राई/सरसों की फसल में झुलसा रोग होने पर पत्तियों तथा फलियों पर गहरे कत्थई रंग के धब्बे बन जाते हैं। गोल-गोल छल्ले पत्तियों पर स्पष्ट दिखायी देते हैं। इस रोग के होने पर मैंकोजेब 75 प्रतिशत 2 किग्रा0 प्रति हे0 अथवा कापर आक्सीक्लोराइड रसायन 50 प्रतिशत 3 किग्रा0 प्रति हे0 का प्रयोग करें।
आरा मक्खी चमकदार काली तथा घरेलू मक्खी के आकार से छोटी, 4-5 मि0मी0 लम्बी होती है। मादा मक्खी का अण्डरोपक आरी के आकार का होने के कारण इसे आरा मक्खी कहा जाता है। इस कीट की सूडि़यां काले स्लेटी रंग की होती हैं। ये पत्तियों को किनारों से अथवा विभिन्न आकार के छेद बनाती हुयी बहुत तेजी से खाती हैं। भयंकर प्रकोप होने पर पूरा पेड़ पत्ता विहीन हो जाता है।
बालदार सूॅड़ी पीले, नारंगी अथवा काले सिर वाली होती हैं। इसका पूरा शरीर घने काले बालों से ढका रहता है। इसकी सूडि़याॅ फसल को नुकसान पहुॅचाती हैं। यह प्रारम्भ में झुण्ड में, बाद में एकल रूप में रहकर पेड़-पौधों की कोमल पत्तियों को खाकर नुकसान पहुॅचाती हैं। आरा मक्खी एवं बालदार सूड़ी के उपचार के लिये मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल 20-25 किग्रा0 या मैलाथियान 50 ई0सी0 1.5 लीटर या डी0डी0वी0पी0 76 एस0 एल0 0.5 लीटर 700-800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
माहूॅ कीट पंखविहीन अथवा पंखयुक्त हल्के स्लेटी या हरे रंग के 1.5 से 3 मि0मी0 लम्बे चुभाने, चूसने मुखांग वाले छोटे कीट होते हैं। ये पौधों के तनों, पत्तियों, फूलों एवं फलियों से रस चूसकर मधुóाव भी करते हैं, जिससे काले कवक का प्रकोप हो जाता है। इससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बाधित होती है। इस कीट का प्रकोप दिसम्बर से लेकर मार्च तक होता है। इस कीट के रोकथाम के लिये डाइमेथोएट 30 ई0सी0 1 लीटर या मिथाइल ओ-डेमेटान 25 ई0सी0 1 लीटर प्रति हे0 की दर से 700 से 800 लीटर पानी में घोलकर सांयकाल छिड़काव करना चाहिये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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