Archive | April 4th, 2010

“यह तो नोटों की एक और माला की चाहत है´´

Posted on 04 April 2010 by admin

शिक्षा के मौलिक अधिकार की व्यवस्था लागू करने के मामले में केन्द्र सरकार के सामने पैसे की कमी का रोना रोकर उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री ने अपनी बेबसी का ही नहीं बल्कि नकारेपन का सबूत दिया है।

एक तरफ राजधानी में सख्त और तंगदिल पत्थरों के शहर में तब्दील करने पर 6हजार करोड़ रूपये से भी ज्यादा रकम खर्च किये जा चुके हैं और अभी भी जनता की जेब से भरे जाने वाले सरकारी खजाने का मुंह पत्थरों के शहर के विस्तार के लिए लगातार खुला हुआ है। वहीं एक मजबूत और सक्षम देश व प्रदेश के निर्माण के लिए जरूरी “शिक्षा के मौलिक अधिकार´´ को सार्थक बनाने के मामले में प्रदेश की मुख्यमन्त्री पैसे की कमी का रोना रो रही हैं।
उ0प्र0 सरकार की मुखिया का शिक्षा का मौलिक अधिकार बनाने के प्रति यह अफसोसजनक रवैया निश्चित तौर पर संविधान निर्माता डॉ0 बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की आत्मा को अत्यन्त कष्ट पहुंच रहा होगा, आखिर वह बाबा साहब ही थे जिन्होने देश के तमाम वंचितों, दलितों, निर्धनों केा सक्षम और समृद्ध बनाने के इरादे से संविधान की रचना करते वक्त “शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में शामिल किया था´´। इसमें कोई शक नहीं कि शिक्षा के मौलिक अधिकार की श्रेणी में शामिल करने से समाज के उसी वर्ग को सबसे ज्यादा लाभ होगा जिस वर्ग का सबसे बड़ा हिमायती होने का दावा बहुजन समाज पार्टी करती है। इससे एक बात और स्पष्ट होती है कि मुख्यमन्त्री की न तो संवैधानिक मूल्यों में आस्था है और न ही बाबा साहब अम्बेडकर की उन नीतियों के प्रति विश्वास है जिन नीतियों के बलबूते बाबा साहब ने दलितों और वंचितों के उत्थान का सपना देखा था।

प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने आज यहंा जारी बयान में कहा कि कांग्रेस पार्टी ने एक बार यह साबित कर दिया है कि वह संविधान निर्माताओं के संकल्प और दलितों, वंचितों के उत्थान के प्रति पूरी तरह संकल्पबद्ध है। कंाग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और प्रधानमन्त्री डा0 मनमोहन सिंह विपक्ष के द्वारा खड़ी की जा रही तमाम बाधाओं के बावजूद समाज के सबसे निचले तबके को ऊंचा उठाने के लिए जो प्रयास कर रहे हैं उनमेें मनरेगा, इिन्दरा आवास योजना, किसानों की कर्जमाफी और शिक्षा के मौलिक अधिकार के साथ ही राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन योजना तथा जवाहर लाल नेहरू अर्बन डेवलपमेंट योजना जैसी योजनाएं जगजाहिर हैं और यह भी जगजाहिर है कि केन्द्र सरकार द्वारा मनरेगा जैसी योजनाओं के लिए उपलब्ध करायी गई राशि को सुश्री मायावती के नेतृत्व में सूबे के अधिकारियों ने जिस तरह लूट-खसोट मचायी है वह किसी से छुपा नहीं है। मनरेगा के तहत गरीबों, दलितों और वंचितों को जो पैसा मिलना था प्रदेश की मुख्यमन्त्री उसी पैसे से बनी नोटों की माला पहन रही हैं। इस बात की क्या गारण्टी है कि सबको शिक्षा के लिए मुख्यमन्त्री केन्द्र सरकार से जिस राशि की मांग कर रही हैं वह रूपया आगामी रैली में नोटों की एक और माला के रूप में नज़र आये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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किसानों, गरीबों और दलितों के लिए सहकारिता अत्यन्त जरूरी

Posted on 04 April 2010 by admin

उ0प्र0 कंाग्रेस सहकारिता प्रकेाष्ठ के सभी प्रदेश पदाधिकारियों की एक आवश्यक बैठक आज यहां प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में प्रकोष्ठ के चेयरमैन-पूर्व मन्त्री बच्चा पाठक की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।

बैठक को सम्बोधित करते हुए प्रकोष्ठ के चेयरमैन-पूर्व मन्त्री बच्चा पाठक ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के जो लोग सहकारिता से जुड़े हैं उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था की जायेगी, जिसके माध्यम से अधिकाधिक लोगों को सहकारिता से जोड़ा जा सके। उन्होने कहाकि वर्तमान सरकार द्वारा सहकारिता का मखौल बनाकर उसमें अपने-अपने व्यक्तियों केा अपने तरीके से सहकारिता कानूनों के विरूद्ध लाभािन्वत करने की कोशिश की जा रही है। उन्होने कहाकि उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी सहकारिता प्रकोष्ठ कोआपरेटिव एक्ट की विसंगतियों को दूर करने के लिए एवं सहकारिता को मजबूत करने के लिए शीघ्र ही एक प्रतिनिधिमण्डल प्रदेश के महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन देगा।

उन्होने कहा कि सहकारिता के माध्यम से सरकार और जनता के बीच सामंजस्य स्थापित करके ही प्रदेश का विकास किया जा सकता है। किसानों, गरीबों और दलितों के लिए सहकारिता अत्यन्त जरूरी है। किन्तु प्रदेश की मुख्यमन्त्री को किसानों, गरीबों, वंचितों और दलितों से कोई लेना-देना नहीं रह गया है। सहकारी संस्थाओं को गैर कांग्रेसी सरकारों द्वारा कई बार हाईजैक करने की कोशिश की गई।आजादी की लड़ाई के दौरान देश को सहकारिता के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने हेतु राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पं. जवाहर लाल नेहरू ने सहकारिता आन्दोलन की शुरूआत की थी। गैर कंाग्रेसी सरकारों के बनने के बाद सहकारिता को गम्भीरता से नहीं लिया गया एवं सहकारिता आन्दोलन को कमजोर करने की साजिश की जाती रही है। लोकतन्त्र की मजबूती में अपनी अहम भूमिका का निर्वहन करने वाला सहकारिता आन्दोलन उत्तर प्रदेश सरकार के षडयन्त्र का शिकार हो गया है।

अन्त में श्री पाठक ने बताया कि बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि पूरे प्रदेश में जनपद स्तर पर सहकारिता प्रकोष्ठ की इकाइयां गठित करने एवं मण्डल स्तर पर कोआर्डिनेटर नियुक्त कर सहकारिता प्रकोष्ठ को और अधिक सुदृढ़ किया जायेगा। बैठक में आम सहमति बनी कि सहकारिता का केन्द्रीय स्तर पर भी एक प्रकोष्ठ का गठन किया जाय ताकि प्रदेश के साथ ही साथ देश में भी सहकारिता का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा सके।

बैठक में मुख्य रूप से श्री दिग्विजय सिंह, श्री सुरेश चन्द्र वर्मा, श्री नरेन्द्र सिंह, श्री शिवभूषण मिश्र, श्री रणजीत ओझा, श्री इन्द्रजीत, श्री के.के.श्रीवास्तव, श्री शैलेन्द्र कुमार, श्री राम सागर उपाध्याय, श्री दयानन्द पाण्डेय, श्री इन्द्रजीत यादव, श्री एम.पी.त्रिपाठी, श्री अशोक श्रीवास्तव, श्री इन्द्रजीत सिंह आदि सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश पदाधिकारी मौजूद रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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वाराणसी एवं सन्त रविदास नगर में अवैध शराब से हुई मृत्यु की घटना

Posted on 04 April 2010 by admin

उत्त्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने जनपद वाराणसी एवं सन्त रविदास नगर में अवैध शराब से हुई मृत्यु की घटना को दुखद बताते हुए इसके लिए जिम्मेदार कर्मियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं। साथ ही, उन्होंने मृत व्यक्तियों के आश्रितों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है।

मुख्यमन्त्री के सख्त निर्देश एवं कड़े रुख को देखते हुए प्रदेश के आबकारी आयुक्त श्री सुधीर एम0 बोबडे ने घटना के लिए प्रथमदृश्टया जिम्मेदार पाये गये कर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलिम्बत कर दिया है तथा उनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही प्रारम्भ करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने मौके पर आबकारी मुख्यालय इलाहाबाद से संयुक्त आबकारी आयुक्त (ई0आई0बी0) के नेतृत्व में एक विशेश दल भी भेजा है साथ ही अपर आबकारी आयुक्त (प्रशासन) को भी मौके पर पहुंचने के निर्देश दिये हैं।

आबकारी आयुक्त ने बताया कि इस प्रकरण की प्रारिम्भक जांच में आबकारी निरीक्षक श्री संजय विद्यार्थी तथा श्री राजेश्वर मौर्य, प्रधान आबकारी सिपाही, श्री सिच्चदानन्द सिंह, आबकारी सिपाही श्री रामबली तथा श्री अजय कुमार सिंह को तत्काल प्रभाव से निलिम्बत करते हुए विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी गई है।

उल्लेखनीय है कि ग्राम िशवदासपुर, थाना कपसेटी, जिला वाराणसी से आपूर्ति की गई विशाक्त मदिरा के सेवन के कारण जनपद वाराणसी एवं सन्त रविदास नगर में कुछ लोगों की मृत्यु हो गई तथा कुछ लोग गम्भीर रूप से बीमार हो गये, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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जहरीली शराब पीने से पांच लोगों की मौत

Posted on 04 April 2010 by admin

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में अलग-अलग स्थानों पर जहरीली शराब पीने से आठ लोगों की मौत हो गई जबकि 15 अन्य लोग बीमार हो गये। जिलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि जिले के चौरी थाना क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर लोगों ने शराब पी, जिसके बाद उनकी तबियत बिगड़ने लगी और उन्हें उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां पांच लोगों की मौत हो गई जबकि 15 अन्य लोगों का इलाज चल रहा है।

सिंह ने बताया कि वाराणसी जिले से सटे कपसेटी थाना क्षेत्र के शिवदासपुर गांव में शनिवार को जहरीली शराब से तीन लोगों की मौत हुई है। शिवदासपुर गांव में शनिवार शाम शराब पीने के बाद कम से कम पांच लोगों की हालत बिगड़ने लगी तो उन्हें उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां तीन लोगों ने दम तोड़ दिया। उन्होंने बताया कि शराब पीने से बीमार पड़े 15 लोगो का भदोही जिला अस्पताल में उपचार चल रहा है, जिसमें से कई की हालत चिन्ताजनक बताई गई है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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प्रदेश की गरीब जनता की नही, अपनी प्रतिमाओं की सुरक्षा की चिन्ता सताती है

Posted on 04 April 2010 by admin

मुख्यमन्त्री मायावती ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के लागू करने में राज्य सरकार की असमर्थता जताकर प्रदेश की जनता के साथ एक अपराधिक कृत्य किया है, जिसकी जितनी निन्दा की जाए कम है। इस अधिनियम के लागू करने पर राज्य को मात्र 45 प्रतिशत खर्च करना पड़ेगा, उससे भी वे हाथ खींच रही हैं। वे दरअसल यह नहीं चाहती हैं कि प्रदेश में शिक्षा का प्रसार हो, नई पीढ़ी सुशिक्षित हो, क्योंकि वे जैसा अपनी सभाओं में कहती हैं, उनके वोटर अखबार नहीं पढ़ते हैं। उनकी मंशा दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को निरक्षर बनाए रखने की है, क्योंकि पढ़ा लिखा दलित उनकी सामन्ती आदतों, लूट-वसूली के धंधें की कलाबाजी और दलित की बेटी बनकर दौलत की महारानी बन जाने की सच्चाई भी जान जाएगा।

हमारे बच्चे पढ़ लिखकर एक नई जिन्दगी जिएं यह वायदा तो संविधान में ही दर्ज है। दुर्भाग्य से देश पर 50 साल से ज्यादा ‘ाासन करने वाली कांग्रेस भी इस बुनियादी विशय की उपेक्षा करती रही है। उसने अंग्रेजों की तर्ज पर ऐसी शिक्षा व्यवस्था को बढ़ावा दिया जिससे आम आदमी और ‘ाासक वर्ग के बीच खाई बनी रहे ताकि देश का एक बड़ा वर्ग लुटता रहे और चन्द लोग लूटते रहें, सुश्री मायावती को यही आदशZ प्रिय है।

मुख्यमन्त्री को कोई भी जनहितकारी योजना आए उसमें वे पहले अपने हित की सेंध लगाने लगती हैं।  आदतन केन्द्र से ज्यादा से ज्यादा धन उगाही के लिए चिट्ठी-पत्री करने लगती हैं। उनका विकास ऐसे ही “डाक´´ के जरिए होता है। बुन्देलखण्ड का मसला हो या बाढ़-सूखा संकट का उन्हें बस केन्द्र से धन की ही दरकार रहती है। अब शिक्षा को सर्व सुलभ बनाने में भी उन्हें पूरा का पूरा बजट चाहिए। ज्यादा से ज्यादा धन में ही उनका मन मगन होेता है। करोड़ों की नोटों की माला से कम उन्हें स्वीकार्य नहीं। शिक्षा प्रसार जैसे पुण्य कार्य में भी संसाधनों का रोना रोने में उन्हें संकोच नहीं होता है।

जब श्री मुलायम सिंह यादव मुख्यमन्त्री थे, उन्होंने केन्द्रीय सहायता के भरोसे प्रदेश का विकास नहीं किया था। वे जाते हुए 24,000 करोड़ रूपए सरकारी खजाने में छोड़ गये थे, मायावती तो दिवाला निकालकर ही जाएगीं। सुश्री मायावती अखबारों में बड़े-बडे़ विज्ञापन छपवाकर विकास का झूठ भले प्रचारित कर लें पर हकीकत तो यही है कि वे प्रदेश को निरक्षर, कानून व्यवस्था में जर्जर, बिजली पानी से वंचित अंधकार में रखने का काम कर रही हैं। उन्हें प्रदेश की गरीब जनता की नही, अपनी प्रतिमाओं की सुरक्षा की चिन्ता सताती है। बिना कानून या अध्यादेश के राजभवन को ठेंगे पर रखकर वे विशेश स्मारक सुरक्षा बल भी बना लेती हैं। इसके लिए संविधान, लोकतन्त्र सबकी धज्जियॉ उड़ाने में उन्हें कतई संकोच नहीं होता है। केन्द्र सरकार को ऐसी असंवैधानिक एवं जनविरोधी और शिक्षा विरोधी प्रदेश सरकार के प्रति अपना रूख स्पश्ट करना चाहिए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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