Archive | December 30th, 2010

लखनऊ, मथुरा, नोएडा तथा गाजियाबाद में पान मसाला निर्माण एवं बिक्री करने वाली 10 फर्मों पर की गई प्रर्वतन कार्यवाही

Posted on 30 December 2010 by admin

वाणिज्य कर विभाग की प्रवर्तन इकाईयों ने चार जिलों में चालू वित्तीय वर्ष के पहले नौ महीनों  में 19 अरब 45 करोड़ रूपये का अपवंचित टर्न ओवर पकड़ा

वाणिज्य कर विभाग की प्रर्वतन इकाईयों ने प्रदेश के चार जिलों यथा लखनऊ, मथुरा, नोएडा तथा गाजियाबाद में पान मसाला निर्माण एवं बिक्री करने वाली 10 फर्मो पर की गई प्रर्वतन कार्यवाही के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2010-11 के प्रथम 9 माह में लगभग 19 अरब 45 करोड़ रूपये का अपवंचित टर्न ओवर पकड़ा है। इस टर्न ओवर पर वाणिज्य कर की देयता लगभग 03 अरब 34 करोड़ रूपये बनती है। इन फर्मों की सघन जांच जारी है, जिसमें अरबों रूपये का वाणिज्य कर अपवंचन प्रकाश में आने की सम्भावना है।

यह जानकारी आज वाणिज्य कर विभाग के प्रवक्ताा ने दी। उन्होंने बताया कि पान मसाला निर्माण एवं बिक्री में लगी इन फर्मों के विगत वित्तीय वषोZं के कारोबार की जांच की करायी जा रही है, जिसमें अरबों रूपयों का वाणिज्य कर अपवंचन प्रकाश में आने की सम्भावना है।

प्रवक्ता ने बताया कि वाणिज्य कर विभाग के द्वारा गत महीने कानपुर में सुपाडी के स्टाक पर आकिस्मक छापा मारकर लगभग 10 करोड मूल्य की सुपाडी पकडी गई थी। इसी क्रम में विभाग को विभिन्न श्रोतों से सूचना प्राप्त हो रही थी कि पान मसाला निर्माता अपने यहॉ स्थापित मशीनों/इकाइयों के द्वारा निर्मित किए जा रहे पाउच की मात्रा प्रति मशीन के हिसाब से कम दिखाते हुए अपने कुल विक्रय धन के बडे हिस्से को छिपाते हैं एवं प्रदेश सरकार को देय टैक्स की चोरी करते हैं। इन सूचनाओं के आधार पर  विभाग द्वारा प्रदेश के चार जनपदों यथा-लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद एवं मथुरा के प्रसिद्ध पान मसाला निर्माता इकाइयों के यहॉ एक साथ योजनाबद्ध तरीके से आकिस्मक रूप से छापा मारा गया।

जनपद लखनऊ में सात टीमें जिसमें लगभग 100 अधिकारियों एवं तीन कम्पनी पी0ए0सी0 तथा जिला एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारी एवं पुलिस कर्मी उपस्थित थे, के साथ छापा मारा गया। समस्त टीमों के साथ वीडियो कैमरा की भी उपलब्धता थी। इसी प्रकार की कार्यवाही जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के सहयोग से जनपद मथुरा, नोएडा एवं गाजियाबाद में भी की गई।

पान मसाला निर्माता इकाइयों में उपलब्ध समस्त अभिलेखों का गहन परीक्षण किया। कई इकाइयों द्वारा कम्प्यूटर में लेखा जोखा रखा जाता है उसका भी गहन अनुश्रवण एवं परीक्षण करके वॉछित अभिलेखों को अपने कब्जे में लिया।

लखनऊ स्थित इकाइयों में मै0 के0पी0 पान प्रोडक्ट प्रा0 लि0 में कुल 84 मशीने चलती हुई पायी गईं। इस फर्म में विगत वित्तीय वर्ष में लगभग 265 करोड़ की ही बिक्री  दिखायी गई है जबकि चलती मशीनों की संख्या, वर्ष के उत्पादन के दिन लगभग 350, प्रतिदिन लगभग 20 घण्टे उत्पादन के समय, लगभग प्रति मिनट 310 पाउचों का उत्पादन मौके पर पाया गया जबकि उनके द्वारा लगभग आधे से कम उत्पादन एवं बिक्री दिखायी जाती है। इसी प्रकार अन्य फर्मो मै0 श्याम ट्रेडर्स में 42 मशीनें चलती हुई पायी गई। मशीनों को चलवार देखने पर पाया गया कि प्रति मिनट लगभग 325 पाउचों का उत्पादन होता है। मै0 पटेल पान प्रोडक्ट में कुल 20 मशीनें चलती पायी गई। इकाई में मशीनों को चलवाकर गिनने पर पाया गयाा कि प्रति मिनट लगभग 325 पाउच का उत्पादन होता है जबकि निर्माता द्वारा इससे कहीं अधिक कम उत्पादन एवं बिक्री दिखायी जा रही है। ऑकड़ों के आधार पर एवं अधिकारियों द्वारा की गई जॉच के विश्लेषण से यह पाया गया कि जितना पान मसाला का उत्पादन हुआ वर्तमान वित्तीय वर्ष के मात्र 9 महीनों में इकाइयों द्वारा लगभग 13 अरब रू0 की बिक्री को छिपाया गया है, जिसकी बिक्री पर लगभग 240 करोड़ की कर देयता बनती, जो कि नहीं प्राप्त हुआ।

प्रवक्ता ने बताया कि इसी प्रकार गाजियाबाद में के0पी0 पान मसाला की दो यूनिटों का निरीक्षण किया गया जिस स्पष्ट हुआ कि इसी वित्तीय वर्ष में अब तक लगभग 450 करोड का टर्नओवर छिपाया गया है, जिस पर अपवंचित कर रू0 83.25 करोड़ आता है। यहॉ यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले तीन वषोZ का परीक्षण करने पर कई गुना कर चोरी प्रकाश में आने की संभावना है।

वाणिज्यकर विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मथुरा में तीन फर्मो सर्वश्री एम0आर0 फ्रैगनेंसेस प्रा0 लि0, गिरिराज सुपाडी ट्रेडर्स तथा राधरानी ट्रेडिंग कम्पनी  की जॉच पर लगभग 9.38 करोड़ की कर चोरी प्रकाश में आयी है। इसी प्रकार नोएडा में मै0 धर्मपाल सत्यपाल लि0 की जॉच पर प्रथम दृष्टया 20 करोड़ का अपवंचित टर्न-ओवर प्रकाश में आया है जिस पर लगभग 37 लाख रू0 की टैक्स चोरी प्रकाश में आयी है।

प्रवक्ता ने बताया कि इसके अतिरिक्त इसी माह श्रंखलाबद्ध तरीके से 3-4 निर्माता फर्मों की जांच करायी गई थी, जिसमें भी लगभग दो अरब रूपये का अपवंचित टर्न-ओवर प्रकाश में आया था तथा विगत वषोZं के कर निर्धारण के फलस्वरूप भी कई अरब का अपवंचित टर्नओवर  प्रकाश में आना सम्भावित है। इन फर्मों में मे0 शिमला गोमती पान प्रोजेक्ट ऐशबाग लखनऊ, मे0 फूलचन्द सेल्स कारपोरेशन 24, बताशा वाली गली, अमीनाबाद एवं मे0 ए0एम0पी0 प्रोडक्ट मोहन लाल गंज, लखनऊ आदि शामिल हैं। इसी माह कुछ पान मसाला गुटका की ट्रेडिंग फर्मों की भी जांच करायी गई है। विभाग द्वारा जॉच जारी है। वर्तमान वित्तीय वर्ष के आंकडे जो जॉच में विभाग के सामने आए हैं उनमें जिन इकाइयों की जॉच हुई है लगभग 334 करोड़ रू0 का कर अपवंचन प्रकाश में आया है। इन्हीं आंकडों के आधार पर पीछे के तीन वषोZ का यदि विश्लेषण किया जाए तो कर अपवंचन की धनराशि 1000 करोड रू0 तक हो सकती है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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ए.सी.सी.ग्रुप की पार्टी मे हुआ जमकर नशेबाजी और अश्लील नृत्य

Posted on 30 December 2010 by admin

dscn3513फूलबाग में ए.सी.सी सीमेन्ट ग्रुप का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें काफी तादाद मे सीमेन्ट डीलरों और कम्पनी के अधिकारियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम मे डीजे का और कैबरे डांस का भी आयोजन किया गया जिसमे अन्तराश्ट्रीय स्तर की महिला डंासरों को भी बुलाया गया और उन्होने स्टेज पर डांस परफार्म किया। जब हमने इस बारे मे कम्पनी के हेड आफीसर ए.वी.पाण्डे से बात की तो उन्होने इस बारे में कोई साफ जवाब नही दिया गया।
उन्होने कहा कि यह कार्यक्रम लोडर हाफ यू.पी दिल्ली और अलीगढ सभी डीलर को पुरस्कार दिया गया। जब उससे पूछा गया कि कार्यक्रम मे नशा मे शराब चल रही है उस प्रश्न पर उन्होने कहा कि शराब का आयोजन हमारी ओर से नही था। अगर कोई पी रहा है। तो वह स्वंय लाया होगा। जब हेड आफीसर से अश्लील नृत्य के बारे में पूछा कि इसी स्थल पर बगल में एक धार्मिक कार्यक्रम चल रहा है। और दूसरी तरफ अश्लील नृत्य उस पर आपकी राय क्यार्षोर्षो इस पर वह बोले कि इसमें कोई अश्लीलता नही है। आज के समय  इतना चलता है और यह सब ग्लैमर है यह कहकर वह अपना पल्ला झाड़ते बने। इस तरह से कार्यक्रम ज्यादा पूछनें पर कमेटी के एक व्यक्ति ने ब्यूरों पत्रकार के साथ अभ्रदता भी की। जहां एक ओर पुरस्कार वितरित किये जा रहे है। वही दूसरी ओर नशा की पार्टी भी जमकर हो रही है। ओर ऐसे फूहड़ नृत्य कराकर भारतीय संस्कृति की चोट पहुंचायी जा रही थी। जहां एक ओर हम अपनी सभ्यता और सस्कृति को बचाने के तमाम प्रयत्न करते रहते हैं वही दूसरी ओर लोग उसको नुकसान भी पहुचाने मे पीछे ही हटते।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती जी की अध्यक्षता में आज लाल बहादुर शास्त्री एनेक्सी भवन स्थित मन्त्रिपरिषद कक्ष में सम्पन्न मन्त्रिपरिषद की बैठक में निम्न महत्वपूर्ण फैसले लिये गये।

Posted on 30 December 2010 by admin

मन्त्रिपरिषद द्वारा सैनिक कैंटीन स्टोर डिपार्टमेंट तथा संघ के कतिपय सशस्त्र बलों को मदिरा लाइसेंस जारी करनें सम्बंधी प्रस्ताव अनुमोदित

मन्त्रिपरिषद ने सैनिक कैंटीन स्टोर डिपार्टमेंट तथा संघ के कतिपय सशस्त्र बलों को मदिरा लाइसेंस जारी करने सम्बंधी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।

मन्त्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार आबकारी विभाग द्वारा पूर्व में जारी अधिसूचना दिनांक 29 मार्च, 2010 तथा 01 अप्रैल 2010 के स्थान पर दिनांक 1 जुलाई 2010 से प्रभावी मानी जायेगी। इसमें प्रतिबन्ध यह होगा कि किसी भी अनुज्ञाधारी द्वारा उक्त अधिसूचना के प्राविधानों के तहत दिनांक 01 जुलाई, 2010 से पूर्व जमा की गई लाइसेंस फीस की धनराशि न तो वापस होगी और न ही समायोजित की जायेगी।

ज्ञातव्य है कि सशस्त्र सुरक्षा बल के उच्चाधिकारियों द्वारा लगातार भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की भान्ति सशस्त्र सुरक्षा बल के भी श्रेणीवार निर्धारित प्रतिफल फीस में 50 प्रतिशत की छूट पर विदेशी मदिरा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जा रहा था। इन उच्चाधिकारियों के अनुरोध को दृष्टिगत रखते हुए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की भान्ति सशस्त्र सुरक्षा बल को भी श्रेणीवार निर्धारित प्रतिफल फीस में 50 प्रतिशत की छूट पर विदेशी मदिरा की आपूर्ति हेतु थोक/फुटकर अनुज्ञापन प्रदान किये जाने सम्बंधी प्रस्ताव को मंजूरी आज मन्त्रिपरिषद द्वारा प्रदान कर दी गई हैै।

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सिविल संकर्म संविदाकारों एवं विद्युत संविदाकारों हेतु देय कर के विकल्प में एक मुश्त धनराशि प्राप्त करने के लिए लागू समाधान योजना में संशोधन सम्बंधी प्रस्ताव को मंजूरी

मन्त्रिपरिषद ने सिविल संकर्म संविदाकारों तथा विद्युत संविदाकारों के सम्बंध में देय कर के विकल्प में उ0प्र0 मूल्य संविर्धत कर अधिनिमय 2008 की धारा 6 की उपधारा (1) के अन्तर्गत देय कर के विकल्प में एक मुश्त धनराशि प्राप्त करने के लिए लागू समाधान योजना में संशोधन किये जाने सम्बंधी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

मन्त्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार शासनादेश दिनांक 9 जून, 2009 द्वारा सिविल संकर्म संविदाकारों तथा विद्युत संविदाकारों के लिए लागू समाधान योजना में इस सीमा तक संशोधन प्रस्तावित किया गया है कि जिन मामलों में संविदाकार द्वारा वित्तीय वर्ष में निष्पादित ठेके की कुल धनराशि के 5 प्रतिशत तक आयातित माल का प्रयोग किया गया हो, उसमें आंगणित धनराशि के 4 प्रतिशत की दर से एवं जिन मामलो में संविदाकार द्वारा वित्तीय वर्ष में निष्पादित ठेके के कुल धनराशि के 5 प्रतिशत से अधिक आयातित माल का प्रयोग किया गया हो, उसमें आंगठित धनराशि के 6 प्रतिशत की दर से समाधान राशि देय होगी।

उक्त संशोधन के सम्बंध में शासनादेश जारी होने की तिथि से पूर्व, व्यापारी द्वारा समाधान हेतु दिये गये प्रार्थना पत्रों के सम्बंध में सभी शर्ते पूर्ववत रहेंगी।

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25 लाख रुपये तक के स्टाक रखने वाले टेंट व्यवसाईयों द्वारा मूल्य संविर्धत कर के विकल्प में समाधान योजना लागू करने सम्बंधी प्रस्ताव मंजूर

मन्त्रिपरिषद ने 25 लाख रुपये तक के स्टाक रखने वाले टेन्ट व्यवसाइयों द्वारा टेन्ट, कनात, मेज, कुर्सी, कालीन, दरी, चादर, गद्दा रजाई, तकिया, बेड तथा सजावट के सामान के उपयोग के अधिकार के अन्तरण पर देय मूल्य संविर्धत कर के विकल्प में समाधान योजना लागू करने सम्बंधी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस योजना से राज्य सरकार को एक करोड़ रुपये के अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति सम्भावित है।

मन्त्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार इस समाधान योजना में व्यवसाइयों द्वारा टेन्ट, कनात, मेज, कुर्सी, कालीन, दरी, चादर, गद्दा रजाई, तकिया, बेड तथा सजावट के सामान सम्मलित है। इन सभी वस्तुओं को स्टाक में शामिल करते हुए समाधान शुल्क की गणना की जायेगी। द्वितीय वर्ष 2007-08 की 3 माह की अवधि (1 जनवरी से 31 मार्च 2008 तक), 2008-09 या 2009-10 में यदि किसी व्यवसायी द्वारा समाधान राशि से अधिक की धनराशि नक्शा/रुपपत्र-24 के साथ स्वीकृत कर के रुप में जमा की गई है तो ऐसी अधिक धनराशि वापसी योग्य नहीं होगी। जिन मामलों में उपयुZक्त अवधि का एक पक्षीय रुप से कर निर्धारण नहीं करते हुए सुनवाई के उपरान्त कर निर्धारण कार्यवाही सम्पादित की गई हो, उसमें समाधान योजना की सुविधा अनुमन्य नहीं होगी।

मूल्य संविर्धत कर अधिनियम के अधीन देय कर के विकल्प में समाधान योजना के तहत विकल्प देने वाले टेन्ट व्यवसाइयों द्वारा आयुक्त व्यापार कर द्वारा इस योजना को निर्गत किये जाने की तिथि से 45 दिन के अन्दर निर्धारित प्रारुप मे विकल्प, प्रार्थना-पत्र एवं शपथ-पत्र निर्धारित समाधान राशि के जमा के ट्रेजरी चालान के साथ अपने कर निर्धारण अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा। 45 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद अगले 30 दिन की अवधि में 15 प्रतिशत वाषिZक ब्याज सहित समाधान राशि एवं विकल्प प्रार्थना पत्र/शपथ पत्र स्वीकार किया जायेगा। समाधान योजना अपनाने वाले व्यवसाइयों द्वारा कोई टैक्स, इनवाईस, सेल इनवाईस जारी नहीं किया जायेगा तथा ऐसे व्यवसाइयों को किसी प्रकार की आईटीसी की सुविधा अनुमन्य नहीं होगी।

यह योजना केवल टेन्ट व्यवसाईयों द्वारा टेन्ट, कनात, मेज, कुर्सी, कालीन, दरी, चादर, गद्दा रजाई, तकिया, बेड तथा सजावट के सामान के उपयोग करने के अधिकार के अन्तरण पर देय मूल्य संविर्धत कर के विकल्प के लिए ही अनुमन्य होगी। यदि किसी टेन्ट व्यवसायी द्वारा इन वस्तुओं की खरीद अथवा बिक्री की जाती है अथवा अन्य वस्तुओं की खरीद या बिक्री की जाती है, तो ऐसी खरीद अथवा बिक्री पर नियमानुसार उ0प्र0 मूल्य संविर्धत कर अधिनियम के अन्तर्गत कर का दायित्व होगा।

समाधान योजना के प्रार्थना पत्र एवं शपथ पत्र का प्रारुप कमिश्नर वाणिज्य कर द्वारा निर्धारित किया जायेगा। समाधान योजना अपनाने वाले व्यापारियों द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए समाधान योजना प्रारम्भ की प्रथम तिथि को अपना स्टाक समाधान योजना के प्रार्थना पत्र के साथ घोषित किया जायेगा। समाधान योजना के प्रार्थना पत्र एवं शपथ पत्र में अंकित तथ्यों के सम्बंध में वाणिज्य कर विभाग के अधिकारी जांच करने के लिए स्वतन्त्र होगें। जांच के समय टेन्ट व्यवसाईयों एवं उनके किसी प्रतिनिधि अथवा किसी कर्मचारी द्वारा जांच कार्य में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न नहीं किया जायेगा एवं जांच में पूर्ण सहयोग दिया जायेगा। जांच में व्यवधान उत्पन्न करने अथवा असहयोग करने की दशा में प्रार्थना-पत्र एवं शपथ पत्र में अंकित तथ्यों की विश्वसनीयता सन्दिग्ध मानते हुए कर निर्धारण अधिकारी द्वारा प्रार्थना पत्र अस्वीकार किया जा सकता है तथा उ0प्र0 मूल्य संविर्धत कर अधिनियम के तहत अन्य विधिक कार्यवाही की जा सकती है।

जो व्यापारी समाधान योजना एक बार अपना लेगें, उन्हें इस बात की अनुमति नहीं होगी कि वह समाधान योजना का विकल्प वापस ले लें। जो व्यापारी एक से अधिक जनपदों में काम करते हैं, वह अपने मुख्यालय की घोषणा सम्बंधित मुख्यालय के कर निर्धारक अधिकारी को देंगे तथा अन्य जिलों के ऐसे वाणिज्य कर अधिकारियों जिनके क्षेत्र में उनका उप-व्यापार स्थल स्थित है, को भी सूचित करेगें। जिन व्यापारियों का मुख्यालय उ0प्र0 अथवा देश के बाहर हो तथा उनके द्वारा प्रदेश के अन्दर भी विभिन्न जिलों में कार्य किया जाता है, तो ऐसे व्यापारी प्रदेश के अन्दर किसी एक कार्यस्थल को अपना प्रदेशीय मुख्यालय घोषित करेंगे।

समाधान राशि, उस पर देय ब्याज तथा अर्थदण्ड की वसूली उ0प्र0 मूल्य संविर्धत कर अधिनियम 2008 के प्राविधानों के अन्तर्गत भू-राजस्व की बकाया के रुप में की जायेगी। विवादित बिन्दुओं पर कमिश्नर, वाणिज्य कर का निर्णय अन्तिम होगा। शासन द्वारा वर्ष के दौरान समाधान योजना कभी भी पुनरीक्षित की जा सकती है या वापस ली जा सकती है। ऐसी दशा में समानुपातिक रुप से समाधान राशि देय होगी।

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उ0प्र0 राज्य सीमेंट निगम लि0 के छंटनीशुदा कार्मिकों को मा0 उच्चतम न्यायालय के आदेशों/संवीक्षण के अनुक्रम में सुविधायें प्रदान करने का निर्णय

मन्त्रिपरिषद ने उ0प्र0 राज्य सीमेंट निगम लि0 (परिसमापनाधीन) के छंटनीशुदा कार्मिकों को मा0 उच्चतम न्यायालय के आदेशों/संवीक्षण के अनुक्रम में सुविधायें प्रदान करने का निर्णय लिया है।

मन्त्रिपरिषद के निर्णय के अनुसार मा0 उच्चतम न्यायालय के आदेश 31 जनवरी, 2008 से आच्छादित सभी याचीगण एवं कार्मिको को उ0प्र0 राज्य सीमेंट निगम से छंटनी की तिथि से ही राजकीय सेवा में समायोजित माना जायेगा। इन कार्मिको को छंटनी के दिनांक से एडेड इंक्रीमेंट तथा उक्त तिथि से एरियर भी अनुमन्य होगा।

अवमानना याचीगण एवं मा0 उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 31 जनवरी, 2008 से आच्छादित कार्मिकों को उनके द्वारा पूर्व में उ0प्र0 राज्य सीमेंट निगम में गई सेवा का लाभ पेंशनरी लाभों के प्रयोजनार्थ आंगणित नही की जायेगी।

सालिड वेस्ट मैनेजमेंट परियोजना के लिए कृषि विभाग की 19 हे. भूमि नगर विकास विभाग को नि:शुल्क हस्तान्तरित करने का निर्णय

मन्त्रिपरिषद ने सालिड वेस्ट मैनेजमेंट परियोजना के अन्तर्गत लैण्ड फिल साइट हेतु कृषि विभाग की भूमि नगर विकास विभाग को नि:शुल्क हस्तान्तरित करने का निर्णय लिया है।

मन्त्रिपरिषद द्वारा लिए गये निर्णय के अनुसार जनपद लखनऊ स्थित ग्राम सभा शिवरी में 44.929 हेक्टेयर भूमि सचिव, कृषि विभाग उ0प्र0 लखनऊ ऊसर सुधार के नाम दर्ज है, जिसमें से 19 हेक्टेयर भूमि को सालिड वेस्ट मैनेजमेंट परियोजना के क्रियान्वयन हेतु नगर विकास विभाग को नि:शुल्क प्रदान की जायेगी।

ज्ञातव्य है कि नगर विकास विभाग द्वारा सालिड वेस्ट मैनेजमेंट परियोजना के क्रियान्वयन हेतु प्रथम चरण (प्रथम 3 वषोंZ के लिए) के लिए आवश्यक 19 हेक्टेयर भूमि तत्काल उपलब्ध कराने का अनुरोध शासन से किया गया है।

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उ0प्र0 सहकारी ग्राम विकास बैंंक लि0 लखनऊ द्वारा ऋणपत्रों के निर्गमन हेतु शासन द्वारा नाबार्ड के पक्ष में 3400 करोड़ रुपये की शासकीय गारण्टी मंजूर

मन्त्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड लखनऊ द्वारा ऋणपत्रों के निर्गमन हेतु शासन द्वारा नाबार्ड के पक्ष में वर्ष 2010-11 के लिए 3400 करोड़ रुपये की शासकीय गारण्टी स्वीकृत करने सम्बंधी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

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मन्त्रिपरिषद द्वारा उ0प्र0 सहकारी समिति अधिनियम में संशोधन हेतु अध्यादेश जारी करने तथा यथासमय इसका प्रतिस्थानी विधेयक लाने हेतु अधिसूचना सम्बंधी प्रस्ताव अनुमोदित

मन्त्रिपरिषद ने उ0प्र0 सहकारी समिति अधिनियम 1965 की धारा 29क, 64, 31-क एवं धारा 104 में संशोधन किये जाने हेतु अध्यादेश जारी किये जाने तथा यथासमय इसका प्रतिस्थानी विधेयक लाये जाने हेतु अधिसूचना सम्बंधी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।

मन्त्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार इस अधिसूचना में उ0प्र0 सहकारी समिति अधिनियम 1965 की धारा 29(क), जिसमें प्रारिम्भक कृषि ऋण सहकारी समितियों, केन्द्रीय बैकों एवं शीर्ष बैक के प्रबन्ध कमेटी के शक्तियों तथा कर्तव्यों का प्राविधान है, में उपखण्ड-सोलह-क जोड़ते हुए प्रबन्ध कमेटी द्वारा आन्तरिक नियन्त्रण व्यवस्था निर्धारित करने, अंकेक्षकों को नियुक्त करने तथा अंकेक्षण की प्रतिपूर्ति करने का प्राविधान होगा। इसी प्रकार उक्त अधिनियम की धारा 31-क में खण्ड ग्यारह को संशोधित करते हुए यह प्राविधान होगा कि प्रबन्ध निदेशक, प्रबन्ध समिति द्वारा बनाये गये विनियमों के अधीन रहते हुए, निर्माण कार्य के दौरान 10 लाख रुपये तक की प्रत्येक और उसके पश्चात 5 लाख रुपये तक की प्रत्येक संविदा को स्वीकृत करेगें।

उक्त अधिनियम के धारा-64 में उप धारा (1) में उपलब्ध प्रतिबन्धात्मक खण्ड को संशोधित करते हुए यह प्राविधान किया जायेगा कि सहकारी बैंको के खातो की लेखा परीक्षा राष्ट्रीय बैंक द्वारा अनुमोदित पैनल के चार्टर्ड एकाउटेंट द्वारा की जायेगी। इसी अधिनियम की धारा-104 में संशोधन करते हुए धारा-8 की उपधारा-2 या धारा 106 के उपबन्धों का उल्लंघन करने पर अर्थदण्ड की राशि को बढ़ाये जाने का प्राविधान होगा।

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औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा निष्पादित होने वाले एग्रीमेंट विलेखों पर स्टाम्प शुल्क छूट अनुमन्य करने का निर्णय

मन्त्रिपरिषद ने औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा निष्पादित होने वाले एग्रीमेंट विलेखों पर स्टाम्प शुल्क छूट अनुमन्य करने का निर्णय लिया है।

मन्त्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार औद्योगिक विकास प्राधिकरणों द्वारा निष्पादित ऐसे इकरारनामे, जिनके अनुसार द्वितीय पक्ष को देय भूमि का कब्जा नहीं मिल पाया है और कब्जा दिया जाना सम्भव नहीं है, जिसमें द्वितीय पक्ष की कोई त्रुटि भी नहीं है तथा द्वितीय पक्ष इकरारनामे के आधार पर भूमि पर अपने अधिकार का दावा प्राधिकरण के पक्ष में छोड देता है, तो ऐसे विलेखों के सम्बंध में भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा-9 के अन्तर्गत स्टाम्प शुल्क अथवा परिणामी दण्ड तथा ब्याज से छूट प्रदान की जायेगी। ऐसे किसी विलेख पर सन्दत्त स्टाम्प शुल्क वापस नहीं किया जायेगा।

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बरगढ़ में 660 मेगावाट की तीन परियोजनाओं हेतु समझौता ज्ञापन करने का निर्णय

राज्य सरकार ने ऊर्जा नीति-2009 के प्राविधानों के अन्तर्गत एम0ओ0यू0 रूट के माध्यम से बरगढ़ में 660 मेगावाट की तीन परियोजनाओं हेतु समझौता ज्ञापन करने का निर्णय लिया है। इस आशय के प्रस्ताव को उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती जी की अध्यक्षता में आज सम्पन्न हुई मन्त्रिपरिषद की बैठक में अनुमोदित किया गया।

मन्त्रिपरिषद के निर्णय के अनुसार ऊर्जा नीति के प्राविधानों के अनुसार बरगढ़ तापीय परियोजना से शत-प्रतिशत विक्रय योग्य ऊर्जा नियामक आयोग द्वारा निर्धारित की जाने वाली दरों को क्रय करने के प्राविधान के साथ मेसर्स बजाज हिन्दुस्तान लिमिटेड के कन्सोर्टियम से समझौता ज्ञापन इस प्रतिबन्ध के साथ किया जायेगा कि वे पानी की सीमित उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए परियोजना में एयर कूलिंग सिस्टम का प्रयोग करेंगे।

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ईंंट भट्‌ठा सीजन वर्ष 2010-2011 में एक मुश्त धनराशि लिये जाने संबंधी समाधान योजना कतिपय शर्तो के साथ लागू करने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने ईंट भट्‌ठा सीजन वर्ष 2010-2011 में दिनांक 1 अक्टूबर 2010 से 30 सितम्बर, 2011 तक की अवधि हेतु उ0प्र0 मूल्य संवर्धित कर अधिनियम 2008 के अन्तर्गत ईंट निर्माता व्यापारियों द्वारा निर्मित ईंटो, ईंट भट्‌ठों में निर्मित टाइल्स, ईंट के रोड़ों तथा राबिस की बिक्री पर और ईंटो के निर्माण में प्रयुक्त कोयला, बालू तथा लकड़ी के बुरादे की खरीद पर इस अधिनियम के अधीन देय कर तथा उ0प्र0 स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर अधिनियम 2007 के अधीन कोयले पर देय प्रवेश कर के विकल्प में एक मुश्त धनराशि लिये जाने संबंधी समाधान योजना कतिपय शर्तो के साथ लागू करने का निर्णय लिया है।

मंत्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार सीजन वर्ष 2010-11 1 अक्टूबर 2010 से 30 सितम्बर, 2011 तक की अवधि के लिए समाधान राशि सीजन वर्ष 2009-2010 की अवधि में लिये गये विभिन्न पायों के भट्‌ठो के लिए निर्धारित समाधान राशि के बराबर निर्धारित की जायेगी। कतिपय ईंट भट्‌ठो में फुंकाई शीघ्र पूरी करने के उद्देश्य से हाई डाट तकनीक वाले भट्‌ठों के लिए समाधान राशि नॅान हाई डाट भट्‌ठो के लिए निर्धारित समाधान राशि से 10 प्रतिशत अधिक होगी। कोयले की खरीद पर देय प्रवेश कर के विकल्प के रुप में समाधान राशि निर्धारित समाधान राशि का 10 प्रतिशत अतिरिक्त देय होगी तथा कोयले पर प्रवेश कर के विकल्प के रुप में समाधान योजना अपनाने के लिए तदनुसार समाधान राशि जमा करनी होगी।

सीजन वर्ष 2010-11 के प्रारम्भ अर्थात दिनांक दिनांक 1 अक्टूबर 2010 से पूर्व स्थापित एवं विभाग में पंजीकृत ईंट भट्‌ठों की ओर से कम से कम 320 करोड़ रुपये की धनराशि जमा की जायेगी। समाधान योजना के कमिश्नर वाणिज्य कर उ0प्र0 द्वारा परिपत्रित करने के 20 दिन के अन्दर ईंट भट्‌ठा व्यवसाइयों द्वारा समाधान योजना हेतु विकल्प का प्रार्थना पत्र निर्धारित समाधान धनराशि के जमा प्रमाण-पत्र के साथ संबंधित कर निर्धारण अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा।

समाधान योजना अपनाने वाले ईंट भट्‌ठा व्यापारियों को आई0टी0सी0 का लाभ अनुमन्य नहीं होगा। व्यापारियों द्वारा समाधान की अवधि में न तो कोई कर वसूल किया जायेगा और न ही कोई इनवाईस जारी की जायेगी। आई0टी0सी अनुमन्य नहीं होने के कारण यदि कोई मांग सृजित होती है, तो उसे माफ करने का अधिकार संबंधित कर निर्धारण अधिकारी को होगा। व्यापारी जिस भट्‌ठे के लिए समाधान योजना का विकल्प चुनता है, समाधान योजना केवल उसी भट्‌ठे के लिए लागू मांगी जायेगी। व्यापारी यदि उससे भिन्न किसी भट्‌ठे से भी निर्मित किसी माल की बिक्री करते हैं या अन्य प्रकार के क्रय-विक्रय के कार्य करते है तो अन्य भट्‌ठे पर निर्मित माल अथवा अन्य प्रकार के क्रय-विक्रय पर देय कर इस समाधान योजना से आच्छादित नहीं होगा।

यदि किसी ईंंट निर्माता द्वारा गत सीजन वर्षों में समाधान योजना अपनायी गयी थी, परन्तु समाधान राशि की सभी किश्तें जमा नहीं की गयी है, तो उक्त बकाया समाधान राशि ब्याज सहित जमा करने के प्रमाण पत्र के साथ ही इस सीजन वर्ष के लिए दिये गये समाधान प्रार्थना पत्र को समाधान राशि के साथ जमा करने पर स्वीकार किया जायेगा, अन्यथा समाधान योजना का लाभ अनुमन्य नहीं होगा। केवल पंजीकृत व्यापारी तथा ऐसे व्यापारी, जिन्होंने पंजीयन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर दिया और वह अस्वीकृत नहीं हुआ है, इस योजना के पात्र होंगे। योजना में भाग लेने वाले व्यापारियों द्वारा निर्मित माल की बिक्री पर उ0प्र0 मूल्य संवर्धित कर अधिनियम 2008 के अन्य किसी प्राविधान की कोई भी अन्य रियायत अनुमन्य नहीं होगी। सीजन वर्ष के दौरान नये खुदे हुये ईंट भट्‌ठे में फुंकाई आरम्भ होने की तिथि से 30 दिन के अन्दर समाधान योजना हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जायेगा।

यदि सीजन वर्ष के दौरान 31 मार्च तक फुंकाई आरम्भ कर दी जाती है, तो पूरे सीजन वर्ष के लिए नियत समाधान राशि देय होगी। यदि नये खुदे भट्‌ठे में फुंकाई 31 मार्च के बाद की जाती है तो समाधान राशि पूरे सीजन वर्ष के लिए नियत समाधान राशि के 75 प्रतिशत के बराबर देय होगी। यदि ईंट भट्‌ठा सीजन वर्ष 2010-11 के पूर्व स्थापित एवं विभाग में पंजीकृत भट्‌ठों से 320 करोड़ रुपये से कम धनराशि के लिए समाधान के विकल्प प्रार्थना पत्र प्राप्त होते हैं तो, समाधान योजना अपनाने वाले ऐसे भट्‌ठों द्वारा अवशेष राशि के समानुपातिक रुप से इसकी क्षतिपूर्ति की जायेगी। आयुक्त वाणिज्य कर द्वारा आगामी किश्तों का निर्धारण फरवरी, 2011 के बाद अनुपातिक रुप से किया जायेगा अथवा समाधान योजना अस्वीकार करनें पर भी शासन विचार कर सकता है।

यदि सीजन वर्ष के पूर्व स्थापित एवं पंजीकृत ईंट भट्‌ठों से 31 मई 2011 तक 320 करोड़ रुपये से अधिक समाधान राशि सीजन वर्ष 2010-11 के लिए प्राप्त होती है, तो अधिक प्राप्त धनराशि का 50 प्रतिशत समानुपातिक रुप से समाधान योजना स्वीकार करनें वाले ईंट निर्माताओं को अगले वर्ष देय होने वाले समाधान धनराशि में अन्तिम किश्त में समायोजित की जायेगी। जिन भट्‌ठों के बारे में अगले सीजन वर्ष में समाधान योजना नही अपनाई जायेगी, उन्हें यह समायोजन अनुमन्य नहीं होगा।

सीजन वर्ष 2009-10 के पूर्व स्थापित एवं विभाग में पंजीकृत ईंट भट्‌ठों द्वारा सीजन वर्ष 2009-10 के लिए 31 दिसम्बर, 2010 तक जमा समाधान राशि 252 करोड़ रुपये से जितनी अधिक होगी, उसका 50 प्रतिशत धनराशि समानुपातिक रुप से सीजन वर्ष 2010-11 की समाधान योजना की अन्तिम किश्त में समायोजित की जायेगी। यदि ऐसे व्यापारी द्वारा ऐसे ईंट भट्‌ठे के लिए सीजन वर्ष 2010-11 में समाधान योजना स्वीकार की गयी है।

प्रार्थना पत्र तथा शपथ पत्र आदि में अंकित तथ्यों के संबंध मेंं वाणिज्य कर विभाग के अधिकारी ईंट भट्‌ठों आदि की जांच करने के लिए स्वतंत्र होंगे। ऐसी जांच के समय ईंट निर्माता, व्यापारी अथवा उनके कोई कर्मचारी या प्रतिनिधि जांच कार्य में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न नहीं करेंगे और जांच में पूरा सहयोग देंगे। व्यवधान उत्पन्न होने अथवा असहयोग करने की स्थित में प्रार्थना पत्र तथा शपथ पत्र में अंकित तथ्यों के बारे में विपरीत निष्कर्ष निकाला जायेगा। साथ ही यदि कर निर्धारण अधिकारी द्वारा ऐसा उचित समझा जाय, जो प्रार्थना पत्र अस्वीकार किया जा सकता है तथा उ0प्र0 मूल्य संवर्धित कर अधिनियम के अन्तर्गत अन्य विधिक कार्यवाही भी की जा सकती है। समाधान प्रार्थना पत्र, शपथ पत्र/अनुबन्ध पत्र का प्रारुप कमिश्नर, वाणिज्य कर द्वारा निर्धारित किया जायेगा। विवादित बिन्दु पर कमिश्नर, वाणिज्य कर, उ0प्र0 का निर्णय अन्तिम होगा।

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खादी वस्त्रों पर 10 प्रतिशत की विशेष छूट

उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में वर्ष 2010-11 में गांधी जयंती के अवसर पर खादी वस्त्रों की फुटकर बीि पर 10 प्रतिशत की विशेष छूट प्रदान करने का निर्णय लिया गया।

मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार सूती, रेशमी व पॉली खादी वस्त्रों की बीि पर 03 अक्टूबर, 2010 से 60 कार्य दिवसों के लिए छूट अनुमन्य रहेगी। नी कम्बल, कम्बली सहित की बीि पर भी 01 नवम्बर 2010 से 60 कार्य दिवसों के लिए विशेष छूट अनुमन्य होगी।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में खादी की कुल 617 मान्यता प्राप्त संस्थाएं खादी के उत्पादन एवं बीि में लगी हुई हैं। वित्तीय वर्ष 2009-10 में इन्हीं संस्थाओं द्वारा 198 करोड़ रूपये का उत्पादन एवं 223 करोड़ रूपये की बीि की गयी, जिससे लगभग 8-93 लाख कत्तिन/बुनकर एवं अन्य व्यक्तियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हुए।

खादी उत्पादन व विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष राज्य सरकार द्वारा गांधी जयंती के अवसर पर निर्धारित अवधि में की जाने वाली खादी वस्त्रों की फुटकर बीि पर 10 प्रतिशत की विशेष छूट प्रदान की जाती रही है। वर्ष 2009-10 में भी राज्य सरकार द्वारा गांधी जयंती के अवसर पर सूती, रेशमी, पाली खादी एवं नी खादी कम्बल, कम्बली पर 10 प्रतिशत की विशेष छूट प्रदान की गयी है।
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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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माननीया मुख्यमंत्री जी ने मल्टीप्लेक्स छविगृहों के खोलने के उद्देय से प्रस्तावित प्रोत्साहन योजना र्वा-2010 को मंजूरी प्रदान की

Posted on 30 December 2010 by admin

प्रोत्साहन योजना में नगर निगम क्षेत्रों एव ंनोएडा, ग्रेटर नोएडा की तुलना में स्थानीय क्षेत्रों में निर्मित होने वाले मल्टीप्लेक्सों हेतु अधिक अनुदान देने का निर्णय

मुख्यमंत्री सुश्री मायावती की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न मंत्रिपरािद की बैठक में मल्टीप्लेक्स छविगृहों के खोलने के उद्देय से प्रस्तावित प्रोत्साहन योजना र्वा 2010 को मंजूरी प्रदान कर दी है। यह प्रोत्साहन योजना ाासनादो जारी होने के तिथि से तथा दिनांक 31 मार्च, 2015 तक प्रभावी रहेगी। प्रदो में मल्टीप्लेक्स निर्माण की प्रस्तावित योजना से अनुदान की अवधि समाप्त होने के बाद प्रतिर्वा लगभग 10 से 20 करोड़ रूपये तक अतिरिक्त आय होगी। राज्य सरकार ने प्रोत्साहन योजना में नगर निगम क्षेत्रों एव ंनोएडा, ग्रेटर नोएडा में निर्मित होने वाले मल्टीप्लेक्सों हेतु अनुदान की तुलना में स्थानीय क्षेत्रों में निर्मित होने वाले मल्टीप्लेक्सों हेतु अधिक अनुदान देने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार के इस निर्णय से नगर निगम क्षेत्रों एव ंनोएडा/ग्रेटर नोएडा से भिन्न क्षेत्रों में भी मल्टीप्लेक्सों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।

मंत्रिपरािद द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार नगर निगम क्षेत्रों एव ंनोएडा/ग्रेटर नोएडा में निर्मित होने वाले मल्टीप्लेक्स हेतु प्रथम र्वा मल्टीप्लेक्स के सभी छविगृहों से संग्रहित मनोरंजन कर का 100 प्रताित अनुदान, द्वितीय एवं तृतीय र्वा मल्टीप्लेक्स के सभी छविगृहों से संग्रहित मनोरंजन कर का 75 प्रताित अनुदान, चतुर्थ एवं पंचम र्वा मल्टीप्लेक्स के सभी छविगृहों से संग्रहित मनोरंजन कर का 50 प्रताित अनुदान देेने तथा छठे र्वा एवं आगे पूर्ण कर देयता का प्राविधान किया है। इसी प्रकार नगर निगम एव ंनोएडा/ग्रेटर नोएडा से भिन्न स्थानीय क्षेत्रों में निर्मित होने वाले मल्टीप्लेक्स हेतु प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय र्वा मल्टीप्लेक्स के सभी छविगृहों से संग्रहित मनोरंजन कर का 100 प्रताित अनुदान जबकि चौथे एवं पांचवे र्वा मल्टीप्लेक्स के सभी छविगृहों से संग्रहित मनोरंजन कर का 75 प्रताित अनुदान देने तथा छठे एवं आगे के र्वााें में पूर्ण कर देयता का प्राविधान किया है।

इस योजना का लाभ ाासनादो जारी होने की तिथि से तथा 31 मार्च, 2015 तक की अवधि में निर्मित ऐसे सभी मल्टीप्लेक्स को अनुमन्य होगा, जिन्होंने उ0प्र0 चलचित्र नियमावली 1951 में प्रावधानिक नियमों के अन्तर्गत लाइसेंस प्राधिकारी द्वारा निर्माण की पूर्वानुमति प्राप्त कर मल्टीप्लेक्स का निर्माण पूर्ण कर लिया हो तथा दिनांक 31 मार्च, 2015 तक सिनेमा प्रर्दान हेतु लाइसेंस प्राप्त कर लिया हो। अनुदान प्राप्त करने के लिए मल्टीप्लेक्स स्वामी द्वारा लाइसेंस प्राप्त करने हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत करने के साथ-साथ मल्टीप्लेक्स छविगृह की लागत का पूरा वास्तविक ब्यौरा प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। इसमें भूमि की कीमत, व्यवसायिक प्रयोजन से किए गए निर्माण आदि को सम्मिलित नहीं किया जायेगा। किन्तु छविगृहों हेतु उपकरण साज-सज्जा आदि की लागत सम्मिलित की जायेगी। उक्त से संबंधित समस्त अभिलेखों के साथ संलग्न प्रारूप पर मल्टीप्लेक्स छविगृह स्वामी द्वारा प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत अनुदान का लाभ लेने हेतु जिला मजिस्टेट को प्रार्थना-पत्र देना होगा। जिला मजिस्टेट को दिए गए प्रार्थना-पत्र पर तीन माह के अन्दर निर्णय नहीं होने पर आवेदक ाासन के समक्ष प्रत्यावेदन प्रस्तुत कर सकता है। जिलाधिकारी को लाइसेंस देने से पूर्व यह सुनिचित करना होगा कि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित माप-दण्डों का पालन किया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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मौसम आधारित फसल बीमा योजना प्रदेश के तीन जनपदों में रबी 2010-11 से लागू

Posted on 30 December 2010 by admin

योजना पर 300 लाख रूपये व्यय होने का अनुमान

उत्तर प्रदेश सरकार ने मौसम आधारित फसल बीमा योजना को पाइलेट के आधार पर रबी 2010-11 में बागपत, औरैया एवं जौनपुर जनपदों में लागू करने का निर्णय लिया है। यह योजना वर्तमान रबी के साथ-साथ आगामी वर्षों के खरीफ और रबी मौसम में भी लागू की जायेगी। इस योजना पर लगभग 300 लाख रूपये का व्यय सम्भावित है।

उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी की अध्यक्षता में आज सम्पन्न हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई।

योजना के अन्तर्गत चयनित जनपदों में से ऐसी फसलें, जिनका विकासखण्ड स्तर पर पर्याप्त क्षेत्रफल उपलब्ध हो, को कवर किया जायेगा। रबी 2010-11 में चयनित जनपदों में गेहूं, चना, मटर एवं लाही-सरसों के फसल को अधिसूचित किया जायेगा। योजना के तहत ऋणी कृषक योजना में अनिवार्य रूप से तथा गैरऋणी कृषक स्वैच्छिक आधार पर सम्मिलित किए जायेंगे। गैरऋणी कृषकों को राष्टीय कृषि बीमा योजना अथवा मौसम आधारित फसल योजना में से किसी एक योजना में अपनी इच्छा अनुसार सम्मिलित होने का विकल्प भी होगा।

इस योजना का यािन्वयन एग्रीकल्चर इंश्योरेन्स कम्पनी ऑफ इण्डिया लिमिटेड एवं निजी बीमा कम्पनी आई0सी0आई0सी0आई0 लोमबार्ड, जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी ऑफ इण्डिया लिमिटेड व इफ्‌को टोकियो जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड के माध्यम से कराया जायेगा। रबी 2010-11 में जनपद बागपत हेतु इफ्‌को टोकियो जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड एवं जनपद औरैया हेतु एग्रीकल्चर इंश्योरेन्स कम्पनी ऑफ इण्डिया लिमिटेड एवं जनपद जौनपुर हेतु आई0सी0आई0सी0आई0 लोमबार्ड जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी ऑफ इण्डिया लिमिटेड को ऋणी एवं गैरऋणी समस्त किसानों को बीमा कवरेज प्रदान करने हेतु अधिकृत किया जायेगा।

बीमा कम्पनियों द्वारा प्रीमियम की वार्षिक दर आंकलित की जायेगी, परन्तु कृषक द्वारा वही प्रीमियम देय होगी, जो राष्टीय कृषि बीमा योजना के अन्तर्गत देय है। वास्तविक प्रीमियम दर से कृषक द्वारा दिए गए प्रीमियम को घटाते हुए शेष प्रीमियम की धनराशि को केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा बराबर-बराबर वहन किया जायेगा। कृषक, केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा उनके द्वारा देय प्रीमियम के अंश पर भारत सरकार द्वारा निर्धारित सर्विस टैक्स अलग से वहन किया जायेगा। कृषकोंं को देय समस्त क्षतिपूर्ति बीमा कम्पनी द्वारा वहन करते हुए निर्धारित समय के अन्दर बीमा धारक कृषक को की जायेगी। इस योजना में कृषकों की फसलों के उत्पादन लागत के बराबर की धनराशि का बीमा किया जायेगा।

योजना के तहत क्षतिपूर्ति के आंकलन हेतु प्रत्येक विकास खण्ड स्तर पर बीमा कम्पनी द्वारा मौसम केन्द्र स्थापित किए जायेंगे। इन मौसम केन्द्रों में फसल उपज के प्रत्येक महत्वपूर्ण चरण में कम व अधिक तापमान, बेमौसम अथवा अधिक वर्षा तथा आर्द्रता के आंकड़ों के आधार पर बीमा कम्पनी द्वारा तैयार की गयी फसलवार टर्मशीट पर दिए गए प्राविधान के अनुसार क्षति का आंकलन किया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि कृषि उत्पादन आयुक्त उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय समन्वय समिति द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार भारत सरकार के दिशा-निर्देशानुसार मौसम आधारित फसल बीमा योजना को पाइलेट के आधार पर लागू करने का निर्णय लिया गया है।

कम व अधिक तापमान, बेमौसम/अधिक वर्षा तथा आर्द्रता से फसल नष्ट होने की सम्भावना के आधार पर किसानों को बीमा कवर प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा रबी 2010-11 में उत्तर प्रदेश सहित देश में 20 राज्यों में राष्टीय कृषि बीमा योजना के स्थान पर पाइलेट आधार पर मौसम आधारित फसल बीमा योजना चलाये जाने के विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

प्राकृतिक आपदाओं, रोगों से फसल नष्ट होने की स्थिति में, बीमा कवर के रूप में किसानों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से राष्टीय कृषि बीमा योजना को प्रदेश में खरीफ 2000 से यािन्वित किया जा रहा है। भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप खरीफ 2010 में प्रदेश के जनपद बागपत, औरैया एवं जौनपुर में कम व अधिक वर्षा से फसल नष्ट होने की सम्भावनाओं के आधार पर किसानों को बीमा कवर के रूप में क्षतिपूर्ति प्रदान किए जाने के उद्देश्य से पाइलेट आधार पर मौसम आधारित फसल बीमा योजना को लागू किया गया था।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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गारन्टी ाुल्क को माफ करने का निर्णय लिया गया

Posted on 30 December 2010 by admin

मुख्यमंत्री सुश्री मायावती की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न मंत्रिपरािद की बैठक में वर्तमान पेराई सत्र 2010-11 के लिए उ0प्र0 सहकारी चीनी मिल्स संघ लि0 सहित 23 चीनी मिलों हेतु 1414-17 करोड़ रूपये की नगद साख-सीमा कौ ेडिट लिमिट के विरूद्ध ाासकीय गारन्टी प्रदान करने तथा उक्त ाासकीय गारन्टी पर देय गारन्टी ाुल्क को माफ करने का निर्णय लिया गया है।

उल्लेखनीय है कि ऋणात्मक नेटवर्थ वाली चीनी मिलों द्वारा बैंको/वित्तीय संस्थाओं से ली जाने वाली कौ ेडिट लिमिट के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक/नाबार्ड द्वारा जारी दााि निर्देााें के अन्तर्गत ाासकीय गारन्टी दिया जाना आवयक है।

गौरतलब है कि विगत र्वा में ाासन द्वारा उ0प्र0 सहकारी चीनी मिल्स संघ की चीनी मिलों हेतु गत र्वााें भी ाासकीय गारन्टी दी जाती रही है। बैंको द्वारा चीनी बंधक रखने के उपरान्त ही ऋण दिया जाता है। इस कारण अभी तक कोई भी डिफाल्ट नहीं हुआ है और न ही ाासकीय गारन्टी कभी इन्वोक हुई है। वर्तमान पेराई सत्र में उ0प्र0 सहकारी चीनी मिल संघ एवं उसके द्वारा संचालित 22 चीनी मिलों अर्थात्‌ कुल 23 इकाईयों में पेराई कार्य के संचालन हेतु कार्याील पूॅजी की आवयकता है। मिलों द्वारा पेराई के पचात्‌ उत्पादित चीनी की बीि, भारत सरकार द्वारा जारी ी-सेल लेवी कोटा के मासिक रिलीज आदेााें के अन्तर्गत लगभग 12 से 15 माह की अवधि में हो पाती है। इसलिए गन्ना कृृाकों को उनके द्वारा आपूर्ति किये गए गन्ने के मूल्य के भुगतान एवं अन्य संचालन व्ययों के लिए मिलों को उनके द्वारा उत्पादित चीनी को बंधक रखकर बैंको द्वारा कौ ेडिट लिमिट के अन्तर्गत धनराा उपलब्ध करायी जाती है। जैसे-जैसे चीनी की बीि होती है, साख-सीमा के विरूद्ध आहरित धनराा की ब्याज सहित प्रतिपूर्ति होती जाती है। राज्य सरकार के इस निर्णय से इन चीनी मिलों को किसानों के भुगतान एवं अन्य कार्यों हेतु धन की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद व लखनऊ खण्डपीठ में एमीकश क्यूरी की फीस में वृद्धि का निर्णय

Posted on 30 December 2010 by admin

माननीया मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती जी की अध्यक्षता में सम्पन्न मन्त्रिपरिशद की बैठक में मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद व लखनऊ खण्डपीठ में एमीकश क्यूरी की फीस में वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। बैठक में एमीकश क्यूरी के डिवीजन एवं एकल बेंच में उपस्थित होेने पर अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता के बराबर 03 हजार रूपये प्रतिदिन फीस देने का निर्णय लिया गया है।

ज्ञातव्य है कि 26 अप्रैल, 1999 को जारी शासनादेश द्वारा मा0 उच्च न्यायालय के विधि अधिकारियों की फीस का निर्धारण किया गया है, जिसमें एमीकश क्यूरी की भी फीस निर्धारित की गई थी। वर्तमान में 26 अप्रैल, 2010 को जारी शासनादेश द्वारा मा0 उच्च न्यायालय के विधि अधिकारियों के फीस एवं भत्तों में वृद्धि की गई थी, किन्तु एमीकश क्यूरी की फीस में वृद्धि नहीं की गई थी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना पाइलेट आधार पर रबी 2010-11 से बुलन्दशहर, ललितपुर, उन्नाव व वाराणसी में लागू

Posted on 30 December 2010 by admin

राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के लिए लगभग 600 लाख रूपये का प्राविधान
प्रदेश के लाखों किसान लाभािन्वत होंगे

राज्य सरकार ने संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना को प्रदेश में पाइलेट के आधार पर रबी 2010-11 में बुलन्दशहर, ललितपुर, उन्नाव व वाराणसी में चलाये जाने का निर्णय लिया है। इस पर लगभग 600 लाख रूपये का व्यय अनुमानित है, जो राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के अन्तर्गत आय-व्ययक 2010-11 में प्राविधानित धनराशि से वहन किया जायेगा। इस आशय के प्रस्ताव को आज यहां उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई मन्त्रिपरिषद की बैठक में अनुमोदित कर दिया।

कृृषि उत्पादन आयुक्त, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में राज्य स्तर पर गठित राज्य स्तरीय समन्वय समिति द्वारा लिए गए निर्णय के अनुरूप संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना को भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार पाइलेट आधार पर लागू किया जायेगा।

संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना व्यापक आपदा की स्थिति में क्षेत्रीय स्तर पर तथा स्थानिक आपदा यथा ओला व भूस्ख्लन की स्थिति में व्यक्तिगत आधार पर लागू की जायेगी। इस योजना में सम्मिलित फसलों को ग्राम पंचायत स्तर पर अधिसूचित किया जायेगा। रबी 2010-11 में योजना के तहत जनपद बुलन्दशहर में गेहूं एवं आलू, जनपद उन्नाव में गेहूं, लाही-सरसों व आलू, जनपद ललितपुर में गेहूं, चना व मटर तथा जनपद वाराणसी में गेहूं फसल को अधिसूचित किया जायेगा। यह योजना चयनित जनपदों में सभी किसानों के लिए लागू की जायेगी। ऋणी कृषकों के लिए यह योजना अनिवार्य रूप से एवं गैर-ऋणी कृषकों के लिए स्वैच्छिक आधार पर लागू की जायेगी।

योजना में ऋणी कृषक सम्बन्धित बैंकों एवं अन्य सभी कृषक बैंकों/बीमा कम्पनी के बीमा मध्यस्थ अथवा एजेण्ट/कृषक द्वारा सीधे बीमा कम्पनी के माध्यम से सम्मिलित हो सकेगें। ऋणी एवं गैर ऋणी कृषकों के बीमा कराने की तिथि समान रखी गई है। खरीफ मौसम में 30 जून एवं रबी मौसम में 31 दिसम्बर तक फसल का बीमा कराया जा सकता है। प्रदेश स्तर पर गठित राज्य स्तरीय समन्वय समिति द्वारा बीमा कराने की तिथि, बैंक द्वारा घोषणा पत्र तथा प्रीमियम की समेकित धनराशि को बीमा कम्पनी को उपलब्ध कराने आदि की तिथि प्रदेश की मौसमीय परिस्थिति के आधार पर निर्धारित की जायेगी।

योजना के अन्तर्गत फसल बीमा के लिए प्रस्तावित प्रीमियम की धनराशि देय होगी। कृषकों द्वारा योजना के प्राविधानों के अनुसार निर्धारित प्रीमियम की धनराशि का भुगतान किया जायेगा। वास्तविक प्रीमियम की धनराशि में से कृषक द्वारा भुगतान की गई धनराशि को घटाने के उपरान्त अवशेष प्रीमियम की धनराशि को राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा अनुदान के रूप में बराबर-बराबर वहन किया जायेगा। योजना का क्रियान्वयन एग्रीकल्चर इंश्योरेन्स कम्पनी ऑफ इण्डिया लिमिटेड द्वारा कराया जायेगा। योजना के अन्तर्गत फसल के लिए खेत की तैयारी, फसल की बुआई से लेकर फसल की कटाई तक की अवधि का बीमा कवर प्रदान किया जायेगा।

योजना के तहत प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों में यदि बीमा इकाई क्षेत्र स्तर पर फसल विशेष की सम्भावित उपज सामान्य उपज के 50 प्रतिशत से कम होने की स्थिति में बीमित कृषकों को सम्भावित क्षतिपूर्ति के अधिकतम 25 प्रतिशत तक क्षतिपूर्ति के रूप में अिग्रम भुगतान किया जायेगा, जिसे मौसम के अन्त में फसल पर कराये गये क्राप-कटिंग प्रयोगों के आधार पर आकलित क्षतिपूर्ति की धनराशि से समायोजित किया जायेगा।

कम या अधिक वषाZ या अन्य प्रतिकूल मौसमीय परिस्थितियों के कारण यदि बीमा इकाई क्षेत्र के 75 प्रतिशत कृषक अधिसूचित फसल की बुआई नहीं कर पाते हैं या असफल बुआई करते हैं, ऐसी स्थिति में बीमा कम्पनी द्वारा बीमित राशि के अधिकतम 25 प्रतिशत की धनराशि क्षतिपूर्ति के रूप में किसानों को दी जायेगी। बुआई न कर सकने अथवा असफल बुआई की स्थिति में क्षतिपूर्ति देय होने पर किसानों को आगे कोई क्षतिपूर्ति देय नहीं होगी एवं उसका बीमा कवरेज स्वत: समाप्त माना जायेगा।

स्थानीय आपदाओं या ओला एवं भूस्ख्लन की स्थिति में क्षति का अंाकलन बीमा कम्पनी द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर किया जायेगा। क्षति के निर्धारण में आपदा की स्थिति तक उत्पादन लागत एवं उपज में सम्भावित कमी के आधार पर आंकलन किया जायेगा। मौसम के अन्त में क्राप-कटिंग प्रयोगों से प्राप्त उपज के आधार पर ग्राम पंचायत में फसल विशेष की वास्तविक उपज निर्धारित थ्रेशोल्ड उपज से कम होने पर सम्बन्धित किसानों को मात्र क्षतिपूर्ति के अन्तर की धनराशि का भुगतान किया जायेगा।

बीमा इकाई क्षेत्र में अधिसूचित फसल बुआई के उपरान्त प्रारिम्भक अवस्था से मध्य अवस्था तक पूर्णतया अथवा लगभग पूर्ण रूप से नष्ट होने की स्थिति में उस बीमा इकाई क्षेत्र के बीमित कृषकों को देय क्षतिपूर्ति का प्राथमिकता पर भुगतान बीमा कम्पनी द्वारा जारी कर दिया जायेगा। बीमा कम्पनी द्वारा देय क्षतिपूर्ति का आंकलन आपदा की स्थिति तक उत्पादन लागत में किए गए व्यय के आधार पर प्रदेश सरकार की सहमति से जारी स्लैब के आधार पर किया जायेगा। मौसम विशेष में सम्बन्धित जनपद के जिलाधिकारी द्वारा प्रभावित बीमा इकाई क्षेत्र को चििन्हत किया जायेगा, जिसमें बीमित फसल पूर्ण रूप से अथवा लगभग पूर्ण रूप से नष्ट हो गई है।

उल्लेखनीय है कि प्राकृतिक आपदाओं, रोगों एवं कीड़ों से फसल की बुआई न कर सकने, असफल बुआई एवं फसल नष्ट होने की स्थिति में कृषकों को बीमा कवर के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करने एवं आपदा वषाZें में कृषि आय को स्थिर रखने के लिए भारत सरकार द्वारा रबी 2010-11 में देश के कुल 50 जनपदों में संशोधित राष्ट्रीय कृृषि बीमा योजना को पाइलेट आधार पर लागू किए जाने का निर्णय लिया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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मुख्यमन्त्री ने नि:शुल्क बोरिंग योजना में अनुसूचित जाति के किसानों को बोरिंग अनुदान की धनराशि को 06 हजार रूपये से बढ़ाकर 10 हजार रूपये किया

Posted on 30 December 2010 by admin

राज्य सरकार ने समाज कल्याण विभाग द्वारा भारत सरकार से प्राप्त शत-प्रतिशत विशेष केन्द्रीय सहायता से अनुसूचित जाति के लघु एवं सीमान्त कृषकों हेतु संचालित नि:शुल्क बोरिंग योजना में निर्धारित बोरिंग लागत 6,000 रूपये से बढ़ाकर 10,000 रूपये या वास्तविक लागत, जो भी कम हो अनुमन्य किए जाने का निर्णय लिया है। इससे प्रदेश के लाखों अनुसूचित जाति के किसान लाभािन्वत होंगे।

उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती जी की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न हुई मन्त्रिपरिषद की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया।

उल्लेखनीय है कि अनुसूचित जाति सब प्लान के अन्तर्गत भारत सरकार से प्राप्त शत-प्रतिशत विशेष केन्द्रीय सहायता से समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुसूचति जाति के लघु एवं सीमान्त कृषकों के खेतों में नि:शुल्क बोरिंग कराये जाने की योजना संचालित की जा रही है। वित्तीय वर्ष 1998-99 से संचालित इस योजना में बोरिंग हेतु अनुदान की अधिकतम सीमा बोरिंग की वास्तविक लागत अथवा 6,000 रूपये तथा झांसी एवं चित्रकूट मण्डलों में बोरिंग की वास्तविक लागत 7,500 रूपये, जो भी कम हो अनुदान के रूप में निर्धारित की गई है।

लघु सिंचाई विभाग द्वारा 12 फरवरी, 2009 को जारी शासनादेश के तहत नि:शुल्क बोरिंग योजना के सभी श्रेणी/जाति के कृषकों हेतु बोरिंग लागत सीमा में अनुदान वृद्धि किए जाने सम्बन्धी आदेश जारी किए गए हैं, जिसमें अनुसूचित जाति के लघु एवं सीमान्त कृषकों को वर्तमान में बोरिंग हेतु अनुदान लागत 6,000 रूपये से बढ़ाकर 10,000 या वास्तविक लागत, जो भी कम हो अनुमन्य किया गया है।

यह भी उल्लेखनीय है कि अनुसूचित जाति के लघु एवं सीमान्त कृषकों हेतु संचालित नि:शुल्क बोरिंग योजना में लघु सिंचाई विभाग द्वारा बोरिंग अनुदान 6,000 रूपये से बढ़ाकर 10,000 रूपये या वास्तविक लागत, जो भी कम हो अनुमन्य कर दिए जाने के कारण समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित नि:शुल्क बोरिंग योजना की अनुदान लागत मात्र 6,000 रूपये होने तथा मूल्य वृद्धि के कारण बोरिंग की गुणवत्ता एवं निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति प्रभावित हो रही है। इसको दृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार ने अनुदान लागत को 6,000 रूपये से बढ़ाकर 10,000 रूपये या वास्तविक लागत, जो भी कम हो किए जाने का निर्णय लिया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोश आयोग के सदस्यों एवं जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्षों/सदस्यों के मानदेय/भत्ते में वृद्धि का निर्णय

Posted on 30 December 2010 by admin

राज्य सरकार पर प्रतिवशZ 1,46,20,296 रूपये का अतिरिक्त व्यय भार

मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न मन्त्रिपरिशद की बैठक में राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोश आयोग, उ0प्र0 (राज्य आयोग) के सदस्य एवं जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष तथा सदस्य को पूर्व से दिये जा रहे मानदेय/भत्ते में वृद्धि करने का निर्णय लिया गया है। मन्त्रिपरिशद के इस निर्णय के फलस्वरूप राज्य सरकार पर प्रतिवशZ 1,46,20,296 (01 करोड़ 46 लाख 20 हजार 02 सौ 96) रूपये का व्यय भार पड़ेगा।

मन्त्रिपरिशद में लिए गए निर्णय के अनुसार पूर्णकालिक आधार पर राज्य आयोग के सदस्यों के मानदेय में 6,922 रूपये की वृद्धि करते हुए अब 15,262 रूपये प्रतिमाह, मकान किराया भत्ता में 1,500 रूपये की वृद्धि करते हुए अब प्रतिमाह 03 हजार रूपये तथा वाहन भत्ता में 1,380 रूपये की वृद्धि करते हुए 2,630 रूपये प्रतिमाह करने का फैसला लिया गया है।

इसी प्रकार जिला फोरम के सदस्य के लिए प्रतिमाह मानदेय में 4,616 रूपये की वृद्धि करते हुए 10,176 रूपये, मकान किराया भत्ता में 1,200 रूपये की वृद्धि करके प्रतिमाह 1,800 रूपये तथा वाहन भत्ता में 830 रूपये की वृद्धि करते हुए प्रतिमाह 1,830 रूपये कर दिया गया है। अध्यक्ष जिला फोरम के मकान किराया भत्ता में प्रतिमाह 1,600 रूपये की वृद्धि करते हुए 2,400 रूपये तथा वाहन भत्ता में 830 रूपये की वृद्धि करते हुए 1,830 रूपये प्रतिमाह निर्धारित करने का निर्णय लिया गया है।

मन्त्रिपरिशद द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार अंशकालिक आधार पर नियुक्त अध्यक्ष राज्य आयोग के प्रतिदिन के मानदेय में 250 रूपये की वृद्धि करते हुए 500 रूपये मानदेय प्रतिदिन, सदस्य राज्य आयोग के मानदेय में 200 रूपये की वृद्धि करते हुए 400 रूपये मानदेय प्रतिदिन, अध्यक्ष जिला फोरम के मानदेय में 200 रूपये की वृद्धि करते हुए 400 रूपये मानदेय प्रतिदिन तथा सदस्य जिला फोरम के मानदेय में 150 की रूपये की वृद्धि करते हुए मानदेय प्रतिदिन 300 रूपये करने का निर्णय लिया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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