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शैक्षिक संस्थाओं में रैगिंग रोकने हेतु कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें-जिलाधिकारी

Posted on 25 July 2015 by admin

जिलाधिकारी श्री राज शेखर ने  बताया विगत वर्ष कालेजों में रैगिंग की रोकथाम हेतु 26 बिन्दुओ पर कार्यवाही किये जाने सम्बन्धी दिशा-निर्देश जारी किये गये थें, किन्तु  विगत वर्ष शैक्षिक सत्र में रैगिंग की घटनायें प्रकाश में आयी थीं जिससे सम्बन्धित संस्थान के निदेशक/प्रचार्य की लापरवाही परिलक्षित होती है।रैगिंग जैसे आपत्तिजनक प्रकरणों की प्रभावी रोकथाम हेतु जिला स्तरीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर टीम का गठन किया गया है।
जिलाधिकारी ने रैगिंग जैसे आपत्तिजनक प्रकरणों की प्रभावी रोकथाम हेतु  कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिये है। उन्होने कहा कि सत्र के प्रारम्भ से ही रैगिंग पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगे होने की सूचना संस्थान में जगह जगह पर प्रचारित एवं प्रसारित की जाए तथा रैगिंग में लिप्त पाये जाने पर कठोर दण्ड की व्यवस्था को बैनर- होर्डिग्स के माध्यम से संस्थानमें प्रदर्शित किया जाये। प्रत्येक छात्र एवं उसके अभिभावक से प्रवेश के समय शपथ पत्र लिया जाए कि यदि वे संस्थान में रैगिंग मे पकडे गये तो संस्थान से निष्कासित कर दिया जायेगा एवं इसकी जिम्म्ेदारी स्वयं छात्रों की होगी। उन्होने कहा कि प्रत्येक शिक्षण संस्थान में सत्र के प्रारम्भिक कम से कम दो माह रैगिंग विरोधी दस्ते अनिवार्य रूप से बनाये जाएं। इन दस्तो द्वारा प्रतिदिन दिन रात में छात्रावासों तथा परिसर में एकान्त स्थलों पर एवं ऐसे स्थानों पर जहां रैगिंग की सम्भावना हो, का निरीक्षण किया जायें।
जिलाधिकारी ने कहा कि संस्था द्वारा निर्धारित कोड से भिन्न यदि छात्र समूह द्वारा कोई अनौपचारिक कोड विशेषकर प्रथम वर्ष के छात्रों हेतु बनाए जाने की बात प्रकाश में आती है तो उनके विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी। एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाते समय प्रथम वर्ष के छात्रों की विशेष सुरक्षा का ध्यान रखा जाये। सभी संस्थानों में जहाॅ पर प्रथम वर्ष के छात्र रहते हैं, वहाॅ पर यह सुनिश्चित करें कि जो भी सुरक्षा व्यवस्था में तैनात किये गये हैं, वे रात्रि में छात्रावासों के चारों ओर गश्त लगायें। उनको पूरी तरह से हिदायत दी जाए। प्रत्येक सत्र के प्रारम्भ में नये छात्रों को स्थान के बारे में अधिकाधिक जानकारी प्रदान कर दी जाए, जिससे कि सीनियर छात्रों द्वारा नये छात्रों की कम जानकारी का अनुचित लाभ न उठाया जा सके।
उन्होंने कहा कि नवीन छात्रों के लिए छात्रावास परिसर, वरिष्ठ छात्रों के छात्रावास परिसर से दूर ही रखा जाए एवं दोनेां छात्रावासों के बीच पर्याप्त ऊॅचाई की बाउण्ड्रीवाॅल का निर्माण सुनिश्चित किया जाए। यदि छात्रावास समुचित संख्या में उपलब्ध नहीं है, तो नये छात्रों को ही परिसर छात्रावास में रखने की व्यवस्था की जाए। वरिष्ठ छात्रा बाहर रह सकते हैं। कई बार देखा गया है कि वरिष्ठ छात्र बाहरी तत्वों अथवा कालेज के छात्रावास में अनाधिकृत रूप से निवास कर रहे पूर्व छात्रों अथवा अन्य संस्थानों के छात्रों के संरक्षण में रैगिंग जैसी गंभीर गतिविधियों में लिप्त होते हैं। अतः संस्था के प्राचार्य/वार्डेन का यह उत्तरदायित्व होगा कि किसी भी दशा में शिक्षण संस्थानों के छात्रावासों में वर्तमान में उसी संस्थान में शिक्षारत छात्रों के अतिरिक्त अन्य किसी भी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबन्धित किया जाए। वरिष्ठ छात्रों को रैगिंग रोकने हेतु सम्मिलित किया जाये। प्रत्येक शिक्षण संस्था में अध्यापक, संरक्षक/अभिभावक  की समुचित संख्या पर सहायता समूह (एडवाइजरी ग्रुप) बनाये जाए। शिकायत हेतु पत्र-पेटिका रखी जायें। छात्रावास के प्रवेश के समय छात्रों के माता-पिता एवं स्थानीय अभिभावक के बारे में विस्तृति विवरण अवश्य प्राप्त किया जाये। छात्रावासों में समस्त छात्रों विशेषकर प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए छात्रावासों में आने वाले आगन्तुकों के लिए एक निश्चित अवधि निर्धरित की जाए तथा छात्रावासों में रहने वाले छात्रों को भी उक्त निर्धारित रात्रिकालीन समय के उपरान्त प्रातःकाल तक बिना किसी अनुमति के बाहर न जाने दिया जाए।
जिलाधिकारी ने कहा कि सत्र के प्रारम्भ में कम से कम दो-तीन माह तक 09.00 बजे के बाद किसी प्रथम वर्ष के छात्र के साथ किसी भी वरिष्ठ छात्र का सम्पर्क प्रतिबन्धित कर दिया
जाए। छात्रावासों में छात्रावास अधीक्षिका/अधीक्षक छात्रों की उपस्थित पंजिका बनायें तथा रात्रि में अनिवार्य रूप से विशेषकर प्रथम वर्ष के छात्रों की उपस्थिति/गणना की जाये। छात्रों की अनाधिकृत अनुपस्थिति के बारे में अभिभावकों को उनके दूरभाष/मोबाइल पर तत्काल सूचित किया जाये। संस्थान में नशीले पदार्थ पर रोक लगायी जाये। अग्नेशास्त्र रखा जाना पूर्णतया वर्जित है। छात्रवास में रैगिंग पाया जाता है तो छात्रावास के संरक्षक(वार्डेन) की गुणदोष के आधार पर जवाबदेही निर्धारित की जाए। संस्थान के प्रचार्य/निदेशक का उत्तरदायित्व होगा कि संस्थान में सत्र के प्रारम्भ से पूर्व ही अनिवार्य रूप से प्राक्टोरेल बोर्ड का गठन किया जाए। जिसकी जानकारी जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को दी जाये।
उन्होंने बताया कि प्राक्टर द्वारा प्रशासन/जिला प्रशासन के सहयोग से पुरूष/महिला को वर्दी अथवा आवश्यकतानुसार सादे वेष में भी संस्थान एवं छात्रावास परिसर के मुख्य द्वारा आदि में भ्रमण करना सुनिश्चित करेंगे। इंजीनियरिंग कालेजों में प्रशासन द्वारा रैगिंग की स्थिति की जानकारी की सूचना विभागों के सचिवों को भेजी जाये। रैगिंग रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाये। दोषी पाये जाने वाले छात्रों पर नियमानुसार कठोर कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। रैगिंग से संबंधित सहयोगात्मक एवं दण्डात्मक कार्यवाही का विवरण अन्य छात्रों के संज्ञानार्थ संस्थान में जगह-जगह जहाॅ से छात्र गुजरते हों, वहाॅ पर चस्पा कर दिया जाए। रैगिंग की कोई घटना प्रकाश में आती है, तो उसका पूर्ण उत्तरदायित्व संबंधित संस्थान के निदेशक/प्राचार्य की होगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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