उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने प्रदेश में कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जो सार्थक पहल की है उसके तहत किसानों को 03 प्रतिशत ब्याज की दर पर फसली ऋण सहकारिता क्षेत्र की समिति (पैक्स) के माध्यम से उपलब्ध कराने का फैसला उनकी अध्यक्षता में सम्पन्न हुई मंत्रिपरिषद की पिछली बैठक में लिया गया था। प्रदेश के लाखों किसानों को लाभ पहुंचाने हेतु लिये गये इस ऐतिहासिक निर्णय के क्रियान्वयन के लिए शासनादेश जारी कर दिया गया है।
इस सम्बन्ध मेें जारी किये गये शासनादेश के अनुसार वित्तीय वर्ष 2011-12 में 01 अप्रैल, 2011 अथवा उसके पश्चात् पैक्स के माध्यम से तीन लाख रूपये तक के फसली ऋण 07 प्रतिशत की ब्याज दर पर वितरित किये जायेंगे परन्तु जो कृषक लिये गये ऋण की अदायगी निर्धारित तिथि अथवा उसके पहले कर देगा उसे 07 प्रतिशत ब्याज दर के सापेक्ष 04 प्रतिशत ब्याज दर की अतिरिक्त छूट का लाभ मिलेगा। इसी प्रकार आगामी वर्षों में भी सरकार द्वारा यथा-समय घोषित अतिरिक्त छूट के आधार पर समय से अदायगी करने वाले कृषकांे को अतिरिक्त छूट का लाभ देते हुए ब्याज दर निर्धारित की जायेगी।
शासनादेश की व्यवस्था के अनुसार यदि किसी कृषक द्वारा ऋण की अदायगी नियत तिथि को नहीं की जाती है तो ऐसे कृषक से 07 प्रतिशत के बजाय बकायेदारी की तिथि से सामान्य ब्याज दर (सम्प्रति 10.70 प्रतिशत) एवं निर्धारित दण्डनीय ब्याज चार्ज किया जायेगा तथा बकाया धनराशि पर ‘‘ब्याज अनुदान’’ अनुमन्य नहीं होगा। शासनादेश के अनुसार इस उद्देश्य के लिए ऋण प्रतिदान की नियत तिथि प्रत्येक वर्ष 30 जून मानी जायेगी। तद्नुसार वर्ष 2011-12 में लिये गये ऋण का प्रतिदान यदि सन्दर्भित श्रेणी के कृषक द्वारा दिनांक 30 जून, 2012 तक नहीं किया जाता है तो बकाया की तिथि अर्थात 01 जुलाई, 2012 से 07 प्रतिशत के बजाय सामान्य ब्याज दर एवं निर्धारित दण्डनीय ब्याज चार्ज किया जायेगा। इसी प्रकार की व्यवस्था आगे के वर्षों मंे वितरित ऋण एवं वसूली के लिए भी लागू होगी।
शासनादेश के अनुसार ‘‘ब्याज अनुदान’’ की गणना केवल 01 अपै्रल 2011 अथवा उसके पश्चात पैक्स द्वारा वितरित ऋणों पर, जितनी अवधि के लिये सदस्य के ऋण खाते में ऋण लगा रहा है केवल उसी अवधि के लिए दैनिक प्रोडक्ट के आधार पर की जायेगी। अर्थात सदस्य द्वारा लिये गये ऋण की तिथि और उसके द्वारा ऋण प्रतिदान की नियत तिथि से पूर्व ऋण के वास्तविक प्रतिदान की तिथि अथवा ऋण प्रतिदान की नियत तिथि जिसके पश्चात ऋण बकाया में पड़ जायेगा, में से जो भी पहले हो के बीच की अवधि के लिए ही ब्याज अनुदान अनुमन्य होगा। बकाया धनराशि पर कोई अनुदान अनुमन्य नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में किसानों को सस्ती ब्याज दरों पर फसली ऋण सुभल कराने के लिए न्याय पंचायत स्तर पर प्रारम्भिक कृषि ऋण सहकारी समितियां (पैक्स), जिला स्तर पर जिला सहकारी बैंक तथा प्रदेश स्तर पर उ0प्र0 कोआपरेटिव बैंक (शीर्ष बैंक) त्रिस्तरीय अल्पकालीन सहकारी ढाँचा कार्यरत है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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