लखनऊ - उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर शिक्षा, ऊर्जा, मार्ग, परिवहन तथा हवाई अड्डे निर्माण के क्षेत्र में क्रियान्वित की जाने वाली विभिन्न विकास योजनाओं के सम्बन्ध में केन्द्र सरकार को सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की उदासीनता के कारण पी0पी0पी0 के आधार पर पूरी होने वाले विभिन्न अवस्थापना सेक्टरों की योजनाएं विलंबित हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश आबादी के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य है। इसका पिछड़ापन, बेरोजगारी, गरीबी तथा क्षेत्रीय असन्तुलन दूर करने के लिए राज्य सरकार अपने सीमित संसाधनों से हर सम्भव प्रयास कर रही है, लेकिन केन्द्र सरकार स्तर पर लिम्बत विभिन्न परियोजनाओं के कारण विकास योजनाओं को अपेक्षित गति नहीं मिल पा रही है। प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में पहल करके पी0पी0पी0 के आधार पर विभिन्न व्यवसायिक शिक्षण संस्थाओं की स्थापना कर रही है। केन्द्र सरकार द्वारा इस दिशा में आर्थिक सहयोग देना चाहिए। इसी तरह केन्द्र सरकार को ग्रेटर नोएडा के ताज अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण के सम्बन्ध में राज्य सरकार को तत्काल आवश्यक अनुमति देनी चाहिए। उन्होंने कहा है कि यदि केन्द्र सरकार नरौरा, बुलन्दशहर अथवा बुन्देलखण्ड में परमाणु ऊर्जा संयन्त्र लगाने का निर्णय लेती है, तो प्रदेश सरकार इन संयन्त्रों के लिए जमीन और पानी की उपलब्धता के साथ-साथ अन्य जरूरी सुविधाएं प्रदान करने को तैयार है।
प्रवक्ता ने कहा कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को राज्य सरकार की नई मध्यम मार्गीय अर्थ नीति में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर अवस्थापना सुविधाओं के विकास को प्राथमिकता दी है। नई आर्थिक नीति में शहरी व ग्रामीण अवस्थापना के अन्तर्गत बिजली, सड़क, यातायात, पेयजल, नहर, उद्योग, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाएं तथा शिक्षा आदि क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है। केन्द्र सरकार को इस दिशा में भी सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिए।
प्रवक्ता ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा शिक्षा के विकास को लेकर बड़ी-बड़ी बातें किये जाने के बावजूद शिक्षा के क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी सहभागिता को लेकर भारत सरकार की न तो कोई नीति है और न ही कोई दिशा-निर्देश। इसके विपरीत राज्य सरकार छ: औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों तथा आठ पॉलीटेक्निको को पी0पी0पी0 के आधार पर विकसित कर रही है। उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास मन्त्रालय द्वारा पॉलीटेक्निक, स्नातक स्तरीय तकनीकी संस्थानों, सेण्टर्स ऑफ एक्सीलेंस, माध्यमिक विद्यालयों, महाविद्यालयों/विश्वविद्यालयों के सम्बन्ध में कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है, जबकि पी0पी0पी0 के आधार पर इनके विकास की असीम सम्भावनाएं हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि केन्द्र सरकार को राज्य सरकारों के परामर्श से शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों के विकास के लिए दीर्घ कालीन कार्य-योजना बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र को राज्यों द्वारा पी0पी0पी0 मॉडल पर संचालित शिक्षण संस्थानों को सहयोग प्रदान करना चाहिए।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश को बिजली संकट से निजात दिलाने के लिए राज्य सरकार ने अनेक कदम उठाते हुए कोयला आधारित नये बिजली संयन्त्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि जवाहरपुर (एटा), दोपाहा (सोनभद्र), ललितपुर तथा यमुना एक्सप्रेस वे परियोजनाओं के लिए कोल लिंकेज स्वीकृत किये जाने के प्रस्ताव केन्द्र सरकार के स्तर पर लिम्बत हैं। इसके अलावा छ: कोल ब्लॉक के आवंटन का भी प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया है। उन्होंने केन्द्रीय कोयला मन्त्रालय से प्राथमिकता के आधार पर राज्य सरकार के लिए कोयले का कोटा आवंटित किये जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार वर्तमान में 48 हजार मेगावाट क्षमता के 12 अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट देश के विभिन्न हिस्सों में लगवा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा बार-बार अनुरोध करने के बावजूद भी उत्तर प्रदेश में एक भी अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट मन्जूर नहीं किया गया है।
ताज अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के केन्द्र के स्तर पर लिम्बत प्रकरण के सम्बन्ध में प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा योजना आयोग के दिशा-निर्देशों के तहत पी0पी0पी0 के आधार पर इस हवाई अड्डे के निर्माण का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि केन्द्र सरकार को बिना किसी विलम्ब के ताज अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण की मन्जूरी प्रदान कर देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस हवाई अड्डे की स्वीकृति मे विलम्ब के कारण जहां एक ओर हवाई यातायात का दबाव कम करने के लिए उपाय प्रारम्भ करने में अनावश्यक विलम्ब हो रहा है, वहीं प्रदेश में अवस्थापना सुविधाओं के तेजी से विकास के लिए राज्य सरकार के प्रयासों में बाधा उत्पन्न होने के फलस्वरूप प्रदेश के हितों की अनदेखी भी हो रही है। इसके अलावा राज्य में अवस्थापना सुविधाओं के त्वरित विकास और आस-पास के क्षेत्रोंं में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार को इस अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की स्वीकृति शीघ्र प्रदान करनी चाहिए।
सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि कुशीनगर में भी राज्य सरकार ने पी0पी0पी0 मॉडल पर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा विकसित करने का निर्णय लिया है, क्योंकि बौद्ध परिपथ में पर्यटन के विकास के साथ-साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश से खाड़ी देशों को सीधी हवाई सुविधा उपलब्ध कराने में प्रस्तावित हवाई अड्डे की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने केन्द्रीय वित्त तथा गृह मन्त्रालयों से कुशीनगर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के सम्बन्ध में आवश्यक अनुमति तत्काल जारी किये जाने की मांग की है।
प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गो के निर्माण के लिए केन्द्र सरकार जब भी कोई फैसला लेती है, उसमें राज्य सरकार से इस प्रकार का एग्रीमेंट करने का दबाव बनाती है जिससे कि भविष्य में राज्य सरकार द्वारा पी0पी0पी0 के आधार पर नये एक्सपे्रस-वे तथा राज्य राजमार्गो के निर्माण की सम्भावना समाप्त हो जाएं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मार्गो के निर्माण में पी0पी0पी0 के आधार पर मिलने वाले निवेश को किसी तरह से बन्द नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि भूमि राज्यों का विषय है, जिसे ध्यान में रखकर प्रदेश सरकार ने संयुक्त समितियों की व्यवस्था विकसित की है, ताकि इण्टरचेंज निर्माण तथा प्रतिस्पर्धी मार्गो के मामले निस्तारित किये जा सकें। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को भी इस प्रकार के मंचों का उपयोग मार्गो के समिन्वत विकास के लिए करना चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को सड़कों के मामलों में राज्यों पर अनावश्यक एग्रीमेंट नहीं थोपना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के राज्य राजमार्गो के चौड़ीकरण तथा सुदृढीकरण सम्बन्धी अनेक प्रस्ताव केन्द्रीय सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मन्त्रालय में लिम्बत हैं, जिन्हें तत्काल स्वीकृति प्रदान की जानी चाहिए।
प्रवक्ता ने कहा कि पी0पी0पी0 के आधार पर राज्य के बस अड्डों के विकास और आधुनिकीकरण के लिए उ0प्र0 राज्य सड़क परिवहन निगम की एक सब्सीडियरी इकाई स्थापित की जानी है। राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार से इसके लिए अनुमति मांगी है, किन्तु अनेक अनुस्मारक पत्र भेजे जाने और इस सम्बन्ध में की गई बैठकों के बावजूद अब तक केन्द्र द्वारा अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को इस मामले में शीघ्रातिशीघ्र कार्यवाही करते हुए स्वीकृति देनी चाहिए, क्योंकि राज्य सरकार का यह मानना है कि सड़क परिवहन प्रणाली के त्वरित विकास के लिए राज्य सड़क परिवहन निगमों की जिम्मेदारियों को बांटा जाना जरूरी है। आवश्यक है कि केन्द्र सरकार इस दिशा में प्रभावी पहल सुनिश्चित करे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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