लखनऊ- आयुर्वेद व एलोपैथी के बीच छिड़ी महाभारत के पीछे उनके बीच यह कैसी यारी है, आयुर्वेदिक दवा कंपनियां अपने कारोबार के लिए अब ऐलोपैथी के डॉक्टरों की मोहताज हो गई हैं। कानून की नज़र में यह सांठगांठ भले ही अपराध की कैटिगरी में आती हो लेकिन दोनों एक दूसरे की वजह से खूब फल-फूल रहे हैं। विदेशों में आयुर्वेद पर हमलों के बाद अब ये कंपनियां एलोपैथी के डॉक्टरों की और अधिक मोहताज हो जाएंगी।
भारत के आधुनिक पद्धति के डॉक्टरों के लिए बाइबिल समझी जाने दवा की किताब मिम्स इण्डिया के सबसे ताजा इशु में पहले पन्ने पर यही चेतावनी लिखी है- एलोपैथी के डॉक्टर मरीजों को आयूर्वेदिक दवा न लिखें, यह कानूनी अपराध है। लेकिन इस मामले में कानून के उल्लंघन का यह आलम है कि दिल्ली सहित दूसरे राज्यों की सरकारी ऐलोपैथिक डिस्पेंसरियों के लिए धड़ल्ले से आयुर्वेदिक दवाइयों की खरीद हो रही है और मॉडर्न तरीके से इलाज करने वाले डॉक्टर पुर्जे पर उन दवाइयों को लिख रहे हैं। आयुर्वेदिक कंपनियों की आवभगत के प्रभाव में आकर आम एलोपैथी के डॉक्टर आयुर्वेदिक दवाइंया लिखते हैं, हालांकि उन्हें खुद यह पता नहीं होता कि लिखी गई दवाई कितनी कारगर है।
देश में डॉक्टरों द्वारा दी जाने वाली सलाह और उनकी पर्ची की निगरानी में लगी एक एजेंसी से जुड़े सफदजंग अस्पताल के दवा एक्सपोर्ट के मुताबिक हाल के कुछ सालों में भारी संख्या में एलोपैथी के डॉक्टर अपने पुर्जो में आयुर्वेदिक दवाइंया लिखने लगे हैं।
आयुर्वेदिक कंपनी के एक आला अधिकारी ने कहा कि एलोपैथी के डॉक्टर भले ही आयुर्वेद पर लगातार हो रहे हमलों के मजे ले रहे हो लेकिन वे आयुर्वेदिक कंपनियों के हाथों मजे लूट रहे हैं। उन्होनें माना कि कारोबार के लिए देश के 4 लाख से अधिक एलोपैथी के डॉक्टरों पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। देश में करीब 1 लाख आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं लेकिन उनमें से अधितर, मरीजों का इलाज एलोपैथी दवा से करते हैं। मॉडर्न तरीके से इलाज करने वाले डॉक्टर अदालत के फैसले का हवाला देकर कहते हैं कि आयुर्वेदिक डॉक्टरों द्वारा एलोपैथी दवा लिखना गैरकानूनी है। वहीं आयुर्वेदिक डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें ऐसा करने का अधिकार हैं।
सिंगापुर व अमेरिका में च्यवनप्राश सहित कई दवाइयों को हेवी मेटल की खासी मात्रा होने के नाम पर जहरीला करार देने के बाद एलोपैथी के डॉक्टरों का मनोबल थोड़ा बढ़ गया है। दवा के कारोबार के मामले में एलोपैथी व आयुर्वेद के बीच जो घालमेल है, वह उनकी इस लड़ाई की कलई खोलता है। आयुर्वेदिक हों या एलोपैथी के दोनों तरह के डॉक्टर एक दूसरे की दवा में सेंध लगा रहे है।,
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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