- मुख्य सचिव द्वारा सी0ए0जी0 को अनुरोध पत्र प्रेषित
- माननीया मुख्यमंत्री जी ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के क्रियान्वयन में खामियां पाये जाने पर इसमें व्यापक सुधार के लिए तत्काल कदम उठाये
- एन0आर0एच0एम0 के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में सुझाव एवं शिकायतें दर्ज कराने हेतु काॅल सेन्टर स्थापित करने का निर्णय
उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने प्रदेश में संचालित राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एन0आर0एच0एम0) के अन्तर्गत उपयोग की गयी धनराशि का विशेष आॅडिट सी0ए0जी0, भारत सरकार से कराये जाने का निर्णय लिया है। इस सम्बन्ध में राज्य सरकार की ओर से आज प्रदेश के मुख्य सचिव श्री अनूप मिश्रा द्वारा अनुरोध पत्र सी0ए0जी0 को भेज दिया गया है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन भारत सरकार की योजना है। इस योजना का संचालन केन्द्र सरकार द्वारा जारी गयी गाइड लाइन्स के आधार पर किया जाता है। इसके अन्तर्गत सभी कार्ययोजना की वित्तीय स्वीकृतियां भारत सरकार द्वारा परियोजनावार प्रदान की जाती हैं, जिसके कार्यान्वयन का नियमित रूप से अनुश्रवण भारत सरकार द्वारा भी किया जाता है।
प्रवक्ता ने बताया कि माननीया मुख्यमंत्री जी को समीक्षा के दौरान राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में कुछ खामियां नजर आयीं थी। अतः इस योजना के कार्यान्वयन में हर स्तर पर पारदर्शिता बरतने के उददेश्य से उन्होंने कुछ सुधारात्मक उपाय करने के निर्देश दिये थे। इसके तहत माननीया मुख्यमंत्री जी ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के कार्यों के नियमित अनुश्रवण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रबन्धकीय ढांचा को प्रभावी बनाने, समस्त वित्तीय प्रस्तावों के परीक्षण तथा कार्यक्रमों के अन्तर्गत वित्तीय व्यवस्थाओं के पर्यवेक्षण सुनिश्चित करने हेतु निर्देशित किया है। साथ ही जनपदों में बेहतर वित्तीय प्रबन्धन एवं नियंत्रण हेतु वित्त एवं लेखाधिकारी के 72 पदों का सृजन किया गया है, जिस पर तैनाती कर दी गयी है। साथ ही साथ वित्तीय अनुशासन बेहतर बनाने के लिए फाइनेन्शियल मैनुअल तैयार करके अगले 15 दिन में लागू करने के लिए निर्देशित किया गया है, जिससे प्रत्येक स्तर पर वित्तीय अनुशासन कायम रखा जा सके।
प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2010-2011 में एन0आर0एच0एम0 के अन्तर्गत प्रदेश के 72 जिलों में कराये गये कार्यों का विशेष लेखा परीक्षण कराने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया था। इसके अतिरिक्त योजना के अन्तर्गत वर्ष 2010-2011 में आपूर्ति की गयी सामग्री एवं निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच उच्च स्तरीय समिति से करायी जा रही है। उन्होंने बताया कि मुख्य सचिव तथा प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण द्वारा प्रदेश स्तर पर राज्य स्वास्थ्य सोसाइटी की नियमित बैठकें की जा रहीं हैं तथा मुख्य सचिव ने सभी जिलों में जिला स्वास्थ्य सोसाइटी की बैंठकें नियमित रूप से किये जाने के साथ-साथ जिलाधिकारियों को इन कार्यक्रमों की गहन समीक्षा के भी निर्देश दिये हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि जननी सुरक्षा योजना के लिए एक वेबसाइट विकसित की जा रही है, जिस पर जिलों से इस योजना की प्रगति के सम्बन्ध में नियमित सूचना दी जायेगी एवं योजना के लाभार्थियों का विवरण उपलब्ध रहेगा, जिससे योजना के प्रगति की गहन समीक्षा की जा सके। उन्होंने बताया कि राज्य स्तर पर एक काॅल सेन्टर भी खोला जा रहा है, जिसमें आम जनता द्वारा योजना के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की शिकायत, फीडबैक तथा सुधारात्मक सुझाव भेजे जा सकेंगे। काॅल सेन्टर पर आम जन बात कर अपनी समस्याओं का निराकरण भी करा सकेंगे।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए प्रवक्ता ने बताया कि केन्द्र पुरोनिधानित यह योजना उत्तर प्रदेश में वर्ष 2005-2006 से संचालित की जा रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में मातृ मृत्यु तथा शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है। योजना की शुरूआत के समय प्रदेश की मातृ मृत्यु (एम0एम0आर0) एक लाख की जनसंख्या पर 517 थी, जो वर्ष 2006 में एक लाख की जनसंख्या पर 440 आ गयी थी। राज्य सरकार के प्रयासों के चलते सैम्पुल रजिस्टेªशन सर्वे (एस0आर0एस0) की रिपोर्ट 2009 के अनुसार वर्ष 2009 में यह संख्या घट कर एक लाख की जनसंख्या पर 359 हो गयी है। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार शिशु मृत्यु (आई0एम0आर0) दर कार्यक्रम के प्रारम्भ में एक हजार पर 73 थी, जो कि सैम्पुल रजिस्टेªशन सर्वे की रिपोर्ट 2009 के अनुसार अब यह घट कर एक हजार पर 63 हो गयी है।
प्रवक्ता ने जननी सुरक्षा की प्रगति की जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2005-2006 में संस्थागत प्रसवों का प्रतिशत मात्र 21 था, जो राज्य सरकार के प्रभावी क्रियान्वयन एवं प्रयासों के चलते वर्ष 2009 में संस्थागत प्रसवों का प्रतिशत बढ़कर 62 हो गया है। टीकाकरण की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि वर्ष 2007-08 में इस कार्यक्रम में 30 प्रतिशत की उपलब्धि प्राप्त हुई थी, जिसके सापेक्ष वर्ष 2009 में 41 प्रतिशत यह उपलब्धि हो गयी। उन्होंने बताया कि मोबाइल मेडिकल यूनिट योजना के अन्तर्गत माह जनवरी, 2011 से प्रदेश के 15 जनपदों में 133 एम्बुलेन्स के माध्यम से विशेषज्ञों द्वारा जन सामान्य को आवश्यक चिकित्सा सेवायें उपलब्ध करायी जा रही हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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