लखनऊ - बहुजन समाज पार्टी द्वारा आयोजित की जा रही रैली सरकारी अफसरों, जनता की गाढ़ी कमाई तथा सरकारी तन्त्र का दुरूपयोग करके सुश्री मायावती के लगातार खिसकते जनाधार को ढकने का एक अत्यन्त भोण्डा प्रयास है। उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने आज यहां कहा कि अफसोस की बात तो यह है कि विगत दो हफ्तों से बरेली हिंसा की आग में जल रहा है और वहां जाकर इस आग को ठण्डा करने के बजाय सुश्री मायावती इस रैली के पण्डालों में जाकर प्रतिनिधियों के रहने और खाने की व्यवस्था का मुआयना कर रही हैं।
मनगढ़ में हुए हादसे के बाद भी उनका दिल नहीं पसीजा और प्रदेश की पत्थरदिल मुख्यमन्त्री पीड़ितों एवं शोक सन्तप्त परिजनों के साथ संवेदना व्यक्त करने का मौका नहीं निकाल सकीं। गौरतलब है कि मरने वालों में अधिकतर दलित एवं अतिपिछड़े वर्ग के थे, जिनकी चिता का प्रबंध भी प्रशासन नहीं कर सका। मनगढ़ में हुए हादसे के मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए वह धन न होने का रोना रोती हैं वहीं जनता के गाढ़े पसीने की कमाई के करोड़ों रूपये रैली स्थल को सजाने-संवारने में ही खर्च किये जा रहे हैं। डॉ. जोशी ने सवाल किया है कि आखिर इतनी जल्दी अब यह धन कहां से आ रहा है।
डॉ. जोशी ने कहा कि जहां एक ओर कांग्रेस अपने स्थापना के 125वर्ष पूरे होने पर अत्यन्त सादगीपूर्ण ढंग से विकास यात्राएं निकालकर खुद जनता के द्वार जा रही है, वहीं बसपा के 25वर्ष पूरे होने पर सैंकड़ों करोड़ रूपये इस रैली के आयोजन में खर्च करके लोगों को सुश्री मायावती के दर्शन के लिए लखनऊ बुलाया जा रहा है। स्व0 कांशीराम आजीवन साइकिल और रेल के दूसरे दर्जे की यात्रा कर संगठन बनाते रहे। अच्छा तो यह होता कि रैली में खर्च हो रहे लगभग तीन सौ करोड़ रूपयों से निर्बल वर्ग के लोगों के लिए आवास बनाकर कांशीराम के जन्मदिन पर दलितों और गरीबों को दिये जाते अथवा इस राशि से गरीब दलित छात्र-छात्राओं को वजीफे दिये जाते, जिससे वह अपने जीवन को बेहतर बना सकते। इससे लाखों गरीब-दलित परिवारों को लाभ पहुंचता।
डॉ0 जोशी ने कहा कि स्व0 काशीराम की जयन्ती पर बसपा की सच्ची श्रद्धांजलि तो यह होती कि राज्यसभा की खाली सीट पर बसपा के किसी संस्थापक सदस्य को प्रत्याशी बनाया जाता। परन्तु यहां भी एक पूंजीपति को ही प्रत्याशी बनाकर सुश्री मायावती ने पूंजीपतियों के प्रति अपने लगाव को ही प्रदर्शित किया है।
प्रदेश में एक ओर जहां बोर्ड की परीक्षाएं चल रही है, परीक्षा देने वाले छात्र और उनके अभिभावक परेशान हैं क्योंकि बिजली की भारी कटौती की जा रही है, वहीं रैली के आयोजन में बिजली की सजावट पर भारी विद्युत का अपव्यय किया जा रहा है। इतना ही नहीं प्रदेश में परिवहन निगम की हजारों रैली के लिए लोगों को ढोने के लिए प्रयोग की जा रही है। बताया जाता है कि 4 करोड़ रूपये की लागत से दो हजार अस्थायी शौचालयों का निर्माण कराया गया है परन्तु इसके लिए नगर निगम को एक पैसा भी भुगतान नहीं किया गया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि लखनऊ में लाखों की भीड़ बुलाने और रैली करने का मकसद सुश्री मायावती का दलितों, गरीबों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों के कल्याण का नहीं बल्कि उनका मकसद तो सिर्फ बहुजन समाज पार्टी की जनविरोधी नीतियों तथा उनके स्मारकों, मूर्तियों और पत्थरों से प्रेम के कारण प्रदेश में लगातार घट रहे जनाधार को एकजुट करना एवं अपने मतदाता को यह सन्देश देना है कि स्थिति अभी भी उनके नियन्त्रण में है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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