भारतीय जनता पार्टी गंगा नदी में उच्च स्तर के भयावह प्रदूषण पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करती है। गंगा के प्राकृतिक प्रवाह में अनेक बाधायें उत्पन्न करके इसके प्रदूषण को और अधिक बदतर बना दिया गया है। अन्नतकाल से भारत की संस्कृति और सभ्यता की पहचान और सबसे पवित्र प्रतीक के रूप में जिस गंगा को भारत की अनन्त पीढि़यों द्वारा श्रद्धाभाव से देखा जाता रहा है, उस पवित्र नदी के प्राकृतिक जीवन को विकास की दोषपूर्ण अवधारणों ने गहरे संकट में डाल दिया है।
पिछले कई वर्षों से धार्मिक नेताओं, पर्यावरणविदों और सामाजिक रूप से सक्रिय कार्यकर्ताओं ने गंगा के प्रदूषण के विभिन्न मुद्दों पर लगातार सक्रिय प्रयास किया है, परन्तु गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (जिसके अध्यक्ष स्वयं प्रधानमंत्री है) द्वारा इस संदर्भ में कोई व्यवहारिक और स्थाई समाधान खोजने में असफल रहने पर भाजपा गहरा दुःख व्यक्त करती है।
हम भारत के लोग सभी नदियों और जल स्रोतों को पवित्र मानकर उनके प्रति श्रृद्धाभाव रखते हैं। यह इस बात से स्पष्ट होता है कि हिमालय में गंगोत्री, जहां से गंगा का जन्म होता है और बंगाल में गंगासागर जहां आकर गंगा समुद्र में मिलती है, दोनों ही स्थान भारत में पवित्र तीर्थ स्थल रूप में माने जाते हैं। गंगा के किनारे स्थित अन्य पवित्र स्थल ऋषिकेश, हरिद्वार, प्रयाग एवं वाराणसी पवित्र शहर है।
‘गंगा जल’ न केवल लोगों की धार्मिक भावनाओं से जुड़े रहने के कारण पवित्र माना जाता है अपितु वैज्ञानिक अनुसंधानों ने भी इसके अद्वितीय चरित्र को प्रमाणित किया है। गंगा भारत के 11 राज्यों की 40 प्रतिशत जनसंख्या को जल भी उपलब्ध कराती है।
यह बड़ा दुःखद है कि जो गंगा भारत की सभ्यता को हजारों वर्षों से पोषित कर रही है उसी गंगा के अस्तित्व की सुरक्षा की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
अनियोजित सभ्यता और असंतुलित औद्योगिकरण ने नदी में प्रदूषण के स्तर को जहरीला बना दिया है। एक के बाद एक किए गए अध्ययन यह बताते है कि बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड और केलिफार्म, जो गंगा के प्रदूषण को मापने के साधन है, के आधार पर गंगा में प्रदूषण उच्च स्तर पर माना गया है। जिन राज्यों से गंगा बहती है वहां नदी के प्रदूषण के कारण प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में लोग बीमारी से मृत्यु के शिकार हो रहे हैं।
अप्रैल में संपन्न गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की बैठक में स्वयं प्रधानमंत्री महोदय ने यह स्वीकार किया था कि गंगा में समाहित होने वाले 290 करोड़ लीटर गंदे पानी में से केवल 110 करोड़ लीटर का ही परिशोधन किया जाता है। यह लगभग उस गंगा एक्शन प्लान की पूर्ण असफलता को दर्शाता है जिसे पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने 1985 में मंगल ध्वनि के साथ प्रारम्भ किया था और जिस पर अभी तक हजारो करोड़ो रुपये बेकार ही खर्च किये जा चुके हैं।
यह बड़ी भयावह स्थिति है कि प्रयाग में जहां पूरे विश्व और देश से हजारों श्रद्धालु कुंभ के लिए आते हैं वहां बहुत ही न्यून मात्रा में शुद्ध जल पाया जाता है। यह कम चिंता की बात नहीं है कि बांधों द्वारा उत्पन्न किये गये विचलन और बाधाओं के कारण नदी का बहुत बड़ा फैलाव सूखा रहता है।
निर्मल गंगा, अविरल गंगा
भाजपा यह मानती है कि गंगा की यह स्थिति पूर्णतया अस्वीकार्य है। हम यह मानते हैं कि सरकारों (केन्द्र, राज्य और स्थानीय) और लोगों का यह पवित्र राष्ट्रीय कत्र्तव्य है कि वे गंगा की पवित्रता और इसके अविरल प्राकृतिक प्रवाह को अक्षुण्य बनाये रखे और ऐसा भारत की अन्य नदियों के साथ भी व्यवहार किया जाये। निर्मल और अविरल गंगा के प्रवाह को बनाये रखने के लिए प्रकट की जाने वाली प्रतिबद्धता का यही अर्थ है।
यहां यह आवश्यक है कि हम याद करें कि ‘अविरल गंगा’ के लिए पहली बार आवाज महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने उठाई थी, जब ब्रिटिश सरकार ने हरिद्वार के पास गंगा के प्रवाह की दिशा को बदलने को प्रयास किया था। मालवीय जी द्वारा चलाये गये व्यापक प्रचार के कारण साम्राज्य वादियों को हिन्दू समुदाय की भावना का सम्मान करना पड़ा और 1916 में अविरल गंगा के प्रवाह को बनाये रखने की गारंटी दी गई। भाजपा मालवीय जी की इस विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लेती है। जिनकी जन्मदिन का 150वीं वर्षगांठ पिछले वर्ष मनायी गई।
अविरल गंगा से यह आशय नहीं है कि पूरी नदी पर कही भी बांध नहीं होना चाहिए। विशेषज्ञों की दृढ़ मान्यता है कि सिंचाई और ऊर्जा उत्पादन के लिए बांध बनाने के बाद भी गंगा के प्राकृतिक प्रवाह को बाधारहित और अविरल बनाया रखा जा सकता है। यह तब और आसान हो सकता है जब छोटे बांधों की संरचना इस प्रकार बनायी जाये कि इन छोटे बांधों से उतनी ही ऊर्जा प्राप्त की जा सके जितनी की बड़े बांधों से प्राप्त करने का दावा किया जाता है। गंगा की सुरक्षा और प्रदूषण मुक्त बनाने की दृष्टि से पार्टी की ठोस प्रतिबद्धता को कार्यरूप में परिणित करने के लिए, भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी यह संकल्प लेती है कि:
1. गंगा को निर्मल और अविरल बनाए रखने के लिए गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण को विशिष्ट और समयबद्ध कार्य करने का सुनिश्चित दायित्व दिया जाना चाहिए। चूंकि गंगा को भारत की राष्ट्रीय नदी का दर्जा दिया जाता है इसीलिए राज्यों में गंगा नदी के तट पर स्थित विभिन्न शहरों के विकास/ऊर्जा/वित्तीय आवश्यकताओं की आपूर्ति का कार्य केन्द्र सरकार द्वारा किया जाना चाहिए।
2. प्रदूषण को अनुमत बनाये रहने देने और फिर बाद में समाधान ढूढ़ने के बजाय जो कि पूरी तरह असंगत और अवैज्ञानिक सोच है, केन्द्र, राज्य सरकारों और स्थानीय सरकारों द्वारा औद्योगिक गंदे पानी को गंगा में मिलने से रोकने के लिए संयुक्त रूप से जारी किया गया निर्देश बनाना चाहिए। औद्योगिक इकाइयों को इस योग्य बनाया जाना चाहिए कि वह प्रभावी प्रदूषण नियंत्रण साधन अपनाये। नियमों को तोड़ने वालों पर कार्रवाई करने के लिए एक सख्त दण्डात्मक कानून का सहारा लिया जाना चाहिए।
3. राज्य और स्थानीय प्रशासन को नालियों के गंदे पानी के निपटान और गंदे पानी को उपचारित करने के प्लांट लगाने में सहायता प्रदान की जानी चाहिए। यह कार्य ग्राम सभा और स्थानीय सिविल निकायों द्वारा विकेन्द्रीयकरण के द्वारा बेहतर तरीके से किया जा सकता है।
4. यह अनुभव रहा है कि गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण अपने उद्देश्य में पूरी तरह असफल रहा है, भाजपा यह मांग करती है कि गंगा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए संसद द्वारा कानून बनाकर प्राधिकरण को सशक्त और दण्ड देने के लिये प्राधिकृत किया जाय। यह कानून यह घोषणा करे कि गंगा भारत की अमूल्य राष्ट्रीय धरोहर है।
5. गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण द्वारा लागू किये गये निर्णयों की पर्यवेक्षण के लिए कैग जैसी कोई स्वायत संविधानिक संस्था होनी चाहिए।
6. भाजपा यह मानती है कि गंगा की सुरक्षा और प्रदूषण मुक्त बनाने का कार्य राष्ट्रीय मिशन के रूप में होना चाहिए। इस कार्य के लिए सभी लोगों के सहयोग और उत्साही सहभागिता की जरूरत है। बड़ी संख्या में धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरण संगठन इस मिशन में पहले से ही सक्रिय हैं। भाजपा उनके प्रयासों की सराहना करती है हम उनसभी संगठनों को सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध ओर तत्पर है और हम अन्य राजनीतिक पार्टियों और उनकी सरकारों से भी इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एजेंडा में सहयोग के लिए तत्पर है।
7. भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी निर्मल और अविरल गंगा की मांग को व्यापक स्तर पर जन समर्थन प्राप्त करने के लिए वृहद जनजागरण अभियान चलाने का संकल्प लेती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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