परम्परागत शैली के कारण उत्तर प्रदेश का हस्तशिल्प उद्योग में विशिष्ट स्थान

Posted on 17 January 2010 by admin

लखनऊ - उत्तर प्रदेश के हस्तशिल्पियों से राष्ट्रीय पुरस्कार वर्ष-2009 के लिए आवेदन पत्र आमिन्त्रत किये गये हैं। निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन पत्र (कलाकृति सहित) हस्तशिल्पी सम्बंधित जनपद के जिला उद्योग केन्द्र कार्यालय में 30 जनवरी, 2010 तक जमा कर सकते हैं।

लघु उद्योग विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार हस्तशिल्प कला कृतियों के आधार पर “राष्ट्रीय पुरस्कार वर्ष-2009´´ का आयोजन केन्द्रीय वस्त्र मन्त्रालय के विकास आयुक्त द्वारा किया जाएगा।

आवेदन पत्र का प्रारूप सम्बंधित जिले के जिला उद्योग केन्द्र कार्यालय, सहायक निदेशक (हस्तशिल्प) वस्त्र मन्त्रालय भारत सरकार, सेवा एवं विपणन केन्द्र बाराबंकी, बरेली आगरा, सहारनपुर अथवा वाराणसी से प्राप्त किया जा सकता है। लखनऊ में आवेदन प्रपत्र (कला कृति सहित) जिला उद्योग केन्द्र कार्यालय 8, कैन्ट रोड, कैसरबाग में 30 जनवरी तक स्वीकार किये जायेंगे।

हस्तशिल्पियों के साथ दूरस्थ तथा जनजाति क्षेत्र के प्रतिभावान शिल्पियों के परम्परागत हस्तशिल्प को जीवित बनाए रखने तथा इसके उत्तरोत्तर विकास के उद्देश्य से उनके द्वारा निर्मित कला-कृतियों को गुणदोष के आधार पर चयन कर पुरस्कृत किया जाता है।

ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश अपनी परम्परागत शैली के कारण हस्तशिल्प उद्योग में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। मुख्यत: बनारसी सिल्क व ब्रोकेट, भदोही व मिर्जापुर में कालीन, लखनऊ में चिकन तथा अगरा में कलात्मक संगमरमर का सामान, मुरादाबाद तथा वाराणसी में पीतल के पात्र तथा सहारनपुर व मेरठ में नक्काशीदार लकड़ी आदि के सामानों की मांग अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अधिक है। देश के कुल निर्यात में हस्तशिल्प की सहभागिता लगभग 65 प्रतिशत से अधिक है। राज्य सरकार ऐसे हस्तशिल्प उद्योगों के विकास को प्रोत्साहन देने के लिए अनवरत रूप से प्रयत्नशील है। प्रदेश में हस्तशिल्प तथा हस्तशिल्पियों के विकास के लिए अनेक कार्यक्रम व योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इसके साथ ही हस्तशिल्पियों का मनोबल बनाये रखने के लिए उन्हें पुरस्कार प्रदान कर सम्माानित भी किया जाता रहता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695

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Vikas Sharma
upnewslive.com
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Ph-09415060119

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