Archive | July 23rd, 2015

राज्यपाल श्री राम नाईक का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा जवाबदेही के तहत सालभर का कार्यवृत्त प्रस्तुत किया

Posted on 23 July 2015 by admin

राजभवन के प्रति लोगों में आस्था जगी है। इस नये ‘सक्रियता‘ के जनक प्रदेश के वर्तमान राज्यपाल श्री राम नाईक हैं। उनकी इसी सक्रियता का नतीजा है कि प्रदेश में उनकी एक अलग पहचान बनी है। इस दौरान उनके सरकार समेत सभी राजनैतिक दलों ओर प्रदेश के महत्वपूर्ण व्यक्तियों से अच्छे संबंध रहे। श्री नाईक पहले राज्यपाल हैं जिन्होंने अपना ‘कार्यवृत्त‘ जारी किया है। उन्होंने सरकार के कामकाज पर लगातार निगरानी रखते हुए पूरी मर्यादा के साथ अपना सांविधानिक दायित्व निभाया है।
राज्यपाल ने आज राजभवन में आयोजित एक प्रेस वार्ता में अपने एक साल का कार्यवृत्त पुस्तक ‘राजभवन में राम नाईक 2014-15‘ के रूप में जारी किया। पुस्तक को राजभवन की वेबसाईट ‘नचहवअमतदवतण्दपबण्पद‘ पर भी देखा जा सकता है। राज्यपाल का यह मानना है कि जनता को यह जानने का अधिकार हासिल है कि उनके जनप्रतिनिधि या संवैधानिक संस्थाओं की क्या कार्य पद्धति है तथा उनका योगदान क्या है। उल्लेखनीय है कि राज्यपाल श्री राम नाईक ने 22 जुलाई, 2014 को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल पद की शपथ ली थी। उन्होंने राजभवन आगमन के साथ यह घोषणा की थी कि राजभवन के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं। 8 अगस्त, 2014 से 3 सितम्बर, 2014 तक राजस्थान के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी का भी उन्होंने निर्वहन किया।
राज्यपाल ने बताया कि सिटिजन्स फाॅर डेमोक्रेसी नामक एक गैर सरकारी संस्था ने अयोध्या प्रकरण पर उनसे पूछे गये एक सवाल के जवाब को आधार बनाते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका प्रस्तुत करके अनुरोध किया था कि उन्हें उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के पद से हटाया जाए। जनहित याचिका की सुनवाई के उपरान्त माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उसे सांविधानिक दृष्टि से पोषणीय नहीं पाते हुए दिनांक 12 जनवरी, 2015 को खारिज कर दिया गया था। माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा भी याचिका दिनांक 10 जुलाई, 2015 को खारिज कर दी गयी है जिससे यह स्वतः सिद्ध हो गया कि राज्यपाल संविधान के दायरे में रहते हुए अपने पद की गरिमा का ख्याल रखकर कार्य करते हंै।
राज्यपाल श्री राम नाईक ने बताया कि उन्होंने सांविधानिक दायित्व को निभाते हुए विधान परिषद के रिक्त 9 सीटों हेतु राज्य सरकार द्वारा प्राप्त 9 नामों में से 4 नामें पर अपना अनुमोदन प्रदान किया। शेष 5 लोगों के बारे में सरकार से विस्तृत जानकारी मांगी है। भारत का संविधान के अनुसार विधान परिषद में नाम निर्देशित किये जाने वाले सदस्य ऐसे व्यक्ति होने चाहिए जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आन्दोलन और समाज सेवा जैसे क्षेत्रों में विशेष ज्ञान अथवा व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हो। ऐसे व्यक्तियों से विधान परिषद में चर्चा का दर्जा उच्च रहता है जिसका लाभ प्रदेश को तथा सरकार को होता है।
श्री नाईक ने कहा कि लोक आयुक्त का कार्यकाल 15 मार्च, 2014 को समाप्त होने पर नये लोक आयुक्त की नियुक्ति समय पर नहीं की जा सकी। 24 अप्रैल, 2014 को उच्चतम न्यायालय ने छः माह में नये लोक आयुक्त की नियुक्ति सुनिश्चित करने को कहा था। नये लोक आयुक्त की नियुक्ति हेतु राज्य सरकार से कोई संस्तुति प्राप्त न होने पर उन्होंने मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय इलाहाबाद, मुख्यमंत्री तथा विधान सभा के नेता विपक्ष को अलग-अलग पत्र लिखकर कार्यवाही हेतु कहा है। इसी प्रकार उन्होंने उप-लोक आयुक्त की नियुक्ति के संबंध में एक पत्र लोक आयुक्त को भी लिखा है। इस देरी के कारण राज्यपाल ने खेद भी व्यक्त किया है।
राज्यपाल ने बताया कि लोक आयुक्त द्वारा प्राप्त 24 ‘विशेष प्रतिवेदनों‘ को उनके द्वारा मुख्यमंत्री/मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश के स्पष्टीकरण ज्ञापन हेतु प्रेषित किया गया। केवल 4 ‘विशेष प्रतिवेदनों‘ पर मुख्यमंत्री/मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश का स्पष्टीकरण ज्ञापन प्राप्त हुए है जिन्हें राज्य विधान मण्डल के समक्ष प्रस्तुत किये जाने हेतु उनके द्वारा राज्य सरकार को प्रेषित किया गया। शेष 20 ‘विशेष प्रतिवेदनों‘ के संबंध में मुख्यमंत्री/मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश के स्पष्टीकरण ज्ञापन अभी प्राप्त नहीं हुए हैं।
राज्यपाल ने कहा कि इस एक वर्ष के अवधि में राज्य सरकार द्वारा 11 अध्यादेश उनके अनुमोदन के लिए प्रेषित किए गए जिनमें से 9 अध्यादेशों पर उन्होंने सहमति प्रदान की तथा 2 अध्यादेश प्रख्यापित नहीं हुए। जिसमें से पहला, उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने संबंधी अध्यादेश को प्रख्यापित करने से ‘भारत का संविधान‘ और उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अवहेलना होती तथा दूसरा, मुख्यमंत्री को उत्तर प्रदेश के एक चिकित्सा विश्वविद्यालय का कुलाधिपति घोषित करने संबंधी अध्यादेश से विश्वविद्यालय की स्वायत्ता प्रभावित होती और वित्त विधेयक होने के कारण राज्यपाल की अनुमति की बिना विधान सभा में प्रेषित नहीं किया जा सकता है। संविधान के तहत प्रदान शक्तियों का सही निर्वहन हो इस भूमिका में राज्यपाल द्वारा यह निर्णय लिए गए।
इसी प्रकार इस वर्ष में कुल 21 विधेयक भी विधान सभा एवं विधान परिषद से पारित होकर अनुमति के लिए प्राप्त हुए। उनमें से 14 विधेयकों पर उन्होंने अनुमति प्रदान की। 3 विधेयकों पर माननीय राष्ट्रपति की अनुमति की आवश्यकता होने के कारण उनके पास भेजे गए हैं और वे अभी भी माननीय राष्ट्रपति के विचाराधीन हैं। समवर्ती सूची में होने के कारण राष्ट्रपति को संदर्भित किये गये है क्योंकि केन्द्रीय कानून प्रभावित होंगे। इसलिए ऐसे मामलों में राष्ट्रपति की अनुज्ञा की आवश्यकता होती है।   4 विधेयक अभी भी राज्यपाल के विचाराधीन हैं जो क्रमशः उत्तर प्रदेश नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2015, उत्तर प्रदेश नगरपालिका विधि (संशोधन) विधेयक, 2015, उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग (संशोधन) विधेयक, 2015 तथा उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई, इटावा विधेयक, 2015 हैं। उक्त 4 विधेयक अभी परीक्षण के तहत विचाराधीन हैं।
श्री नाईक ने कहा कि 25 विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति/कुलाध्यक्ष होने के कारण उनका प्रयास रहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार हो। उच्च शिक्षा को सुदृढ़ एवं सुचारू रूप से चलाने के लिए राजभवन में कुलपति-कुलसचिव बैठक का भी आयोजन किया गया था जिसमें कई सार्थक विषयों पर सहमति भी बनी थी। इस एक वर्ष की अवधि में उन्होंने परीक्षाएं समय से व नकलविहीन कराने, परीक्षा परिणाम ससमय घोषित करने, नए सत्र में प्रवेश के लिए विश्वविद्यालयों को समय-समय पर पत्र भेजे हैं। सभी विश्वविद्यालयों में दीक्षान्त समारोह का आयोजन किया गया। एक वर्ष में उन्होंने 7 नियमित कुलपति नियुक्त किये तथा कई विश्वविद्यालयों में परिनियमावली संशोधनों के प्रस्ताव पर नियमानुसार सहमति भी प्रदान की।
राज्यपाल एवं कुलाधिपति के अतिरिक्त श्री नाईक 12 अन्य संस्थाओं के अध्यक्ष भी है जिनमें रामपुर रज़ा लाइब्रेरी, इलाहाबाद संग्रहालय, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तथा हिन्द कुष्ठ निवारण संघ आदि हैं। उनका प्रयास रहा कि ये सभी संस्थाए जिस उद्देश्य हेतु गठित हुई हंै उस क्षेत्र में निरंतर क्रियाशील रहते हुए कार्य करें। राज्यपाल ने 9 संस्थाओं की वार्षिक/प्रबंध समिति की बैठकों की अध्यक्षता की तथा शेष संस्थाओं के बैठक जल्द आहूत करने के निर्देश दिये हैं। राज्यपाल ने अपने विवेकाधीन कोष से इलाज हेतु, गरीब बेटियों के विवाह हेतु तथा कुष्ठ पीडि़तों, अशक्त एवं विकलांगों के लिए काम करने वाली संस्थाओं को आर्थिक सहायता भी प्रदान की।
एक साल की कार्यावधि में राज्यपाल ने 5,810 नागरिकों से मुलाकात की। कुल 44,066 प्रार्थना पत्र आम नागरिकों/संस्थाओं से प्राप्त हुए। राज्यपाल ने लखनऊ में  206 कार्यक्रमों में, लखनऊ से इतर प्रदेश के अन्य जनपदों में 110 कार्यक्रमों में तथा प्रदेश के बाहर 42 कार्यक्रमों में शिरकत की। राज्यपाल ने 21 राज्य विश्वविद्यालयों तथा 8 निजी/केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोह में भी सहभाग किया। एक साल में राजभवन में सरकारी कार्यक्रम, पुस्तक विमोचन, सांस्कृतिक संध्या, वृक्षारोपण सहित   32 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। राज्यपाल ने विभिन्न केन्द्रीय मंत्री/राज्यमंत्री भारत सरकार, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री/मंत्रीगण, राजदूतों से कुल 29 मुलाकातें की। एक वर्ष के कार्यकाल में मा0 राष्ट्रपति को 19 पत्र, मा0 प्रधानमंत्री को 37 पत्र, मा0 उपराष्ट्रपति एवं केन्द्रीय मंत्रियों को 64 पत्र तथा मुख्यमंत्री सहित मंत्रिगणों को कुल 175 पत्र प्रेषित किये हैं।
राज्यपाल ने जनता से संवाद बनाए रखने तथा जवाबदेही और पारदर्शिता की दृष्टि से सभी आयोजन, कार्यक्रम या ऐसी कोई बात जो उन्हें लगा कि जनता को इसकी जानकारी होनी चाहिए, को प्रेस नोट अथवा फोटो के माध्यम से जनता को उपलब्ध कराई। एक साल की अवधि में राजभवन से 368 प्रेस विज्ञप्तियां जारी की गईं।
ज्ञातव्य है कि राज्यपाल श्री राम नाईक महाराष्ट्र से पांच बार सांसद व तीन बार विधायक रह चुके हैं। जब वे सांसद थे तब अपने सालभर का कार्यवृत्त जवाबदेही की भूमिका में जनता के बीच जारी करते थे। यह प्रकाशन ‘लोकसभा में राम नाईक‘ के नाम से प्रकाशित होता था। बाद में 2004 से जब वे सांसद नहीं थे तब भी अपना वार्षिक कार्यवृत्त ‘लोकसेवा में राम नाईक‘ नाम से प्रकाशित करते थे। इसी क्रम में राज्यपाल पद स्वीकारने के बाद जब तीन महीने पूरे हुए तब ‘राजभवन में राम नाईक‘ पुस्तिका प्रकाशित की गयी। उसी श्रृंखला में अब राज्यपाल पद पर एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने पर पुस्तक ‘राजभवन में राम नाईक 2014-15‘ के रूप में कार्यवृत्त प्रस्तुत किया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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सी.एम.एस. इण्टर-कैम्पस तैराकी प्रतियोगिता के बालिका वर्ग में कानपुर रोड कैम्पस एवं बालक वर्ग में राजेन्द्र नगर कैम्पस चैम्पियन

Posted on 23 July 2015 by admin

सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा सी.एम.एस. राजाजीपुरम (प्रथम कैम्पस) के तरणताल पर आयोजित दो दिवसीय इण्टर-कैम्पस तैराकी प्रतियोगिता आज सम्पन्न हो गई। इस प्रतियोगिता में सी.एम.एस. के विभिन्न कैम्पस के छात्र तैराकों ने प्रतिभाग कर अभूतपूर्व प्रतिभा का परचम लहराया। प्रतियोगिता के बालक वर्ग में सी.एम.एस. राजेन्द्र नगर (प्रथम कैम्पस) ने सर्वाधिक 94 अंक अर्जित कर चैम्पियनशिप पर कब्जा जमाया जबकि सी.एम.एस. कानपुर रोड कैम्पस ने सर्वाधिक 119 अंक अर्जित कर बालिका वर्ग की चैम्पियनशिप अपने नाम की।  सी.एम.एस. राजेन्द्र नगर (प्रथम कैम्पस) के छात्र अमन खान ने बालक वर्ग की 100 मी फ्री स्टाइल, 200मी इण्डिविजुअल मिडले, 100मी बटरफ्लाई एवं 100मी बैक स्ट्रोक स्पर्धाओं में प्रथम स्थान अर्जित किया। इसी प्रकार सी.एम.एस. कानपुर रोड कैम्पस की प्रतिभाशाली छात्रा जान्हवी सिंह ने 25 मी फ्री स्टाइल, 25 मी बैक स्ट्रोक एवं 25 मी बटरफ्लाई स्पर्धाओं में प्रथम स्थान अर्जित किया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय द्वारा सी.एम.एस. छात्रा पुरष्कृत

Posted on 23 July 2015 by admin

सिटी मोन्टेसरी स्कूल, अलीगंज (प्रथम कैम्पस) की छात्रा शाम्भवी सिंह को ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में सक्रियता एवं प्रभावशाली व उपयोगी विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता हेतु भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने रु. 1000/- के नगद पुरस्कार व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया है। ब्यूरो आॅफ एनर्जी इफिसिएंशी के डायरेक्टर-जनरल डा. अजय माथुर द्वारा प्रेषित प्रशस्ति पत्र में सी.एम.एस. की इस होनहार छात्रा के ऊर्जा एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों एवं तार्किक विचारों की भरपूर सराहना की गई है। उक्त जानकारी सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने दी है। श्री शर्मा ने बताया कि विगत दिनों राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस की पूर्व संध्या पर सी.एम.एस. की इस छात्रा ने भारत सरकार के कोल, पाॅवर एण्ड रिन्यूएबल एनर्जी के राज्यमंत्री महोदय से वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के माध्यम से सारगर्भित बातचीत की थी एवं ऊर्जा एवं पर्यावरण संरक्षण को वर्तमान समय की अनिवार्य आवश्यकता बताते हुए इस दिशा में जन-जन की सक्रिय सहभागिता का आह्वान किया। इस अवसर पर सी.एम.एस. छात्रा ने जन-जागरूकता फैलाने एवं ऊर्जा संरक्षण हेतु अत्यन्त ही उपयोगी सुझाव दिये, जिसे ब्यूरो आॅफ एनर्जी इफिसिएन्शी ने बहुत ही उपयोगी मानते हुए सी.एम.एस. की इस प्रतिभाशाली छात्रा को पुरष्कृत कर सम्मानित किया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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सी.एम.एस. के मेधावी छात्रों का सम्मान समारोह आज

Posted on 23 July 2015 by admin

सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में ‘मेधावी छात्र सम्मान समारोह’ का भव्य आयोजन कल दिनाँक 23 जुलाई, वृहस्पतिवार को प्रातः 8.30 बजे से सी.एम.एस. गोमती नगर (द्वितीय कैम्पस) आॅडिटोरियम में किया जा रहा है। इस भव्य समारोह में सी.एम.एस. के कक्षा-10 (आई.सी.एस.ई.) के उन मेधावी छात्रों को पुरष्कृत कर सम्मानित किया जायेगा जिन्होंने विद्यालय की प्रथम इण्टर-कैम्पस कम्परेटिव परीक्षा की मेरिट सूची में टाॅप किया है। इस अवसर पर टाॅपर छात्रों की माताजी को फलों व फूलों से तौलकर सम्मानित किया जायेगा एवं उनके पिताजी व टीचर-गार्जियन को भी सम्मानित किया जायेगा। उक्त जानकारी सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने दी है। श्री शर्मा ने बताया कि इसके अलावा आई.सी.एस.ई. बोर्ड परीक्षा-2015 में 90 प्रतिशत से अधिक अंक अर्जित करने वाले टाॅपर छात्रों, राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में सफलता अर्जित करने वाले छात्रों व शिक्षा के क्षेत्र में देश-विदेश में विद्यालय का नाम गौरवान्वित करने वाले मेधावी छात्रों को भी सम्मानित किया जायेगा।
श्री शर्मा ने बताया कि ‘मेधावी छात्र सम्मान समारोह’ से पूर्व सी.एम.एस. के हजारों छात्र कल
23 जुलाई, वृहस्पतिवार को प्रातः 7.30 बजे से विशाल ‘चरित्र निर्माण मार्च’ निकालेंगे। यह ‘चरित्र निर्माण मार्च’ गोमती नगर एक्सटेंशन स्थित मकदूमपुर पुलिस चैकी से प्रारम्भ होगा एवं सी.एम.एस. गोमती नगर (द्वितीय कैम्पस) आॅडिटोरियम पहुँचकर एक विशाल सभा में परिवर्तित हो जायेगा। सी.एम.एस. छात्रों के इस विशाल ‘चरित्र निर्माण मार्च’ में कई गणमान्य हस्तियाँ शामिल होकर चरित्र निर्माण का अलख जगायेंगें। सी.एम.एस. के सभी कैम्पस की प्रधानाचार्याएं चरित्र निर्माण मार्च में शामिल होंगी जबकि मार्च का नेतृत्व सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी करेंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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