लखनऊ - इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें बीएसपी की हाल की महारैली में मुख्यमंत्री मायावती को कई करोड़ रुपये की नोटों की माला पहनाए जाने सहित लगभग दो सौ करोड़ रुपये की धनराशि खर्च किए जाने का आरोप लगाते हुए इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की गई थी। खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका को खारिज कर दिया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अमिताभ लाला और जस्टिस अनिल कुमार की डिविजन बेंच ने तीन स्थानीय वकीलों नरेश कुमार मिश्रा,बसंत लाल और पी.के.सिंह- की ओर से 18 मार्च को दाखिल की गई इस जनहित याचिका को खारिज करते हुए माला मामले की जांच सीबीआई से करवाने से मना कर दिया है।
जनहित याचिका में बसपा की स्थापना की 25वीं वर्षगांठ के मौके पर 15 मार्च को लखनऊ में आयोजित रैली में मायावती को पहनाई गई माला में लगाए गए नोटों के स्त्रोत को ढूंढने के लिए सीबीआई जांच की मांग की गई थी।
राज्य सरकार व मुख्यमंत्नी की ओर से महाधिवक्ता ज्योतीन्द्र मिश्र ने खंडपीठ को बताया कि यह याचिका राजनैतिक दुश्मनी वश प्रस्तुत भी गई है। सरकार ने आम जनता के एक पैसे का भी उपयोग नहीं किया। जितनी बसें आदि प्रयोग में ली गई, उन सबका किराया दिया गया। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सारा आयोजन किया तथा किसी प्रकार कानून व्यवस्था की स्थिति नहीं बिगड़ी। याचिका में कहा गया था कि इतनी विशाल रैली के आयोजन का कोई उद्देश्य नहीं था इसमें जनता के धन का दुरुप्रयोग किया गया।