Archive | January 17th, 2010

निराश्रितों को कम्बल वितरित करते रामनरेश यादव

Posted on 17 January 2010 by admin

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निराश्रितों को कम्बल वितरित करते रामनरेश यादव

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सुधीर मिश्रा को पर्यावरण में उत्कृश्ट लेखन के लिए सम्मानित करते पूर्व मुख्यमन्त्री रामनरेश यादव

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क्रान्तिवीर अविनाश चन्द्र वर्मा की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पूर्व मुख्यमन्त्री रामनरेश यादव

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मुस्लिम वोटर्स के खातिर अमर सिंह का इस्तीफा मंजूर

Posted on 17 January 2010 by admin

नई दिल्ली- समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह ने पार्टी के सभी पदों से अमर सिंह के इस्तीफे को मंजूर कर लिया है। अमर सिंह ने पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के महासचिव प्रवक्ता और संसदीय बोर्ड के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया था। अपने इस्तीफे की वजह उन्होंने खराब स्वास्थ्य को बताया थाए लेकिन बाद में यह साफ हो गया था कि रामगोपाल यादव और समाजवादी पृष्ठभूमि वाले कुछ नेताओं से उनके गहरे मतभेद हो गए थे।dsc_078

हालांकि अमर सिंह के इस्तीफा देने के बाद मुलायम सिंह ने कहा था कि अमर सिंह का इस्तीफा वह मंजूर नहीं करेंगे और सारे मामले जल्द ही सुलझा लिए जाएंगे। उसके बाद भी रामगोपाल यादव और अमर सिंह के बीच जुबानी जंग जारी रही। इस दौरान अमर सिंह ने कई बार दोहराया कि वह अपने इस्तीफे वापस नहीं लेंगे।

पार्टी के कुछ मुस्लिम विधायकों की मांग है कि पार्टी के मुखिया मुलायम यदि यादव अमर सिंह का इस्तीफा तुरन्त स्वीकार कर ले। विरोध का मोर्चा खोल चुके इन विधायकों के मुताबिक अमर सिंह की वजह से ही पार्टी से मुस्लिम वोटर्स दूर हो रहे है। उधर अमर सिंह के भाई अरविन्द सिंह ने कहा है कि उनकी अमर सिंह से बात हुई है। वो समाजवादी पार्टी में कतई नहीं लौटेंगे। अरविन्द सिंह ने कहा कि अमर सिंह पर हमला मुलायम सिंह के इशारे पर हो रहा है। लेकिन अमर सिंह ने साफ कर दिया कि वो इस्तीफा वापस नहीं लेंगे। इशारों इशारों में धमकी भरे अन्दाज में अमर ने कहा कि उनके कहने पर ही जया प्रदा और जया बच्चन भी पार्टी छोड सकती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695

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मजदूरों को रोजगार की गारन्टी का प्रकाशन

Posted on 17 January 2010 by admin

भारत सरकार ने नरेगा (रोजगार गारन्टी अधिनियम) लागू करके भले ही सोंच लिया हो कि इससे गांव के लोगों की रोजी-रोटी की समस्या दूर की जा सकेगी सरकार की यह सोंच भी सम्भवत: सच होती यदि प्रदेश सरकारें अपने-अपने यहां नरेगा योजना ईमानदारी से लागू करती। वास्तव में नरेगा का भी वही हाल हुआ है जैसा कि अन्य सरकारी योजनाओं का होता आया है।

नरेगा में अधिकतर जगहों पर रोजगार के इच्छुक सभी ग्रामीणों का पंजीकरण नहीं हुआ जिनका पंजीकरण हुआ है उनमें से अधितर को निर्धारित 100 दिन का रोजगार नहीं मिला जिन्हें रोजगार मिला है पूरा भुगतान नहीं मिला है अनेक मजदूरों के जॉब कार्ड प्रभावशाली लोगों ने अपने यहां रख रखे हैं।

इन सब बाधाओं के अलावा योजना का बेहतर लाभ न उठा पाने का मुख्य कारण योजना की बारीक जानकारी न होना है। भले ही किसी परिवार को जॉब कार्ड मिल गया हो किन्तु उन्हें लिखित में रोजगार मांगना जरूरी हैं। जब तक काम नहीं मांगेगें, तब तक नरेगा में काम नहीं मिलेगा। बारीक जानकारी न होने के कारण मजदूर इस बात को नहीं जानते हैं। जिसका सरकारी कर्मचारी फायदा उठाते हैं और शिकायत होने पर काम न मांगने की बात कह कर बच जाते हैं। इसी प्रकार नरेगा में अनेक बारीकियां हैं जिन्हें ग्राम प्रधानों, रोजगार सेवकों, निगरानी पर्यवेक्षकों, सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के साथ-साथ मजदूरों को जानना आवश्यक हैं।

इस कमी को श्री शिव प्रसाद भारती ने मजदूरों को रोजगार की गारन्टी पुस्तक लिखकर दूर किया है। जिसका प्रकाशन रोजगार सूचना एवं मार्ग दर्शन गाजियाबाद ने किया है। पुस्तक में नरेगा के अन्र्तगत ग्रमीणों के रोजगार पाने के अधिकार व अन्य जानकारी सामान्य भाषा में विस्तार से दी  गई है। पंजीकरण के बाद जॉब कार्ड के आधार पर सौ दिन रोजगार की मॉग 15  दिन में रोजगार न मिलने पर बेरोजगारी भत्ता की मांग तथा यदि अभी तक किसी परिवार का पंजीकरण नहीं हुआ तो कैसे कराया जा सकता है जैसी अनेक उपयोगी जानकारी पुस्तक में दी गई हैं। nrega1narega2

पुस्तक मजदूरों के अलावा नरेगा लागू करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों, ग्राम प्रधानों, रोजगार सेवकों, निगरानी पर्यवेक्षकों के लिये विशेष उपयोगी होगी । पुस्तक का मूल्य मात्रा 25/-रू0 मजदूरों को ध्यान में रख कर निर्धारित किया गया है जो उचित प्रतीत होता है।

लेखक                      -    श्री शिव प्रसाद भारती
प्रकाशक                   -    रोजगार सूचना एवं मार्गदर्शन
32, सुचिता काम्पलेक्स, अम्बेडकर रोड, गाजियाबाद    201001
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ज्योति बसु के निधन से देश को राजनीतिक क्षति-अखिलेश यादव

Posted on 17 January 2010 by admin

लखनऊ-   विधानसभा में नेता विरोधी दल श्री शिवपाल सिंह यादव एवं समाजवादी पार्टी उत्तर  प्रदेश के अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमन्त्री श्री ज्योति बसु के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने स्व0 बसु को धर्मनिरपेक्षता तथा वामपन्थ का महान मार्गदर्शक बताते हुये श्रद्धान्जलि अर्पित की है।

यादव नें कहा कि स्व0 बसु देश में सबसे लंबे समय लगातार 23 वर्षो तक  पश्चिम बंगाल के मुख्यमन्त्री रहे थे। भारत में वामपन्थी आन्दोलन को उन्होंने अपना प्रतिभाशाली नेतृत्व दिया था।  किसानों एवं श्रमिकों के साथ उन्होंने सदैव न्याय किया। उनके निधन से देश को व्यापक राजनीतिक क्षति पहुंची है।

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क्रान्तिवीर अविनाश चन्द्र वर्मा की 88वीं जयन्ती धूमधाम से सम्पन्न

Posted on 17 January 2010 by admin

लखनऊ- क्रान्तिवीर वर्मा की सेवा तथा त्याग अनूठा है, जिसको पुरूस्कृत करना इस पीढ़ी के लिए गौरव ही होगा। क्रान्तिवीर का जीवनवृत्त सदैव प्ररेणादायक रहेगा। यह उद्गार पूर्व मुख्यमन्त्री राम नरेश यादव ने क्रान्तिवीर अविनाश चन्द्र वर्मा की 88वीं जयन्ती के अवसर पर आयोजित पर्यावरण संगोष्ठी में व्यक्त किए। मुख्य अतिथि श्री यादव ने कहा कि वृक्ष नहीं तो जीवन नहीं। पर्यावरण संरक्षण आज की आवश्यकता नहीं बल्कि हमारा सामूहिक दायित्व भी है। ram-naresh-32

राष्ट्रीय जन कल्याण परिशद एवं उत्तर प्रदेश जिला मान्यता प्राप्त पत्रकार एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में बक्शी का तालाब क्षेत्र खजुरी फार्म स्थित क्रान्तिवीर की समाधि पर माल्यार्पण एवं  पुष्पाजलि के पश्चात पर्यावरण संगोश्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी को श्री यादव के आलावा पूर्व वनमन्त्री राजधारी सिंह, स्वाधीनता सेनानी राम प्यारे त्रिवेदी, पूर्व प्रत्याशी राजकुमारी डा0 सुनीता सिंह, प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल वहीद, स्थायी अधिवक्ता जगदीश प्रसाद मौर्य, मनीश तिवारी पेड़ वाले बाबा तथा पर्यावरण प्रेमी सुधीर मिश्र ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अलख जगाई। इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए संस्था द्वारा मनीश तिवारी एवं सुधीर मिश्र को सम्मानित किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता ज्योतिर्विद अवध बैरागी ने तथा सफल संचालन प्रदीप गुप्ता ने किया।  संगोष्ठी का शुभारंभ क्रान्तिवीर के पुत्र अजय वर्मा ने विशिष्ट आमन्त्रित अतिथियों को शाल भेंट कर सम्मानित किया।ram-naresh-2

इस अवसर पर निराश्रितों को कम्बल वितरण किया गया तथा पंचमलाल वर्मा एवं अजीज सिद्दीकी ने आमन्त्रित अतिथियों को धन्यवाद दिया।  ram-naresh-11

संगोष्ठी में विशेष आमन्त्रित मंझौल बिहार से आए शान्ति साहू, लखीमपुर से आलोक रंजन मौर्य, पद्म चन्द्र गुप्ता, कुर्सी रोड औद्योगिक एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय गुप्त ,सचिव जुबेर अहमद, अखिलेश कुमार, अशोक वर्मा एवं क्षेत्रीय गणमान्य नागरिकों ने अपने विचार व्यक्त किए। आयोजित कार्यक्रम की दोनों संस्थाओं के समस्त पदाधिकारी एवं सदस्यगण उपस्थित थे।

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19 जनवरी से राज्य भर में जनआन्दोलन -राजेन्द्र चौधरी

Posted on 17 January 2010 by admin

लखनऊ-समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि वर्तमान सरकार के कुशासन और अराजकता के विरूद्ध सत्ता और व्यवस्था परिवर्तन के लिए समाजवादी पार्टी के आगरा में  हुए  विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन के प्रस्ताव के अनुसार 19 जनवरी, 2010 को राज्य भर में जनआन्दोलन होगा। राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम  सिंह यादव इसका नेतृत्व करेंगे। आन्दोलन में प्रदेश भर में समाजवादी पार्टी के लाखों कार्यकर्ता, व्यापारी, अधिवक्ता, छात्र, अल्पसंख्यक महिलाएं एवं श्रमिक भाग लेंगे।

केन्द्र और राज्य सरकार की गलत नीतियों से बढ़ती मंहगाई, भ्रष्टाचार और जमाखोरी के चलते आम आदमी का जीना दुश्वार हो गया है। शासन सत्ता के आतंक, भयादोहन, उत्पीड़न और मानवाधिकारों के हनन से लोकतन्त्र के लिए ही खतरा उत्पन्न हो गया है। किसानों, बुनकरों, दस्तकारों, मजदूरों, किसान, शिक्षकों, राज्यकर्मियों, छात्रों-युवाओं तथा व्यापारियों का जीवन पूरी तरह अंधकारमय हो गया है। उनके सुखद भविश्य के लिए समाजवादी पार्टी सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई सभी योजनाएं बन्द कर दी गई हैं।

उत्तर प्रदेश पूरी तरह दिवालिया बन चुका है। रोटी, दाल, सब्जी सभी आवश्यक वस्तुएं आम आदमी की पहुंच से बाहर है। चीनी के दाम आसमान छू रहे हैं। इस कमर तोड़ महंगाई से पिस रही जनता पर चौतरफा मार पड़ रही है। अपहरण, लूटपाट, और बलात्कार का बाजार गर्म है। किसानों को खाद, बीज, पानी और बिजली के संकट से जूझना पड़ रहा है। उनकी उपज मिट्टी के मोल लूटी जा रही है। गन्ना किसानों का करोड़ों रूपए चीनी मिलों ने सरकारी संठगॉठ से दबा लिया है। अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न हो रहा है। विडम्बना है कि इस सरकार के मन्त्रियों पर भी न केवल भ्रष्टाचार के आरोप हैं अपितु कई मन्त्रियों का अपराधिक इतिहास भी जग जाहिर है। मुख्यमन्त्री सत्ता का दुरूपयोग करने में रिकार्ड बना रही है। गरीबों की गाढ़ी कमाई पार्को, स्मारकों, प्रतिमाओं और पत्थरों पर खर्च की जा रही है। आतंक और सरकारी तन्त्र के दुरूपयोग से चुनावों में जीत लूटी जा रही है।

हर तरह पिस रही जनता सत्ता के छल-बल से निकलने के लिए छटपटा रही है। ऐसी स्थिति में श्री मुलायम सिंह यादव ने जंग का एलान कर दिया है। यह जंग दुव्र्यवस्था से मुक्ति के लिए है।    लोकतन्त्र में अगर हिटलर की तरह सत्ता हथिया कर उसका इस्तेमाल देश के संविधान के विरूद्ध किया जाने लगे तो फिर उसके खिलाफ बगावत आम जनता की लड़ाई बन जाती है। समाजवादी पार्टी का अहिंसक क्रान्ति में विश्वास है। कुशासन से निजात पाने की इस लड़ाई में सभी वर्गो और सभी लोकतन्त्र प्रेमी साथियों की भागीदारी अपेक्षित।

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परम्परागत शैली के कारण उत्तर प्रदेश का हस्तशिल्प उद्योग में विशिष्ट स्थान

Posted on 17 January 2010 by admin

लखनऊ - उत्तर प्रदेश के हस्तशिल्पियों से राष्ट्रीय पुरस्कार वर्ष-2009 के लिए आवेदन पत्र आमिन्त्रत किये गये हैं। निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन पत्र (कलाकृति सहित) हस्तशिल्पी सम्बंधित जनपद के जिला उद्योग केन्द्र कार्यालय में 30 जनवरी, 2010 तक जमा कर सकते हैं।

लघु उद्योग विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार हस्तशिल्प कला कृतियों के आधार पर “राष्ट्रीय पुरस्कार वर्ष-2009´´ का आयोजन केन्द्रीय वस्त्र मन्त्रालय के विकास आयुक्त द्वारा किया जाएगा।

आवेदन पत्र का प्रारूप सम्बंधित जिले के जिला उद्योग केन्द्र कार्यालय, सहायक निदेशक (हस्तशिल्प) वस्त्र मन्त्रालय भारत सरकार, सेवा एवं विपणन केन्द्र बाराबंकी, बरेली आगरा, सहारनपुर अथवा वाराणसी से प्राप्त किया जा सकता है। लखनऊ में आवेदन प्रपत्र (कला कृति सहित) जिला उद्योग केन्द्र कार्यालय 8, कैन्ट रोड, कैसरबाग में 30 जनवरी तक स्वीकार किये जायेंगे।

हस्तशिल्पियों के साथ दूरस्थ तथा जनजाति क्षेत्र के प्रतिभावान शिल्पियों के परम्परागत हस्तशिल्प को जीवित बनाए रखने तथा इसके उत्तरोत्तर विकास के उद्देश्य से उनके द्वारा निर्मित कला-कृतियों को गुणदोष के आधार पर चयन कर पुरस्कृत किया जाता है।

ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश अपनी परम्परागत शैली के कारण हस्तशिल्प उद्योग में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। मुख्यत: बनारसी सिल्क व ब्रोकेट, भदोही व मिर्जापुर में कालीन, लखनऊ में चिकन तथा अगरा में कलात्मक संगमरमर का सामान, मुरादाबाद तथा वाराणसी में पीतल के पात्र तथा सहारनपुर व मेरठ में नक्काशीदार लकड़ी आदि के सामानों की मांग अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अधिक है। देश के कुल निर्यात में हस्तशिल्प की सहभागिता लगभग 65 प्रतिशत से अधिक है। राज्य सरकार ऐसे हस्तशिल्प उद्योगों के विकास को प्रोत्साहन देने के लिए अनवरत रूप से प्रयत्नशील है। प्रदेश में हस्तशिल्प तथा हस्तशिल्पियों के विकास के लिए अनेक कार्यक्रम व योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इसके साथ ही हस्तशिल्पियों का मनोबल बनाये रखने के लिए उन्हें पुरस्कार प्रदान कर सम्माानित भी किया जाता रहता है।

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मुख्यमन्त्री ने सी0पी0एम0 के वयोवृद्ध नेता ज्योति बसु के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया

Posted on 17 January 2010 by admin

लखनऊ-  उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमन्त्री तथा माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सी0पी0एम0) के वयोवृद्ध नेता श्री ज्योति बसु के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है।

एक शोक सन्देश मे मुख्यमन्त्री ने कहा है कि पश्चिम बंगाल के पांच बार मुख्यमन्त्री रहे श्री ज्योति बसु भारतीय राजनीति की महत्वपूर्ण हस्ती थे। साम्यवादी विचारधारा वाले श्री बसु वर्ष 1977 में पश्चिम बंगाल के मुख्यमन्त्री बने। श्री बसु ने पार्टी के विभिन्न पदों पर रहते हुए अपने चुनौतीपूर्ण दायित्वों का सफलता पूर्वक निर्वहन किया।

सुश्री मायावती ने कहा कि कम्युनिस्ट आन्दोलन के कद्दावर नेता श्री बसु 1946 में पहली बार विधान सभा के लिए चुने गये। मृदु स्वभावी और व्यवहार कुशल ज्योति बसु ने अपनी वाकपटुता और संसदीय कार्य प्रणाली से सभी के मन पर गहरी छाप छोड़ी। उन्होंने कहा कि 23 साल के लम्बे समय तक लगातार पश्चिम बंगाल का मुख्यमन्त्री बने रहना भारतीय राजनीति में एक शानदार उपलब्धि के रूप में उनके नाम दर्ज है।

सुश्री मायावती ने दिवंगत आत्मा की शान्ति की कामना करते हुए शोक सन्तप्त परिजनों के प्रति गहरी संवेदना एवं सहानुभूति व्यक्त की है तथा श्री बृजेश पाठक सांसद को श्रद्धांजली अर्पित करने तथा श्री बसु के पार्थिव शरीर को पुष्पांजलि अर्पित करने हेतु कोलकाता के लिए रवाना कर दिया।

ज्ञातव्य है कि 96 वर्षीय ज्योति बसु काफी दिनों से बीमार थे और उनका इलाज कोलकाता के ए.एम.आर.आई. अस्पताल में चल रहा था। आज पूर्वांह्न में उनका निधन हो गया।

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American state-level elections. Son of a bundelkhand Jhansi tailor is Democrat candidate in Texas elections.

Posted on 17 January 2010 by admin

An Indian-American is standing in American state-level elections. No big deal, it’s happened before. The elections are in Texas. Not much of a big deal either. Texas has politicians from immigrant families.

Now consider this: The Indian-American is Masarrat Ali, a biotechnologist-entrepreneur and a first-generation immigrant, son of a tailor from Jhansi, UP, the eldest of nine siblings, all who got their first schooling in a run-down establishment that used to be part of Rani of Jhanshi’s kotwali. When you add to this the fact that Ali is the first Indian-American and the first Muslim to get a party ticket in Texan elections, then his case becomes special. 

Masarrat Ali is the Democratic candidate for District No. 122 (in San Antonio) for the Texan House of Representatives (the lower house). San Antonio is no backwater—the second largest city in Texas and the seventh largest in the US. Ali’s rival for the Democratic ticket for District No. 122 was Art A. Hall. But on January 15, Hall dropped out and endorsed Ali’s candidature. The elections are in November and Ali has a tough job. District 122 in San Antonio, Texas has been held by Republicans for 18 years. Texas is a Republican-leaning state and Ali is a newcomer to politics. But, as Ali says, “If Obama could happen, why not Massarat? His (Obama’s) victory has given hope to all minorities.”
Win or lose, though, Ali’s is already a remarkable story. It started in Jhansi, in the Bundelkhand region of UP, then as now, a place development has passed by. Ali was born to a tailor, Haji Maqbool Ali. Ali Senior says he used to stitch suits for “commissioners, collectors and ministers”. But the money wasn’t enough for his large family of nine children, of whom Masarrat was the eldest. They lived in a narrow lane crowded with old houses. The neighbourhood is called Gandhigarh Tapra. “It was a typical mohalla with little sense of education. It was full of eighth-class fails. The highest qualification there was high-school-fail,” Masarrat said. 

The lane is still the same. But Ali’s house has changed — a well-constructed, three-storey building, marble floors, modular kitchen and modern furniture. “The house got renovated just a couple of months back,” said Ali’s mother Rasheedan Ali.

The school Masarrat attended—the Urdu-medium Wakf Board-run Islamia primary school —is just a stone’s throw from his house. “During my days, it had no chairs, no electricity, no bathrooms and just two-three teachers who never cared,” Ali recollects. 

Today, it’s almost the same — a decrepit building whose plaster is peeling off and whose wall has ‘I love you’ scribbled on it at many places and posters of local politicians pasted on it. The school is on a single floor and the building that houses it was a kotwali during the time of Rani Laxmi Bai, according to Ali’s younger brother Zaheer , a local businessman. “When Masarrat was a kid, there was no power supply for homes in Jhansi,” the father recalled. “He would study with a lantern. Though he loved studying, he had no career ambition. When you are busy just trying to survive, there’s little time to think about lofty things such as ambition,” Ali recollects. 

But the father—who also attended the Islamia school and didn’t study further —made sure that his children at least aspired to get an education that would make them fit for white-collar jobs. So, he didn’t let them mingle with other children in the neighbourhood; they had enough siblings to play with at home. “Without his efforts, I would have been lost in the galis of Jhansi today,” says Masarrat. But the father takes no credit. “Sab Allah Miyan ka diya hua hai. It’s god’s gift,” he said. 

Ali’s education progressed from the Islamia school to the Hindi-medium Government Intermediate College and then Aligarh Muslim University. Everything Masarrat did after graduation, Masters in Biochemistry from Aligarh in 1977, PhD from the Central Drug Research Institute, Lucknow, in 1981, post-doctoral fellowships at the University of Paris, France (where he was research assistant professor till 1984), the Louisiana State Medical University in New Orleans and Pennington Biomedical Research Center in Baton Rouge, Louisiana, (together, he spent 10 years there) was on scholarship.

The tailor’s eldest son set the example for his younger sons — one is an MBA, the other is an IT professional and a couple others are graduates and running local businesses in Jhansi such as a pharmaceutical distributorship and a ladies’ clothes store. His daughters are either high-schoolers or intermediate-pass, which according to Ali, is “a great achievement” as women in his family had previously never attended school. 

Masarrat Ali traded academics for entrepreneurship after he moved to his current residence, San Antonio, in 1993. That year, while he was doing his research on breast cancer at the University of Texas Health Science Center, his thesis supervisor, also an Indian, told him that research published only in papers or journals was “meaninglss”. That prompted Ali to do a “crazy” thing. He quit his comfortable job as an assistant professor, and started the Alpha Diagnostics International (ADI). ADI sells biotechnology laboratory equipment. Ali says it’s a success. ADI has a centre in San Antonio and one in Shanghai. How much is he worth? Ali won’t get into specifics.

 And how did politics happen? Always a Democrat voter, in 2004, Ali was among those who founded the Texas Muslim Democrat Caucus, a body that, Ali says, voices Muslim political concerns within the Democrat party and also works to get Texan Muslims to register as voters. Masarrat is currently the Caucus’s vice-president. His ambition is to convert the caucus into a national affair and it has now been rechristened as American Muslim Democrat Caucus. San Antonio has 30,000 Muslims and Texas, about 5 lakhs. 

Convincing Muslims in Texas to be politically active is tough, Ali says. Muslims from India are more willing, he says. Those from the Middle-East are the most reluctant. Two years ago, Ali was elected Precinct Chair for District 122, which required grassroots working like getting in touch with the voters and organizing them. The candidacy followed from that. Ali’s father, who visits his son in Texas every year, doesn’t have any particular views about his son’s political goals. But Ali Senior says, he “likes the Americans he met”. “My beard, my kurta-pajama, my topi don’t seem to be a problem when I am there,” he says.


Vikas Sharma
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