Archive | March 31st, 2010

अनुसूचित जाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी अधिनियम-2006 के प्रदेष में क्रियान्वयन की स्थिति की विस्तृत समीक्षा

Posted on 31 March 2010 by admin

मुख्य सचिव श्री अतुल कुमार गुप्ता ने आज प्रदेष में अनुसूचित जाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम-2006 के प्रदेष में क्रियान्वयन की स्थिति की विस्तृत समीक्षा करते हुए अधिकारियों को अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु सम्बन्धित जनपदों में जन-जागरूकता अभियान चलाकर प्राप्त दावों का निस्तारण प्राथमिकता के साथ करने के निर्देष दिये।

मुख्य सचिव श्री गुप्ता ने एनेक्सी सभाकक्ष में अधिनियम की राज्य निगरानी समिति की आयोजित बैठक में कहा कि जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी व जिला वन अधिकारी परस्पर समन्वय के साथ सक्रिय व सकारात्मक रख अपनाते हुए ज्यादा से ज्यादा अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों व अन्य परम्परागत वनवासियों को लाभािन्वत करने के लिए इस अधिनियम का व्यापक प्रचार-प्रसार करायें साथ ही जिला, तहसील, ब्लाक व ग्राम स्तर पर गोिश्ठयां भी आयोजित कर लोगों को जागरूक बनायें। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम अनुसूचित जनजाति व अन्य परम्परागत वनवासियों के विभिन्न अधिकारों को मान्यता प्रदान करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। अत: इसके क्रियान्वयन में किसी प्रकार की उदासीनता न बरती जाये तथा अधिकारी खुद फील्ड में जायें, अन्यथा दोशी अधिकारी, कर्मचारी के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जायेगी।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेष के उन जनपदों विषेशकर सोनभद्र, खीरी, बलरामपुर, महराजगंज, बहराइच, श्रावास्ती, बिजनौर, चन्दौली, गोरखपुर, मिर्जापुर आदि जनपदों में जहां वन है तथा वनाधिकार अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत और दावे प्राप्त हो सकते हैं, उन जनपदों में वनाधिकार अधिनियम के प्राविधानोंं का व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाय ताकि वहां के जनजातियों तथा अन्य परम्परागत वन निवासियों को इन प्राविधानों की सही जानकारी हो सके और वह इसका लाभ उठा सके।

बैठक में प्रमुख सचिव समाज कल्याण श्री प्रेम नारायण, प्रमुख सचिव वन श्री चंचल कुमार तिवारी, सचिव मुख्यमन्त्री श्री अनिल सन्त व गैर सरकारी सदस्य सुश्री रोमा, नत्थू कोल चित्रकूट, रामचन्द्र राणा खीरी व बुद्धि नारायण सोनभद्र उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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अग्निशमन व्यवस्था के सुधार के लिए 43.29 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने के निर्देश

Posted on 31 March 2010 by admin

उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने लखनऊ के संजय गॉधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एस0जी0पी0जी0आई0) की विद्युत वितरण एवं अग्निशमन व्यवस्था के सुधार के लिए 43.29 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने के निर्देश दिये है। उन्होंने आयुर्विज्ञान संस्थान की विद्युत वितरण व्यवस्था एवं अग्निशमन व्यवस्था के उच्चीकरण के लिए 28.29 करोड़ रुपये, तथा इनसे सम्बंधित सिविल कार्य हेतु 15 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने के निर्देश दिये है। इस सम्बंध में राज्य सरकार द्वारा एसजीपीजीआई को 20 करोड़ रुपये की धनराशि चालू वित्तीय वर्ष में अवमुक्त भी कर दी गई है।

मुख्यमन्त्री ने कहा है कि एसजीपीजीआई में बार-बार आग लगना ठीक नहीं है। उन्होंने चिकित्सालय प्रशासन को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये है। उन्होंने कहा कि एसजीपीजीआई एक उच्चस्तरीय बहुविशेषज्ञीय चिकित्सालय है, जहॉ दूर-दूर से काफी संख्या में मरीज अपना इलाज कराने के लिए आते हैं। उन्होंने संस्थान के उचित रखरखाव पर बल देते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जा रही धनराशि का बेहतर उपयोग कर व्यवस्था में सुधार लाया जाय, ताकि मरीजों को इसका लाभ मिल सके और आए दिन हो रही आग लगने की घटना पर विराम लग सके।

ज्ञातव्य है कि अस्पताल की विद्युत केबिल एवं विद्युत वितरण व्यवस्था से सम्बंधित उपकरण लगभग 25 वर्ष पुराने हो गये हैं और ये अपनी निर्धारित अवधि पूरी कर चुके हैं जिसके कारण अस्पताल में बार-बार आग लगने की घटनाएं हो रही है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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सरकार अपनी किसान विरोधी नीति से बाज नहीं आ रही

Posted on 31 March 2010 by admin

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा प्रदेश सरकार अपनी किसान विरोधी नीति से बाज नहीं आ रही है। गेहूं और गन्ना किसान इस सरकार के समय से परेशानियां उठा रहे हैं। आलू किसान लुट रहे हैं। इस प्रदेश की मुख्यमन्त्री एवं कृषि विभाग के उच्चाधिकारियों को उनकी कोई परवाह नहीं। वे किसानों को शोषण और लूट का शिकार बनाए हुए हैं।

प्रदेश सरकार ने 01 अप्रैल, से गेहूं खरीद केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित 1,100 रूपए प्रति िक्वंटल की दर से करना तय किया है इससे उन्हें नुकसान होगा। समाजवादी पार्टी गेहूं की न्यूनतम खरीद दर 1,500 रूपए करने की मांग करती रही है।

प्रदेश में आलू किसानों को भण्डारण की असुविधा के चलते सस्ते में अपनी उपज बिचौलियों को बेचनी पड़ रही है। ज्यादातर किसान तबाह हैं। गन्ना किसानों को पिछली फसल में भी नुकसान उठाना पडा था और अब भी उनको संकट से निस्तार नहीं मिला है। उनकी दशा दयनीय है। लगभग 1,000 करोड़ रूपए गन्ने का बकाया भुगतान नहीं हुआ है। मिल मालिक सिर्फ अपना मुनाफा देख रहे हैं। सरकार उनको संरक्षण दे रही है क्योंकि उनके मुनाफे में ही सरकार का कमीशन बनता है। बसपा के मन्त्री, विधायक और सांसद किसानों के बजाए पूंजीपतियों का ही पक्ष लेते हैं इसलिए उन पर किसानों के बकाया भुगतान का दबाव नहीं बनता है। इस समय प्रदेश में सबसे ज्यादा 218 करोड़ रूपए का भुगतान मुजफ्फरनगर में अटका है। इसके अलावा बिजनौर में 199 करोड़ रूपए, मेरठ में 136 करोड़ रूपए और सहारनपुर में 80 करोड़ रूपए बकाया है।

यदि यही हालत रही तो प्रदेश में आलू, गेहूं और गन्ना की खेती चौपट हो जाएगी। इसका बुरा असर किसान और उपभोक्ता वर्ग दोनों पर पड़ेगा।  समाजवादी पार्टी शुरू से ही केन्द्र एवं राज्य सरकार को किसानों के हित में अपनी कार्यप्रणाली बदलने के लिए चेतावनी देती रही है। यदि तत्काल किसानों की समस्या का समाधान न हुआ तो प्रदेश में अशान्ति और आन्दोलन फैलते देर नहीं लगेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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राश्ट्रीय लोकदल के प्रदेशीय पदाधिकारियों व कार्य समिति के सदस्यों की बैठक

Posted on 31 March 2010 by admin

राश्ट्रीय लोकदल के प्रदेशीय पदाधिकारियों व कार्य समिति के सदस्यों की बैठक प्रदेश मुख्यालय पर प्रदेश अध्यक्ष रामआसरे वर्मा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में पार्टी के राश्ट्रीय महासचिव मुन्ना सिंह चौहान उपस्थित थे। बैठक में लिये गये निर्णयों की जानककारी देते हुए रालोद महासचिव व प्रवक्ता अनिल दुबे ने बताया कि बैठक मे प्रदेश में चलाये जा रहे सदस्यता अभियान की समीक्षा करते हुए इसे गतिशील बनाने हेतु जोनल स्तर पर समीक्षा करने के निर्णय के साथ-साथ सभी प्रदेशीय पदाधिकारी, जोनल, मण्डल व जिलाध्यक्षों की सयि भूमिका निर्धारित करते हुए पुराने सदस्येां के नवीनीकरण के साथ-साथ 25 लाख नये प्राथमिक सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। बैठक में प्रदेश में लगातार बढ़ रही मंहगाई पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त करते हुए केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा कोई भी कारगर कदम मंहगाई को रोकने के लिये न करने की कड़े शब्दों में निन्दा करते हुए मंहगाई व भ्रश्टाचार के विरोध में प्रदेश के सभी जनपदों में बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के जन्मदिवस की पूर्व संध्या 13 अप्रैल को रालोद कार्यकर्ता कैिन्डल मार्च करने का निर्णय लिया गया।  बैठक में केन्द्र सरकार द्वारा गेहंू का समर्थन मूल्य 1100/- रूपये प्रति कुन्तल घेाशित करने का निर्णय को किसान विरोधी बताते हुए गेहूं का समर्थन मूल्य 1300 रूपया प्रति कुन्तल करने तथा किसानों को 14 घंटे बिजली की आपूर्ति करने और नहरों में टेल तक पानी पहुचाने की मांग की गई। बैठक में पिछले दिनों मंहगाई के विरोध में कौशाम्बी जनपद में धरना प्रदशZन कर रहे रालोद कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज करने व अपराधिक मुकदमें कायम करन की कड़े शब्दों में निन्दा करते हुए कहा गया कि प्रदेश सरकार लोगों के नागरिक अधिकारों का हनन कर रही है और लोगों की आवाज को लाठी डन्डे के सहारे दबाने का काम कर रही है। बैठक में रालोद नेताओं व कार्यकर्ताओं पर लगे मुकदमें वापस न लेने की दशा में कौशाम्बी में सामूहिक गिरफ्तारी देने का भी निर्णय लिया गया। बैठक मेें उपस्थित पदाधिकारियों में प्रदेश अध्यक्ष रामआसरे वर्मा, राश्ट्रीय महासचिव मुन्ना सिंह चौहान, महासचिव व प्रवक्ता अनिल दूबे, पूर्व मन्त्री सिच्चदानन्द गुप्त, पूर्व मन्त्री धर्मवीर सिंह वालियान, नरेन्द्र सिंह बघेल, सुखवीर सिंह पूर्व विधायक, चन्द्र बली यादव, प्रदेश सचिव सरदार स्वर्ण सिंह, किरन सिंह आदि लोग प्रमुख थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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रामायण मेला के कार्यकारिणी अध्यक्ष व पूर्व अध्यक्ष का देहान्त

Posted on 31 March 2010 by admin

कर्वी  नगर  पालिका के पूर्व अघ्यक्ष व रामायण मेला चित्रकूट के कार्यकारिणी अध्यक्ष 86 वशीZय गोपाल कृश्णा करवरिया का मेला कार्यालय में उस समय देहान्त हो गया जब वह कमरा बन्द कर अकेले सो रहे थे। करवरिया जी की मौत की खबर सुन कर सभी ने अफसोस जाहिर किया। वह अपने पीछे पूरा भरा परिवार छोड गये।

परिवारिक लोागों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ दिनों से मृतक गोपाल कृश्णा करवरिया को नीन्द नही आ रही थी तो उन्होने स्थानीय चिकित्सक से नीद की दवा ली थी और कल जब वह रामायण मेला ंकार्यालय में नीन्द की दवा खाकर सो रहें थे तो किसी ने उन्हें जगाना मुनासिब नही समझा जब षाम हो गई और आरती का समय हो गया तो श्री करवरिया को जगाने उनका कर्मचारी गया तो करवरिया जी ने कोई आवाज काद जवाब नही दिया तब षंका होने पर कमरे का दरवाजा तोड कर देखा तो करवरिया जी सोने कर सी स्थित में कर्वी जिला चिकित्सालय उन्ही की गाडी से लाया गया जहॉं चिकित्सक ने मृत घोशित कर दिया। श्री करवरिया तीन बार नगर पालिका कर्वी के अध्यक्ष चुने गये और वह 1973 से राम मनोहर लोहिया रामायण मेला  चित्रकूट में विष्व स्तरीय रामायण मेला का आयोंजन आज तक करते चले आ रहे थे हालांकि पहले के हिसाब से बजट नही ंके बराबर मिलता था लेकिन फिर भी वह कम धन में अच्छा रामायण मेला का आयोंजन करते आ थे।

श्री करवरिया के निधन में बुन्देलखण्ड की मषहूर समाज सेविका षहरोज फातिमा ने दुख: प्रकट करते हुए कहा कि नगर ने एक रचनात्मक कार्यो के करने वाले को खो दिया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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कुछ फसलें शायद अब कहानी किस्सों का हिस्सा बन कर रह जायेगी

Posted on 31 March 2010 by admin

अधिक मेहनत में कम लाभ देने की मजबूरी के चलते कुछ फसलें किसानों के खेत से विदा लेने लगी है। यही हाल रहा तो आनेवाले दिनों में इन फसलों की महक सिर्फ यादों में ही रह जायेगी और इनकी प्रजाति बचाए रखने के लिए सरकारी संरक्षण की जरूरत भी पड़ेगी।
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सावां, कोदों, लहडरा, काकुन तथा साठा धान कटिया, सरबदी गेहू आदि कुछ फसलें शायद अब कहानी किस्सों का हिस्सा बन कर रह जायेगी और आने वाले समय में उन्हें केवल पढ़ा या सुना ही जा सकेगा क्योंकि कुछ पशु पक्षियों की तरह ये फसलें भी किसानों के बीच से विदा हो चली हैं लिुप्त हो चली इन फसलों केग जनप के किसानों में अब कोई रूचि नही दिखाई देती। अधिक मेहनत में कम लाभ देने वाली फसलों के प्रति किसानों के प्रति किसानों का मोह भंग हो चुका है। कभी वह समय था जब किसान इन फसलों की बोआई भी किया करते थे।  कम पानी वाले क्षेत्रों में ये फसले हुआ करती थी। काकुन, सावां व कोदो की भी धान की तरह कुटाई करके भात बना कर खाया जाता था। तब कोदो व सांवा गरीबों का भोजन माना जाता था। श्री कृश्ण-सुदामा प्रसंग में भी इसका जिक्र आता है। संस्कृति में इनका महत्व तो बढ़ा है लेकिन बाजारीकरण के इस दौर में नया आकशZण पैदा कर लेने से किसानों के बीच इन फसलों का आकशZण नहीं बढ़ रहा हैं खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए हरी खाद के रूप में प्रयोग की जाने वाली सनई व ढैचा का वजूद भी मिट चुका है। इन फसलों को तैयार कर खेतों में जोत दिया जाता था तथा खेतों में पानी भर दिया जाता था। खेतों सड़ने के बाद यह फसलें खाद का काम करती थी। काफी मेहनत से तैयार होने वाली फसलें में पटुआ की भी खेती किसान करते थे। पहले पटुआ की खेती को भी किसान खूब तवज्जों देते थे। सत्तु व लड्डू बनाने के काम आने वाला पटुआ दाने के साथ ही सन भी देता था जिससे सुतली व अन्य तरह की रिस्सयां बनती थी। पटुआ को काट कर दाने की बोडरी तोड़ कर तने को पानी में सड़ा कर सन निकाला जाता था। आज के दौर मेें जिले से पटुआ की खेती भी लगभग विदा ले चुकी है। नगदी फसल मेन्था की ओर किसान ज्यादा तवज्जों दे रहे हैं।

कलौजी, असली, मेण्डुआ, व मोथी आदि फसलों को भी किसान अलविदा कह रहे हैं। इस तरह साठा धान प्रजाति की खेती लगभग 20 प्रतिशत समाप्त हो चुकी है। कम लागत में तैयार होने वाली धान की इस प्रजाति पर लोगों का आकशZण कम होने से किसान खेत से अलविदा कह चुके है। करवा चौथ की पूंजा में इस धान के प्रजाति चावल का पकवान बना कर पूजते थे। इस तरह से कई फसलें ऐसी है जो धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। आने वाले समय में ये फसलें कहानी किस्सों में ही सिमट कर रह जायेगी। किसान मानते है कि इन फसलों को छोड़ने के पीछे परिस्थितियांं ही है। जैसे सुविधाएं व भूमि होती है वैसी खेती होती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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