ललितपुर - जैसा कि नाम से ही उद्घोषित होता है सुन्दर नगर जो अपने आंचल में पर्यटकों को आकर्षित करने योग्य अनेक अनूठे स्थल छुपाये है जिस पर सरकार द्वारा थोड़ा सा ध्यान देने पर विश्व मानचित्र पर बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में ललितनगरी को स्थापित होने के साथ-साथ यहां के युवाओं को रोजगार के नये संसाधन उपलब्ध कराने का स्थल बन सकता है।
उत्तर मध्य रेलवे स्टेशन पर बीना-झांसी जंकशन के बीच स्थित ललितपुर रेलवे स्टेशन पर सभी प्रमुख सबारी गाड़ी रूकने के कारण बड़ी सख्या में पर्यटक आते है, यहां के ऐतिहासिक, पुरातत्वीय, पौराणिक, धार्मिक, औद्योगिक, प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक महत्व के स्थल एक ही जनपद में अन्यत्र कहीं मौजूद नहीं है। प्रकृति के अद्भुत नजारे आदिवासियों का कौतुहल पूर्ण जीवन, विंध्य पर्वत श्रृख्लाओं की गुफाओं में आदिमानवों द्वारा निर्मित शैलचित्रों की विविधता वेतवा नदी पर बना प्राकृति का अनूठा उपहार करकरावल का जल प्रपात, बारह मासी नदियां, हरे-भरे जंगल आध्यित्मक अनुभूतियों से साक्षात्कार कराती युग्म मूर्तियों से सुसज्जित देवगढ़ जहां किले के अन्दर चालीस जैन मिन्दरों की श्रृख्ला के अलावा अवतारवाद की परम्परा का वोध कराता दशावतार मिन्दर, जहां नर से नारायण बनने की कथा पाषाण खंड़ो पर उकेर कर शिल्पी ने आश्चर्य चकित कर दिया, सिद्ध की गुफा नवृराह मिन्दर, राजघाटी, थोड़ी दूरी पर स्थित रणछोर जी का मिन्दर, मुचकुन्द ऋषि की गुफा, जराखों, चान्दपुर जहांजपुर के चन्देल कालीन मिन्दर, दुधई के तन्त्र प्रणाली का ऐतिहासिक मिन्दर पाली का नीलकण्डेश्वर मिन्दर, मदनपुर की आल्हा ऊदल की बैठकी, पटना का पंाडवन, वालावेहट किले के महागणपति, अमृतझरा घाटी, बानपुर का किला, बार का चन्दनवन तथा झूमरनाथ मिन्दर, तालवेहट का मानसरोवर तालाव तथा महाराजा मर्दन सिंह का किला, सेरोन के जैन तथा हिन्दु मिन्दर, देवा माता, सिरसी की गढ़ी, ललितपुर नगर में सीतापाठ, नो मणि बत्तीस खम्मा युक्त बाबा सदन शाह की मजार, बजरिया का बांसा ग्यानानाला के पास स्थित हस्त कुठारों की निर्माण स्थली सुम्मेरा तालाब, जखौरा का पीतल शिल्पकला, कैलगंवा की गौरा पत्थर की कला के साथ बुढ़वार की चन्देरी साड़ी के साथ घने जंगलों में दहाड़ते शेर, गुर्राते तेन्दुए वन भैंसे, गौर, चीतल, हिरण, नीलगाय, आदि वन प्रणियों के संरझण के लिऐ बना भगवान महावीर वन्य विहार में तेन्दु, बीजा, साज, सेमल, खैर सागौन, बेर, जामुन, वेल, आंवला, करघई, गुरार, इमली, महुआ, चिरौंजी, वहेड़ा के साथ वनौषधि नैसर्गिक रूप से पाई जाती है उनमें मुख्य है अश्वगंधा, सर्पगंधा, शतावर, हरी, वहेड़ा, सफेद मूसली, गुड़मार चिरायता, अर्जुन, ब्रजदन्ती, मोरसखा, घृतकुमारी, भृगंराज, क्रौचबीज, पीपल, गोखरू, निम्ब प्रमुख है। आधुनिक तीर्थ के रूप में विशाल जलराशि को बांधकर बनाये गये माताटीला बांध गोविन्द सागर बांध, रानी लक्ष्मी सागर, जामनी बांध, रोहिणी बांध, सजनाम बांध , शहजाद बांध जो पर्यटन के लिऐ आकर्षण का केन्द्र बन सकता है।
ललितपुर अपने लालित्य के रूप में पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित 85 स्थलों के अतरिक्त प्राकृतिक और पौराणिक महत्व के अनेक अद्भुत स्थल छुपाये है लेकिन पर्यटन विकास के नाम पर सारे संसाधनों का उपयोग देवगढ़ तक ही सीमित रह गया है जिसमें मात्र एक पर्यटक आवास गृह तथा देवगढ़ किले तक सड़क निर्माण ही हो पाया है। टूटी-फूटी संड़को पर हिचकोले खाते पर्यटकों के लिए पर्यटन परिपथों एवं महत्वपूर्ण स्थलों पर आवासीय सुविधा, जलाशयों में मोटरवोट, ऐडवेंचर टूरिजम तथा इकोटूरिजम, शिल्प ग्राम तथा देवगढ़ के दशावतार मिन्दर प्रागण में प्रतिवर्ष नृत्य महोत्सव, ललितपुर महोत्सव जैसे आयोजन पर्यटकों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते है उत्तर प्रदेश के प्रमुख पर्यटक स्थल उत्तराखण्ड राज्य बन जाने के कारण उत्तराखण्ड में चले जाने के बाद प्रदेश ही नहीं अपितु देश में इतने विविधता पूर्ण शैव, वैष्णव जैन तथा मुस्लिम संप्रदायों के मठ, मिन्दर और मजारों के साथ आदि मानव से आधुनिक मानव की कला कृतियों से सुसज्जित एक आश्चर्य जनक मूर्ति लोक के रूप में उत्तर प्रदेश के अन्तिम छोर पर होने का अभिशाप सहने को मजबूर है लखनऊ और दिल्ली में पर्यटन विकास की योजना बनाने वाले आला अधिकारी यहां की सच्चाई से रूबरू न होने के कारण उपेक्षा का दंश देते रहते है जबकि ललितपुर में हर तरह के पर्यटन के लिए सभी कुछ तो मौजूद है।
भक्ति संघ के अध्यक्ष प्रेमनारायण पाठक कहते है ललितपुर को पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए राज्य सरकार के दृढ़ संकल्पित न रहने के कारण महत्वपूर्ण मूर्तियों पर तस्करों की गिद्ध दृष्टि लगी हुई है नृवराह की मूर्ति वर्षो बाद भी पुलिस माल खाने में कैद है। स्थानीय दैनिक समाचार पत्र के संपादक विनीत चतुर्वेदी कहते है युवाओं को रोजगार दिलाने में सहायक पर्यटन उद्योग को विकसित करने के लिए सरकार के साथ जन भागीदारी सुनिश्चित की जाये होटल उद्योग को कई सुविधा देनी होगी तभी पर्यटकों को अच्छी आवासीय व्यवस्था सुलभ हो सकेगी पर्यटको के लिऐ स्थलों पर पहुचने के लिए सुगम मार्ग से लेकर सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था जरूरी है। आखिर एक पर्य क क्या चाहता है। दर्शनीय नैसर्गिक सौदंर्य, ऐतिहासिक धरोहर सुविकसित संस्कृति, विशिष्ट कलाऐं और पर्यटकों के लिऐ ढ़ेर सारी सुविधाए ही ललितपुर के लालित्य को निखार सकती है बस जरूरत है एक ठोस पहल की जो काम ज्यादा करे और ढिढोरा पीटे कम।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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