मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि समाज को बांटने का माध्यम

Posted on 14 October 2012 by admin

शूद्र जैसी फि़ल्में मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि समाज को बांटने का माध्यम सिद्ध होंगी क्योंकि अब इस आधुनिक सभ्य समाज में वह सबकुछ संभव नहीं जैसा कि उक्त फि़ल्म में दिखाया जा रहा है। दलितों के लिए मंदिर में प्रवेश वर्जित है। ठाकुरों को मारकर शूद्र पेशाब करते हैं। ब्राह्मण शूद्र के बेटे की जुबान कटवा देते हैं क्योंकि वो ¬ नमः शिवाय महामंत्र बोलता है। सेंसर बोर्ड को भी हम कहना चाहते हैं कि उक्त विघटनकारी फि़ल्म का प्रसारण तत्काल रोक लगायें। उक्त बात बजरंग दल के प्रान्त संयोजक राकेश वर्मा ने प्रेसवार्ता में कही। क्योंकि इस पिक्चर का उद्देश्य हिन्दू समाज में जातीय संघर्ष को बढ़ावा देना और सामाजिक विघटन पैदा करके जातीय हिसा को भड़काना है।
वर्तमान  भारत में अपवाद स्वरूप भी उक्त पिक्चर में दिखाई गई घटनाएं नहीं हो रही हैं क्योंकि इस तीव्रता वाले समाज में उक्त घटनाएं संभव हो नहीं दिखती। 1947 में प्राप्त हुई स्वतंत्रता के पश्चात् भी किसी दलित का मंदिर में प्रवेश नहीं हो रहा है। पूजा करने से रोका जा रहा है।
प्रान्त संयोजक वर्मा ने कहा कि जैसा फि़ल्म के ट्रेलर को देखने से पता चलता है जिस प्रकार के अत्याचार, अनाचार, जातीय विद्वेष का चित्रण इसमें है। अब कहीं देखने में नहीं आता। हो सकता है पूर्व के समय में ऐसा कुछ हुआ हो परन्तु अब इस हाइटेक युग में उक्त फि़ल्माई गई बातें संभव नहीं हैं।
अब तो मदिरों में दलित, पिछड़े वर्ग के पुजारी भी होने लगे हैं। सभी को पूजा का समान
अधिकार प्राप्त है। साथ में ही उठ-बैठकर भोजन-पानी होता है। घरों में एक-दूसरे के आना-जाना भी होता है। ऐसे में यह फि़ल्म पूर्ण रूप से हिन्दू समाज को बांटने का षडयंत्र है।
बजरंग दल इसे सहन नहीं करेगा और प्रदेश सरकार से यह मांग भी करता है कि इस फि़ल्म के उत्तर प्रदेश मं रिलीजिंग पर रोक लगाये अन्यथा इसे रोकने हेतु सिनेमा हाॅलों पर धरना-प्रदर्शन के साथ ही पूरे प्रदेश में प्रचंड आंदोलन किया जायेगा और मा. न्यायालय में भी उक्त प्रकरण को पहुंचाया जायेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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