5वां वार्षिक वाजिद अली शाह फेस्टिवल का आयोजन 25 मार्च को दिलकुशा पैलेश मे

Posted on 23 March 2018 by admin

लखनऊ 23 मार्च 2018 : उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा इंडिया ग्लाइकाल लिमिटेड एवं हिंदुस्तान पावर प्रोजेक्ट्स के सहयोग से रूमी फाउंडेशन, लखनऊ चैप्टर द्वारा प्रस्तुत 5वां वार्षिक वाजिद अली शाह फेस्टिवल, “यमुना - दरिया प्रेम का” : मुजफ्फर अली द्वारा कल्पित एवं निर्देशित एक कत्थक नृत्य 25 मार्च को दिलकुशा पैलेश मे धूमधाम से मनाया जाएगा इसकी घोषणा आज आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरानमुजफ्फर अली द्वारा की गयी ।

img-20180323-wa0159

उन्होने बताया कि विषय यमुना - दरिया प्रेम का: यमुना खुसरो के जीवन का हिस्सा थी और खुसरो यमुना का हिस्सा थे। नदी बहती थी तथा खुसरो ने इसके किनारे पर अपने बदलते हुए लय-ताल को परिकल्पित किया। उसने उन्हें सुंदरता का वर्णन करने के लिए शब्द दिए। प्रेम की सुंदरता।

उन्होने अपनी गायों के गले में बंधी घण्टियों की आवाज सुनी और उनके आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने गोपियों संग कृष्ण की रास-लीला देखी थी। उन्होंने विभिन्न ‘रागों’ और ‘बन्दिशों’ में प्रकाश और अंधकार की अपनी हजारों छाया में राधा की आत्मा से निकली बांसुरी की आवाज सुनी थी तथा प्रत्येक जाते हुए मौसम और उम्र में इन शब्दों का अर्थ ढूँढना शुरू किया। यमुना हमारे इतिहास की समयपाल थी और खुसरो एक प्रतिष्ठित मील का पत्थर थे। ‘यमुना - दरिया प्रेम का’ अपने ‘प्रेमियों’की रचना में यमुना की भावना का प्रतिबिंब है। वे सूफी जिनका जीवन नदी से जुड़ा है और वह उनके शिराओं में बहती महसूस होती है और अपनी चिरकाल से कृष्ण को देखा है।

जैसे-जैसे समय बीतता गया केवल यमुना ही मानव आत्मा की कालनिरपेक्षता, पौराणिक कथा के आधार की याद दिलाने के लिए शेष है।

और यह महसूस कराती है जो अनंत बांसुरी की आवाज है। कार्य करने की याद दिलाना।

नदी के संदेश की व्यक्तिगत अंतरंग अनुभव के साथ वापस जाएँ और उसकी अनंत सुंदरता और शुद्धता के लिए प्रार्थना करें।

कार्यक्रम 6.30 बजे अपराह्न

यमुना - दरिया प्रेम का : मुजफ्फर अली द्वारा कल्पित एवं निर्देशित एक कत्थक नृत्य

· कथानक: दीपा गुप्ता

· स्वर: बरनाली चट्टोपाध्याय, अर्चना शाह एवं त्रिथा सिन्हा

· नृत्य कला : आस्था दीक्षित

· नर्तक: आस्था दीक्षित, जुल्फकार उमैर, दीपक गंगानी,मायूख भट्टाचार्य, ऋचा जोशी, पल्लवी बासू, संस्कृति वशिष्ठ,हीना हयात खान, सोमबित सरकार, अभिषेक खींची, मोहित श्रीधर

यमुना नदी और इसकी बदलती लय-ताल, कृष्ण की गोपियों संग रासलीला एवं क्रीड़ा ने अमीर खुसरो को अपने प्रेमी की आध्यात्मिक सुंदरता का वर्णन करने के लिए शब्द दिए। उन्होंने विभिन्न रागों और बन्दिशों में राधा की आत्मा से बांसुरी की आवाज सुनी था प्रत्येक जाते हुए मौसम और उम्र में इन शब्दों का अर्थ ढूँढना शुरू किया। यमुना हमारे इतिहास की समयपाल थी और खुसरो एक प्रतिष्ठित मील का पत्थर थे।

‘यमुना - दरिया प्रेम का’ खुसरो के साथ यमुना के संगम का प्रतिबिंब है। जिसने कालातीत में नदियों से कृष्ण को देखा है।

8.00 बजे अपराह्न

~

स्मिता बेल्लुर

स्मिता बेल्लुर भारत की प्रथम महिला हिंदुस्तानी गायिका हैं जिन्हें पारंपरिक कव्वालों के वंश में शामिल किया जाता रहा है तथा उन्हें उनका व्यापक मार्गदर्शन मिला है। उन्होंने सूफ़ीवाद के साथ गहरे रिश्ते और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के खयाल रूप में व्यापक प्रशिक्षण की वजह से भक्ति एवं सूफी परम्पराओं में महारत हासिल की है।

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

November 2024
M T W T F S S
« Sep    
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
-->









 Type in