Archive | July 20th, 2011

उद्यान विभाग द्वारा कार्यान्वित कार्यक्रमों का मण्डलीय कृषक समिति द्वारा सत्यापन विषयक कार्यशाला सम्पन्न

Posted on 20 July 2011 by admin

उद्यान विभाग में कृषकों की सहभागिता सुनिश्चित हो -उद्यान मंत्री, नरायन सिंह

उत्तर प्रदेश के उद्यान मंत्री श्री नरायन सिंह ने कहा कि उद्यान विभाग में किसानों की सहभागिता सुनिश्चित की जाय ताकि किसानों के सुझाओं पर अमल किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस तरह के सुझाव आने चाहिए कि कम लागत में अच्छा उत्पाद हो और किसानों को अधिक आर्थिक लाभ हो।

यह बात आज यहां श्री सिंह ने उद्यान निदेशालय  के सभागार में आयोजित ‘‘उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा कार्यान्वित कार्यक्रमों का मण्डलीय कृषक समिति द्वारा सत्यापन’’, विषयक कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने इस अवसर पर अमरूद (ललित प्रजाति) के पौधे किसानों को उनकी मांग के अनुसार वितरित किये। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि हर जनपद में पांच-पांच किसानों का समूह बनाया जाये। उन्होंने इस तरह की कार्यशाला आयेाजित करते रहने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसान अपने क्षेत्र की जमीन की पैदावार अच्छी तरह जानते हैं। क्षेत्र विशेष के अनुसार ही कृषकों को उनके क्षेत्र में पौध, बीज, खाद देने की व्यवस्था की जाय। इसके साथ हीश्री नरायन ने कृषकों को जैविक खेती करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कृषकों को इस कार्यशाला में इसलिए आमंत्रित किया गया है कि वे अपना सुझाव भी सामने लायें। उन्होंने कहा कि पौध देने के पहले घेरवाड़ की व्यवस्था पहले से ही कर ली जाय ताकि पौधे सुरक्षित रह सकें।

श्री सिंह ने कहा कि औद्यानिक योजनाओं को समय से पूर्ण करें, क्योंकि कि हर फसल का अपना एक समय होता है। अगर समयसारिणी के अनुसार बीज, खाद, पौध आदि नहीं मिलेंगे तो उपज अच्छी नहीं होगी। उन्होंने कहा

कि अच्छा उत्पादन करने वाले उत्पादक आगे आयें और अपने अनुभव से छोटे किसानों को भी लाभान्वित करें। उन्होंने कहा कि कृषकों को कृषि वैज्ञानिक  औद्यानिक फसलों के बेहतर उत्पादन हेतु क्षेत्रवार सुझाव भी दें। उन्होंने  अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि आमंत्रित किसानों को यहां के साथ-साथ जनपद तथा ब्लाक स्तर पर आयोजित होने वाली गोष्ठियों में आने पर मानदेय भी दिया जाये।

इस अवसर पर सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, श्री मनोज कुमार सिंह ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य किसानों तक योजनाओं को पहंुुचाना है। विभाग की मंशा है कि अधिकारी विभागीय योजनाओं के बारे में बतायें कि कृषकों को किस योजना में कितना अनुदान देय है और उनके जनपद में कौन-कौन से योजनाओं चल रही हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को अन्य प्रदेशों में तकनीकी प्रशिक्षण व जानकारी प्राप्त करने के लिए भेजे जाने से औद्यानिक विकास में अच्छे परिणाम मिल सकेंगे।।

निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण श्री दिनेश चन्द्र ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि केला, लीची, टमाटर, आम, अमरूद आदि की खेती कर रहे प्रगतिशील किसान गुणवत्ता बनायें रखें। इस अवसर पर प्रदेश में क्रियान्वित प्रमुख औद्यानिक विकास कार्यक्रमों, उपलब्ध सुविधाओं व खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की सम्भावनाओं एवं प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना हेतु प्रदेश सरकार व भारत सरकार द्वारा अनुमन्य सुविधाओं की जानकारी अधिकारियेां द्वारा दी गयीं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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सरकार घोटालों से सरावोर है

Posted on 20 July 2011 by admin

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरद्वार दुबे ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में हुए घोटाले पर लखनऊ पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा रिपोर्ट तलब किए जाने पर पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि मायावती सरकार घोटालों से सरावोर है। मायावती के मुख्यमंत्री पद पर रहते किसी भी जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाया है।  श्री दुबे ने कहा कि प्रदेश की मुख्यमंत्री व उसके तमाम मंत्री आकण्ठ भ्रष्टाचार में डूबे हैं यहां तक की मुख्यमंत्री मायावती पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय में आय से अधिक की सम्पत्ति का मामला चल रहा है और वह निर्णायक स्थिति में पहुंच चुका है। केन्द्र की यूपीए सरकार इस मामले में  पिछले चार वर्षो से प्रदेश सरकार से मौल भाव कर रही है तथा सी0बी0आई0 का जमकर दुरूपयोग कर रही है। कांगे्रस पार्टी के रहमोकरम पर भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारी फलफूल रहे हैं। कांगे्रस, बसपा व सपा जनता के धन को लूटने में एक जैसे हैं।

प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन को मिलने वाली 3 हजार करोड़ की धनराशि स्वास्थ्य मिशन के बजाय बंदरबाॅंट की भेंट चढ़ गई है। परिवार कल्याण विभाग में हुए करोड़ों रूपयों के गोलमाल तथा फर्जी भुगतान आदि के कारण दो सी0एम0ओ0 तथा एक डिप्टी सी0एम0ओ0 की हत्या हो चुकी है। इस मामले में मुख्यमंत्री के अति निकट पूर्व मंत्रियों, सांसद-विधायक पर आरोप लग रहे हैं। प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री उनको बचाने में लगी है क्योंकि इस षडयंत्र में उनकी भूमिका भी संलिप्तता प्रतीत होती है। प्रदेश के थानों से लेकर अन्य विभागों के पदों को रिश्वत लेकर बेचा जाता है और इस अवैध कमाई को मुख्यमंत्री तक पहुंचाया जाता है। भट्टा परसौल में किसानों पर हुए जुल्मों की जांच हो अथवा डा0 सचान हत्याकाण्ड की जांच हो या अन्य जाचें जो चल रही हैं मुख्यमंत्री मायावती के पद पर रहते उनकी निष्पक्षता पर प्रश्न चिन्ह लगा रहेगा ।

श्री दुबे ने कहा कि ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत एम्बुलेन्स तथा अन्य ठेकों के आवंटन में जिस तरह बिना टेन्डर के ठेके लिए गए और हजारों करोड़ की धनराशि का अग्रिम भुगतान कियागया यह अत्यन्त गम्भीर विषय है। श्री दुबे ने  कहा केवल लखनऊ की 11 सड़के खतरनाक घोषित की गई हैं। समुचे प्रदेश की सड़के खस्ताहाल हैं। प्रदेश में हुए सड़क निर्माण पर व्यय और उनकी गुणवत्ता तथा हालात की भी जांच किसी विशेष सैल से कराकर जनता के धन को लूटने वालों पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। भ्रष्टाचार ने प्रदेश की सड़कांे को ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश को खोखला कर दिया है। भाजपा सत्ता में आने के बाद सभी क्षेत्रों में हुए अवैध कार्यो की जाॅंच कराएगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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एचडीएफसी बैंक लिमिटेड-वित्तीय परिणाम (भारतीय जीएएपी), अप्रैल-जून 2011

Posted on 20 July 2011 by admin

paresh-sukhtankar1एचडीएफसी बैंक लिमिटेड के निदेशकांें के बोर्ड ने 19 जुलाई, 2011 को मुम्बई में आयोजित अपनी बैठक में बैंक के (भारतीय जीएएपी) लेखा को 30 जून, 2011 को समाप्त तिमाही के लिये अनुमोदित कर दिया है। हालांकि इन वित्तीय परिणामों को बैंक के अंकेक्षकों द्वारा अनुमोदन प्राप्त होना बाकी है।

वित्तीय परिणामः
लाभ तथा हानि का लेखाः 30 जून, 2011 को समाप्त तिमाही के लिए 30 जून, 2011 को समाप्त तिमाही के लिए बंैंक ने 7,098.0 करोड़ रूपये की कुल आमदनी अर्जित की, जबकि बीते वित्त वर्ष की समान अवधि में बैंक को 5,410.6 करोड़ रूपये की आमदनी हुई थी। इस मद में 31.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। 30 जून, 2011 को समाप्त तिमाही में शुद्ध राजस्व (शुद्ध ब्याज आय में अन्य आय जोड़कर) 3,968.0 करोड़ रूपये रहा जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में बैंक को 3,391.6 करोड़ रूपये का शुद्ध राजस्व प्राप्त हुआ था।  30 जून 2011 को समाप्त तिमाही में शुद्ध ब्याज आय (अर्जित ब्याज में से विस्तारित ब्याज को घटाकर) में 18.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और यह 2,848.0 करोड़ रूपये रहा। संपत्ति में वृद्धि के अनुपात में शुद्ध ब्याज मार्जिन 4.2 प्रतिशत रहा।

अन्य आय (गैर ब्याज आय) जो कि 30 जून, 2011 को समाप्त तिमाही में 1,120.0 करोड़ रूपये रहा। आलोच्य तिमाही में अन्य आय के मद में सबसे ज्यादा योगदान फीस और कमीशन का रहा जो पिछले साल की समान तिमाही से 15.9 फीसदी बढ़कर 922.7 करोड़ रूपये रहा जबकि बीते वर्ष की पहली तिमाही में यह 796.3 करोड़ रूपये था। अन्य आय के अन्य दो प्रमुख तत्व रहे विदेशी मुद्रा विनिमय/डेरिवेटिव रेवेन्यूज, जो कि 230.1 करोड़ रूपये (30 जून 2010 को समाप्त तिमाही की तुलना में 33.9 फीसदी अधिक; उक्त तिमाही में इस मद में 171.8 करोड़ रूपये की आय हुई थी)। निवेशों के पुनर्मूल्यांकन/बिक्री से लाभ/(हानि) में गिरावट दर्ज की गई और यह 41.3 करोड़ रूपये रही जबकि बीते वर्ष की समान अवधि में इस मद में 21.5 करोड़ रूपये की आय हुई थी। 30 जून 2011 को समाप्त तिमाही में परिचालन खर्च में 17.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और यह 1,934.6 करोड़ रूपये रहा। आमदनी की तुलना में खर्च का अनुपात 48.3 प्रतिशत रहा, जबकि जून 2010 के अंत में यह 48.7 प्रतिशत था। संपत्ति की गुणवत्ता में वृद्धि, प्रावधानों एवं आपातकालीन परिस्थितियों के लिये किया गया प्रावधान पिछले वर्ष 30 जून 2010 के 555.0 करोड़ रूपये से घटकर 30 जून 2011 को 443.7 करोड़ रूपये रहा। 30 जून 2011 को समाप्त तिमाही में एचडीएफसी बैंक को हुये कर पश्चात लाभ में 30 जून 2010 को समाप्त तिमाही की तुलना में 33.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है और यह 1,589.7 करोड़ रूपये रहा। कर के मद में 504.7 करोड़ रुपये का प्रावधान करने के बाद बैंक को 1,085.0 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है। 30 जून 2010 को समाप्त तिमाही की तुलना में इसमें 33.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

30 जून 2011 को बैलेंस शीटः
बैंक के बैंलेंस शीट के आकार में 22.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और 30 जून 2011 को यह 285,942 करोड़ रूपये रहा। बैंक द्वारा प्रदत्त सकल अग्रिम 176,964 करोड़ रूपये के स्तर पर पहुंच गया-वर्ष-दर-वर्ष के आधार पर इसमें 29.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। 30 जून 2010 को लंबित अग्रिम को एक ही बार में एडजस्ट किया गया और तिमाही-दर-तिमाही के आधार पर 31 मार्च 2011 की तुलना में इसमें 9.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। जून 2010 की तुलना में खुदरा ऋण में 28.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है और यह 83,863 करोड़ रूपये रहा। कुल जमा राशियां भी 28,118 करोड़ रूपये से बढ़कर 211,151 करोड़ रूपये पहुंच गई हैं। आलोच्य तिमाही में बैंक ने अपर टायर 2 बाॅण्ड जारी कर 3,650 करोड़ रूपये की टायर 2 पूंजी जुटाई है। बचत खाता जमा 64,785 करोड़ रूपये रहा तथा चालू खाता जमा 38,811 करोड़ रूपये रहा। 30 जून 2011 को सीएएसए मिक्स 49.1 प्रतिशत रहा।

पूंजी पर्याप्तता
30 जून 2011 को बैंक का सीएआर (बेसल 2 की गणना के आधार पर) 16.9 फीसदी रहा। वैधानिक रूप से इसे कम से कम 9 प्रतिशत होना चाहिये। टायर-1सीएआर 30 जून 2011 को 11.4 फीसदी रहा।

नेटवर्क:
30 जून 2011 को समाप्त तिमाही में बैंक ने 125 नये शाखा कार्यालयों की स्थापना की। इस प्रकार बैंक के नेटवर्क में 1,111 शहरों में शाखा कार्यालयों की संख्या बढ़कर 2,111 तथा 5,998 एटीएम हो गये हैं। 30 जून 2010 को 780 शहरों में 1725 शाखा कार्यालय तथा 4,393 एटीएम थे।

संपत्ति की गुणवत्ता:
30 जून 2011 को बैंक की संपत्ति की गुणवत्तीय स्थिति काफी सुदृढ़ थी। सकल गैर निष्पादित संपत्तियों का स्तर 1.04 प्रतिशत था। शुद्ध अग्रिम के आधार पर गैर निष्पादित संपत्तियां 0.18 प्रतिशत थीं। (30 जून 2010 को सकल एनपीए 1.21 प्रतिशत तथा शुद्ध एनपीए 0.28 प्रतिशत था)। बैंक का ऋण घाटा प्रावधान का तरीका वैधानिक मानदंडों की तुलना में काफी उच्च है। 30 जून 2011 को एनपीए प्रोविजन कवरेज रेशियो (कर्ज माफी, तकनीकी एवं अन्य कारणों से) 83 प्रतिशत रहा। 30 जून 2011 को बैंक की सकल पुनगर्ठित संपत्ति बैंक द्वारा प्रदत्त सकल अग्रिम का 0.4 प्रतिशत था। स्टैंडर्ड एसेट्स के आधार पर बैंक द्वारा प्रदत्त सकल अग्रिम का 0.2 प्रतिशत था।

बैंक के इक्विटी शेयरों का विभाजन:
बैंक द्वारा 6 जुलाई 2011 को आयोजित आम सभा में शेयर धारकों ने शेयरों को विभाजित करने की अनुमति प्रदान कर दी। पहले बैंक के प्रत्येक शेयर का मूल्य प्रति शेयर 10 रूपये था। अब इसे पांच टुकड़ों में विभाजित कर दिया गया है और प्रत्येक शेयर का मूल्य अब 2 रूपये हो गया है। इसकी रिकाॅर्ड तिथि 16 जुलाई 2011 थी।

इस प्रकाशन सामग्री में जितनी सूचनाएं दी गई हैं एवं जिन सूचनाओं से भविष्य के अनुमान का आभास होता है, जोखिमपूर्ण एवं अनिश्चित है। वास्तविक परिणाम संभावित परिणाम से भिन्न हो सकता है। जोखिम एवं अनिश्चितताओं पर नियंत्रण नहीं होने के कारण भविष्य की योजनाओं पर भी असर पड़ सकता है। भविष्य के अनुत्पादक ऋण, विकास प्रक्रिया एवं व्यवसायिक विस्तार, तकनीक में परिवर्तन, बैंकिंग सेवाओं की मांग, निवेश से होने वाली आय आदि अनुमानों पर आधारित हैं।

इसके अतिरिक्त और भी कई ऐसे कारक हो सकते हैं जो बैंक के क्रियाकलापों को प्रभावित कर सकते हैं और उसके कार्य परिणामों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। इनमें भारत की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति का प्रभाव पड़ सकता है एवं दूसरे देशों में होने वाली गतिविधियां भी इसे प्रभावित कर सकती हैं। भारत सरकार की मौद्रिक एवं ब्याज नीति, मुद्रास्फीति, ब्याज दरों में होने वाले उतार-चढ़ाव, भारत एवं विश्व स्तर पर वित्तीय बाजारों का क्रियाकलाप, भारत एवं दूसरे देशों में हुये कानूनी बदलाव जिसमें कर संबंधी नीतियां, बैंकिंग नियम आदि, का प्रभाव भी पड़ सकता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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