसमें 12 से 15 करोड़ श्रद्धालुओं का आगमन अनुमानित है। उन्होंने माॅरिशसवासियों को उत्तर प्रदेश में आयोजित प्रयागराज कुम्भ में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित भी किया।
मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश सरकार द्वारा निवेश में बढ़ोत्तरी एवं विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि निवेश प्रक्रिया को सुगम और आकर्षक बनाते हुए कई नीतिगत निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा नई औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति लागू की गई है। निवेशकों को एक छत के नीचे समस्त सम्बन्धित विभागों से एन0ओ0सी0 प्राप्त करने के लिए आॅनलाइन सिंगल विण्डो पोर्टल विकसित किया जा रहा है, जिसकी निगरानी सीधे उनके कार्यालय द्वारा की जाएगी।
अपने सम्बोधन के अन्त में, मुख्यमंत्री जी ने बाबू रघुवीर नारायण सिंह की बटोहिया कविता की ‘सुंदर सुभूमि भैया भारत के भूमि, जेहि जन रघुबीर सिर नावे रे बटोहिया’ का उल्लेख करते हुए माॅरिशसवासियों को अपने पूर्वजों की भूमि से जुड़ने का आह्वान किया।
इस अवसर पर माॅरिशस के प्रधानमंत्री श्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ, भारत के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री गिरिराज सिंह सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी 6 अगस्त, 2017 को म्यांमार के यांगून नगर में आयोजित ‘संवाद’ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए

Posted on 08 August 2017 by admin

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Sahara announces ‘India Center’ at U.K

Posted on 19 February 2013 by admin

picSahara announces ‘India Center’ at U.K. and ‘Sahara Think Tank’ for Business opportunities at UK during the closed door meeting with Mr. David Cameron, Prime Minister of U.K.

The final highlights of the initiatives which were suggested by Saharasri in June 2012 during his one-on-one meeting with Mr. David Cameron at London, were presented by Sahara India Pariwar

‘Saharasri’ Subrata Roy Sahara, Managing Worker & Chairman, Sahara India Pariwar, presented the final highlights of 2 initiatives, ‘Sahara Think Tank’ and ‘India Center’, to the Prime Minister of U.K., Mr. David Cameron, in a close-door round table conference in Mumbai. The close-door round table conference was attended by heads of 9 major corporate houses of India. The initiatives were earlier discussed on 24th June, 2012 in one-on-one meeting of ‘Saharasri’ and Mr. David Cameron at 10 Downing Street, London and were appreciated by the Prime Minister and had promised support to the initiatives.

The ‘Sahara Think Tank’ initiative is planed to provide a platform through a well structured team of young professionals from U.K., to tap the unique business opportunities. The initiative will be executed under the guardianship of Lord Patel of Bradford, OBE and other eminent people from British society. The meeting in Mumbai was the first edition of ‘Sahara Think Tank’ initiatives.

Sahara India Pariwar has also announced the setting-up of an iconic ‘India Center’ in a joint venture partnership with the University of East London. The ‘India Center’ planned on a 4 acre will be a unique facility housing student facilities with world class teachings and learning experience, to come-up at the University of East London Dockland Campus. Mr. David Cameron appreciated the fact that this would be the only kind of its endeavour in the world between a corporate and a university. The university has already acquired the require 4 acre land for the Centre.

About Sahara India Pariwar
Sahara India Pariwar is a major business conglomerate in India with operations in multiple sectors, including financial services, life insurance, mutual funds, housing finance,  infrastructure & housing, print and television news media, entertainment channels, cinema production, consumer merchandise retail, healthcare, hospitality, manufacturing, sports, and information technology.

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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मुख्यमंत्री से जर्मनी के राजदूत ने शिष्टाचार भेंट की

Posted on 31 January 2013 by admin

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव 30 जनवरी, 2013 को लखनऊ में अपने सरकारी आवास पर जर्मनी के राजदूत श्री माइकल स्टाइनर एवं उनकी पत्नी श्रीमती एलीज स्टाइनर का स्वागत करते हुए।

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