उद्यान विभाग में कृषकों की सहभागिता सुनिश्चित हो -उद्यान मंत्री, नरायन सिंह
उत्तर प्रदेश के उद्यान मंत्री श्री नरायन सिंह ने कहा कि उद्यान विभाग में किसानों की सहभागिता सुनिश्चित की जाय ताकि किसानों के सुझाओं पर अमल किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस तरह के सुझाव आने चाहिए कि कम लागत में अच्छा उत्पाद हो और किसानों को अधिक आर्थिक लाभ हो।
यह बात आज यहां श्री सिंह ने उद्यान निदेशालय के सभागार में आयोजित ‘‘उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा कार्यान्वित कार्यक्रमों का मण्डलीय कृषक समिति द्वारा सत्यापन’’, विषयक कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने इस अवसर पर अमरूद (ललित प्रजाति) के पौधे किसानों को उनकी मांग के अनुसार वितरित किये। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि हर जनपद में पांच-पांच किसानों का समूह बनाया जाये। उन्होंने इस तरह की कार्यशाला आयेाजित करते रहने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसान अपने क्षेत्र की जमीन की पैदावार अच्छी तरह जानते हैं। क्षेत्र विशेष के अनुसार ही कृषकों को उनके क्षेत्र में पौध, बीज, खाद देने की व्यवस्था की जाय। इसके साथ हीश्री नरायन ने कृषकों को जैविक खेती करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कृषकों को इस कार्यशाला में इसलिए आमंत्रित किया गया है कि वे अपना सुझाव भी सामने लायें। उन्होंने कहा कि पौध देने के पहले घेरवाड़ की व्यवस्था पहले से ही कर ली जाय ताकि पौधे सुरक्षित रह सकें।
श्री सिंह ने कहा कि औद्यानिक योजनाओं को समय से पूर्ण करें, क्योंकि कि हर फसल का अपना एक समय होता है। अगर समयसारिणी के अनुसार बीज, खाद, पौध आदि नहीं मिलेंगे तो उपज अच्छी नहीं होगी। उन्होंने कहा
कि अच्छा उत्पादन करने वाले उत्पादक आगे आयें और अपने अनुभव से छोटे किसानों को भी लाभान्वित करें। उन्होंने कहा कि कृषकों को कृषि वैज्ञानिक औद्यानिक फसलों के बेहतर उत्पादन हेतु क्षेत्रवार सुझाव भी दें। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि आमंत्रित किसानों को यहां के साथ-साथ जनपद तथा ब्लाक स्तर पर आयोजित होने वाली गोष्ठियों में आने पर मानदेय भी दिया जाये।
इस अवसर पर सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, श्री मनोज कुमार सिंह ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य किसानों तक योजनाओं को पहंुुचाना है। विभाग की मंशा है कि अधिकारी विभागीय योजनाओं के बारे में बतायें कि कृषकों को किस योजना में कितना अनुदान देय है और उनके जनपद में कौन-कौन से योजनाओं चल रही हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को अन्य प्रदेशों में तकनीकी प्रशिक्षण व जानकारी प्राप्त करने के लिए भेजे जाने से औद्यानिक विकास में अच्छे परिणाम मिल सकेंगे।।
निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण श्री दिनेश चन्द्र ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि केला, लीची, टमाटर, आम, अमरूद आदि की खेती कर रहे प्रगतिशील किसान गुणवत्ता बनायें रखें। इस अवसर पर प्रदेश में क्रियान्वित प्रमुख औद्यानिक विकास कार्यक्रमों, उपलब्ध सुविधाओं व खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की सम्भावनाओं एवं प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना हेतु प्रदेश सरकार व भारत सरकार द्वारा अनुमन्य सुविधाओं की जानकारी अधिकारियेां द्वारा दी गयीं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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