Posted on 25 July 2015 by admin
समाजवादी पार्टी सन् 2017 में होनेवाले विधान सभा चुनावो की तैयारी में कमर कस कर जुट गई है। पार्टी ने 169 सीटें चिन्हित कर रखी हैं जिनमें सन् 2012 के विधान सभा चुनावोें में पार्टी के प्रत्याशी नहीं जीत सके थे। इन सीटों केा जीतने की रणनीति के तहत इनके लिए प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया कल 23 जुलाई,2015 से प्रारम्भ हो गई है। उक्त 169 सीटों के लिए पार्टी कार्यालय में 1500 आवेदन प्राप्त हुए हैं इनमें से प्रतिदिन लगभग 125 प्रत्याशियों से वार्ता का कार्य प्रारम्भ किया गया है।
समाजवादी पार्टी मुख्यालय, लखनऊ में आज कानपुर मण्डल तथा झाॅसी मण्डल के प्रत्याशियों से उनके चुनाव क्षेत्रों के समीकरण जानने के साथ उनकी चुनाव संबंधी तैयारियों का भी जायजा लिया गया। इससे पूर्व कल आगरा और अलीगढ़ मण्डल के प्रत्याशियों का साक्षात्कार लिया गया था।
विधान सभा चुनावों के लिए प्रत्याशियों के चयन एवं साक्षात्कार का काम समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी द्वारा गठित चयन समिति द्वारा किया जा रहा है जिसमें मंत्री श्री कैलाश यादव, शाहिद मंजूर, राज्यमंत्री एवं महासचिव श्री अरविन्द कुमार सिंह गोप, श्री कमाल अख्तर, प्रदेश उपाध्यक्ष श्री नरेश उत्तम तथा प्रदेश सचिव श्री एस0आर0एस0 यादव शामिल है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 25 July 2015 by admin
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में जिला विज्ञान क्लब, लखनऊ द्वारा शास्त्री भवन सभागार, सरोजनीनगर लखनऊ में केन्द्रीय औषधीय एवं
पौधा संस्थान (सीमैप) के सहयोग से एक दिवसीय औषधीय एवं सगन्ध पौधांे की खेती सम्बन्धी कार्यशाला/ जागरूकता कार्यक्रम, सहायक विकास अधिकारी एस.टी सरोजनी नगर जितेन्द्र कुमार की अध्यक्षता में की गई।
कार्यशाला के मुख्य वक्ता सीमैप के वरिष्ट वैज्ञानिक एवं सलाहकार डाॅ0 ए.के.सिहं ने किसानो
को सम्बोधित करते हुए कहा कि औषधीय एवं सगन्ध पौधांे की खेती को अपना कर बेकार पड़ी
हुई ऊसर बंजर जमीन का सदुपयोग कर के परम्परागत खेती के साथ साथ अतिरिक्त धनराशि अर्जित कर सकते है। उन्होने कहा कि तुलसी की फसल सिर्फ 90 दिनो में तैयार हो जाती है, तुलसी का तेल 600 रूपये लीटर बेच कर किसान कम समय में अधिक धन कमा सकते है। उन्होने कहा कि कम सिचाई और मिट्टी की कटान रोकने वाली नीबू घास की पहली फसल चार महीने में काट कर किसान 1000 रूपये लीटर बेच कर नगद धनराशि जुटा सकते है। बहु वर्षीय नीबू घास की फसल को एक साल में चार बार काट सकते है।
कार्यशाला की मुख्य अतिथि एवं सरोजनी नगर ब्लाक प्रमुख किरन यादव ने कहा कि भोजन को स्वादिष्ट एवं स्वास्थ्य वर्धक बनाने के लिए धर की रसोई में मसालो के रूप में मौजूद लौगं, कालीमिर्च, हींग, हल्दी आदि का इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में रोगी का
इलाज करने के लिए वैद्य एवं हकीमो द्वारा काढे के रूप में जड़ी बूटियो का प्रयोग किया जाता है।
उन्होने कहा कि सरोजनी नगर के जागरूक किसान औषधीय एवं सगन्ध पौधांे की खेती अपना कर
अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करते हुए समाज को भी लाभांन्वित कर सकते है। उन्होने जिला विज्ञान क्लब, लखनऊ की ओर से चयनित लगभग दो दर्जन किसानो को लगभग 1000 लैमन ग्रास (नीबु घास) के पौधे वितरित किए।
कार्यशाला में सीमैप के वरिष्ट वैज्ञानिक डाॅ0 रवि प्रकाश.बन्सल ने किसानो को औषधीय एवं सगन्ध पौधांे की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि मानव स्वास्थय को प्रभावित करने वाले रोगो के बढने के कारण विश्व दवा बाजार में जड़ीबुटियो की मांग बढ रही है। इनकी निरन्तर आपूर्ति सुनिश्चित करने की दृष्टि से आवश्यक हो गया है कि इन औषधिय और संगध पौधो की व्यापारिक स्तर पर वैज्ञानिक खेती की जाये। उन्होने बहुवर्षीय कृषि क्रियाकलापों में लेमन ग्रास, पामारोजा, सेट्रोनेला, खस, सतावर, सनाय, ग्वारपाठा, गुडमार, बच, मुस्कदाना,आदि के रोपण के बारे में विस्तार से बताया।
जिला विज्ञान क्लब लखनऊ के समन्वयक राजकमल श्रीवास्तव ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि अपनी सोच को वैज्ञानिक एवं तर्कसंगत बनाकर किसान परम्परागत खेती के साथ-साथ औषधीय एवं संगध पौधो की खेती को अपनाकर अतिरिक्त आय को अर्जित कर सकते है। वैज्ञानिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए ब्लाक स्तर पर सभी गावों से किसानो का चयन किया जा रहा है।
कार्यशाला में ए.डी ओं ए.जी के.के शुक्ला., सरोजनी नगर के विभिन्न ग्राम सचिव एवं ग्राम प्रधानो समेंत लगभग 100 किसान उपस्थित रहे। कार्यशाला के सफल आयोजन में , नैयर जैदी, विनीत कुमार, आदि का सराहनीय योगदान रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 25 July 2015 by admin
उत्तर प्रदेश श्रम कल्याण परिषद द्वारा संचालित योजना का लाभ प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में पंजीकृत कारखानों कार्यरत श्रमिकों की पुत्रियों के विवहोत्सव पर कन्यादान के रूप में एकमुश्त धनराशि रू0 15000/- की आर्थिक सहायता निम्नलिखित शर्ते पूर्ण करने पर ही प्रदान की जाएगी।
इस आशय की जानकारी श्री बी0जे0सिंह उप श्रमायुक्त लखनऊ क्षेत्र, लखनऊ ने आज यहाॅ दी। उन्होंने बताया कि योजना का लाभ प्रदेश के श्रमिकों को उनकी सम्पूर्ण सेवाकाल में केवल दो कन्याओं के विवाह हेतु ही दिया जोयगा। श्रमिकों को अपनी कन्या की शादी की निर्धारित तिथि से एक माह पूर्व निपधा्ररित प्रपत्र पर आवेदन पत्र प्रस्तुत करना होगा। शादी की तिथि के बाद प्राप्त होने वाले आवेदन पत्रों पर कोई विचार नहीं किया जाएगा। कन्यादान की राशि उन्हीं श्रमिकों की कन्याओं को दी जाएगी जिन्होंने किसी अधिष्ठाान/कारखाने में कम से कम छः माह लगातार नियमित रूप से सेवा की हो और आवेदन पत्र प्रस्तुत करते समय भी कार्यरत हो। लाभार्थी (कन्या) का खाता पंजाब नेशनल बैंक होना आवश्यक है। कन्या की आयु 18 वर्ष हो। कन्यादान के रूप में आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए आवेदन निर्धारित प्रपत्र पर पूर्ण रूप से भरकर अपने क्षेत्र से संबंधित क्षेत्रीय अपर/उप/सहायक श्रम आयुक्त कार्यालयों में जमा करने होंगे। अधिक जानकारी के लिये कार्यालय उप श्रमायुक्त लखनऊ क्षेत्र, लखनऊ से प्राप्त कर सकते हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 25 July 2015 by admin
लखनऊ नगर/टाउन एरिया/ग्रामीण क्षेत्रों के ए0पी0एल0/ अतिरिक्त बी0पी0एल0 कार्ड धारको को सूचित किया जाता है कि ए0पी0एल0एवं अतिरिक्त बी0पी0एल0 योजना के अन्तर्गत माह जुलाई 2015 की 25 से 31 जुलाई 2015 तक ए0पी0एल0 गेहूॅ/ अतिरिक्त बी0पी0एल0 योजना में गेहूॅ/चावल के विशेष वितरण तिथि के रूप मे निर्धारित किया गया है। उक्त खाद्यान्न का वितरण निर्धारित विशेष वितरण तिथियों मे पर्यवेक्षणीय अधिकारी/ क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी/पूर्ति निरीक्षक की उपस्थिति में प्रातः 08 बजें से सांय 04 बजें तक वितरण किया जायेगा।
इस आशय की जानकारी जिला पूर्ति अधिकारी श्री चन्द्रशेखर ओझा ने पत्र के माध्यम से आज यहाॅं दी। उन्होने बताया कि ए0पी0एल0 कार्ड धारक नगरीय/टाउन एरिया/ग्रामीण क्षेत्र के अपने से सम्बधित उचित दर विक्रेता से 10.00 कि0ग्रा0 गेहॅू रू0 07.00 प्रति किलोग्राम की दर पर प्रथम आवत प्रथम पावत के सिद्धान्त पर एवं अतिरिक्त बी0पी0एल0 योजना के कार्डधारक 04 किलोग्राम गेहॅंू एवं 06 किलोग्राम चावल बी0पी0एल0 दर पर( दो माह जुलाई 2015 का) प्राप्त कर सकते है। जनपद के समस्त उचित दर विके्रता की सभी दुकाने अनवरत माह की अन्तिम तिथियों तक खुली रहेगी। नगर क्षेत्र स्थित आवश्यक वस्तु निगम के गोदाम से सम्बद्ध लगभग सभी उचित दर की दुकानों पर ए0पी0एल0 का खाद्यान्न उपलब्ध नही हो पाया है, उन पर खाद्यान्न पहुचते ही वितरण प्रारम्भ करा दिया जायेगा। उक्त वितरण में किसी प्रकार की शिकायत होने पर सम्बधित कार्ड धारक क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी/पूर्ति निरीक्षक (ग्रामीण) के पास शिकायत दर्ज करा सकते है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 25 July 2015 by admin
धान खरीफ की प्रमुख फसल है वर्तमान समय में न्यून से मध्यम स्तर पर पत्ती लपेटक कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है। इस कीट की सूडि़या प्रारम्भ में पीले रंग की तथा बाद में हरे रंग की हो जाती है जो पत्तियों को लम्बाई में मोड़कर अन्दर से हरे भाग को खुरचकर खाती है जिससे प्रभावित पत्ती सफेद रंग की दिखाई देती है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी डा0 नरेन्द्र प्रताप मल्ल ने इस आशय की जानकारी आज यहां दी। उन्होने किसान भाइयों को सलाह दी है कि अपने खेत की नियमित निगरानी करे, तथा इस कीट के नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफाॅस 20 प्रति ई0सी0 1.5 लीटर, मोनोक्रोटोफाॅस 36 प्रतिशत एस0एल0 1.25लीटर, क्यूनालफाॅस 25 प्रतिशम ई0सी0 1.5 लीटर, ट्राईजोफाॅस 40 प्रतिशत ई0सी0 1.25 लीटर, कारटाप हाइड्रोक्लोराइड 50 प्रतिशत एस0पी0 1 किग्रा तथा डाइक्लोरोवाॅस 76 प्रतिशत ई0सी06.25 मिली रसायनों मे से किसी एक रसायन की संस्तुति मात्रा प्रति हेक्टयर लगभग 500-600 लीटर पानी मे घोलकर छिडकाव करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 25 July 2015 by admin
जिलाधिकारी श्री राज शेखर ने बताया विगत वर्ष कालेजों में रैगिंग की रोकथाम हेतु 26 बिन्दुओ पर कार्यवाही किये जाने सम्बन्धी दिशा-निर्देश जारी किये गये थें, किन्तु विगत वर्ष शैक्षिक सत्र में रैगिंग की घटनायें प्रकाश में आयी थीं जिससे सम्बन्धित संस्थान के निदेशक/प्रचार्य की लापरवाही परिलक्षित होती है।रैगिंग जैसे आपत्तिजनक प्रकरणों की प्रभावी रोकथाम हेतु जिला स्तरीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर टीम का गठन किया गया है।
जिलाधिकारी ने रैगिंग जैसे आपत्तिजनक प्रकरणों की प्रभावी रोकथाम हेतु कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिये है। उन्होने कहा कि सत्र के प्रारम्भ से ही रैगिंग पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगे होने की सूचना संस्थान में जगह जगह पर प्रचारित एवं प्रसारित की जाए तथा रैगिंग में लिप्त पाये जाने पर कठोर दण्ड की व्यवस्था को बैनर- होर्डिग्स के माध्यम से संस्थानमें प्रदर्शित किया जाये। प्रत्येक छात्र एवं उसके अभिभावक से प्रवेश के समय शपथ पत्र लिया जाए कि यदि वे संस्थान में रैगिंग मे पकडे गये तो संस्थान से निष्कासित कर दिया जायेगा एवं इसकी जिम्म्ेदारी स्वयं छात्रों की होगी। उन्होने कहा कि प्रत्येक शिक्षण संस्थान में सत्र के प्रारम्भिक कम से कम दो माह रैगिंग विरोधी दस्ते अनिवार्य रूप से बनाये जाएं। इन दस्तो द्वारा प्रतिदिन दिन रात में छात्रावासों तथा परिसर में एकान्त स्थलों पर एवं ऐसे स्थानों पर जहां रैगिंग की सम्भावना हो, का निरीक्षण किया जायें।
जिलाधिकारी ने कहा कि संस्था द्वारा निर्धारित कोड से भिन्न यदि छात्र समूह द्वारा कोई अनौपचारिक कोड विशेषकर प्रथम वर्ष के छात्रों हेतु बनाए जाने की बात प्रकाश में आती है तो उनके विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी। एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाते समय प्रथम वर्ष के छात्रों की विशेष सुरक्षा का ध्यान रखा जाये। सभी संस्थानों में जहाॅ पर प्रथम वर्ष के छात्र रहते हैं, वहाॅ पर यह सुनिश्चित करें कि जो भी सुरक्षा व्यवस्था में तैनात किये गये हैं, वे रात्रि में छात्रावासों के चारों ओर गश्त लगायें। उनको पूरी तरह से हिदायत दी जाए। प्रत्येक सत्र के प्रारम्भ में नये छात्रों को स्थान के बारे में अधिकाधिक जानकारी प्रदान कर दी जाए, जिससे कि सीनियर छात्रों द्वारा नये छात्रों की कम जानकारी का अनुचित लाभ न उठाया जा सके।
उन्होंने कहा कि नवीन छात्रों के लिए छात्रावास परिसर, वरिष्ठ छात्रों के छात्रावास परिसर से दूर ही रखा जाए एवं दोनेां छात्रावासों के बीच पर्याप्त ऊॅचाई की बाउण्ड्रीवाॅल का निर्माण सुनिश्चित किया जाए। यदि छात्रावास समुचित संख्या में उपलब्ध नहीं है, तो नये छात्रों को ही परिसर छात्रावास में रखने की व्यवस्था की जाए। वरिष्ठ छात्रा बाहर रह सकते हैं। कई बार देखा गया है कि वरिष्ठ छात्र बाहरी तत्वों अथवा कालेज के छात्रावास में अनाधिकृत रूप से निवास कर रहे पूर्व छात्रों अथवा अन्य संस्थानों के छात्रों के संरक्षण में रैगिंग जैसी गंभीर गतिविधियों में लिप्त होते हैं। अतः संस्था के प्राचार्य/वार्डेन का यह उत्तरदायित्व होगा कि किसी भी दशा में शिक्षण संस्थानों के छात्रावासों में वर्तमान में उसी संस्थान में शिक्षारत छात्रों के अतिरिक्त अन्य किसी भी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबन्धित किया जाए। वरिष्ठ छात्रों को रैगिंग रोकने हेतु सम्मिलित किया जाये। प्रत्येक शिक्षण संस्था में अध्यापक, संरक्षक/अभिभावक की समुचित संख्या पर सहायता समूह (एडवाइजरी ग्रुप) बनाये जाए। शिकायत हेतु पत्र-पेटिका रखी जायें। छात्रावास के प्रवेश के समय छात्रों के माता-पिता एवं स्थानीय अभिभावक के बारे में विस्तृति विवरण अवश्य प्राप्त किया जाये। छात्रावासों में समस्त छात्रों विशेषकर प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए छात्रावासों में आने वाले आगन्तुकों के लिए एक निश्चित अवधि निर्धरित की जाए तथा छात्रावासों में रहने वाले छात्रों को भी उक्त निर्धारित रात्रिकालीन समय के उपरान्त प्रातःकाल तक बिना किसी अनुमति के बाहर न जाने दिया जाए।
जिलाधिकारी ने कहा कि सत्र के प्रारम्भ में कम से कम दो-तीन माह तक 09.00 बजे के बाद किसी प्रथम वर्ष के छात्र के साथ किसी भी वरिष्ठ छात्र का सम्पर्क प्रतिबन्धित कर दिया
जाए। छात्रावासों में छात्रावास अधीक्षिका/अधीक्षक छात्रों की उपस्थित पंजिका बनायें तथा रात्रि में अनिवार्य रूप से विशेषकर प्रथम वर्ष के छात्रों की उपस्थिति/गणना की जाये। छात्रों की अनाधिकृत अनुपस्थिति के बारे में अभिभावकों को उनके दूरभाष/मोबाइल पर तत्काल सूचित किया जाये। संस्थान में नशीले पदार्थ पर रोक लगायी जाये। अग्नेशास्त्र रखा जाना पूर्णतया वर्जित है। छात्रवास में रैगिंग पाया जाता है तो छात्रावास के संरक्षक(वार्डेन) की गुणदोष के आधार पर जवाबदेही निर्धारित की जाए। संस्थान के प्रचार्य/निदेशक का उत्तरदायित्व होगा कि संस्थान में सत्र के प्रारम्भ से पूर्व ही अनिवार्य रूप से प्राक्टोरेल बोर्ड का गठन किया जाए। जिसकी जानकारी जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को दी जाये।
उन्होंने बताया कि प्राक्टर द्वारा प्रशासन/जिला प्रशासन के सहयोग से पुरूष/महिला को वर्दी अथवा आवश्यकतानुसार सादे वेष में भी संस्थान एवं छात्रावास परिसर के मुख्य द्वारा आदि में भ्रमण करना सुनिश्चित करेंगे। इंजीनियरिंग कालेजों में प्रशासन द्वारा रैगिंग की स्थिति की जानकारी की सूचना विभागों के सचिवों को भेजी जाये। रैगिंग रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाये। दोषी पाये जाने वाले छात्रों पर नियमानुसार कठोर कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। रैगिंग से संबंधित सहयोगात्मक एवं दण्डात्मक कार्यवाही का विवरण अन्य छात्रों के संज्ञानार्थ संस्थान में जगह-जगह जहाॅ से छात्र गुजरते हों, वहाॅ पर चस्पा कर दिया जाए। रैगिंग की कोई घटना प्रकाश में आती है, तो उसका पूर्ण उत्तरदायित्व संबंधित संस्थान के निदेशक/प्राचार्य की होगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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