Archive | January 22nd, 2010

तोहफे के तौर पर चाँद पर खरीदी गई जमीन देने की बात,अनर्गल, हास्यास्पद् -शशांक शेखर

Posted on 22 January 2010 by admin

लखनऊ -  मन्त्रिमण्डलीय सचिव श्री शशांक शेखर सिंह ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती को जन्म दिन के तोहफे के तौर पर  चाँद पर खरीदी गई जमीन देने की बात पूरी तरह अनर्गल, हास्यास्पद् और बे सिर-पैर की है, जिसमें जरा भी गम्भीरता नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसी हास्यास्पद् बातों को आधार बनाकर कतिपय समाचार पत्रों और एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल द्वारा प्रचार-प्रसार किया जाना खेदजनक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चाँद पर जमीन आवंटित किये जाने सम्बंधी किसी भी प्रकरण के बारे में मुख्यमन्त्री को कोई भी जानकारी नहीं है और न ही उन्हें (मुख्यमन्त्री को) इससे कोई लेना-देना है।

श्री सिंह आज यहां एनेक्सी स्थित मीडिया सेन्टर में प्रेस- प्रतिनिधियों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने जानकारी दी कि मुख्यमन्त्री के सरकारी आवास पर कुछ दिनों पहले एक पैकेट आया था, जिसके प्रेषक के तौर पर <!– /* Style Definitions */ p.MsoNormal, li.MsoNormal, div.MsoNormal {mso-style-parent:”"; margin:0in; margin-bottom:.0001pt; mso-pagination:widow-orphan; font-size:12.0pt; font-family:”Times New Roman”; mso-fareast-font-family:”Times New Roman”; mso-fareast-language:EN-US;} @page Section1 {size:8.5in 11.0in; margin:1.0in 1.25in 1.0in 1.25in; mso-header-margin:.5in; mso-footer-margin:.5in; mso-paper-source:0;} div.Section1 {page:Section1;} –>

“LRS FULFILMENT (AGENT), 2712 Merchant Ct, Tracy, CA 95377-8501, US”अंकित था। इस पैकेट में कुछ कागजात थे, जो मुख्यमन्त्री को लूना अर्थात चाँद पर भूखण्ड आवंटित किये जाने से सम्बन्धित थे।

मन्त्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि जब यह प्रकरण मुख्यमन्त्री के संज्ञान में आया, तो उन्होंने तत्काल गृह विभाग को इस सम्बंध में आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिये, क्योंकि मुख्यमन्त्री को स्वयं इस मामले की कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमन्त्री को चाँद पर भूखण्ड भेंट करने के मामले पर समुचित कार्यवाही एवं जांच करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा विदेश मन्त्रालय, भारत सरकार को पत्र भेजा गया है। राज्य सरकार ने विदेश मन्त्रालय से इस गम्भीर प्रकरण की जांच शीघ्रता से करने का भी अनुरोध किया है।

श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती चौथी बार प्रदेश की मुख्यमन्त्री बनी हैं और वें दलितों की मसीहा हैं तथा अपनी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। इतनी बड़ी हस्ती के लिए इस प्रकार के समाचार का प्रकाशित और प्रसारित किया जाना खेद जनक है। चाँद पर भूखण्ड आवंटित करने सम्बंधी समाचार प्रसारित करने से पूर्व न तो किसी ने मुख्यमन्त्री से कोई वार्ता की और न ही किसी अधिकारी से कोई जानकारी ही प्राप्त की गई।

मन्त्रिमण्डलीय सचिव ने मीडिया प्रतिनिधियों से ऐसे मामलों में जिनमें जरा भी गम्भीरता न हों, उन्हें समाचारों में स्थान देते समय परिपक्वता और संयम का परिचय देने का अनुरोध किया है।

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इस्लाम बेगुनाहों को कत्ल करने की इजाजत नहीं देता - शाहरूख

Posted on 22 January 2010 by admin

लखनऊ- मुस्लिम बच्चों को ज्यादा से ज्यादा शिक्षा ग्रहण करना चाहिए और अरबी उर्दू के साथ मौजूदा तरक्की की पढ़ाई को जरूर प्राप्त करना चाहिए। इस्लाम बेगुनाहों को कत्ल करने की कभी इजाजत नहीं देता।

उक्त बातें देश भर से आये चुनिन्दा लगभग 20 सहाफी के बीच सिने अभिनेता शाहरूख खान ने अपने बान्द्रा (मुम्बई) स्थित मन्नत आवास पर कही।

उर्दू सहाफियों से एक आसान मुलाकात मेंश्री खान ने कहा कि खासकर मुस्लिम समाज की जो पूरी दुनिया में गलत तस्वीर पेश की जा रही है उससे खासे नाराज दिखे। उन्होंने कहा कि समाज के एक दो लोग अगर खराब हैं तो उससे पूरे मुस्लिम समाज को जोड़कर देखना गलत है। मसलन कोई ईसाई अगर खराब है तो क्या पूरी ईसाई कौम खराब है, कोई हिन्दू खराब है तो क्या पूरी हिन्दू कौम खराब है। उन्होंने कहा कि जेहाद पर जो बातें की जाती है और जो बताई जाती हैं जेहाद के माने यह बताया जाता है कि कत्ल करना इस्लाम में है। इस्लाम बेगुनाहों को कत्ल करने की कभी इजाजत नहीं देता। इस्लाम अमन व शान्ति का मजहब है उन्होंने यह भी कहा कि मोहम्मद साहब ने मुस्लिम समाज की पढ़ाई पर काफी जोर दिया था और कहा था कि अगर पढ़ाई के लिए चीन जाना हो तो भी जाओ। इसका मतलब यह है कि पढ़ाई के लिए या इल्म हासिल करने के लिए वतन भी छोड़ना पड़े तो वतन को छोड़ो और अपनी शिक्षा से अपनी व देश की तरक्की करो।

शाहरुख खान ने खासकर मुस्लिम बच्चों से कहा कि अगर अरबी उर्दू पढ़ते हो तो उसके साथ-साथ नई टेक्नोलॉजी की पढ़ाई जरूर करें - अल्लाह मियां को याद रखें और कालेज भी जाए।

श्री खान ने अपनी नई फिल्म माई नेम इज खान की चर्चा करते हुए कहा कि यह फिल्म ऐसी है जो हिन्दू-मुस्लिम दोनों किरदारों को पर्दे पर उतारती है। उन्होंने कहा कि इस फिल्म का टाइटिल पहले खान रखना चाहते थे लेकिन यह टाइटिल मनोज कुमार साहब के पास रजिस्टर्ड था इस वजह से इस फिल्म का नाम माई नेम इज खान रखना पड़ा। जबकि मेरा स्वयं का किरदार है कि जरा से दबा कर व हकला कर मैं कई बार माई नेम इज खान कहता हूं। माई नेम इज खान करन जौहर की पिक्चर है जो मेरे अच्छे दोस्तों में से हैं और हम लोगों ने इस पर काफी मेहनत की है।

शाहरूख ने कहा कि किसी के नाम में सरनेम खान लगा होता है तो उसे हर जगह रोका जाता है मेरा किरदार इस फिल्म में एक रिजवान खान नाम के लड़के का है जिसके नाम के आगे खान होने के कारण एअरपोर्ट पर रोक दिया जाता है कि कहीं वह आतंकवादी तो नहीं।

शाहरुख ने यह भी बताया कि मैं 7 फरवरी को लखनऊ भी आ रहा हूं और इसी बीच अलीगढ़ जाने की भी बात कही। शाहरुख खान लखनऊ से गये डेढ़ दर्जन पत्रकारों से अपनी बात बड़े ही खुलूस और मोहब्बत से अपने घर पर रखी।

शाहरुख ने कहा कि काजोल बहुत ही अच्छी अदाकारा हैं और वे अच्छी ढंग से अपने किरदार को इतनी आसानी से अदा कर देती हैं यही उनका बडप्पन है। शाहरुख ने कहा इस फिल्म को लोग जरूर देखें यह आतंकवादियों पर फिल्म नहीं है, यह एक अलग स्टोरी पर आधारित फिल्म है।

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कर्मचारियों पर हुए पुलिसिया जुल्म के लिये रीता जोशी ने महामहिम को लिखा पत्र

Posted on 22 January 2010 by admin

लखनऊ - डॉ0 रीता बहुगुणा जोशी, अध्यक्ष, उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी की प्रेस वार्ता मे कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चो द्वारा राजधानी में हुए प्रदर्शन पर पुलिसिया जुल्म और बर्बर लाठीचार्ज वर्तमान प्रदेश सरकार एवं मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती की तानाशाही का ऐसा विकृत उदाहरण है जिससे लोकतन्त्र शर्मसार हुआ है। इसकी जितनी भी निन्दा की जाय कम होगी। हद तो यह हो गई है कि लाठीचार्ज में घायल कर्मचारियों को अस्पतालों में आईसीयू से बाहर निकाल दिया गया और अनेक कर्मचारी लापता हैं। कर्मचारियों पर एस्मा लगाकर प्रताड़ित एवं गिरफ्तार किया जा रहा है।

वर्ष 1975 एवं 1985 के मध्य कांग्रेस के शासनकाल में ही केन्द्र सरकार के कर्मचारियों एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों के बीच वेतन विसंगतियों को दूर करने के कई निर्णय लिये गये। जिसमें पहले यह निर्णय हुआ कि जब-जब केन्द्र में डी.ए. बढ़ेगा, तब-तब प्रदेश में भी कर्मचारियों का डी.ए. बढ़ाया जायेगा एवं 1986 में यह निर्णय हुआ कि प्रदेश सरकार राज्य स्तरीय वेतन आयोग न बनाकर केन्द्र सरकार द्वारा गठित वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर ही उत्तर प्रदेश सरकार के कर्मचारियों को समानता के आधार पर वेतनमान एवं सुविधाएं देगी। परन्तु विगत कुछ वर्षो से इस निर्णय का पालन प्रदेश सरकार नहीं कर रही है, जिसकी वजह से कर्मचारियों में आक्रोश फैला है और वह सड़क पर उतरने के लिए बाध्य हुए हैं।

काफी समय से यह देखा जा रहा है कि अपनी समस्याओं और मांगों के समाधान के लिए जब भी कोई संगठन अपनी आवाज उठाता है, राज्य सरकार दमनात्मक रवैया अपनाकर उन संगठनों की आवाज दबाने की कोशिश करती है। मोअल्मे-उर्दू का आन्दोलन हो या शिक्षा मित्रों का प्रदर्शन, सरकार के इशारे पर कर्मचारियों पर बर्बर लाठीचार्ज किया गया। यहां तक कि महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया।

राज्य कर्मचारियों के संगठनों की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करना तो दूर, प्रदेश सरकार लगातार उन्हे दबाने के लिए उपक्रम करती रही। मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती खुद तो किसी से मिलती नहीं, उनके अधिकारी भी कर्मचारियों से वार्ता करके उनकी समस्याओं का समाधान करने के बजाए मुख्यमन्त्री को खुश करने में लगे रहते हैं।

राज्य कर्मचारी एवं शिक्षक जिन मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे वे सभी मांगें जायज एवं न्यायोचित हैं और सरकार को उन पर गम्भीरता से विचार करके अविलम्ब समाधान निकालना चाहिए।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी कल हुए लाठीचार्ज की कड़ी निन्दा करते हुए मांग करती है कि इस लाठीचार्ज की न्यायिक जांच करवाई जाए, प्रदेश सरकार कर्मचारी और शिक्षकों से वार्ता करने हेतु उच्च स्तरीय समिति गठित करके अविलम्ब उनकी मांगों पर चर्चा करके समाधान निकाले, एस्मा लागू करने के निर्णय को वापस लिया जाय एवं कर्मचारियों तथा शिक्षकों का उत्पीड़न अविलम्ब बन्द किया जाय। यदि कंाग्रेस पार्टी की मांगों को स्वीकार नहीं किया गया तो कांग्रेस जन राज्य कर्मचारियों एवं शिक्षकों के हक में आवाज उठाने एवं उनके संघर्ष में साथ देने हेतु हर कदम उठाने के लिए तैयार रहेंगे।

कर्मचारियों पर हुए पुलिसिया जुल्म के लिये रीता जोशी ने महामहिम को लिखा पत्र

महामहिम जी,
हम आपका ध्यान उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा द्वारा राजधानी में हुए प्रदर्शन पर पुलिसिया जुल्म और बर्बर लाठीचार्ज की ओर दिलाना चाहते हैं। यह वर्तमान प्रदेश सरकार एवं मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती की तानाशाही का ऐसा विकृत उदाहरण है जिससे लोकतन्त्र शर्मसार हुआ है। हद तो यह हो गई है कि लाठीचार्ज में घायल कर्मचारियों को अस्पतालों में आईसीयू से बाहर निकाल दिया गया और अनेक कर्मचारी लापता हैं। कर्मचारियों पर एस्मा लगाकर प्रताड़ित एवं गिरफ्तार किया जा रहा है। आज अति तो तब हो गई जब सरकारी दफ्तरों के प्रांगण में पुलिस मार्च किया गया और स्वयं लखनऊ के जिलाधिकारी द्वारा कर्मचारियों को मारा-पीटा गया है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि स्थिति राज्य सरकार के नियन्त्रण से बाहर हो गई है। स्थिति को सम्भालने के लिए आपके हस्तक्षेप एवं दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की आवश्यकता है।

उत्तर प्रदेश में वर्ष 1975 एवं 1985 के मध्य कांग्रेस के शासनकाल में ही केन्द्र सरकार के कर्मचारियों एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों के बीच वेतन विसंगतियों को दूर करने के कई निर्णय लिये गये। जिसमें पहले यह निर्णय हुआ कि जब-जब केन्द्र में डी.ए. बढ़ेगा, तब-तब प्रदेश में भी कर्मचारियों का डी.ए. बढ़ाया जायेगा एवं 1986 में यह निर्णय हुआ कि प्रदेश सरकार राज्य स्तरीय वेतन आयोग न बनाकर केन्द्र सरकार द्वारा गठित वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर ही उत्तर प्रदेश सरकार के कर्मचारियों को समानता के आधार पर वेतनमान एवं सुविधाएं देगी। परन्तु विगत कुछ वर्षो से इस निर्णय का पालन प्रदेश सरकार नहीं कर रही है, जिसकी वजह से कर्मचारियों में आक्रोश फैला है और वह सड़क पर उतरने के लिए बाध्य हुए हैं।

काफी समय से ही प्रदेश में अपनी समस्याओं और मांगों के समाधान के लिए जब भी कोई संगठन अपनी आवाज उठाता है, राज्य सरकार दमनात्मक रवैया अपनाकर उन संगठनों की आवाज दबाने की कोशिश करती है। मोअल्मे-उर्दू का आन्दोलन हो या शिक्षा मित्रों का प्रदर्शन, सरकार के इशारे पर कर्मचारियों पर बर्बर लाठीचार्ज किया गया, यहां तक कि महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया।

अत: उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी आपसे मांग करती है कि:-
1.    कल हुए लाठीचार्ज की न्यायिक जांच करायी जाय।
2.    प्रदेश सरकार द्वारा कर्मचारी और शिक्षकों से वार्ता करने हेतु उच्च स्तरीय समिति गठित करके अविलम्ब उनकी मांगों पर चर्चा करके समाधान निकाला जाय।
3.    एस्मा लागू करने के निर्णय को अविलम्ब वापस लिया जाय एवं कर्मचारियों तथा शिक्षकों का उत्पीड़न अविलम्ब बन्द किया जाय।
4.   बर्खास्त कर्मचारियों को तत्काल वापस लिया जाए।
आदर सहित,

डॉ0 रीता बहुगुणा जोशी, अध्यक्ष, उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी

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जनेश्वर मिश्र का निधन

Posted on 22 January 2010 by admin

नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी [सपा] 76 वर्षीय  वरिष्ठ नेता और सांसद जनेश्वर मिश्र का निधन शुक्रवार को हो गया है। कल रात जिस समय उन्हें इलाहाबाद से संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ उपचार के लिए लाया जा रहा था उस समय रास्ते में ही उनका निधन हो गया।shook-sabha-1
समाजवादी पार्टी प्रवक्ता राजेन्द चौधरी ने बताया कि कुछ समय से बीमार चल रहे जनेश्वर मिश्र की कल इलाहाबाद में अचानक तबीयत ज्यादा खराब हो जाने के कारण उन्हें बीती रात लखनऊ पीजीआई में इलाज के लिए लाया जा रहा था, जहां रास्ते में ही उनका निधन हो गया। चौधरी ने बताया कि मिश्र का निधन ब्रेन हेमरेज के कारण हुआ है। डा.लोहिया के समाजवादी आंदोलन से निरंतर जुड़े रहने के कारण लोग उन्हें छोटे लोहिया के नाम से भी बुलाते थे। मिश्र 1977 में पहली बार लोकसभा के लिए इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से चुने गये थे।
1990-91
में पूर्व प्रधानमंत्री चन्दशेखर के नेतृत्व में बनी केन्द सरकार में मिश्र पेट्रालियम मंत्री भी रहे।
छोटे लोहिया के नाम से मशहूर जनेश्वर मिश्र चंद्रशेखर सरकार में रेल मंत्री रहे थे।




Vikas Sharma
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“सोनिया गांधी” पर मुकदमा करने वाले “पी राजन” पर 10 लाख रुपये का जुर्माना

Posted on 22 January 2010 by admin

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को याचिका खारिज कर दी जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को बेल्जियम सरकार द्वारा दी गई उपाधि स्वीकार करने की वजह से लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता पी राजन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। राजन ने पूर्व में भी ऐसी एक याचिका दायर की थी।

राजन ने अदालत से निर्वाचन आयोग को सोनिया गांधी के खिलाफ जांच करने के लिए आदेश देने की मांग की थी। सोनिया को नवंबर 2006 में बेल्जियम के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ लिओपोल्ड से सम्मानित किया गया था तथा एक मानद डॉक्टरेट प्रदान की गई थी।

हाईकोर्ट ने जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्माण्यम स्वामी द्वारा दायर ऐसी ही एक अन्य याचिका 16 दिसंबर को खारिज कर दी थी।


Vikas Sharma
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