- कांग्रेस के जिम्मेदार पदाधिकारियों द्वारा बी0एस0पी0 सरकार के खिलाफ लगाये गये सभी आरोप राजनीति से प्रेरित
- कांग्रेस नेताओं को उत्तर प्रदेश में भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों को गुमराह करने के बजाए भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 मेें बदलाव करने के लिए यू0पी0ए0 सरकार पर दबाव बनाना चाहिए
- यू0पी0ए0 सरकार की विफलता और भ्रष्टाचार से आम जनता का ध्यान हटाने के लिए कांग्रेस के जिम्मेदार पदाधिकारी गैरजिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं
बहुजन समाज पार्टी के प्रवक्ता ने कांग्रेस के जिम्मेदार पदाधिकारी द्वारा आज पूर्वांचल भ्रमण के दौरान राज्य सरकार पर लगाये गये सभी आरोपों को आधारहीन तथा राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पदाधिकारी यू0पी0ए0 सरकार के घोटालों तथा भ्रष्टाचार से आम जनता का ध्यान हटाने के लिये गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं। प्रवक्ता ने कांग्रेस पूर्वांचल यात्रा को एक नौटंकी करार दिया है।
पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश की बी0एस0पी0 सरकार ने देश की सर्वाधिक प्रगतिशील और किसान हितैषी नीति लागू की है। इसके बावजूद कांग्रेस के जिम्मेदार पदाधिकारी इस मामले में राज्य सरकार पर अनाप-शनाप आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि वे अपनी पार्टी के शासन वाले राज्यों में भूमि अधिग्रहण की स्थिति पर गौर करते तो उन्हे इस प्रकार का अपरिपक्व बयान देने की जरूरत नहीं पड़ती।
बी0एस0पी0 प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस शासित हरियाणा में रोहतक, सोनीपत, यमुनानगर, अम्बाला तथा पलवल आदि तमाम जिलों के किसान राज्य सरकार द्वारा कौड़ियों के दाम पर जमीन अधिग्रहीत किये जाने को लेकर आन्दोलनरत हैं। इसी प्रकार कांग्रेस के शासन वाले एक अन्य राज्य महाराष्ट्र के नवी मुम्बई में अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने के नाम पर किसानों की हजारों एकड़ उपजाऊ भूमि छीन ली गयी है। इससे पर्यावरण के साथ ही जैव-परिस्थितिकीय संतुलन भी खतरे में आ गया है। इसी तरह जैतापुर में परमाणु बिजलीघर स्थापित करने के नाम पर बड़े पैमाने पर किसानों को अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ा है।
केन्द्र सरकार की नाक के नीचे दिल्ली राज्य में किसानों की जमीन औने-पौने दाम पर ली जा रही है। दिल्ली में कंजावला, बवाना व दिल्ली देहात में जमीन की कीमत लगभग 03 करोड़ रूपये से 10 करोड़ रूपये प्रति एकड़ है, लेकिन दिल्ली राज्य की कांग्रेस सरकार 53 लाख रूपये प्रति एकड़ की दर पर भूमि अधिग्रहीत कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं को किसानों की जरा भी चिन्ता होती, तो उत्तर प्रदेश को भू-अधिग्रहण को लेकर राजनीति का अखाड़ा बनाने के पहले कांग्रेस शासित राज्यों में जाकर किसानों की दुःख तकलीफ दूर करने पर ध्यान देना चाहिए।
प्रवक्ता ने कहा कि दरअसल कांग्रेस के नेता उत्तर प्रदेश में आगामी विधान सभा के चुनाव को देखते हुए कभी किसानों तो कभी नौजवानों को सब्जबाग दिखाकर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने का प्रयास कर रहे हैं। पूरा देश जानता है कि भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 में बदलाव केन्द्रीय सरकार को करना है और कांग्रेस के नेता यू0पी0ए0 सरकार पर दबाव बनाने के बजाए उत्तर प्रदेश में घूम-घूमकर भूमि अधिग्रहण कानून की बात कर किसानों को गुमराह कर रहे हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में एन0आर0एच0एम0 को लेकर बी0एस0पी0 सरकार पर दोषारोपण करने से पहले कांग्रेस के पदाधिकारी को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए था कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का क्रियान्वयन केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप होता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी को एन0आर0एच0एम0 की समीक्षा के दौरान इसमें कतिपय खामियां नजर आयीं थीं, जिन्हें दूर करने के लिए उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए। इनके तहत मुख्य सचिव को कार्यक्रम के प्रबन्धकीय ढंाचे की अध्यक्षता सौंपी गयी। समस्त वित्तीय प्रस्तावों के परीक्षण तथा वित्तीय व्यवस्थाओं के पर्यवेक्षण के लिए वित्तीय समिति गठित की गयी तथा प्रत्येक जनपद में वित्त एवं लेखाधिकारी की तैनाती की गयी। प्रदेश स्तर पर राज्य स्वास्थ्य समिति की नियमित बैठकें की जा रही हैं तथा जनपदों में जिला स्वास्थ्य समिति की बैठकों को नियमित तौर पर आयोजित करने तथा एन0आर0एच0एम0 के कार्यक्रमों की गहन समीक्षा के लिए जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है। जननी सुरक्षा योजना के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने के लिए एक वेबसाइट विकसित की जा रही है और एक काॅल सेन्टर भी स्थापित किया जा रहा है, जिसके माध्यम से आम जनता योजना के सम्बन्ध में अपनी शिकायत और फीडबैक दर्ज करा सकेगी।
बी0एस0पी0 प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस के पदाधिकारी को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत उत्तर प्रदेश की उपलब्धियांे पर भी गौर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि योजना की शुरूआत के समय प्रदेश में मातृ मृत्यु दर एक लाख की जनसंख्या पर 517 थी, जो सन् 2006 में एक लाख की जनसंख्या पर घटकर 440 हो गयी। राज्य सरकार के प्रयासों के चलते वर्ष 2009 में इस संख्या मंे और गिरावट दर्ज की गयी और यह दर घट कर एक लाख की जनसंख्या पर 359 हो गयी। इसी प्रकार शिशु मृत्यु (आई0एम0आर0) दर कार्यक्रम के प्रारम्भ में एक हजार पर 73 थी, जो सैम्पुल रजिस्टेªशन सर्वे की रिपोर्ट 2009 के मुताबिक घट कर एक हजार पर 63 हो गयी है।
बी0एस0पी0 प्रवक्ता ने जननी सुरक्षा योजना की प्रगति की जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2005-2006 में संस्थागत प्रसवों का प्रतिशत मात्र 21 था, जो राज्य सरकार के गम्भीर प्रयासों के चलते वर्ष 2009 में बढ़कर 62 प्रतिशत हो गया। इसी प्रकार टीकाकरण कार्यक्रम के तहत वर्ष 2007-08 में 30 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल हुई थी, जिसके सापेक्ष वर्ष 2009 में उपलब्धि का प्रतिशत 41 रहा। इसके अलावा इस वर्ष जनवरी माह से मोबाइल मेडिकल यूनिट योजना के माध्यम से प्रदेश के 15 जनपदों में 133 एम्बुलेन्स द्वारा चिकित्सा विशेषज्ञ आम जनता को आवश्यक चिकित्सा सेवायें उपलब्ध करा रहे हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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