उत्तर प्रदेश में सम्पन्न हुये जिला पंचायत के अध्यक्षों के चुनाव में हुए भ्रष्टाचार एवं शासन प्रशासन द्वारा किये गए नंग नाच से लोकतन्त्र पर ही प्रश्न चिन्ह लग गया है। 73 व 74वें संविधान संशोधनों की मंशा, लोकतान्त्रिक अधिकारों और जिम्मेदारियों की समाज के सभी वर्गो की साझादारी सुनिश्चत करना था। उ0प्र0 के इस चुनाव में पहले सपा और अब बसपा ने सभी नियमों और मूल्यों को धता बताकर अपने राजनैतिक स्वार्थो की पूर्ति ही की है। अब ब्लाक प्रमुखों के चुनाव में यही प्रयोग पुन: दोहराये जाएगें।
प्रदेश प्रवक्ता सत्यदेव सिंह ने आज पार्टी मुख्यालय पर संवाददाताओं से वार्ता करते हुये बताया कि डी0एम0 और डी0आई0जी0 स्तर के अधिकारियों को मा0 उच्च न्यायालय के आदेश पर हटाया जाना तथा पुलिस के स्थान पर केन्द्रीयबलों की तैनाती अपने आप में स्पष्ट करती है कि लोकतन्त्र की हत्या में बसपा कितनी जिम्मेदार है। निर्विरोध चुने गये अध्यक्षों के बारे में यदि निष्पक्ष जांच हो तो पता चलेगा कि किस प्रकार शासन ने भय और आतंक के साथ-साथ प्रत्याक्षियों के द्वारा धन का भी दुरपयोग किया गया है। ये महत्वपूर्ण संस्थायें आगामी 5 वषोZ तक जनता के धन का ही शोषण करेगी। चुनाव की निष्पक्षता के लिये पार्टी मांग करती है कि जिला पंचायत व ब्लाक प्रमुखों का चुनाव भी सीधे जनता के वोट द्वारा होना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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