समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा प्रदेश सरकार अपनी किसान विरोधी नीति से बाज नहीं आ रही है। गेहूं और गन्ना किसान इस सरकार के समय से परेशानियां उठा रहे हैं। आलू किसान लुट रहे हैं। इस प्रदेश की मुख्यमन्त्री एवं कृषि विभाग के उच्चाधिकारियों को उनकी कोई परवाह नहीं। वे किसानों को शोषण और लूट का शिकार बनाए हुए हैं।
प्रदेश सरकार ने 01 अप्रैल, से गेहूं खरीद केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित 1,100 रूपए प्रति िक्वंटल की दर से करना तय किया है इससे उन्हें नुकसान होगा। समाजवादी पार्टी गेहूं की न्यूनतम खरीद दर 1,500 रूपए करने की मांग करती रही है।
प्रदेश में आलू किसानों को भण्डारण की असुविधा के चलते सस्ते में अपनी उपज बिचौलियों को बेचनी पड़ रही है। ज्यादातर किसान तबाह हैं। गन्ना किसानों को पिछली फसल में भी नुकसान उठाना पडा था और अब भी उनको संकट से निस्तार नहीं मिला है। उनकी दशा दयनीय है। लगभग 1,000 करोड़ रूपए गन्ने का बकाया भुगतान नहीं हुआ है। मिल मालिक सिर्फ अपना मुनाफा देख रहे हैं। सरकार उनको संरक्षण दे रही है क्योंकि उनके मुनाफे में ही सरकार का कमीशन बनता है। बसपा के मन्त्री, विधायक और सांसद किसानों के बजाए पूंजीपतियों का ही पक्ष लेते हैं इसलिए उन पर किसानों के बकाया भुगतान का दबाव नहीं बनता है। इस समय प्रदेश में सबसे ज्यादा 218 करोड़ रूपए का भुगतान मुजफ्फरनगर में अटका है। इसके अलावा बिजनौर में 199 करोड़ रूपए, मेरठ में 136 करोड़ रूपए और सहारनपुर में 80 करोड़ रूपए बकाया है।
यदि यही हालत रही तो प्रदेश में आलू, गेहूं और गन्ना की खेती चौपट हो जाएगी। इसका बुरा असर किसान और उपभोक्ता वर्ग दोनों पर पड़ेगा। समाजवादी पार्टी शुरू से ही केन्द्र एवं राज्य सरकार को किसानों के हित में अपनी कार्यप्रणाली बदलने के लिए चेतावनी देती रही है। यदि तत्काल किसानों की समस्या का समाधान न हुआ तो प्रदेश में अशान्ति और आन्दोलन फैलते देर नहीं लगेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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