Archive | July, 2015

वी-गार्ड ने लखनऊ में लाॅन्च की वाटर हीटर की नई रेंज -उत्तर भारतीय बाजार विस्तार करने की योजना-

Posted on 29 July 2015 by admin

भारत के अग्रणी उपभोक्ता इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्राॅनिक्स ब्रांड वी-गार्ड इंडस्ट्रीज लि0 ने आज लखनऊ में इंस्टेंट और स्टोरेज वाटर हीटर की अपनी नई पेशकश लाॅन्च करने की घोषणा की है। इसी के साथ कंपनी देश के सबसे तेज विकसित होते बाजारों में से एक, इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को अधिक मजबूत करने का लक्ष्य रखती है।
लखनऊ में ब्रांडेड इलेक्ट्रिक वाटर हीटर बाजार लगभग 8 से 9 करोड़ रुपए का है। वी-गार्ड का मानना है कि कई पहलुओं के साथ होने के कारण से लखनऊ का इलेक्ट्रिक वाटर हीटर बाजार विकास की भरपूर संभावनाएं देता है।
लखनऊ में नए वाटर हीटर के लाॅन्च के मौके पर अपनी राय देते हुए वी-गार्ड इंडस्ट्रीज लि0, उत्तर जोन के क्षेत्रीय प्रबंधक-मार्केटिंग, श्री आदित्य सिंह ने कहा कि, ’’भारत में इलेक्ट्रिक वाटर हीटर बाजार प्रतिवर्ष 15-20 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। नए वाटर हीटर माॅडलों के लाॅन्च से बाजार में वी-गार्ड की स्थिति और मजबूत होगी। दक्षिण भारत (तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक) की हमारे व्यवसाय में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी है। लखनऊ भी हमारे ब्रांड के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है। हम विकास गति को बनाए रखने के लिए इस बाजार में अपनी गतिविधियां जारी रखेंगे।’’
इस सीजन में वी-गार्ड अत्यधिक उन्नत और स्टाइलिश रूप से डिजाइन किए गए वाटर हीटर्स के 4 नए माॅडल्स लाने जा रहा है। पेबल डीजी-इसमें शामिल होगा इंटेलिजेंट शेड्यूलर, टच कंट्रोल, सुन सकने वाल अलार्म संकेत और साथ में वायरलेस रिमोट कंट्रोल, अंदर के टैंक के लिए एक विशेष एंटी-क्रैक सुरक्षा और इसकी कीमत रु. 12,100 होगी। स्टीमर इपीएसी-इसमें होगी एबीएस आउटर बाॅडी, किसी भी प्रकार के पानी के लिए उपयुक्त इंजीनियर पाॅलिमर कोटेड टैंक, 5 स्टार रेटिंग के साथ 8 किग्रा0/वर्ग सेमी0 की दबाव सहन क्षमता, और इसकी कीमत है रु. 9000-15 लीटर और रु. 10,500-25 लीटर। आईरिस-इसमें है इंजीनियर्ड पाॅलिमर आउटर बाॅडी और 6.5 किग्रा0/वर्ग सेमी0 तक की दबाव सहन क्षमता, आइरिस की कीमत है 5000 रुपए। क्रिस्टल प्लस एन - जंग रोधी एबीएस से बना है, खारे पानी के लिए उपयुक्त शीशे जैसा इनेमल कोटेड अंदरूनी टैंक, 5 स्टार रेटिंग के साथ 8 किग्रा0/वर्ग सेमी0 तक की दबाव सहन क्षमता, उच्च गुणवत्ता इनकोलाॅय 840 हीटिंग एलिमेंट और इसकी कीमत है रु. 8000-6 लीटर, रु. 8500-10 लीटर, रू. 10,000-15 लीटर और रु. 10,500-25 लीटर।
वाटर हीटर्स की हमारी विस्तृत रेंज सुविधाजनक और सुंदर तरीके से डिजाइन की गई है जो बिजली के किफायती इस्तेमाल के लिए 5 स्टार रेटिंग के साथ आती है, और इस तरह उत्पाद का जीवन काल भी बढ़ता है। इस लाॅन्च के साथ, वी-गार्ड ने भारत के वाटर हीटर बाजार में अपनी स्थिति को अधिक मजबूत किया है। वर्तमान में, वी-गाॅर्ड इलेक्ट्रिक वाटर हीटर लखनऊ के सभी बाजारों में उपलब्ध है। अगले कुछ सालों में कंपनी लखनऊ में मार्केट लीडर बनने के लिए अपनी उपस्थिति में वृद्धि करने की योजना रखती है।
पेबल डीजी 15 लीटर में, स्टीमर इपीएसी 15 और 25 लीटर में, आइरिस 3 लीटर में, क्रिस्टल प्लस एन 6 लीटर, 10 लीटर, 15 लीटर और 25 लीटर में उपलब्ध होगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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राज्य मंत्री श्री शंखलाल माॅझी एवं श्री विशम्भर प्रसाद निषाद, सांसद ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि

Posted on 29 July 2015 by admin

राज्य मंत्री श्री शंखलाल माॅझी एवं श्री विशम्भर प्रसाद निषाद, सांसद ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि निषाद, मल्लाह, कश्यप, बिन्द आदि जातियों द्वारा नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर 29 जुलाई, 2015 को प्रस्तावित धरना प्रदर्शन पूर्व राष्ट्रपति ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम के निधन के कारण निरस्त कर दिया गया हैै।
स्मरणीय है कि यह धरना  उक्त जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने की माॅग को लेकर प्रस्तावित था। समाजवादी पार्टी ने इस दिशा में पहल की थी और प्रदेश की समाजवादी सरकार इस संबंध में केन्द्र सरकार को मंत्रिमण्डल का प्रस्ताव भी भेज चुकी है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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धानुका ऐग्रिटेक द्वारा जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय में विक्रेताओं के लिए कृषि विस्तार सेवाओं में डिप्लोमा की पेशकश

Posted on 29 July 2015 by admin

धानुका एग्रिटेक लिमिटेड, भारत की एक अग्रणी कृषिरसायन फाॅर्मुलेशन कंपनी, ने हाल में सार्वजनिक निजी साझेदारी में कृषि विस्तार सेवाओं पर एक कोर्स की पेशकश की है। इस कोर्स  (पाठ्यक्रम) को गुजरात में जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग में लाॅन्च किया गया, जोकि कृषि -इनपुट डीलरों एवं वितरकों को लाभान्वित करेगा। एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स द्वारा कृषि इनपुट एवं सेवाओं और नई तकनीकों के लिए प्रशिक्षण पर फोकस किया जायेगा। इस कोर्स को आनंद कृषि विश्वविद्यालय, आनंद और नवसारी कृषि विश्वविद्यालय, नवासारी में पेश किया गया है।

कृषि विस्तार कोर्स इग्नू (इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी) के नियमों के अनुसार तैयार किया गया है। इसे दूरस्थ शिक्षा अध्ययन मोड में पेश किया जाता है। इसकी अवधि एक वर्ष की होगी और इसे आठ माॅड्यूल में विभक्त किया जायेगा जिसमें लागू विषयों को विभिन्न संकायों के वैज्ञानिकों द्वारा पढ़ाया जायेगा।

इस अवसर पर श्री राहुल धानुका, निदेशक (विपणन), धानुका एग्रिटेक लि., डाॅ. राधा कृष्णन, निदेशक, आइसीएआर, मूंगफली शोध की निदेशक, जूनागढ़; प्रो. एम.सी. वार्षणेय, वाइस चांसलर, कामधेनु यूनिवर्सिटी, गांधीनगर; श्री पी.के.कनोडिया, प्रेसिडेंट, धानुका एग्रिटेक लि., डाॅ. डी.जे.कोशिया, एडवायजर (आरऐंडडी), धानुका एग्रिटेक लि., जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विभाग के अधिकारी मौजूद थे। इसके साथ ही जूनागढ़ और आसपास के क्षेत्रों के 150 वितरकों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

इस मौके पर श्री राहुल धानुका, निदेशक (विपणन), धानुका एग्रिटेक लि. ने कहा, ‘‘कृषि समुदाय की भलाई के लिए जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय से सहयोग करना बेहद गर्व की बात है। कृषि उत्पादकता के लिहाज से भारत दूसरा सबसे बड़ा देश है और इनपुट डीलर किसानों के लिए सूचना का प्रमुख स्रोत हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें उद्योग में नवीनतम जानकारियों और तकनीकी प्रगति का पूरा ज्ञान हो। हमारी विशेषज्ञता और व्यावहारिक अनुभव की बदौलत हमें पूरा भरोसा है कि हम इस कोर्स को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में मूल्यवान पेशकश बनायेंगे।‘‘

डाॅ. ए. आर. पाठक, वाइस चांसलर, जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय ने कहा, ‘‘इन दिनों कृषि ज्ञान आधारित बन चुकी है और किसानों को सही ज्ञान देना बहुत आवश्यक हो गया है। हमें खुशी है कि धानुका एग्रिटेक लि. ने आगे आकर एक नये कोर्स की पेशकश करने में हमारी मदद की। इसके लिए हम उनके आभारी हैं। यह प्रयास निश्चित रूप से दीर्घकालिक अवधि में हमारी सहायता करेंगे।‘‘

धानुका एग्रिटेक भारतीय भौगोलिक क्षेत्र में किसानों के लिए विश्वस्तरीय कृषि-समाधान लाने में हमेशा अग्रदूत रहा है। देश में लगभग 3 लाख कृषि इनपुट डीलरों का विस्तृत नेटवर्क है, जोकि कृषक समुदाय को ‘‘ कृषि संबंधी जानकारी‘‘ देने का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। ऐसा अनुमान है कि विशिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त कर वे भविष्य में पेशेवर कृषि सूचना प्रदाता बन सकते हैं और ‘‘मार्केट लेड एक्सटेंशन‘‘ (बाजार-प्रवर्तित विस्तार) को वास्तविकता में परिवर्तित कर सकते हैं।  इससे भारतीय कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन को बढ़ावा मिलेगा।

कंपनी के पास उत्पादों की विविधीकृत श्रृंखला है। हमारे पोर्टफोलियो में 85 उत्पाद हैं, जोकि सभी फसलों में लगभग सभी समस्याओं के लिए समाधान उपलब्ध कराते हैं।

मेसर्स धानुका ऐग्रिटेक लिमिटेड के विषय में:
मेसर्स धानुका ऐग्रिटेक लिमिटेड बेहतर फसल, बेहतर खेती और बेहतर जिंदगी प्राप्त करने में किसानों की मदद के लिए कृषि इनपुट उत्पादों की व्यापक श्रृंखला का उत्पादन करती है।  भारत के सभी बड़े राज्यों में विपणन कार्यालयों के जरिए कंपनी की अखिल भारतीय उपस्थिति है। देश भर में 8,000 से अधिक वितरकों और डीलरों का नेटवर्क है, जो 75,000 से अधिक रिटेलर्स को बिक्री करता है और एक करोड़ से ज्यादा किसानों तक पहुंच बनाता है। कंपनी के 4 अमेरिकी और 4 जापानी कंपनियों के साथ गठबंधन भी हैं।
धानुका एग्रिटेक के देशभर में 30 कार्यालयों के अतिरिक्त 45 वेयरहाउस हैं एवं 200 से अधिक रजिस्टर्ड उत्पादों के साथ ब्रांडेड बिक्री में भारत के प्रथम पांच कंपनियों में से एक है। धानुका एग्रिटेक ब्रांडेड बिक्री के रूप में लोकप्रिय भारत की शीर्ष पांच कंपनियों में शामिल है। 200 से अधिक पंजीयन एवं 500 ऐक्टिव एसकेयू के साथ कंपनी की बाजार में विशालतम पैठ है। वर्तमान समय में धानुका प्रगतिशील किसानों का सबसे पसंदीदा ब्रांड है। व्यापक विपणन नेटवर्क जोकि भारत के आंतरिक इलाकों में भी प्रवेश कर चुका है, कृषि की बढ़ी आय, ऐग्रो-केमिकल की लागत-लाभ दुविधा के विषय में अधिक जागरुकता, विविध उत्पाद श्रृंखला एवं सभी फसलों में लगभग सभी समस्याओं के समाधान, नवोन्मेषी बाजार रणनीतियां तथा अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी गठबंधन कंपनी के प्रमुख विकास संचालक हैं। कंपनी अपनी साझेदारी के माध्यम से प्रतिवर्ष नए उत्पादों की पेशकश करती है और भारतीय किसानों के लिए निरंतर नई तकनीक लाने के लिए प्रयासरत है।
धानुका एग्रिटेक लिमिटेड को वर्ष 2010, 2011, और 2013 में फोब्र्स मैगजीन द्वारा तीन बार ‘200 बेस्ट अंडर ए बिलियन कंपनीज इन एशिया पेसिफिक‘ में शामिल किया गया है।  कंपनी ने अपने नवीनतम लस्टर उत्पाद के बेहतरीन नवाचार के लिए इंक इंडिया इनोवेटिव 100 अवार्ड: 2013 प्राप्त किया था। कंपनी को वित्त वर्ष 2010-11, वित्त वर्ष 2011-12 लगातार दो वर्षों के लिए ‘1,500 करोड़ रूपये के अंतर्गत भारत की सबसे तेजी से बढ़ने वाले ‘इंक इंडिया 500‘ भी दिया गया था।
कंपनी को हाल में भारत की उत्कृष्ट कंपनियों की प्रतिष्ठित सूचीः इंक इंडिया-हाॅल आॅफ फेम-2014 में भी जगह दी गई है। इसे अक्टूबर 2014 में बेस्ट कंट्रीब्यूषन टु अकेडिमिया के लिए फिक्की केमिकल्स एवं पेट्रोकेमिकल्स अवार्ड भी प्राप्त हुआ है।
कंपनी ने इंक इंडिया अवार्ड फाॅर इनोवेषन इन प्रोडक्टः मोर्टार एवं इनोवेटिव लाॅजिस्टिक्स मैनेजमेंट भी प्राप्त हुआ है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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समाजवादी पार्टी सन् 2017 में होनेवाले विधान सभा चुनावो की तैयारी में कमर कस कर जुट गई है।

Posted on 25 July 2015 by admin

समाजवादी पार्टी सन् 2017 में होनेवाले विधान सभा चुनावो की तैयारी में कमर कस कर जुट गई है। पार्टी ने 169 सीटें चिन्हित कर रखी हैं जिनमें सन् 2012 के विधान सभा चुनावोें में पार्टी के प्रत्याशी नहीं जीत सके थे। इन सीटों केा जीतने की रणनीति के तहत इनके लिए प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया कल 23 जुलाई,2015 से प्रारम्भ हो गई है। उक्त 169 सीटों के लिए पार्टी कार्यालय में 1500 आवेदन प्राप्त हुए हैं इनमें से प्रतिदिन लगभग 125 प्रत्याशियों से वार्ता का कार्य प्रारम्भ किया गया है।
समाजवादी पार्टी मुख्यालय, लखनऊ में आज कानपुर मण्डल तथा झाॅसी मण्डल के प्रत्याशियों से उनके चुनाव क्षेत्रों के समीकरण जानने के साथ उनकी चुनाव संबंधी तैयारियों का भी जायजा लिया गया। इससे पूर्व कल आगरा और अलीगढ़ मण्डल के प्रत्याशियों का साक्षात्कार लिया गया था।
विधान सभा चुनावों के लिए प्रत्याशियों के चयन एवं साक्षात्कार का काम समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी द्वारा गठित चयन समिति द्वारा किया जा रहा है जिसमें मंत्री श्री कैलाश यादव, शाहिद मंजूर, राज्यमंत्री एवं महासचिव श्री अरविन्द कुमार सिंह गोप, श्री कमाल अख्तर, प्रदेश उपाध्यक्ष श्री नरेश उत्तम तथा प्रदेश सचिव श्री एस0आर0एस0 यादव शामिल है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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कार्यशाला मेें निशुल्क नीबू घास के पौधो का वितरण

Posted on 25 July 2015 by admin

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में जिला विज्ञान क्लब, लखनऊ द्वारा शास्त्री भवन सभागार, सरोजनीनगर लखनऊ में केन्द्रीय औषधीय एवं
पौधा संस्थान (सीमैप) के सहयोग से एक दिवसीय औषधीय एवं सगन्ध पौधांे की खेती सम्बन्धी कार्यशाला/ जागरूकता कार्यक्रम, सहायक विकास अधिकारी एस.टी सरोजनी नगर जितेन्द्र कुमार की अध्यक्षता में की गई।
कार्यशाला के मुख्य वक्ता सीमैप के वरिष्ट वैज्ञानिक एवं सलाहकार डाॅ0 ए.के.सिहं ने किसानो
को सम्बोधित करते हुए  कहा कि औषधीय एवं सगन्ध पौधांे की खेती को अपना कर बेकार पड़ी
हुई ऊसर बंजर जमीन का सदुपयोग कर के परम्परागत खेती के साथ साथ अतिरिक्त धनराशि अर्जित कर सकते है। उन्होने कहा कि तुलसी की फसल सिर्फ 90 दिनो में तैयार हो जाती है, तुलसी का तेल 600 रूपये लीटर बेच कर किसान कम समय में अधिक धन कमा सकते है। उन्होने कहा कि कम सिचाई और मिट्टी की कटान रोकने वाली नीबू घास की पहली फसल चार महीने में काट कर किसान 1000 रूपये लीटर बेच कर नगद धनराशि जुटा सकते है। बहु वर्षीय नीबू घास की फसल को एक साल में चार बार काट सकते है।
कार्यशाला की मुख्य अतिथि एवं सरोजनी नगर ब्लाक प्रमुख किरन यादव ने कहा कि भोजन को स्वादिष्ट एवं स्वास्थ्य वर्धक बनाने के लिए धर की रसोई में मसालो के रूप में मौजूद लौगं, कालीमिर्च, हींग, हल्दी आदि का इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में रोगी का
इलाज करने के लिए वैद्य एवं हकीमो द्वारा काढे के रूप में जड़ी बूटियो का प्रयोग किया जाता है।
उन्होने कहा कि सरोजनी नगर के जागरूक किसान औषधीय एवं सगन्ध पौधांे की खेती अपना कर
अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करते हुए समाज को भी लाभांन्वित कर सकते है। उन्होने जिला विज्ञान क्लब, लखनऊ की ओर से चयनित लगभग दो दर्जन किसानो को लगभग 1000 लैमन ग्रास (नीबु घास) के पौधे वितरित किए।
कार्यशाला में सीमैप के वरिष्ट वैज्ञानिक डाॅ0 रवि प्रकाश.बन्सल ने किसानो को औषधीय एवं सगन्ध पौधांे की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि मानव स्वास्थय को प्रभावित करने वाले रोगो के बढने के कारण विश्व दवा बाजार में जड़ीबुटियो की मांग बढ रही है। इनकी निरन्तर आपूर्ति सुनिश्चित करने की दृष्टि से आवश्यक हो गया है कि इन औषधिय और संगध पौधो की व्यापारिक स्तर पर वैज्ञानिक खेती की जाये। उन्होने बहुवर्षीय कृषि क्रियाकलापों में लेमन ग्रास, पामारोजा, सेट्रोनेला, खस, सतावर, सनाय, ग्वारपाठा, गुडमार, बच, मुस्कदाना,आदि के रोपण के बारे में विस्तार से बताया।
जिला विज्ञान क्लब लखनऊ के समन्वयक राजकमल श्रीवास्तव ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए  कहा कि अपनी सोच को वैज्ञानिक एवं तर्कसंगत बनाकर किसान परम्परागत खेती के साथ-साथ औषधीय एवं संगध पौधो की खेती को अपनाकर अतिरिक्त आय को अर्जित कर सकते है। वैज्ञानिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए ब्लाक स्तर पर  सभी गावों से किसानो का चयन किया जा रहा है।
कार्यशाला में ए.डी ओं ए.जी के.के शुक्ला., सरोजनी नगर के विभिन्न ग्राम सचिव एवं ग्राम प्रधानो समेंत लगभग 100 किसान उपस्थित रहे। कार्यशाला के सफल आयोजन में , नैयर जैदी, विनीत कुमार, आदि का सराहनीय योगदान रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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श्रमिकों की पुत्रियों के विवाहोत्सव पर आर्थिक सहायता हेतु आवेदन पत्र

Posted on 25 July 2015 by admin

उत्तर प्रदेश श्रम कल्याण परिषद द्वारा संचालित योजना का लाभ प्रदेश के विभिन्न  क्षेत्रों में पंजीकृत कारखानों कार्यरत श्रमिकों की पुत्रियों के विवहोत्सव पर कन्यादान के रूप में एकमुश्त धनराशि रू0 15000/- की आर्थिक सहायता निम्नलिखित शर्ते पूर्ण करने पर ही प्रदान की जाएगी।
इस आशय की जानकारी श्री बी0जे0सिंह उप श्रमायुक्त लखनऊ क्षेत्र, लखनऊ ने आज यहाॅ दी। उन्होंने बताया कि योजना का लाभ प्रदेश के श्रमिकों को उनकी सम्पूर्ण सेवाकाल में केवल दो कन्याओं के विवाह हेतु ही दिया जोयगा। श्रमिकों को अपनी कन्या की शादी की निर्धारित तिथि से एक माह पूर्व निपधा्ररित प्रपत्र पर आवेदन पत्र प्रस्तुत करना होगा। शादी की तिथि के बाद प्राप्त होने वाले आवेदन पत्रों पर कोई विचार नहीं किया जाएगा। कन्यादान की राशि उन्हीं श्रमिकों की कन्याओं को दी जाएगी जिन्होंने किसी अधिष्ठाान/कारखाने में कम से कम छः माह लगातार नियमित रूप से सेवा की हो और आवेदन पत्र प्रस्तुत करते समय भी कार्यरत हो। लाभार्थी (कन्या) का खाता पंजाब नेशनल बैंक होना आवश्यक है। कन्या की आयु 18 वर्ष हो। कन्यादान के रूप में आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए आवेदन निर्धारित प्रपत्र पर पूर्ण रूप से भरकर अपने क्षेत्र से संबंधित क्षेत्रीय अपर/उप/सहायक श्रम आयुक्त कार्यालयों में जमा करने होंगे। अधिक जानकारी के लिये कार्यालय उप श्रमायुक्त लखनऊ क्षेत्र, लखनऊ से प्राप्त कर सकते हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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पर्यवेक्षणीय अधिकारी की उपस्थिति में ए0पी0एल0एवं अतिरिक्त बी0पी0एल0 गेहूॅ /चावल का वितरण किया जायेगा-

Posted on 25 July 2015 by admin

लखनऊ नगर/टाउन एरिया/ग्रामीण क्षेत्रों के ए0पी0एल0/ अतिरिक्त बी0पी0एल0 कार्ड धारको को सूचित किया जाता है कि ए0पी0एल0एवं अतिरिक्त बी0पी0एल0 योजना के अन्तर्गत माह जुलाई 2015 की 25 से 31 जुलाई 2015 तक ए0पी0एल0 गेहूॅ/ अतिरिक्त बी0पी0एल0 योजना में गेहूॅ/चावल के विशेष वितरण तिथि के रूप मे निर्धारित किया गया है। उक्त खाद्यान्न का वितरण निर्धारित विशेष वितरण तिथियों मे पर्यवेक्षणीय अधिकारी/ क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी/पूर्ति निरीक्षक की उपस्थिति में प्रातः 08 बजें से सांय 04 बजें तक वितरण किया जायेगा।
इस आशय की जानकारी जिला पूर्ति अधिकारी श्री चन्द्रशेखर ओझा ने पत्र के माध्यम से आज यहाॅं दी। उन्होने बताया कि ए0पी0एल0 कार्ड धारक नगरीय/टाउन एरिया/ग्रामीण क्षेत्र  के अपने से सम्बधित उचित दर विक्रेता से 10.00 कि0ग्रा0 गेहॅू रू0 07.00 प्रति किलोग्राम की दर पर प्रथम आवत प्रथम पावत के सिद्धान्त पर एवं अतिरिक्त बी0पी0एल0 योजना के कार्डधारक 04 किलोग्राम गेहॅंू एवं 06 किलोग्राम चावल  बी0पी0एल0 दर पर( दो माह जुलाई 2015 का) प्राप्त कर सकते है। जनपद के समस्त उचित दर विके्रता की सभी दुकाने अनवरत माह की अन्तिम तिथियों तक खुली रहेगी। नगर क्षेत्र स्थित आवश्यक वस्तु निगम के गोदाम से सम्बद्ध लगभग सभी उचित दर की दुकानों पर ए0पी0एल0 का खाद्यान्न उपलब्ध नही हो पाया है,  उन पर खाद्यान्न  पहुचते ही वितरण प्रारम्भ करा दिया जायेगा। उक्त वितरण में किसी प्रकार की शिकायत होने पर सम्बधित कार्ड धारक क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी/पूर्ति निरीक्षक (ग्रामीण) के पास शिकायत दर्ज करा सकते है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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धान की फसल में पत्ती लपेटक कीट के नियंत्रण हेतु सुझाव-

Posted on 25 July 2015 by admin

धान खरीफ की प्रमुख फसल है वर्तमान समय में  न्यून से मध्यम स्तर पर पत्ती लपेटक कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है। इस कीट की सूडि़या प्रारम्भ में पीले रंग की तथा बाद में हरे रंग की हो जाती है जो पत्तियों को लम्बाई में मोड़कर अन्दर से हरे भाग को खुरचकर खाती है जिससे प्रभावित पत्ती सफेद रंग की दिखाई देती है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी डा0 नरेन्द्र प्रताप मल्ल ने इस आशय की जानकारी आज यहां दी। उन्होने किसान भाइयों को सलाह दी है कि अपने खेत की नियमित निगरानी करे, तथा इस कीट के नियंत्रण हेतु  क्लोरपाइरीफाॅस 20 प्रति ई0सी0 1.5 लीटर, मोनोक्रोटोफाॅस 36 प्रतिशत एस0एल0 1.25लीटर, क्यूनालफाॅस 25 प्रतिशम ई0सी0 1.5 लीटर, ट्राईजोफाॅस 40 प्रतिशत ई0सी0 1.25 लीटर, कारटाप हाइड्रोक्लोराइड 50 प्रतिशत एस0पी0 1 किग्रा तथा डाइक्लोरोवाॅस 76 प्रतिशत ई0सी06.25 मिली रसायनों मे से किसी एक रसायन की संस्तुति मात्रा प्रति हेक्टयर लगभग 500-600 लीटर पानी मे घोलकर छिडकाव करें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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शैक्षिक संस्थाओं में रैगिंग रोकने हेतु कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें-जिलाधिकारी

Posted on 25 July 2015 by admin

जिलाधिकारी श्री राज शेखर ने  बताया विगत वर्ष कालेजों में रैगिंग की रोकथाम हेतु 26 बिन्दुओ पर कार्यवाही किये जाने सम्बन्धी दिशा-निर्देश जारी किये गये थें, किन्तु  विगत वर्ष शैक्षिक सत्र में रैगिंग की घटनायें प्रकाश में आयी थीं जिससे सम्बन्धित संस्थान के निदेशक/प्रचार्य की लापरवाही परिलक्षित होती है।रैगिंग जैसे आपत्तिजनक प्रकरणों की प्रभावी रोकथाम हेतु जिला स्तरीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर टीम का गठन किया गया है।
जिलाधिकारी ने रैगिंग जैसे आपत्तिजनक प्रकरणों की प्रभावी रोकथाम हेतु  कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिये है। उन्होने कहा कि सत्र के प्रारम्भ से ही रैगिंग पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगे होने की सूचना संस्थान में जगह जगह पर प्रचारित एवं प्रसारित की जाए तथा रैगिंग में लिप्त पाये जाने पर कठोर दण्ड की व्यवस्था को बैनर- होर्डिग्स के माध्यम से संस्थानमें प्रदर्शित किया जाये। प्रत्येक छात्र एवं उसके अभिभावक से प्रवेश के समय शपथ पत्र लिया जाए कि यदि वे संस्थान में रैगिंग मे पकडे गये तो संस्थान से निष्कासित कर दिया जायेगा एवं इसकी जिम्म्ेदारी स्वयं छात्रों की होगी। उन्होने कहा कि प्रत्येक शिक्षण संस्थान में सत्र के प्रारम्भिक कम से कम दो माह रैगिंग विरोधी दस्ते अनिवार्य रूप से बनाये जाएं। इन दस्तो द्वारा प्रतिदिन दिन रात में छात्रावासों तथा परिसर में एकान्त स्थलों पर एवं ऐसे स्थानों पर जहां रैगिंग की सम्भावना हो, का निरीक्षण किया जायें।
जिलाधिकारी ने कहा कि संस्था द्वारा निर्धारित कोड से भिन्न यदि छात्र समूह द्वारा कोई अनौपचारिक कोड विशेषकर प्रथम वर्ष के छात्रों हेतु बनाए जाने की बात प्रकाश में आती है तो उनके विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी। एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाते समय प्रथम वर्ष के छात्रों की विशेष सुरक्षा का ध्यान रखा जाये। सभी संस्थानों में जहाॅ पर प्रथम वर्ष के छात्र रहते हैं, वहाॅ पर यह सुनिश्चित करें कि जो भी सुरक्षा व्यवस्था में तैनात किये गये हैं, वे रात्रि में छात्रावासों के चारों ओर गश्त लगायें। उनको पूरी तरह से हिदायत दी जाए। प्रत्येक सत्र के प्रारम्भ में नये छात्रों को स्थान के बारे में अधिकाधिक जानकारी प्रदान कर दी जाए, जिससे कि सीनियर छात्रों द्वारा नये छात्रों की कम जानकारी का अनुचित लाभ न उठाया जा सके।
उन्होंने कहा कि नवीन छात्रों के लिए छात्रावास परिसर, वरिष्ठ छात्रों के छात्रावास परिसर से दूर ही रखा जाए एवं दोनेां छात्रावासों के बीच पर्याप्त ऊॅचाई की बाउण्ड्रीवाॅल का निर्माण सुनिश्चित किया जाए। यदि छात्रावास समुचित संख्या में उपलब्ध नहीं है, तो नये छात्रों को ही परिसर छात्रावास में रखने की व्यवस्था की जाए। वरिष्ठ छात्रा बाहर रह सकते हैं। कई बार देखा गया है कि वरिष्ठ छात्र बाहरी तत्वों अथवा कालेज के छात्रावास में अनाधिकृत रूप से निवास कर रहे पूर्व छात्रों अथवा अन्य संस्थानों के छात्रों के संरक्षण में रैगिंग जैसी गंभीर गतिविधियों में लिप्त होते हैं। अतः संस्था के प्राचार्य/वार्डेन का यह उत्तरदायित्व होगा कि किसी भी दशा में शिक्षण संस्थानों के छात्रावासों में वर्तमान में उसी संस्थान में शिक्षारत छात्रों के अतिरिक्त अन्य किसी भी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबन्धित किया जाए। वरिष्ठ छात्रों को रैगिंग रोकने हेतु सम्मिलित किया जाये। प्रत्येक शिक्षण संस्था में अध्यापक, संरक्षक/अभिभावक  की समुचित संख्या पर सहायता समूह (एडवाइजरी ग्रुप) बनाये जाए। शिकायत हेतु पत्र-पेटिका रखी जायें। छात्रावास के प्रवेश के समय छात्रों के माता-पिता एवं स्थानीय अभिभावक के बारे में विस्तृति विवरण अवश्य प्राप्त किया जाये। छात्रावासों में समस्त छात्रों विशेषकर प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए छात्रावासों में आने वाले आगन्तुकों के लिए एक निश्चित अवधि निर्धरित की जाए तथा छात्रावासों में रहने वाले छात्रों को भी उक्त निर्धारित रात्रिकालीन समय के उपरान्त प्रातःकाल तक बिना किसी अनुमति के बाहर न जाने दिया जाए।
जिलाधिकारी ने कहा कि सत्र के प्रारम्भ में कम से कम दो-तीन माह तक 09.00 बजे के बाद किसी प्रथम वर्ष के छात्र के साथ किसी भी वरिष्ठ छात्र का सम्पर्क प्रतिबन्धित कर दिया
जाए। छात्रावासों में छात्रावास अधीक्षिका/अधीक्षक छात्रों की उपस्थित पंजिका बनायें तथा रात्रि में अनिवार्य रूप से विशेषकर प्रथम वर्ष के छात्रों की उपस्थिति/गणना की जाये। छात्रों की अनाधिकृत अनुपस्थिति के बारे में अभिभावकों को उनके दूरभाष/मोबाइल पर तत्काल सूचित किया जाये। संस्थान में नशीले पदार्थ पर रोक लगायी जाये। अग्नेशास्त्र रखा जाना पूर्णतया वर्जित है। छात्रवास में रैगिंग पाया जाता है तो छात्रावास के संरक्षक(वार्डेन) की गुणदोष के आधार पर जवाबदेही निर्धारित की जाए। संस्थान के प्रचार्य/निदेशक का उत्तरदायित्व होगा कि संस्थान में सत्र के प्रारम्भ से पूर्व ही अनिवार्य रूप से प्राक्टोरेल बोर्ड का गठन किया जाए। जिसकी जानकारी जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को दी जाये।
उन्होंने बताया कि प्राक्टर द्वारा प्रशासन/जिला प्रशासन के सहयोग से पुरूष/महिला को वर्दी अथवा आवश्यकतानुसार सादे वेष में भी संस्थान एवं छात्रावास परिसर के मुख्य द्वारा आदि में भ्रमण करना सुनिश्चित करेंगे। इंजीनियरिंग कालेजों में प्रशासन द्वारा रैगिंग की स्थिति की जानकारी की सूचना विभागों के सचिवों को भेजी जाये। रैगिंग रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाये। दोषी पाये जाने वाले छात्रों पर नियमानुसार कठोर कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। रैगिंग से संबंधित सहयोगात्मक एवं दण्डात्मक कार्यवाही का विवरण अन्य छात्रों के संज्ञानार्थ संस्थान में जगह-जगह जहाॅ से छात्र गुजरते हों, वहाॅ पर चस्पा कर दिया जाए। रैगिंग की कोई घटना प्रकाश में आती है, तो उसका पूर्ण उत्तरदायित्व संबंधित संस्थान के निदेशक/प्राचार्य की होगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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राज्यपाल श्री राम नाईक का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा जवाबदेही के तहत सालभर का कार्यवृत्त प्रस्तुत किया

Posted on 23 July 2015 by admin

राजभवन के प्रति लोगों में आस्था जगी है। इस नये ‘सक्रियता‘ के जनक प्रदेश के वर्तमान राज्यपाल श्री राम नाईक हैं। उनकी इसी सक्रियता का नतीजा है कि प्रदेश में उनकी एक अलग पहचान बनी है। इस दौरान उनके सरकार समेत सभी राजनैतिक दलों ओर प्रदेश के महत्वपूर्ण व्यक्तियों से अच्छे संबंध रहे। श्री नाईक पहले राज्यपाल हैं जिन्होंने अपना ‘कार्यवृत्त‘ जारी किया है। उन्होंने सरकार के कामकाज पर लगातार निगरानी रखते हुए पूरी मर्यादा के साथ अपना सांविधानिक दायित्व निभाया है।
राज्यपाल ने आज राजभवन में आयोजित एक प्रेस वार्ता में अपने एक साल का कार्यवृत्त पुस्तक ‘राजभवन में राम नाईक 2014-15‘ के रूप में जारी किया। पुस्तक को राजभवन की वेबसाईट ‘नचहवअमतदवतण्दपबण्पद‘ पर भी देखा जा सकता है। राज्यपाल का यह मानना है कि जनता को यह जानने का अधिकार हासिल है कि उनके जनप्रतिनिधि या संवैधानिक संस्थाओं की क्या कार्य पद्धति है तथा उनका योगदान क्या है। उल्लेखनीय है कि राज्यपाल श्री राम नाईक ने 22 जुलाई, 2014 को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल पद की शपथ ली थी। उन्होंने राजभवन आगमन के साथ यह घोषणा की थी कि राजभवन के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं। 8 अगस्त, 2014 से 3 सितम्बर, 2014 तक राजस्थान के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी का भी उन्होंने निर्वहन किया।
राज्यपाल ने बताया कि सिटिजन्स फाॅर डेमोक्रेसी नामक एक गैर सरकारी संस्था ने अयोध्या प्रकरण पर उनसे पूछे गये एक सवाल के जवाब को आधार बनाते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका प्रस्तुत करके अनुरोध किया था कि उन्हें उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के पद से हटाया जाए। जनहित याचिका की सुनवाई के उपरान्त माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उसे सांविधानिक दृष्टि से पोषणीय नहीं पाते हुए दिनांक 12 जनवरी, 2015 को खारिज कर दिया गया था। माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा भी याचिका दिनांक 10 जुलाई, 2015 को खारिज कर दी गयी है जिससे यह स्वतः सिद्ध हो गया कि राज्यपाल संविधान के दायरे में रहते हुए अपने पद की गरिमा का ख्याल रखकर कार्य करते हंै।
राज्यपाल श्री राम नाईक ने बताया कि उन्होंने सांविधानिक दायित्व को निभाते हुए विधान परिषद के रिक्त 9 सीटों हेतु राज्य सरकार द्वारा प्राप्त 9 नामों में से 4 नामें पर अपना अनुमोदन प्रदान किया। शेष 5 लोगों के बारे में सरकार से विस्तृत जानकारी मांगी है। भारत का संविधान के अनुसार विधान परिषद में नाम निर्देशित किये जाने वाले सदस्य ऐसे व्यक्ति होने चाहिए जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आन्दोलन और समाज सेवा जैसे क्षेत्रों में विशेष ज्ञान अथवा व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हो। ऐसे व्यक्तियों से विधान परिषद में चर्चा का दर्जा उच्च रहता है जिसका लाभ प्रदेश को तथा सरकार को होता है।
श्री नाईक ने कहा कि लोक आयुक्त का कार्यकाल 15 मार्च, 2014 को समाप्त होने पर नये लोक आयुक्त की नियुक्ति समय पर नहीं की जा सकी। 24 अप्रैल, 2014 को उच्चतम न्यायालय ने छः माह में नये लोक आयुक्त की नियुक्ति सुनिश्चित करने को कहा था। नये लोक आयुक्त की नियुक्ति हेतु राज्य सरकार से कोई संस्तुति प्राप्त न होने पर उन्होंने मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय इलाहाबाद, मुख्यमंत्री तथा विधान सभा के नेता विपक्ष को अलग-अलग पत्र लिखकर कार्यवाही हेतु कहा है। इसी प्रकार उन्होंने उप-लोक आयुक्त की नियुक्ति के संबंध में एक पत्र लोक आयुक्त को भी लिखा है। इस देरी के कारण राज्यपाल ने खेद भी व्यक्त किया है।
राज्यपाल ने बताया कि लोक आयुक्त द्वारा प्राप्त 24 ‘विशेष प्रतिवेदनों‘ को उनके द्वारा मुख्यमंत्री/मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश के स्पष्टीकरण ज्ञापन हेतु प्रेषित किया गया। केवल 4 ‘विशेष प्रतिवेदनों‘ पर मुख्यमंत्री/मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश का स्पष्टीकरण ज्ञापन प्राप्त हुए है जिन्हें राज्य विधान मण्डल के समक्ष प्रस्तुत किये जाने हेतु उनके द्वारा राज्य सरकार को प्रेषित किया गया। शेष 20 ‘विशेष प्रतिवेदनों‘ के संबंध में मुख्यमंत्री/मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश के स्पष्टीकरण ज्ञापन अभी प्राप्त नहीं हुए हैं।
राज्यपाल ने कहा कि इस एक वर्ष के अवधि में राज्य सरकार द्वारा 11 अध्यादेश उनके अनुमोदन के लिए प्रेषित किए गए जिनमें से 9 अध्यादेशों पर उन्होंने सहमति प्रदान की तथा 2 अध्यादेश प्रख्यापित नहीं हुए। जिसमें से पहला, उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने संबंधी अध्यादेश को प्रख्यापित करने से ‘भारत का संविधान‘ और उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अवहेलना होती तथा दूसरा, मुख्यमंत्री को उत्तर प्रदेश के एक चिकित्सा विश्वविद्यालय का कुलाधिपति घोषित करने संबंधी अध्यादेश से विश्वविद्यालय की स्वायत्ता प्रभावित होती और वित्त विधेयक होने के कारण राज्यपाल की अनुमति की बिना विधान सभा में प्रेषित नहीं किया जा सकता है। संविधान के तहत प्रदान शक्तियों का सही निर्वहन हो इस भूमिका में राज्यपाल द्वारा यह निर्णय लिए गए।
इसी प्रकार इस वर्ष में कुल 21 विधेयक भी विधान सभा एवं विधान परिषद से पारित होकर अनुमति के लिए प्राप्त हुए। उनमें से 14 विधेयकों पर उन्होंने अनुमति प्रदान की। 3 विधेयकों पर माननीय राष्ट्रपति की अनुमति की आवश्यकता होने के कारण उनके पास भेजे गए हैं और वे अभी भी माननीय राष्ट्रपति के विचाराधीन हैं। समवर्ती सूची में होने के कारण राष्ट्रपति को संदर्भित किये गये है क्योंकि केन्द्रीय कानून प्रभावित होंगे। इसलिए ऐसे मामलों में राष्ट्रपति की अनुज्ञा की आवश्यकता होती है।   4 विधेयक अभी भी राज्यपाल के विचाराधीन हैं जो क्रमशः उत्तर प्रदेश नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2015, उत्तर प्रदेश नगरपालिका विधि (संशोधन) विधेयक, 2015, उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग (संशोधन) विधेयक, 2015 तथा उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई, इटावा विधेयक, 2015 हैं। उक्त 4 विधेयक अभी परीक्षण के तहत विचाराधीन हैं।
श्री नाईक ने कहा कि 25 विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति/कुलाध्यक्ष होने के कारण उनका प्रयास रहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार हो। उच्च शिक्षा को सुदृढ़ एवं सुचारू रूप से चलाने के लिए राजभवन में कुलपति-कुलसचिव बैठक का भी आयोजन किया गया था जिसमें कई सार्थक विषयों पर सहमति भी बनी थी। इस एक वर्ष की अवधि में उन्होंने परीक्षाएं समय से व नकलविहीन कराने, परीक्षा परिणाम ससमय घोषित करने, नए सत्र में प्रवेश के लिए विश्वविद्यालयों को समय-समय पर पत्र भेजे हैं। सभी विश्वविद्यालयों में दीक्षान्त समारोह का आयोजन किया गया। एक वर्ष में उन्होंने 7 नियमित कुलपति नियुक्त किये तथा कई विश्वविद्यालयों में परिनियमावली संशोधनों के प्रस्ताव पर नियमानुसार सहमति भी प्रदान की।
राज्यपाल एवं कुलाधिपति के अतिरिक्त श्री नाईक 12 अन्य संस्थाओं के अध्यक्ष भी है जिनमें रामपुर रज़ा लाइब्रेरी, इलाहाबाद संग्रहालय, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तथा हिन्द कुष्ठ निवारण संघ आदि हैं। उनका प्रयास रहा कि ये सभी संस्थाए जिस उद्देश्य हेतु गठित हुई हंै उस क्षेत्र में निरंतर क्रियाशील रहते हुए कार्य करें। राज्यपाल ने 9 संस्थाओं की वार्षिक/प्रबंध समिति की बैठकों की अध्यक्षता की तथा शेष संस्थाओं के बैठक जल्द आहूत करने के निर्देश दिये हैं। राज्यपाल ने अपने विवेकाधीन कोष से इलाज हेतु, गरीब बेटियों के विवाह हेतु तथा कुष्ठ पीडि़तों, अशक्त एवं विकलांगों के लिए काम करने वाली संस्थाओं को आर्थिक सहायता भी प्रदान की।
एक साल की कार्यावधि में राज्यपाल ने 5,810 नागरिकों से मुलाकात की। कुल 44,066 प्रार्थना पत्र आम नागरिकों/संस्थाओं से प्राप्त हुए। राज्यपाल ने लखनऊ में  206 कार्यक्रमों में, लखनऊ से इतर प्रदेश के अन्य जनपदों में 110 कार्यक्रमों में तथा प्रदेश के बाहर 42 कार्यक्रमों में शिरकत की। राज्यपाल ने 21 राज्य विश्वविद्यालयों तथा 8 निजी/केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोह में भी सहभाग किया। एक साल में राजभवन में सरकारी कार्यक्रम, पुस्तक विमोचन, सांस्कृतिक संध्या, वृक्षारोपण सहित   32 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। राज्यपाल ने विभिन्न केन्द्रीय मंत्री/राज्यमंत्री भारत सरकार, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री/मंत्रीगण, राजदूतों से कुल 29 मुलाकातें की। एक वर्ष के कार्यकाल में मा0 राष्ट्रपति को 19 पत्र, मा0 प्रधानमंत्री को 37 पत्र, मा0 उपराष्ट्रपति एवं केन्द्रीय मंत्रियों को 64 पत्र तथा मुख्यमंत्री सहित मंत्रिगणों को कुल 175 पत्र प्रेषित किये हैं।
राज्यपाल ने जनता से संवाद बनाए रखने तथा जवाबदेही और पारदर्शिता की दृष्टि से सभी आयोजन, कार्यक्रम या ऐसी कोई बात जो उन्हें लगा कि जनता को इसकी जानकारी होनी चाहिए, को प्रेस नोट अथवा फोटो के माध्यम से जनता को उपलब्ध कराई। एक साल की अवधि में राजभवन से 368 प्रेस विज्ञप्तियां जारी की गईं।
ज्ञातव्य है कि राज्यपाल श्री राम नाईक महाराष्ट्र से पांच बार सांसद व तीन बार विधायक रह चुके हैं। जब वे सांसद थे तब अपने सालभर का कार्यवृत्त जवाबदेही की भूमिका में जनता के बीच जारी करते थे। यह प्रकाशन ‘लोकसभा में राम नाईक‘ के नाम से प्रकाशित होता था। बाद में 2004 से जब वे सांसद नहीं थे तब भी अपना वार्षिक कार्यवृत्त ‘लोकसेवा में राम नाईक‘ नाम से प्रकाशित करते थे। इसी क्रम में राज्यपाल पद स्वीकारने के बाद जब तीन महीने पूरे हुए तब ‘राजभवन में राम नाईक‘ पुस्तिका प्रकाशित की गयी। उसी श्रृंखला में अब राज्यपाल पद पर एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने पर पुस्तक ‘राजभवन में राम नाईक 2014-15‘ के रूप में कार्यवृत्त प्रस्तुत किया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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