Posted on 08 July 2011 by admin
मऊरानीपुर थाने में पांच सिपाहियों द्वारा किशोरी के साथ बलात्कार किए जाने की चिकित्सकीय जांच रिपोर्ट में पुष्टि नहीं होने पर डीआईजी ने सामूहिक दुष्कर्म के मुकदमा को खारिज बात कही ।
गोरतलब है कि बुधवार को एटा जनपद में तैनात महिला कांस्टेबल की पुत्री ने पांच सिपाहियों पर मऊरानीपुर थाने में सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया था। इस आधार पर पांच अज्ञात सिपाहियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया था।
आरोप लगाने वाली किशोरी, उसकी सहेली, सहेली के मंगेतर के दोस्त, मां व चाचा को अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन कक्ष संख्या नौ मोहम्मद आजाद की अदालत में पेश किया गया। सभी के धारा 164 के तहत कलमबंद बयान कराए गए। यह कार्रवाई करीब दो घंटे तक चली।
देर सायं उप पुलिस महानिरीक्षक एल वी एंटोनी देवकुमार ने बताया कि चिकित्सकीय रिपोर्ट व सप्लीमेंटरी रिपोर्ट में किशोरी द्वारा लगाए गए सामूहिक दुष्कर्म के आरोपों की पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि, बलात्कार का आरोप लगाने वाली किशोरी अपनी बात पर अडिग रही और उसने अदालत में दिए अपने बयान में बलात्कार किए जाने की बात कही है। डीआईजी के अनुसार कथित बलात्कार पीडि़ता किशोरी का डाक्टरी परीक्षण कराए जाने पर जांच में उसके साथ बलात्कार किया जाना नहीं पाया गया है। इसके अलावा पांच लोगों ने भी अपने बयान में बलात्कार की घटना से इंकार किया है। इस आधार पर थाना मऊरानीपुर में पंजीकृत धारा 376 के मुकदमे को खारिज कर दिया जाएगा।
जबकि इससे कांग्रेसियों और वकीलों में आक्रोश फैल गया और वह पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इसी दौरान अदालती कार्रवाई के बाद जब पुलिस किशोरी को लेकर जाने लगी तो उससे बात करने को लेकर पुलिस व कांग्रेसियों में तीखी झड़प हुई। कुछ वकील तो पुलिस जीप के सामने आकर खड़े हो गए। नतीजतन, गाड़ी रोकनी पड़ी। इस दौरान किशोरी का कहना था कि उसने अदालत में बलात्कार संबंधी बयान दिया है.
Vikas Sharma
Editor
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