लखनऊ - डॉ0 रीता बहुगुणा जोशी, अध्यक्ष, उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी की प्रेस वार्ता मे कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चो द्वारा राजधानी में हुए प्रदर्शन पर पुलिसिया जुल्म और बर्बर लाठीचार्ज वर्तमान प्रदेश सरकार एवं मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती की तानाशाही का ऐसा विकृत उदाहरण है जिससे लोकतन्त्र शर्मसार हुआ है। इसकी जितनी भी निन्दा की जाय कम होगी। हद तो यह हो गई है कि लाठीचार्ज में घायल कर्मचारियों को अस्पतालों में आईसीयू से बाहर निकाल दिया गया और अनेक कर्मचारी लापता हैं। कर्मचारियों पर एस्मा लगाकर प्रताड़ित एवं गिरफ्तार किया जा रहा है।
वर्ष 1975 एवं 1985 के मध्य कांग्रेस के शासनकाल में ही केन्द्र सरकार के कर्मचारियों एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों के बीच वेतन विसंगतियों को दूर करने के कई निर्णय लिये गये। जिसमें पहले यह निर्णय हुआ कि जब-जब केन्द्र में डी.ए. बढ़ेगा, तब-तब प्रदेश में भी कर्मचारियों का डी.ए. बढ़ाया जायेगा एवं 1986 में यह निर्णय हुआ कि प्रदेश सरकार राज्य स्तरीय वेतन आयोग न बनाकर केन्द्र सरकार द्वारा गठित वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर ही उत्तर प्रदेश सरकार के कर्मचारियों को समानता के आधार पर वेतनमान एवं सुविधाएं देगी। परन्तु विगत कुछ वर्षो से इस निर्णय का पालन प्रदेश सरकार नहीं कर रही है, जिसकी वजह से कर्मचारियों में आक्रोश फैला है और वह सड़क पर उतरने के लिए बाध्य हुए हैं।
काफी समय से यह देखा जा रहा है कि अपनी समस्याओं और मांगों के समाधान के लिए जब भी कोई संगठन अपनी आवाज उठाता है, राज्य सरकार दमनात्मक रवैया अपनाकर उन संगठनों की आवाज दबाने की कोशिश करती है। मोअल्मे-उर्दू का आन्दोलन हो या शिक्षा मित्रों का प्रदर्शन, सरकार के इशारे पर कर्मचारियों पर बर्बर लाठीचार्ज किया गया। यहां तक कि महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया।
राज्य कर्मचारियों के संगठनों की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करना तो दूर, प्रदेश सरकार लगातार उन्हे दबाने के लिए उपक्रम करती रही। मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती खुद तो किसी से मिलती नहीं, उनके अधिकारी भी कर्मचारियों से वार्ता करके उनकी समस्याओं का समाधान करने के बजाए मुख्यमन्त्री को खुश करने में लगे रहते हैं।
राज्य कर्मचारी एवं शिक्षक जिन मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे वे सभी मांगें जायज एवं न्यायोचित हैं और सरकार को उन पर गम्भीरता से विचार करके अविलम्ब समाधान निकालना चाहिए।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी कल हुए लाठीचार्ज की कड़ी निन्दा करते हुए मांग करती है कि इस लाठीचार्ज की न्यायिक जांच करवाई जाए, प्रदेश सरकार कर्मचारी और शिक्षकों से वार्ता करने हेतु उच्च स्तरीय समिति गठित करके अविलम्ब उनकी मांगों पर चर्चा करके समाधान निकाले, एस्मा लागू करने के निर्णय को वापस लिया जाय एवं कर्मचारियों तथा शिक्षकों का उत्पीड़न अविलम्ब बन्द किया जाय। यदि कंाग्रेस पार्टी की मांगों को स्वीकार नहीं किया गया तो कांग्रेस जन राज्य कर्मचारियों एवं शिक्षकों के हक में आवाज उठाने एवं उनके संघर्ष में साथ देने हेतु हर कदम उठाने के लिए तैयार रहेंगे।
कर्मचारियों पर हुए पुलिसिया जुल्म के लिये रीता जोशी ने महामहिम को लिखा पत्र
महामहिम जी,
हम आपका ध्यान उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा द्वारा राजधानी में हुए प्रदर्शन पर पुलिसिया जुल्म और बर्बर लाठीचार्ज की ओर दिलाना चाहते हैं। यह वर्तमान प्रदेश सरकार एवं मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती की तानाशाही का ऐसा विकृत उदाहरण है जिससे लोकतन्त्र शर्मसार हुआ है। हद तो यह हो गई है कि लाठीचार्ज में घायल कर्मचारियों को अस्पतालों में आईसीयू से बाहर निकाल दिया गया और अनेक कर्मचारी लापता हैं। कर्मचारियों पर एस्मा लगाकर प्रताड़ित एवं गिरफ्तार किया जा रहा है। आज अति तो तब हो गई जब सरकारी दफ्तरों के प्रांगण में पुलिस मार्च किया गया और स्वयं लखनऊ के जिलाधिकारी द्वारा कर्मचारियों को मारा-पीटा गया है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि स्थिति राज्य सरकार के नियन्त्रण से बाहर हो गई है। स्थिति को सम्भालने के लिए आपके हस्तक्षेप एवं दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की आवश्यकता है।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 1975 एवं 1985 के मध्य कांग्रेस के शासनकाल में ही केन्द्र सरकार के कर्मचारियों एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों के बीच वेतन विसंगतियों को दूर करने के कई निर्णय लिये गये। जिसमें पहले यह निर्णय हुआ कि जब-जब केन्द्र में डी.ए. बढ़ेगा, तब-तब प्रदेश में भी कर्मचारियों का डी.ए. बढ़ाया जायेगा एवं 1986 में यह निर्णय हुआ कि प्रदेश सरकार राज्य स्तरीय वेतन आयोग न बनाकर केन्द्र सरकार द्वारा गठित वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर ही उत्तर प्रदेश सरकार के कर्मचारियों को समानता के आधार पर वेतनमान एवं सुविधाएं देगी। परन्तु विगत कुछ वर्षो से इस निर्णय का पालन प्रदेश सरकार नहीं कर रही है, जिसकी वजह से कर्मचारियों में आक्रोश फैला है और वह सड़क पर उतरने के लिए बाध्य हुए हैं।
काफी समय से ही प्रदेश में अपनी समस्याओं और मांगों के समाधान के लिए जब भी कोई संगठन अपनी आवाज उठाता है, राज्य सरकार दमनात्मक रवैया अपनाकर उन संगठनों की आवाज दबाने की कोशिश करती है। मोअल्मे-उर्दू का आन्दोलन हो या शिक्षा मित्रों का प्रदर्शन, सरकार के इशारे पर कर्मचारियों पर बर्बर लाठीचार्ज किया गया, यहां तक कि महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया।
अत: उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी आपसे मांग करती है कि:-
1. कल हुए लाठीचार्ज की न्यायिक जांच करायी जाय।
2. प्रदेश सरकार द्वारा कर्मचारी और शिक्षकों से वार्ता करने हेतु उच्च स्तरीय समिति गठित करके अविलम्ब उनकी मांगों पर चर्चा करके समाधान निकाला जाय।
3. एस्मा लागू करने के निर्णय को अविलम्ब वापस लिया जाय एवं कर्मचारियों तथा शिक्षकों का उत्पीड़न अविलम्ब बन्द किया जाय।
4. बर्खास्त कर्मचारियों को तत्काल वापस लिया जाए।
आदर सहित,
डॉ0 रीता बहुगुणा जोशी, अध्यक्ष, उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी