लखनऊ - बहुजन समाज पार्टी की सरकार प्रायोजित रैली में जनता की गाढ़ी कमाई जिस बेशर्मी के साथ लुटाई गई है उससे आज का दिन राजनीति के इतिहास का काला अध्याय माना जाएगा। समाजवादी पार्टी ने मायावती सरकार पर आरोप लगातें हुये कहा कि प्रदेश के बरेली जनपद में हिंसा और कर्फ्यू के चलते जनजीवन संकट में है, मंहगाई और भृष्टाचार से जनता कराह रही है और कानून व्यवस्था जर्जर है उस पर मुख्यमन्त्री का ध्यान नहीं। वे राजकोश के पॉच सौ करोड़ रूपए खर्च कर जश्न मनाने में मशगूल हैं। इस रैली में प्रदेश की जनता की भागीदारी नगण्य रही। भीड़ दिखाने के लिए बाहरी प्रान्तों से भाडे़ पर कार्यकर्ता लाए गए थे। यह बसपा रैली जनता का उपहास है।
रैली मंच पर बसपा मन्त्रियों द्वारा करोड़ों की हजार-हजार के नोटों की जो माला मुख्यमन्त्री को पहनाई गई है, वह काला धन से गून्थी गई है, इसका खुलासा होना चाहिए और आयकर तथा सी0बी0आई0 को इसका संज्ञान लेकर जॉच करनी चाहिए।
सुश्री मायावती अपने मुंह से जिसे महारैली बता रही हैं वह सरकारी तन्त्र के आतंक से एकत्र संसाधनों से फाइव स्टार सुविधाओं के प्रलोभन पर जुटे चन्द लोग थे। इसके विपरीत अक्टूबर 1987 में श्री मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में क्रान्तिकारी मोर्चे द्वारा विरोध में रहते हुए लखनऊ में विराट रैली हुई थी। 23 वर्ष पूर्व हुए इस रैली में स्वत: स्फूर्त लोग आए थे और बेगम हजरत महल पार्क के बाहर दस गुना ज्यादा भीड़ हजरतगंज और अमीनाबाद तक फैली हुई थी। इसी तरह डा0 अम्बेडकर ग्राम विकास योजना का श्रेय वे ले रही हैं जबकि यह योजना श्री मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमन्त्रित्वकाल में लागू की थी।
बहुजन समाज पार्टी ने अपने 25 वर्ष के स्थापना काल में लोकतन्त्र की सभी मर्यादाओं को तोड़ने का ही काम किया है। उसने राजनीति में अस्थिरता और अविश्वसनीयता को ही बढ़ावा दिया है। जाति और संप्रदाय की राजनीति के सहारे ही उसने सत्ता हासिल की है और सत्ता में जब जब सुश्री मायावती आईं भृष्टाचार, लूट, वसूली एवं प्लाट-कोठियों पर कब्जे का ही धंधा चला है। प्रशासनिक तन्त्र को बसपा का संगठन अंग बनाकर उसे लाचार और नाकारा कर दिया गया हेै।
मुख्यमन्त्री ने जिस प्राइमरी स्कूल स्तर के भाषण का वाचन रैली में किया है उसमें कहीं जनता की तकलीफों की चिन्ता नहीं। उसमें गरीबों, दलितों, अल्पसंख्यकों के लिए भी कोई भरोसा नहीं है। वस्तुत: सुश्री मायावती ने मान लिया है कि यह उनके लिए अन्तिम अवसर है जिसमें वे जितना हो सके लूट कर अपना ऐश्वर्य बढ़ा लें क्योंकि जनता केा उनके सभी कारनामो की सचाई मालूम हो गई है। वे दलितों गरीबों की नेता नहीं, सांमती मानसिकता की महारानी हैं जो इन रैलियों में भव्य प्रदर्शन से अपना महत्व बढ़ाना चाहती हैं। समाजवादी पार्टी की मॉग है कि इस रैली में सरकारी खर्च का प्रामाणिक व्यौरा प्रकाशित किया जाए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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