विश्व के दो अरब बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना पहली प्राथमिकता- देश-विदेश से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों की आम राय
सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के ग्यारहवें अन्तर्राष्टीय सम्मेलन’ में पधारे 71 देशों के न्यायविदों व कानूनविदों ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया कि विश्व के दो अरब बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। होटल क्लार्क अवध में आयोजित एक प्रेस कान्न्से में इन न्यायविदों व कानूनविदों ने पत्रकारों से कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ‘प्रभावशाली अन्तर्राष्टीय कानून व्यवस्था’ सबसे सशक्त माध्यम है जिसका रास्ता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 से निकलता है क्योंकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 की भावना को आत्मसात करके ही ‘विश्व संसद’ व ‘विश्व सरकार’ का गठन संभव है। पत्रकारों से बातचीत करते हुए न्यायविदों व कानूनविदों ने कहा कि जब तक विश्व सरकार नहीं बन जाती, तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे व विश्व एकता का अलख जगाते रहेंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वह दिन दूर नहीं जब विश्व में एक नई विश्व व्यवस्था बनेगी और एकता व शान्ति का राज कायम होगा। ज्ञातव्य हो कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में 10 से 14 दिसम्बर तक आयोजित ‘‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का ग्यारहवा अन्तर्राष्टीय सम्मेलन’’ अत्यन्त सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गया। इस ऐतिहासिक अन्तर्राष्टीय सम्मेलन में विश्व के 71 देशों के मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों, कानूनविद्ों तथा ख्याति प्राप्त शान्ति संगठनों के प्रतिनिधियों ने ‘विश्व के 2 अरब बच्चों के सुरक्षित’ पर सारगर्भित चर्चा की एवं अपने गहन चिंतन-मनन का निष्कर्ष ‘‘लखन घोषणा पत्र’’ के रूप में जारी किया। आज यहा सम्पन्न हुई प्रेस वार्ता में देश-विदेश के न्यायविदों व कानूनविदों ने ‘‘लखन घोषणा पत्र’’ की विस्तृत जानकारी पत्रकारों को दी।
‘लखन घोषणा पत्र’’ का सार पत्रकारों के समक्ष रखते हुए न्यायविदों ने कहा कि इस सम्मेलन में सी-एम-एस- के 39,000 बच्चों द्वारा विश्व के 2 अरब बच्चों व आने वाली पीढ़ियों की ओर से इस अपील को अन्तर्राष्टीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के प्रतिभागियों द्वारा स्वीकार किया गया कि विश्व के दो अरब बच्चों के भविष्य की सुरक्षा के लिए विश्व सरकार के गठन का सतत प्रयास किया जाए जिससे विश्व में आतंकवाद, महामारी, युद्ध आदि जैसी विभीषिकाओं पर रोक लगे। धरती शान्तिमय और खुशहाल बने और एक विश्व संस्था प्रभावशाली अन्तर्राष्टीय कानून व्यवस्था बनाए जिससे परमाणु बम व प्राकृतिक खतरों से धरती को सुरक्षा प्रदान की जाए। इससे बच्चों के अधिकारों की रक्षा हो सकेगी और उनको विरासत में सुरक्षित वातावरण और भविष्य मिलेगा।’
प्रेस कान्न्से में अपने विचार व्यक्त करते हुए उगांडा के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री बी- जे- ओडोकी ने कहा कि अब संसार भर के बच्चों के भविष्य को लेकर उठाये प्रश्नों को टाला नहीं जा सकता बल्कि इसे उज्जवल रूप प्रदान करने के लिए ठोस कानून व्यवस्था बनानी चाहिए जो सभी देशों पर समान रूप से लागू की जा सके। यदि हम अभी नहीं चेते तो फिर बहुत देर हो जायेगी और मानव जीवन का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा। अफगानिस्तान के मुख्य न्यायाधीश प्रो- अब्दुल सलाम अजीमी ने कहा कि आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है दुनिया के देशों में एकता की। हम केवल अपने बारे में न सोचें बल्कि अपने पड़ोसी के बारे में भी सोचें। न्यायमूर्ति डा- आदेल ओमार शेरीफ, डेप्यूटी चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट, इजिप्ट ने कहा कि आज जरूरत है कि सारे विश्व में महात्मा गांधी जी के विचारों को अपनाया जाए और अपने अहिसा, सत्य और प्रेम के शक्तिशाली हथयारों से पृथ्वी के लोगों का मन जीत ले व आतंकवाद को सदा के लिए इस धरती से मिटा दे। इण्टरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के पूर्व उपाध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री सी-जी- वीरामंत्री ने कहा कि हम यह मानते हैं कि सी-एम-एस- द्वारा आयोजित इन अन्तर्राष्टीय सम्मेलन से भारत की पवित्र भूमि में हमें विश्व सरकार गठित करने व अन्तर्राष्टीय कानून व्यवस्था बनाने के लिए नई प्रेरणा शक्ति मिलेगी जिससे हम आने वाले कल को सुधार सकेंगे और एक नई विश्व व्यवस्था कायम कर सकेंगे। इसी प्रकार गुजरात हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए- एस- कुरेशी ने कहा कि कई बार भौगोलिक परिस्थिति भी मानवता के अनुकूल नहीं होती हैं, जैसे सुनामी या भूकम्प आदि जिसमें कितने ही लोग मृत्यु के शिकार हो जाते हैं। यदि सभी देशों में सामन्जस्य होगा तो ऐसे वक्त में मानवता की सेवा की जा सकती है और प्रभावशाली अन्तर्राष्टीय कानून व्यवस्था इसमें अहम भूमिका निभायेगी।
प्रेस कान्न्से में उपस्थित सम्मेलन के संयोजक डा- जगदीश गाधी, प्रख्यात शिक्षाविद् व संस्थापक, सी-एम-एस- ने कहा कि यह अन्तर्राष्टीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51सी पर आधारित था, जिसमें कहा गया है कि राज्य इस ओर प्रयासरत रहेगा कि अन्तर्राष्टीय कानून का आदर करे। राज्य की इस परिभाषा में देश के सभी नागरिक शामिल हैं जिन पर यह संविधान लागू होता है। किन्तु अन्तर्राष्टीय कानून का आदर तभी संभव है जब एक अन्तर्राष्टीय कानून व्यवस्था हो जो ऐसे कानून बनाए और इनको समान रूप से सभी देशों पर लागू किया जाए। इसके लिए संयुक्त राष्ट संघ को और सशक्त करना होगा व इसमें सुधार करने होंगे जिससे सभी देशों का प्रतिनिधित्व बराबरी से हो और लखन घोषणा पत्र इस बात पर जोर देता है।
डा- गाधी ने बताया कि इस ग्यारहवें अन्तर्राष्टीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन में विश्व के 71 देशों के लगभग 225 मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों व कानूनविदों ने भाग लेकर विश्व सरकार बनने के दिवास्वप्न को साकार किया है। उन्होंने जोरदार शब्दों में कहा कि अब वह दिन दूर नहीं जब विश्व की एक सरकार होगी, एक संसद होगी, एक विश्व न्यायालय होगा व एक मुद्रा होगी व दुनियावासी विश्व नागरिक और यह मुहिम विश्व सरकार बनने तक जारी रहेगी। डा- गाधी ने कहा कि इस अन्तर्राष्टीय सम्मेलन को दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का जिस तरह से हमें समर्थन व प्रोत्साहन मिल रहा है, उससे साफ जाहिर होता है कि बारूद के ढेर पर बैठी विश्व मानवता को एकता व शान्ति की कितनी जरूरत है। उन्होंने बताया कि आगामी मुख्य न्यायाधीश अन्तर्राष्टीय सम्मेलन में एक बार फिर से दुनिया भर के मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश, राष्टाध्यक्ष व कानूनविदों को आमन्त्रित किया जायेगा।
सी-एम-एस- के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि यूनेस्को शान्ति शिक्षा पुरस्कार से सम्मानित व गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर सिटी मोन्टेसरी स्कूल अपनी स्थापना के समय से ही पूरे विश्व के बच्चों के सुरक्षित भविष्य, उनके मौलिक अधिकारों एवं विश्व एकता व विश्व शान्ति हेतु सतत् प्रयत्नशील रहा है। इसी उद्देश्य के फलस्वरूप लखन की सरजमीं पर लगातार ग्यारहवीं बार मुख्य न्यायाधीशों का यह अन्तर्राष्टीय सम्मेलन आयोजित हुआ जिसे भारत में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में एकता के प्रयासों को जमकर जनसमर्थन मिला है। श्री शर्मा ने बताया कि 71 देशों से पधारे प्रख्यात न्यायविद् व कानूनविद् आज दिनभर लखन भ्रमण के उपरान्त अपने-अपने देशों को रवाना हो जायेंगे, परन्तु इन महान विद्वानों ने ‘विश्व के दो अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य’ की जो अखण्ड मशाल जलाई है वह सम्पूर्ण विश्व को एकता के पथ पर ले जायेगी।
विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का ग्यारहवा अन्तर्राष्टीय सम्मेलन 10 से 13 दिसम्बर 2010 - रिसोल्यूशन-2010
वर्तमान में विश्व दूषित पर्यावरण, वातावरण में बदलाव, बच्चों का शोषण, बालिकाओं के साथ भेद-भाव, पानी तथा खाद्य समस्या, अन्तर्राष्टीय आतंकवाद, बड़े पैमाने पर हिंसा तथा झगड़े जिससे विश्व के अरबों आदमी, औरत तथा बच्चे प्रभावित होते हैं, परमाणु हथियारों का एकत्रीकरण तथा दूसरे विध्वंसात्मक हथियार तथा आर्थिक शोषण शामिल हैं, से जूझ रहा है।
हम 44 देशों के न्यायाधीश, जो कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में लखन में होने वाले विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का ग्यारहवें अन्तर्राष्टीय सम्मेलन में एकत्र हुए हैं, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा स्कूल है तथा यूनेस्को शांति शिक्षा पुरस्कार प्राप्त कर चुका है, सभी राष्ट प्रमुखों तथा राष्टाध्यक्षों का ध्यान अन्तर्राष्टीय कानून की ओर आकृष्ट करना चाहते हैं -
1- उपरोक्त विश्व समस्याओं का निस्तारण,
2- अन्तर्राष्टीय शान्ति व सद्भाव हेतु उपयुक्त संस्था बनाई जाए
3- जो देश अन्तर्राष्टीय न्यायालय एवं अन्तर्राष्टीय मििनल कोर्ट के दायरे में नहीं आते, उन्हे अविलम्ब उसमें शामिल किया जाए,
4- जो देश उन सामान्य अन्तर्राष्टीय कानूनों एवं अन्य कानूनों को नहीं मानते, जिससे उपरोक्त वैश्विक समस्या उत्पन्न होती है, उन्हें लागू एवं विकसित कराया जाए,
5- विश्व के बच्चों को शान्ति एवं एक-दूसरे की संस्कृति सिखाने वाली शिक्षा दी जाए ताकि उनमें प्रेम, सहिष्णुता एवं समझदारी की भावना उत्पन्न हो,
6- संलग्न रिसोल्यूशन वर्ष-2009 में, विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 10वें अन्तर्राष्टीय सम्मेलन द्वारा पारित, लागू कराया जाय ताकि विश्व संसद एवं विश्व न्यायालय स्थापित हो सके,
7- सभी देशों के प्रमुखों एवं राष्टाध्यक्षों की अविलम्ब बैठक बुलायी जाय ताकि उपरोक्त वर्णित गंभीर समस्यायें खत्म हो सके,
8- उपर्युक्त तथ्यों को हासिल करने हेतु एक समय सीमा शीघ्र तय की जाय।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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